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03 जून 2011

बाबा रामदेव तो चमत्कारिक राष्ट्रीय पुरुष निकले .....

बाबा रामदेव तो चमत्कारिक राष्ट्रीय पुरुष निकले .....जी हाँ सएह सच है एक केसरिया धोती में लम्बी दाड़ी मूंछों वाला एक योग पुरुष जिसे लो महंगे दामो में दवा बेचकर ठगने वाला कहते रहे हैं लेकिन उसने तो आज विश्व को बता दिया के वोह तो एक चमत्कारिक पुरुष राष्ट्रिय पुरुष है और आज सभी षड्यंत्रों के बाद भी विश्व का सबसे बढ़ा सत्याग्रह देश में दिल्ली की रामलीला मैदान में राष्ट्रहित में शुरू किया गया है ..चारों तरफ बाबा जिंदाबाद के नारे हैं बाबा का जादू  करोड़ों करोड़ हिन्दुस्तानियों के मन और मस्तिष्क में छा गया है और बाबा की इस लोकप्रियता को देख कर सभी राजनीतिक दलों सभी नेताओं की बोलती बंद हैं उन्हें सांप सूंघ गया है .
दोस्तों में खुद बाबा को दवा बेचने का व्यापारी समझ कर उनसे नाराज़ रहता था  लेकिन देश हित में बाबा ने आज जो कर दिखाया है वोह तो कोई चमत्कारिक पुरुष और कोई जादूगर ही कर सकता है मेरी तरफ से भी बाबा को प्रणाम ...मेने आज से २५ वर्ष पहले जब वकालत शुरू की तो एंटी करप्शन एक्ट यानि भ्रष्ट लोगों को पकड़ने का कानून पढ़ा उसमे एक एफ आई आर लिखवाने के लियें आम आदमी को अधिकार नहीं दिया गया है ..इस कानून में केवल ढाई पेज नोकरशाहों ने तय्यार किये ..और खुद को बचाने के लियें अपराध में पहले सरकारी स्वीक्रति की बाध्यता ..एफ आई आर की जटिलता ..जांच एजेसियों पर सरकारी अंकुश और फिर सेशन जज स्तर के अधिकारी सुनवाई लेकिन मामला थाने पर ही जमानत लिए जाने का अपराध मेरा दिमाग खराब हो गया के एक ऐसा बचकाना केवल रस्म अदायगी वाला कानून जहाँ देश भ्रस्ताचार से त्रस्त हो वहा इस तरह की व्यवस्था भ्र्स्ताचारियों को प्रोत्साहन ....तब से में खुद भी इस लड़ाई को अपने स्तर पर लड़ता रहा हूँ ..फिर दुसरा कानून भारतीय शपथ अधिनियम जिसमे देश में कोई भी कर्मचारी, अधिकारी,चिकित्सक ,सांसद,विधायक ,नेता,पालिका अध्यक्ष,पंच सरपंच , मंत्री ,प्रधानमन्त्री ,जज जो कोई भी हो शपथ लेते हैं संविधान और भारतीय कानून की मर्यादाओं की बात करते हैं फिर शपथ तोड़ते हैं भ्रस्ताचार फेलाते हैं ..बेईमानी करते हैं जनता को लुटते हिं साम्प्रदायी दंगे भड़काते हैं आतंकवाद फेलाते हैं और फिर भी पदों पर बने रहते हैं ऐसी शपथ का क्या ..जिस शपथ के उलंग्घन पर दंड और कठोर दंड के प्रावधान ना हो ....हमारे देश में प्रधानमन्त्री चोर रहे हैं ,जज चोर हैं मुख्यमंत्री और मंत्री चोर हैं सामोर्दायिक हैं इसका उदाहरन नार्सिम्मारव से लेकर महराष्ट्र और दुसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के उदाहरन है ..जजों का उदाहरन सब जानते हैं ..बाबरी मस्जिद में कल्याण मुख्यमंत्री जी ने किया किया सब ने देखा है ....८४ के दंगों में और गुजरात के दंगों में मंत्रियों और मुख्यमंत्री ने किया किया सबने देखा है फिर आज जब बाबा अकेला बाबा रष्ट्रीय हित के मुद्दों को लेकर बिना किसी लोभ लालच के जनता को साथ लेकर सरकार के खिलाफ खड़े हैं सरकार से वोह सभी जायज़ मांगे जायज़ तरीके से कर रहे हैं जो सरकार को खुद पक्ष विपक्ष के नेताओं को खुद राष्ट्रहित में बहुत पहले कर लेना चाहिए था ..आज बाबा ने जो किया सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चल कर खुद को तकलीफ देकर राष्ट्र के हित में अपनी बात मनवाने का हो योग हठ है  उसने बाबा को अंतर्राष्ट्रीय हीरो बना दिया है ..बाबा ने एक काम और किया खुद आगे रहकर आरोपों से बचने के लियें राजनीति पद नहीं लेने और चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा आकर डाली इसलियें बाबा रामदेव की जय हो ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मैंने आहुति बन कर देखा,यह प्रेम यज्ञ कि ज्वाला है....!!!सुषमा

मै भी दरिया हूँ सागर मेरी मंजिल है, मै भी सागर मेँ मिल जाऊँगी, मेरा क्या रह जायेगा... कल बिखर जाऊँगी हर पल मेँ शबनम की तरह, किरने चुन लेगी मुझे.... जग मुझे खोजता रह जायेगा.....!!! सुषमा कुछ खुद के बारे में अपना इसी तरह से परिचय देती  है ............  कानपुर उत्तरप्रदेश की सुषमा अपने निजी घरु कामकाज के साथ अपना वक्त अल्फाजों को खुबसूरत मोतियों में पिरो कर कभी कविता तो कभी गज़ल तो कभी आधुनिक कविता कुश्बू बिखेर रही है . चार मार्च २०११ को बहन सुषमा ने जब अपनी पहली रचना हिंदी ब्लॉग आहुति पर लिखी तो उन अल्फाजों में एक ऐसी हकीक़त थी के हर अल्फाज़ दिल के गहराइयों में खुद को डुबो देने के लियें काफी था उसके बाद तो बहन सुषमा ने कभी होली, कभी बरसात,कभी बेगाना पं , अभी अकेलापन , कभी रिश्ते मिलना बिछुड़ना पर जो अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त की है उन रचनाओं ने तो सुषमा जी को ब्लोगिग्न की बहतरीन रचनाकारों और साहित्यकारों में ला खड़ा किया वोह आज भी लिख रही है जुनू में लेकिन उनके अल्फाजों की नफासत दिल को आत्मा को छू रहे हैं और इसीलियें लोगों का दिल उनकी रचनाओं को पढ़ते रहने के लियें ही सोचता रहता है ..............  

शब्दों में पिरो दिया मैंने....!!!

अपने हर एहसास,हर जज्बात
हर चाहत को
शब्दों  में पिरो दिया मैंने....
नहीं मिला जब कोई हाल-ए-दिल सुनाने के लिए
तो दिल का हाल सारा,
शब्दों में लिख दिया मैंने....! 
ना जाने कब मेरे ख्वाबो को,
मेरे एहसासों को शब्द  मिलते गए
उन शब्दों में शब्द जुड़ते गए 
और एक कविता बन गयी
पता ही नहीं चला कब
शब्दों  को अपना हमसफ़र
अपना साथी बना लिया मैंने.....!!
भीड़ में कही मैं खुद में खो गयी थी
तन्हाई ने मुझको कही खुद में समेट लिया था
मेरी बेजुबान तन्हाई को शब्दों ने खोज लिया 
अपनी उदासी अपनी सिमटी हुई दुनिया को
एक नया संसार दिया मैंने....!!!
अपने हर ख्याल,अपने हर जज्बात को
अपने हर सवाल को शब्दों  में उतार दिया मैंने.......!!!! बहन सुषमा की यूँ तो हर रचना में एक जिंदगी एक अहसास एक विचार एक फलसफा है लेकिन उनकी एक रचना उनकी बगेर इजाजत आपके सामने पेश कर रहा हूँ ऐसी नवोदित हर दिल अज़ीज़ सधी हुई रचनाकार बहन सुषमा को मेरा सलाम ............ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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