आपका-अख्तर खान

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08 मई 2011

रोज़ क्यूँ मरते हो ..

किसी डर से
आहत होकर 
तुम रोज़ 
क्यूँ मरते हो 
रोज़ क्यूँ यूँ ही
दर्द से सिसकते हो 
अपने अन्दर 
जो डर छुपा है 
उठो और उसे 
बस एक बार 
हिम्मत दिखाकर 
मार डालो यारों 
समझ गए ना 
रोज़ मरने से 
बहतर डर को 
डर से संघर्ष कर 
उसे मार गिराना 
अच्छा होता है .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जिंदगी हंस कर गुजारो यार

यह जिंदगी 
बड़ी ज़ालिम है यार 
इसे रोकर 
क्यूँ गुजारते हो ..
जब गुजारना ही है 
इस जिंदगी को 
तो बस 
हंस कर गुज़रो यार ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

में कलम से हाले दिल कहता गया ...समीरलाल उड़नतश्तरी

   ख़यालों की उढ़ान, अपने हिंदी अल्फाजों में सजाकर ,ब्लोगिंग करने वाले, एक भारतीय शख्स, जिसे हिंदी ,हिंदीवासी  और भारतीयों से प्यार है, उस आदमी का नाम ,समीरलाल है, जिन्होंने जबलपुर से कनाडा तक का सफर तय करने के बाद भी ,भारतीयता और हिंदी का दामन ,नहीं छोड़ा है और इसीलियें ऐसी राष्ट्रप्रेमी हिंदी प्रेमी शख्सियत को खुद बा खुद सलाम करने को जी चाहता है ..........जबलपुर में रहने के बाद कनाडा के टोरंटो और फिर एजेक्स ओटोरीया कनाडा में बस जाने वाले भाई समीरलाल हिन्दुस्तानी है, इनका दिल हिन्दुस्तानी है ,इनकी लेखनी, इनकी जुबान ,और साहित्य ,हिन्दुस्तानी है, इनकी भाषा, हिन्दुस्तानी है ,और इसीलियें कहते है के सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा ..कनाडा में भाई समीरलाल  एकाउंटिंग सलाहकार के कार्य से जुड़े हैं,और रोज़गार के सिलसिले में कनाडा ही बस गए हैं ,लेकिन भारत से इनका जुड़ाव आत्मिक होने से वोह भारत और भारतीयों से लगातार जुड़े रहे हैं ..............
अखिल ब्राह्मण ब्लोगर  संगठन ....उड़नतश्तरी ....लाल और बवाल जुगलबंदी ...tech notes exchange .... जेसे ब्लॉग बनाकर, उनपर नियमित अपनी लेखनी के माध्यम से दस्तक देने वाले, पहले , ऐसे ब्लोगर हैं ,जो हर भारतीय ब्लोगर के ब्लॉग पर घूमते हैं, उसे पढ़ते हैं ,और फिर अपने प्यार भरे अल्फाज़ ,टिप्पणी के रूप में परोसते हैं ....इनके ब्लॉग का सारांश इन्होने ,,जान निसार अख्तर के एक शेर में समो दिया है वोह लिखते हैं ..और क्या इससे ज्यादा कोई नरमी बरतूं ..दिल के जख्मों को छुआ है तेरे गालों की तरह ,इस शेर को अपने ब्लॉग पर सजा कर भाई समीरलाल जी ने अपने दिल की बात कह डाली  है, साथ ही भाई समीरलाल, विदेश में रहकर भी अपनी धर्म परम्पराओं को नहीं भूले हैं, उन्होंने इसी ब्लॉग पर हनुमान चालीसा.आरती संग्रह .......भी लगा रखा है ...भाई समीर लाल एक ऐसे ख्यातनाम लेखक हैं के इनकी ब्लोगिंग अधिकतम अख़बारों में छाई रहती है ,देश के हिंदी देनिक समाचार पत्रों में  इनके हिंदी ब्लोगिंग लेख व् रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं ......भाई समीरलाल साहित्य की दुनिया में पुस्तक प्रकाशन में भी नाम कमा चुके हैं शिवना प्रकाशन के माध्यम से इनका काव्य संग्रह  बिखरे मोती एवं उपन्यासिका.देख लूँ तो चलूं प्रकाशित हुई है जिसे देश के अधिकतम साहित्यकारों .ब्लोगरों और पत्रकारों ने सराहा है ..भाई समीर लाल केनेडा में रह कर भी, देश की हिंदी भाषा ,और पर्यावरण के प्रति चिंतित हैं वोह पर्यावरण के लियें .....धरा बचाओ पेढ़  लगाओं...... का नारा बुलंद करते हैं तो दुसरे तरफ हिंदी में लिखने की अपील इसी ब्लॉग पर करते हैं ...इनकी ब्लोगिंग मार्च २००६, में शुरू हुई लेकिन पहली रचना समीरलाल जी ने अपने ब्लॉग पर फरवरी के अंतिम सप्ताह में लिखी थी उन्होंने लिखा था ........मेरी शुरुआत एक प्रयास हिंदी में लिखने का हिंदी में ब्लोगिंग का मन करा इसलियें लिखना शुरू किया है,इनके इस लेख पर जिसमे समीरलाल जी ने गागर में सागर भर दिया था, कुल आठ टिप्पणियाँ आयीं और इनके पहले टिप्पणीकार,, भाई अनिल जी बन गए ................भाई समीर कहते हैं के खयालों की बेलगाम, उढ़ान कभी लेख, कभी विचार, कभी वार्तालाप ,और कभी कविता के माध्यम से, विचार प्रस्तुत है .........वोह लिखते हैं ..हाल में लेकर कलम में हाले दिल कहता गया .....काव्य निर्झर आप ही बहता गया ...और यह सही भी है, के भाई समीरलाल के विचारों की उड़ान उडन तश्तरी के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी तश्तरी की तरह उडी के विश्व के विचारों का एक सतरंगी इन्द्रधनुष उड़न तश्तरी ब्लॉग में बना डाला है ........इनकी दूसरी रचना पंडित काली भीषण शर्मा पर है, और पहली काव्य रचना, कभी जी भर का ख़्वाब लिए है .........भाई समीर लाल का ब्लॉग लाल और बवाल जुगलबंदी में दो साथियों की जुगलबंदी की जोड़ी से ब्लॉग बना है जिसमे एक वकील साहब और एक जनाब खुद समीर लाल ने अपनी रचनाओं को पेश कर ब्लोगर्स को लुभाया है इनकी महत्वपूर्ण प्रासंगिक रचना में मेरे पिता ने रुपया छोड़ा नहीं होता ..मेरे भाई ने मुझ से मुंह मोड़ा नहीं होता काफी चर्चित रही है अब तक कुल २९९७०  लोगों की टिप्पणी एवं २२७५३२ लोगों की इनके ब्लॉग पर आवा जाहि प्राप्त कर चुके भाई समीरलाल जितने धार्मिक,जितने साहित्यकार जितने हिंदी प्रेमी जितने राष्ट्रीयता भाव रखने वाले है उतने ही भाई समीरलाल बहतरीन इंसान भी हैं और वोह सभी ब्लोगर्स से सम्पर्क कर प्यार बाँटने का काम भी करते रहते हैं .,इनकी एक मात्रत्व पर रचना आज के दिन प्रासंगिक है जो इन्होने वर्स २००६ में ही लिख डाली है ......इनके अंग्रेजी ब्लॉग में भी काफी लेख लिखे गए है जनाब ऐसे भारतवासी जो विदेश में रहकर भी अपनी मिटटी की खुशबु नहीं भूले हों यहाँ के मोसम ,यहाँ के त्यौहार ,यहाँ की समस्याओं ,यहाँ के लोगों के आचार विचार पर ब्लोगिंग करते हों यहाँ की भाषा को अपनाकर दूसरों को भी अपनाने की सलाह देते हों ऐसे राष्ट्रीय ब्लोगर,हिंदी साहित्यकार भाई समीरलाल की वैचारिक उड़ान की उडनतश्तरी को सलाम .............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

में कलम से हाले दिल कहता गया ...समीरलाल उड़नतश्तरी

   ख़यालों की उढ़ान, अपने हिंदी अल्फाजों में सजाकर ,ब्लोगिंग करने वाले, एक भारतीय शख्स, जिसे हिंदी ,हिंदीवासी  और भारतीयों से प्यार है, उस आदमी का नाम ,समीरलाल है, जिन्होंने जबलपुर से कनाडा तक का सफर तय करने के बाद भी ,भारतीयता और हिंदी का दामन ,नहीं छोड़ा है और इसीलियें ऐसी राष्ट्रप्रेमी हिंदी प्रेमी शख्सियत को खुद बा खुद सलाम करने को जी चाहता है ..........जबलपुर में रहने के बाद कनाडा के टोरंटो और फिर एजेक्स ओटोरीया कनाडा में बस जाने वाले भाई समीरलाल हिन्दुस्तानी है, इनका दिल हिन्दुस्तानी है ,इनकी लेखनी, इनकी जुबान ,और साहित्य ,हिन्दुस्तानी है, इनकी भाषा, हिन्दुस्तानी है ,और इसीलियें कहते है के सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा ..कनाडा में भाई समीरलाल  एकाउंटिंग सलाहकार के कार्य से जुड़े हैं,और रोज़गार के सिलसिले में कनाडा ही बस गए हैं ,लेकिन भारत से इनका जुड़ाव आत्मिक होने से वोह भारत और भारतीयों से लगातार जुड़े रहे हैं ..............
अखिल ब्राह्मण ब्लोगर  संगठन ....उड़नतश्तरी ....लाल और बवाल जुगलबंदी ...tech notes exchange .... जेसे ब्लॉग बनाकर, उनपर नियमित अपनी लेखनी के माध्यम से दस्तक देने वाले, पहले , ऐसे ब्लोगर हैं ,जो हर भारतीय ब्लोगर के ब्लॉग पर घूमते हैं, उसे पढ़ते हैं ,और फिर अपने प्यार भरे अल्फाज़ ,टिप्पणी के रूप में परोसते हैं ....इनके ब्लॉग का सारांश इन्होने ,,जान निसार अख्तर के एक शेर में समो दिया है वोह लिखते हैं ..और क्या इससे ज्यादा कोई नरमी बरतूं ..दिल के जख्मों को छुआ है तेरे गालों की तरह ,इस शेर को अपने ब्लॉग पर सजा कर भाई समीरलाल जी ने अपने दिल की बात कह डाली  है, साथ ही भाई समीरलाल, विदेश में रहकर भी अपनी धर्म परम्पराओं को नहीं भूले हैं, उन्होंने इसी ब्लॉग पर हनुमान चालीसा.आरती संग्रह .......भी लगा रखा है ...भाई समीर लाल एक ऐसे ख्यातनाम लेखक हैं के इनकी ब्लोगिंग अधिकतम अख़बारों में छाई रहती है ,देश के हिंदी देनिक समाचार पत्रों में  इनके हिंदी ब्लोगिंग लेख व् रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं ......भाई समीरलाल साहित्य की दुनिया में पुस्तक प्रकाशन में भी नाम कमा चुके हैं शिवना प्रकाशन के माध्यम से इनका काव्य संग्रह  बिखरे मोती एवं उपन्यासिका.देख लूँ तो चलूं प्रकाशित हुई है जिसे देश के अधिकतम साहित्यकारों .ब्लोगरों और पत्रकारों ने सराहा है ..भाई समीर लाल केनेडा में रह कर भी, देश की हिंदी भाषा ,और पर्यावरण के प्रति चिंतित हैं वोह पर्यावरण के लियें .....धरा बचाओ पेढ़  लगाओं...... का नारा बुलंद करते हैं तो दुसरे तरफ हिंदी में लिखने की अपील इसी ब्लॉग पर करते हैं ...इनकी ब्लोगिंग मार्च २००६, में शुरू हुई लेकिन पहली रचना समीरलाल जी ने अपने ब्लॉग पर फरवरी के अंतिम सप्ताह में लिखी थी उन्होंने लिखा था ........मेरी शुरुआत एक प्रयास हिंदी में लिखने का हिंदी में ब्लोगिंग का मन करा इसलियें लिखना शुरू किया है,इनके इस लेख पर जिसमे समीरलाल जी ने गागर में सागर भर दिया था, कुल आठ टिप्पणियाँ आयीं और इनके पहले टिप्पणीकार,, भाई अनिल जी बन गए ................भाई समीर कहते हैं के खयालों की बेलगाम, उढ़ान कभी लेख, कभी विचार, कभी वार्तालाप ,और कभी कविता के माध्यम से, विचार प्रस्तुत है .........वोह लिखते हैं ..हाल में लेकर कलम में हाले दिल कहता गया .....काव्य निर्झर आप ही बहता गया ...और यह सही भी है, के भाई समीरलाल के विचारों की उड़ान उडन तश्तरी के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी तश्तरी की तरह उडी के विश्व के विचारों का एक सतरंगी इन्द्रधनुष उड़न तश्तरी ब्लॉग में बना डाला है ........इनकी दूसरी रचना पंडित काली भीषण शर्मा पर है, और पहली काव्य रचना, कभी जी भर का ख़्वाब लिए है .........भाई समीर लाल का ब्लॉग लाल और बवाल जुगलबंदी में दो साथियों की जुगलबंदी की जोड़ी से ब्लॉग बना है जिसमे एक वकील साहब और एक जनाब खुद समीर लाल ने अपनी रचनाओं को पेश कर ब्लोगर्स को लुभाया है इनकी महत्वपूर्ण प्रासंगिक रचना में मेरे पिता ने रुपया छोड़ा नहीं होता ..मेरे भाई ने मुझ से मुंह मोड़ा नहीं होता काफी चर्चित रही है अब तक कुल २९९७०  लोगों की टिप्पणी एवं २२७५३२ लोगों की इनके ब्लॉग पर आवा जाहि प्राप्त कर चुके भाई समीरलाल जितने धार्मिक,जितने साहित्यकार जितने हिंदी प्रेमी जितने राष्ट्रीयता भाव रखने वाले है उतने ही भाई समीरलाल बहतरीन इंसान भी हैं और वोह सभी ब्लोगर्स से सम्पर्क कर प्यार बाँटने का काम भी करते रहते हैं .,इनकी एक मात्रत्व पर रचना आज के दिन प्रासंगिक है जो इन्होने वर्स २००६ में ही लिख डाली है ......इनके अंग्रेजी ब्लॉग में भी काफी लेख लिखे गए है जनाब ऐसे भारतवासी जो विदेश में रहकर भी अपनी मिटटी की खुशबु नहीं भूले हों यहाँ के मोसम ,यहाँ के त्यौहार ,यहाँ की समस्याओं ,यहाँ के लोगों के आचार विचार पर ब्लोगिंग करते हों यहाँ की भाषा को अपनाकर दूसरों को भी अपनाने की सलाह देते हों ऐसे राष्ट्रीय ब्लोगर,हिंदी साहित्यकार भाई समीरलाल की वैचारिक उड़ान की उडनतश्तरी को सलाम .............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

में कलम से हाले दिल कहता गया ...समीरलाल उड़नतश्तरी

   ख़यालों की उढ़ान, अपने हिंदी अल्फाजों में सजाकर ,ब्लोगिंग करने वाले, एक भारतीय शख्स, जिसे हिंदी ,हिंदीवासी  और भारतीयों से प्यार है, उस आदमी का नाम ,समीरलाल है, जिन्होंने जबलपुर से कनाडा तक का सफर तय करने के बाद भी ,भारतीयता और हिंदी का दामन ,नहीं छोड़ा है और इसीलियें ऐसी राष्ट्रप्रेमी हिंदी प्रेमी शख्सियत को खुद बा खुद सलाम करने को जी चाहता है ..........जबलपुर में रहने के बाद कनाडा के टोरंटो और फिर एजेक्स ओटोरीया कनाडा में बस जाने वाले भाई समीरलाल हिन्दुस्तानी है, इनका दिल हिन्दुस्तानी है ,इनकी लेखनी, इनकी जुबान ,और साहित्य ,हिन्दुस्तानी है, इनकी भाषा, हिन्दुस्तानी है ,और इसीलियें कहते है के सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा ..कनाडा में भाई समीरलाल  एकाउंटिंग सलाहकार के कार्य से जुड़े हैं,और रोज़गार के सिलसिले में कनाडा ही बस गए हैं ,लेकिन भारत से इनका जुड़ाव आत्मिक होने से वोह भारत और भारतीयों से लगातार जुड़े रहे हैं ..............
अखिल ब्राह्मण ब्लोगर  संगठन ....उड़नतश्तरी ....लाल और बवाल जुगलबंदी ...tech notes exchange .... जेसे ब्लॉग बनाकर, उनपर नियमित अपनी लेखनी के माध्यम से दस्तक देने वाले, पहले , ऐसे ब्लोगर हैं ,जो हर भारतीय ब्लोगर के ब्लॉग पर घूमते हैं, उसे पढ़ते हैं ,और फिर अपने प्यार भरे अल्फाज़ ,टिप्पणी के रूप में परोसते हैं ....इनके ब्लॉग का सारांश इन्होने ,,जान निसार अख्तर के एक शेर में समो दिया है वोह लिखते हैं ..और क्या इससे ज्यादा कोई नरमी बरतूं ..दिल के जख्मों को छुआ है तेरे गालों की तरह ,इस शेर को अपने ब्लॉग पर सजा कर भाई समीरलाल जी ने अपने दिल की बात कह डाली  है, साथ ही भाई समीरलाल, विदेश में रहकर भी अपनी धर्म परम्पराओं को नहीं भूले हैं, उन्होंने इसी ब्लॉग पर हनुमान चालीसा.आरती संग्रह .......भी लगा रखा है ...भाई समीर लाल एक ऐसे ख्यातनाम लेखक हैं के इनकी ब्लोगिंग अधिकतम अख़बारों में छाई रहती है ,देश के हिंदी देनिक समाचार पत्रों में  इनके हिंदी ब्लोगिंग लेख व् रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं ......भाई समीरलाल साहित्य की दुनिया में पुस्तक प्रकाशन में भी नाम कमा चुके हैं ग्रीन पब्लिकेशन के माध्यम से इनकी पुस्तक बिखरे मोती .देख लूँ तो चलूं प्रकाशित हुई है जिसे देश के अधिकतम साहित्यकारों .ब्लोगरों और पत्रकारों ने सराहा है ..भाई समीर लाल केनेडा में रह कर भी, देश की हिंदी भाषा ,और पर्यावरण के प्रति चिंतित हैं वोह पर्यावरण के लियें .....धरा बचाओ पेढ़  लगाओं...... का नारा बुलंद करते हैं तो दुसरे तरफ हिंदी में लिखने की अपील इसी ब्लॉग पर करते हैं ...इनकी ब्लोगिंग मार्च २००६, में शुरू हुई लेकिन पहली रचना समीरलाल जी ने अपने ब्लॉग पर फरवरी के अंतिम सप्ताह में लिखी थी उन्होंने लिखा था ........मेरी शुरुआत एक प्रयास हिंदी में लिखने का हिंदी में ब्लोगिंग का मन करा इसलियें लिखना शुरू किया है,इनके इस लेख पर जिसमे समीरलाल जी ने गागर में सागर भर दिया था, कुल आठ टिप्पणियाँ आयीं और इनके पहले टिप्पणीकार,, भाई अनिल जी बन गए ................भाई समीर कहते हैं के खयालों की बेलगाम, उढ़ान कभी लेख, कभी विचार, कभी वार्तालाप ,और कभी कविता के माध्यम से, विचार प्रस्तुत है .........वोह लिखते हैं ..हाल में लेकर कलम में हाले दिल कहता गया .....काव्य निर्झर आप ही बहता गया ...और यह सही भी है, के भाई समीरलाल के विचारों की उड़ान उडन तश्तरी के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी तश्तरी की तरह उडी के विश्व के विचारों का एक सतरंगी इन्द्रधनुष उड़न तश्तरी ब्लॉग में बना डाला है ........इनकी दूसरी रचना पंडित काली भीषण शर्मा पर है, और पहली काव्य रचना, कभी जी भर का ख़्वाब लिए है .........भाई समीर लाल का ब्लॉग लाल और बवाल जुगलबंदी में दो साथियों की जुगलबंदी की जोड़ी से ब्लॉग बना है जिसमे एक वकील साहब और एक जनाब खुद समीर लाल ने अपनी रचनाओं को पेश कर ब्लोगर्स को लुभाया है इनकी महत्वपूर्ण प्रासंगिक रचना में मेरे पिता ने रुपया छोड़ा नहीं होता ..मेरे भाई ने मुझ से मुंह मोड़ा नहीं होता काफी चर्चित रही है अब तक कुल ६६८९० लोगों की दाद प्राप्त कर चुके भाई समीरलाल जितने धार्मिक,जितने साहित्यकार जितने हिंदी प्रेमी जितने राष्ट्रीयता भाव रखने वाले है उतने ही भाई समीरलाल बहतरीन इंसान भी हैं और वोह सभी ब्लोगर्स से सम्पर्क कर प्यार बाँटने का काम भी करते रहते हैं .,इनकी एक मात्रत्व पर रचना आज के दिन प्रासंगिक है जो इन्होने वर्स २००६ में ही लिख डाली है ......इनके अंग्रेजी ब्लॉग में भी काफी लेख लिखे गए है जनाब ऐसे भारतवासी जो विदेश में रहकर भी अपनी मिटटी की खुशबु नहीं भूले हों यहाँ के मोसम ,यहाँ के त्यौहार ,यहाँ की समस्याओं ,यहाँ के लोगों के आचार विचार पर ब्लोगिंग करते हों यहाँ की भाषा को अपनाकर दूसरों को भी अपनाने की सलाह देते हों ऐसे राष्ट्रीय ब्लोगर,हिंदी साहित्यकार भाई समीरलाल की वैचारिक उड़ान की उडनतश्तरी को सलाम .............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

माँ रोती है ..........

माँ रोती है ..........
जी हाँ 
माँ तो रोती ही है .
बच्चा जब माँ के गर्भ में होता है 
प्रसव पीड़ा से तड़प कर तब  माँ रोती है .
बच्चा जब बीमार होता है 
तब भी माँ ममता के दर्द से तडप कर रोती थी .
जी हां बच्चा जब भूखा रहता था रोती नहीं खाता था 
तब भी माँ बच्चे के भूखा होने पर रोती थी 
आज बच्चा बढा हो गया है 
बीवी के कहने में आकर 
माँ से अलग हो गया है 
माँ भूखी रहती है 
बच्चा उसे रोटी नहीं देता  
इसीलियें आज भी 
बूढी माँ बेचारी रोती है 
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

माँ तेरे रूप अनेक ............

माँ तेरे रूप अनेक ............
मेने एक माँ 
जिसका कलेजा 
उसका बेटा 
अपनी पत्नी के कहने में आकर 
निकाल कर लेजाता है और फिर 
ठोकर लग कर 
जमीन पर गिर जाता है 
तब खून से लथपथ 
माँ के कलेजे से 
ममता भरी आवाज़ आती है 
बेटा तेरे चोट तो नहीं लगी यह किस्सा भी सूना है .......
मेने एक लडका 
जो बारम्बार चोरी कर 
डकेत बन जाता है 
और पकड़े जाने पर 
जब उसे फांसी होती है 
तब वोह आखरी इच्छा पूंछे जाने पर 
माँ को पास बुलाता है 
माँ के कान में कुछ कहने के नाम पर 
गुस्से में उसका कान पूरा चबा जाता है 
और बच्चा माँ से कहता है के पहली चोरी पर 
अगर माँ मुझे रोक देती तो 
आज में फांसी पर नहीं लटकाया जाता 
मेने यह खतरनाक किस्सा भी सूना है 
हां मेने देखा है 
कई माएं 
अपना फिगर बिगड़ने के चक्कर में 
रोते बिलखते मासूम बच्चों को 
अपना दूध नहीं पिलाती है 
और पोडर का दूध पिलाकर 
बच्चों को पाल पोसकर बधा करती है 
फिर बताओं दूध का बच्चे पर कर्ज़ केसे कहलायेगा .....
मेने वोह माएं भी देखी हैं जो अपने बच्चों को 
पिता के पास अकेला लावारिस बिलखता छोड़कर 
अपने मायके चली जाती हैं ...
मेने वोह माये भी देखी है जो .
अपने बच्चों को गर्भ में ही मार डालती है 
फिर भी माँ तो माँ ही होती है .............................
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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