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24 मार्च 2011

सहारा संवाददाता के डी अब्बासी शादी की सालगिरह मुबारक हो

सहारा संवाददाता के डी अब्बासी शादी की सालगिरह मुबारक हो, जी हाँ कोटा प्रेस क्लब के सदस्य और राष्ट्रीय सहारा हिंदी समाचार पत्र कोटा के संवाददाता कयामुद्दीन अब्बासी यानी के डी अब्बासी की आज विवाह की दसवीं सालगिरह हे उन्हें और उनके परिजनों को बधाई .
के डी आब्बसी उर्फ़ कयामुद्दीन अब्बासी का अज से दस वर्ष पूर्व तकसीम बानो जलगांव निवासी से विवाह हुआ था उनके एक बच्चा लकी,बच्ची ख़ुशी ,बच्चा अज़ान और दानिश हें खुदा उनके परिवार को खुशहाल रखे इसी दुआ के साथ के डी अब्बासी को शादी की सालगिरह मुबारक हो . 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान  

शीतला माता को ठंडी करने गयी थी

आज हमारी बाई ने आने में थोड़ी देर कर दी , खेर थोड़ी देर से ही सही वोह आई तो सही ,मेरी पत्नी ने उससे सजी संवरी आने का और देर से आने का कारण पूंछा तो उसने कहा आज शीतला माता की पूजा करने गयी थी . 
बाई धार्मिक प्रवर्ती की थी मेने उससे शीतला माता के बारे में जानना चाहा तो उसने बताया के इन दिनों बच्चों के माता का प्रकोप रहता हे माता यानी चेचक का प्रकोप रहता हे चेचक राजस्थान में ऐसी बिमारी हे जिसे कागजों में तो सरकार ने जीत लिया हे लेकिन छोटी और बढ़ी चेचक आज भी कई बच्चों के हो रही हे और इसी लियें धार्मिक आस्थाओं के तहत आज के दिन शीतला माता की पूजा महिलाएं माता की मूर्ति को ठंडे पानी से नेहला कर ठंडा कर करती हें उनकी मान्यता हे शीतला माता ठंडी हो जाने के बाद उनके बच्चे माता यानी चेचक के प्रकोप से बच जायेंगे . कोटा में शीतला माता के मन्दिर और चोक हे जहां महिलाएं लें लग कर माता के दर्शन कर अपनी धार्मिक आस्थाएं पूरी करती हे इस दिन महिलाएं एक दिन पुराना बासी खाना खाती हें उनकी मान्यता हे के बासी खाने की इस दिन धार्मिक मान्यता हे लेकिन एक दिन बासी खाना खाने से कभी कभी बासी खाना खाने की भी आदत पद्धति हे ..................शीतला माता की पूजा उत्सव पर सभी माता और बच्चो को इस दुआ के साथ बधाई के शीतला माता उन पर महरबानी रखे और छोटी बढ़ी माता यानी चेचक सहित सभी बिमारियों परेशानियों से उन्हें बचाए और उनका कल्याण करे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दहशत में हें वीरान पुलिस चोकियां

राजस्थान के कोटा सहित सारे राज्य में इन दिनों पुलिस कर्मियों और चोकी पर हमलों की घटनाओं के बाद स्थानीय पुलिस दहशत में जी रही हे और कई चोकियों पर पुलिसकर्मियों के कम होने से रात को चोकियाँ खाली पढ़ी हे हाल ही में कल कोटा की एक चोकी पर पुलिस कर्मी के हमले में एक सिपाही घायल हुआ इस मामले में पिता पुत्र जेल में हें .
कोटा में कई ऐसी छोटी बढ़ी चोकियां हे जहां गश्त और दुसरे मामलों में रात्रि चोकी महत्वपूर्ण हे लेकिन वहां इक्का दुक्का सिपाही रात्रि में किसी भी हमले की आशंका से बेचें हे पहले कोटा सहित राजस्थान के खास जिलों में पहले पेट्रोल पम्प लुट से जनता दुखी थी अब पुलिस चोकी पर हमलों से खुद ही पुलिस खोफ के माहोल में जी रही हे सरकार ने इस मामले में जिन पुलिस कर्मियों की निजी रंजिशें हें या जनता से जिनका व्यवहार उकसाने वाला हे उन पुलिस कर्मियों को पहचान करने की एक कार्य योजना तय्यार की हे ताकि जनाक्रोश से उन्हें बचाया जा सके . 
देश के सुप्रीमकोर्ट ने ऐसे मामलों से बचने और जन सहभागिता के उद्देश्य से प्रकाश सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में पुलिस को वर्दी वाला गुंडा कहते हुए इनके कानून में बदलाव और जनता से इनका केसा सुलूक होगा इनकी निरंकुशता पर केसे नियन्त्रण हो इसके फार्मूले सुझा कर राज्यों को पुलिस कानून बनाने के निर्देश दिए थे राजस्थान में वर्ष २००७ में पुलिस अधिनियम बनाया गया यहाँ कमिश्नर प्रणाली भी लागू हुई लेकिन इस कानून के तहत राजस्थान में आज तक आवश्यक आयोग और आवश्यक समितियों का गठन नहीं किया गया हे जन सहभागिता तो दूर की बात यहाँ पुलिस की जनता से शिकायतें और जनता की पुलिस से शिकायतें पुलिस कल्याण सम्बन्धित मामलों में आज तक भी कोई भी आयोग कोई भी समिति गठित नहीं की गयी हे यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवमानना हे और राजस्थान सरकार का जनता का विश्वासघात पुलिस और जनता की सहभागिता नहीं होने से ही इन दिनों पुलिस और जनता में दुरिया बढ़ी हे इसे रोकना होगा ............. .. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अच्छे रिश्ते

अच्छे रिश्ते 
बहतर रिश्ते 
घड़ी की 
बेजान सुइयों के होते हें 
जो एक दिन में 
दो बार 
एक दुसरे से मिलती हे 
लेकिन यही 
सुइयां 
हमेशां 
एक दुसरे से 
जुडी रहती हे ................ 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जरा सोचो ....

जरा सोचो ....
जब भी 
कोई 
हमारे दिल के
नजदीक 
व्यक्ति द्वारा 
हमारे साथ 
कोई गलत 
किया जाता हे 
तब हम गुस्से नहीं होते 
सोचते हें 
यह सब 
उसने 
किसी 
टेंशन में किया हे 
इंटेंशन से नहीं 
बस 
यही सोच 
हम जिंदगी में रखें 
तो नफरत 
कम हो जायेगी ............... 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जरा हिम्मत रखो

जीवन में 
कई बार 
कई क्षण 
हम सोचते हें 
के हमारी 
जिंदगी के 
सभी दरवाज़े 
बंद हो गये हें 
लेकिन 
जरा सुनो 
जरा सोचो 
जो दरवाज़े 
बंद दिखते हें 
उनमें 
सभी 
दरवाजों पर 
ताले नहीं लगे हें 
जरा प्यार से
जिंदगी की 
कामयाबी के लियें 
उन दरवाजों को 
बजाओ 
कामयाबी आपका 
इन्तिज़ार कर रही हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जरा गोर से सुनो

जब 
कोई 
तुम्हारा 
दुश्मन 
कोई बात 
कहता हो 
तो उसे 
जरा गोर से सुनो 
क्योंकि 
तुममे 
क्या कमियाँ हे 
यह तुम्हें 
दुश्मन 
से ही पता 
चलेगी 
चापलूस 
दोस्तों से नहीं ................................. 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक फुल मोहम्मद जिसके जिस्म के टुकड़े बाद में उठाये

दोस्तों आपको सुन कर जरा अजीब सा लगेगा लेकिन यह सच हे के एक फुल मोहम्मद जो राजस्थान पुलिस में सवाई माधोपुरमान्ताउन थानाधिकारी थे उनको उनके इलाके के ही जालिमों ने ज़िंदा जला दिया जिस सरकार के नमक के लियें उन्होंने कुर्बानी दी उस सरकार ने उन्हें शाहादत का दर्जा तो दिया लेकिन आधा अधूरा ही दफना दिया . 
यह खोफ्नाक सच सरकार की पुलिस की जल्दबाजी और लापरवाही को उजागर करता हे पहले जिंदा जलाया जाना फिर मोत पर राजनीति बचकानी अभियुक्तों  को बरी करनी वाली एफ आई आर शहीद फुल्मोह्म्म्द के जले हुए विक्षिप्त शव को जीप में उनके गाँव केवल दो सिपाहियों के साथ भेजना उनके अंतिम संस्कार में सरकार का कोई प्रतिनिधि नहीं होना यह सब तो आम  लोगों को तो आक्रोशित किये हुए थी लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डोक्टर की रिपोर्ट जिसमें फुल्मोह्म्म्द का एक हाथ और एक पांव गुम होना अंकित किया गया पुलिस अधिकारी मुकदमा दर्ज होने के बाद तीन दिन तक मोके का मुआयना  नहीं  करने गये नक्शा मोका नहीं बनाया दंड प्रक्रिया संहिता के तहत घटना स्थल का सूक्ष्म निरिक्षण नहीं किया गया और तीन दिन बाद पत्थरों के नीचे फुल मोहम्मद का एक हाथ और एक पांव बरामद किया गया उसकी शायद कोई फर्द जब्ती भी नहीं बनी और फिर एक व्यक्ति जिसके शव को दफना दिया गया तीन दिन बाद उसके शव के कुछ टुकड़े सोचो उसके परिजनों पर क्या बीती होगी एक व्यक्ति का टुकड़ों में अंतिम संस्कार अफसोसनाक बात हे लेकिन पुलिस के अधिकारी हें के अब तक इस लापरवाही के लियें किसी को भी दोषी नही ठहरा रहे हें वेसे सरकार ने इस मामले में अब पुरे राजस्थान में एहतियाती कदम उठाये हें यहाँ कोटा में एक पुलिस कर्मी की चोकी पर हत्या और माधोपुर की यह जिंदा जला देने की घटना सरकार की सोच हे के पुलिस के प्रति जनता का आक्रोश भी कहीं ना कहीं हे जिसपर नजर रखने के लियें सरकार ने अब नई निगरानी व्यवस्था की हे सरकार अब अपने  स्त्रोतों के माध्यम से राज्य भर में जनता से बुरा व्यवहार रखने वाले पुलिसकर्मियों को चिन्हित कर रही हे , खेर सरकार थोड़ी देर से ही चेती चेती तो सही लेकिन अगर सरकार पुलिस अधिनियम के प्रावधानों के तहत अगर राज्य स्तर और जिला सम्भागीय स्तर की समितियों का गठन कर देती या अब भी कर दे तो सरकार का यह सर दर्द कम हो सकता हे और पुलिस और जनता के बीच एक सद्भावना का पुल बन सकता हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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