आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

20 मार्च 2011

दो दर्जन सेकड़ा पोस्टें पूरी

दोस्तों आपके आशीर्वाद ,आपके सहयोग आपके दिए गये होसले से कल मेरी दो दर्जन सेकड़ा यानी २४०० पोस्टें पूरी हो गयी हें और होली   के रंगा रंग माहोल में जब मेरी यह पोस्टें पूरी हुईं तो मेरे एक मित्र ने मुझे फोन  पर बधाई दी तब मुझे पता चला के मेरी पोस्टे २४०० हो गयी हें .
दोस्तों पोस्टें लिखना पोस्टों की संख्या तक पहुंचना कोई बढ़ी बात नहीं हे लेकिन इन दिनों मुझे ब्लोगिंग  की दुनिया में बहुत  कुछ देखने बहुत कुछ सीखने को मिला यहाँ मामूली से अपवादों को अगर छोड़ दिया जाये तो चारों तरफ प्यार की खुशबु प्यार की महक अपनापन और मदद का माहोल हे इस प्यार के माहोल को देख कर बस यहाँ से जाने को दिल ही नहीं करता हे . मेरी पहली पोस्ट ७ मार्च २०१० को जब लिखने की कोशिश की गयी तब मुझे नहीं लगा था के इस ब्लोगिंग की दुनिया में मुझे मेरे भाइयों का इतना प्यार इतना सम्मान मिलेगा लेकिन जहां  अच्छे लोग होते हें वहां अपनापन होता हे टोका टाकी होती हे गलतियाँ और भूलें होती हें जिन्हें हमारे अपने ही इशारा करके सुधरवाने का प्रयास करते हें कई तो ऐसे होते हें के वोह बिना कहे भूल और गलतियों को सुधार देते हें और शायद ब्लोगिंग की इस दुनिया का में पहला ऐसा खुशनसीब ब्लोगर हूँ जिसे सभी साथियों का बढों का छोटों का बहनों का प्यार मिला हे अपनापन मिला हे टिप्पणियाँ चाहे गिनती की मिली हों लेकिन जो भी मिली हे दिल से मिली हे केवल संख्या बढाने के लियें टिप्पणी अगर ले भी लो तो वोह बेकार हें लेकिन मेरे पास जो टिप्पणियाँ आई हें वोह अनमोल हें , मुझे हर कदम पर मेरे अपनों का मार्गदर्शन प्यार और अपनापन मिला हे और इसी लियें इस काँटों भरी राह को मेने सबसे तेज़ स्पीड ब्लोगर की गाडी चला कर बिना किसी दुर्घटना के पार की हे मेरे साथी ,मेरे भाई ,मेरी बहने सभी तो हें जो चाहते हें के में एक अच्छा ब्लोगर बनू और इसीलियें वक्त बा वक्त मुझे सभी के सुझाव सभी की तकनीक सीखने को मिली हालांकि कुछ ऐसे भी हें जिन्होंने मेरे ब्लॉग को पलट कर भी नहीं देखा ऐसा साबित करने का प्रयास किया हे लेकिन शुक्र हे खुदा का उन्होंने भी मुझे कमसेकम अपनेपन से  तो दूर नहीं किया वोह मेरे ब्लॉग के प्रशंसक नहीं टिप्पणीकार नहीं लेकिन रीडर तो रहे हें और मुझे इसीलियें गर्व हे के में इस ब्लोगिंग की दुनिया का २४०० पोस्ट लिखने के मुकाम पर पहुंचने वाला ब्लोगर हूँ और इस ब्लोगिंग की दुनिया का सदस्य हूँ जहां प्यार और अपनेपन की छटा बिखरी पढ़ी हे में ब्लोगिंग की इस दुनिया का कर्जदार था कर्जदार हूँ और कर्जदार रहूंगा शुक्रिया महरबानी ..........................में तो अकेला ही चला था  जानिबे मंजिल , लोग बढ़ते गये और कारवां बनता गया बस  यह कारवां बना रहे यह प्यार यह आशीर्वाद बना रहे इसी दुआ इसी उम्मीद के साथ आपका नोसिखियाँ सबसे ज़्यादा गलतियाँ करने वाला ब्लोगर ................. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह दोस्त ...........

यह दोस्त ...........
जो अभी अभी 
आकर गले लगा हे 
यह दोस्त जिससे 
कुछ दुःख दर्द 
बाटें हें अभी अभी 
बस थोड़ी सी देर रुको 
जरा दूर चला जाए 
गलियाँ देंगे तभी 
रस्म यही हे 
प्यार से 
टाटा बाय बाय के लियें 
हाथ हिलाते रहो अभी .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आपके वास्ते .....

आपके वास्ते .....
जी हाँ 
आपके वास्ते 
में कुछ भी करूं 
तो सवाब बनती हे 
आप जानते हें 
खून के 
सेकड़ों कतरे 
निचोड़ने पर 
एक बोतल 
शराब बनती हे 
नीव में जो पत्थर हे 
उन्हें दफन करने के बाद ही 
कोई कंगुरा तो कोई 
महराब बनती हे . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

रईस वकीलों ने दिए चेक से फ़ीस लेने के प्रस्ताव

जी हाँ दोस्तों जो संसद में होता हे जो विधानसभा में होता हे वाही अब बुद्धि जीवी वकीलों की संस्था में भी होने लगा हे संसद में एयर कन्डीशन और सात सितारा सुविधाओं में बेठ कर गरीबों के कल्याण की योजनायें बनती हें गरीबों की सेकड़ों समस्याएं ऐसी हें के किसी भी संसद से जुड़े आदमी और अधिकारी को पता नहीं हे ठीक यही चलन अब वकीलों में भी चल पढ़ा हे वकीलों ने वकीलों के लियें अजीब कानून बनाने का मन बनाया हे .
वकीलों की संस्था ने प्रस्ताव दिया हे के वकील अब पक्षकार से जो  तय शुदा फ़ीस हे उससे कम फ़ीस नहीं लेंगे इसके लियें वकील फ़ीस का रजिस्टर और रसीद बुक रखेंगे और वकील फ़ीस  पक्षकारों से चेक से ही ले सकेंगे . अजीब बात हे सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट जहां बोलने और मिलने के वकील लाखों रूपये ले लेते हें वहां तक तो यह बात ठीक हे लेकिन इस कानून का प्रस्ताव रखने वाले ऊँची दूकान के मालिकों को शायद पता नहीं  हे के जिला और ताल्ल्लुका स्तर पर वकीलों की क्या समस्याएं हें वहां बेठने की जगह नहीं हे अदालत के कक्ष नहीं हे रीडर और बाबुओं की जगह नहीं हे इजलास नहीं हे मजिस्ट्रेट और जजों के कई पद रिक्त पढ़े हें और इस स्तर पर अस्सी फीसदी से भी अधिक पक्षकार ऐसे आते हें जिनके घरों के चूले नहीं जलते वोह फ़ीस कहां से देंगे उनसे तो जो मिल जाए उसी को वकील अपना महन्ताना  मानता हे और फिर इनम लोगों को तो बेंक का रास्ता तक पता नहीं हे गाँव की हालत सब जाते हें ऐसे में चेक से फ़ीस लेने का प्रस्ताव इस गरीब निरक्षर देश में बेमानी नहीं तो और क्या हे .
वकीलों के नेताओं को अगर कानून बनाने का शोक हे तो वोह बनाएं के सभी अदालतों में सरकार सभी सुख सुविधाएं जो आवश्यक होती हे उपलब्ध कराए सभी अदालतों में पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति करे मजिस्ट्रेट और जजों को पाबन्द करें के वोह केवल अंदाज़े और सम्भावनाओं पर फेसले नहीं करे पुराने रिकोर्ड के आधार पर  कार्यवाही नहीं करें जो भी पत्रावली में हे उसी के आधार पर मेरिट पर मुकदमे की कार्यवाही करें इसके आलावा कभी वोह गरीब वकीलों में आकर उठे बेठें उनकी समस्याएं सुने और समाधान करें ऐसे हास्यास्पद कानून अगर प्रस्तावित किये जाने लगे तो आ बेल मुझे मार वाली कहावत ही साबित होगी . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह वही पत्थर हें ...........

यह वही 
पत्थर हें 
जिन्हें मेने 
कल 
लोगों को 
ठोकरों से 
बचाने के लियें 
हटाये थे 
आज देख लो 
उन लोगों ने ही 
वही पत्थर 
ना जाने क्यूँ 
मेरे घर पर 
बरसाए हें . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

डॉक्टर अनवर की धमाकेदार की वापसी शायद जल्दी होगी

डॉक्टर अनवर जमाल भाई ब्लॉग की दुनिया से मध्यान्तर कर एक दम ला पता हो गये लेकिन उनके यूँ अचानक गायब हो जाने से ब्लोगिंग की दुनिया ही खामोश हो गयी हे और ब्लोगिंग की दुनिया को उनकी कमी अखरने लगी हे इसलियें सभी कहते हे ऐ भाई तुम खान भी हो जिस काम में भी लगे हो जल्दी फिर से इस दुनिया में चले आओ आ रहे हो ना . दोस्तों अनवर भाई जो ब्लोगिंग का कुछ तो हुनर रखते हें इसलियें  ब्लोगिंग की दुनिया में वोह ऐ इ आई ओ यु याने अंग्रेजी के वोविल्स हें जिनके बगेर विश्व में कोई भी जानदार या बेजान चीज़ का नाम  नहीं बनता हे इसलियें ब्लॉग से यूँ व्लोगिंग की दुनिया के वोविल्स का अचानक चला जाना ब्लोगिंग को बेजान कर गया हे अब तो शायद जो भी काम थे जो भी रुके हुए मामले थे वोह सब डॉक्टर साहब ने कर डाले होंगे पढना लिखना वायरस मारना दिखाना छुपाना मरम्मत करना आराम करना या जो भी कुछ हे वोह सब कल चुके होंगे . इसीलियें भाई अनवर अब तो वापस से चले आओ हम जानते हें भाई अनवर की वापसी यूँ सादगी से नहीं होगी कुछ ना कुछ धमाके से होगी इसलियें भाई दिल थाम के बेठे हें और इन्तिज़ार में हें अनवर भाई की वापसी के , आ रहे हो न अनवर भाई . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

क्या क्या गुजरी हे मुझ पर

मोहब्बत की शुरुआत से 
मोहब्बत के 
आखरी 
दर्द भरे 
अंजाम तक 
क्या क्या 
गुजरी हे मुझ पर 
वाही तो 
सुनाई थी 
दास्ताँ मेने 
जो लोगों की 
आँखों में 
आंसू भर गये हें . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मेरे यूँ अचानक घर जाने से

मेने सोचा 
कल में भी 
खेलूँगा होली 
बस 
इसीलियें 
छुट्टी लेकर 
गया में अपने घर 
पहुंचा जब 
में अपने घर 
देखता हूँ 
घर में 
पत्नी मेरी 
मेरे यूँ अचानक घर जाने से 
गुस्से में 
लाल पीली हो रही हे 
कभी सफेद 
तो कभी काली हो रही हे 
बस 
यही हुई हे मेरी होली ही / 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...