आपका-अख्तर खान

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23 मई 2011

थोड़ा हंस भी लो यार ..............

एक जवान लडका 
अपने दोस्त से 
पडोस वाली बुज़ुर्ग आंटी की शिकायत करता है 
कहता है 
में इन बुज़ुर्ग आंटी से 
बहुत परेशान हूँ ..
दुसरा लडका क्यूँ भाई ....
लडका ..जब भी कहीं किसी की शादी होती है 
बुज़ुर्ग आंटी मेरे गाल पकड़ कर कहती हैं 
अब  केसे तेरी बारी है ........
दुसरा लडका एक तरकीब बताता है और 
पडोस वाली बुज़ुर्ग आंटी पहले लडके के 
गाल पकड़ कर यह सब कहना छोड़ देती हैं ...
आपको पता है क्या हुआ 
चलो में बताता हूँ ,,
अब इस लडके ने 
जब भी कोई मरता 
बुज़ुर्ग आंटी के गाल पकड़ कर 
कहना शुरू कर दिया 
आंटी अब आपकी बारी है .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हम कहते थे ना .....

हम कहते थे ना .....
किसी को 
क्यूँ चाहते हो इतना 
के उसको 
चाहते रहने की आदत हो जाए ..
हम कहते थे ना 
इतना न चाहो किसी को 
के उसको 
देखते रहना 
एक ज़रूरत हो जाये 
हम कहते हैं 
जरा हमारी भी 
बात लो 
थोड़ा जीना सिख लो 
हमारी तरह 
उनसे दूर रहकर 
कहीं तुम्हे भी 
हमारी तरह 
उनसे अलग रहकर 
जीना पढ़ जाए ...........
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जिंदगी फना हो जाती है ..............

केसे कहें 
क्या करें 
इन दिनों तो 
बस यूँ ही 
डर लगता है 
किसी को 
अपना बनाने में 
डर लगता है 
किसी से किये गए 
वायदे निभाने में 
मुझे 
यूँ बेवफा 
ना समझना ऐ दोस्त 
तुम तो जानते हो 
जिंदगी फना होजाती है 
दोस्तों से 
किये गए 
वायदे निभाने में 
इसलियें कहता हूँ 
बस और बस 
इन्तिज़ार करो ..............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अमन का पैगाम के मासूम भाई की मासूमियत भरी जिंदगी के बारे में जानिये

एस एम मासूम साहब से कुछ सवाल – जवाब


अपने बारे में कुछ बताएं, मसलन बचपन, पढाई और किशोरावस्था के बारे में?

मेरा जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर शहर मैं    1960 को एक ज़मींदार परिवार मैं हुआ था. पिताजी रेलवे मैं इंजिनियर थे और लिखने पढने मैं बहुत रूचि  रखते थे. बचपन मज़े मैं बीता, पढना लिखना और समाज सेवा करना, इसी मैं  समय गुज़र जाता था. मैं ना तो कोई साहित्यकार हूँ और ना ही बनना चाहता हूँ. बस सामाजिक सरोकारों से जुड़ कर समाज के लिए कुछ करता रहता हूँ. यही कारण है कि इस ब्लोगिंग मैं भी शोहरत के सस्ते हथकंडों से दूर रहकर ज़मीनी स्तर पे काम करने मैं अधिक रूचि रखता हूँ.

आप ने अपनी शिक्षा कहाँ से प्राप्त की?
मैंने अपना पढ़ाई  का ज़माना लखनऊ और वाराणसी मैं गुज़ारा और विज्ञान से स्नातक की डिग्री लखनऊ विश्वविद्यालय से ली. कंप्यूटर, इन्टरनेट, वेबसाइट, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर में स्वयं ज्ञान प्राप्त किया.

आपका व्यवसाय क्या है?
मैं बैंक मैं मेनेजर था, अब अवकाश ले लिया है और खुद का बिज़नस करता हूँ. पत्रकारिता से भी जुड़ा हूँ और बहुत से समाचार पत्रों के लिए काम करता हूँ.

बचपन का कोई ऐसा क़िस्सा जो आज भी आपने ज़ेहन में कौंधता रहता है?
जी हाँ एक दोस्त कि याद नहीं जाती दिल से. मैं उस समय लखनऊ के जुबली कॉलेज मैं कक्षा नौं का विद्यार्थी था और मेरा एक मित्र था पंकज रस्तोगी. हम दोनों फिल्म देखने गए रंगीला रतन. मध्यांतर मैं हम दोनों बाहर आये एक फ़कीर ने पैसा माँगा दुआ के साथ कि तुम्हारा भविष्य उज्जवल हो, पंकज ने कहा अरे जाओ भाई कल किसने देखा है. हम 3-6 शो  देख रहे थे.  शो ख़त्म होने के बाद हम अपने अपने घर आ गए.
रात मैं खबर आयी कि पंकज घर कि छत से गिर गया और अस्पताल मैं है. सुबह पंकज के घर वाले मेरे पास आये क्योंकि पंकज बेहोशी मैं मेरा नाम ले के पुकार रहा था, मैं 11 बजे उसके पास गया जैसे ही उसने मुझे देखा एक बार मुस्कराया और दम तोड़ दिया.यह बात मुझे कभी नहीं भूलती और यह भी कि फ़कीर को वापस ना लौटाओ और अगर कुछ ना दे सकों तो कम से कम कोई उलटी बात मत बोलो.

आप कई वर्षों से लिख रहे  हैं, लेखन से सम्बंधित कोई ऐसा संस्मरण जो भुलाये न भूलता हो?
जैसा मैंने पहले भी कहा कि मैं कोई साहित्यकार नहीं. अंग्रेजी ब्लोगिंग मैं 10 वर्षों से काम कर रहा हूँ वर्ष 2010 में हिंदी ब्लोगिंग मैं क़दम रखा है. अभी भी हिंदी ब्लॉगर्स की ज़हनियत को समझने की कोशिश कर रहा हूँ.

ब्लॉगर कैसे बने ? आप ब्लॉग-लेखन कब से कर रहे  हैं और क्यूँ कर कर रहे  हैं?
अंग्रेजी मैं ब्लोगिंग तो मैं पिछले 10-12 साल से कर रहा हूँ. हिंदी ब्लॉग जगत में मुझे इस्मत जैदी साहिबा 2010 में लाई और तभी से दोनों ब्लॉग जगत में काम कर रहा हूँ. मैं हमेशा ही इंसानियत और एकता के लिए काम करता हूँ. अभी मुझे अपने वतन का क़र्ज़ भी उतारना  है और अब उसी के लिए सक्रिय हूँ. जौनपुर ब्लॉगर एसोसिएशन बनाया और हिंदी  और  अंग्रेजी  मैं  www.jaunpurcity.in बनाई. ज़मीनी स्तर पे भी डॉ मनोज मिश्रा और दूसरे ब्लॉगर्स के साथ काम कर रहा हूँ.

वर्तमान हिन्दी ब्लॉग जगत में सामूहिक ब्लॉग की कितनी महत्ता है?
साझा ब्लॉग की महत्ता तो बहुत है लेकिन केवल उन्ही को जोड़ना चाहिए जो ब्लॉग मैं रूचि रखते हों और ब्लॉग को समय दे सकें.  साझा ब्लॉग हम वतनो को या एक विचार वालों को एक साथ जोड़ता है. इस से अधिक और क्या चाहिए.

किन्ही 5  ब्लॉगर्स का नाम बताईये जिनसे आप प्रभावित हुए बिना नहीं रहे ?
वैसे तो कई हैं इस ब्लॉगजगत मैं जिनसे मैं बहुत ही अधिक प्रभावित हूँ लेकिन आपने 5 नाम मांगे हैं तो मैं डॉ मनोज मिश्रा जी का नाम सबसे पहले लूँगा. एक सुलझा हुआ इंसान जिसने चुपचाप अपने वतन के लिए बहुत काम केवल अपने ब्लॉग से किये हैं. दूसरा नाम जनाब ज़ीशान ज़ैदी का है, यह भी विज्ञान के क्षेत्र में चुपचाप  अपना काम किया करते हैं और तीसरा नाम है हमारे कवि मित्र  कुंवर कुसुमेश जी का, जिनकी तारीफ शब्दों मैं बयान नहीं की जा सकती. चौथा नाम है डॉ  पवन मिश्रा जी का, गहराई में जाकर किसी भी विषय पर लिखते है और बेहतरीन लिखते हैं. पांचवां नाम है शिखा वार्ष्णेय, बेहतरीन लेखनी और उच्च विचार. यहाँ यह भी कहता चलूँ कि मेरी लिस्ट मैं 20-21 ब्लॉगर्स हैं और  2 तो ऐसे हैं जिनसे मेरे विचार भी नहीं मिलते लेकिन उनकी लेखनी कि धार का मैं कायल हूँ.

अपने व्यक्तिगत ब्लॉग में लेखन का मुख्य विषय / मुद्दा क्या है?
मेरे व्यक्तिगत ब्लॉग का मुख्य विषय सामाजिक मैं अमन और शांति है और मैं सामाजिक सरोकारों पे ही लिखता हूँ. भ्रष्ट समाज को बदलने कि कोशिश  करता हूँ बस.

आप कि नज़र मैं बड़ा ब्लॉगर कौन है?
बड़ा ब्लॉगर वही है जो शोहरत से, गन्दी राजनीती से दूर हट के समाज के लिए कुछ काम अपनी लेखनी का इस्तेमाल करते हुए  कर रहा है.

आज कल बड़े बड़े उत्सव, महोत्सव, ब्लॉगर मिलन हुआ करते हैं, इनाम बांटे जाते हैं. जहाँ इल्ज़ाम यह भी लगता है कि सब अपना-अपना देखते हैं. आप को कैसा लगता है?
हर इंसान को यह अधिकार है कि वो कहीं भी कोई भी मीटिंग करे, उत्सव या महोत्सव करे, खुद को ही इनाम दे डाले या अपने दोस्तों को ही इनाम दे. दूसरों के अधिकार छेत्र में जा के मैं कुछ कहना ठीक नहीं समझता.  ब्लॉगजगत को इससे बहुत फायदा होता नहीं दिखाई देता. हाँ कुछ ब्लॉगर्स के आपस के रिश्ते मज़बूत होते है, यह एक अच्छी बात है और आशा है इन रिश्तों का वो सही इस्तेमाल करेंगे.

धार्मिक-उपदेश और उनको अपने जीवन में उतारना, आज के युग में कहाँ तक सही है?
धार्मिक उपदेश कि महत्ता हर धर्म कि किताबों मैं है. आज हम ना तो ईमानदारी और सदाचारी होना पसंद करते हैं और ना ही धार्मिक उपदेशों को सुनना. यह कमी हमारी है ना कि किसी धर्म या धार्मिक उपदेशों की. धार्मिक उपदेश हमारे जीवन का आईना हैं, जिसे हमेशा देखते रहना चाहिए.

एक भारतीय महिला को कैसा होना चाहिए, कोई महिला ऐसी है जिसे आप आदर्श के रूप में प्रस्तुत कर सकें?
भारतीय महिला? शायद सही सवाल यह है कि एक महिला को कैसा होना चाहिए? आज  के  युग मैं जहाँ आधुनिक महिलाएँ कम वस्त्र धारण कर के गर्व महसूस करती हैं, इस विषय पे कुछ कहना ही  सही नहीं है. ब्लॉगजगत की तस्वीरों से देखा जाए तो रेखा श्रीवास्तव जी को देख कर ख़ुशी होती है. आदर्श महिलाएँ इस विश्व मैं बहुत सी गुज़री हैं, जिनमें से जनाब-ए मरियम और जनाब-ए फातिमा (स.ए) का नाम मैं अवश्य लूँगा.       
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