आपका-अख्तर खान

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15 जून 2011

आपात काल के 36 साल और आज के हालात ..............कोटा से फरीदुल्ला जगा रहे है देश में इस जागरण अभियान को

दोस्तों मेने वोह वक्त भी देखा है जब लोकतंत्र का गला घोट दिया गया था..जब आम आदमी की आजादी छीन कर उन्हें जेल में डाल दिया गया था जब कुछ राज्यसभा के चोर दरवाज़े से देश का प्रतिनिधित्व करने वाले कथित नेताओं ने देश की जनता और देश के लोकतंत्र को ताक में रख दिया था .जी हाँ २५ जून१९७५   की रात ११.५५ मिनट का वोह मनहूस लम्हा जब देश के सभी संवेधानिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे .तब हम ने वोह वक्त भी देखा था के एक अखबार की खबर को कलेक्टर से जंचवा कर ही हमे उसे प्रकाशित करना पढ़ता था ..आज अगर वोह वक्त वोह लम्हा दिमाग में भी आजाता है  तो रूह काँप जाती है ...लेकिन हाल ही में देश के वरिष्ठ मंत्री प्रणव मुखर्जी का यह ब्यान के देश एक बार फिर आपात काल की तरफ जा रहा है क्या संकेत देता सरकारी हठधर्मिता के कारणों से देश में चलाई गयी अराजकता देश,जनता और सरकार सभी के लियें घातक है खेर भारत की आज़ादी को ६४ साल हो गए है ....भारत में आपात काल के बाद दुबारा लोकतंत्र की बहाली के ३६ साल हो गए है २५ जून १०७५ को जब इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र पर प्रहार किया लोकतंत्र के दीवानों को जेल डाल दिया तब देश में जयप्रकाशनारायण पैदा हुए और फिर से देश में लोकतंत्र बहाल हुआ ..कोटा में मीसा बंदी रहे युवा तुर्क तेजतर्रार आन्दोलन करी किसान नेता फरीदुल्ला खान ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और वर्तमान में तानाशाही के खिलाफ लोकतंत्र की बहाली को लेकर फिर से आवाज़ बुलंद की है ..फरीदुल्ला खान ने पहले लोकतंत्र  के सेनानी जो उनके वक्त में मीसा बंदी थे और जिनकी मासिक आय नगण्य थी वोह इस लड़ाई के बाद अरब पति ख़राब पति केसे बन गए इस तरफ भी उन्होंने खोज बीन की और भाजपा के साथ तीसरे मोर्चे के कुछ दिनों में ही अरबपति बने नेतओं का पर्दाफाश किया ..फरीदुल्ला  भाई ने देश में आपातकाल के सिपाहियों को लोकतंत्र के सेनानी का दर्जा दिलाने के लियें युद्ध किया और फिर वोह एक कानून बनवाकर काफी हद तक कामयाब भी हुए राजस्थान में इस कानून को उन्होंने बनवाया लागू करवाया लेकिन कोंग्रेस की सरकार आजाने के बाद कोंग्रेस ने इस कानून को क्रियान्वित नही किया फरीदुल्ला लोकतंत्र बहाली की लड़ाई आज भी हरे नहीं हैं और उन्होंने २६ जून हर साल आपात काल की याद ताज़ा कराने के लियें काला दिवस बनाने की शुरुआत की है जिसमे उन्हें कामयाबी भी मिली है अभी भाई फरीदुल्ला अपने इस अभियान को २६ जून से जोधपुर में शुरू करेंगे जिसमे देश भर के लोकतंत्र को बहाल कराने वाले सेनानी अपने अनुभव एक दुसरे  के साथ बाँटेंगे .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

संवेदनहीनता की पराकाष्ठा पार हो गयी है

किसी गीतकार ने लिखा है के खुदा भी आसमा से जब देखता होगा मेरे महबूब को किसने बनाया सोचता होगा वोह लेने इन दिनों महात्मा गाँधी आदरणीय  बापू के आज़ाद देश में कुछ इस तरह से पढ़ी जा रही है के गांधी भी जब आसमा से देखता होगा मेरे देश को मेने आज़ाद क्यूँ कराया सोचता होगा जी हाँ यह सच है एक लोकतंत्र की आज दुर्गति हो रही है वोह किसी तानाशाह राज में भी तानाशाही की नहीं हुई है कानून कायदे देश की स्वतन्त्रता और देश के मान सम्मान को ताक में रख कर संवेदनहीनता की पराकाष्ठा पार हो गयी है ...भारत में अंग्रेजों के वक़्त पर जब जब गांधी ने अनशन का हथियार चलाया बेदर्द अँगरेज़ सरकार भी उनके इस हथियार के आगे झुक गयी है लेकिन हाल ही में बाबा रामदेव के अनशन , अन्ना के अनशन और फिर स्वामी निगमानंद के अनशन ने भारत के अनशन की राजनीती को तहस नहस कर दिया है .......हिंसा की तरफ बढ़ रहा भारत देश महात्माओं के साथ अहिंसा की तरफ बढ़ रहा था और लाठी भाटा चक्का जम की  भाषा भुला कर फिर से अनशन के रस्ते पर था लेकिन अहिंसा का रास्ता अपनाकर उन्हें क्या मिला स्वामी निमानंद को म़ोत मिली , बाबा रामदेव को अपमान और अन्ना हजारे को बीच में लटका दिया गया ....एक तरफ देश की जनता के करोड़ों करोड़ लोगों का राष्ट्रहित में चलाया गया आन्दोलन और दूसरी तरफ राजस्थान में गुजरों का आन्दोलन अगर दोनों को हम देखें तो सरकार हिंसा के आगे झुकी गुर्जरों ने जनता का जीना दुश्वार किया करोड़ों करोड़ की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया कानून तोड़ा रास्ते जाम किये उनका सरकार ने कुछ नहीं बिगाड़ा और उनसे वार्ता कर सरकार ने मोके पर अपने मंत्रियों को भेजा उन्हें मुख्यमंत्री ने बुलाया तो एक तरफ हमारा गांधीवादी अनशन और दूसरी तरफ हिन्संक आन्दोलन दोनों में से जीत हिंसक आन्दोलन की हुई गांधीवादी आन्दोलन कारियों की हार ही हुई है अपमान ही हुआ है ऐसे में देश फिर से नक्सली आन्दोलन की तरफ बढ़ेगा हिंसा की तरफ बढ़ेगा ....तो दोस्तों जहाँ गांधी के अनशन को दुत्कारा जाता हो जहाँ हिंसा को अपनाकर उसके आगे सर झुकाया जाता हो आज क्या वोह गाँधी का आज़ाद भारत है सोच कर भी शर्म आती है .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान  

अतुल मिश्र जी को जन्म दिन पर हार्दिक बधाई

            
जी हाँ दोस्तों आज ब्लोगिंग की दुनिया की एक अज़ीम शख्सियत अतुल मिश्र का जन्म दिन है उनके जन्म दिन पर वेसे तो पी एस पाबला जी ने उन्हें बधाई दे दी है लेकिन अतुल मिश्र की शख्सियत एक अज़ीम शख्सियत होने से उन्हें बेंड बाजे के साथ ही बधाई देना होगी ......भाई अतुल जी वेसे तो सादा जीवन उच्च विचार के व्यक्ति और लेखक पत्रकार हैं इनकी सादगी में ही इन्होने अपने ब्लॉग पर दुनिया को समेट कर रख दिया है ...हिंदवार्ता ..यानि पुरे हिन्दुस्तान की वार्ता इनके ब्लॉग में शामिल है एक ब्लोगर रीडर अगर इनके ब्लॉग को पढ़ ले तो खुद बा खुद तृप्त हो जाएगा दुसरा ब्लॉग स्टार न्यूज़ जिसमे देश और विदेश की ख़ास खबरे खास चर्चे ख़ास कच्चे चिट्ठे शामिल किये गए हैं और इसीलियें खबरों की ब्लोगिंग में जनाब अतुल मिश्र जी ओ महारत हांसिल हो गयी है ऐसी शख्सियत के जन्म दिन पर पुरे ब्लोगर भाइयों खासकर डोक्टर अनवर जमाल ..दिनेश जी द्विवेदी ..सलीम खान .बहन वन्दना जी ....एस एम मासूम सहित भाई ललित शर्मा जी की तरफ से भी बधाई उनका आत्म विवरण नीचे हु बहु उनके अल्फाजों में दिया गया है .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
  नाम- अतुल मिश्र


                                               


पिता का नाम- स्वर्गीय श्री सुरेन्द्र मोहन मिश्र ( कवि, लेखक एवं पुरातत्ववेत्ता )
जन्म- 15 जून 1958 .
शिक्षा- एम.ए. ( प्राचीन इतिहास )
पैत्रक-निवास- श्री धन्वंतरी फार्मेसी, चंदौसी (उ.प्र.)
प्रकाशित कृतियाँ- तिरछी नज़र (कार्टून संग्रह ), भैंसिया गांव की भैंसें ( व्यंग्य-संग्रह )
सम्प्रति- प्रबंध निदेशक, प्रतिमा प्रकाशन
मैनजिंग ट्रस्टी, श्री सुरेन्द्र मोहन मिश्र मेमोरियल चैरिटेबिल ट्रस्ट.
विशेष- 1978 में हास्य-व्यंग्य की बहुचर्चित रंगीन मासिक पत्रिका का सम्पादन/
प्रकाशन.
हिंदी की लगभग सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में व्यंग्य, काव्य, इतिहास, पुरातत्व आदि विषयों पर लेख एवं कार्टून्स का प्रकाशन.
देश के सबसे बड़े व्यक्तिगत ” श्री सुरेन्द्र मोहन मिश्र पुरातत्व संग्रहालय ” की देख-रेख एवं संचालन.
बहुचर्चित समाचार एवं फीचर सर्विस हिन्द्वार्ता ( नई दिल्ली ) के प्रधान सम्पादक.
विगत 25 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय.
करीब 15 वर्षों से दैनिक व्यंग्य-लेख-स्तंभों का विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और वेब
न्यूज़ पोर्टल्स पर प्रकाशन.
अनेक राष्ट्रीय कवि-सम्मेलनों में काव्य-पाठ.
दूरदर्शन एवं आकाशवाणी पर अनेक कार्यक्रमों का प्रसारण.
ईमेल- atul.is.mishra@gmail.com
मोबाइल- 91-9761268968 .
वर्तमान पता- डी-27, HIG, दीनदयाल नगर-1, मुरादाबाद (उ.प्र.) (भारत)   ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान     

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