कोटा के निजी स्कूलों में राईट टू एजुकेशन का कानून अब तक लागू नहीं किया जा सका है आंकड़े बताते हैं के कोटा में गरीब बच्चे तो हैं लेकिन अधिकारिक रूप से बिना फ़ीस के इस नए कानून के तहत अधिकार के रूप में बच्चों को अभी तक यहाँ एडमिशन नहीं दिया गया है ...............कहने को तो अधिकारीयों ने यहाँ इस व्यवस्था के तहत काफी काफी सर्वे किये इसे लागु करवाने के लियें बढ़ी बढ़ी बातें की लेकिन कोटा के शिक्षा माफिया के आगे सरकार और उनके कोटा में बेठे अधिकारी बेबस और बेजुबान हैं स्थिति यह है के शिक्षा गारंटी अधिनियम की क्रियान्विति कोटा के स्कूलों में आज तक भी नहीं हो पाई है केवल आंकड़े बटोरने के लियें नर्सरी स्तर के कुछ बच्चों को यह सुविधा दिखावटी तोर पर दी गयी है तो जनाब है न मजेदार सरकार मजेदार अधिकारी और प्रभावशाली कोटा का शिक्षा माफिया .................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
29 जून 2011
अख़बारों को घांस डाली और प्रधानमन्त्री बन गए जेंटलमेन
दोस्तों देश की पत्रकारिता भी अजीब है यहाँ विश्व स्तर पर देश के जो हालत जो चल रहे है उस पर पूरी प्रेस देश की इन हालातों के लियें प्रधानमन्त्री जी को काठ का उल्लू बता कर उन को ज़िम्मेदार ठहरा रही है लेकिन कल प्रधानमन्त्री जी ने पांच कथित बढ़े अख़बार जिनकी असल में छोटी सोच है उनके संपादकों को अकेले में बुलाया न जाने कोनसी पुडिया दी के प्रधानमन्त्री जी उनके अख़बार के लियें जेंटल मेन और पारदर्शी बन गए ...अजीब बात है जो अख़बार कल तक प्रधानमन्त्री जी के खिलाफ खुलेआम लिखते नहीं थकते थे वही अख़बार वाही संपादक जी अब इन देश के सबसे खराब प्रधानमन्त्री जी के लियें पक्ष में सम्पादकीय लिक्ख कर तारीफें कर रहे हैं ..अजीब बात है अजीब पत्रकारिता है अजीब देश है यहाँ जो सच है उसे लिखा जा रहा था लेकिन अकेले में केवल कुछ अपने पक्ष के लोगों को बुलाया और यह अख़बार प्रधानमन्त्री जी की जो कभी खिलाफत कर रहे थे आज उनके भांड बन गए है शायद इक्कीसवीं सदी की पत्रकारिता इक्कीसवी सदी का मिडिया ऐसा ही होता है ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कोटा में सिपाही का भी मुक़दमा दर्ज नहीं ..
देश में सुप्रीमकोर्ट , हाईकोर्ट से लेकर सभी सरकारी अधिकारी चीख चीख कर यह कहते हैं के थाने में आने वाले हर व्यक्ति का मुकदमा तुरंत दर्ज कर उसकी एफ आई आर की नक़ल फरियादी को देकर कार्यवाही करना चाहिए लेकिन कोटा में तो भाई पुलिसकर्मी खुद भी अपना मुकदमा थाने में दर्ज कराने में अक्षम है ......कोटा शहर पुलीस क्षेत्र में स्थित मकबरा थाने में तेनात सिपाही सतीश सोनी के साथ एक प्रोपर्टी डीलर ने धोखा धडी की है उस बेचारे ने इस मामले में उद्द्योग नगर थाने में कई बार मुकदमा दर्ज कराने का प्रयास किया लेकिन असफल रहा ...मज़बूरी में इस सिपाही को कानून का सहारा लेते हुए अदालत के जरिये इस्तिगासा करना पढ़ा और फिर भी दो सप्ताह से अधिक गुजरने पर अदालत के आदेशों के बाद भी अब तक प्रोपर्टी डीलरों के खिलाफ उद्ध्योग्नगर पुलिस ने कोई मुक़दमा दर्ज नहीं किया है .तो जनाब कोटा में ऐसा हाल है पुलिस का और ऐसा प्रभाव है प्रोपर्टी डीलरों का समझ गए ना ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
सूखे कुएं में गिरा पूरा परिवार, ग्रामीणों की तत्परता से बचा
सूखे कुएं में गिरा पूरा परिवार, ग्रामीणों की तत्परता से बचा
मप्र के बमोरी क्षेत्र के परोंदा निवासी मन्नू सहरिया (25) रात को पत्नी आशा व दो बच्चों के साथ गांव जा रहा था। रास्ते में बरसात आने से उसने परिवार के साथ एक पेड़ के नीचे शरण ली। लेकिन अंधेरा होने के कारण चारों वहां स्थित एक सूखे कुएं में जा गिरे। मन्नू सुबह पत्नी की साड़ी को कुएं के पत्थरों से बांध कर जैसे-तैसे बाहर आया। ग्रामीणों ने तत्परता दिखाते हुए खाट पर लेट कर कुएं से बच्चों व आशा को बाहर निकाला।
आखिर कोन हो तुम मेरे
कोन हो
तुम मेरे
जो
बालपन से ही
बुढापे तक
मेरे साथ लगे हो
मेरी आस बने हो
जब में रोता हूँ
तुम तडपते हो
जब में हंसता हूँ
तुम ख़ुशी से
झूम उठते हो
बस में जब भी
तुम से
मुझ से मुझे
मिलाने को कहता हूँ
हां तुम , हाँ तुम
कतरा कर निकल जाते हो
जब भी एकांत में
तुम से में
अपने दिल की बात
कहना चाहता हूँ
तुम यूँ ही
चल हठ कहते हुए
मुस्कुरा कर
निकल जाते हो ..
में नहीं समझा
तुम्हे आज तक
तुम
जब होते हो
तब भी
जब नहीं होते हो
तब भी
मुझे मिलन की आस में
कभी तडपते हो
कभी रुलाते हो
आखिर कोन हो तुम मेरे ................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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