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22 मार्च 2011

लीबिया में अमेरिकी गुंडागर्दी

विश्व के तेल के देशों पर अपना कब्जा जमाने की मुहीम में अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान जेसे परमाणु शक्ति देशों को बेबस और लाचार करके अपना विश्वव्यापी अभियान तेज़ कर दिया हे दूसरों के घरों में झाँक कर वहां बहाने ढूंढ़  कर हमले करना और डरा धमका कर कब्जे करना उसने अपना व्यवसाय बना लिया हे लीबिया में भी यही कार्यवाही चल रही हे . 
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सब जानते हें पेंटागन हमले के बाद अमेरिका में मानवता का क्या हाल हुआ था उस वक्त वहां जनता से लीबिया से भी खराब सुलूक किये जाने का वातावरण था उस वातावरण को शाहरुख खान ने अपनी फिल्म माई नेम इज खान में भंडाफोड़ की तरह खुलासा किया हे उस वक्त नाटो सेनायें कहाँ गयी थी मानवता और विश्व शान्ति कहाँ गयी थी अफगानिस्तान,कुवेत,इराक और फिर पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में बम मारी सेकड़ों निर्दोष लोगों की रोज़ मोतें क्या नाटो सेना या संयुक्त राष्ट्र संघ को नहीं दिखी कहते हें के जहां संघ जुड़ जाता हे वहां हटधर्मिता और सो कोल्ड राष्ट्रीयता,मानवता और इमानदारी का जन्म होता हे और फिर ज़ुल्म का दोर शुरू होता हे संयुक्त राष्ट्र संघ भी ऐसा ही कर रहा हे ब्रिटेन ,फ्रांस की गुडागर्दी अपनी जगह अलग से चल रही हे विश्व खामोश बेठा हे भारत और अमेरिका डरपोक और कायर बन कर खामोश हें चीन और रूस बहुत ज़्यादा मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हे . 
आज हमारे देश में हालत जिस तरह के चल रहे हें जेसे सवाई माधोपुर में थानेदार को जिंदा जलाया , कहीं  दंगा हुआ गोलीबारी की और कर्फ्यू   लगाया तो अमेरिका आएगा ब्रिटेन और फ्रांस आयेगा और कहेगा मनमोहन गद्दी छोडो जाओ यह जनता पर हमले हम बर्दाश्त नहीं करेंगे और फिर हमले होंगे जनता मारेगी इसलियें दोस्तों अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा हे हमारे भारत देश के नेताओं से कहो हमारे भारत देश के परमाणु बम कंट्रोलर से कहो सच को सच और गलत को गलत कहना सीखो न डरो ना डराओ अगर कहीं विश्व स्तर पर मानवता का हनन हो रहा हे तो वहां बोलना सीखो लेकिन विक्लिंक्स के खुलासे के हिसाब से तो अमेरिका का भारत तो नहीं लेकिन भारत के नेता उसके पूरी तरह से गुलाम हो गए हें ...................... . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

वित्तमंत्री प्रणव ने फिर महंगाई राग अलापा

वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने एक बार फिर काला बाजारियों और सटोरियों को  लाभ पहुँचाने के लियें महंगाई राग अलापा हे और अब महंगाई की माह  महंगाई का दोर शुरू हो गया हे .
कल संसद में प्रणव मुखर्जी ने कहा के विश्व की अराजकता को देखते हुए देश में भविष्य में महंगाई की सम्भावनाएं फिर बढ़ गयी हें ध्यान रहे पिछले दिनों शरद पंवार ने बयानबाज़ी करके महंगाई बढा दी थी और पेर्नव जी ने कहा था के मेरे पास कोई अलादीन का चिराग नहीं हे जबकि प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने कहा था के में लाचार मजबूर और बेबस हूँ लेकिन एक बात उस वक्त तय हो गयी थी के ऐसे नादानी भरे बयाँ जिससे काला बाजारियों और जमाखोरों के होसले बुलंद हों और वोह क्रत्रिम महगाई स्थापित करें कोई भी नेता बयानबाज़ी नहीं करेगा इस मामले में शरद पंवार ने जब दुबारा ब्यान दे दिया था तो उनसे इस्तीफे तक की मांग उठ गयी थी लेकिन यह क्या प्रणव मुखर्जी स्थिति को सम्भालने स्थिति से निपटने के बदले बस महंगाई बढाने का ब्यान दे रहे हें शायद वोह सठिया गये हें और साथ के बाद तो फिर जब सरकार ही रिटायर कर देती हे तो फिर इन लोगों को देश की कमान सम्भालने की ज़िम्मेदारी केसे दी जाना चाहिए .............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

डोक्टर अब मरीजों की चमड़ी ज़्यादा उधेढ़ सकेंगे

डोक्टर अब मरीजों की चमड़ी ज़्यादा उधेढ़ सकेंगे  सरकार ने इस मामले में एक आदेश जरी कर सभी डॉक्टरों को घर देखने की फ़ीस बढाने की छुट दे दी हे . सरकार के नये आदेशों के तहत डोक्टर अब घर पर मरीजों को देखें के लियें ४० से ६० रूपये के बदले १०० से २०० रूपये तक प्रति मरीज़ ले सकेंगे . 
चिकित्सक पिछले कई दिनों से हडताल और प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन सरकार इनकी सुनवाई नहीं कर रही थी अब सरकार ने चिकित्सकों की सुनी भी तो उसका भर जनता पर डाल दिया हे घर पर दिखने वाले मरीजों से वेसे तो पहले ही फ़ीस निर्धारित थी लेकिन सब जानते हें के घरों पर मरीजों से मनमानी फ़ीस वसूली जा रही थी कोई भी चिकित्सक किसी भी मरीज़ को कभी भी रसीद नहीं देता हे चिकित्सा परिचालन नियमों के तहत २००२ में केंद्र सरकार ने चिकित्सकों के लियें जो मर्यादित आचरण बनाये हें उसके तहत हर चिकित्सक जो घर पर मरीज़ देख रहा हे एक तो अपना रजिस्ट्रेशन नम्बर बाहर लिखेगा खुद के पर्चे पर यह नम्बर छपवाएगा दुसरे जो भी फ़ीस लेगा उस फ़ीस की रसीद देगा रजिस्टर में एंट्री करेगा और अनावश्यक दवाये नहीं लिखेगा केवल साल्ट ही लिखेगा ताकि मरीज़ कमिशन की महंगी दवाओं के नाम पर दोहरी और जांचों के नाम पर तीहरी लुट का शिकार नहीं हो डॉक्टरों के लियें यह भी नियम हे के वोह सभी मरीजों के इलाज के पर्चे और दवाएं  जो लिखी गयी हें उसका रिकोर्ड संधारित करेंगे ताकि जब भी आवश्यकता हो उसकी नकल रख सकेंग और एक निर्धारित समयावधि तक इस रिकोर्ड को चिकित्सकों के लियें रखना अनिवार्य हे कानून में लिखा हे के अगर चिकित्सकों द्वारा इन नियमों का उलंग्घन  किया जाता हे तो ऐसे चिकित्सकों की प्रेक्टिस करने का लाइसेंस मेडिकल कोंसिल ऑफ़ इंडिया छीन सकती हे , ताज्जुब हे के सरकारों ने इस मामले में आज तक कोई सख्ती नहीं की हे ना ही इस व्यवस्था को लागू करवाने के लियें कोई नियम बनाये हें इससे लगता हे के सरकार जनता को चिकित्सकों के सामने कसाई बनाकर बकरे की तरह से डाल रही हे ................ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक इमाम,एक निजाम तभी ख़ुशी का हे पैगाम ..................

दोस्तों कुरान ,गीता बाइबिल सभी धर्मग्रंथों में लिखा हे के अगर आपका एक इमाम ,एक निजाम ,एक प्रबंधन होगा  और उसके बनाये गये कानून पर सभी चलेंगे तो बस समाज में खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी और जो भी इस निजाम के खिलाफ अपने कई इमाम कई निजाम बनाएगा वोह बर्बादी की तरफ डूबता जाएगा और आज यही सब कुछ हो रहा हे . 
आगामी २६ मार्च को बोहरा समाज के सय्याद्ना साहब का सोवां जन्म दिन हे इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बोहरा समाज की खुशहाली , अपनापन , सद्चरित्रता और व्यापारिक कामयाबी देख कर इस समाज की एकता अखंडता और खुशहाली पर रिसर्च करने को मन करा सोचा कुछ मुट्ठीभर लोग जहां हे वहां खुशहाल सुखी और समर्द्ध हे पढाई  में अव्वल हे तो व्यापर में अव्वल मेहनत में अव्वल और अपने खुदा के प्रति समर्पित हें इस समाज में अपराध और बेकारी दो चीजें ला पता हे सभी लोग बेकारी और अपराध से दूर हे समाजवाद का सिद्धांत ऐसा के एक दुसरा एक दुसरे को समाज में स्थापित करने के लियें मदद गार हे  ,  इसकी तह में जाने पर बस एक ही सच सामने आया और वोह था एक इमाम एक निजाम एक प्रबन्धन मेने देखा समझा के बोहरा समाज ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर केवल एक धर्मगुरु सय्य्दना साहब को मान्यता दी हे और विश्व स्तर पर जो स्यय्द्ना साहब ने कह दिया सभी समाज के लोगों के लियें वोह कानून हे अतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश स्तर से लेकर जिला और ताल्लुक्का स्तर तक केवल स्य्य्दना साहब का हुक्म उनका कानून जो उन्होंने कुरान में  से निकाला हे  वही चलता  हे और हर समाज का व्यक्ति इस कानून इस आदेश को मानने के लियें बाध्य हे दुसरे इमाम के प्रति समाज का समर्पण ही उनके बनाये गये हर कानून हर आदेश को स्वत्त ही मान्यता दे देता हे और आज फितरा  जकात के अलावा वार्षिक मदद से यह निजाम विश्व स्तर पर नम्बर वन पर चल रहा हे बोहरा समाज के लोगों को सीख़ दी गयी हें  के वोह नोजवानी से लेकर बुढ़ापे तक फ़ालतू बेठ कर  में वक्त न गवाएं केवल इबादत सेवा और व्यापार अपनी दुनिया बस यहीं तक सिमित रखने की सीख़ इन्हें दी जाती हे और इसीलियें  सभी समाजों में एकता अखंडता और एक इमाम के आदेश निर्देशों की पालना में यह एक पहला विकसित और एक खुशहाल समाज हे . इसी तर्ज़ पर मामूली सा चलने वाला सिक्ख समाज हे जो थोड़ा बहुत मुकाबले में खुशहाल हे .
दूसरी तरफ हम मुस्लिम समाज को देखें हिन्दू समाज को देखें इन दोनों समाज में एक तो इमाम ही इमाम हे मुसलमानों में ७३ फ़िर्के और इन फिरकों के हजारों इमाम फ़ालतू बेठ कर एक दुसरे की बुराइयां करने  में वक्त बर्बाद करना जाति उपजाति का इस्लाम के खिलाफ भेदभाव अमीरी गरीबी का भेदभाव शराब जुआं  ब्याज चंदा खोरी  और इमामों में राजनितिक पद पाने की पद लोलुपता ने इस समाज को विखंडित कर के रख दिया हे आज कानून एक हे इमाम एक होना चाहिए ऐसा संदेश हे उसके प्रति समर्पण का आदेश हे लेकिन इस कानून के विखंडित हो जाने से देश भर में और विश्व भर में मुस्लिम समाज किस दोर से गुजर रहा हे सब देखने की बात हे , इसी तरह से इस देश में हिन्दू भाइयों को ही लो वहां भी वही जाती उपजाति का भेदभाव विभिन्न पन्थ विभिन्न धर्मगुरु चंदे की दुकाने और धर्म और धर्म गुरु के निर्देशों के प्रति समर्पण का अभाव धर्मगुरुओं में राजनितिक पद लोलुपता बस इसीलियें इतने बढ़े समाज का हाल हम देख रहे हे तो दोस्तों कोई आये ऐसा बदलाव जिसमें इन दो बढ़े समाजों में भी धर्म और आस्था के कानून के तहत एक इमाम एक निजाम एक प्रबन्धन का सिद्धांत लागू हो और यह समाज खुशहाल होकर विकास एकता अखंडता की राह पर चलें ताके हमारा यह देश भी एक बार फिर सोने की चिड़िया बन सके ..................................... . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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