आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

21 मई 2011

नहीं समझ पा रहा है ......

उडती हुई 
चिड़ियों के 
कल 
जो गिन लिया करता था पंख ..
चिड़ियों की चहचहाहट से 
समझ लिया करता था जो उनकी बातें 
आज उसे देख लो 
उसके आंसू,उसके दुःख तकलीफ 
कोई भी तो 
नहीं समझ पा रहा है ............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान  

जी हाँ दर्शन बवेजा जो ब्लोगिग्न के माध्यम से देश विदेश को पर्यावरण ज्ञान दे रहे हैं आज उनका जन्म दिन है

[11.jpg]              सभी शिक्षक अपनी जिम्मेदारी को समझें विज्ञान एवँ पर्यावरण के प्रति विद्याथियों को शिक्षित करें। जिससे उनमें पर्यावरण की रक्षा करने की जागरुकता आए। यह कार्य अत्यावश्यक इसलिए है कि विद्यार्थी के कोमल मन मस्तिष्क पर बचपन में प्राप्त ज्ञान की अमिट छाप रह्ती है और वह इसे जीवन भर नहीं भूलता। इसलिए अंधविश्वाश निवारण एवं पर्यावरण संरक्षण में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है, इससे इंकार नही किया जा सकता।
जी हाँ दर्शन बवेजा जो ब्लोगिग्न के माध्यम से देश विदेश को पर्यावरण ज्ञान दे रहे हैं आज उनका जन्म दिन है उनके जन्म दिन पर उन्हें उनके सहयोगियों और परिजनों को हार्दिक बधाई .....दोस्तों कुछ लोग वोह होते हैं जो खुद के लियें जीते हैं लेकिन कुछ लोग वोह भी होते है जो दूसरों के लियें देश के लीयें प्रक्रति के लिए जीते हैं ऐसे ही एक अद्यापक भाई दर्शन बवेजा जो लोगोग्न को पर्यावरण और विज्ञान के पाठ पढ़ा रहे हैं रोज़ नई नयीं चोंकाने वाली जानकारियों से उन्हें परिचय करा रहे हैं इतना ही नहीं बवेजा भाई देश के नागरिकों को आज की सबसे खास जरूरत पर्यावरण का पथ भी पढ़ा  रहे है और वोह अपनी पहचान एक सच्चे भारतीय पर्यावरण विद की बना क हुके हैं ...............
भाई दर्शन बवेजा नुक्कड़ ..पर्थाकी ..इमली इको क्लब ....यमुना नगर हलचल ...विज्ञान गतिविधियाँ ............................ क्यों और केसे विज्ञान में ....ब्लॉग लिखते हैं जिसमे इन जनाब ने विज्ञानं ..पर्यावरण की जानकारियां सुझाव और आवश्यताएँ कूट कूट कर भरदी हैं जो ब्लोगर्स की जानकार बढ़ा  रहे हैं ऐसे ब्लोगर भाई दर्शन बवेजा को आज उनके जन्म दिन पर बधाई ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

आज यह क्या हुआ है

आज यह क्या हुआ है 
उसके यूँ ही रस्मन साथ की 
जो बात मेने कही है 
उन्हें बस फिर से यही बुरा लगा है 
इलाही अब तो तू ही बता 
क्या सच है क्या है झूंठ 
बस एक ही इल्तिजा है 
ज एतराज़ उन्हें है 
के उनका मेरे साथ कोई रस्मन 
कोई दिखावे का रिश्ता नहीं 
बस खुदाया अगर दिल में है यही उनके 
तो इस करिश्मे को तू 
पांच जुलाई से पहले सच कर दिखा ..सच कर दिखा 
अगर ऐसा हो  जाए तो मेरी 
उखड्ती साँसों को यूँ ही फिर से 
नयी जिंदगी मिल जाए 
आंसू जो मेरे है 
उन्हें फिर से कोई यूँ ही 
पोंछने वाला मिल जाए 
इलाही तू बस फिर से 
पांच जुलाई के पहले 
इस पुराने सालगिरह वाले जज्बे को 
ज़िंदा करके दिखा ..........
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

कितना अजीब साथ है

कितनी अजब बात है 
तेरा मेरा बस यूँ ही 
दिखावे का साथ है 
फिर भी बता तुझ में 
ऐसी क्या बात है 
तुझ से मिलता हूँ 
तो जीता हूँ जिंदगी में 
तेरा साथ होता है 
तो बस जिंदगी यूँ ही 
चलती रहे ,वक्त यूँ ही ठहर हाय 
ऐसा मन करता है 
तू ही बता ऐसा क्या है तुझ में 
तू साथ है तो ख़ुशी है 
तू साथ नहीं तो बस 
मन उदास है .............................
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

जिंदगी फिर क्यूँ जीने को जी चाहता है

यह जिंदगी 
जिसे में बेकार नीरस सी 
समझ कर 
यूँ ही जल्द 
खत्म कर लेना चाहता ह्जुन 
आज ना जाने क्यूँ 
तुझ से मिलने के बाद 
जिंदगी की चाहत 
फिर से करने लगा हूँ 
अब तू ही बता 
ऐसा क्या है तुझ में 
जो यूँ ही मुझे 
जिंदगी का लालच 
दिए जा रहा है .............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

मेरे पहलु में ..

यूँ आकर 
मेरे पहलु में 
वोह आकर बेठे 
जुल्फे लहरायीं  
थोड़ी कजरारी आँखे मटकायीं 
और कहा 
मेरा इन्तिज़ार करना 
में अभी आती हूँ 
बस 
यूँ ही 
सदियाँ गुज़र गयीं 
वोह नही आये 
फिर भी मुझे 
उनका इन्तिज़ार है .....................
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

यूँ ही तो लिखता हूँ में .....

यूँ ही तो लिखता हूँ में ....
शायद तुम्हें पता है 
इसीलियें 
मेरे हर लिखे खत को 
तुमने यूँ ही बिना पढ़े 
कचरा पात्र में डाला है 
शायद 
तुम्हें पता नहीं 
इन खतों में 
मेने माँ का प्यार 
बाप का आशीर्वाद 
बहना का प्यार 
और भाई का दुलार 
यूँ ही खत में लिख दिया था .
आज कचरा पात्र में पढ़े 
मेरे यह खत 
यूँ ही तो 
अपनी हर दास्ताँ 
तुमसे खे जा रहे हैं ...
शायद तुम यूँ ही समझते हो 
में तो यूँ ही लिखता हूँ मेरा क्या 
हां तुम सही तो समझते हो 
तभी तो मेरे इन खतों ने 
तुम्हें ना जगाया ना रुलाया 
ना ही इंसानियत का पाठ पढाया 
इन बेजान अल्फाजों का क्या 
इन्हें तो यूँ ही कचरे के ढेर में 
पढ़े रहने दो .....
बस एक वादा तो कर लो 
किसी और के खतों को फिर कभी 
ऐसे बेरहमी से फाड़ कर 
यूँ बिना पढ़े कूड़े में ना डालोगे ...................................
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...