आपका-अख्तर खान

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30 मार्च 2011

पत्रकार कवि ओम नागर को साहित्य पुरस्कार

पत्रकार कवि ओम नागर को साहित्य पुरस्कार के लियें राजस्थान साहित्य एकेडमी  ने सुमनेश जोशी पुएअकार से सम्मानित किया हे ओम नगर को मिले इस पुरस्कार से राजस्थान दिवस और भारत की पाकिस्तान जीत के जश्न के माहोल में और शिरनी घोल दी हे नागर को इस उपलब्धी के लियें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ हे .
ओम नागर राजस्थान में राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा देने के लियें संघर्ष भी करते रहे हें इन्होने हाल ही में राजस्थानी भाषा में एक पुस्तक लिखी थी जिसे राजस्थान साहित्य एकेडमी ने सुमनेश जोशी पुरस्कार के लियें उनका चयन किया हे ओम नागर युवा कवि के रूप में तो अपनी पहचान रखते ही हें लेकिन इ टी वी राजस्थान में खोजी पत्रकार के रूप में  भी इनकी पहचान हे ओम नागर प्रेस क्लब कोटा के भी सक्रिय सदस्य हें और इनकी लेखनी रिपोर्टिंग और व्यवहार से यह हर दिल अज़ीज़ पत्रकार कवि बने हें . ओम नागर की इस उपलब्धी पर उन्हें कोटा प्रेस क्लब के अध्यक्ष धीरज गुप्ता तेज ,महासचिव हरी मोहन शर्मा सहित कई कवि और पत्रकारों और नेताओं ने उन्हें बधाई दी हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

फुल जिनका रुतबा बदल जाता हे


यह 
फुल भी 
बढ़े 
अजीब 
होते हें ,
बिछा कर 
इन्हें 
जब लोग
सोते हें 
तब 
यह खुद को 
सुहाग 
की 
सहेज कहते हें 
यही फुल 
जब 
किसी के ऊपर 
होते हें 
तो यह 
खुद को 
अर्थी 
पर सजे 
फुल कहते हें 
यह फूलों की 
फितरत हे 
नेताओं के 
गले में हो तो 
माला कहते हें 
और शहीद के
शव पर हो 
तो वीर चक्र कहते हें 
यह फुल भी 
कितने अजीब होते हें 
सुहाग पर हों 
तो इनका जीवन 
पूरी रात होता हे 
नेता के गले की माला हो 
तो बस कुछ क्षण कुछ पल 
होती हे 
इनकी जिंदगी 
फिर तो यह फुल 
यूँ ही 
बिखरे हुए 
लोगों के पेरों में पढ़े 
होते हें

 ....................... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आज मिलिए हिंदी ब्लॉगजगत के सबसे जोशीले ब्लोगर से

akhtarkhan3 हिंदी ब्लॉगजगत कि एक बात मुझे बहुत पसंद  और वो है अपने साथियों के ब्लॉग पे नियमित तौर पे आना जाना और टिप्पणी करना. लेकिन मुझे यह बात कभी पसंद नहीं आयी कि टिप्पणी अधिकतर उन्ही ब्लोगर के लेख़ पे करना जिन ब्लोगर को हम जानते हैं या जिनसे वापस  टिप्पणी मिलने कि आशा हो. यह काम हम जा बूझ  के नहीं करते बल्कि जाने अनजाने मैं सबका  देखा देखी इसकी आदत सी पड़ जाती है. और फिर इस चक्कर से हम कभी नहीं निकल पाते. हमें पता  ही नहीं चलता कि कब कौन सा नया ब्लोगर इस ब्लॉगजगत मैं आया और क्या लिख रहा है. 
बहुत दिनों से एक ब्लोगर जनाब अख्तर खान "अकेला" जी को पढता हूँ. एक साल पहले जब मैं  इस हिंदी  ब्लॉगजगत मैं आया तो यही समझ मैं आता था जिसके पास १००-२०० टिप्पणी हैं वो बड़ा ब्लोगर है और अच्छा लिखता भी है,जिसके पास कोई टिप्पणी नहीं वो अच्छा नहीं लिखता. मैंने भी इसी तराजू से जनाब अख्तर खान अकेला का वज़न करने कि भूल कर डाली. और नतीजे मैं ३-४ महीने उनके अच्छे लेखों को नहीं पढ़ा. धीरे धीरे पता  चलने लगा, जनाब अख्तर खान साहब, को ब्लॉग बना लेना सही से नहीं आता, टिप्पणी कहां और कैसे कि जाए, इस ब्लॉगजगत का क्या दस्तूर है, यह भी नहीं मालूम. उनको तो केवल बेहतरीन लिखना और पोस्ट कर देना भर ही आता है. 
एक दिन जब अख्तर साहब का लेख "में हिन्दुस्तान हूँ…में मुसलमान हूँ…कहां हिन्दू कहां मुस्लमान " अमन के पैग़ाम के लिए मिला , तो मुझे उनके विचार बहुत पसंद आये और मुझे यकीन हो गया कि इनको पहचानने में मैं ग़लती कर गया. 
sadafakhtar जनाब अख्तर खान साहब पेशे से वकील, उर्दू, हिन्दी एवं पत्रकारिता में स्नातकोत्तर, विधि स्नातक, ह्यूमन रिलीफ सोसायटी का महासचिव हैं . लेकिन मेरी नज़र मैं इनकी पहचान केवल इनकी बेहतरीन और इमानदार लेखनी है. किसी से नाराज़गी ना होने के बावजूद किसी ख़ास समूह से जुड़े ना होने के कारण , इनके लेखों को टिप्पणी कम ही मिल पाती है लेकिन जो एक बार इनको पढ़ लेता है , दूसरी बार तलाशता हुआ जाता है. बस मेरी ही तरह हिंदी टाइपिंग मैं ग़लतियाँ ,टाइपिंग का तजुर्बा ना होने के कारण अक्सर हो जाया करती है.
अख्तर खान साहब एक सीधी तबियत के इंसान हैं और जो कुछ लिखते हैं अपने ब्लॉग पे वही उनकी सही पहचान भी है. उनके ब्लॉग से ही पता  लगता है वो अपने परिवार और अपने देश, अपने वतन से भी बहुत प्यार करते हैं. 
अक्सर बा सलाहियत लोगों के बारे मैं बहुत सी ऐसी बातें भी मशहूर हो जाती हैं जिनका यह पता   भी नहीं चलता कि सच है या झूट. वैसे तो अख्तर साहब शायर भी हैं और "अकेला" उनका तखल्लुस है लेकिन सुना है जब साल भर से बेहतरीन लिखने के बावजूद लोगों ने टिप्पणी कम लिखी तो उन्होंने ने अपने नाम  के आगे "अकेला" लगा लिया.
यह वो शख्स है जिसने ब्लॉगजगत के दस्तूर  को अकेला बदल डाला. कोई टिप्पणी करे ना करे इनकी लेखनी और जोश मैं कोई अंतर नहीं आया और आज हर एक ब्लोगर इनको नाम से भी जानता है और इनकी लेखनी कि ताक़त को भी मानता है. और टिप्पणी कम होने के बाद भी इनके ब्लॉग के पाठक किसी भी अधिक टिप्पणी वाले ब्लॉग से ज्यादा हैं.
जिन्होंने इनको नहीं पढ़ा है ,उनसे यह अवश्य कहूँगा, एक बार अख्तर  साहब को अवश्य पढ़ें ,आप इनके लेख और कविताओं को किसी १००-१५० टिप्पणी वाले ब्लोगर से कम नहीं पाएंगे.

साभार "बेज़बान " एस.एम.मासूम

आज मिलिए हिंदी ब्लॉगजगत के सबसे जोशीले ब्लोगर से

akhtarkhan3 हिंदी ब्लॉगजगत कि एक बात मुझे बहुत पसंद  और वो है अपने साथियों के ब्लॉग पे नियमित तौर पे आना जाना और टिप्पणी करना. लेकिन मुझे यह बात कभी पसंद नहीं आयी कि टिप्पणी अधिकतर उन्ही ब्लोगर के लेख़ पे करना जिन ब्लोगर को हम जानते हैं या जिनसे वापस  टिप्पणी मिलने कि आशा हो. यह काम हम जा बूझ  के नहीं करते बल्कि जाने अनजाने मैं सबका  देखा देखी इसकी आदत सी पड़ जाती है. और फिर इस चक्कर से हम कभी नहीं निकल पाते. हमें पता  ही नहीं चलता कि कब कौन सा नया ब्लोगर इस ब्लॉगजगत मैं आया और क्या लिख रहा है. 
बहुत दिनों से एक ब्लोगर जनाब अख्तर खान "अकेला" जी को पढता हूँ. एक साल पहले जब मैं  इस हिंदी  ब्लॉगजगत मैं आया तो यही समझ मैं आता था जिसके पास १००-२०० टिप्पणी हैं वो बड़ा ब्लोगर है और अच्छा लिखता भी है,जिसके पास कोई टिप्पणी नहीं वो अच्छा नहीं लिखता. मैंने भी इसी तराजू से जनाब अख्तर खान अकेला का वज़न करने कि भूल कर डाली. और नतीजे मैं ३-४ महीने उनके अच्छे लेखों को नहीं पढ़ा. धीरे धीरे पता  चलने लगा, जनाब अख्तर खान साहब, को ब्लॉग बना लेना सही से नहीं आता, टिप्पणी कहां और कैसे कि जाए, इस ब्लॉगजगत का क्या दस्तूर है, यह भी नहीं मालूम. उनको तो केवल बेहतरीन लिखना और पोस्ट कर देना भर ही आता है. 
एक दिन जब अख्तर साहब का लेख "में हिन्दुस्तान हूँ…में मुसलमान हूँ…कहां हिन्दू कहां मुस्लमान " अमन के पैग़ाम के लिए मिला , तो मुझे उनके विचार बहुत पसंद आये और मुझे यकीन हो गया कि इनको पहचानने में मैं ग़लती कर गया. 
sadafakhtar जनाब अख्तर खान साहब पेशे से वकील, उर्दू, हिन्दी एवं पत्रकारिता में स्नातकोत्तर, विधि स्नातक, ह्यूमन रिलीफ सोसायटी का महासचिव हैं . लेकिन मेरी नज़र मैं इनकी पहचान केवल इनकी बेहतरीन और इमानदार लेखनी है. किसी से नाराज़गी ना होने के बावजूद किसी ख़ास समूह से जुड़े ना होने के कारण , इनके लेखों को टिप्पणी कम ही मिल पाती है लेकिन जो एक बार इनको पढ़ लेता है , दूसरी बार तलाशता हुआ जाता है. बस मेरी ही तरह हिंदी टाइपिंग मैं ग़लतियाँ ,टाइपिंग का तजुर्बा ना होने के कारण अक्सर हो जाया करती है.
अख्तर खान साहब एक सीधी तबियत के इंसान हैं और जो कुछ लिखते हैं अपने ब्लॉग पे वही उनकी सही पहचान भी है. उनके ब्लॉग से ही पता  लगता है वो अपने परिवार और अपने देश, अपने वतन से भी बहुत प्यार करते हैं. 
अक्सर बा सलाहियत लोगों के बारे मैं बहुत सी ऐसी बातें भी मशहूर हो जाती हैं जिनका यह पता   भी नहीं चलता कि सच है या झूट. वैसे तो अख्तर साहब शायर भी हैं और "अकेला" उनका तखल्लुस है लेकिन सुना है जब साल भर से बेहतरीन लिखने के बावजूद लोगों ने टिप्पणी कम लिखी तो उन्होंने ने अपने नाम  के आगे "अकेला" लगा लिया.
यह वो शख्स है जिसने ब्लॉगजगत के दस्तूर  को अकेला बदल डाला. कोई टिप्पणी करे ना करे इनकी लेखनी और जोश मैं कोई अंतर नहीं आया और आज हर एक ब्लोगर इनको नाम से भी जानता है और इनकी लेखनी कि ताक़त को भी मानता है. और टिप्पणी कम होने के बाद भी इनके ब्लॉग के पाठक किसी भी अधिक टिप्पणी वाले ब्लॉग से ज्यादा हैं.
जिन्होंने इनको नहीं पढ़ा है ,उनसे यह अवश्य कहूँगा, एक बार अख्तर  साहब को अवश्य पढ़ें ,आप इनके लेख और कविताओं को किसी १००-१५० टिप्पणी वाले ब्लोगर से कम नहीं पाएंगे.

पत्नी पीड़ितों का जुर्माना बच गया

देश में महिलाओं खासकर पत्नियों से पीड़ित पतियों के संगठन पत्नी पीड़ित संघ के अध्यक्ष दशरथ देवड़ा को गुजरात हाईकोर्ट ने एक याचिका पर लगे जुर्माने एक लाख रूपये को कम कर पांच हजार रूपये कर दिया हे और पत्नी पीड़ितों को मामूली सी राहत दी हे . 
दोस्तों वेसे तो देश भर में पत्नी पीड़ितों की भरमार हे और आप जब यह पोस्ट पढ़ रहे होंगे तो हो सकता हे जो दिल पर आपके गुजरी हे उससे इसे जोड़ कर देख रहे होंगे खेर खुदा करे पत्नी पीड़ितों की संख्या कम हो लेकिन जो पत्नी पीड़ित हें उनमें से कुछ ने गुजरात में पिछले दिनों एक बढ़ी रेली निकाल कर प्रदर्शन भी किया था और एक याचिका पेश कर हाईकोर्ट से मांग की थी की आई पी सी की धारा ४९८अ को बदला जाए इसमें जो पत्निया अपने पति को प्रताड़ित करती हे और पति की आत्महत्या के लियें ज़िम्मेदार होती हे उन्हें भी दंडित करने के प्रावधान जोड़े जाए , गुजरात हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इस याचिका को अवमानना मानते हुए एक लाख रूपये के जुर्माने के साथ ख़ारिज की थी पत्नी पीड़ित संघ इस जुर्माने से आहत था और उसने डबल बेंच के समक्ष अपील की थी और इस अपील की सुनवाई पर हाईकोर्ट के दो जजों ने पत्नी पीड़ितों को राहत देते हूँ जुर्माने की राशि एक लाख से कम कर पांच हजार रूपये कर दिया हे और चेतावनी दी हे के वोह पारिवारिक न्यायालयों में महिलाओं पर जाकर दबाव नहीं बनायेंगे . 
पत्नी पीड़ितों की इस दास्ताँ से शायद किसी हद तक आप भी सहमत होंगे सो फीसदी पति ही अत्याचार के ज़िम्मेदार हों यह सही नहीं हो सकता कई बार पत्नियां भी पति को उत्पीडित करती हे और पतियों और रिश्तेदारों को अनावश्यक अपमानित और प्रताड़ित होना पढ़ता हे ऐसे में इस कानून और इसके संशोधन की समीक्षा के लियें देश के विधि मंत्रालय और केन्द्रीय विधि आयोग को सभी राज्यों से सम्बन्धित मुकदमों उनके नतीजों आरोप प्रत्यारोप की रिपोर्ट मंगवाकर एक निति निर्धारित करना चाहिए जिसमें अगर पुरुष और उसके रिश्तेदार दोषी हो तो बख्शे नहीं जाए और पत्नी अगर दोषी हो तो उसे भी नहीं बख्शा जाए वेसे इस मामले में देश में घरेलू हिंसा कानून एक रामबाण साबित हो सकता हे लेकिन राज्य सरकारें इस कानून की पालना सुनिश्चित करवा पाने में असफल रही हे इस कानून के तहत सरकार खुद घर घर जाकर महिला उत्पीडन की रिपोर्ट लेगी और अगर महिला उत्पीडित दिखती हे तो पहले समझायश होगी और फिर असफल होने पर मजबूरी में ही आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा पत्नी को मकान गुज़ारा खर्च दिलवाया जाएगा इस कानून को अगर लागू शत प्रतिशत किया जाए तो कई घर बिगड़ने से बच जायेंगे और पतियों को भी राहत मिलेगी जबकि पत्नियां और बहुएँ सुरक्षित हो सकेंगी . एक सच यह हे के वर्ष २००३ में घरेलू हिंसा कानून लागू किया गया हे जिसमें सरकारी स्टर पर ही खुद के खर्चे से प्रोटेक्शन अधिकारी द्वारा ही पीड़ित महिला की तरफ से प्रार्थना पत्र पेश करने का प्रावधान हे लेकिन कोटा ,राजस्थान और पुरे देश में इस कानून के तहत खुद प्रोटेक्शन ऑफिसर ने इस कानून को लागू हुए आठ साल गुज़र जाने के बाद भी आज तक एक भी प्रार्थना पत्र महिला की तरफ से पेश नहीं किया हे तो फिर ऐसे कानून बनाने से क्या फायदा जो उत्पीडित महिलाओं को न्याय दिलवाने में और खर्च और परेशानी का इजाफा करें महिलाओं को आज तक खुद ही वकील करके अपने खर्चे से मुकदमे पेश करना पढ़ रहे हें जो काफी तकलीफ देह और प्रकरण को लम्बा कर देने वाले हो जाते हें ................ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

में क्या दे सकता हूँ कलाम का अभियान ..............

हमारे देश को मिसाइल देने वाले .बच्चों को प्यार देना सिखाने वाले .राष्ट्रपति पद का मर्यादित आचरण देने वाले राष्ट्रवादी लोह पुरुष ऐ पी जे अब्दुल कलाम अब देश के युवाओं से कुछ मांगने के लियें निकलना चाहते हें और खुदा कलाम को इस अभियान में कामयाब करे इसकी दुआ हमे सभी को करना होगी . 
हमारे देश में एक दुसरे की आलोचना, भूख और गरीबी,आरोप प्रत्यारोप,प्रतिस्पर्धा के इस दोर में आने वाले भारत की निर्माता युवा पीढ़ी थक गयी हे निराश और हताश हो गयी हे वोह निराशावाद की तरफ जा रही हे हालत यह हें के युवा वर्ग अभी आत्मनिर्भर होने के बारे में सोच नहीं पा रहा हे वोह देश के लियें अपने देश वासियों के लियें क्या कर सकता हे और उसे क्या करना चाहिए सोच नहीं पा रहा हे हालत यह हें के हारा थका नो जवान या तो नशे में डूब रहा हे या फिर सामजिक विकार के चलते विनाश की तरफ बढ़ गया हे इतना ही नहीं निराशावाद के दोर में कई युवा आत्महत्या कर रहे हें जो लोग जो युवा कामयाब हें उनके लियें देश और देशवासी कुछ अहमियत नहीं रखते हें वोह तो बस रूपये कमाने की मशीन हे और इस देश में पल बढ़ कर पढने लिखने  वाले नोजवान यहाँ का खाकर यहाँ का पानी पीकर जब किसी लायक बनते हें और अपने पेरों पर खड़े होते हें तो माय इंडिया का नारा देने वाले यही नोजवान थोड़े से लालच के लियें अपने वतन अपने बुजुर्गों अपने रिश्तों को छोड़कर अमेरिका या विदेश के किसी दुसरे कोने में चले जाते हें हमारा देश एक अच्छे डॉक्टर ,एक अच्छे इंजीनियर एक अच्छे वैज्ञानिक पैदा करने वाली फेक्ट्री तो बन गया हे लेकिन लालची और देश के प्रति प्रेम आस्था समाप्त होने की नोजवान प्रवर्ती के कारण यहाँ जन्मी प्रतिभाओं का लाभ हमारे देश के बदले विदेशियों को मिल रहा हे . 
देश के नोजवानों की यह सोच यह विचार बदलने के लियें पूर्व राष्ट्रपति बच्चों के रखवाले मिसाइल में ऐ पी जे अब्दुल कलाम ने एक मनोवेग्यानिक तरीका अपनाने की योजना बनाई हे ऐ पी जे अब्दुल कलाम अब शीघ्र ही देश भर में एक यात्रा के नाम पर देश के नोजवानों को एक संदेश एक विचार देंगे के इस देश से कामयाबी लेने वाले नोजवान इस देश को क्या दे रहे हे और हर नोजवान के दिल में कलाम एक जज्बा एक सोच भर देना चाहते हें के हर नोजवान इस देश के लियें कीमती हे और वोह इस देश को कुछ ना कुछ दे सकता हे इसीलियें इस अभियान का नाम कलम ने .........में क्या दे सकता हूँ .....रखा हे कलाम का यह अभियान नोजवानों में देश प्रेम की सोच देश के लियें समर्पण की सोच हर बार मांगते रहने की आदत बदल कर देने की सोच बनाने का प्रयास हे जो अगर सभी देशवासियों ने मदद कर सफल कर दिया देश के नोजवानों की सोच बदल दी तो देश में आने वाला कल ऐसे नागरिकों से भरा होगा जो माय इंडिया का सपना साकार करने के लियें समर्पित नागरिकों से भरा होगा ................................... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

नया विक्रमसंवत नया साल ४ से मुबारक हो

विश्व हिन्दू विचारधारा के तहत विश्व के सबसे प्राचीन सभ्यता वाले धर्म हिन्दू धर्म नहीं सनातन धर्म का नया साल ४ अप्रैल से शुरू होने जा रहा हे इस अवसर पर सभी हिन्दुस्तानियों को मुबारकबाद . 
दोस्तों हम अंग्रेजी संस्क्रती में इतने रच बस गये हें के हमारी खुद की पहचान खुद की संस्क्रती को ही हम भूते जा रहे हें और यही वजह हे के हम हमारे त्यौहार ,रस्मो रिवाज,रिश्ते नातों को भुलाकर पाश्चात्य संस्क्रती की तरफ भाग रहे हें और इसका असर हेप्पी निव इयर,वेलेंटाइन डे सहित कई अवसरों पर देखा जा सकता हे ,लेकिन मीडिया और धर्मप्रेमी लोग भी इसके लियें ज़िम्मेदार हे पहले कार्ड बेचने वाले इन अंग्रेजी अवसरों को हवा देते थे अब मोबाईल मेसेज के व्यवसायी इन अवसरों को हवा दे रहे हें अंग्रेजी  संस्क्रती हो सकता हे हमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जोडती हो लेकिन हमारी संस्क्रती हमें खुद हमसे हमारे अपनों से हमारे पूर्वजों से हमारी मिटटी से जोडती हे इसलियें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुद को स्थापित करने के साथ साथ हमें हमारी इस संस्क्रती की सुरक्षा भी करना होगी और हमारे वार ,त्यौहार,हमारे रस्मो रिवाज जो मानवीय हें जो भाई चारा और सद्भावना का संदेश देते हें उनको तो हमें जिंदा रखना ही होगा और इसमें सबसे प्रमुख हे हमारे देश हमारी हिन्दू संस्क्रती का नया साल नया विक्रम संवत मेरा मानना हे के अगर न्यायालयों में क्रषि वर्ष के रूप में इस संवत को नहीं रखा जाता तो अब तक हमारे देश को लोग संवत क्या होता हे इतिहास बना लेते लेकिन देर से ही सही जागे जब सवेरा अब हमारा देश इस मामले में जाग चूका हे और हमारी संस्क्रती के हमारे आधुनिक नोजवानों को पहचान कराने लगा हे कई लोग इस पहचान कराने वाली ताकतों को कट्टर पंथी कह कर आलोचना करते हों लेकिन अपने धर्म , अपनी सभ्यता अपनी पहचान को बनाये रखने की कोशिश और उसे प्रचारित करने का प्रयास अगर कट्टरपंथी कहा जाता हे तो में ऐसे कट्टर पंथियों को जो किसी भी धर्म से जुड़े हों उन्हें नमन करता हूँ उनका स्वागत करता हूँ . 
४ अप्रैल २०११ अंग्रेजी की तारीख अंग्रेजी का वर्ष हे लेकिन इस दिन हमारे देश की संस्क्रती का नया साल विक्रम संवत २०६८ का आगाज़ हो जाएगा इस पहचान को जिंदा रखने और इसे प्रचारित करने के लियें देश भर में समितियों का गठन किया गया हे और कोटा में भी विश्व हिन्दू परिषद और आर एस एस ने इसे प्रचारित करने के लियें समितियों का गठन किया हे और कल से कार्यक्रम शुरू हो जायेंगे दोस्तों हमारी पहचान हमारा इतिहास अगर ज़िंदा रखें के लियें आर एस एस या विश्व हिन्दू परिषद या कोई भी मुस्लिम हिन्दू कट्टर पंथी सन्गठन आगे आता हे तो उस प्रचार प्रसार की हद तक जिससे देश की सुख शान्ति को खतरा ना हो स्वीकार कर स्वागत करना चाहिए इसलियें नया विक्रम संवत मुबारक हो . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

गिलानी को फिर भी आत्मगिलानी नहीं

जी हाँ दोस्तों यह पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री जनाब युसूफ रजा गिलानी जी हें जिन्हें भारत का अतिथि सत्कार खेल का भाव और अपनापन देख कर भी अपनी काली करतूतों पर जरा भी आत्म्गिलानी नहीं हे वेसे तो हमारे जवानों ने उह्नें और उनके देश उनके खिलाड़ियों को एक सबक ऐसा दिया हे जिसे उन्हें पढ़कर अपनी गलतियाँ सुधारना चाहिए लेकिन गिलानी हें के उन्हें उनके देश की करतूतों पर अभी भी आत्मगिलानी नहीं हे .
माहोली क्रिकेट कहने को तो क्रिकेट था लेकिन भारत के खिलाड़ियों का जोश इस बात को साफ़ कर रहा था के वोह इस खेल को एक जंग एक लड़ाई और भारत की प्रतिष्ठा को स्थापित करने के लियें लढ़ रहे हें इन क्रिकेट नो जवानों ने सीमापार सुरक्षा करने वाले जवानों की तरह ही मेरी इस देश की रक्षा की हे नाम रोशन किया हे और इनके इस खेल से ही आज मेरा मेरे देश का सर गर्व से ऊँचा हुआ हे मेरे देश का सीना जो पाकिस्तानी छलनी कर देना चाहते हें आज उनके सामने ही मेरे इस देश का सीना गर्व से चोडा हो गया हे .और मेरे देश के इन क्रिकेट नोजवानों की कड़ी महंत और जांबाज़ खेल के कारण ही कल रात से खुशियों से झूम उठा हे मेरा हिन्दुस्तान इसके लियें देश और देश के क्रिकेट विजेताओं को मुबारकबाद .
दोस्तों यह तो हुई क्रिकेट की बात लेकिन पकिस्तान से भारत की बातचीत हिसाब किताब क्रिकेट तक ही सीमित नहीं हे सारा विश्व जानता हे के एक अमन पसंद भारत खुशहाल हिन्दुस्तान को यह पकिस्तान अपने नापाक इरादों से केसे परेशान करता रहा हे , सीमा पर से आतंकवादियों को प्रशिक्षण देकर भारत में भेजना यहाँ कश्मीर विवाद को भडकाना यहाँ के देशवासियों के सुख चेन को आतंकी हमलों से बर्बाद करने का प्रयास करना यह सब पकिस्तान के एजेंडे में शामिल रहा हे और हमारा भारत हमारा हिन्दुस्तान हर गाली हर गोली का जवाब फूलों से मुस्कुराहटों से देता रहा हे , मुशर्रफ की भारत में आव भगत से लेकर कल गिलानी की आवभगत तक हमने बता दिया हे के हम महान हे दुश्मन देश जो हमारे देश के खिलाफ हे वोह भी अगर हमारे देश में आता हे तो उसके साथ दुश्मन की तरह नहीं दोस्त की तरह व्यवहार किया जाता हे , लेकिन पाकिस्तान को यह समझ लेना चाहिए के उदारता ,महमान नवाजी कोई कमजोरी नहीं और आज भी हम और हमारा देश इतना सक्षम हे के पाक के हर नापाक इरादे का जवाब इस क्रिकेट जंग की तरह उन्हीं के घर में घुस कर दे सकते हें और १९७१ में हम पाकिस्तान को सबक भी सिखा चुके हे उसके बाद कारगिल में पकिस्तान को धुल चटा चुके हे और अभी भी हम पाकिस्तान की हर हरकत का मुंह तोड़ जवाब देने में सक्षम हे इन सब बातों और अपनी गलतियों को याद करने के बाद भी जब पकिस्तान के गिलानी को यहाँ सम्मान मिला तब भी उन्हें अपने किये पर पछतावा अपने किये पर आत्म्गिलानी नहीं हुई शेम शेम शेम ....... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

क्या रुपया ही भगवान हे इन दिनों इंसान के लियें

क्या रुपया ही भगवान हे इन दिनों इंसान के लियें .................क्या यह गाँधी की तस्वीर एक बेबस गरीब मजलूम के लियें रिश्वत की मजबूरी बन कर; मजबूरी का नाम  महात्मा गाँधी ;कहावत बन गयी हे , क्या इसीलियें कवि शायर कहते हें के ना बाप बढ़ा ना भय्या सबसे बढ़ा रुपय्या ............... यह पैसा बोलता हे ......  एक सवाल जिसका जवाब मेरे पास तो नहीं हे अगर आपके पास हो तो प्लीज़ जवाब बताएं . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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