आपका-अख्तर खान

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30 अप्रैल 2011

कुरान शरीफ को पन्द्रह सो छियानवे साल पुरे हुए

कुरान शरीफ को पन्द्रह सो छियानवे साल पुरे हुए है यह शायद आप सभी लोग जानते होंगे आज ही के दिन कुरान मजीद खुदा का आदेश एक फरमान के रूप  में जरी हुआ  था और इसकी पालना  सभी को करना अनिवार्य थी ....दोस्तों मेरी गुजारिश है आप कुरान मजीद का अनुवाद जरुर पढ़े और देखे के खुदा के हुक्म में से हमने कितने निर्देशों की पालना की है खुदा के कितने कानूनों को हम रोज़ तोड़ रहे हैं ,,,,,,,,,कुरान शरीफ इस्लाम का एक ऐसा खुदा का संदेश है जिसमें विज्ञान,कानून,संविदा,इकरार,श्रम कानून,भूगोल,बोटनी,जूलोजी,चिकित्सा और सूफियाना सभी बातें भरी पढ़ी हैं ...कुरान मजीद में सामाजिक जीवन जीने के प्रमुख कायदे कानून भरे पढ़े हैं पड़ोसी के साथ , मालिक के साथ , हुकूमत के साथ, देश के साथ ,ग्राहक के साथ ,माँ.बेटे,बहु,पत्नी के साथ केसा सुलूक हो सारे निर्देश इसमें है आज हमारे देश में सजा और इकरारनामे के अधिकतम कानून कुरान के कानून से चल रहे है ,देश में विधवा विवाह शुरू हुआ, सटी प्रथा बंद हुई ,तलाक का कानून बना , दहेज़ रोकने का कानून बना ,नशा रोकने का कानून बना ,महिलाओं को सम्पत्ति में अधिकार देने का कानून बना , सामजिक न्याय और टेक्स का कानून बना उंच नीच भेदभाव का कानून बना यह सब कुरान के निर्देश हैं जो महिलाओं दलितों और पीड़ितों को न्याय दिलवा रहे हैं ........................तो जनाब कुरान पढो , इसे समझो और इसपर अमल करो ताके आपसे किसी दुसरे का दिल ना दुखे और आप एक ऐसे इंसान बने जो आदर्श पुरुष हो और अगर आप में सभी आदर्श पुरुर्ष  मर्यादित पुरुष बनेंगे तोबस फिर तो मेरा देश महान बन ही जाएगा मेरा हिन्दुस्तान खुशहाल हो जाएगा इसलियें धर्म की मर्यादाओं से एक दुसरे का दिल जीतो अपने अखलाक से लोगून को जीतो  एक दिन देखना सभी इंसान बन जायेंगे ...................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

मनमोहन भ्रष्टाचार के खिलाफ हा हां .........

दोस्तों आज विश्व हास्य दिवस के अवसर पर अखबारों ने सभी को हंसने की सलाह दी मुझे हंसने का कोई कारण नहीं मिल रहा था कई चुटकुले देखे संता बनता के किस्से देखे लेकिन इस हास्य दिवस पर  कोई चुटकुला  हंसाने वाला मिल ही नहीं रहा था बा मेने सोचा के आज ही विश्व हास्य दिवस है और मुझे हंसी नहीं आएगी तो क्या होगा यह सोचकर मेने अख़बार पलता तो अख़बार में खबर थी के ,...............प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने सी बी आई से भ्र्स्ताचारियों को पकड़ने के लियें कहा ................मेने सोचा के विश्व की सबसे भ्रष्ट सरकार के प्रधान मंत्री जो भ्रष्ट मंत्रियों के प्रधान है और सभी घोटालों में काले धन वालों के साथ शामिल है वोह अगर नो सो चूहे खाकर बिल्ली हज को चली की कहावत पर कम करे तो फिर तो यह इस हास्य दिवस का सबसे बढा चुटकुला है और यह सोचकर में हंस पढ़ा हां हां हां हां हा हां हे ना हंसी की बात देश के साथ एक मजाक एक हास्य की बात तो दोस्तों विश्व हास्य दिवस मुबारक हो खूब हंसो खूब हंसाओ लेकिन प्लीज़ प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह जी की तरह मजाक मत करना ........................ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

अफरोज के ऐसे भी हैं अकबर

 जी हाँ दोस्तों राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक अफरोज के अकबर ऐसे नायाब हैं जो अपनी अम्मी से कभी जुदा नहीं होते और अम्मा अफरोज हैं के बढ़े बेटे आरिफ से खूब बेईमानी करती है वोह आरिफ के हिस्से का प्यार भी अकबर  पर लुटा रही है ...यह बात कहने को तो भुत भुत छोटी है लेकिन इस्लाम के एतेबार से समाज के एतेबार से खूब बेईमानी का काम है बच्चे है तो प्यार तो बराबर का ही मिलना चाहिए खेर एक दिन अफरोज के अकबर बहुत बहुत बढ़े हो गए इतने बढ़े के लोग उन्हें दूर दूर से देखने आने लगे अब यह जनाब अपने आधुनिक अंदाज़ में हाथों में रुमाल डाले ,गले में हीरों की माला डालकर खुशबु बिखेरते हुए लाखों की कार से जब उतरे तो इनकी माँ अफरोज बढ़े बेटे को पिच्छे धकेल कर कार के आगे बढ़ी लेकिन यह क्या कर में बेठे अकबर उत्तरते इसके पहले ही अकबर की नई नवेली लवमेरिज  बीवी डेकोला डेमोस्तो ने हाथ बढाया और अकबर को निचे उतरने से रोक दिया वोह बोली यहाँ क्या रुकते हो पहले  मेरी अम्मी के यहाँ चलो तब फिर यहाँ की सोचेंगे अकबर ने अपनी माँ को देखा और उसे सलीम अनारकली का किस्सा याद आ गया उसने ड्राइवर से कहा चलो में साहब जहां चाहती है वहीं चलो और जनाब अकबर की अम्मी अपने प्यारे सबसे प्यारे बेटे से मिलने की आस सीने में दबाए चुप चाप ठिठक गयी तब बढ़े बेटे आरिफ की गाँव की जाहिल बीवी ने पुकारा अम्मी रोवो मत हम हेना और वोह अपनी इस सास को मनाने लगी क्या यही है जिंदगी ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

अफरोज के ऐसे भी हैं अकबर

 जी हाँ दोस्तों राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक अफरोज के अकबर ऐसे नायाब हैं जो अपनी अम्मी से कभी जुदा नहीं होते और अम्मा अफरोज हैं के बढ़े बेटे आरिफ से खूब बेईमानी करती है वोह आरिफ के हिस्से का प्यार भी अकबर  पर लुटा रही है ...यह बात कहने को तो भुत भुत छोटी है लेकिन इस्लाम के एतेबार से समाज के एतेबार से खूब बेईमानी का काम है बच्चे है तो प्यार तो बराबर का ही मिलना चाहिए खेर एक दिन अफरोज के अकबर बहुत बहुत बढ़े हो गए इतने बढ़े के लोग उन्हें दूर दूर से देखने आने लगे अब यह जनाब अपने आधुनिक अंदाज़ में हाथों में रुमाल डाले ,गले में हीरों की माला डालकर खुशबु बिखेरते हुए लाखों की कार से जब उतरे तो इनकी माँ अफरोज बढ़े बेटे को पिच्छे धकेल कर कार के आगे बढ़ी लेकिन यह क्या कर में बेठे अकबर उत्तरते इसके पहले ही अकबर की नई नवेली लवमेरिज  बीवी डेकोला डेमोस्तो ने हाथ बढाया और अकबर को निचे उतरने से रोक दिया वोह बोली यहाँ क्या रुकते हो पहले  मेरी अम्मी के यहाँ चलो तब फिर यहाँ की सोचेंगे अकबर ने अपनी माँ को देखा और उसे सलीम अनारकली का किस्सा याद आ गया उसने ड्राइवर से कहा चलो में साहब जहां चाहती है वहीं चलो और जनाब अकबर की अम्मी अपने प्यारे सबसे प्यारे बेटे से मिलने की आस सीने में दबाए चुप चाप ठिठक गयी तब बढ़े बेटे आरिफ की गाँव की जाहिल बीवी ने पुकारा अम्मी रोवो मत हम हेना और वोह अपनी इस सास को मनाने लगी क्या यही है जिंदगी ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

हिंदी ब्लोगिंग को अब मिली है जिंदगी

  जी हाँ दोस्तों , भाइयों ,बुजुर्गों  यह एक सच है के हिंदी ब्लोगिंग को अब मिली है जिंदगी  हमारे देश में कई सालों से हिंदी ब्लोगिंग विश्व स्तत्र पर अपने झंडे गाड़े हुए है देश और साहित्यकारों को एक नई सोच नई दिशा इसी हिंदी ब्लोगिंग ने दी है और देश में जब पत्रकारिता मर रही थी ,नेताओं और उद्योगपतियों के इर्द गिर चक्कर लगा रही थी , कार्यपालिका और न्याय पालिका सडांध मारने लगी थी तब हिंदी ब्लोगिंग ही थी जिसने पांचवा लोकतंत्र का स्तम्भ बन कर इस देश को बचाया इस देश को नया सम्मान दिलवाया .
आज देश सभी झंझावातों से फिर उबरने लगा है उसमें हिंदी ब्लोगर्स का चिंतन , इनके सुझाव , इनकी चेतना इनकी निगरानी शामिल है इन सब हालातों में साह्तिय्कारों ,पत्रकारों ,प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया जो भी हो सभी ने अब हिंदी ब्लोगिंग को मान्यता ही नहीं दी बलके एक सम्मान भी दिया है . दिल्ली में आज होने वाला कामयाब सम्मेलन हम सभी हिंदी ब्लोगर्स के लियें सम्मान की बात है इस सम्मलेन ने हिंदी ब्लोगिंग को नई दिशा दी है अपना पराया उंच नीच छोटा बढ़ा होने का भेदभाव भुलाकर एक अपनापन दिया है एक नई सोच दी है और यह देश के नव निर्माण के लीयें एक सकारात्मक संकेत हैं इस्लीयें में कहता हूँ हिंदी ब्लोगिग्न जिंदाबाद , ब्लोगिग्न एकता जिंदाबाद .............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 
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