में जानता हूँ
तुम्हें
जान से भी ज़्यादा
फूल पसंद हैं
लेकिन फिर भी
में तुम्हें
फूल नहीं दूंगा
मुझे याद हे
में तुम्हे जान से भी ज़्यादा चाहता हूँ
मुझे याद हे मेरा वायदा
मेने तुमसे कहा था
हाँ में तुम्हारे लियें
चाँद तारे तोड़ लाऊंगा
लेकिन फिर भी
में तुम्हे
यह फुल नहीं दूंगा
क्योंकि
में तुम्हें तुम्हारी आदत तुम्हारे शोक को जानता हूँ
तुम मुझ से
इस फुल को
अपने खतरनाक हाथों में लोगी
इसकी खुशबु से मदमस्त होकर
इस नाज़ुक फुल को
खुद अपने हाथों से
बेरहमी से
मसल दोगी
पंखुड़ियां इस फूल की
पेरों तरह
तुम रोंदोंगी
और फिर
मुझे बर्बाद करके
मुस्कुराई थीं जेसे
वेसे ही विजय मुस्कान से
मुझे देख कर
एक बार फिर मुस्कुरा दोगी
बस इसीलियें
यह फूल में
तुम्हें
हरगिज़ नहीं दूंगा
हाँ कुछ कनाते रखे हे
पास में तुम्हे उनकी जरूरत हे
कहो तो
यही कांटे में तुम्हे दे दूँ
बस फूल की जिद छोड़ दो
यह खुशबु बिखेरते
खुबसूरत फूल
में तुम्हें हरगिज़ नहीं दूंगा .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान