आपका-अख्तर खान

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03 अगस्त 2011

अब तो इंतिहा हो गयी ...

अब तो इंतिहा हो गयी ...
हाँ , अबतो 
इंतिहा हो गयी 
ज़ुल्म की तुम्हारे 
ऐ सितमगर 
तुम खुद ही बता दो 
आखिर कब तक , आखिर कब तक 
ढहाओगे ज़ुल्म तुम मुझ पर 
बतादो के ज़ुल्म की इंतिहा मुझे 
तो फिर 
तुम्हारी ख्वाहिश पूरी हो 
तुम्हारी मुझ पर ज़ुल्म ढाने की तमन्ना पूरी हो 
बस इसीलियें 
में फिर से खुद को 
ज़ुल्म सहने के लियें 
तय्यार कर लूंगा 
कुछ इसी तरह से 
में तेरी ख़ुशी में 
खुद को 
शामिल कर लूंगा 
मुझ पर किये गए ज़ुल्मों से 
जब मिलेगा तुझे सुकून 
में भी यह सोच कर 
मेने तेरी हर ख्वाहिश पूरी की है 
खुद को भी 
सुकून में कर लूंगा ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

में जानता हूँ

में जानता हूँ 
हाँ , में जानता हूँ 
जिंदगी एक सजा है 
तेरे बगेर 
देख लो 
तुम्हें पाने की उम्मीद 
तुमसे मिलन की ख्वाहिश में 
मर मर कर 
जिए जा रहा हु में ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तुम भी क्या हो ...........

तुम भी क्या हो ...........
तुम हमेशा फूलों की सुगंध में 
रहते हो 
फिर भी 
अपनी जिंदगी के 
हाल पर रोते हो 
अरे मुझ से पूंछो 
कांटो में मेने 
गुजारी है जिंदगी 
फिर भी देख लो 
मेरे चेहरे पर शिकन 
जुबान पर शिकायत नहीं है ........................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राज ठाकरे ने किया सूत कातने से इनकार



अहमदाबाद। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे  बुधवार को अहमदाबाद स्थित गांधी आश्रम गए। गुजरात के सरकारी मेहमान के रूप में राज्य के नौ दिवसीय दौरे पर आए  ठाकरे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ऎतिहासिक चरखे पर सूत कातने के आग्रह को ठुकरा दिया। ठाकरे का कहना था कि उन्हें चरखा चलाना नही आता है। उधर, प्रोटोकॉल को दरकिनार कर ठाकरे को सरकारी मेहमान का दर्जा देने पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को कांग्रेस पार्टी की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा है।

छात्रावास है या 'काला पानी




कोटा। जिस भवन की छतें टपक रही हैं, जगह-जगह से प्लास्टर उखड़ा हुआ है। बिजली के बोर्ड खुले पड़े हैं। कमरों में सीलन भरी हुई है। ऎसे भवन में रह रही हैं, देश की 'भावी प्रतिभाएं'! जर्जर हालत वाले इस भवन में कभी भी कोई हादसा हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं।
अखबारों से ढकी दीवारें
जी हां, ये हाल हैं सूरजपोल स्थित केन्द्र प्रवर्तित अनुसूचित जाति जन जाति प्रतिभा विकास छात्रावास(सिटी हॉस्टल) के। इस छात्रावास में राज्य के 12 जिलों के कक्षा 9 से 12 के मल्टीपरपज स्कूल में पढ़ने वाले 34 प्रतिभावान विद्यार्थी रह रहे हैं। बीच आंगन में एक पेड़ है जो कभी भी गिर सकता है। कई छज्जे टूट कर गिर चुके हैं। छात्रों की सुरक्षा के लिए चौकीदार तक की भी सुविधा नहीं है। छात्रावास के कमरों में सीलन को रोकने के लिए छात्रों ने दीवारों पर अखबार चिपका रखे हैं।
इतना ही नहीं छात्रों के सोने के बिस्तर इतने अधिक गंदे हैं कि उनमें से दुर्गन्ध आ रही है। बिस्तर धोने के लिए साबुन की भी सुविधा नहीं है। कहने को छात्रावास में बच्चों के नहाने और शौच जाने के लिए जनसुविधाएं तो हैं, लेकिन उनमें सफाई नहीं होने से वे अनुपयोगी पड़ी हुई हैं। एक ही जनसुविधा का सभी को उपयोग करना पड़ रहा है।
बजट ही नहीं आया
गौरतलब है कि छात्रावास के लिए केन्द्र सरकार से बजट आता है। गत वर्ष का अभी तक नहीं आया है। इस कारण से कई अव्यवस्थाएं हो रही हैं। यही कारण है कि छात्रावास का पिछले 4 माह का पानी का करीब 5 हजार रूपए और बिजली का 10 हजार रूपए बिल जमा कराना बाकी है। भवन की जर्जüर हालत के बारे में कई बार लिखा जा चुका है लेकिन कोई सुनवाई नहीं है। सार्वजनिक निर्माण विभाग ने भवन को  अनुपयोगी घोषित कर दिया है।
राधेश्याम शर्मा, छात्रावास अधीक्षक
छात्रों के खाने के लिए जो बजट आता है वह बहुत कम है। इस दर में बच्चों को अच्छा खाना खिलाना चुनौती है। बजट भी समय पर नहीं आने से परेशानी बढ़ गई है।
नरेन्द्र शर्मा, प्रधानाचार्य मल्टीपरपज स्कूल
 खाने और जेब खर्च में भेद
छात्रावास में जहां एससी और एसटी दोनों वर्गोü के छात्र साथ रह रहे हैं और साथ ही खाना खा रहे हैं बावजूद दोनों में फर्क किया जा रहा है। एससी के छात्रों के लिए 500 रूपए महीना खाने का व एसटी के छात्रों का 700 रूपए और एससी के छात्रों को सौ रूपए महीना जेब खर्च है। वहीं एसटी के छात्रों को दो सौ रूपए महीना जेब खर्च के मिलते हैं।

सड़क पर प्रसव




state news

माण्डल। क्षेत्र के करेड़ा गांव में बुधवार को एक प्रसूता को लेकर उसके परिजन अस्पताल व चिकित्सकों के घर तक भटकते रहे, लेकिन उसकी पीड़ा किसी को दिखाई नहीं दी। पीड़ा से कराहती प्रसूता का प्रसव बीच सड़क पर ही हो गया। उसने एक स्वस्थ बालिका को जन्म दिया है। जिला प्रमुख एवं अन्य अधिकारियों के मौके पर पहुंचने के बाद ज"ाा-ब"ाा को करेड़ा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए चिकित्सा विभाग ने करेड़ा अस्पताल के एक चिकित्सक व मेल नर्स को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर दिया है। जबकि कालबेलिया समाज में इस घटना को लेकर रोष व्याप्त है और उन्होंने इसके लिए चिकित्साकर्मियों को दोषी ठहराते हुए उनके निलंबन की मांग की गई है।
घटना धुंवाला गांव की प्रसूता गैणा पत्नी अमृतनाथ कालबेलिया के साथ घटित हुई। प्रसव से पूर्व परिजन उसे डॉ. प्रभाकर अवताड़े के घर लेकर गए थे। जहां से उसे अस्पताल भेज दिया गया। अस्पताल पहुंचने पर वहां मौजूद मेल नर्स राजेंद्र सिंह ने प्रसूता को भर्ती नहीं किया। इस पर नाराज परिजन अन्य डॉ. सुनीता मीणा के घर जा रहे थे। इसी बीच गैणा को प्रसव पीड़ा हो गई और उसने बीच सड़क ही बालिका को जन्म दिया।
घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रमुख सुशीला सालवी, अतिरिक्त चिकित्सा अघिकारी प्रकाश शर्मा व महिला व बाल चेतना समिति की जिला सचिव तारा अहलूवालिया मौके पर पहुंची और ज"ाा-ब"ाा को करेड़ा अस्पताल में भर्ती कराया। इस मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी आरसी सामरिया ने डॉ. अवताड़े तथा मेल नर्स राजेंद्र सिंह को कार्यमुक्त करने के आदेश जारी किए थे। उन्होंने मामले में विभागीय जांच के भी आदेश दिए हैं।
विभागीय आदेश के बाद दोनों को कार्यमुक्त कर दिया गया है।
डॉ. ओपी छीपा, प्रभारी, राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, करेड़ा

कब खुलेंगे आरसीए के ताले!




home news

जयपुर। राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) के अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी और जयपुर के सांसद महेश जोशी के बीच दिल्ली में भले ही सुलह हो गई हो, लेकिन गुलाबीनगर में विवाद अभी थमा नहीं है। दोनों गुटों में मतभेद के चलते पांचवें दिन भी आरसीए ऑफिस में ताले लगे रहे। सीपी जोशी गुट के समर्थक दिनभर ताले खुलाने का प्रयास करते रहे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
सीपी जोशी गुट की ओर से विशेषाघिकारी नियुक्त किए गए राजसमंद जिला संघ के सचिव गिरिराज सनाढय ने गृहमंत्री शांति धारीवाल, पुलिस महानिदेशक हरीश चन्द्र मीना, पुलिस आयुक्त बी.एल. सोनी, पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) जोस मोहन, राजस्थान क्रीड़ा परिष्ाद के अध्यक्ष शिव चरण माली और ज्योतिनगर थाना प्रभारी को पत्र लिख कर शीघ्र ताले खुलाने की मांग की है।
असर खिलाडियों पर भी
आरसीए विवाद का असर खिलाडियों पर भी देखने को मिल रहा हैं। बेंगलूरू में कर्नाटक जिला संघ के टूर्नामेंट में खेल रही राजस्थान टीम के ज्यादातर खिलाडियों का ध्यान प्रदर्शन पर कम, आरसीए विवाद पर ज्यादा है। नाम न छापने की शर्त पर एक खिलाड़ी ने बताया कि खिलाडियों को अब भविष्य की चिंता सताने लगी है। वे इस बात को लेकर असंमजस में है कि उन्हें आरसीए से भत्तों का भुगतान समय पर होगा कि नहीं। हालांकि टीम के साथ कोच और मैनेजर हरीश जोशी ने बेंगलूरू से कहा कि राजस्थान टीम को किसी भी तरह की वित्तीय समस्या नहीं है।
सुनवाई टली
राजस्थान क्रिकेट संघ में चल रहा विवाद हाईकोर्ट पहुंच गया है, हाईकोर्ट ने बुधवार को इस मामले में सुनवाई 12 अगस्त तक टाल दी। याचिका में श्रीगंगानगर क्रिकेट संघ सचिव संजय मील की ओर से उदयपुर में आरसीए अध्यक्ष सी.पी. जोशी गुट की ओर से बुलाई बैठक में किए गए निर्णय को चुनौती दी गई है।
सनाढ्य का पत्र मिला
पुलिस के अनुसार डॉ. सी.पी. जोशी के ओएसडी गिरिराज सनाढ्य ने बुधवार को ज्योतिनगर थाने में प्रार्थना पत्र दिया है। पत्र में बताया गया है कि 29 जुलाई 2011 को डॉ. सीपी जोशी ने 23 जिला संघों  की सहमति से अनियमितताओं के चलते संजय दीक्षित को सचिव पद से हटा दिया था।  यह साबित होने के बावजूद 30 जुलाई को संजय दीक्षित ने आरसीए कार्यालय के मुख्य द्वार और अध्यक्ष के कार्यालय पर असंवैधानिक रूप से ताले लगा दिए। अत: इस सम्बंध में कानूनी कार्रवाई कर ताले खुलवाए जाएं।
ईजीएम बुलाने का अघिकार सचिव को
हम चाहते है कि राजस्थान में क्रिकेट गतिविघियां सुचारू रूप से चलें। उदयपुर में 29 जुलाई को बुलाई गई ईजीएम पूरी तरह असंवैधानिक है। आरसीए संविधान में ईजीएम बुलाने का अघिकार सिर्फ सचिव को होता है। पांच या उससे ज्यादा जिला संघ सचिव से ईजीएम बुलाने की मांग करते हैं तब भी यह सम्भव है। लेकिन मुझसे किसी भी जिला संघ ने ईजीएम बुलाने की मांग नहीं की थी। जहां तक ललित मोदी गुट वाले नागौर जिला संघ का सवाल है उस पर अभी इस माह के अंत तक स्टे लगा है।
संजय दीक्षित

लाल लिफाफे से पूरी हो जाएगी हर इच्छा

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हमारी इच्छाएं अनन्त हैं, एक इच्छा पूरी होती है तो उसके पीछे असंख्य इच्छाएं और खड़ी हो जाती हैं। पूरा जीवन इन इच्छाएं को पूरा करने में व्यतीत हो जाता है। कुछ इच्छाएं इतनी तीव्र होती हैं कि उन्हें पूरा करने के लिए हम सारी ताकत और मेहनत झोंक देते हैं, फिर भी सफलता प्राप्त नहीं होती।

यदि आप भी किसी खास इच्छा को पूरी करने के लिए मेहनत कर रहे हैं और सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही है तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बताया गया यह उपाय अपनाएं। अपने पर्स में एक लाल रंग का एक लिफाफा रखें। इस लिफाफे के अंदर आप अपनी कोई भी मनोकामना एक सादे कागज पर लिख कर रखें। इसके साथ ही अपने इष्टदेव और भगवान का नाम भी लिखें।

ऐसा करने पर बहुत ही जल्द आपकी मनोकामना अवश्य ही पूरी हो जाएगी। ध्यान रहे इस दौरान आप किसी का भी दिल ना दुखाए, ना ही किसी की बुराई करें। शास्त्रों में बताए गए सभी अधार्मिक कृत्यों से खुद को दूर रखें। ध्यान रखें इसके साथ ही आप अपने प्रयास पूरी मेहनत और ईमानदारी से करें। श्रीकृष्ण की गीता के अनुसार कुछ भी फल प्राप्त करने के लिए कर्म करना सबसे ज्यादा जरूरी है।

मरने के 24 घण्टे बाद ही जी उठा मुर्दा

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दक्षिण अफ्रीका में 'मरने के बाद' मुर्दा घर पहुंचाया गया एक व्यक्ति 24 घंटे के बाद जाग उठा और ख़ुद को बाहर निकालने के लिए शोर मचाने लगा जिससे वहां मौजूद लोगों की घिग्गी बंध गई। वहां मौजूद लोगों ने समझा कि वो भूत है।



इस व्यक्ति को उसके परिवार वालों ने मुर्दाघर पहुंचाया था। वो जब उसे शनिवार की रात नहीं जगा पाए तो उन्हें लगा कि उसकी मौत हो गई है जिसके बाद उन्होंने एक निजी मुर्दाघर से संबंध स्थापित किया। क़रीब 24 घंटे वहां रखे जाने के बाद वो आदमी रविवार शाम को 'जाग' गया और बाहर निकाले जाने के लिए शोर मचाने लगा।



ये घटना पूर्वी केप के एक गांव की है। क्षेत्रीय स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि व्यक्ति ने तक़रीबन 24 घंटे मुर्दाघर में बिताए थे। मुर्दा समझकर वहां रखे गए व्यक्ति के शोर मचाने के बाद वहां से भाग खड़े हुए दो कर्मी बाद में वापस आए और उन्होंने एम्बुलेंस बुलवाई। बाद में उस आदमी का इलाज अस्पताल में हुआ। उसके शरीर में पानी की कमी हो गई थी।



अधिकारियों ने लोगों से आग्रह किया है कि वो किसी को भी मृत घोषित करने से पहले किसी चिकित्सक या आकस्मिक सेवा की सहायता लें ताकि पूरी जांच पड़ताल के बाद ही किसी को मरा हुआ माना जाए। हमें ये सोचना होगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि कितने लोग जो मरे नहीं थे उन्हें मुर्दाघर पहुंचा दिया गया होगा और वहां उनकी मौत हुई हो

यह कैसा अंधविश्वास, रेलवे ट्रैक ठीक कर देती है गंभीर बीमारी

 
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इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में लोगों ने बीमारियों से निजात पाने के लिए अलग ही रास्ता अपनाया है। यहां के लोगों का मानना है कि रेलवे ट्रैक पर लेटने से उनकी बीमारियां ठीक हो जाती हैं। इसके लिए यहां के लोग खतरनाक थेरपी का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका दावा है कि ट्रैक पर लेटने से उनके जिस्म में इलेक्ट्रिक करंट का प्रवाह होता जिससे उनकी बीमारियां ठीक हो जाती है।
मुलयाती नाम की महिला ने बताया कि वह 13 साल से मधुमेह से पीड़ित है। कई डॉक्टरों से इलाज करवाया है लेकिन ठीक नहीं हुई। लेकिन जब मैंने यहां के बारे में सुना तो एक बार तो यकीन ही नहीं हुआ लेकिन जब मैं यहां आकर लेटी तो।
इन लोगों को उस अपाहिज चीनी व्यक्ति से प्रेरणा मिलती है जो रेलवे ट्रैक पर आत्महत्या करने के लिए गया था लेकिन यह कहकर वापस आ गया कि अब वह ट्रैक पर लेटने से पूरी तरह से ठीक हो चुका है। इसके बाद से लोगों इसे चमत्कार मानने लगे, और तब से लोगों को यह यकीन हो गया है इससे किफायती इलाज का तरीका कोई दूसरा नहीं हो सकता है।
लोगों को ट्रैक पर लेटने से बचाने के लिए यहां के प्रशासन ने चेतावनी बोर्ड भी लगा दिया है, जिसमें साफ-साफ लिखा है कि ऐसा करने वाले को तीन महीने की जेल और 1800 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना हो सकता है। लेकिन लोगों के मन में ऐसा अंधविश्वास भर गया है कि वह चेतावनी के बाद भी ट्रैक पर लेट रहे हैं।

युवा महिलाओं को आ रही मां बनने में दिक्कत


 
 
चंडीगढ़. शहर के अस्पतालों के गायनिकॉलोजिस्ट डिपार्टमेंट की ओपीडी में आने वाले कुल पेशंट में एक तिहाई पॉलिसिस्टिक ओवेरियन डिजीज के शिकार, इसकी वजह से युवा महिलाओं को आ रही मां बनने में दिक्कत, वजह बिगड़ी हुई लाइफ स्टाइल।

पीजीआई की एक गायनिकॉलोजिस्ट की ओपीडी में हर रोज औसतन 15 केस ऐसे आते हैं, जिनमें 30 साल से कम उम्र की महिलाओं को पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिसीज (पीसीओडी) नाम की बीमारी है। इसकी वजह से ये महिलाएं मां नहीं बन पा रहीं। इस बीमारी की शिकार सिर्फ शादीशुदा महिलाएं ही नहीं गर्ल्स भी हो रही हैं।

डॉक्टरों के मुताबिक शहर के दूसरे सरकारी और बड़े प्राइवेट अस्पतालों में भी इस बीमारी का मिलता जुलता आंकड़ा है। इस तेजी से बढ़ते आंकड़े की वजह है बदली हुई लाइफस्टाइल। ज्यादा टीवी देखना, खाने में काबरे हाइड्रेट बहुत ज्यादा लेना, जंक फूड, फिजिकल वर्क की कमी जैसी तमाम वजहें पीओडी के पेशंट्स में इजाफा कर रही हैं।

क्या होता पीओडी

महिलाओं के शरीर में अलग-अलग हॉर्मोन एक खास अनुपात में बनते हैं। पीसीओडी हॉर्मोन का संतुलन बिगड़ने की वजह से होता है। इसकी वजह से गर्भाशय में सिस्ट डिवेलप हो जाती है, जिसकी वजह से हर महीने गर्भाशय (ओवरी) में बनने वाला एग या तो बनता नहीं है, या फिर रिलीज नहीं हो पाता।इस वजह से गर्भधारण की संभावना खत्म हो जाती है। कई बार ओवरी का साइज बढ़ने की वजह से कुछ हॉर्मोन ज्यादा मात्रा में बनने लगते हैं। पीरियड रेग्युलर न होना, तेजी से वजन बढ़ना, चेहरे पर बहुत ज्यादा बाल या फिर मुंहासों का आना, इस बीमारी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।

मेंटल स्ट्रेस भी है वजह

पीजीआई के डिपार्टमेंट ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स और गायनी में असिस्टेंट प्रफेसर डॉ. शालिनी गेंदर ने बताया कि उनकी ओपीडी में रोजाना करीब 15 केस ऐसे आते हैं जहां यंग गल्र्स को पीसीओडी या एंडीमीट्रियॉटिक सिस्ट नाम की बीमारी होती है। ऐसे केसेस में सबसे पहले पेशंट को वजन कम करने के लिए कहा जाता है। आधी मुश्किल तो इसी से सुलझ जाती है। इसके बाद कुछ महीनों का कोर्स चलता है, जिसमें हॉर्मोनल ट्रीटमेंट किया जाता है। बढ़े हुए वजन के अलावा तनाव भी इस बीमारी की वजह बन रहे हैं।

कॉस्मो हॉस्पिटल, मोहाली में गायनिकॉलोजिस्ट डॉ. अनुपम गोयल के मुताबिक हमारी ओपीडी में हर तीसरी लड़की इस मुश्किल के साथ आती है। पीसीओडी की अहम वजह दिमागी तनाव और बदली हुई लाइफस्टाइल हैं। जब तक इलाज चलता है, असर दिखता है, मगर उसके बाद हालत जस की तस। डॉ. अनुपम ने एक उदाहरण के जरिए ये बात समझाई। उनके मुताबिक पिछले दिनों एक पेशंट आई, जो कॉल सेंटर में काम करती है। उसकी उम्र 28 साल है और वजन 120 किलो। उसके पीरियड रेगुलर नहीं हैं। उसे वर्कआउट की सलाह दी जाए तो गौर नहीं करती। जब तक मेडिसन चलती है, सब ठीक रहता है। उसके बाद फिर वही दिक्कतें।

ओवरी-ट्यूब का बिगड़ा रिश्ता

डॉ. रीति ने बताया कि पीओडी अब कॉमन बीमारी होती जा रही है। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के गाइनी डिपार्टमेंट में 15 फीसदी केस इसी तरह के आ रहे हैं। पीसीओडी के अलावा एंडोमीट्रियॉटिक सिस्ट की वजह से भी मां बनने में अड़चन आ रही है। इस बीमारी में ओवरी और फेलोपिन ट्यूब का रिलेशन बिगड़ जाता है। ओवरी के अंदर सिस्ट बन जाती है। इसकी वजह से इंटरनल ब्लीडिंग भी शुरू हो जाती है।

इसकी वजह से भी एग रिलीज नहीं हो पाते। इसका सबसे ज्यादा प्रचलित इलाज है लेप्रोस्कोपी ओवेरियल ड्रिलिंग। इसमें एंडोमीट्रियॉसिस लेयर को जला दिया जाता है और ओवरी -ट्यूब का रिलेशन ठीक किया जाता है। इसके अलावा कई केसेस में एक ओवरी रिमूव कर दी जाती है और दूसरी ओवरी में ट्रीटमेंट किया जाता है। अगर ओवरी में कैंसर डिवेलप हो रहा है, तब इसे पूरी तरह से निकालना पड़ता है।

पीओडी के कई मामलों में पूरी जिंदगी इलाज चलता है। पेशंट को रेग्युलर दवाई लेनी पड़ती है। इसलिए जरूरी है कि गल्र्स अपनी लाइफस्टाइल सही रखें। सही खुराक और एक्सरसाइज पीसीओडी को रोकने में मददगार है।

डॉ. शालिनी गेंदर

कई बार ओवरी में टीबी होता है पर अल्ट्रासाउंड स्पेशलिस्ट इसे पीसीओडी बताकर पेशंट को मिसगाइड कर देते हैं। इसलिए जरूरी है कि सही जगह से अपना चेकअप करवाएं। ऐसे केस में पहले टीबी को दूर किया जाता है और फिर हार्मोस दिए जाते हैं।

- डॉ. रीति मेहरा

महंगाई पर नूराकुश्ती :चर्चा के बावजूद महंगाई बढ़ती जा रही है

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नई दिल्ली. लोकसभा में विपक्ष ने महंगाई पर काबू पाने में असफल रहने और भ्रष्टाचार को लेकर यूपीए सरकार की कड़ी आलोचना की। आरोप लगाया गया कि सरकार की आर्थिक और वित्तीय नीतियों के कारण करोड़ों लोग गरीबी की रेखा से नीचे हैं। आम आदमी पूरी तरह उपेक्षित है।  भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने महंगाई पर चर्चा की शुरुआत की। सिन्हा ने कहा कि यह 12 वीं बार है जब सदन महंगाई पर चर्चा कर रहा है। विपक्ष के जोरदार आरोपों पर बीच-बीच में सत्ता पक्ष की ओर से भी बचाव की कोशिश की गई। दो दिन के विपक्ष के हंगामे के बाद सरकार मतविभाजन के प्रावधान वाले नियम 184 के तहत महंगाई पर चर्चा करने के लिए तैयार हुई है। बहस गुरुवार को भी होगी।
 सरकार और विपक्ष के बीच यह सहमति हुई कि प्रस्ताव में सरकार को सीधे दोषी नहीं ठहराया जाएगा बल्कि महंगाई की स्थिति पर चिंता जताई जाएगी जिससे पूरा सदन इससे जुड़ सके। प्रस्ताव में कहा गया कि सदन में बार-बार चर्चा के बावजूद महंगाई बढ़ती जा रही है। यह सदन सरकार से महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए असरदार कदम उठाने का आग्रह करता है।
 हालांकि सहमति होने के कारण चर्चा के बाद विपक्ष के मतविभाजन की मांग पर जोर देने की संभावना नहीं है।

पांच करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए : यशवंत
> सरकार हर दो महीने बाद कहती है कि महंगाई घट जाएगी, लेकिन आज तक घटी नहीं।
> हालात यह हैं कि पांच करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं।
> क्रिसिल रिपोर्ट का हवाला, ३ साल में महंगाई से घरेलू खर्च 6 लाख करोड़ रुपए बढ़ गया, जबकि सरकार का कुल राजस्व 6.5 लाख करोड़ है।
> सरकारी गोदामों में 6.5 करोड़ टन अनाज है, समस्या खाद्यान्न उपार्जन में नहीं, बल्कि खाद्यान्न जारी करने की नीति में है।
> महंगाई से निपटने का जिम्मा रिजर्व बैंक को दे दिया है। बैंक 11 बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है।
पिछले साल से कम हुई महंगाई : खुर्शीद
> महंगाई थामने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें आयात शुल्क घटाना और दाल व चावल के वायदा कारोबार पर अस्थाई रोक लगाना आदि शामिल हैं।
> महंगाई दर पिछले साल १५.७४% थी, जो अब ८.४५% है। हर बार मानसून अच्छा नहीं होता है, इसका नुकसान भी हमें होता है।
> दिसंबर के बाद महंगाई बढ़ी है, लेकिन इसका कारण वैश्विक स्तर पर पेट्रो पदार्थो के दाम बढ़ना है।
> विपक्ष का यह आरोप गलत है कि सरकार   महंगाई की अनदेखी कर विकास कर रही है। हम उतना ही विकास चाहते हैं, जिससे गरीबों का भला हो।
> ग्रामीण रोजगार, इंदिरा आवास योजना और शिक्षा का अधिकार आदि सरकारी योजनाएं आर्थिक सुधारों के कारण ही लागू हो पाई हैं।
गरीब आज भी गरीब है
गरीब आदमी आज भी वहीं है जहां 60 साल पहले था। टेलीकॉम टावरों को चलाने के लिए सालाना 1700 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जा रही है। यह सब्सिडी किसानों को दे दी जाए तो हालात बदल जाएंगे।
 -शरद यादव, जेडीयू प्रमुख
वायदा पर रोक क्यों नहीं?
सरकार दो तरह की बातें कर रही है। इससे सटोरियों को बढ़ावा मिल रहा है और महंगाई बढ़ रही है। वायदा कारोबार पर रोक क्यों नहीं लगाई जा रही है। इससे किसानों या आम आदमी को क्या लाभ है।
 -रघुवंश प्रसाद सिंह, राजद

भाजपा ने बरती नरमी
भाजपा ने इस मसले को लेकर सरकार के साथ नरमी बरती है। महंगाई सरकारी नीतियों में खेती,  किसानों की उपेक्षा और वायदा व्यापार, कालाबाजारी, जमाखोरी और खाद्यान्न निर्यात रोकने में अनिच्छा का परिणाम है। 
-गुरुदास दासगुप्ता, भाकपा
उद्योगों पर चिंता क्यों नहीं
किसानों की उपज के दामों में वृद्धि होने पर भारी हंगामा मचाया जाता है लेकिन उद्योगों में बनने वाली वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हुई है। उसे लेकर विपक्ष क्यों चिंतित नहीं है?
-के. एस. राव, कांग्रेस
कांग्रेस

आपकी राय
क्या आप महंगाई पर विपक्ष के सवालों पर सरकार के जवाब से संतुष्ट हैं? जरूरी चीजों के दाम से परेशान आम आदमी के सवालों का जवाब मिल गया है? इन मुद्दों पर अपनी राय जाहिर करें।

लॉ कॉलेज में उत्पात, तोड़ा कानून

 
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कोटा। जेडीबी गल्र्स कॉलेज में प्राचार्य को बंद करने और फर्नीचर तोड़ने की घटना की आरोपी छात्रा नेताओं पर पुलिस कार्रवाई से भी लॉ कॉलेज के छात्रों ने सबक नहीं सीखा। बुधवार को लॉ कॉलेज के छात्रों ने फिर वही कहानी दोहरायी। इस बार मुद्दा था, छात्रसंघ चुनाव की तिथियां घोषित हो गईं इसलिए गुरुवार से हो रही लॉ की परीक्षाओं की तिथि आगे खिसकाई जाएं क्योंकि परीक्षा के कारण उन्हें चुनाव की तैयारियों का समय नहीं मिल पाएगा।

जिस मांग को पूरा करना कॉलेज प्राचार्य के अधिकार क्षेत्र में नहीं था, उस पर भी छात्र नेताओं ने चुनाव पूर्व अपने शक्ति प्रदर्शन के लिए पहले कॉलेज प्राचार्य को उन्हीं के कक्ष में बंद किया और फिर कक्षाओं में जाकर परीक्षाओं के लिए व्यवस्थित की गई टेबल-कुर्सियों को फेंक-फेंककर तोड़ना शुरू कर दिया। प्राचार्य को करीब 20 मिनट तक कमरे में बंद रखने के दौरान उन्होंने कक्षाओं में पढ़ा रहे शिक्षकों को तथा पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को भी बाहर निकाल दिया। एक शिक्षक ने इसका विरोध भी किया और क्लास को डिस्टर्ब नहीं करने की अपील भी की लेकिन छात्र नेताओं ने छात्रों को बाहर निकाल दिया। कॉलेज में करीब आधे घंटे तक छात्रों का उत्पात बेरोकटोक जारी रहा। कॉलेज में उत्पात मचा रहे छात्रों ने कॉलेज के बाहर लगी परीक्षा सूची व टाइम टेबल को भी फाड़ दिया।

यूं चला घटनाक्रम:

सुबह 11.45 बजे लॉ कॉलेज छात्रसंघ के संयुक्त सचिव विनीत विजय, अनिल जैन, संजय गर्ग, मुकेश गौतम,आशीष वैष्णव, मुकेश तिवारी सहित अन्य विद्यार्थी प्रिंसिपल चैंबर पहुंचे। उन्होंने गुरुवार से शुरू होने वाली परीक्षा का विरोध जताया। प्रिंसिपल डॉ. मुरारीलाल यादव को घेर लिया और परीक्षा तिथि आगे बढ़ाने की मांग करने लगे। इस समय यादव व अन्य व्याख्याता गुरुवार को कॉलेज में होने वाली परीक्षा तैयारियों में जुटे हुए थे। प्राचार्य उन्हें कुछ समझाने की कोशिश करते रहे लेकिन छात्रों ने एक न सुनी। इसके बाद छात्रों ने प्रिंसिपल को चैंबर में बंद कर नारेबाजी करना शुरू कर दिया। इसके बावजूद कॉलेज प्रशासन ने पुलिस को बुलाना मुनासिब नहीं समझा।
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