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31 मई 2011

भ्रष्ट हैं वोह लोग जो लोकपाल बिल से बच रहे हैं

भ्रष्ट हैं वोह लोग जो लोकपाल बिल से बच रहे हैं

जो लोग देश की जनता की खून पसीने की कमाई के टेक्स से वेतन,भत्ते,सुविधाएं,सुख,रियायतें प्राप्त करते हैं क्या उन्हें देश के प्रति जवाबदर होने के लियें लोकपाल बिल की परिधि में नहीं आना चाहिए फिर चाहे वोह प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति,सुप्रीमकोर्ट या निचली अदालत के जज क्यूँ ना हों समाजसेवक  और पत्रकार,डोक्टर,स्कुल सस्ते भूखंड लेने वाले क्यूँ ना हों ..क्या आप सहमत हैं तो बताओ क्या होना चाहिए ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

भाई कृष्ण कुमार यादव ने ब्लोगिग्न को नये आयाम दिए हैं

 
 
जी हाँ दोस्तों सरकारी जिम्मेदारियों के साथ साथ लेखनी में जोर आजमाईश करने  वाले भाई कृष्ण कुमार यादव ने ब्लोगिग्न को नये आयाम दिए हैं इनकी ब्लोगिग्न सेवा लेखन सभी के लियें सराहनीय रहा है कुछ इनकी ब्लोगिग्न और जीवन शेली के बारे में इनकी ही जुबानी सुन डालिए .....      सम्प्रति भारत सरकार में निदेशक.प्रशासन के साथ हिंदी साहित्य में भी दखलंदाजी. जवाहर नवोदय विद्यालय-आज़मगढ़ एवं तत्पश्चात इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1999 में राजनीति-शास्त्र में परास्नातक. समकालीन हिंदी साहित्य में नया ज्ञानोदय, कादम्बिनी, सरिता, नवनीत, आजकल, वर्तमान साहित्य, उत्तर प्रदेश, अकार, लोकायत, गोलकोण्डा दर्पण, उन्नयन, दैनिक जागरण, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, स्वतंत्र भारत, आज, द सण्डे इण्डियन, इण्डिया न्यूज,शुक्रवार, अक्षर पर्व, युग तेवर, मधुमती, गोलकोंडा दर्पण, इन्द्रप्रस्थ भारती, शेष, अक्सर, आधारशिला इत्यादि सहित 250 से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं व सृजनगाथा, अनुभूति, अभिव्यक्ति, साहित्यकुंज, साहित्यशिल्पी, रचनाकार, लिटरेचर इंडिया, हिंदीनेस्ट, कलायन इत्यादि वेब-पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में रचनाओं का प्रकाशन. आकाशवाणी पर कविताओं के प्रसारण के साथ तीन दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित काव्य-संकलनों में कवितायेँ प्रकाशित. एक काव्यसंकलन "अभिलाषा" सहित दो निबंध-संकलन "अभिव्यक्तियों के बहाने" तथा "अनुभूतियाँ और विमर्श" एवं संपादित कृति "क्रांति-यज्ञ" का प्रकाशन. व्यक्तित्व-कृतित्व पर "बाल साहित्य समीक्षा(कानपुर)" व "गुफ्तगू(इलाहाबाद)" पत्रिकाओं द्वारा विशेषांक जारी.शोधार्थियों हेतु व्यक्तित्व-कृतित्व पर इलाहाबाद से "बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव" (सं0- दुर्गाचरण मिश्र) प्रकाशित.       की गयी हैं   कृष्ण   कुमार यादव के ब्लॉग माँ ....युवामन .....शब्द्वार....शब्द्वार.......हिंदी साहित्य मंच ..उत्सव के रंग ... ...........डाकिया डाक लाया ... शब्द सर्जन की और ..........         हिंदी साहित्य मंच .....सप्तरंगी प्रेम ...............................  आजमगढ़ ब्लोगर एसोसिएशन ....बाल दुनिया प्रमुख सांझा और निजी ब्लॉग हैं जिनपर कृष्ण कुमार जी कभी रासलीला करते हैं तो कभी दुनियादारी सिखाते हैं कभी हंसाते हैं तो कभी रुलाते हैं तो कभी गम्भीर हो जाते हैं इनकी लेखनी हर रंग में रंगी होने से इन्हें अगर इन्द्रधनुषीय लेखक कह दिया जाए तो झूंठ नहीं होगा ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान                                                                                                       माँ

लोकतंत्र में लोकपाल बिल का तमाशा ...........

दोस्तों यह मेरा हिन्दुस्तान ..मेरा भारत महान हैं ..यहाँ भारत में रहना होगा तो वन्देमातरम कहना होगा के विवाद पर सेकड़ों जाने चली जाती हैं यहाँ अरबों खरबों के भ्रष्टाचार होते हैं ..यहाँ एक ऐ एस आई के पुत्र जो अब मंत्री हैं उनकी बेठने की कुर्सी की कीमत दो करोड़ रूपये होती हैं ..प्रधानमन्त्री सांसदों को खरीद कर  अपनी कुर्सी बचाते हैं .. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से लेकर निचली कोर्टों में क्या हो रहा है देश जानता है कोनसा ऐसा महकमा है जहां देश गर्व से कह सकता हो के यहाँ हम भ्रस्ताचार मुक्त हैं कुल मिलकर प्रधानमन्त्री हो ,मंत्री हो .अदालतें हों जो भी हों सभी जगह भ्रस्ताचार आम बात है इसके स्पष्ट प्रमाण भी मिल चुके हैं ......एक ऐसा देश जहाना भ्रस्ताचार कोड़ में खाज बनकर दीमक की तरह से देश और जनता को खा रहा है इस देश में जहाँ जनता का जनता के लियें जनता द्वारा शासन हो वहां भ्रष्ट लोगों को अंकुश लगाने के लियें हमे हमारे देशवासियों को सालों महीनों कानून बनाने में लग रहे हैं .........एक अन्ना भूख हडताल करते हैं कमेटी बनती है और फिर हाँ ..ना का खेल चलता है अन्ना से बाबा रामदेव को दूर कर भ्रस्ताचार के खिलाफ लड़ाई की ताकत को कम करने का प्रयास होता हैं प्रधानमत्री जो और जज साहब के लियें कहा जाता है यह दायरे से बाहर होंगे ..भाई दायरे से बहर क्यूँ होंगे क्यूँ इन लोगों को देश के कानून से अलग रख कर निरंकुश बनाया जाए क्यूँ इनके खिलाफ कार्यवाही नहीं की जाए आखिर क्यूँ इस देश में यह सब हो रहा है .......
मेरे देशवासियों क्या आप जानते हैं के देश में जो कोई भी देश की जनता का पैसा वेतन के रूप में लेता हो ,सरकार की सुविधा भोगता हो ,सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त करता हो ,,रियायती दर पर भूखंड या फिर कोई और सुविधाएँ लेता हो वोह जनता का नोकर होता है और जनता के प्रति उसका दायित्व होता है फिर अगर वोह भ्रष्टाचार फेलाए तो क्या उसे इसकी छुट दी जा सकती है ..आप बताये एक प्रधानमन्त्री देश की जनता के रुपयों से सुख सुविधाएँ भोगे , वेतन प्राप्त करे , एक संसद एक अधिकारी एक कर्मचारी एक रियायती दर पर भूखंड प्राप्त करने वाला समाजसेवक ,सरकार से मदद लेने वाला समाज सेवक अगर यह कहे के में यह करूं वोह करूं मेरी मर्ज़ी तो क्या मजाक नहीं लगता एक लोकपाल बिल के लियें इतने दिन मशक्क़त की क्या ज़रूरत है अरे भाई ...................जो भी सरकार से सुख सुविधा ,वेतन,रियायतें और अन्य सुविधाएं प्राप्त कर रहा है उसे तो जनता के साथ विश्वासघात करने पर भ्रस्ताचार करने पर इस दायरे में आना ही होगा  खाए भी हमारा और गुर्राए भी हम पर ऐसे प्रधानमन्त्री ऐसे सांसद ऐसे अधिकारी ऐसे समाज सेवक हमे नहीं चाहिए सब जानते हैं देश और देश के कानून से बढ़ा कोई भी नहीं है फिर क्यूँ प्रधानमन्त्री जी और जज लोग सभी खुद आगे आकर लोकपाल बिल के दायरे में खुद को लेने की पेशकश नहीं करते हैं आगे रहकर इस बिल में खुद बेईमान साबित होने पर दंड के प्रावधान क्यूँ नहीं चुनते हैं बात साफ़ है इन लोगों के दिल में चोर है और यह चाहते हैं के हम बेईमानी भी करे और दंड से भी बचे रहे तो भाई इस लोकपाल बिल की जरूरत क्या है ...हाँ अगर देश का हर व्यक्ति जो जनता के खजाने यानि सरकार से वेतन,सुख सुविधाए,रियायतें प्राप्त कर रहा है उसे तो इस दायरे में रहना ही चाहिए फिर वोह चाहे प्रधानमन्त्री जी हो चाहे जज साहब चाहे एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हो चाहे एक रियायती दर पर भूखंड लेकर समाज सेवा करने वाला कोई व्यक्ति हो चाहे फिर राष्ट्रपति हो सभी को इस दायरे में लेना होगा तब देश में मामूली सा बदलाव भ्रस्ताचार से बचाव हो सकेगा वरना अन्ना हो चाहे रामदेव हो सब अपनी अपनी गोटियाँ सकेंगे और मज़े करेंगे केवल एक घंटे में बनाया जाने वाला लोक बिल इतने सालों में भी नहीं बन सका यह राष्ट्रीय शर्म की बात है इस मामले में राष्ट्रीयता की बात करने वाले स्व्यम्न्भू राष्ट्रभक्त आन्दोलन कर इसे क्यूँ नहीं मनवाते सोचने की बात है ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हिस्सा बनो कारण नहीं .....

किसी भी 
इंसान की 
ख़ुशी के साथी बनो 
ख़ुशी की वजह बनो ..
ख़ुशी का हिस्सा नहीं .
किसी भी इंसान के 
दुःख में साथी बनो 
दुःख का कारण नहीं 
बस समझ लो 
तुम्हें जीना आ गया .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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