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06 जुलाई 2011

जयपुर समेत 23 पीएफ दफ्तरों पर सीबीआई छापे

जयपुर समेत 23 पीएफ दफ्तरों पर सीबीआई छापे


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जयपुर। केन्द्रीय भविष्य निधि और कर्मचारी भविष्य निधि विभाग में 169 करोड़ रूपए का घोटाला सामने आया है। घोटाले में सीबीआई ने बुधवार को विभाग से जुड़े नौ आला अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने जयपुर समेत देश के 23 शहरों में स्थित केन्द्रीय भविष्य निधि (पीएफ) कार्यालयों पर छापे डाले। सीबीआई ने आरोपियों के कार्यालय कक्षों और उनके आवास पर कार्रवाई की और पूछताछ की है।

सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, करोड़ों रूपए के भविष्य निधि घोटाले में केंद्रीय भविष्य निधि और कर्मचारी भविष्य निधि के तत्कालीन सहायक उपायुक्त समेत नौ आला अफसरों पर आपराधिक षड्यंत्र रचकर धोखाधड़ी करने और सरकार को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज हुआ। आरोपियों ने दिल्ली की एक निजी फर्म के साथ आपराधिक षड्यंत्र रचा और गलत तरीके से 169 करोड़ रूपए हासिल करने के लिए सार्वजनिक धन का गबन किया।
आरोपियों ने फर्म के साथ मिलकर कर्मचारियों और उनकी कार्य अवधि के गलत आंकडे पेश किए। सेवानिवृत्त कर्मचारियों का आंकड़ा भी बढ़ा-चढ़ा दर्शा दिया। भविष्य निधि की देय राशि में भी उलटफेर किया गया। सीबीआई (दिल्ली) की प्रवक्ता धारिणी मिश्रा ने बताया कि दिल्ली, चंडीगढ़, लुधियाना, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गांव, नोएडा समेत 23 स्थानों पर छापे की कार्रवाई की गई। आरोपियों की चल-अचल संपत्ति से जुड़े दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं। बरामद दस्तावेजों की सीबीआई पड़ताल कर रही है।
हड़कम्प मचा : जयपुर में तीन-चार घण्टे चली कार्रवाई के दौरान टीम ने दस्तावेज खंगाले। कार्रवाई की सूचना पर विभाग में हड़कम्प मच गया। दोपहर को कार्रवाई पूरी कर टीम दिल्ली रवाना हो गई।
जयपुर में भी तलाशी : सीबीआई ने सुबह 11 बजे जयपुर पीएफ कार्यालय में पदस्थापित सहायक आयुक्त सी.एस.गोगना के ऑफिस तथा विभाग के ज्योतिनगर स्थित पेइंग गेस्ट हाउस के उस कक्ष की तलाशी ली, जिसमें गोगना ठहरते हैं। गोगना से पूछताछ भी की। वे करीब एक साल पहले दिल्ली से जयपुर आए।

ट्रेन से टकराई बरातियों की बस, 37की मौत

ट्रेन से टकराई बरातियों की बस, 37की मौत


37 killed in bu-trai collision
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के काशीरामनगर में  गुरूवार तड़के हुए एक बस हादसे में 37लोगों के मारे जाने और 35 के घायल होने की खबर है।

 सूत्रों के मुतबिक उत्तर प्रदेश के काशीरामनगर में रात करीब दो बजे बरातियों से खचाखच भरी एक बस मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग से गुजरते वक्त तेज गति से आ रही मथुरा-छपरा एक्सप्रेस से टकरा गई। ट्रेन करीब 500 मीटर तक बस को घसीटते हुए ले गई जिससे बस के परखच्च्चे उड़ गए।

जिला मुख्यालय के आघिकारिक सूत्रों के अनुसार अब तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है तथा 35 लोग घायल हैं। इनमें से अघिकतर की हालत गंभीर बताई जा रही है। घायलों को एटा के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सभी मृतक एटा जिले के रहने वाले हैं।

प्रधानमंत्री ने घटना पर शोक जताते हुए मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रूपए, व गंभीर रूप से घायलों को 50 -50 हजार रूपए व मामूली रूप से घायल लोगों को 10-10 हजार रूपए के मुआवजे की घोषणा की है।

रेलवे प्रशासन का कहना है कि  हादसा बस चालक की गलती से हुआ । घटना की सूचना मिलते ही पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारी घटनास्थल पहुंचे। डीएम और एसएसपी घटनास्थल पर पहुंचे हैं। राहत व बचाव कार्य पूरा कर लिसया है और रेलवे ट्रैक साफ कर दिया गया है। है। रेल राज्य मंत्री एस मुनियप्पा भी घटनास्थल के लिए रवाना हो चुके हैं।

धरी रही बंदिशें, हो गया ब्याह

धरी रही बंदिशें, हो गया ब्याह


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नैनवां/तलवास(बूंदी)। प्रशासन व वन विभाग का अमला तलवास के बजरंगधाम पर बैठा रह गया और आयोजकों ने आंतरी के जंगल में चिंकी बंदरिया का राजा बंदर से ब्याह करा दिया। अघिकारियों ने बुधवार को तलवास में शादी रूकवाने की तैयारियां कर रखी थी, लेकिन अधिकारियों के पहुंचने से पहले ही जंगल में दोनों का विवाह हो गया।
टोंक जिले के बनेठा गांव से राजा का पालनकर्ता तड़के पांच बजे ही बारात लेकर आंतरी के जंगल में पहुंच गया। जहां चिंकी का पालनकर्ता पहले से मौजूद था। बुधवार सुबह दोनों के विवाह की रस्म पूरी करके राजा एवं चिंकी को आजाद कर दिया। बाद में अघिकारियों ने चिंकी व राजा को पकड़ कोटा चिडियाघर भेज दिया।

राजस्व मण्डल में काम शुरू

राजस्व मण्डल में काम शुरू


अजमेर। सम्भागीय आयुक्तों को राजस्व मंडल सदस्य के समकक्ष दर्जा दिए जाने के प्रस्ताव के विरोध में  पिछले 27 दिन से हड़ताल पर चल रहे राजस्व अधिवक्ता मंगलवार को काम पर लौट आए।
 इससे राजस्व मण्डल व राजस्व अधीनस्थ अदालतों में फिर से रौनक लौट आई तथा न्यायिक कार्य सुचारू रूप से चालू हो गया। मंगलवार को नियमित रूप से मुकदमों की सुनवाई भी हुई। अधिवक्ताओं ने बड़ी संख्या में स्थगन आदेश बढ़ाने के लिए के लिए अर्जियां पेश कीं। हालांकि सदस्यों की कमी के कारण डीबी-2 में सिर्फ तारीखें ही दी गई।
दूसरे संभाग अडे
राजस्व बार एसोसिएशन ने मामले को लेकर भले ही केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार राज्यमंत्री सचिन पायलट के आश्वासन पर हड़ताल खत्म कर दी हो, लेकिन अब शेष अन्य संभागों के अधिवक्ताओं ने राज्य सरकार के संभागीय आयुक्तों को राजस्व मण्डल सदस्यों के समान अधिकार दिए जाने के प्रस्ताव की प्रशंसा करते हुए इसे लागू करने की मांग शुरू कर दी है। इस मामले को लेकर बुधवार को अन्य संभाग के अधिवक्ताओं ने राजस्व मण्डल अध्यक्ष से मुलाकात भी की।
21 सदस्यीय संघर्ष समिति गठित
संभागीय स्तर पर राजस्व बोर्ड का गठन करने, बोर्ड सदस्यों की नियुक्ति में 60 प्रतिशत अधिवक्ता कोटा निर्धारित करने तथा राजस्व मण्डल के विकेन्द्रीकरण के लिए जयपुर में अन्य संभाग के अधिवक्ता बैठक कर चुके हैं। जयपुर में दी बार एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष राममनोहर शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर, भरतपुर तथा कोटा संभाग की बार एसोसिएशन के पदाधिकारी शामिल हुए। इस दौरान प्रस्ताव पारित किए गए तथा इसके लिए 21 सदस्यीय संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया गया। जयपुर बार अध्यक्ष राममनोहर शर्मा को समिति का संयोजक तथा बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के पूर्व सदस्य आर.के.दास को सह संयोजक बनाया गया है।

बीस साल के अंदर धरती पर उतरेंगे एलियंस!

बीस साल के अंदर धरती पर उतरेंगे एलियंस!

 

 
 
 
 
मॉस्को.दुनिया भर में आज सबसे बड़ा सवाल बन कर रह गए एलियंस को लेकर रूस के एक शीर्ष विज्ञानी ने बेहद सनसनीखेज खुलासा किया है। रूसी विज्ञान अकादमी के निदेशक अंद्रेई फिन्केल्सटेन ने दावा किया है कि मनुष्य का सामना एलियंस से मात्र 20 वर्षों के अंदर हो जायेगा।
रूस की सरकारी संवाद समिति ‘इंटरफैक्स’ ने रूसी विज्ञान अकादमी के अंतरिक्ष संस्थान के एक शीर्ष वैज्ञानिक के हवाले से खबर दी है कि पृथ्वी से इतर अन्य ग्रहों पर निश्चित रूप से जीवन है और संभावना है कि धरती के मनुष्य का अगले दो दशकों में उन प्राणियों से आमना-सामना हो जाएगा।
यही नहीं अंद्रेई का मानना है कि बाहरी ग्रहों के प्राणियों के भी पृथ्वी के मनुष्य की तरह ही दो हाथ, दो पैर और एक सिर हैं।

पद्मनाभ मंदिर: खजाने का बनेगा वीडियो, सुप्रीम कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

पद्मनाभ मंदिर: खजाने का बनेगा वीडियो, सुप्रीम कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट


 
 
 
 
नई दिल्ली/कोच्चि. तिरुअनंतपुरम के पद्मनाभ स्वामी मंदिर में मिले करीब १ लाख करोड़ के खजाने पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन समिति, खजाना निकालने के लिए बनी निगरानी कमेटी के सदस्यों और मामले से जुड़े हुए वकीलों को निर्देश दिए कि वे इस बारे में मीडिया से कोई भी चर्चा न करें। कोर्ट ने खजाने की सुरक्षा को लेकर भी रिपोर्ट मांगी है। मंदिर के पांच तहखाने खोले जा चुके हैं और छठवां तहखाना शुक्रवार को खोला जाएगा। इसी बीच उड़ुपी के श्रीकृष्ण मंदिर में भी इसी तरह का खजाना होने की चर्चा शुरु हो गई है। इस मंदिर का इतिहास करीब ८०० साल पुराना है।
कुछ महीनों पहले केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि वह मंदिर का प्रबंधन अपने हाथों में ले ले। लेकिन मंदिर प्रबंधन कमेटी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसके बाद हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे दे दिया गया। मामले की आज सुनवाई हुई। सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि कुछ लोग, बिना प्रमाणिकता के खजाने की कीमत के बारे में बातचीत कर रहे हैं। कोर्ट ने खजाने को निकालने के लिए बनाई गई कमेटी से खजाने की सुरक्षा को लेकर भी रिपोर्ट मांगी है।
कोर्ट ने खजाना निकालने की वीडियोग्राफी करने के भी निर्देश दिए। कोर्ट ने खजाने के मालिकाना हक को लेकर उठे विवाद पर भी गंभीर चिंता जताई। कोर्ट ने संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए किसी म्यूजियम के क्यूरेटर की नियुक्ती का भी प्रस्ताव दिया। कोर्ट ने कहा कि वे विशेषज्ञों से बातचीत कर, शुक्रवार को इस पर निर्णय देंगे। कोर्ट ने कहा कि वे इस पर भी निर्णय लेंगे कि कौन से सामान को म्यूजियम में रखा जाए और किसे सुरक्षित स्थानों पर।  कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कोई खजाने पर मालिकाना हक का दावा करता है तो इसके गंभीर परिणाम निकलेंगे।
इसी बीच नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार ने मंदिर की सुरक्षा को लेकर केंद्र से कोई चर्चा नहीं की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार मंदिर और खजाने की सुरक्षा करने में सक्षम है।  
जस्टिस राजन ने कहा, कभी कीमत सार्वजनिक नहीं की
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के  सदस्य जस्टिस सीएस राजन ने अपनी बात से मुकरते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी खजाने की कीमत सार्वजनिक नहीं की है। उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल इतना कहा कि खजाने का देखने के बाद वे आश्चर्यचकित रह गए थे।   राजन ने कहा कि उनका मानना है कि खजाना मंदिर के ही पास रहना चाहिए, क्योंकि यह पूर्ववर्ती त्रावणकोर शासकों ने भगवान को समर्पित किया था। यह खजाना ट्रेजरार ट्रोव एक्ट के अंतर्गत नहीं आता। हालांकि इस बारे में वे अंतिम रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेंगे और इसी के बाद इस पर निर्णय होगा। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि यह खजाना राज्य सरकार के पास जाना चाहिए। 
खजाने के अंतिम तहखाने को खोलने का काम रोक दिया गया है लेकिन इसे शुक्रवार को खोला जाएगा। माना जा रहा है कि अपशकुन की आशंका के चलते यह निर्णय लिया गया था। जस्टिस राजन ने इस बारे में कहा कि इस बारे में मंदिर के मुख्य पुजारी से बातचीत की जाएगी। माना जा रहा है कि सबसे ज्यादा कीमती सामान इसी में रखा गया है। जस्टिस राजन ने कहा कि इस अंतिम तहखाने को खोलने में काफी दिक्कतें हैं लेकिन जैसा कि कहा जा रहा था कि इस तहखाने से एक सुरंग समुद्र तक गई है, इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि खजाने का रिकॉर्ड पूरी तरह वैज्ञानिक तरीके से रखा जा रहा है और इसकी वास्तविक कीमत, मीडिया में छप रही कीमत से भिन्न हो सकती है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मुझे खजाने की कीमत के आंकलन के बारे में निर्देश नहीं दिए हैं। जस्टिस ने  कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट को खजाने के बारे में अपनी अंतरिम रिपोर्ट जल्दी ही सौंप देंगे। लेकिन कोर्ट में चल रहा मामला संपत्ति पर कब्जे को लेकर है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई कमेटी की बैठक शुक्रवार को होने की संभावना है, जिसके बाद ही अंतिम तहखाना खोलने का निर्णय लिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के याचिकाकर्ता की नाराजगी
याचिका दाखिल करने वाले टीपी सुंदरराजन ने इस पर नाराजगी जाहिर की कि खजाने को निकालने वाले कुछ सदस्य इसकी कीमत को सार्वजनिक कर रहे हैं। उनके अनुसार सेवानिवृत्त हाई कोर्ट जज सीएस राजन, जो खजाना निकाल रही कमेटी के सदस्य हैं ने कहा कि खजाना देखकर वे आश्चर्यचकित रह गए। किसी ने भी इतने हीरे और आभूषण जीवन में नहीं देखें होंगे। यह वाकई एक अनोखा अनुभव था। उन्होंने यह भी कहा कि यह खजाना नहीं है बल्कि राजसी परिवार का मंदिर को सालों से दी जा रही संपत्ति है। राजसी परिवार के सदस्य सुंदरराजन ने इस पर आपत्ति करते हुए कहा कि किसी को भी इस मामले में टिप्पणी नहीं करना चाहिए क्योंकि मामला कोर्ट में है।
नायर समाज ने कहा खजाने पर दावे को लेकर भ्रामक प्रचार
केरल के प्रभावशाली नायर समाज ने आरोप लगाया है कि संपत्ति पर कब्जे को लेकर कई लोग भ्रम फैला रहे हैं। नायर सर्विस सोसायटी (एनएसएस) के महासचिव जी सुकुमारन नायर ने कहा कि राज्य सरकार ने यह मान लिया है कि खजाना मंदिर की संपत्ति है, फिर भी इस पर विवाद खड़ा किया जा रहा है।

राजस्थान सरकार कोटा की जनता के सब्र का इम्तिहान ना ले और ऐसे बदतमीज़ पुलिस अधिकारियों को कोटा से हटा दे

Hi Akhtar Khan,   दोस्तों कोटा राजस्थान में तेनात एक आई पी एस अपनी वर्दी के नशे में इतने चकना चूर हो गए है के वोह मरकने बेल की तरह जिसको चाहे उसे मरने के लियें निकल पढ़े हैं कई जन प्रतिनिधि और पत्रकार उनकी बदतमीज़ी के शिकार हो गए है ..गृह मंत्री के इस कोटा शहर में ऐसा पहली बार हुआ है जब सडकों पर किसी पुलिस अधिकारी का आतंक हो ..पंकज चोधरी आई पी एस ने कल राजस्थान पत्रिका के राजेश तिरपाठी जो काफी सुलझे हुए व्यक्तित्व के है उनके साथ अभद्रता कर दी तो समझ लीजिये के ऐसे अधिकारी को कोटा रहने का कोई हक नहीं बचा है ..राजस्थान पत्रिका का चाहे निजी हित के कारण ऐसे अधिकारीयों से कोई गुप्त समझोता हो जाये लेकिन जनता के हित में तो ऐसे अधिकारीयों का कोटा से कृष्ण मुख होना ज़रूरी है वरना कोटा की जनता जितना सब्र करना  जानती है उतना ही बेसब्री होने के बाद अधिकारियों की बेहद बेक़द्री करती है इसलियें वक़्त से पहले ही राजस्थान सरकार को इस मामले में खुद की इन्तिलिजेंस सर्विस से जानकारी लेकर इस मुसीबत से छुटकारा लेना चाहिए और फुल मोहमद सी आई को ज़िंदा जला देने  जेसी घटनाओं से बचने के लियें सर्कार को बहुत बहुत अहतियात की जरुररत है ....इस मामले में कल की घटना पर मेरे अनुज भाई रमेश चन्द्र सिरफिरा  जी ने  अपने उद्गार प्रकट किये हैं जो साथ में पेश हैं ..........................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

Ramesh Kumar Sirfiraa commented on your note "'एनकाउंटर' की धमकी".
Ramesh Kumar wrote: "आजकल पुलिस द्वारा पत्रकारों के साथ किये जा रहे दुर्व्यवहार के समाचार बहुत सुनने को मिल रहे हैं, पुलिस अधिकारी अपनी दुश्मनी निकालने के कहीं-कहीं पर फर्जी केसों में फंसा रहे हैं या अवसर मिलने पर एनकाउन्टर करने की धमकी दे रहे हैं. मेरे विचार में उपरोक्त घटना में अगर आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी दोषी साबित होते हैं.तब इनसे शरीर पर खाकी वर्दी पहनने का अधिकार वापिस ले लेना चाहिए. इससे पुलिस अधिकारीयों यह अहसास हो जाए कि-यह खाकी वर्दी का ही सम्मान करते हैं और इसकी साफ़-सफाई का खर्च भी जनता की जेब से आता है. अगर तुम्हारा व्यवहार जनता के प्रति ठीक नहीं होगा तब तुम्हारा अंजाम भी यहीं होगा. अगर "कोटा", राजस्थान, राजस्थान पत्रिका और पूरे देश के पत्रकार यह न करें. तब उनकी सच्ची पत्रकारिता पर लानत है.जब तुम अपने भाई कहूँ या परिवार के एक सदस्य के लिए नहीं लड़ सकते हो. तब "आम-आदमी" के लिए क्या खाक लड़ोंगे? यह मत देखो कि-यह उस "दल" के लिए, यह उस "दल" के लिए लिखता है और यह पागल "सिरफिरा" तो आम आदमी के लिखता है. आज पत्रकारों को अपना स्वार्थ छोड़कर एवं भौतिक वस्तुओं का मोह त्यागकर देश व समाज के साथ ही आम-आदमी के प्रति हो रहे अन्याय के खिलाफ एक "जन आंदोलन" चलाने की आवश्कता है. मेरे कुछ पत्रकारिता के नाम पर वेश्यावृति करने वाले पत्रकार भाइयों से निवेदन है कि-मेरे भाई जब आप अपना स्वार्थ एवं भौतिक वस्तुओं का मोह ही नहीं त्याग कर सकते हो.तब ज़माने में बहुत से "काम" है करने को. फिर क्यों इस सम्मानजनक "पत्रकारिता" को बदनाम करते हो? पैसा तो एक वेश्या भी कमाती हैं लेकिन बदनाम होकर.क्या हम उस वेश्या से गए गुजरे है? क्या हम ऐसा करके "आम-आदमी" के अधिकारों और देश की इज्जत नहीं बेच रहे हैं? मत बेचों मेरे दिशाहीन पत्रकार भाइयों इस देश की इज्जत को.मेरे विचार में जो सत्य लिखने से डरते हैं,वह मृतक के समान है. और फिर मत भूलो कि-गगन बेच देंगे, पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे! कलम के सिपाही गर सो गए तो वतन के मसीहा "वतन"बेच देंगे!!"

'पापा और भैया के लिए यह तूने क्या कर डाला मंपी'

'पापा और भैया के लिए यह तूने क्या कर डाला मंपी'


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नादिया (पश्चिम बंगाल). कहते हैं परिवार की जिम्मेदारी बड़े ही उठाते हैं। आगे बढ़कर जिम्मेदारी निभाने के लिए बड़े क्या से क्या कर देते हैं। लेकिन यहां तो एक 12 साल की बच्ची ने अपने परिजनों के लिए वह किया जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
12 साल की मंपी से परिवार के लोगों ने तो कुछ नहीं कहा, लेकिन सभी परेशान थे। मंपी को यह जानकारी हो गई थी कि उसके बीमार पिता की आंखों की रोशनी जा रही है। दुख इतना ही नहीं था उसके भाई की किडनी भी खराब थी। अब परिजनों के लिए आंख और भाई के लिए किडनी की व्यवस्था करना संभव नहीं था।
परिवार की परेशानी को कैसे हल किया जाए। इसकी चिंता में डूबी रहती थी मंपी। आखिरकार उसने अपनी जिंदगी खत्म कर समस्या का समाधान निकाला। उसकी योजना के मुताबिक उसकी मौत के बाद दहेज का पैसा बच जाएगा और उसके अंग बीमार बाप और भाई के काम आ जाएगा। लेकिन कुदरत को तो कुछ और ही मंजूर था। मंपी द्वारा अपनी मां को लिखा गया यह पत्र उसके अंतिम संस्कार के बाद परिवार वालों को मिला।
मंपी के पिता मृदुल सरकार दिहाड़ी मजदूर हैं। मृदुल सरकार ने बताया कि सुसाइड नोट को उसकी मौत के अगले दिन पाया गया। उसका अंतिम संस्कार 27 जून को किया गया।
स्थानीय धनतल पंचायत के प्रधान तपस तरफदार ने बताया कि मंपी ने अपनी बहन मनिका के साथ खुदकुशी करने पर चर्चा की ताकि उनके अंग पिता और भाई के काम आ सके। हालांकि मनिका ने इस विचार को खारिज कर दिया और स्कूल चली गई जिसके बाद मम्पी ने खुदकुशी करने का फैसला किया।

कुरान के अपमान को लेकर यूपी में पुलिस-पब्लिक के बीच गोलीबारी, डीआईजी समेत पांच घायल


कुरान के अपमान को लेकर यूपी में पुलिस-पब्लिक के बीच गोलीबारी, डीआईजी समेत पांच घायल

 

 
 
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मुरादाबाद. उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में उस समय माहौल हिंसक हो गया जब छेड़खानी के एक आरोपी को गिरफ्तार करने गई पुलिस पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया।

हिंसक वारदात में पुलिस की एक जीप भी फूंक दी गई और ग्रामिणों और पुलिस के बीच हुई गोलीबारी में मुरादाबाद के डीआईजी समेत चार  युवकों के घायल होने की खबर है। घायल युवकों की हालत चिंताजनक बताई जा रही है।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक थाना मैनाठेर के सैफियों वाली बघा निवासी एक व्यक्ति ने थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ छेड़खानी का मामला दर्ज कराया था। इस मामले में गांव में दबिश देने पहुंची पुलिस ने एक घर में सामान बाहर फेंक दिया जिसमें मुसलमानों का पवित्र धर्मग्रंथ कुरान भी गिर गया। ग्रामीणों ने कुरान फेंकने का विरोध किया तो पुलिसवालों गांव वालों से भिड़ गए।

कुरान के अपमान को लेकर कुछ लोगों ने थाना मैनाठेर के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों के उग्र होने पर पुलिस ने फायरिंग कर दी जिसमें चार युवकों के गंभीर रूप से घायल होने की खबर है। पुलिस और ग्रामीणों के बीच हुई हिंसक झड़प में मुरादाबाद के डीआईजी के भी घायल होने की खबर है जो फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं।

मायावती-बिल्‍डर साठगांठ पर सुप्रीम कोर्ट सख्‍त, 50000 परिवारों को झटका


मायावती-बिल्‍डर साठगांठ पर सुप्रीम कोर्ट सख्‍त, 50000 परिवारों को झटका


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नई दिल्‍ली. सुप्रीम कोर्ट ने उत्‍तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में किसानों की जमीन लेने से जुड़े इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। शीर्ष अदालत ने इस जमीन को सात बिल्‍डरों को दिए जाने पर भी रोक लगाई है। कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी पर बिल्‍डरों से साठगांठ होने का आरोप लगाते हुए अथॉरिटी पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले की सुनवाई करते हुए ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को निर्देश दिए हैं कि वो किसानों और गांववालों की जमीन लौटा दे। अदालत ने कहा कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने बिल्‍डरों से साठगांठ कर सार्वजनिक उद्देश्‍य के लिए पहले तो किसानों की जमीन खरीदी  फिर इन्‍हें नियमों का उल्‍लंघन करते हुए बिल्‍डरों को ट्रांसफर कर दिया।

जस्टिस जी एस सिंघवी और जस्टिस ए के गांगुली की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। बेंच के मुताबिक अथॉरिटी से सरकार की मंजूरी मिलने से पहले ही इस जमीन को कुछ बिल्‍डरों को आवंटित कर दिया। अदालत ने कहा है कि वह अपने इस फैसले की वजह का ब्‍यौरा बाद में देगा।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा के साहबेरी गांव में किसानों से ली गई 156 हेक्‍टेयर ज़मीन लौटाने के आदेश दिए थे जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और रियल एस्‍टेट डेवलपर्स और बिल्‍डरों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से ग्रेटर नोएडा, नोएडा एक्‍सप्रेस वे में बन रहे 50 हजार फ्लैट खरीदने वाले परिवारों की जान सांसत में आ गई होगी।
नोएडा एक्‍सप्रेस वे और ग्रेटर नोएडा उन लोगों के लिए घर का सपना पूरा कर रहा है जो दिल्‍ली में महंगी जमीन नहीं खरीद सकते। 2010 के आखिर तक एनसीआर के समूचे प्रॉपर्टी मार्केट में नोएडा की हिस्‍सेदारी करी
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