हाँ तुमने
सही कहा था
हाँ तुमने
सही समझा था ..
के में पागल हूँ ..
में पागल हूँ
तभी तो
तुम्हारे हर वायदे को
पत्थर की लकीर समझ बेठा था
तुमने कहा था
तुम मुझ से
जिंदगी से भी
ज्यादा प्यार करते हो
हाँ तुमने कहा था
तुम
मेरे बगेर एक पल एक क्षण
नहीं रह सकते
मेने तुम्हारे
इन सब वायदों को
सच ही तो माना था
मुझे क्या पता था
तुम सोना नहीं
तुम तो पत्थर हो
शायद इसीलियें
आज
यूँ ही
अंतिम क्षणों में
लाश को मेरी
यूँ ठोकर मारकर
फिर से तुम
अपने लियें
नयीं खुशियाँ
तलाशने निकल पढ़े हो
इसलिए
तो में कहता हूँ
तुमने सही कहा था
सही समझा था
के में पागल हूँ ..............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान