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18 अप्रैल 2011

भानु गेंगेस्टर की पुलिस संरक्षण में निर्मम हत्या

राजस्थान पुलिस के प्रशिक्षित कमाडो के संरक्षण में उदयपुर से झालावाड तारीख पेशी पर ले जाते वक्त भानु प्रताप सिंह गेंगेस्र्टर को उदयपुर कोटा मार्ग पर कुछ बदमाशों ने पुलिस की गाड़ी रोककर ताबड़तोड़ गोलियां चला कर हत्या कर दी इस गोलीबारी में पुलिस का एक कमांडो और एक पुलिस कर्मी शहीद हो गये जबकि चार अन्य पुलिस कर्मी गम्भीर घायल हैं जिन्हें कोटा के अस्पताल में भर्ती कराया गया है .
भानु प्रताप सिंह राजस्थान में कई राजनेताओं का वरद हस्त होने से आतंक और गुंडा गर्दी का पर्याय बना था जिसे पुलिस ने एक साल पहले गिरफ्तार किया था इस भानु ने झालावाड से कोटा तारीख पेशी पर आते वक्त पुलिस हिरासत में राजू जोशी की निर्मम हत्या की थी इसके अलावा कई दर्जन हत्या ,डकेती चोथवसुली के मामलों में वोह शामिल था झालावाड सहित कई जिलों के चुनावों को वोह प्रभावित करने में सक्षम  था जेल से उसकी हुकूमत चला करती थी .
भानु प्रताप सिंह की पुलिस हिरासत में इस हत्या ने राजस्थान पुलिस की सक्रियता और ताकत पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है राजस्थान में कमांडो इस दल के साथ होने के बाद कमांडो बिना गोली चलाए मर दिया जाए यह पुलिस और क्मानादो की काबलियत पर प्रश्न चिन्ह हे और जो अपराधी खूंखार हो पुलिस हिरासत में हत्या का आरोपी हो और हजारों गेंगेस्टर जिसकी जान के दुश्मन हों उसकी इस लापरवाही भरी  सुरक्षा के चलते हत्या कर देना दो पुलिस कर्मियों के शहीद होजाने की घटना पुलिस प्रशासन की कहीं न कहीं पुलिस की लापरवाही दर्शाता है . पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज कर लिया है लेकिन अपराधियों की धरपकड़ और नाकेबंदी के नाम पर अभी पुलिस बगलें झाँक रही है .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

डोक्टर के भेस में छुपे हिंदी प्रेमी साहित्यकार डोक्टर श्याम गुप्त

डॉक्टर श्याम गुप्त हिंदी ,हिन्दू और हिन्दुस्तान से प्रेम करते हैं यह मानव और मानवीयता से प्रेम करते हैं इनका मानना है के चिकत्सा से व्यक्ति की बिमारी विकार दूर होते हैं लेकिन  समाज का मानसिक इलाज केवल एक अच्छा साहित्य ही कर सकता है और जनाब डोक्टर श्याम जी गुप्त रेलवे में कार्यरत मरीजों का इलाज और सर्जरी करते करते अब वर्ष जुलाई २००८ से अपने शब्द बाणों से समाज का इलाज करने में जुटे हैं . 
मन से धार्मिक प्रव्रत्ति के डोक्टर श्याम जी अपनी रचनाओं में प्योर हिंदी का इस्तेमाल करना पसंद करते हुए राजभाषा हिंदी ,राष्ट्रिय भाषा हिंदी , मेरी भाषा हिंदी के नारे का प्रचार प्रसार कर रहे हैं , डोक्टर गुप्त छोटी छोटी रचनायें ,छंद,कविताओं और लेखों में समाज को आयना दिखाने की कोशिश करते हैं , डोक्टर गुप्त की रचनाओं में मोसम का हाल हे तो समाज की बदहाली है , देश के  रोजमर्रा के हालात हैं ,कहानिया  हैं किस्से हैं ,कविता हैं गीत हैं .शब्दों के हेर फेर है धार्मिक दोहे हैं तो धर्म की चोपाई हैं कुल मिला कर डोक्टर श्याम गुप्त ने अपनी कलम से ब्लॉग के ओपरेशन थियेटर में समाज ,विचार और शब्दों की सर्जरी कर ऐसा जोड़ा है के एक खुबसूरत ब्लॉग डॉक्टर श्याम गुप्त की रचनाएँ बन गया है .उनका मानना है के साहित्य ही समाज का दर्पण है और समाज में शुद्धता ला सकता है इसलियें वोह सर्जरी अब केंची और पट्टी से नहीं कम्प्यूटर लेपटोप पर केवल उंगलिया चला कर करने में जुटे हैं और अपने विचारों से समाज का शुद्धिकर्ण करने का प्रयास कर रहे हैं . अख्तर खान  अकेला कोटा राजस्थान

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