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09 जून 2011

दिग्विजय सिंह ने मुखर्जी पर बोला हमला


दिग्विजय सिंह ने मुखर्जी पर बोला हमला


digvijay
नई दिल्ली। योग गुरू बाबा रामदेव की अगवानी करने के लिए चार मंत्रियों का दिल्ली एयरपोर्ट पर जाना कांग्रेस को रास नहीं आया है। अभी तक बाबा रामदेव, संघ व भाजपा पर हमला बोलने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी पर हमला बोला है। दिग्विजय सिंह ने बाबा से बातचीत के लिए चार मंत्रियों के एयरपोर्ट जाने पर आपत्ति जताई है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि प्रणव मुखर्जी ने तो बाबा रामदेव को लेकर अपना पूरा भविष्य ही दांव पर लगा दिया। दिग्विजय सिंह ने एक चैनल को दिए साक्षात्कार में दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब बाबा पैदा नहीं हुए थे तब प्रणव मुखर्जी मंत्री थे। प्रणव मुखर्जी वरिष्ठ मंत्री हैं। उन्हें एयरपोर्ट जाकर पार्टी की ओर से स्पष्टीकरण देने की क्या जरूरत थी।
उन्होंने कहा कि वह प्रणव मुखर्जी के इस कदम से खुश नहीं है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि वह बाबा रामदेव के बारे में उन लोगों से ज्यादा जानते हैं जो उनसे बातचीत करने गए थे। गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी बाबा से बातचीत के लिए मंत्रियों के एयरपोर्ट जाने पर आपत्ति जता चुकी है। सोनिया गांधी ने इसे गैरजरूरी बताया था।

पुलिस का ऐसा जुल्म पहले कभी नहीं देखा

पुलिस का ऐसा जुल्म पहले कभी नहीं देखा

 
Source: भास्कर न्यूज   |   Last Updated 07:59(07/06/11)
 
 
 
 
कोटा। दिल्ली के रामलीला मैदान में योग गुरु बाबा रामदेव के सत्याग्रह में शामिल कोटा के युवकों का कहना है कि ऐसा पुलिस अत्याचार व जुल्म पहले कभी नहीं देखा। लोगों को अंग्रेजी सरकार की पुलिस का दमन चक्र याद आ गया।

रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के अनशन में शामिल होकर कोटा पहुंचे कुन्हाड़ी निवासी राजेन्द्र सुमन ने मीडिया को बताया कि वे तीन जनों, खातौली के अंजनी सुमन, छावनी के हेमंत बैरागी, बूंदी के कन्हैयालाल राठौड़ के साथ बाबा रामदेव के सत्याग्रह कार्यक्रम में शामिल होने दिल्ली गए थे। उनकी ड्यूटी बाबा रामदेव के सुरक्षा घेरे में थी।

सुमन ने बताया कि चार जून की रात लगभग 12.30 बजे बाबा रामदेव मंच पर सो रहे थे। उसी समय 100-150 सादा वस्त्रों में पुलिसकर्मी पंडाल में घुसे, वे सभी मंच की तरफ आने लगे। उन्हें रोका तो वे नहीं रुके, ऐसे में बाबा की सुरक्षा घेरे से जुड़े लोगों ने शोर मचाना शुरू किया, कुछ लोगों ने मंच पर बाबा को सूचना दी, कुछ ही समय में पंडाल में पुलिस ही पुलिस हो गई।

पुलिसकर्मियों ने बाबा तक पहुंचने का प्रयास किया लेकिन, बाबा अपने समर्थकों की भीड़ में आ चुके थे। इस बीच ही पुलिस ने वहां से लोगों को खदेड़ना शुरू कर दिया। ऐसे में कई लोग पंडाल में गिर गए और उन पर से लोग गुजरने लगे। पुलिस की इस कार्रवाई में कई महिला-पुरुष चोटिल हुए।

कपड़े, बैग व पर्स छूटे
रामलीला मैदान में पुलिस कार्रवाई के दौरान पंडाल में भगदड़ मचने से सत्याग्रह कार्यक्रम में शामिल सैकड़ों कार्यकर्ताओं के बैग, कपड़े व मोबाइल व पर्स छूट गए। इनमें कोटा के लोगों के बैग भी शामिल हैं। भारत स्वाभिमान एवं पतंजलि योग पीठ लाडपुरा तहसील के महेश मेघवाल ने बताया कि वे भी सत्याग्रह कार्यक्रम में शामिल होने दिल्ली गए थे। वहां पुलिस कार्रवाई के दौरान दसलाना के दयाराम गुर्जर का पर्स गुम हो गया। पर्स में 1500 रुपये व दस्तावेज थे। पुलिस कार्रवाई में मेघवाल के घुटने में चोट लगी है तथा उनका मोबाइल भी टूट गया है
 
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कोटा। दिल्ली के रामलीला मैदान में योग गुरु बाबा रामदेव के सत्याग्रह में शामिल कोटा के युवकों का कहना है कि ऐसा पुलिस अत्याचार व जुल्म पहले कभी नहीं देखा। लोगों को अंग्रेजी सरकार की पुलिस का दमन चक्र याद आ गया।

रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के अनशन में शामिल होकर कोटा पहुंचे कुन्हाड़ी निवासी राजेन्द्र सुमन ने मीडिया को बताया कि वे तीन जनों, खातौली के अंजनी सुमन, छावनी के हेमंत बैरागी, बूंदी के कन्हैयालाल राठौड़ के साथ बाबा रामदेव के सत्याग्रह कार्यक्रम में शामिल होने दिल्ली गए थे। उनकी ड्यूटी बाबा रामदेव के सुरक्षा घेरे में थी।

सुमन ने बताया कि चार जून की रात लगभग 12.30 बजे बाबा रामदेव मंच पर सो रहे थे। उसी समय 100-150 सादा वस्त्रों में पुलिसकर्मी पंडाल में घुसे, वे सभी मंच की तरफ आने लगे। उन्हें रोका तो वे नहीं रुके, ऐसे में बाबा की सुरक्षा घेरे से जुड़े लोगों ने शोर मचाना शुरू किया, कुछ लोगों ने मंच पर बाबा को सूचना दी, कुछ ही समय में पंडाल में पुलिस ही पुलिस हो गई।

पुलिसकर्मियों ने बाबा तक पहुंचने का प्रयास किया लेकिन, बाबा अपने समर्थकों की भीड़ में आ चुके थे। इस बीच ही पुलिस ने वहां से लोगों को खदेड़ना शुरू कर दिया। ऐसे में कई लोग पंडाल में गिर गए और उन पर से लोग गुजरने लगे। पुलिस की इस कार्रवाई में कई महिला-पुरुष चोटिल हुए।

कपड़े, बैग व पर्स छूटे
रामलीला मैदान में पुलिस कार्रवाई के दौरान पंडाल में भगदड़ मचने से सत्याग्रह कार्यक्रम में शामिल सैकड़ों कार्यकर्ताओं के बैग, कपड़े व मोबाइल व पर्स छूट गए। इनमें कोटा के लोगों के बैग भी शामिल हैं। भारत स्वाभिमान एवं पतंजलि योग पीठ लाडपुरा तहसील के महेश मेघवाल ने बताया कि वे भी सत्याग्रह कार्यक्रम में शामिल होने दिल्ली गए थे। वहां पुलिस कार्रवाई के दौरान दसलाना के दयाराम गुर्जर का पर्स गुम हो गया। पर्स में 1500 रुपये व दस्तावेज थे। पुलिस कार्रवाई में मेघवाल के घुटने में चोट लगी है तथा उनका मोबाइल भी टूट गया है

बच्चों से जबरन मंगवा रहे थे भीख

बच्चों से जबरन मंगवा रहे थे भीख

 

 
 
 
 
 
कोटा. बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाले गिरोह के चार सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उनके पास 22 बच्चे मिले हैं जिनमें कुछ गिरोह के सदस्यों के हैं और कुछ अनाथ। गिरोह के सदस्य सुल्तानपुर, यूपी के रहने वाले हैं और भिक्षा वृत्ति के लिए कोटा आए हैं।

पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि इनमें कोई अपहरण किया हुआ बच्चा तो नहीं अथवा गिरोह उनसे चोरी तो नहीं करवाता। सिर पर हरी टोपी और गले में माला, दो मासूम कड़ाके की धूप में छावनी व गुमानपुरा इलाके में भीख मांग रहे थे। उनको भीख मांगने के लिए अच्छी तरह से ट्रेंड किया हुआ है। जब लोगों ने उन्हें देखा तो पूछताछ की। उनकी सूचना पर प्रशिक्षु आईपीएस पंकज चौधरी वहां आए।

बच्चों ने पहले तो अपना सही नाम नहीं बताया लेकिन बाद में चॉकलेट खिलाने पर उन्होंने सारी कहानी बयां कर दी। चौधरी ने डकनिया स्टेशन के पास दबिश दी और सुल्तानपुर के नत्थू योगी, कालू, चांद मोहम्मद व ददई को पकड़ा। वहां 22 बच्चे व 8-10 महिलाएं भी मिलीं। दूधमुहें बच्चों को महिलाओं के पास छोड़ा। शेष 5 बच्चों को उद्योग नगर थाने भेज दिया। देर रात पुलिस ने उन 5 बच्चों को भी परिजनों को सौंप दिया। इन बच्चों का रिकॉर्ड जुटाया जाएगा।

पैसों के लिए पीटते थे आरोपी: बच्चों ने पुलिस को बताया कि आरोपी उन्हें जबरन भीख मंगवाते थे, वे प्रतिदिन 200 से 300 रुपए उन्हें जब कम रुपए देते थे।

पढ़ने की इच्छा है: एक बच्चे ने बताया कि उसकी पढ़ने की इच्छा है वो पहले भी स्कूल जाता था। अब फिर से पढ़ना चाहता है।

बच्चे कहां से आए पड़ताल होगी: ये गिरोह इतने सारे बच्चे कहां से लाया। इसकी भी जानकारी जुटाई जाएगी। इसके लिए अजमेर व सुल्तानपुर से सूचना मांगी जाएगी। यह भी शक जताया जा रहा है कि यह बच्चों से चोरी की वारदातें भी कराते हैं। पुलिस को भनक लगते ही ये जगह छोड़ देते हैं। अब ये सवाईमाधोपुर की ओर जाते। - पंकज चौधरी, आईपीएस

भंवरकुंज में बनेगी सुरक्षा रैलिंग


भंवरकुंज में बनेगी सुरक्षा रैलिंग

 

 
 
 
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कोटा. भंवरकुंज में अब बारिश का आनंद सुरक्षा रैलिंग के भीतर होगा। यहां फिर से ‘22 जुलाई 2009’ का दर्दनाक मंजर फिर नहीं दोहराया जाए इसके लिए ‘भास्कर’ की पहल पर वहां सुरक्षा रैलिंग लगाई जाएगी। यहां नाले के 60 फीट चौड़े पाट में एक से सवा मीटर की दूरी पर लोहे की मोटे खंभे लगाए जाएंगे, जो जमीन के अंदर चट्टानों को काटकर एक से दो फीट गहराई तक फिक्स किए जाएंगे।

खंभों के बीच में लोहे की जाली भी लगाई जाएगी, ताकि यदि कोई बहता है तो इस जाली व खंभों से बचाव कर सके। फिर से बारिश के मौसम में खतरे की आहट को भांपते हुए प्रशासन ने इसका जिम्मा यूआईटी को सौंपा है। यह काम डेढ़ माह में पूरा होगा, जिस पर सात लाख रुपए का खर्चा आएगा।

रियासतकाल में शिकार खेलने आते थे शासक: रावतभाटा रोड पर शहर से पांच किलोमीटर दूर भंवरकुंज का स्थान है। रियासत काल में इसे भंवर कराई के नाम से जाना जाता था, जहां शिकारगाह बनी हुई थी। रियासत काल में कोटा के शासक यहां शिकार खेलने जाते थे। यहां बरसात के समय पानी आने पर मनमोहक प्राकृतिक नजारा देखने को मिलता है। चट्टानों से पानी बहता हुआ चंबल में गिरता है जो जलप्रपात की तरह होता है। बरसात के समय यहां पानी का तेज बहाव होता है।

भास्कर की खबर पर तैयार हुआ प्रस्ताव: दो साल पहले चार इंजीनियरिंग के छात्रों के पानी के बहाव में बह जाने के बाद ‘ पर तत्कालीन कार्यवाहक कलेक्टर डीआर मीणा ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से सुरक्षा दीवार का प्रस्ताव तैयार कराया था। भंवरकुंज में 60 फीट चौड़े पाट वाले इस नाले को सुरक्षा चैनल लगाकर सुरक्षित करने के लिए इंजीनियर्स की मदद से एक डिजाइन तैयार करके प्रकाशित की थी। भंवरकुंज के लिए प्रस्तावित इस सुरक्षा दीवार का निर्माण अब यूआईटी द्वारा किया जाएगा।

अटका रहा 2 साल कार्य: बरसात आने वाली है, इसमें भंवरकुंज में कोई हादसा न होने को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर जी.एल.गुप्ता ने पिछले दिनों बचाव कार्यो की समीक्षा की। इसमें भंवरकुंज में सुरक्षा दीवार का मामला सामने आया। निर्माण विभाग के अभियंताओं ने बताया कि प्लान बना हुआ है। बजट नहीं होने से इसे लागू नहीं किया गया। तब दो साल से अटके इस कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी यूआईटी को दी गई और तैयार प्लान यूआईटी को सौंप दिया। यूआईटी ने अब इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी।

अच्छी पहल है सुरक्षा रैलिंग लगाना: जुलाई-2009 में मेरे कार्यवाहक कलेक्टर रहते हुए घटना के समय भास्कर की पहल पर सुरक्षा रैलिंग लगाने का प्रस्ताव तैयार किया था। किन्हीं कारणों से यह पूरा नहीं हो पाया। अब सुरक्षा रैलिंग लगाने का कार्य हो रहा है। यह खुशी की बात है। - डीआर मीणा, अतिरिक्त संभागीय आयुक्त

पीडब्ल्यूडी से लिया प्रस्ताव: भंवरकुंज में सुरक्षा रैलिंग लगाने का प्रस्ताव पीडब्ल्यूडी से लिया गया है। यूआईटी इसे तैयार कर पीडब्ल्यूडी को संभला देगी। बाद में इसकी देखभाल संबंधित विभाग ही करेगा। इस पर लगभग 7 लाख रुपए का खर्च आएगा। - आरडी मीणा, यूआईटी सचिव
 

 
 
 
 
कोटा. भंवरकुंज में अब बारिश का आनंद सुरक्षा रैलिंग के भीतर होगा। यहां फिर से ‘22 जुलाई 2009’ का दर्दनाक मंजर फिर नहीं दोहराया जाए इसके लिए ‘भास्कर’ की पहल पर वहां सुरक्षा रैलिंग लगाई जाएगी। यहां नाले के 60 फीट चौड़े पाट में एक से सवा मीटर की दूरी पर लोहे की मोटे खंभे लगाए जाएंगे, जो जमीन के अंदर चट्टानों को काटकर एक से दो फीट गहराई तक फिक्स किए जाएंगे।

खंभों के बीच में लोहे की जाली भी लगाई जाएगी, ताकि यदि कोई बहता है तो इस जाली व खंभों से बचाव कर सके। फिर से बारिश के मौसम में खतरे की आहट को भांपते हुए प्रशासन ने इसका जिम्मा यूआईटी को सौंपा है। यह काम डेढ़ माह में पूरा होगा, जिस पर सात लाख रुपए का खर्चा आएगा।

रियासतकाल में शिकार खेलने आते थे शासक: रावतभाटा रोड पर शहर से पांच किलोमीटर दूर भंवरकुंज का स्थान है। रियासत काल में इसे भंवर कराई के नाम से जाना जाता था, जहां शिकारगाह बनी हुई थी। रियासत काल में कोटा के शासक यहां शिकार खेलने जाते थे। यहां बरसात के समय पानी आने पर मनमोहक प्राकृतिक नजारा देखने को मिलता है। चट्टानों से पानी बहता हुआ चंबल में गिरता है जो जलप्रपात की तरह होता है। बरसात के समय यहां पानी का तेज बहाव होता है।

भास्कर की खबर पर तैयार हुआ प्रस्ताव: दो साल पहले चार इंजीनियरिंग के छात्रों के पानी के बहाव में बह जाने के बाद ‘भास्कर’ की पहल पर तत्कालीन कार्यवाहक कलेक्टर डीआर मीणा ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से सुरक्षा दीवार का प्रस्ताव तैयार कराया था। भंवरकुंज में 60 फीट चौड़े पाट वाले इस नाले को सुरक्षा चैनल लगाकर सुरक्षित करने के लिए 23 जुलाई 2009 के अंक में ‘भास्कर’ ने इंजीनियर्स की मदद से एक डिजाइन तैयार करके प्रकाशित की थी। भंवरकुंज के लिए प्रस्तावित इस सुरक्षा दीवार का निर्माण अब यूआईटी द्वारा किया जाएगा।

अटका रहा 2 साल कार्य: बरसात आने वाली है, इसमें भंवरकुंज में कोई हादसा न होने को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर जी.एल.गुप्ता ने पिछले दिनों बचाव कार्यो की समीक्षा की। इसमें भंवरकुंज में सुरक्षा दीवार का मामला सामने आया। निर्माण विभाग के अभियंताओं ने बताया कि प्लान बना हुआ है। बजट नहीं होने से इसे लागू नहीं किया गया। तब दो साल से अटके इस कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी यूआईटी को दी गई और तैयार प्लान यूआईटी को सौंप दिया। यूआईटी ने अब इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी।

अच्छी पहल है सुरक्षा रैलिंग लगाना: जुलाई-2009 में मेरे कार्यवाहक कलेक्टर रहते हुए घटना के समय भास्कर की पहल पर सुरक्षा रैलिंग लगाने का प्रस्ताव तैयार किया था। किन्हीं कारणों से यह पूरा नहीं हो पाया। अब सुरक्षा रैलिंग लगाने का कार्य हो रहा है। यह खुशी की बात है। - डीआर मीणा, अतिरिक्त संभागीय आयुक्त

पीडब्ल्यूडी से लिया प्रस्ताव: भंवरकुंज में सुरक्षा रैलिंग लगाने का प्रस्ताव पीडब्ल्यूडी से लिया गया है। यूआईटी इसे तैयार कर पीडब्ल्यूडी को संभला देगी। बाद में इसकी देखभाल संबंधित विभाग ही करेगा। इस पर लगभग 7 लाख रुपए का खर्च आएगा। - आरडी मीणा, यूआईटी सचिव

राजस्थान कोंग्रेस में जातवाद की जीत..........

राजस्थान कोंग्रेस में जातवाद की जीत हुई है और इसी के साथ ही राजस्थान में कोंग्रेस ने डोक्टर चन्द्रभान को प्रदेश कोंग्रेस अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किया है .कोंग्रेस में कई दिनों से डोक्टर सी पी जोशी के मंत्री बनने के बाद प्रदेश कोंग्रेस अध्यक्ष पद पर किसी ब्रह्मण नेता को कोंग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाने के प्रयास तेज़ हो गये थे फिर महिला को कोंग्रेस अध्यक्ष बनाने की बात की गयी ...सुनते है के कोंग्रेस हाई कमान पर जाट समाज का दबाव था लेकिन कोंग्रेस का कहना था के जाट समाज के कई प्रतिनिधि कोंग्रेस के अग्रिम संगठनों में प्रमुख है और इस तरह से जब कांग्रेस हाई कमान ने जाट समाज की मांग सिरे से ख़ारिज कर दी तो जाट समाज ने हाईकमान पर दबाव बनाया और अब नतीजा डोक्टर चन्त्र्भन कोंग्रेस के अध्यक्ष सामने है कोंग्रेस इसके पहले का चुनाव भी जाट नेता के नेत्रत्व में लढ कर हारी थी और अब अगला चुनाव भी जाट नेता की सरपरस्ती में लडा जाने वाला है ...खेर कोंग्रेस के अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद अब जिला कोंग्रेस अध्यक्ष और सरकार के प्रसाद पर्यंत पदों पर नियुक्तियों के लियें दोड़ शुरू हो गयी है देखते है किसे क्या मिलता है ..अख्तर खान अकेला कोटा  राजस्थान

दो गज जमीन भी नसीबी न हुई कुचे यार में ................

  दो गज जमीन भी नसीबी न हुई कुचे यार में ................दोस्तों आज़ादी के आन्दोलन के पहले जनक और मुग़ल सल्तनत के आखरी बादशाह बहादुर शाह जफर ने रंगून में केद कर देने के बाद देश भक्ति के रूप में देश में आखरी लम्हें नहीं गुज़र पाने के गम में यह लेने लिखी थीं हमारे देश के सुप्रसिद्ध एफ एम हुसेन साहब भी आखरी वक्त में जब लन्दन गए और इलाज के दोरान उनकी म्रत्यु ही तो निश्चित तोर पर उनके मन में भी यही कुछ लेने आई होंगी ऐसे मशहूर फनकार को श्रद्धांजलि ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

 

 

मशहूर पेंटर मकबूल फिदा हुसैन का लंदन में निधन

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m-f-hussain-deathनई दिल्ली - अपनी फाइन आर्ट के हुनर से पूरी दुनिया में भारत का लोह मनवाने वाले पिकासो ऑफ इंडिया मकबूल फिदा हुसैन का लंदन में निधन हो गया। लंदन के रॉयल ब्रॉम्टन हॉस्पीटल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। हुसैन का जन्म 17 सितंबर 1915 में पंढरपुर में हुआ था। हुसैन को कई सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वो 95 साल के थे। गौरतलब है कि 1990 के दशक में हुसैन बॉलीवुड स्टार माधुरी दीक्षित से प्रेरित होकर गजगामिनी पेंटिंग बनाई थी। बाद में उन्होंने माधुरी के साथ ‘गजगामिनी’ फिल्म भी बनाई थी। लेकिन साल 2006 में उनके पेंटिंग पर उपजे विवाद के बाद भारत छोड़ना पड़ा था। इसके बाद हुसैन लंदन चले गए। पिछले साल उन्हें कतर की नागरिकता मिल गई।
मशहूर साहित्याकार राजेंद्र यादव ने हुसैन के बारे में बताया कि अंतिम वर्षों तक वो इतने सक्रिय, इतने चुस्त थे कि लगता नही नहीं था कि वो बूढ़े हो गए हैं। वो पिकासो के बाद सबसे बड़े पेंटर थे। भारत में जिस तरह उनके साथ व्यवहार हुआ वो शर्मनाक था। राम कथा पर जो सीरीज उन्होंने हैदराबाद में बनाई थी वो स्मरणीय है।
हुसैन को फोर्ब्स मैगजीन ने उन्हें पिकासो ऑफ इंडिया कहा था। उनका जन्म 1915 पंढरपूर में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा इंदौर में हुई। चित्रकारी के प्रति बचपन से ही रुझान को देखते हुए उन्होंने 1935 में मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया।
उनकी उपलब्धियों को देखते हुए 1966 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से नवाजा। 1973 में उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। भारत के सबसे महंगे पेंटर थे मकबूल फिदा हुसैन। 1973 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। 1986 में राज्यसभा में मनोनित किये गए थे।
साल 1952 में ज्यूरिख में हुसैन की पहली प्रदर्शनी लगी। 1955 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 1967 में पहली फिल्म बनाई थी ‘थ्रू द आइज ऑफ पेंटर’, और बॉलीवुड अदाकारा तब्बू के साथ मीनाक्षी बनाई।
पेंटर प्रणव प्रकाश ने हुसैन के निधन पर कहा कि उनकी मौत कला जगत के लिए बहुत भारी क्षति है।
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