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18 मार्च 2011

राजस्थान में पहले मोत और अब होली की सियासत

दोस्तों यह राजस्थान हे  पहले कभी रेगिस्तान फिर राजाओं का स्थान बने इस राजस्थान में इन दिनों मोतों पर राजनीति हो रही हे और अब तुयोहरों के नाम पर भी राजनीति ने चरित्र की गिरावट की पराकाष्ठा पार कर ली हे .
राजस्थान जहां आन बान शान के तेवरों की वजह से इसकी पहचाना हे इसी राजस्थान में सवाई माधोपुर में एक नोजवान कानून व्यवस्था की मांग और अपराधियों को पकड़ने की मांग करता हे और फिर आत्मदाह की चेतावनी एक निश्चित वक्त तय कर खुले आम देता हे सरकार कुछ नहीं करती नियत दिन पर यह नोज्वना टंकी पर चढ़ता हे खुद को आग लगाता हे और नीचे कूद जाता हे , एक पुलिस अधिकारी फुल मोहम्मद भीड़ की नाराज़गी की प्रवाह किये बगेर इस नोजवान को बचाने के लियें आक्रोशित भीड़ में कूद जाता हे खुद के पास रिवोल्वर होने के बाद भी रिवोल्वर से खुद का बचाव करने की जगह आग से झुलसे नोजवान को बचाने को इहली प्राथमिकता देता हे और फिर उसकी आग बुझाने के पहले ही जनता उसे पत्थर से घायल कर जिप में ही जिंदा जला डालती हे . राजस्थान कलंकित हो जाता हे सरकार शर्मसार नहीं होती विपक्ष आहत नहीं होता विधानसभा में इस मसले पर राजनीति केवल राजनीति होती हे विधान  सभा के बाहर सभी धर्म सभी वर्ग के लोग इसे राजनीति का रंग देते हें . 
कोंग्रेस में सरकार के मुखिया इस घटना और खुद के गृह जिले में प्रसुताओं की मोत को इस घटना से जोड़ के राजनीतिक घोषणा करते हे के इन घटनाओं से वोह सदमे में हें इसलियें होली नहीं मनाएंगे येह्ख्बर टी वी रिपोर्टरों के माध्यम से भाजपा की नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार विपक्ष की नेता वसुंधरा सिंधिया तक पहुंचती हे तो वोह भी अपने राजनितिक सलाहकारों के इशारे पर इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का नाम लेकर इस साल होली नहीं बनाने का एलान करती हें , तो दोस्तों यह राजस्थान हे यहाँ त्योहारों को भी राजनितिक रंग दिया जाने लगा हे किसी भी त्यौहार को मनाना नहीं मनाना एक अलग बात हे लेकिन जो घटना घटी हे अगर उससे सबक लेकर कोई सख्त कार्यवाही की जाये तो ही घटना के मामले में प्रायश्चित कहा जा सकता हे वरना यह नोटंकी होली नही मनाएंगे जनता को बेवकूफ बनाने के फार्मूले के आलावा और कुछ नही हे इसलियें भाई हमारी तरफ से तो एक बार फिर सभी को होली मुबारक हो ................. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

होली दहन का मुहरत शाम ६.३५ से ७.१० तक रहेगा

 दोस्तों ब्लोगिंग की दुनिया में मेरी तरफ से आपको इस पहली होली पर दिली मुबारकबाद आज एक चोघाडिया   देखा तो पता लगा के कोटा में और सभी जगह होली दहन का मुहरत शाम ६.३५ से ७.१० तक रहेगा जो सूरज डूबने से दस मिनट बाद तक का हे . 
होल की सजावट को देखते हुए कई होली संचालक इस मुहर्त को टाल कर ही होली का दहन करेंगे लेकिन प्रक्रति और इश्वर के आदेश के विपरीत अगर कोई काम क्या जाए तो अराजकता की सी स्थिति तो होती ही हे इस बार अट्ठारह वर्ष बाद पहली बार शनिवार पूर्णिमा का चाँद आया हे जो अपेक्षाक्रत चमकीला खुबसूरत और चोह्द्विन के चाँद की मानिंद खुबसूरत रहेगा एक तरफ खबसूरत चाँद का उदय दूसरी तरफ सूरज का छुपना और फिर होली का दहन एक खुबसूरत सा नजारा जिसे अगर सब कुछ वक्त पर कर दिया जाये तो देखने लायक मंजर हो जाएगा  लेकिन कई  स्थानों पर डिस्को और फ़िल्मी फूहड़ गानों की गूंज में नशेडी लोग इस सुन्दर माहोल को दबा डालेंगे . 
कोटा में नयापुरा की आदर्श होली ने इस बार फिर हर बार की तरह नायाब यादगार होली सजाई हे इस होली के खुसूसी महमान राजस्थान के गृह मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल रहेंगे यहाँ इस आकर्षक होली को देखने के लियें लाखों लोग आते हें और होली के संचालक राकेश शर्मा राकू को धन्यवाद देते हें इस होली में इस बार चम्बल पुल और एक तरफ हिन्रा कश्यप को एक बढ़े कढ़ाव में बताया गया हे जो होली के दहन की यद् ताज़ा कर रहा हे . 
खेर सभी भाइयों की होली खुशनुमा रंगीन और खुशियों से झोली भर दें वाली रहे इसी दुआ के साथ सभी भाइयों को होली मुबारक हो होली मुबारक हो . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

होली के खुशनुमा रंगों में डूबेगी ब्लोगिंग की दुनिया

होली के रंगा रंग कार्यक्रम की शुरुआत कल यहाँ हुई एक छोटे से कुए में बुरा ना मानो होली हे के नारे के साथ यह कार्यक्रम शुरू हुआ इस कार्यक्रम के पूर्व अंधे कुए को जब देखा तो किसी ने जले हटाने की बात कही कुए में थोड़ा बहुत कीचड़ था इसलियें साफ करना मुनासिब नहीं समझा उसी में गुलाल मिला दिया और खाने का इन्तिज़ाम भी वहीं कर दिया . 
खाने की शुरुआत में सबसे पहले भाई उड़नतश्तरी ब्लोगर का इन्तिज़ार था खेर वोह आये उन्होंने अपनी उड़ने वाली तश्तरी ली और ब्लॉग ४ वार्ता के लियें भाई ललित जी शर्मा के पास चले गये लाली जी शर्मा तो ठहरे घुमक्कड़ भाई वोह इधर उधर घूम रहे थे के कुंवर जी ने उन्हें घेर लिया बस भाई ललित जी साइड में हो गये और वकील दिनेश राय जी द्विवेदी की अदालत की बात करने लगे ब्लोगरों का होली कुआ था इसलियें इस कुए को तीसरे खम्बे की खड़े रहने की जरूरत थी सो इस तीसरे खम्बे पर यह कुआ खड़ा रहा . हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट की बात चली तो सब इधर उधर बगलें झाँक रहे थे के बहन शालिनी कोशिक एडवोकेट दोध कर आयीं और ब्लोगिंग के महिला अत्याचारों को खत्म करवा कर उनकी हुकूमत कायम करने के लियें श्रीमती वन्दना गुप्ता और रश्मि प्रभा से गुपचुप बातें करने लगीं इस बीच ब्लोगर होली मिलन का खाना कम पढ़ गया था बस में अख्तर खान अकेला बावर्ची बन कर खाना बनाने लगा इसी बीच पी एस पावला जी ने एक सुझाव दिया के बाई जहां इतना कर रहे हो वहां कुछ साल गिराहें और शादी की साल गिरहें हें उन्हें भी निपटा डालो पावला जी हाकम हे स्टील के आदमी हे सो उनकी बात टाल कर हम मुसीबत में नहीं पढना चाहते थे इसीलियें चुपचाप बर्थ डे केक बनाने में लग गये . 
अतुल श्रीवास्तव जी खाना खत्म हो जाने के कारण मुकेश जी सिन्हा के साथ प्रेषण घूम रहे थे कुए के लियें सीडिया मंगा रहे थे लेकिन ब्लोगिंग की होली का कुआ था यहाँ आदमी आता तो अपनी मर्जी से हें लेकिन जाता भाई ब्लोगरों की मर्जी से हे सो वोह नाकाम नज़र आ रहे थे इसी बीच के पी सक्सेना साहब ने तीसरी आँख दिखाई तो एक कोने में एक प्लेट में समोसा दिखा वोह आगे बढ़ते के मदन गोपाल गर्ग ने प्लेट झपट ली इस घटना  को देख कर भाई हरीश भट्ट आशुतोष और अनामिका को देख कर दायें बिखेर रहे थे ,मुकेश सिन्हा हकीम युनुस खान से ब्लोगर्स की टिप्पणियों से पेट में दर्द ना हो इसकी दवा लिखवाना चाह रहे थे के अचानक अंधे कुए में रौशनी जगमगा गयी हमने देखा के आखिर यह किसका जमाल हे तो देखा तो भाई हाकिम साहब के सामने एक डोक्टर की रौशनी का जमाल थे किसी ने कहा के यह चमक अनवर जमाल की हे सब बा अदब बा मुलायेज़ा हो गये और सलीम भाई और अनवर भाई साथ बेठ कर ब्लोगिंग पर चर्चा करने लगे ब्लोगिं का भविष्य देखने के लियें पामिस्ट भी वहां मोजूद थे और डॉक्टर अशोक जी पामिस्ट डोक्टर राजेंदर तेला जी का हाथ निरंतर देख रहे थे यह नजारा देख कर में सोच रहा था के यह हिंदी ब्लॉग फोरम इंटर नेशनल बन गया हे . 
      होली की इस हुडदंग में एक बार फिर गरम पूरी बन कर आई भगदड़ मची और फिर पूरी खत्म अली सोहराब ने सोहराब जी ने सुचना के अधिकार के तहत हसन साहब के साथ ब्लोगिंग खाने पीने का हिसाब किताब मांग लिया , बस खुशदीप जी ने कहा केसा हिसाब जो भी था हमारा अपना था इसलियें इसका हिसाब महक ,पूजा और फिरदोस से पूंछो ,अतुल कनक जी थे वोह जब अपनी कविता कह रहे थे तो डोक्टर रुप्चंदर शाश्त्री जी इस मामले को गम्भीरता से देख रहे थे सुनने का तो सवाल इसलियें नहीं था के खाने में जो मिर्चियाँ तरहीं उसका धुंआ कानों और ना जाने कहाँ कहाँ से निकल रहा था . 
इसी बीच अस्त व्यस्त ब्लोगिंग की इस पार्टी को सजाने संवारने का काम भाई शाह नवाज़ करने लगे और लोग इनसे डरने लगे इनके हाथ में केंची थी दुसरे हाथ में खुद का दामन था सब इनके इस हाल को देख कर अंधे कुए में बनाये गये दुसरे हाल में घुस गये वहां तारेक्श्वर गिरी बादाम की गिरी अकेले खा रहे थे और दूसरी तरफ संजय सेन सागर में नहा रहे थे जाकिर अली रजनीश के ध्यान में मगन थे तो उपदेश सक्सेना जी ब्लोगिंग के हालत पर उद्प्देश सुना रहे थे .हरीश जी इन सब को देख कर भूख से कुलबुला रहे थे इसलियें वोह तुरंत अपना लेब्तोब खोल कर खाना बाचने लगे .उनकी इस हालत पर आज समाज ने कहा यही हे आज का समाज झना लोग एकत्रित हें और ब्लोगिंग हो रही हे . 
डोक्टर निरुपमा वर्मा ने दिलबाग विर्क से कहा के हम तो आपको देख कर ब्लोगरों की बरता न मानो इस होली में बाग़ बाग़ हो गये इस बात चीत को सलीम खान सुन रहे थे और लखनऊ ब्लोगर एसोसिएशन को गुपचुप खाना खिला रहे थे एक जीशान जेडी थे जिन्हें अफसाना तनवीर ब्लोगिंग के होली के इन हालातों पर अफसाना सुना रही थीं .मीनाक्षी पन्त ,सुरेश भट्ट मिल कर अपने अपने पांतों के बारे इमं सोच कर सुरेश भट जी के साथ तंदूर की भट्टी जला रहे थे जिसे फूंक से भाई ललित जी शर्मा बुझा रहे थे ,मार्कंड दावे , नील प्रदीप आपस में कोई बात कर रहे थे के बीच में साधना वेध ने वेध बन कर एक ब्लोगिंग दवा लिख डाली जिसे लेने दी पी मिश्रा और मनोज और अनुरण लेने जाने की कोशिशों का ताना बाना बुन रहे थे के जसवंत धरु ने उन्हें रास्ते में ही धर लिया निरुपमा वर्मा जी ने जब वोह देखा तो उन्होंने भूखे पेट अन्ताक्षरी शुरू की और प्रतिभा ने इस प्रतिभा पर उन्हें इरफ़ान से एक रोटी छीन कर देने की कोशिश की तो के एस कन्हय्या नाराज़ हो गये एक दुसरे की शिकायत हुई सब झूंठ बोल रहे थे तो इंजिनियर ने सत्यम शिवम का संदेश दिया मिथलेश दुबे ने कवि सुधीर गुप्ता पन्त से कविता कहने को कहा तो उन्होंने लिखी लिखाई कविता ब्लॉग पर दे डाली . गजेंदर सिंह जी अपने गज को लेकर ब्लोगर होली मिलन समारोह स्थल के कुए में थे लेकिन अरविन्द शुक्ल ने स्वराज करुण की बात की तो बहन शिखा कोशिक ने हस्तक्षेप किया और डॉक्टर अजमल खान ने भूखे पेट भजन करने के लिए सभी ब्लोगरों को गोलियां खिलायीं ,गगन शर्मा ने गगन की तरफ रंग बिरंगे इंद्र धनुष की तरफ देखा तो एक महर दिख रही थी ,जनोक्ति ने लोक्संघर्ष की बात की तो एल के गांधी जी हंसने लगे बस फिर क्या थी सभी के चेहरों पर से हंसी गायब गुस्सा दिखने लगा सब अपने अपने गुट बनाने लगे एक दुसरे को टिप्पणियों का दुःख दर्द सुनाने लगे पहले तो भाई डंडा लखनवी ने डंडा दिखाया लेकिन मास्टर जी का डंडा छोटा था इसलियें पाठ काम नहीं आया और इसी बीच एक मासूम सा आदमी एस एम मासूम सभी के बीच एक देवता बन कर अमन का पैगाम लाया इस पैगाम को देख कर दुसरे भाई जिन्होंने हिन्दुस्तान का दर्द देखा था सहा था वोह प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ के साथ हो लिए और सभी को साथ जोड़ने के लियें आल इण्डिया ब्लोगर एसोसिएशन का खुशनुमा पैगाम दिया सभी ने महिला वर्ष होने से महिलाओं को आदरणीय होने का पैगाम दिया बस फिर किया था सबकी खबर ले सबकी खबर दे के नारे के साथ एक खुबसुरत ब्लॉग ब्लॉग की खबरें सबके सामने था सभी ब्लोगर इतिहास देख रहे थे और सोच रहे थे हमारी नादानी ही थी जो ब्लोग्वानी बंद हुई हमारी कमजोरी थी जो चिट्ठाजगत पाबन्द हुआ अब हमारी वाणी हे जो सिर्फ और सिर्फ हमारी वाणी हे यह ना तेरी हे ना मेरी हे यह तो बस ब्लोगर्स की अपनी हमारी हे , एक दम ब्लोगिंग के इस अंधे कुए में एक नई रौशनी दिखी और खाना बन कर आ गया डोक्टर अनवर जमाल थे के हाथ में खाना लिए भाई दिनेश द्विवेदी जी को परोसे  जा रहे थे और भाई दिनेश द्विवेदी जी थे के उनसे एक एक लड्डू लिए बढ़े आराम से मुस्कुराते हुए खाए जा रहे थे थोड़ी देर में खाने का दोर खत्म हुआ मिलने मिलाने और गुलाल रंग लगाने का दोर शुरू हुआ तो सभी ने पानी बर्बाद ना हो इसलियें केवल तिलक लगाकर तिलक होली मनाई और जब सभी भाइयों ने पीछे मूढ़ कर देखा तो एक सपना जो सुबह देखा था सच होते हुए देखा भाई शाहनवाज़ और दिनेश द्विवेदी जी अनवर जमाल से गले मिल मिल कर आपसी गिले शिकवे अपने आंसुओं में बहा रहे थे ब्लोगिंग की इस दुनिया का इस काल्पनिक होली मिलन समारोह का यह हाल देख कर मेरा मन करा यह हाल तो सभी ब्लोगर भाइयों को सुनाया जाए सभी को पढाया जाए वेसे तो बुरा ना मानो होली हे और फिर अगर कोई बुरा मानता हे तो माने क्योंकि फिर भी तो बुरा ना मानों तो होली हे बस ऐसी खुशनुमा होली का सपना पूरा हो एकता अखंडता धर्मनिरपेक्षता वक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रा सुरक्षा मान सम्मान लिंग जाती धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हमारे देश के संविधान की भावना के नारे के साथ मेरी ब्लोगिंग की दुनिया बने यही होलिका से मेरी दुआ हे मेरी दुआ हे ,.......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
होली के खुशनुमा रंगों में डूबेगी ब्लोगिंग की दुनिया

क्या सरकारी भूमि पूजन उचित है?

क्या सरकारी भूमि पूजन उचित है?

पुलिस स्टेशनों, बैंकों अन्य शासकीय/अर्धशासकीय कार्यालयों भवनों में हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें, मूर्तियाँ आदि लगी होना आम बात है। सरकारी बसों अन्य वाहनों में भी देवी-देवताओं की तस्वीरें अथवा हिन्दू धार्मिक प्रतीक लगे रहते हैं। सरकारी इमारतों, बाँधों अन्य परियोजनाओं शिलान्यास उद्घाटन के अवसर पर हिन्दू कर्मकांड किए जाते हैं। यह सब इतना आम हो गया है कि इस ओर हमारा ध्यान ही नहीं जाता।
स्वतंत्रता के तुरंत बाद, इस मुद्दे पर कुछ प्रबुद्धजनों ने अपना विरोध दर्ज किया था सरकार की धर्मनिरपेक्षता की नीति पर प्रश्नचिन्ह लगाए थे। पंडि़त नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में केन्द्रीय कैबिनेट ने केवल सोमनाथ मंदिर का जीर्णोंधार सरकारी खर्च पर कराए जाने के प्रस्ताव को अमान्य कर दिया था वरन् तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को यह सलाह भी दी थी कि वे राष्ट्रपति की हैसीयत से मंदिर का उद्घाटन करें। उस समय, सार्वजनिक पदों पर बैठे व्यक्तियों की तीर्थस्थानों, मंदिरों आदि की यात्राएं नितांत निजी हुआ करती थीं और इन यात्राओं के दौरान वे मीडिया से दूरी बनाकर रखते थे।
धीरे-धीरे समय बदला। आज राजनेताओं के बीच भगवान का आर्शीवाद प्राप्त करने की प्रतियोगिता चल रही है। राजनेताओं की मंदिरों बाबाओं के आश्रमों की यात्राओं का जमकर प्रचार होता है। सरकारी इमारतों के उद्घाटन के मौके पर ब्राम्हण पंडि़त उपस्थित रहते हैं। सरकारी परियोजनाओं के शिलान्यास के पहले भूमिपूजन किया जाता है और मंत्रोच्चारण कर ईश्वर से परियोजना का कार्य सुगमतापूर्वक संपन्न करवाने की प्रार्थना की जाती है।
अभी हाल में राजेश सोलंकी नामक एक दलित सामाजिक कार्यकर्ता ने गुजरात उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर, न्यायालय के नए भवन के शिलान्यास समारोह के दौरान भूमिपूजन और मंत्रोच्चारण किए जाने को चुनौती दी। इस कार्यक्रम में राज्य के राज्यपाल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी उपस्थित थे। सोलंकी का तर्क था कि चूंकि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है अतः राजकीय कार्यक्रमों में किसी धर्मविशेष के कर्मकांड नहीं किए जा सकते। ऐसा करना भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों के विरूद्ध होगा। भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्ष है और धर्म और राज्य के बीच स्पष्ट विभाजक रेखा खींचता है। सोलंकी ने यह तर्क भी दिया कि अदालत के भवन के शिलान्यास के अवसर पर भूमिपूजन और ब्राम्हण पंडि़तों द्वारा मंत्रोच्चारण से न्यायपालिका की धर्मनिरेपक्ष छवि को आघात पहुंचा है।
सोलंकी की इस तार्किक और संवैधानिक याचिका को स्वीकार करने की बजाय न्यायालय ने उसे खारिज कर दिया। और तो और, याचिकाकर्ता पर बीस हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया गया। अपने निर्णय में उच्च न्यायालय ने कहा कि धरती को इमारत के निर्माण के दौरान कष्ट होता है। भूमिपूजन के माध्यम से धरती से इस कष्ट के लिए क्षमा मांगी जाती है। भूमिपूजन के जरिए धरती से यह प्रार्थना भी की जाती है कि वह इमारत का भार सहर्ष वहन करे। भूमिपूजन करने से निर्माण कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होता है। निर्णय में यह भी कहा गया है कि भूमिपूजन, वसुधैव कुटुम्बकम (पूरी धरती हमारा परिवार है) सर्वे भवन्तु सुखिनः (सब सुखी हों) जैसे हिन्दू धर्म के मूल्यों के अनुरूप है। न्यायालय के ये सारे तर्क हास्यास्पद और बेबुनियाद हैं।
निर्माण कार्य शुरू करने के पहले धरती की पूजा करना शुद्ध हिन्दू अवधारणा है। दूसरे धर्मों के लोग यह नहीं करते जैसे, ईसाई धर्म में निर्माण शुरू करने के पहले पादरी द्वारा धरती पर पवित्र जल छिडका जाता है। जहां तक नास्तिकों का सवाल है, निर्माण के संदर्भ में उनकी मुख्य चिंता पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना होती है।
शासकीय कार्यक्रमों में किसी धर्म विशेष के कर्मकांडों किए जाने को उचित ठहराना भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है। भारतीय संविधान, राज्य से यह अपेक्षा करता है कि वह सभी धर्मों से दूरी बनाए रखेगा और उनके साथ बराबरी का व्यवहार करेगा। एस.आर.बोम्मई के मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला भी यही कहता है। इस फैसले के अनुसार धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि

1) राज्य का कोई धर्म नहीं होगा
2) राज्य सभी धर्मों से दूरी बनाए रखेगा
3) राज्य किसी धर्म को बढ़ावा नहीं देगा और ना ही राज्य की कोई धार्मिक पहचान होगी।

यह सही है कि विभिन्न धर्मों द्वारा प्रतिपादित नैतिक मूल्न्यों को पूरा समाज देश स्वीकार कर सकता है परंतु यह बात धार्मिक कर्मकांडों पर लागू नहीं होती। यद्यपि धर्मों की मूल आत्मा उनके नैतिक मूल्य है पंरतु आमजनों की दृष्टि में, कर्मकांड ही विभिन्न धर्मों के प्रतीक बन गए हैं। कर्मकांडों के मामले में तो धर्मों के भीतर भी अलग-अलग मत और विचार रहते हैं।
कबीर, निजामुद्दीन औलिया महात्मा गाँधी जैसे संतो ने धर्मों के नैतिक पहलू पर जोर दिया। जहां तक धार्मिक कर्मकांडों, परंपराओं आदि का संबंध है, उनमें बहुत भिन्नताएं हैं। एक ही धर्म के अलग-अलग पंथों के कर्मकांडों, पूजा पद्धति आदि में भी अंतर रहता है।
उच्च न्यायालय का यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 51 () के भी विरूद्ध है। यह अनुच्छेद राज्य पर वैज्ञानिक एवं तार्किक सोच को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी डालता है। राज्य द्वारा किसी भी एक धर्म के कर्मकांडों, परंपराओं, रीतियों आदि को बढ़ावा देना संविधान के विरूद्ध है। वैसे भी, श्रद्धा और अंधश्रद्धा के बीच की विभाजाक रेखा बहुत सूक्ष्म होती है। श्रद्धा को अंधश्रद्धा का रूप लेते देर नहीं लगती और अंधश्रद्धा समाज को पिछडेपन दकियानूसी सोच की ओर धकेलती है।
जहां तक किसी इमारत के निर्माण का प्रश्न है अगर संबंधित तकनीकी भूगर्भीय मानको का पालन नहीं किया जावेगा तो दुर्घटनाएं होने की संभावना बनी रहेगी। यही कारण है कि इमारतों के निर्माण के पूर्व कई अलग-अलग एजेन्सियों से अनुमति लेने का प्रावधान किया गया है। अगर इन प्रावधानों का पालन किए बगैर इमारतें बनाई जाएगीं तो भूमिपूजन करने के बावजूद, दुर्घटनाएं होंगी ही।
हमारे न्यायालयों को इन संवैधानिक पहलुओं का ध्यान रखना चाहिए। अजीबोगरीब तर्क देकर यह साबित करने की कोशिश करना हमारे न्यायालयों को शोभा नहीं देता कि किसी धर्म के कर्मकांडों और रूढियों को राज्य द्वारा अपनाना उचित है।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने कहा था, “उस भारत, जिसके निर्माण के लिए मैं जीवन भर काम करता रहा हॅू, में प्रत्येक नागरिक को बराबरी का दर्जा मिलेगा-चाहे उसका धर्म कोई भी हो। राज्य को पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष होना ही होगा“ (“हरिजन“ 31 अगस्त 1947) धर्म किसी व्यक्ति की देशभक्ति का मानक नहीं हो सकता। वह तो व्यक्ति और उसके ईश्वर के बीच का व्यक्तिगत मसला हैधर्म हर व्यक्ति का व्यक्तिगत मसला है और उसका राजनीति या राज्य के मसलों से घालमेल नहीं होना चाहिए।
पिछले कुछ दशकों से हिन्दू धार्मिक परंपराएं रीतियां, राजकीय परंपराएं रीतियां बनती जा रहीं है। इस प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाए जाने की जरूरत है।

-राम पुनियानी
(लेखक आई.आई.टी. मुंबई में पढ़ाते थे, और सन् 2007 के नेशनल कम्युनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं। jnaab yeh loksnghrsh men prkashit lekh thaa or bhartiy snvidhaan ke taht ksoti pr khraa utrta he isliyen prashit kiya jaa rha he . akhtar khan akela kota rajsthan

ब्लॉग की दुनिया को होली का राम राम

मित्रों होली मुबारक हो यूँ आसानी से एक दुसरे से इतनी दूर रहकर भी कह आना सम्भव हो सकेगा येह हमें आज से ३० साल पहले कल्पना भी नहीं की थी लेकिन आज होली के इन रंगों को हम और आप इस तरह से मिलजुलकर बाँट रहे हें और इसके लियें सभी को मुबारकबाद .
इक्कीसवीं सदी के इंटरनेट भारत का सपना देखने  वाले जब एक हवाई जहाज़ के पायलेट राजिव गाँधी ने इसकी घोषणा की इसकी प्रस्तावित योजनायें तय्यार की तो विपक्षी लोगों सहित कोंग्रेस के कुछ पुराने ख्यालात के नेताओं ने उनका खूब जम कर मजाक उढ़ाया, राजीव गांधी हवाई जहाज़ के सेट अप को समझते थे वोह इलेक्ट्रोनिक तकनीक को जानते थे इसलियें उन्होंने विरोधियों की प्रवाह नहीं की और सेम पित्रोसा को अपना सलाहकार बनाया उस वक्त सेम पित्रोसा को भी सभी विपक्षी लोगों ने कोसा और विरोध किया खेर पहले सेटेलाईट, फिर टी वी, फिर डी डी टू , फिर फोन फिर मोबाइल और फिर इंटरनेट की दुनिया चलती गयी चलती गये इंटरनेट की इस दुनिया में आज हमारा देश भी आगे बढ़ रहा हे लेकिन गूगल को धन्यवाद दें जो उसने साहित्य्य्कारों पत्रकारों को अपनी सूचनाएं रचनाएँ और जानकारियाँ आदान प्रदान करने के लियें ब्लॉग के रूप में मुफ्त में जगह दी. कहते हें मुफ्त में अगर कुछ मिल जाए तो उसकी कद्र नहीं होती खेर इस जगह की वजह से इंटरनेट की दुनिया बनी साइबर कानून बना केफे खुले और अब घर घर में लेब्तोप या कम्प्यूटर जरूरत बन गया हे , फेसबुक की दोस्ती के आज चर्चे हें ऑरकुट के चर्चे आम हे और इंटरनेट मित्रता पर कई प्रेम कई शादियाँ रोज़ होना आम बात हें . 
लेकिन दोस्तों कोई भी आविष्कार अच्छों के लियें अच्छा और बुरों के लियें बुरा होता हे अच्छे किसी भी आविष्कार का जनहित में इस्तेमाल करते हें तो बुरे इस अविष्कार से तबाही और नफरत फेलाना चाहते हें आज हमारे देश में ब्लोगिंग की दुनिया में भी कुछ गिनती के लोग हे जो बेबाकी से बुरे काम को अंजाम दे रहे हें वोह नफरत और गालियाँ बाँट रहे हें लेकिन यह सभी लोग अपनी हर कोशिश के बाद भी सदमे में इसलियें हें के ब्लोगर्स ने इनकी कोशिश को नकार दिया हे आज नफरत फेलाने वालों की कोशिशें डस्टबीन पढ़ी हें और इसके लियें सभी भाई और बहने बधाई की पात्र हें ब्लोगिंग की दुनिया में नयी दोस्ती नई जानकारी नया प्यार नया दुलार भाईचारा और सद्भावना बढ़ा रहा हे आज ब्लोगर्स जाती धर्म उंच नीच भेदभाव भुला कर एक दुसरे की मदद कर रहे हें बहनों और माताओं का सम्मान कर रहे हें कुल मिलाकर ब्लोगिंग की इस दुनिया ने भी विज्ञानं के एक चमत्कार को साक्षात् किया हे . ब्लोगिंग को संचारित करने के लियें एक जुट करने के लियें ब्लॉग वाणी एग्रीगेटर चला लेकिन उसकी गंदगी सब जानते हें ब्लोग्वानी को कई लोगों ने सुधारने की कोशिश की लेकिन गुट बाज़ी जातिवादी धर्मान्धता कट्टरता और नफरत के भाव फेलाने वाले कुछ लोगों ने इस ब्लोग्वानी को ब्लोक कर दी और अब यह एक इतिहास बन गयी हे इसके बाद चिट्ठा जगत वहां भी अपना प्राय भेदभाव चला और वोह भी बंद कर दिया गया अब हमारी वाणी यानि हमारी वाणी पर भी कुछ गिनती के लोग भारी पढना चाह रहे हें कुछ लोग हे जो हमारी वाणी की बुनियाद से जुड़े लोगों को दरकिनार कर रहे हें लेकिन क्या इससे हमारी वाणी सांस ले सकेगी कोई भी लेखन जिसके खिलाफ हम और आप बात चीत करके समाधान कर सकते हें उस लेखन को उस हमारिवानी को आप हमारी की जगह मेरी या तेरी बना दें तो फिर काहे की हमारी वाणी अब दोस्तों अगर इस वाणी को जो सिर्फ और सिर्फ हमारी हे हम लोगों ने प्यार और सद्भाव अपनेपन की खाद से नहीं सींचा तो वोह दिन दूर नहीं के हम ब्लोगिंग एग्रीगेटर्स को  ढूंढते रह जायेंगे नये एग्रीगेटर होंगे कई आयेंगे कई जायेंगे लेकिन वहां भी आप होंगे हम होंगे फिर जब वहां भी हम होंगे तो यहाँ जो आज हे यहाँ भी हम क्यूँ नहीं रहे और इस दुनिया को सजायें सवारें इसलियें दोस्तों ब्लोगिंग की इस पहली होली को खुबसूरत रंगों से भर दो रंग बिरंगी कर इसे इन्द्रधनुष जेसी खुबसूरत बना दो और ब्लोगिंग की इस नफरत को गुरुर को तकब्बुर को होली के साथ दहन कर दो और फिर कह दो ब्लोगर्स भाइयों ब्लोगर्स बहनों होली मुबारक हो होली मुबारक हो हे न सही बात तो फिर कर लो अप भी प्यार की बात ........... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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