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11 जुलाई 2011

आज के कुछ पत्रकार कुत्ते हैं या शेर में समझ नहीं पाया .............

भाइयों और खासकर पत्रकार भाइयों मेरी किसी भी बात का कोई भी प्लीज़ बुरा ना माना क्योंकि में खुद भी इस जमात में शामिल हूँ और जो भी बात मेरे जरिये कहलवाई जा रही है वोह आप जेसे लोगों के लियें नहीं केवल बीस प्रतिशत मठाधीश पत्रकारों के लियें है .........दोस्तों कल प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम के दोरान चर्चा चल रही थी के आज के पत्रकार मालिक के गुलाम और इशारे पर चलने वाले सर्कस के शज़र हो गए हैं ,,एक भाई ने कहा के पत्रकार पहले शेर हुआ करते थे और जंगल के राजा की तरह सभी लोग उनके सम्मान में रहते थे लेकिन आज कुछ शेर झो पत्रकार हैं वोह चिड़िया घर के शेर हो गए हैं और कुछ हैं के मालिकों के नोकर बन कर उनके इशारे पर सर्कस के शेर की तरह इशारे कर रहे हैं ..यह बात चल ही रही थे के एक लघु समाचार पात्र से जुड़े भाई ने कहा के नहीं शेर नहीं  कुछ पत्रकार तो आजकल कुत्ते से भी बुरे हो गए है ..भाई पत्रकार की पत्रकारों के लियें इस प्रतिक्रिया से सभी उखड गए और पूंछने लगे ऐसा केसे कहा जा रहा है ...बस फिर किया था छोटे पत्रकार जी ने बढ़ी बातें करना शुरू की पहले तो उन्होंने ने कुत्तों की किसमे और फिर उनके लड़ने का अंदाज़ अपनी अपनी गली में खुद के शेर होने के अहसास की प्रव्रत्ति के बारे में बताया और कहा के कोई भी कुत्ता दुसरे कुत्ते को पसंद नहीं करता है और गली के कुत्ते उसे दूर भगा भगा कर मारते हैं ..भाई पत्रकार ने उदाहरण दिया हाल ही में कोटा में राजस्थान पत्रिका के सीधे साधे मिशनरी पत्रकार के साथ पुलिस अधिकारी ने अभद्रता की और इस अभद्रता के बाद पत्रकारों के जो रोल रहे वोह देखने लायक थे एक बढ़े समाचार पत्र भास्कर ने तो इस मामले में खबर ही नहीं छापी और दुसरे अख़बारों ने इस खबर को समेत कर रख दिया ...हाल ही में एक छोटे पत्रकार असलम रोमी ने उनके अख़बार जगत के अपराध का दस साला जश्न मनाया ..जयपुर में मुख्यमंत्री जी की उपस्थिति में वेद व्यास जी पत्रकार ने कार्यक्रम किया लेकिन अख़बारों और मिडिया चेनल ने इस मामले में खबर ही प्रकाशित नहीं की ..कोटा में असलम रोमी जगत के अपराध के कार्यक्रम में तो कुछ लोगों ने हालत यह बना दिए के कार्यक्रम में अतिथि गन भी नहीं आयें और कोई पत्रकार इस कार्यक्रम में नहीं जाए ..बस इन उदाहरणों से हाँ समझ गए के हमारा भाई पत्रकार इन दिनों पत्रकारिता में कुत्तों की तरह से चल रही लड़ाई और पत्रकारों की परस्पर स्पर्धा में इर्ष्या के कारण ऐसा हो रहा है और इस लड़ाई में देश के अस्सी फीसदी पत्रकार भी बदनाम हो रहे हैं ..तो मेरे भाइयों पत्रकार साथियों प्लीज़ अगर हो सके तो मुझ पर नाराज़ हुए बगेर इस मामले को गंभीरता से ले के आखिर शहर में किसी के थूकने की भी खबर जब अख़बार में आती है तब पत्रकार साथियों के कार्यक्रम की खबर , प्रेस क्लब की खबर और पत्रकारों को कोई पुरस्कार या उपलब्धि मिलती है तो उसकी खबर क्यूँ प्रकाशित नहीं की जाती इस पर चिंतन पर मनन कर इसमें सुधार की जरूरत है ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कलेक्टर फेसबुक पर सुन रहे हैं जनता की समस्याएं

कलेक्टर फेसबुक पर सुन रहे हैं जनता की समस्याएं


सोशल नेटवर्किग वेबसाइट के बढ़ते क्रेज को देखते हुए अब सरकारी महकमों से भी इन्हें जोड़ने की कवायद शुरू की जा रही है। इसी क्रम में नीमच के कलेक्टर ने जनसुनवाई के लिए फेसबुक पर नीमच माय नाम से प्रोफाइल बनाई है। इसमें समस्याओं के साथ सुझाव भी मिल रहे हैं।

भोपाल मप्र शासन की तमाम योजनाओं के संचालन का जिम्मा कलेक्टरों के ऊपर होता है और वे इनके सफल संचालन की वजह से बहुत कम समय अपने इनोवेशन को दे पाते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि आम आदमी अपनी समस्या या सुझाव को कलेक्टर तक नहीं पहुंचा पाता है। ऐसे में नीमच जिले के कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने अपने शौक को आम आदमी की समस्या सुनने का साधन बना लिया है। उन्होंने ‘नीमच माय’ नाम से फेसबुक पर एक प्रोफाइल बनाई है, जिसके माध्यम से केवल चार दिनों में ६४ लोग सीधे अब कलेक्टर से मुखातिब हो रहे हैं।

अच्छी बात यह है कि लोग फेसबुक पर अपनी समस्या सुनाने की बजाय जिले को ठीक करने के लिए सुझाव भी दे रहे हैं। अब तक कलेक्टर को ढेरों सुझाव जनता की तरफ से मिल चुके हैं। कलेक्टर के इस इनोवेटिव काम के बारे में राजधानी स्थित आईटी डिपार्टमेंट को जानकारी मिल चुकी है और इसकी सफलता के बाद इसे अन्य जिलों में भी लागू करने पर विचार किया जा रहा है।

ऐसे आया आइडिया

कलेक्टर जाटव बताते हैं कि पिछले सप्ताह जब वे अपने अधीनस्थों की मीटिंग ले रहे थे, तो बात ही बात में मेरे फेसबुक शौक के बारे में बात निकल आई। फिर लगा कि क्यों न इससे आम लोगों को जोड़ा जाए। बस इसके बाद थोड़े बहुत फेरबदल के बाद तय हुआ कि माय नीचम के नाम से प्रोफाइल को रजिस्टर्ड किया जाएगा। इस आइडिया को मूर्त रूप ४ जुलाई को दिया गया।

अच्छा जरिया मिल गया है

कई बार हम मौके ढूंढ़ते थे कि कलेक्टर से अपने आइडिया शेयर करें, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता था। नीमच माय प्रोफाइल के जरिए हम ऐसा आसानी से कर पा रहे हैं।

जीतेंद्र सिंह चौहान, नीमच निवासी

कुछ करा न जा सके, उससे बेहतर है कि कुछ कोशिश जरूर की जा सकती है। ये भी कोशिश है जो जरूर कामयाब होगी।

पुनीत भम्भानी, नीमच निवासी

एक जिस्म दो जान से रुसवा हुए मां-बाप, संशय में अस्पताल

एक जिस्म दो जान से रुसवा हुए मां-बाप, संशय में अस्पताल

 

 
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बैतूल/पाढर.एक जिस्म से जुड़ीं दो नवजात बच्चियों की हालत और अस्पताल का खर्च मां की ममता और पिता के स्नेह पर भारी पड़ गया। नतीजा ये हुआ कि इन मासूमों के माता-पिता इन्हें अस्पताल में ही बेसहारा छोड़कर चले गए। जिंदगी के महज आठ सवेरे देखने वाली इन बदनसीब बेटियों को अस्पताल से ले जाने वाला कोई नहीं है।
दरअसल, चिचोली ब्लॉक के चूड़िया गांव की रहने वाली माया यादव ने 2 जुलाई की शाम पाढर अस्पताल में दो ऐसी बच्चियों को जन्म दिया था, जिनका शरीर आपस में जुड़ा हुआ है। इन आठ दिनों में अस्पताल के इलाज का खर्च 20 हजार रुपए के पार हो गया। माया का पति हरिराम महज चार हजार रुपए ही जमा करा सका।
हरिराम ने अस्पताल प्रबंधक डॉ. राजीव चौधरी से निवेदन किया कि उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर है, वह इन बच्चों के इलाज और भरण-पोषण में सक्षम नहीं है। शनिवार को हरिराम ने अस्पताल प्रबंधन से कहा कि वह दोनों बेटियों को सरकारी अस्पताल, आश्रम या अन्य संस्था को सौंपने का शपथ-पत्र तैयार कराने जा रहा है। लेकिन इसी दिन शाम को वह अपनी पत्नी को साथ लेकर भाग गया।
संशय में अस्पताल में प्रबंधन

बच्चों को छोड़कर गए दंपती और बच्चों को लेकर अस्पताल प्रबंधन संशय में है। अस्पताल प्रबंधक डॉ. राजीव चौधरी ने कहा कि मामले की सूचना प्रशासनिक अधिकारियों को दे दी गई है। अस्पताल प्रबंधन ने यादव दंपती को वैधानिक स्थिति में हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया है। हरिराम और माया को बुलाकर चर्चा की जाएगी। अभी हमारी पहली प्राथमिकता बच्चों की देखरेख करना है।
सिर व हाथ अलग, पैर और छाती जुड़े
ऑपरेशन से जन्मे इन नवजातों के पैर, छाती जुड़े हुए हैं, जबकि सिर और हाथ अलग-अलग हैं। डॉक्टरों के मुताबिक बच्चे एकदम स्वस्थ हैं। इन बच्चों के शरीर अलग-अलग करने के लिए कई तरह के टेस्ट कराने होंगे जिसके आधार पर ही तय हो सकेगा कि बच्चों के शरीर को अलग किया जा सकता है या नहीं। उनके ऑपरेशन में कितना खर्च आएगा, फिलहाल यह कह पाना मुश्किल है।

बांग्लादेश में ‘अल्लाह’ के नाम पर बवाल

बांग्लादेश में ‘अल्लाह’ के नाम पर बवाल

 
 
 
 
ढाका. बांग्लादेश के संविधान में ‘अल्लाह’ शब्द शामिल किए जाने की मांग को लेकर हुए प्रदर्शनों के हिंसक रूप लेने से 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। चश्मदीदों के मुताबिक प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के समर्थकों ने हिंसक प्रदर्शन कर रहे लोगों का विरोध किया, जिसके बाद स्थिति और विकट हो गई।

कई जगहों पर पुलिसकर्मियों के हथियार भी छीन लिए गए। घायलों में 10 पुलिसकर्मी शमिल हैं। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, ‘जमात के कार्यकर्ताओं ने राजमार्ग पर पंचवटी इलाके में पुलिस की टीम को चारों ओर से घेर लिया। इसके बाद झड़प की शुरुआत हुई। हिंसा के दौरान पुलिस को दो हथियार खोने पड़े।’ जमात के इस प्रदर्शन को मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेशी नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और कई अन्य दलों का समर्थन प्राप्त था।

क्या है विवाद
विवाद इस बात को लेकर है कि खुदा के लिए संविधान में किस नाम का इस्तेमाल किया जाए। जानकारी के मुताबिक कट्टरपंथी संगठन ‘जमात-ए-इस्लामी’ के कार्यकर्ताओं ने ढाका-चटगांव राजमार्ग पर उपद्रव मचाया। इस संगठन का कहना है कि हाल ही में संशोधित हुए बांग्लादेश के संविधान में ‘अल्लाह’ शब्द को फिर से शामिल किया जाए। बांग्लादेशी संविधान में ‘क्रिएटर’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है।

रामदेव का आरोप- चिदंबरम ने कराया था 'हमला', कोर्ट ने मांगा फुटेज

रामदेव का आरोप- चिदंबरम ने कराया था 'हमला', कोर्ट ने मांगा फुटेज

 

 

 
 
नई दिल्ली. योग गुरु बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि ४ जून को रामलीला मैदान पर हुई पुलिस कार्रवाई गृह मंत्री पी चिदंबरम के आदेश पर हुई है और इस पूरे मामले में उन्हें भी आरोपी बनाया जाए। सुप्रीम कोर्ट में रामलीला मैदान पर हुई कार्रवाई पर सुनवाई के दौरान आज कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा है कि इस मामले में रामदेव समर्थकों की शिकायतों पर अफसरों के खिलाफ कोई अपराधिक मामला क्यों दर्ज नहीं किया गया। मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी।

योग गुरु ने सुप्रीम कोर्ट को अपने जवाब में यह आरोप भी लगाया कि उनके साथ पुलिस ने मारपीट भी की।

बाबा रामदेव ने 4 जून से रामलीला मैदान पर भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन किया था। उनकी प्रमुख मांगों में विदेशों में जमा काला धन वापस लाना और इसे राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना है। उनका अनशन उन्हीं मांगों को लेकर था, लेकिन पुलिस ने 4 और 5 जून की दरमियानी रात वहां कार्रवाई की। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और रामदेव समर्थकों को वहां से जबरन हटा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वमेव संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। दिल्ली पुलिस ने 11 जून को अपने जवाब में कहा कि बाबा रामदेव की जान को खतरा था, इस कारण यह कार्रवाई करनी पड़ी।

नहीं मिली थी लाइव की इजाजत
बाबा रामदेव के खिलाफ रामलीला मैदान में जो कुछ हुआ, उसका लाइव प्रसारण भी देखा जा सकता था, बशर्ते सरकार इसकी इजाजत दे देती। दरअसल, योग गुरू ने अपने चैनल 'आस्‍था' पर रामलीला मैदान में चल रहे अनशन के लाइव प्रसारण की इजाजत मांगी थी लेकिन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इसकी इजाजत नहीं दी थी।

पुलिस के अनुसार बाबा को रामलीला मैदान पर योग शिविर की अनुमति दी गई थी, लेकिन वे वहां अनशन करने लगे। पुलिस ने यह भी दावा किया कि उन्होंने कोई लाठीचार्ज नहीं किया और  जो भी रामदेव समर्थक घायल हुए हैं, उन्हें भगदड़ के दौरान चोट आई हैं। पुलिस ने कहा कि योग गुरु को शांतिपूर्ण तरीके से वहां से जाने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने विरोध किया। पुलिस ने बाबा समर्थकों पर पत्थरबाजी करने का भी आरोप मढ़ा। पुलिस के अनुसार बाबा को बताया गया था कि रामलीला मैदान पर धारा 144 लागू कर दी गई है, याने पांच या पांच से ज्यादा लोग वहां जमा नहीं हो सकते और वे शांतिपूर्ण तरीके से वहां से चले जाएं।

इस मुद्दे पर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर ने कोर्ट के आदेश के बाद व्यक्तिगत रूप से भी एक एफिडेविट दाखिल कर, पुलिस की कार्रवाई के कारणों को विस्तार से बताया है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने किन परिस्थितियों में आंसू गैस के गोले छोड़े।

पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बाबा के भारत स्वाभिमान संगठन को नोटिस जारी किया था और अपना पक्ष रखने को कहा।  बाबा रामदेव ने शुक्रवार को कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री पी चिदंबरम के कहने पर पुलिस ने बेकसूरों के साथ अत्याचार किए हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि वहां योग शिविर ही चल रहा था और 4 जून को वहां शिविर के तीन सत्र हुए। बाबा ने दावा किया कि अपने कथन के समर्थन में उनके पास वीडियो फुटेज भी मौजूद हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को घटना के समय के फुटेज कोर्ट में जमा करने के निर्देश भी दिए हैं। कोर्ट ने पुलिस से यह भी पूछा है कि जब रामदेव समर्थकों ने पुलिस पर अत्याचार के आरोप लगाए थे, तब उनके खिलाफ मामले दर्ज क्यों नहीं किए गए।

एस्मा का ऐसा डर! रात तीन बजे डॉक्टरों ने ली हड़ताल वापस

एस्मा का ऐसा डर! रात तीन बजे डॉक्टरों ने ली हड़ताल वापस

 
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जयपुर। राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ से संबद्ध डॉक्टरों ने सरकार के साथ चार घंटे चली मैराथन वार्ता के बाद सोमवार रात करीब ३.00 बजे अपनी दो दिवसीय हड़ताल वापस ले ली। उनकी ज्यादातर मांगों पर सहमति बन गई। इससे पहले संघ से जुड़े प्रदेश के करीब ९ हजार डॉक्टरों ने मंगलवार से दो दनि तक सामूहिक अवकाश पर रहने तथा १४ जुलाई को राज्य सरकार को सामूहिक इस्तीफे सौंपने की घोषणा की थी। इसके बाद सरकार ने राजस्थान एसेंशियल मेंटिनेंस एक्ट (रेस्मा) लगा दिया था। इन मांगों पर सहमति
राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ की प्रदेश महासचिव डॉ. नसरीन भारती ने बताया कि टाइम बाउंड प्रमोशन पर सहमत बिन गई है। इसके अलावा अस्पतालों को एकल पारी में संचालित करने, ग्रामीण भत्ता बढ़ाने, चिकित्सा सेवा को पंचायतीराज से मुक्त करने सहित अन्य मांगों पर कमेटी तीन माह में अपनी रिपोर्ट देगी। सरकार के साथ हुई वार्ता में कई बार तनातनी की स्थिति भी बनी। एकबारगी तो डॉक्टरों ने समझौते से साफ इनकार करते हुए हड़ताल यथावत रखने का फैसला किया था। इससे पहले भी संघ के पदाधिकारियों की सरकार के साथ दोपहर में करीब साढ़े तीन घंटे बैठक हुई थी, लेकिन उसमें मांगों पर कोई सहमति नहीं बन पाई थी।
इस बीच, करीब सात हजार इस्तीफे भी संघ के पास पहुंच गए थे। डॉक्टरों की हड़ताल को रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी अपना समर्थन दिया था।
रेस्मा लागू होते ही बदली स्थिति
सरकार द्वारा डॉक्टरों पर रेस्मा लागू करने जैसा सख्त कदम उठाने के बाद घटनाक्रम तेजी से बदला। हड़ताल को लेकर डॉक्टरों के अलग-अलग गुट बनने लगे। कुछ रेजिडेंट डॉक्टरों ने तो समर्थन वापस लेने तक का मानस बना लिया। इसी बीच सरकार की ओर से प्रस्ताव मलिने पर डॉक्टर वार्ता को राजी हो गए। रेस्मा के प्रावधानों में आवश्यक सेवा घोषति होने के बाद हड़ताल, सामूहकि अवकाश और सामूहकि इस्तीफे जैसी किसी भी कार्रवाई को गैर-कानूनी माना जाता है। इसका उल्लंघन करने पर बिना वारंट गरिफ्तारी का प्रावधान है। सरकार ने डॉक्टरों के पूर्व में दिए गए इस्तीफों को भी इसके प्रावधानों के दायरे में लेते हुए अवैध घोषति किया है।
ये किए थे वैकल्पकि इंतजाम
डॉक्टरों की हड़ताल की आशंका को देखते हुए चिकित्सा विभाग के प्रमुख सचवि बीएन शर्मा ने सभी संभागीय आयुक्तों, कलेक्टरों और सीएमएचओ को वैकल्पकि व्यवस्थाएं रखने के निर्देश दिए थे। हड़ताल की स्थिति में रेलवे अस्पताल के डॉक्टरों की सेवाएं लेने, मेडकिल कॉलेजों से डॉक्टर बुलाने और छुट्टियां रद्द करने के निर्देश दिए गए थे।
ये थी मांगें
केंद्र के समान वेतनमान। टाइम बाउंड प्रमोशन। राजस्थान सविलि मेडकिल सर्विसेज कैडर गठित किया जाए। चिकित्सा सेवाओं को पंचायतीराज विभाग के अधीन से हटाया जाए। हॉस्पटिलों का संचालन एकल पारी में। ग्रामीण भत्ता बढ़ाया जाए। डॉक्टरों के साथ कैंपस में मारपीट को गैरजमानती अपराध घोषित किया जाए। सेवारत चकित्सिकों की प्रोबेशन अवधि खत्म हो।
परिजन रोकें डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने से: गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डॉक्टरों के परजिनों से अपील की है कि वे डॉक्टरों पर हड़ताल नहीं करने के लिए दबाव डालें। डॉक्टरों को यह समझना चाहिए कि उनके नोबल पेशे के आम आदमी की जिंदगी के लिए क्या मायने हैं। मीडिया से बातचीत में गहलोत ने कहा कि डॉक्टरों की ज्यादातर मांगें मान ली गई हैं। डॉक्टरों की हर वाजबि मांगों को सरकार सुनती है और सुलझाती है, लेकनि रोज नई-नई मांगें जुड़ जाना ठीक नहीं है। मंत्रियों की समिति लगातार डॉक्टरों के प्रतनिधिमिंडल से बात कर रही है और उम्मीद है जल्द ही इसका समाधान निकाल लिया जाएगा।

मंत्री का अल्टीमेटम 24 दिन बाद भी बेनतीजा

मंत्री का अल्टीमेटम 24 दिन बाद भी बेनतीजा

 
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कोटा। नयापुरा में चंबल नदी पर पिछले चार साल से निर्माणाधीन नए पुल को लेकर यूआईटी कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के आदेशों की पालना भी अब तक नहीं हो पाई। धारीवाल ने 18 जून को पुल का निरीक्षण कर यूआईटी अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि ठेकेदार को नोटिस देकर सात दिन में यह पूछ लें कि उसे काम करना है अथवा नहीं। इसके बाद नए ठेके की प्रक्रिया शुरू की जाए। करीब 24 दिन बीत जाने के बावजूद पुल का भविष्य तय नहीं हुआ कि आखिर इसे कौन बनाएगा और यह कब तक पूरा होगा। फिलहाल ठेकेदार ने भी काम बंद कर रखा है। पुल के निर्माण की स्थिति स्पष्ट करने के लिए मुख्य अभियंता ओपी दोराया को जिम्मेदारी सौंपी गई थी और वे पिछले 15 दिन से कोटा ही नहीं आए।

नयापुरा में चंबल नदी पर एक अतिरिक्त पुल का कार्य 2007 में शुरू किया गया था। इसे 2010 में पूरा किया जाना था लेकिन अब 4 साल से अधिक हो जाने के बावजूद अभी तक इसका ३क् प्रतिशत ही कार्य हो पाया है। नदी के बीच में बड़ी चट्टानों के कारण वहां पुल के लिए पिलर नहीं बन पा रहे।

ठेकेदार ने चट्टानें तोड़ने के लिए कंट्रोल ब्लास्टिंग की अनुमति मांगी है लेकिन, यूआईटी प्रशासन ने इससे पुराने पुल को क्षति पहुंचने की आशंका से इंकार कर दिया। इसके बाद यूआईटी प्रशासन व ठेकेदार के बीच विवाद शुरू हो गया, ठेकेदार फर्म ने यूआईटी पर बकाया राशि नहीं देने का आरोप लगाया, वहीं यूआईटी ने खाली जगह में भी कार्य नहीं करने की बात कही।

दो युवकों के झगड़े में तीसरे की मौत

दो युवकों के झगड़े में तीसरे की मौत


 
 
 
कोटा/खातौली। खातौली के रामखेड़ा गांव में सोमवार रात दो युवकांे मंे विवाद हो गया और झगड़े में बीच-बचाव करने वाले एक जने की मौत हो गई, जबकि झगड़ने वाले दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। हत्या के आरोपी की लोगों ने जमकर पिटाई कर दी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। उसका फिलहाल खातौली अस्पताल में इलाज चल रहा है। गंभीर घायल दूसरे युवक को एमबीएस अस्पताल मंे भर्ती कराया गया है।


एएसपी ललित माहेश्वरी ने बताया कि रामखेड़ा गांव में सोमवार को एक धार्मिक स्थल पर एकादशी का धार्मिक आयोजन चल रहा था। गांव का ही लटूरलाल पुत्र सुखलाल बैरवा अपने साथी के साथ यहां नशे में गाली-गलौच कर रहा था। इसी दौरान एक युवक राजू लाल छापोल से रामखेड़ा की ओर जा रहा था। गाली गलौच की बात पर लटूरलाल से उसका विवाद हो गया। बात इतनी बढ़ गई कि दोनों एक दूसरे से झगड़ पड़े। लटूरलाल के पास कुल्हाड़ी थी, जिससे उसने राजू पर वार कर दिया। उसके सिर में गंभीर चोट लगी। राजू जान बचाकर घर की ओर भागा। इसी दौरान गांव के ही सीताराम (45)पुत्र नाथूलाल ने बीच बचाव का प्रयास किया। इस पर लटूरलाल व उसके साथियों ने उसके साथ भी मारपीट कर दी। इससे उसके गंभीर चोट लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

बाद में राजू अपने रिश्तेदारों के साथ वहां पहुंचा और लटूरलाल को पीटा। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और लटूरलाल को घायलावस्था मंे खातौली अस्पताल में भर्ती करवाया। पुलिस ने लटूरलाल को हत्या के आरोप मंे गिरफ्तार कर लिया है। घायल राजू को एमबीएस अस्पताल में भर्ती कराया है।

जगत के अपराध समाचार पात्र का दस साला जश्न मनाया

कोटा से प्रकाशित पाक्षिक जगत के अपराध समाचार पत्र का आज दस साल पुरे होने पर दशक समारोह का आयोजन किया गया जिसमे आई पी एस पंकज चोधरी मुख्य अतिथि और कंग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता वरिष्ट कोंग्रेसी पंकज मेहता की अध्यक्षता थी विशिष्ठ अतिथि लघु समाचार पात्र के रविन्द्र जी शर्मा थे ...............
कार्यक्रम में बोलते हुए आई पी एस पंकज चोधरी ने कोटा में नियुक्ति के दोरान उनकी कारगुजारियों और इस बीच आने वाली परेशानियों के बारे में बताया उन्होंने कहा के सभी जगह बीस प्रतिशत लोग गलत होते हैं फिर वोह चाहे पुलिस हो चाहे पत्रकारिता हो चाहे कोई सा भी व्यवसाय हो लेकिन अस्सी फीसदी लोग जो बेहतर होते हैं उनसे ही यह देश चल रहा है ..उन्होंने कहा के जगत के अपराध जेसे समाचार पत्र चाहे छोटे हों लेकिन जब वोह सच लिखते हैं तो बड़े अख़बारों से भी बहुत बढ़ा हो जाता है ......कार्यक्रम में बोलते हुए पंकज मेहता ने कहा के पत्रकारिता आज कठिन परीक्षा के दोर से गुज़र रही है और ऐसे में पत्रकारों को अपनी कसोटी पर खरा उतरना होगा .....इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार भाई रविन्द्र शर्मा ने कहा के आज कार्यक्रम में दो पंकज है एक आई पी एस अनकज चोधरी हैं जो भगत सिंह की तर्ज़ पर देश को आज़ाद कराना चाहते हैं और दुसरे पंकज मेहता जो गाँधीवादी तरीके से देश को सुधारना चाहते हैं लेकिन दोनों का मकसद एक ही है उन्होंने देश में पत्रकारों की समस्याओं के बारे में भी बताया .....कार्यक्रम में रमेश गाँधी ..डोक्टर एजाज़..बाउंसर पत्रिका के असलम शेर ..जागेन्द्र भटनागर ..योगेश जोशी ,,जितेन्द्र गोड़ सहित कई लोग उपस्थित थे ................जगत के अपराध के संपादक प्रकाशक भाई असलम रोमी ने बाद में सभी को धन्यवाद दिया ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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