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08 जुलाई 2011

कोपल कोकास को उनके जन्म दिन पर बधाई

कोपल कोकास को उनके जन्म दिन पर बधाई

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सबसे दोस्ताना रखती हूँ अपनी ज़िदंगी के हर लम्हे को खूबसूरती से जीती हूँ । हमेशा खुश रहती हूँ अपने धैर्य को कभी नही खोने देती हूँ और हमेशा मुस्कुराती रहती हूँ क्योंकि मुस्कुराना मेरी ज़िदंगी का आईना है । मेरी हर सुबह मेरी मुस्कान से शुरु होती है । यही विचार हैं कोपल कोकास के ;;;;;;;
           जी हाँ फुल से भी नाज़ुक शरद कोकास का आज जन्म दिन हैं उन्हें उनके जन्म दिन पार मुबारक बाद ..कोकास छात्तिसगढ़ की लेखिका हैं और कोपल कलियों के जीवन के माध्यम से जिंदगी को समझाना चाहती हैं बालकों से इन्हें प्रेम हैं इसलियें यह बदिवास पार बालकों की जिंदगी के बारे में भी खूब लिखती हैं खूब लिखती हैं ..प्रक्रति और प्रक्रति की सुगंध बिखेरने वाले गुलाबों से प्यार करने वाली कोपल कोकास को उनके जन्म दिन  पर हार्दिक बधाई ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मंत्री ने सीएम को दिया स्पष्टीकरण

मंत्री ने सीएम को दिया स्पष्टीकरण


जयपुर। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के बारे में दिए एक कथित बयान को लेकर शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को स्पष्टीकरण दिया। शिक्षा मंत्री के हवाले से एक समाचार पत्र में राहुल गांधी की पदयात्रा को ले कर एक विवादित बयान प्रकाशित हुआ था। इस बयान पर प्रदेश कांग्रेस अयक्ष डॉ.चंद्रभान ने भी शिक्षा मंत्री से टेलिफोनिक पूछताछ की थी और मुख्यमंत्री को मामले की जानकारी दी थी।
शुक्रवार को मेघवाल ने मुख्यमंत्री को अपना स्पष्टीकरण दिया। मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंंने कहा कि यह बयान गलत है और उन्होंने ऎसी कोई बात नहीं कही। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि मुख्यमंत्री ने उन्हें तलब किया है। उन्होंने कहा कि मैं जयपुर से बाहर था और आज जयपुर लौटने के बाद खुद ही मुख्यमंत्री से मिल कर स्थिति स्पष्ट करने आया हूं।

दागी जजों में राजस्थान का दूसरा स्थान

दागी जजों में राजस्थान का दूसरा स्थान

 
 
जयपुर/नई दिल्ली. दागी जजों के मामले में राजस्थान का देश में दूसरा स्थान है। यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट की एक रिपोर्ट में सामने आई है।

सुप्रीम कोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2010 से मार्च 2011 के बीच प्रदेश के 42 जिला जजों और सीजेएम के खिलाफ कदाचार के मामले चल रहे हैं। राजस्थान उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है। यूपी में कुल 44 जजों के खिलाफ जांच चल रही है। वहीं, महाराष्ट्र के 31, जम्मू-कश्मीर के 23, गुजरात के 22 और आंध्रप्रदेश के 15 जजों सहित देश के कुल 305 जजों के खिलाफ कदाचार के आरोप हैं। इसी तरह कुल 17 जजों को सेवा से कार्यमुक्त किया गया है।

मंत्री की जांच करो, गुमनाम नहीं हूं मैं

 

मंत्री की जांच करो, गुमनाम नहीं हूं मैं

 
 
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जयपुर. प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर जिस मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच करके कार्रवाई करने को कहा था, उस पर कार्रवाई करना तो दूर, बल्कि शिकायतकर्ता को ही गुमनाम बताकर मामले को बंद कर दिया गया।

भास्कर ने शिकायतकर्ता को खोज निकाला है। शिकायतकर्ता रामेश्वरलाल चौधरी हैं। वे खुद को कांग्रेस का कार्यकर्ता बताते हैं और शांतिनगर, गुर्जर की थड़ी, जयपुर में रहते हैं। यह शिकायतकर्ता भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अफसरों के महीनों चक्कर लगाता रहा, लेकिन ब्यूरो ने गुमनाम बताकर मामले में एफआर लगा दी। यह हैरानीजनक जानकारी ब्यूरो के अपने ही दस्तावेजों से पुष्ट होती है। भास्कर ने इस विवाद से संबंधित सभी तरह के दस्तावेजों को हासिल करने के बाद मूल शिकायतकर्ता से संपर्क किया तो उसने कहा कि वह चुप होकर नहीं बैठेगा।

क्या कहा था मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने: भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर गुमनाम पत्र मिले थे। इसे लेकर एसीबी से जांच करा ली गई, लेकिन कोई भी आरोप सही नहीं पाया गया और न ही पत्र भेजने वाले के बारे में कोई जानकारी मिल सकी।(15 मार्च 2011 को विधानसभा में बाबूलाल नागर पर गेहूं पिसाई में घपले के आरोपों पर स्पष्टीकरण देते हुए)

ऐसे किया गया शिकायत कर्ता को गुमराह: आरोप है कि शिकायत कर्ता को गुमराह किया गया। पहले भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने सूचना के अधिकार के तहत हासिल की गई एक जानकारी में कहा : खाद्य राज्यमंत्री की ओर से की गई अनियमितताओं के बारे में आपकी ओर से 18 सितंबर 2010 को प्रेषित शिकायत को पूर्व में दर्ज परिवाद संख्या 114/2010 में शामिल किया गया है। परिवाद वर्तमान में सत्यापनाधीन है। - उमेश मिश्रा, तत्कालीन आईजी की ओर से चौधरी को 4 जनवरी 2011 को लिखा गया पत्र

शिकायत का सफर: प्रधानमंत्री कार्यालय का पत्र गृह विभाग को जांच के लिए भेजा गया। गृह विभाग ने 22 जून 2010 को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को जांच के निर्देश दिए। एसीबी ने 27 जुलाई 10 को मामला दर्ज कर यह जांच एडिशनल एसपी गोविंद देथा को सौंपी। देथा ने जांच के बाद 4 फरवरी 2011 को इस मामले में एफआर लगा दी।

क्या थे आरोप: खाद्य मंत्री बाबूलाल नागर के खिलाफ सस्ता आटा मुहैया करवाने की मुख्यमंत्री की योजना, मटर की दाल खरीदने और शुद्ध के लिए युद्ध की कार्रवाई में गड़बड़ियों को लेकर जांच शुरू हुई थी। इन मामलों में रसद विभाग के कुछ आला अफसरों के बारे में भी शिकायतें थीं। नागर और इन अफसरों को लेकर की गई शिकायतों पर राज्य सरकार के स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई तो लोगों ने प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को सीधे शिकायतें भेजी। इन्हीं के आधार पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने राज्य सरकार को सितंबर 2010 में जांच के निर्देश दिए थे।

एसीबी का बयान: हमें मिला ही नहीं शिकायतकर्ता, उसके आरोप भी झूठे थे

एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोविंद देथा ने कहा कि शिकायतकर्ता गुमनाम था। मिला ही नहीं। उसके आरोप भी झूठे पाए गए। जिन टेंडरों को लेकर शिकायत थी, उन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रद्द कर दिया था। काम हुआ ही नहीं, क्योंकि वर्क ऑर्डर ही जारी नहीं हुआ। जहां तक रामेश्वर चौधरी का सवाल है, उसकी कोई शिकायत मुझे नहीं मिली। शिकायत आती तो हम कार्रवाई क्यों नहीं करते।

शिकायतकर्ता की पुकार: मैं एसीबी के चक्कर काटता रहा, फिर भी गुमनाम बता दिया

मैं गुमनाम नहीं हूं। एसीबी के अफसरों के चक्कर लगा रहा था, लेकिन वे मेरे दस्तावेजों को दफ्तर दाखिल करते रहे। प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी के पास भेजे गए पत्रों की रसीदें मेरे पास हैं। मामले को बंद करने से पहले मुझसे तथ्य तक नहीं मांगना यही बताता है कि यह सब सरकार के दबाव से हुआ है। मैं अदालत में जाऊंगा।

मंत्री की दलील: जांच में साबित हो गया- मुझे बदनाम करने की साजिश थी

मंत्री बाबूलाल नागर ने कहा कि मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए थे। गुमनाम पत्रों के जरिए मुझे बदनाम करने की साजिश थी। जांच में सब साफ हो गया है। यह मामला प्राथमिक जांच के लायक भी नहीं निकला। रामेश्वर मेरा पुराना राजनीतिक विरोधी है। वह प्रधानमंत्री से लेकर पटवारी तक हर महीने मेरे खिलाफ 20 से 30 शिकायती पत्र लिखता है।

प्रेमी से करवा दी पत्नी की शादी, खुद बंधवा ली राखी

प्रेमी से करवा दी पत्नी की शादी, खुद बंधवा ली राखी


 
 
धनबाद। शादी के दिन ही पति को पता चला कि उसकी पत्नी किसी और से प्यार करती है। उसके घरवालों ने जबरन उसकी शादी करवा दी है। यह बातें पत्नी ने खुद अपने पति को बताई। उसने पति से कहा कि मैं आपको धोखा नहीं देना चाहती, लेकिन अपने प्रेमी के बिना मैं खुश भी नहीं रह सकती।यह सब सुनकर आक्रोशित होने के बजाय पति ने पूरे संयम से काम लिया और अपनी पत्नी की शादी प्रेमी से करवाने का निश्चय कर लिया। तीन महीने के बाद आज पति ने पत्नी को बहन बनाते हुए उसकी शादी प्रेमी से करवा दी। यह किसी फिल्म का दृश्य नहीं, बल्कि यह गुड्डू की कहानी है।
क्या है मामला
तीन माह पहले जोड़ापोखर निवासी गुड्डू की शादी मालगोड़ा झरिया निवासी पूजा से हुई थी। सुहाग रात को नेहा ने गुड्डू को अपने प्रेम प्रसंग की जानकारी दी। उसने बताया कि वह पड़ोसी मंतोष से प्रेम करती है और उसी के साथ शादी करना चाहती थी। घरवालों को भी उसने ये बात बताई थी, लेकिन वे नहीं मानें और जबरन शादी कर दी।
पत्नी का यह भी कहना था कि वह मंतोष के साथ ही खुश रह सकती है, किसी और के साथ नहीं। अपनी नई नवेली पत्नी की सच्चाई जानकार गुड्डू के होश उड़ गए। लेकिन उसने पूरे धैर्य से काम लिया और पहले अपने घरवालों को सारी बातें बताईं और उन्हें विवाह के लिए मनाया।
खुद बंधवा ली राखी
नेहा की शादी उसके प्रेमी मंतोष से करवाने के बाद गुड्डू ने उसे अपनी बहन भी बना लिया। पूरे समाज के सामने उसने नेहा से राखी बंधवाई और दोनों को आशीर्वाद देकर अपने घर से विदा किया।
लग गए तीन माह
पूरे घटनाक्रम में तीन माह का समय निकल गया। गुरुवार को गुड्डू के घर ही मंतोष बारात लेकर आया और समाज के गणमान्य लोगों की उपस्थिति में नेहा की शादी उससे करवा दी गई। शादी की चर्चा इलाके में होती रही।
शादी सिर्फ दो जिस्म का नहीं, दो आत्माओं का मिलन है। नेहा की हिम्मत देखकर मैं दंग रह गया। तभी मैंने निर्णय लिया कि मंतोष और नेहा की शादी करानी है।"गुड्डू"
घरवालों के दबाव में आकर गुड्डू से शादी की, पर उन्हें धोखा देना मंजूर नहीं था। इसलिए उनके सामने सच्चाई रख दी। मंतोष से मेरी शादी करवाकर उन्होंने मिसाल कायम की है।"नेहा "नेहा और मैं काफी दिनों से एक दूसरे को चाहते थे। समाज और परिवार से डर लगता था। इसी कारण नेहा की शादी चुपचाप देखता रहा। गुड्डू की पहल के लिए जीवन भर कर्जदार रहूंगा।"मंतोष "

दोस्ती की ऐसी मिसाल, जिसे सुन आप कहेंगे 'दोस्ती तुझे सलाम'

दोस्ती की ऐसी मिसाल, जिसे सुन आप कहेंगे 'दोस्ती तुझे सलाम'

 

 
 
 
 
 
अहमदाबाद। पुलिस सब इंस्पेक्टर भूपेंद्र सरवैया और रमेश जादव बात करते हुए कुछ झेंपते हैं। लेकिन हमारी कुछ जिद के बाद वे कहते हैं - हम कोई उपकार नहीं कर रहे, बस हम तो दोस्त होने का फर्ज अदा कर रहे हैं और मनु की मां को इस बात का अहसास कराना चाहते हैं कि भले ही उसका बेटा पुलिस सब इंस्पेक्टर (पीएसआई) न बन सका लेकिन उसके 171 बेटे तो गुजरात पुलिस में पीएसआई हैं।
आईए जानते हैं दिल को छू जाने वाली इस कहानी के बारे में कि मनु कौन था? एक पीएसआई रतु चौधरी के शब्दों में - हमारे साथ पुलिस सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग ले रहा मनु गरासिया का जब पीएसआई के रूप में चयन हुआ तब लोगों के घरों में काम कर घर का गुजर-बसर करने वाली उसकी विधवा मां दलीबहन की आंखों से निकलते खुशी के आंसू थम नहीं रहे थे। लेकिन कुछ ही दिन बाद एक दुर्घटना में हुई मनु की मौत के बाद इस मां की आंखों से फिर आंसुओं की धारा फूट पड़ी और लेकिन इस बार के आंसू खुशी के नहीं बल्कि कभी न खत्म होने वाले दर्द के थे।
रतु चौधरी आगे बताते हैं कि 'मनु की मौत के बाद हमारी बैच के 171 जवानों ने तय किया कि वे मनु की मां को कोई तकलीफ नहीं पहुंचने देंगे और सभी जवानों ने अपनी तनख्वाह से 3 लाख रुपए एकत्रित किए और मनु की मां के लिए गांव में एक मकान खरीदा और कुछ पैसे उनके खाते में भी जमा करवाए।Ó इसके बाद भी सभी 171 जवानों ने मनु की मां की हर तरह से मदद करना जारी रखा है और वे हर महीने कुछ पैसे उनके बैंक अकाउंट में जमा करवाते हैं। इस बारे में सभी जवानों का यही कहना है कि एक दोस्त और मां के लिए यह करना तो हमारा फर्ज है।
मनु की कहानी आगे बढ़ाते हुए रतु बताते हैं कि मूल पंचमहल के करंबा गांव में रहने वाले वालजीभाई गरासिया रोजगार की तलाश में आणंद के पास जीटोडिया गांव में बस गए। जहां कुछ समय बाद वालजीभाई की मौत हो गई और घर की सारी जिम्मेदारी मनु की मां दलीबहन पर आ गई। उन्होंने लोगों के घरों में काम करके मनु को किसी तरह पढ़ाया। मनु की इच्छा पीएसआई बनने की थी, लेकिन उसका चयन पुलिस कांस्टेबल के पद पर हो गया। इसके बाद मनु का पीएसआई के इंटरव्यू में भी चयन हो गया और मां दलीबहन खुशी से झूम उठी। लेकिन मां की यह खुशी ज्यादा दिनों की नहीं थी और कुछ ही समय बाद एक सड़क दुर्घटना में मनु की मौत हो गई।
भगवान की कृपा दृष्टि मनु को दोस्तों पर पर हमेशा बनी रहे : दलीबहनमनु की बात करते ही दलीबहन की आंखें आंसुओं से भर गईं और सिसकते हुए उन्होंने कहा कि भगवान की कृपा दृष्टि मनु के दोस्तों पर हमेशा बनी रहे। मेरे बेटे की मौत के बाद इन्ही जवानों की वजह से मैं जीवित हूं जो हमेशा मेरी मदद करते हैं, क्योंकि अब बुढ़ापे में मेरा शरीर ऐसा नहीं रहा कि मैं कोई काम कर अपने लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम भी कर सकूं।
मैग्जीन में मनु की फोटो के साथ उसकी मां का बैंक अकाउंट नंबर भी छपवाया।वर्तमान में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत सी.आर. राणा और नीलेश गोस्वामी बताते हैं कि जब हमारी ट्रेनिंग पूरी हुई तब बैच को लेकर प्रकाशित एक मैग्जीन में हमने मनु की फोटो छपवाई और उसके साथ ही मनु की मां के लिए खुलवाए गए बैंक अकाउंट का नंबर भी प्रकाशित करवाया, जिससे कि बैच के सभी जवान मां के अकाउंट में कुछ पैसा जमा कराते रहें और अपने दोस्त के लिए लिया गया वचन हमेशा याद रख सकें।

अभी बाहर नहीं आएगा मंदिर के छठे तहखाने का तिलिस्म

अभी बाहर नहीं आएगा मंदिर के छठे तहखाने का तिलिस्म

 

 
 
 
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नई दिल्‍ली/तिरुअनंतपुरम. केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर के खजाने का रहस्य अभी पूरी तरह सामने नहीं आ सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर का आखिरी और छठा तहखाना खोले जाने पर आज रोक लगा दी है। अब तक खुले पांच तहखानों में से करीब 1 लाख करोड़ की संपत्ति मिलने का अनुमान है। माना जा रहा है कि आखिरी तहखाने में सबसे ज्यादा कीमती सामान है। इसी बीच मंदिर में मिले खजाने की सुरक्षा काफी बढ़ा दी गई है।
इस मंदिर का संचालन करने वाले ट्रस्‍ट की जिम्‍मेदारी संभाल रहे त्रावणकोर के शाही खानदान ने छठवें तहखाने को खोले जाने को लेकर आपत्ति जताई थी। इनका कहना है कि इस तहखाने को खोलने से अपशकुन का डर है। कोर्ट ने छठे तहखाने को खोले जाने पर रोक लगाने का फैसला सुनाते हुए शाही परिवार और केरल सरकार से इस बारे में सलाह भी मांगी है। जस्टिस आरवी रविंद्रन और जस्टिस एके पटनायक की बेंच ने याचिकाकर्ता मार्तंड वर्मा से मंदिर की सुरक्षा और पवित्रता को लेकर सुझाव मांगे हैं। वर्मा की तरफ से दलील देते हुए, वकील केके वेणुगोपाल ने साफ किया कि मंदिर जनता की संपत्ति है और राज परिवार के किसी भी सदस्य ने कभी भी खजाने पर अपना दावा पेश नहीं किया है। उन्होंने कहा कि राज परिवार का मानना है कि इस संपत्ति के मालिक भगवान पद्मनाभ स्वामी हैं।
कुछ महीनों पहले राज्य सरकार ने मंदिर का प्रबंधन अपने हाथों में लेने का निर्णय लिया था।  इस निर्णय से हाई कोर्ट ने भी अपनी सहमति जताई थी। लेकिन मंदिर प्रबंधन का काम देख रहे त्रावणकोर राजसी परिवार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसके बाद हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे दे दिया गया। हालांकि कोर्ट ने तहखाने खोलकर खजाना निकालने के लिए पूर्व हाई कोर्ट जस्टिस के नेतृत्व में एक सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया। मामले की बुधवार को सुनवाई हुई थी और आज फिर इस पर सुनवाई हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने निर्देश में केरल सरकार से खजाने की सुरक्षा को लेकर जवाब मांगा है। कोर्ट ने त्रावणकोर के राजपरिवार से भी इस पर सलाह मांगी है कि वहां तस्वीरें खींचने और वीडियोग्राफी किए जाने से परंपरा का कोई उल्लंघन तो नहीं होता है। कोर्ट ने मंदिर की धार्मिक आस्थाओं को लेकर भी जानकारी मांगी है। कोर्ट इस खजाने को म्यूजियम में रखे जाने पर भी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) और राष्ट्रीय संग्रहालय के अफसरों से भी राय ले रहा है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि कुछ लोग, बिना प्रमाणिकता के खजाने की कीमत के बारे में बातचीत कर रहे हैं। कोर्ट ने खजाना निकालने की वीडियोग्राफी करने के भी निर्देश दिए थे। कोर्ट ने खजाने के मालिकाना हक को लेकर उठे विवाद पर भी गंभीर चिंता जताई। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले राज परिवार से सदस्य ने इस पर नाराजगी जाहिर की थी कि खजाने को निकालने वाले कुछ सदस्य इसकी कीमत को सार्वजनिक कर रहे हैं।
मंदिर के सभी तहखानों को ए से एफ तक बांटा गया है। बी नंबर का तहखाना आज खोला जाना था। इसकी पूरी तैयारी भी कर ली गई थी। पूरे देश दुनिया की नजरें इस ओर हैं कि आखिर छठे तहखाने में क्या छिपा हुआ है। मंदिर के आसपास इस समय देश और विदेश के कई जाने माने अखबारों और न्यूज चैनलों के संवाददाता डेरा डाले हुए हैं।
क्या चाबी गुम गई है?
चर्चा यह भी है कि इस तहखाने की चाबी भी गुमी हुई है। सूत्रों ने दावा किया कि मंदिर प्रबंधन और सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त की गई कमेटी इसके लिए स्थानीय कारीगरों को बुलवाकर डुप्लिकेट चाबी बनवाने की कोशिश कर रहे हैं। मंदिर के एक अधिकारी ने बताया कि इस तहखाने में विशेष तरह के ताले बने हुए हैं और प्रबंधन इन्हें तोड़ना नहीं चाहता।
सुरक्षा के लिए एक करोड़  
मीडिया में तहखाने से मिली चीजों की कीमत 1 लाख करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा बताई जा रही है। लेकिन केरल के पूर्व मुख्‍य सचिव सीपी नायर ने दावा किया है कि खजाना करीब पांच लाख करोड़ रुपये का हो सकता है। नायर ने मंदिर की सुरक्षा आर्मी के कमांडो के हवाले किए जाने का भी सुझाव दिया है। केरल सरकार ने इसी बीच कहा है कि वे मंदिर की सुरक्षा पर करीब एक करोड़ रुपए खर्च करेंगे। इसी बीच पुलिस ने यहां की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता किए जाने को लेकर राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भी सौंपा है।
आपकी बात
मंदिर के अकूत खजाने पर आपकी क्‍या राय है? क्या खजाने की सुरक्षा के लिए तत्काल कड़े कदम नहीं उठाए जाने चाहिए?  क्या खजाने के हक पर विवाद करने के बजाए, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की प्रतीक्षा नहीं की जानी चाहिए? इन मुद्दों पर आप भी दे सकते हैं अपनी राय।

कब तक होती रहेगी जांच, जल्दी बताते क्यों नहीं?

कब तक होती रहेगी जांच, जल्दी बताते क्यों नहीं?

 

 
 
 

 
 
 
नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने वोट के बदले नोट मामले में पुलिस से अब तक जांच में हुई प्रगति की जानकारी मांगी है। इस बारे में स्थिति रिपोर्ट 15 जुलाई तक कोर्ट में पेश करने को कहा गया है। यूपीए सरकार ने 2008 में लोकसभा में विश्वास मत पेश किया था। तभी यह घोटाला हुआ था।

केंद्र ने शीर्ष कोर्ट में बताया कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। जांच दो महीनों में पूरी हो जाएगी। इस पर जस्टिस आफताब आलम तथा आरएम लोढा की बेंच ने कहा, ‘दो महीने बहुत ज्यादा हैं। हमें जांच की मौजूदा स्थिति बताएं।’

ये निर्देश पूर्व चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह की याचिका पर जारी किए गए। लिंगदोह इस मामले की सीबीआई जांच चाहते हैं। उनका कहना है कि पुलिस इस मामले की अच्छे से जांच नहीं कर पा रही है। अत: सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से इसकी जांच कराई जाए।

आगे क्या?: सरकार इस मामले में स्थिति रिपोर्ट तय अवधि में सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश करेगी। सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम ने यह जानकारी दी।

लिंगदोह की याचिका में आरोप

22 जुलाई 2008 को विश्वास मत के दौरान भाजपा के तीन सांसदों को वोट के बदले उन्हें मिले नोट दिखाते देखा गया।

यह दृश्य देखकर पूरा देश स्तब्ध रह गया। फिर भी दोषियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इस घटना की प्राथमिकी दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने लिखी। लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

आरोपों की जांच के लिए किशोर चंद्र देव की अध्यक्षता में संयुक्त संसदीय समिति बनी। लेकिन उसने भी कुछ खास नहीं किया।

दिखाए थे एक करोड़
भाजपा के तीन सांसदों-अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते तथा महावीर भगोरा ने विश्वास मत के दौरान एक करोड़ रुपए की राशि दिखाई थी।

इन नेताओं का कहना था कि यूपीए के फ्लोर मैनेजरों ने उन्हें समाजवादी पार्टी के एक नेता के जरिए खरीदने की कोशिश की। सरकार के पक्ष में वोट डालने के लिए ये नोट मिले।

विश्वास प्रस्ताव लाने की वजह: वामदलों ने भारत-अमेरिका परमाणु करार के मुद्दे पर यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इस पर सरकार को लोकसभा में विश्वास मत प्रस्ताव लाना पड़ा था।

मां-बाप जल मरे बच गई बच्ची

मां-बाप जल मरे बच गई बच्ची


Jaipur news
जयपुर। पारिवारिक क्लेश ने शुक्रवार को फिर से एक भरे-पूरे परिवार को उजाड़ डाला। मां-बाप ने खुद को आग के हवाले करके जान दे दी। उनकी कोशिश थी कि बच्ची भी उनके साथ जल मरे लेकिन सात महीने की बच्ची बुरी तरह झुलसने के बावजूद बच गई। दंपत्ति के रिश्तेदारों को अब यह समझ नहीं आ रहा है कि वे बच्ची के बच जाने को उसकी किस्मत कहें या बदकिस्मती? क्योंकि उसे इस दुनिया में लाने वाले मां-बाप तो अब रहे ही नहीं। बच्ची फिलहाल, रिश्तेदारों के पास ही है और मां के बिना बिलख रही है।

मामला करणी विहार थाना क्षेत्र का है। पुलिस के अनुसार, बगरू के कलवाड़ा क्षेत्र में रहने वाले भागचंद (25) की शादी करीब आठ साल पहले करणी विहार में रहने वाली बुलबुल (22) से हुई थी। शादी के कुछ समय के बाद से ही दोनों में पारिवारिक क्लेश के कारण तनाव रहने लगा। करीब सात साल से दोनों में तनाव चल रहा था। इसी तनाव के कारण बीते करीब एक साल से बुलबुल अपने पिता के घर करणी विहार में रह रही थी। गुरूवार सवेरे ही भागचंद अपनी सात महीने की बेटी तनिष्ाा और पत्नी बुलबुल को लेने आया था।

गुरूवार शाम ही दोनों में फिर से किसी बात को लेकर विवाद हो गया। बाद में बुलबुल के परिजनों ने मामला शांत कराया। शुक्रवार तड़के करीब चार बजे भागचंद उठा और अपनी पत्नी बुलबुल और सात महीने की बेटी तनिष्ाा पर केरोसिन उड़ेल दिया। साथ ही भागचंद ने खुद पर भी करोसिन उड़ेल लिया। उसके बाद भागचंद ने पत्नी-बच्ची समेत खुद को आग लगा ली।

चीख-पुकार सुन कर घर के सदस्य उठे और आग पर काबू कर तीनों को बाहर निकाला। लेकिन तब तक बुलबुल की मौत हो चुकी थी। बच्ची तनिष्ाा और भागचंद को अस्पताल भर्ती कराया गया। जहां भागचंद ने भी दम तोड़ दिया। परिजनों के अनुसार दोनों में शादी के बाद से ही किसी न किसी बात को लेकर क्लेश होता रहता था लेकिन घर के बुजुर्ग अक्सर बीच-बचाव कर मामला शांत करा देते थे।
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