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20 जुलाई 2011

यूनिक आई डी कार्ड को लेकर लोगों की अटकलें

देश की जनसंख्या की गिनती के साथ इन्डियन सेन्सस एक्ट के विधिक प्रावधान और लोकप्रतिनिधित्व प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत अब जब नए यूनिक आई कार्ड बनाये जा रहे हैं तो एक तरफ तो इन कार्डों को बनवाने को लेकर आम लोगों में उत्साह है तो दूसरी तरफ कुछ बुद्धिजीवियों के बीच में अटकलें भी जारी हैं .....कोटा में वकीलों ने अदालत परिसर में यूनिक आई कार्ड बनवाने का एक शिविर लगवाया जो केवल वकीलों और उनके परिजनों के लियें था ..इस शिविर की शुरुआत में तो थोड़ी बाधाएं आयीं और फिर अटकलों का बाज़ार गर्म हो गया जो इन कार्ड को बनवा कर आया उनका कहना था के कार्ड बनवाने के नाम पर देश के नागरिकों का रिकोर्ड अपराध नियंत्रण और निरिक्षण को लेकर तय्यार किया जा रहा है एक भाई का कहना था के उँगलियों और अंगूठों के निशान के अलावा आँखों की छाप सिर्फ इसलियें ली जा रही है के किसी भी घटना के बाद अंगुली चिन्ह के आधार पर वारदात करने वाला इस कम्प्यूटर रिकोर्ड से पकड़ा जाएगा और नहीं तो आँखों की तस्वीर दिखा कर ऐसे चेहरों की वारदात के चश्मदीद लोगों से शिनाख्त करवाकर की जा सकेगी .............कुल मिलाकर एक सोच यह थी के यूनिक कार्ड केवल अपराध नियन्त्रण और निरिक्षण की द्रष्टि से तय्यार किये जा रहे हैं और यही वजह है के उसमे महत्वपूर्ण जानकारियां जेसे ब्लड ग्रुप ,इंशोरेंस,वगेरा का कोलम नहीं है केवल पते के लियें तो फोटो पहचान पात्र ही काफी था ..बात आगे बढ़ी के यूनिक कार्ड बनाने के ठेके में भी सरकार की और मंत्रियों नेताओं की बल्ले बल्ले हो गयी है एक बढ़ा घोटाला हो सकता है ....बेंक और बरोदा ओर सेन्ट्रल बेंक ऑफ़ इण्डिया को इस मामले में ठेका दिया गया है जो पेटी कोंत्रेक्त पर ठेके पर से ठेके पर छोटे ठेकेदारों तक चेन बन गयी है नतीजन यूनिक कार्ड का रिकोर्ड गोपनीय और सुरक्षित रहेगा इस पर भी प्रश्न चिंह है ........इधर यूनिक कार्ड बनाने वाले नोसिखिये ठेके कर्मचारी लोगों की जिन आँखों में लेंस डाले हैं उनके यूनिक कार्ड नहीं बना पा रहे हैं जबकि जिनकी उंगलियाँ कटी हुई हैं या क्षतिग्रस्त हैं उनको भी कार्ड बना कर नहीं दिया गया है ..यूनिक कार्ड के पीछे सरकार का मंतव्य किया है यह तो वाही जाने लेकिन आधी अधूरी जानकारी वाले कार्ड महंगे खर्च पर बनवाकर सरकार इसी कहावत को चरितार्थ कर रही है के कव्वा चले हंस की चाल अपनी भी चाल भूल जाता है क्योंकि यह कार्ड विदेशों में जहां इंटरनेट और कम्प्यूटर तकनीक मजबूत है वहां कारगर हैं खिन ऐसा ना हो के हम फोटो पहचान पत्र की खट्टी छाछ से भी चले जाए खेर सरकार है जो जेसा चाहे जनता को विश्वास में लियें बगेर , जनता के सुझाव लियें बगेर इस लोकतंत्र में लोकतंत्र का गला घोंट कर कार्यवाही कर सकती है ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

फरियादी की पीड़ा




कोटा। दो साल पहले महावीर नगर थाने के तत्कालीन थानाधिकारी रामनारायण मीणा को एक दलाल सहित रिश्वत लेते हुए पकड़वाने के मामले में परिवादी यशवीर सिंह ने मीणा को नियम विरूद्ध पद में रखने का आरोप लगाया है।
एफआर लगाने की फिराक में हैं
सिंह ने मुख्यमंत्री को शिकायत भेजकर कहा है कि मीणा के खिलाफ एसीबी चालान पेश कर चुकी है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें पद से नहीं हटाया जा रहा। जबकि कार्मिक विभाग के नियमों के अनुसार ऎसे अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का प्रावधान है। सिंह ने आरोप लगाया कि 31 जुलाई, 2009 को हुई कार्रवाई के दौरान मीणा व थाने के जाब्ते ने एसीबी दल सहित उस पर हमला कर दिया था। प्रकरण की जांच वर्तमान में सीआईडी सीबी कर रही है।
जानकारी मिली है कि इस मामले में एफआर लगाने की तैयारी की जा रही है। जबकि इस मामले में तो फरियादी ही एसीबी के तत्कालीन उपाधीक्षक विशाल शर्मा हैं। सिंह ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि मीणा सहित इस मामले में फंसे हुए अन्य कांस्टेबल व हैड कांस्टेबल आज तक फील्ड में तैनात हैं और जांच प्रभावित करने के साथ ही उसे धमका रहे हैं। इस पूरे मामले की हाल ही में मुख्यमंत्री को की गई शिकायत पर कोटा पुलिस को जांच के निर्देश दिए गए हैं।

कोरी बातों से होगा 'इकबाल' बुलंद!




कोटा। 'लूट हो गई? कोई बात नहीं.. ऎसा करो अभी तो 100 नम्बर पर फोन करके बता दो। जो भी गाड़ी उस क्षेत्र में होगी, वह आ जाएगी। सुबह थाने पर आ जाना, रिपोर्ट दर्ज कर लेंगे।' लूट की वारदात पर यह रवैया है महावीर नगर थाने की पुलिस का। शहर के टैगोर नगर घरौंदा योजना के निकट स्थित सोयाबीन प्लांट के सामने मुख्य सड़क पर मंगलवार रात महज तीस मिनट के अंतराल में लूट की दो वारदातें हुई।
 तीन अज्ञात बदमाशों ने बारी-बारी से टैगोर नगर निवासी दो लोगों को लूट का शिकार बनाया। लूट का शिकार हुए राजू जागा ने बताया कि रात को घटना के तत्काल बाद उसने महावीर नगर थाने फोन किया तो वहां से कहा कि अभी कंट्रोल रूम पर बता दो। कंट्रोल रूम पर फोन किया, लेकिन काफी देर तक वहां कोई नहीं पहुंचा तो वह घर आ गया
चाकू की नोक पर लूट
विज्ञान नगर सब्जीमंडी में सब्जी बेचने वाले राजू जागा ने बताया कि रात 10 बजे वह साइकिल से टैगोर नगर में अपने घर जा रहा था। रास्ते में एक मोटरसाइकिल रोककर तीन युवक खड़े थे। उन्होंने उसे रोक लिया और मारपीट कर 430 रूपए छीन लिए। घटना के बाद वह घर आ गया और उसने महावीर नगर थाने व कंट्रोल रूम सूचना दी। सुबह मोहल्ले में चर्चा की तो पता चला कि उसी जगह मोहल्ले के बाबूलाल से भी उक्त हुलिए के तीनों युवकों ने चाकू दिखाकर 530 रूपए व मोबाइल छीन लिया। बुधवार सुबह मोहल्ले के अन्य लोगों के साथ थाने पहुंचकर इन दोनों ने रिपोर्ट दर्ज कराई।
लूट को मारपीट बताया
उधर, इस संबंध में बुधवार शाम  ने थाने पर फोन कर दोनों घटनाओं की जानकारी मांगी तो थाने पर मौजूद उप निरीक्षक कजोड़ मल ने कहा कि लूट जैसी कोई बात नहीं है। मारपीट हुई थी। फिलहाल मामला जांच में रखा गया है। जांच एएसआई हजारीलाल को सौंपी है।

एनआईए की चार्जशीट में भी इन्द्रेश का नाम




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जयपुर। अजमेर दरगाह विस्फोट मामले में असीमानंद के खिलाफ पेश चार्जशीट में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक इन्दे्रश कुमार की भूमिका को भी संदिग्ध माना गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने चार्जशीट में कहा है कि इंद्रेश ने कार्यकर्ताओं को पहचान छिपाने के गुर सिखाए थे। हालांकि एनआईए ने उनके खिलाफ आरोप पत्र पेश नहीं किया, लेकिन साक्ष्य जुटाने का हवाला देते हुए अनुसंधान लम्बित रखा है। एटीएस जांच में भी इन्द्रेश का नाम आया था। बाद में दरगाह जांच केन्द्र सरकार के आदेश पर एनआईए के पास चली गई थी। 
जयपुर बैठक में सिखाए गुर : एनआईए ने सोमवार को चार्जशीट पेश की थी। इसके पैरा नम्बर 29 में लिखा है कि अक्टूबर 2005 में जयपुर स्थित गुजराती धर्मशाला के एक कमरे में इन्द्रेश कुमार ने गुप्त बैठक ली थी। बैठक में सुनील जोशी (मृतक), लोकेश शर्मा, रामजी कलसांगरा, शिवम, साध्वी प्रज्ञा व अन्य शामिल थे। बैठक में इन्द्रेश कुमार ने पहचान छिपाने के गुर सिखाए थे। कहा गया था कि उपस्थिति धार्मिक कार्यक्रमों में रखो, जिससे कोई संदेह न करे।
दरगाह विस्फोट में इस बैठक की अहम भूमिका थी। असीमानन्द के अलावा रामजी, संदीप, सुनील, सुरेश नायर, भावेश पटेल व मेहुल को फरार बताया गया है। जांच एजेंसी ने असीमानन्द व भरत भाई की भूमिका को अहम माना है। असीमानन्द ने ही भरत व सुनील जोशी को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई थी। इस सहायता से अन्य साथियों ने मोबाइल व विस्फोटक की व्यवस्था की और उन्हें दरगाह में रखा। इन्दे्रश कुमार के अलावा रमेश, अमित उर्फ हकला, प्रज्ञा, समुन्द्र व जयन्ति भाई के खिलाफ अनुसंधान लम्बित रखा है।
बहस 24 अगस्त से : एनआईए ने इस मामले में असीमानन्द के खिलाफ दो दिन पहले चार्जशीट पेश की थी। इस मामले में बुधवार को सुनवाई थी। सीबीआई मामलात की विशेष अदालत ने प्रसंज्ञान लेकर बहस के लिए 24 अगस्त का दिन तय किया है। इसके साथ ही बचाव पक्ष को चार्जशीट की प्रति उपलब्ध कराई गई।

200 रूपए में बिका एमबीए का पर्चा




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जयपुर। कीमत मात्र 200 रूपए और एमबीए का हू-ब-हू पर्चा परीक्षा शुरू होने से पहले आपके हाथ में। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को तार-तार करने वाला यह नजारा बुधवार को मानसरोवर में मीरा मार्ग स्थित एक परीक्षा केंद्र के बाहर देखने को मिला। सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय की एमबीए परीक्षा में मार्केटिंग विषय का पर्चा बुधवार को परीक्षा शुरू होने से एक घंटे पहले ही आईजीएम सीनियर सैकंडरी स्कूल (परीक्षा केंद्र) के बाहर परीक्षार्थियों को बेचे जाने के नजारे के गवाह बने राजस्थान पत्रिका के संवाददाता और फोटोग्राफर।
 पेपर तीन बजे शुरू होना था लेकिन करीब दो बजे परीक्षा केंद्र के बाहर एक कार में बैठे कुछ युवक 200-200 रूपए में पर्चे बेच रहे थे। परीक्षार्थी बन पत्रिका संवाददाता के मार्केटिंग का पर्चा मांगने पर उन युवकों ने बिना किसी तरह की पूछताछ किए पैसे लेकर पेपर थमा दिया। परीक्षा शुरू होने के बाद संवाददाता ने केंद्र में जाकर बाहर से खरीदे पर्चे का मिलान किया तो दोनों पेपरों में सारे सवाल हू-ब-हू निकले। घटनाक्रम दोपहर 1.50 बजे शुरू हुआ, जो करीब दो घंटे चला।
सपनों पर फिर रहा पानी
मानसरोवर स्थित आईजीएम परीक्षा केन्द्र के बाहर एक घंटे पहले बिकना शुरू हुए परचे ने परीक्षा प्रणाली पर सवाल खड़ा कर दिया है। परचे के बिकने से उन हजारों परीक्षार्थियों के सपनों पर पानी फिरना तय है, जो कड़ी मेहनत कर परीक्षा देने पहुंचे थे।
उक्त केन्द्र के एक तरफ तो बाहर परचा खरीदने वाले परीक्षार्थियों ने उसमे दिए गए सवालों के उत्तरों का रट्टा लगाना शुरू कर दिया था, और दूसरी तरफ इनके बीच कई परीक्षार्थी ऎसे भी थे जो एक कोने में खड़े होकर पास बुक और अन्य किताबों से अंतिम क्षणों में भी तैयारी कर रहे थे। इन्हें इसकी जानकारी नहीं थी कि जो परीक्षा वे देने जा रहे हैं, उसे पास करने का जुगाड़ कई परीक्षार्थी बिना तैयारी के ही कर चुके हैं।
लड़कियों ने भी खरीदे परचे
कार में बैठे युवकों से परचा खरीदने वालों में कई लड़कियां भी थी। इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया कि केन्द्र के बाहर यह कारस्तानी बुधवार को एक दिन के लिए नहीं थी। जिस तरह परीक्षार्थी अभ्यस्त के तौर पर परचा खरीदते नजर आए, उससे यह तय हो गया कि यहां यह गोरखधंधा नया नहीं था।
कई विद्यार्थियों के उड़े होश
बाहर से परचा खरीदने के बाद पत्रिका संवाददाता व फोटो पत्रकार ने परचे की विश्वसनीयता परखने के लिए स्कूल व परीक्षा आयोजकों से संपर्क कर परचे का मिलान किया। वहां मौजूद विश्वविद्यालय के प्रतिनिघि भी हतप्रभ रह गए और बाहर का परचा अंदर भी लेकर पहुंचे परीक्षार्थियों के होश उड़ गए। ए, बी व सी तीन भागों मे आए इस प्रश्न पत्र में आए सभी प्रश्न बाहर बिके प्रश्न पत्र से मिलान खाते थे।
परचे के साथ पकड़े गए
परीक्षा केन्द्र में हुबहू परचा बाहर वाला ही पाया गया तो वहां मौजूद अघिकारियों ने केन्द्र में बैठे परीक्षार्थियों की जांच की। यहां 7 विद्यार्थी तो बाहर बिक रहे परचे से ही पेपर करते हुए पकड़े गए।
जयपुर में 600 से ज्यादा परीक्षार्थी
सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय की ओर से यह परीक्षा जयपुर में दो केन्द्रों पर आयोजित की गई। दोनों केन्द्रों पर 600 से अघिक परीक्षार्थियों को इसमें शामिल होना था। करीब 80 प्रतिशत ने परीक्षा दी। जयपुर के अलावा राज्य के अन्य शहरों में भी परीक्षा केन्द्र थे।  राज्य में करीब दो हजार परीक्षार्थियों का शामिल होना बताया जा रहा है।
अब क्या होगा : परीक्षा केन्द्र के बाहर परचा बिकने का खुलासा होने के बाद अब परीक्षा के औचित्य पर सवाल उठ गया है। ऎसे में विश्वविद्यालय इस केन्द्र पर परीक्षा रद्द भी कर सकता है। इन आशंकाओं के चलते उन विद्यार्थियों के होश उड़े हुए हैं जिन्होंने पूरी तैयारी के बाद बुधवार को परीक्षा दी थी।
यूं चला घटनाक्रम
दोपहर 1:50 बजे : संवाददाता ने स्कूल परीक्षा केन्द्र के द्वार से कुछ ही दूरी पर खड़े युवकों से परचे के बारे में पूछा तो 2:30 बजे परचा आने की बात कहकर इंतजार करने के लिए कहा।
दोपहर 2:05 बजे : परीक्षा केन्द्र के दूसरी ओर मीरा मार्ग स्थित सामुदायिक केन्द्र के बाहर अल्टो कार (आरजे 14 सीजे 1730) में बैठे कुछ युवकों ने परचे की बिक्री शुरू कर दी। यकायक वहां खड़े कई परीक्षार्थी उस ओर जाने लगे। संवाददाता ने भी उधर रूख किया।

दोपहर 2:15 बजे : संवाददाता ने कार में बैठे युवकों से मार्केटिंग के परचे के लिए कहा। उन्होंने 200 रूपए लेकर परचा दे दिया। इसके बाद ये युवक परीक्षा शुरू होने से 10 मिनट पहले तक स्कूल से 20 मीटर की दूरी पर परचे बेचते रहे।
2:50 बजे  : कार में बैठे युवक स्वयं भी परीक्षा देने चले गए।
3:15 बजे : संवाददाता ने परीक्षा केन्द्र के भीतर प्रवेश किया। परीक्षा केन्द्र पर उपस्थित विश्वविद्यालय के प्रतिनिघियों और विद्यालय प्रबंधन की उपस्थिति में बाहर बिक रहे परचे तथा अंदर वितरित किए गए मूल प्रश्न पत्र का मिलान शुरू किया।
3:25 बजे : प्रश्न पत्र में सभी प्रश्न बाहर बिकने वाले प्रश्न पत्र में से ही आए थे। जिस परीक्षार्थी की कॉपी जांची गई, वह 20 मिनट में सभी प्रश्न सही हल कर चुका था।
3:35 बजे : एक परीक्षार्थी बाहर बिके परचे से प्रश्न पत्र हल करता पकड़ा गया।
3:40 बजे : केन्द्र में उपस्थित सभी परीक्षार्थियों की जांच शुरू कर दी गई, जिसमें एमएफ 09 कोड वाले विषय के प्रश्न पत्र का परचा भी पकड़ा गया। इनमें परचे बेच रहे परीक्षार्थी भी शामिल थे।
3:55 बजे : सात परीक्षार्थी बाहर बिकने वाले परचे से नकल करते पकड़े गए। कार वहीं खड़ी रही।
हमें शक था
हमें इसका पहले से ही शक था। मैंने इसकी सूचना सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय के दिल्ली स्थित नियंत्रण कक्ष को दे दी है।
विजय सिंह राठौड़, परीक्षा केंद्र पर विश्वविद्यालय के प्रतिनिघि
कंपनी का जिम्मा
परीक्षा केंद्र से बाहर की घटना पर विद्यालय नजर नहीं रख सकता। विवि ने परीक्षा का जिम्मा मेरिट्रेक कंपनी को दिया। उनके प्रतिनिघि यहां नियुक्त हैं। आप उनसे बात कर लें।
वंदना पांडे, प्राचार्य, आईजीएम सी. स्कूल
विकास जैन

भ्रष्टाचार का अंजाम- चीन में फांसी पर चढ़ाए गए दो पूर्व उप मयर

 
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बीजिंग.चीन के दो पूर्व उप मेयर को भ्रष्टाचार का दोषी ठहराए जाने के बाद मंगलवार को फांसी दे दी गई। चीन के सुप्रीम पीपुल्स कोर्ट (एसपीसी) ने बताया कि दोनों के मामलों की समीक्षा करने के बाद फांसी की मंजूरी दी गई थी।

सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, झेंगियांग प्रांत के हांगझोउ के पूर्व उपमेयर शू मेइयोंग को रिश्वत लेने, धन की हेराफेरी और पद का दुरुपयोग करने का दोषी ठहराया गया था। उन्हें 12 मई को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी।

जियांगसू प्रांत के सुझोउ के पूर्व उप मेयर जियांग रेन्जी को अप्रैल 2008 में भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया गया था और मौत की सजा सुनाई गई थी। दोनों ने ही ऊंची अदालतों में अपील की थी लेकिन उनकी अपीलें खारिज कर दी गईं।

जयपुर के महाराजा की गोद में कौए का घोंसला


 
 
 
 
आधुनिक जयपुर के जनक पूर्व महाराजा मानसिंह द्वितीय की घोड़े पर सवार विशाल प्रतिमा रामनिवास बाग में लगवाई गई। तभी से यह बाग का मुख्य आकर्षण बन गई। विजिटर्स महाराजा की स्टेच्यू के साथ अपनी तस्वीरें उतारते हैं। अब नजारा थोड़ा अलग है।

एक कौए ने महाराजा की गोद में ही घोंसला बना लिया है। हालांकि बारिश के मौसम में इस बिना छत के घोंसले में कौआ परिवार रहता नहीं। यहां तो बस उनकी बैठक है। विजिटर्स को महाराजा के साथ अपनी तस्वीरों में कौआ पसंद नहीं आता। बाग की सार-संभाल करने वाली कार्य एजेंसी महाराजा की स्टेच्यू को शायद देखती ही नहीं।

ओवरलोड वाहनों के होंगे परमिट और रजिस्ट्रेशन रद्द\

 
 
चार परिवहन निरीक्षक/उप परिवहन निरीक्षकों के साथ दो उडऩदस्तों का गठन

जयपुर। प्रदेश में ओवरलोड और अवैध पार्किंग की रोकथाम को लेकर परिवहन विभाग अब सख्त हो गया है। विभाग अब ऐसे वाहनों के परमिट और रजिस्ट्रेशन रद्द करने की तैयारी कर रहा, जो बार--बार मोटर व्हीकल एक्ट की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं। इसके लिए विभाग ने जिला परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) के निर्देशन में चार परिवहन निरीक्षक/उप परिवहन निरीक्षकों के साथ दो उडऩदस्तों का गठन किया है, जो प्रदेश भर में अभियान के तहत काम करेगा। इसकी शुरुआत सबसे पहले जयपुर से की जाएगी।
माना जा रहा है कि अभी एक बार चालान होने के बावजूद वाहन ओवरलोड हो रहे हैं। यही हाल बसों, जीपों और कारों का है कि चालन होने के बाद भी अवैध सवारी ढोई जा रही है। बसों की छतों पर अवैध रूप से लगेज कैरियर लगाए हुए हैं। बढ़ती हुई दुर्घटनाओं को देखते हुए विभाग ने यह कदम उठाया है। बताया गया है कि वाहन को एक बार चालान कर मौका दिया जाएगा। दूसरी बार अगर वाहन उसी आरोप में पकड़ा गया तो उसका पंजीयन प्रमाण--पत्र निलंबन किया जाएगा। इसके बाद भी यह समस्या निरंतर रही तो वाहन का परमिट और रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा।
अभी क्या है व्यवस्था
विभाग अभी ओवरलोड वाहनों को ऑफ लोड कर और अवैध पार्किंग में खड़े वाहनों का चालन बनाकर छोड़ देता है। इससे समस्या का अंत नहीं हो पा रहा है। एक-दो महीनों बाद फिर वही समस्या उत्पन्न हो जाती है। परमिट और रजिस्ट्रेशन रद्द होने की सख्त कार्रवाई से वाहन मालिकों में भय रहेगा। इससे पुनरावृति नहीं होगी।
विभाग के उडऩदस्ते निरंतर मोटर व्हीकल एक्स की शर्तों का उल्लंघन करने वाले वाहनों का चालान बना रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद वाहनों के ओवरलोडिंग और अवैध पार्किंग की समस्या निरंतर बढ़ती जा रही है। अब विभाग ने इनके परमिट और रजिस्ट्रेशन रद्द करने का निर्णय लिया है।
दीपक उप्रेती, आयुक्त परिवहन विभाग
विभाग ने परमिट और रजिस्ट्रेशन रद्द करने के लिए जिला परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) को पत्र लिख दिया है। इस पर जल्द ही कार्रवाई शुरू की जाएगी। वैसे विभाग ओवरलोड और अवैध पार्किंग वाहनों के खिलाफ समय—समय पर कार्रवाई कर रहा है, लेकिन इससे समस्या हल नहीं हो रही है। ऐसे में यह निर्णय लिया गया है।
हरि प्रसाद मिश्रा, अपर परिवहन आयुक्त (सड़क सुरक्षा)

बारां के शेरगढ़ किले में मिले पाषाण युग सभ्यता के पांच हजार वर्ष पुराने अवशेष

 बारां। जिले की अटरू तहसील क्षेत्र के ऐतिहासिक शेरगढ़ किले में पांच हजार वर्ष पुराने प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं। ये अवशेष इतिहासकारों एवं पुरातत्व विभाग ने मनुष्य के प्रारंभिक काल पाषाण युग के बताए हैं। इन्हें पुरातत्व विभाग कोटा ने ढूंढ़े हैं। क्षेत्र में मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, सिंधु घाटी सरीखी सभ्यता मिलने की संभावना जताई है। विभाग भी इस सभ्यता को ढूंढ़ने के लिए प्रोजेक्ट बनाकर सरकार के पास भेजेगा। यदि यहां सभ्यता मिलती है तो क्षेत्र पर्यटन के तौर भी विकसित हो सकता है।
शेरगढ़ अटरू से आगे बड़ौरा से 10 किमी दूर परकोटे में भीतर बसा है। पुरातत्व विभाग कोटा के वृत्त अधीक्षक केएल मीणा ने बताया कि पिछले दिनों शेरगढ़ किले में हुई तेज बारिश के बाद मिट्टी में दबे पाषाण युग के अवशेष नजर आए। इन्हें कुरेदने पर पाषाण युग के 20 अवशेष निकाले। इन्हें कोटा कार्यालय में सुरक्षित रख दिया है। शेरगढ़ किले से सटकर परवन नदी गुजर रही है। पाषाण काल में लोग पानी की पर्याप्त उपलब्धता के अनुसार रहते थे।

दो भागों में बंटा है पाषाण काल

मुख्यत: कालखंड को तीन भागों पाषाण, लोह व कांस्य काल में विभक्त किया गया है। पाषाणकाल को पूर्व पाषाणकाल व उत्तर पाषाणकाल में विभक्त किया गया है। पूर्व पाषाणकाल में मनुष्य मिट्टी के कच्चे बर्तनों का उपयोग करते थे। उत्तर पाषाणकाल में बर्तन मिट्टी के तो बने होते थे, लेकिन बर्तन पक्के होते थे। शेरगढ़ के पास मिले अवशेष उत्तर पाषाणकाल जैसे प्रतीत होते हैं।

किस तरह के अवशेष

ये अवशेष पाषाण युग के मिट्टी के बने बर्तन आदि के हैं। ऊपरी सतह से इनका रंग हल्का लाल (गैरूवा) है। अंदर से काले रंग का है। इस युग में मनुष्य नदी के किनारे रहा करता थे।

तीन स्थानों पर मिली है सभ्यता

राजकीय कॉलेज में इतिहास की व्याख्याता मंजू कंछल ने बताया कि प्रदेश में लोहे व कांस्य युग की सभ्यता श्रीगंगानगर के कालीबंगा, उदयपुर के आहड़, जयपुर के बैराठ में मिली है। यह काल करीब तीन हजार वर्ष पूर्व का था। हो सकता है शेरगढ़ क्षेत्र में पाषाण युग की सभ्यता मिल जाए।


केएल मीणा, वृत्त अधीक्षक, पुरातत्व विभाग कोटा ने कहा कि शेरगढ़ किले में पांच हजार वर्ष पुराने पाषाण काल के अवशेष मिले हैं। यहां पाषाण काल की पूरी सभ्यता मिलने की संभावना हैं। इसके लिए एक प्रोजेक्ट बनाकर सरकार के पास भेजा जाएगा।

महज 'दो गज जमीन' की खातिर कर दी भाई की हत्या

 
गोटन। क्षेत्र के रामनगर गांव में मंगलवार को चचेरे भाइयों ने जमीन के विवाद के चलते अपने ही भाई की लाठियों से पीट पीट कर हत्या कर शव एक कमरे में फेंक दिया। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू की है। थानाधिकारी रामेश्वर लाल भाटी के अनुसार रामनगर के हरकारा की पत्नी हरकी ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि है उसने मांगूराम मेघवाल का खेत जोतने के लिए ट्रैक्टर लेकर भेजा था।

मांगूराम खेत जोतने गया तो मोहन पुत्र मांगीलाल, बाबूलाल पुत्र जीवणराम, रामचन्द्र पुत्र जीवणराम, हीराराम पुत्र बक्साराम व महिपाल पुत्र पूनाराम ने उसे खेत नहीं जोतने दिया। ट्रैक्टर रोक लिया और उसे भगा दिया। रिपोर्ट के अनुसार आरोपियों ने हरकुड़ी के पुत्र चुनाराम उर्फ मांगू को फोन करके बताया कि तुम्हारा ट्रैक्टर यहां पड़ा है, इसे ले जाओ। चूना राम ट्रैक्टर लेने गया तो आरोपियों ने उसे लाठियों से पीटकर मार डाला और शव उसके दिवंगत भाई रामप्रकाश के कमरे में डाल दिया। घटना का पता बुधवार को चला जब पुलिस ने हरकुड़ी की ओर से दर्ज गुमशुदगी की रिपोर्ट पर इलाके की जांच की।

मेड़ता डिप्टी सीताराम मीणा, मेड़ता रोड़ थानाधिकारी छीतर सिंह व रामेश्वर लाल भाटी ने उस कमरे से शव उठवाया और मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाया। पुलिस के अनुसार चूना राम का अपने चचेरे भाइयों के साथ जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। इसकी परिणति चूना राम की हत्या के रूप में हुई। सारे आरोपी फरार हैं। पुलिस उनकी तलाश कर रही है।

बेसहारा हुआ परिवार

चुना राम की हत्या के बाद हरकुड़ी के परिवार में केवल महिलाएं और बच्चे ही रह गए हैं। हरकुड़ी के तीन पुत्रों में से रामप्रकाश की तीन साल पहले करंट लगने से मौत हो गई थी। दूसरे पुत्र पूनाराम की 1995 में गोटन में हुए गोलीकांड में मौत हो गई थी। अब चूनाराम की हत्या के बाद घर में हरकुड़ी, तीन बेटों की बहुएं और उनके बच्चे ही रह गए हैं। परिवार को कोई कमाने वाला भी नहीं रहा।

सपने देखो मत अगर देखो तो पुरे कर डालो

अपनी आँखों में
यूँ ही कोई
सपना
ना लाया करो
सपना जो आजाये
उसे पहले
पूरा किया करो
जब भी
कोई सपना देखों
इन आँखों से
उस सपने को
अपने दिल में उतारो
इरादों को बुलंद कर
उसे केसे पूरा करें
उसका विचार
अपने मन में उतारो
थोड़ी करो कोशिश
बस
कोशिश से सपने को
साकार करने का सपना
खुद बा खुद जल्दी ही
पूरा हो जायेगा ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

डायन कह कर मारी गई 2500 महिलाएं



woman Killing
जयपुर। विज्ञान में डायन या ऊपरी हवा जैसी कोई चीज नहीं होती है लेकिन इसके बाद भी राज्य में डाकन के नाम पर बीते 15 साल में करीब ढाई हजार महिलाओं को मार दिया गया। इसके अलावा हजारों महिलाओं को अपमानित करने के साथ प्रताडित अलग से किया गया है। राज्य महिला आयोग ने डाकन प्रथा को रोकने के लिए कानून बनाने का प्रस्ताव 2005 में ही दे दिया था लेकिन इसे आज तक कानून की दर्जा नहीं दिया गया।

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन के अनुसार, अशिक्षित महिलाओं, पिछड़े वर्ग की ग्रामीण महिलाओं की संपत्ति हड़पने या शोष्ाण के लिए लोग उन्हें डाकन बता कर प्रताडित करते हैं। इसमें तंत्र-मंत्र के नाम पर लगातार शोष्ाण के साथ मार-पीट तो होती ही है, अपमानित भी किया जाता है। कई बार इन सबके बीच महिलाओं की जान तक चली जाती है लेकिन इसके बाद भी राज्य में डायन के नाम पर महिलाओं को प्रताडित करने से रोकने के लिए आज तक भी प्रभावी कानून नहीं बनाया गया है। हालांकि, राज्य महिला आयोग की ओर से डाकन प्रथा रोकने के लिए कानून बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को 2005 में ही भेजा जा चुका है। डायन प्रथा रोकने के लिए महिला संगठन ने राजस्थान हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है जिस पर अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।

इन राज्यों में है कानून : डायन या डाकन के नाम पर महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिए झाडखंड सरकार ने 1999 में ही कानून बना दिया था। इसके बाद 2001 में बिहार व छत्तीसगढ़ सरकार भी डायन प्रथा रोकने के लिए सख्त कानून बना चुकी है।

केवल परिपत्र जारी कर भूले : महिलाओं को डायन घोçष्ात कर प्रताडित करने की घटना को देखते हुए राज्य सरकार ने 16 सितंबर 2004 को परिपत्र जारी किया। इसमें डायन बताने को अमानवीय अपराध घोçष्ात करते हुए आरोपियों के खिलाफ पुलिस को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिये गए। मामले की जांच सर्कल ऑफिसर रैंक के अघिकारी से करवाने और हर 15 दिन में पुलिस अधीक्षक से मामले की विवेचना करने के आदेश दिये गए।

मामूली मारपीट की धारा : राज्य सरकार के परिपत्र की जानकारी ज्यादातर पुलिस अघिकारियों को नहीं है। इसी वजह से ऎसे मामले की अव्वल तो पुलिस एफआईआर ही दर्ज नहीं करती है। मामले के तूल पकड़ने पर पुलिस ज्यादातर मामले 107 व 116 और 323 जैसी मामूली धाराओं में ही दर्ज करती है। इसके बाद मामले की जांच एएसआई स्तर को सौंप देती है।

महिलाओं पर अत्याचार बढ़े : नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरों के अनुसार, राज्य में महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। महिला संगठनों की मानें, तो प्रदेश में हर साल करीब 100 महिलाओं को ऊपरी हवा या डायन घोçष्ात कर अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। इसमें उदयपुर, जोधपुर, कोटा, जैसलमेर के ग्रामीण व पिछड़े जिले की महिलाएं सबसे अघिक पीडित हैं।

इनका कहना है : डायन प्रथा के नाम पर महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं। सरकार को सख्त कानून बनाना चाहिए लेकिन महिला आयोग की पहल के बाद भी राज्य सरकार पांच साल में भी कानून बनाने में नाकाम रही है। इस लिए राजस्थान हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। अदालत ने नोटिस जारी कर सरकार से जवाब-तलब किया है।
- अजयकुमार जैन, अघिवक्ता

डायन प्रथा शिक्षित समाज पर कंलक है। महिलाओं पर अत्याचार करने और संपत्ति हड़पने के लिए महिला को डायन बताकर प्रताडित किया जा रहा है। काूनन नहीं होने के आधार पर कार्रवाई नहीं करती है। इसलिए जनहित याचिका के माध्यम से अदालत के ध्यान में पूरा मामला लाया गया है।
- निशा सिद्घू, महासचिव नेशनल
फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन

हाजी हशरु और आबिद अब्बासी कोटा वक्फ में सदर और सचिव नियुक्त

राजस्थान वक्फ बोर्ड की आज जयपुर में आयोजित बैठक में अध्यक्ष और सदस्यों ने जिला वक्फ कमेटियों का गठन किया ..कोटा जिला वक्फ कमेटी में हाजी हशरु  पठान को अध्यक्ष और एडवोकेट आबिद हुसेन अब्बासी को सेक्रेटरी निर्वाचित किया गया है ............कोटा में पिछले कई वर्षों से भाजपा समर्थित लोग जिला वक्फ कमेटी पर काबिज़ थे इस नये आदेश से अब कोटा जिला वक्फ कमेटी में कोंग्रेस शासित लोगों का बोलबाला रहेगा .....आबिद हुसेन अब्बासी एडवोकेट कई समाजों से जुड़ कर समाज सेवा करते रहे हैं जबकि हाजी   हशरु   पठान कोंग्रेस के जिला पदाधिकारी भी है और पूर्व में पार्षद भी रह चुके हैं ....हाजी हशरु पठान और आबिद अब्बासी एडवोकेट के इस मनोनयन पर कोटा में पठाखे छोड़ कर और मिठाइयाँ बाँट कर उनका स्वागत किया गया है .......कोटा के सभी लोगों ने उन्हें बधाइयां देते हुए कोटा वक्फ जायदाद की बहतर सार सम्भाल की अपेक्षा की है ..................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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