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23 जुलाई 2011

एक स्कूल, जहां पढ़ते हैं 18 जुड़वा बच्चे

रोहतक. शहर में एक ऐसा स्कूल है, जिसमें 18 जुड़वा बच्चे पढ़ते हैं। इनके नैन नक्श इतने मिलते हैं कि पहली बार देखने पर कोई भी धोखा खा सकता है। स्कूल के टीचर भी कन्फ्यूज हो जाते हैं।




यह स्कूल है गोहाना रोड स्थित जोन वेस्ले स्कूल। इसमें शहर के अलग अलग नौ परिवारों के 18 बच्चे पढ़ते हैं, जो जुड़वा हैं। उनके जन्म में एक से तीन मिनट का ही अंतर है। जब वे स्कूल आते हैं तो उनके दोस्त उन्हें देखकर तरह तरह के सवाल पूछने लग जाते हैं। अगर किसी दिन कोई न आए तो दोस्त गलती से दूसरे का नाम संबोधित कर देते हैं। घर जाते हैं तो रिश्तेदार मजाक करते हैं। पड़ोसी भी मजाक करने से पीछे नहीं रहते।



सभी में स्नेह इतना है कि एक दूसरे के बगैर नहीं रह सकते। रोचक बात यह है कि इन बच्चों के नाम एक जैसे ही अक्षरों पर रखे गए हैं। मसलन एक का नाम सेजल है तो बहन का नाम सौम्या है। एक बहन का नाम शिवांगी है तो दूसरी का नाम शिवानी है। स्कूल प्रिंसिपल ममता मलिक कहती हैं कि जुड़वा होना कुदरत का करिश्मा है। स्कूल में जितने भी जुड़वा बच्चे हैं वे सभी के आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं। शुरू में उन्हें भी गलतफहमी हो जाती थी।



प्रॉब्लम को खुद करते हैं दूर



इन जुड़वा भाई बहनों में एक खास बात यह है कि जब भी पढ़ाई से संबंधित कोई प्रॉब्लम आती है तो एक दूसरे की मदद करते हैं। जब दोनों भी उसे हल नहीं कर पाते तो अपने मम्मी- पापा की मदद लेते हैं। हालांकि चीजों को लेकर कभी कभार झगड़ा भी हो जाता है।



नौ परिवारों के जुड़वा भाई-बहनें



गर्वित-गर्विश दूसरी कक्षा

मानव-मानसी दूसरी कक्षा

यशराज-नकुल दूसरी कक्षा

सौम्या-सेजल छठी कक्षा

शिवांगी-शिवानी छठी कक्षा

प्रगति-पीयूष छठी कक्षा

अमन-अंकित आठवीं कक्षा

आदिति-आदित्य दसवीं कक्षा

आयुषी-आकृति ग्यारहवीं कक्षा

one farmulaa for life

अपनों से
बड़ों का
hmeshaan आदर सम्मान करों
अपनों से छोटों को
hameshan   
प्यार करो
दुनिया का एक
फार्मूला है
जरा तुम भी सीख लो
जो अच्छे लोग होते हैं
वोह सभी को
खुशियाँ देते हैं
जो बुरे लोग होते हैं
वोह सभी को
अनुभव और कडवे अनुभव देते हैं
जो बहुत बुरे लोग होते हैं
वोह लोगों को अच्छा बन्ने की सीख देते हैं .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान












a drimmmm ........

एक सपना
ज़रा
तुम भी तो देखों
काँटों में
फूल केसे
खिलते हैं
ज़रा
तुम भी तो देखों ..
नाज़ुक फूलों की
काँटों से
होती है
केसे हिफाज़त
ज़रा तुम भी तो देखो ....
ओह्ह में तो भूल ही गया
तुम तो संग दिल सनम हो
तुम्हे मेरे सपनों ,मेरे अरमानों से क्या
ऐसे में तुम यह देखो चाहे वोह देखो
मुझे क्या ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

dukaandaar ko milaa aese chkmaa kmaai kaa

कल हम हमारे लड़के शाहरुख़ खान को अमिटी नोयडा में बी टेक कम्प्यूटर साइंसे ने एडमिशन रिपोर्टिंग के लियें गए थे ..बच्चे को में बिल्डिंग का हॉस्टल बता कर पुराणी बिल्डिंग का होस्टल दिया गया सभी बच्चों को जब दूसरी बिल्डिंग का हॉस्टल मिला तो पहले एतराज़ हुआ फिर सभी को मन्ना पढ़ा ...खेर बच्चे को लेकर सामान दिलवाने गए बाल्टी , मग्गे जरूरी चीजें खरीदना थी लेकिन उफ़ नोयडा तो लुट और महंगाई में कोटा का भी बाप निकला हर चीज़ की कीमत दोगुनी से भी ज्यादा थी ..बच्चे के लियें पानी की एक बोतल भी चाहिए थी .बोतल के सत्तर रूपये की कीमत के बारे में बतायागया तो मेरी श्रीमती भन्ना गयी मेने उन्हें समझे लेकिन मियाँ वोह मानने वाली कब थी ..दुकानदार ने कहा के साहब अब तो बिल बन गया इस कीमत की कोई और दूसरी चीज़ खरीद लो बच्चे के लियें बोतल भी जरूरी थी इसलिए श्रीमती जी के दिमाग ने कम किया उन्होंने साठ रूपये की कोल्ड ड्रिंक मांगी फिर दो कोल्ड ड्रिंक साठ रूपये मेले ली ..बस एक की जगह दो बोतलें  और वोह भी मजबूत आ गयी थी साथ में कोल्ड ड्रिंक फ्री था दूकान दार सोचता रहा के बचत की यह केसी गणित है ..माल का माल लिया और बोतले भी एक नहीं दो फ्री ले गए जनाब उस वक्त दुकानदार की शक्ल देखने लायक थी फिर तो क्या सभी दूरदराज़ से आये लोगों ने यही फार्मूला अपनाया ओर्पुरे नोयडा सेक्टर ४४ में जो एक दुकानदार बच्चों की लुट से काफी कमा लेता उसकी कमाई को धक्का लग रहा था आखिर में उसने कोल्ड ड्रिंक की सभी बोतलें हटा दिन और फिर कोल्ड ड्रिंक होने से इंकार करने लगा लेकिन बस फिर तो दो या तीन ही ग्राहक बचे थे हम सोचते रह बेचारा दुकानदार इस जुगाड़ के लियें श्रीमती रिजवाना जी को बुराई दे रहा होगा .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

teri zulfon ko

तेरी जुल्फों को
अगर यूँ ही
तू संवारती रहे
सच
मेरे दिल की
आवाज़
तुझे यूँ ही
पुकारती रहे ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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