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05 अगस्त 2011

भारत महिलाओं के लिए चौथा खतरनाक देश

 
 
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नई दिल्ली. एक वैश्विक सर्वे के अनुसार महिलाओं के लिए भारत दुनिया का चौथा सबसे खतरनाक देश है। इसके लिए कन्या भ्रूण हत्या और मानव तस्करी के बढ़ते मामलों को जिम्मेदार ठहराया गया है। सर्वे में अफगानिस्तान को पहले, कांगो को दूसरे एवं पाकिस्तान को तीसरे स्थान पर रखा गया है।

महिला और बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने राज्यसभा को सूचित किया कि सरकार को इस सर्वे की पद्धति और सामग्री की जानकारी नहीं है। इस वजह से इसकी विश्वसनीयता पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती।
माकपा सांसद मोइनुल हसन के प्रश्न पर लिखित जवाब में मंत्री ने कहा कि थॉमसन रायटर्स फाउंडेशन की कानूनी समाचार सेवा ट्रस्ट लॉ ने यह सर्वे कराया था। इसमें पांच महाद्वीपों के 213 जेंडर एक्सपर्ट्स से बात की गई है।

सर्वे में विशेषज्ञों ने खतरनाक का मतलब, यौन हिंसा, स्वास्थ्य सुविधाओं, घरेलू हिंसा, सांस्कृतिक और धार्मिक तथ्यों से जुड़े जवाब दिए। अफगानिस्तान में इन छह श्रेणियों में से तीन सुविधाएं (स्वास्थ्य, हिंसा और आर्थिक संसाधन) उपलब्ध नहीं होने से उसे सबसे खतरनाक माना गया।

कांगो अभी तक 1998-2003 तक चले युद्ध से उभर नहीं पाया है। यहां पर हर साल 4 लाख महिलाएं दुष्कर्म का शिकार होती हैं। पाकिस्तान सांस्कृतिक, कबायली और धार्मिक परंपराओं की वजह से महिलाओं के लिए असुरक्षित है। यहां बाल-विवाह, एसिड फेंकने के मामले और पत्थर मारकर सजा देने की घटनाएं आज भी जारी हंै।

आईसीयू में सोनिया गांधी, रजिस्‍टर में नाम दर्ज हुए बिना ही न्‍यूयॉर्क में हुई सर्जरी

 
 
नई दिल्‍ली. कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी की सर्जरी 4 अगस्‍त को अमेरिका में हुई और वह अभी आईसीयू में हैं। उनकी सर्जरी सफल रही। राहुल व प्रियंका गांधी के साथ रॉबर्ट वॉड्रा भी उनके पास हैं। कांग्रेस ने आज एक प्रेस रिलीज जारी कर यह जानकारी दी और बताया कि सोनिया की सर्जरी उनका निजी मामला है।

सोनिया की बीमारी और इलाज को लेकर सारी जानकारी गुप्‍त रखी गई है। यहां तक कि दिल्‍ली में सरकार के तमाम मंत्रियों को भी इसकी जानकारी तभी हुई, जब कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने गुरुवार को मीडिया ब्रीफिंग के जरिए बताया कि सोनिया इलाज के लिए विदेश गई हैं। 

यह गोपनीयता देश ही नहीं, अमेरिका तक में बरती जा रही है। 'टेलीग्राफ' ने अपने सूत्रों के हवाले से यहां तक खबर दी है कि न्‍यूयॉर्क के जिस अस्‍पताल में सोनिया का इलाज चल रहा है, वहां के रजिस्‍टर में उनका नाम तक दर्ज नहीं कराया गया है। उनकी सर्जरी और उनके इलाज का पूरा इंतजाम कांग्रेस अध्यक्ष के करीबी पुलक चटर्जी कर रहे हैं। पुलक वर्ल्ड बैंक मुख्यालय में भारत के कार्यकारी निदेशक हैं।

चटर्जी सोमवार को ही वाशिंगटन से न्‍यूयॉक पहुंच गए थे। उन्‍होंने वर्ल्ड बैंक से 10 अगस्त तक की छुट्टी ले रखी है। उनके सहयोगी रूपेश दलाल भी इस रविवार तक छुट्टी पर हैं। इस तरह की खबरें भी हैं कि सोनिया स्‍वास्‍थ्‍य लाभ के लिए वील कॉर्नेल मेडिकल सेंटर या कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में भी दाखिल हो सकती हैं। यह दुनिया के आलीशान व नामी अस्‍पतालों में से एक है।

कोलंबिया यूनिवर्सिटी सेंटर में पांच सितारा होटल जैसी सुविधाएं हैं। सर्जरी के बाद स्वास्थ्य लाभ के दौरान यह सेंटर ऐसे आलीशान कमरे मुहैया कराता है जहां से हडसन नदी का नजारा दिखता है। यहां तीमारदारों के लिए विजिटर रूम की सुविधा है जो आम तौर पर अन्य अस्पतालों में नहीं होती है।
दूसरी तरफ, वॉशिंगटन और न्यूयॉर्क में मौजूद भारतीय दूतावास के केंद्रों को इस मामले से अलग रखा गया है। कहा जा रहा है कि इससे साफ है कि सोनिया गांधी और उनका परिवार भारत सरकार को इस मामले में शामिल नहीं करना चाहता था। यही वजह है कि इस साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह प्रमुख सचिव बनने जा रहे पुलक चटर्जी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। वैसे, सोनिया गांधी के इलाज पर आज कांग्रेस पार्टी की तरफ से आधिकारिक बयान दिया जाएगा।
यहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी ने गुरुवार को बताया था कि सोनिया गांधी अगले दो-तीन सप्ताह तक संसद की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकेंगी। उन्‍होंने बताया कि वह इलाज के लिए विदेश गई हैं। उन्‍होंने यह नहीं बताया कि वह कहां और किस बीमारी का इलाज करा रही हैं। उन्‍होंने जानकारी दी कि कांग्रेस अध्‍यक्ष ने इलाज के लिए जाने से पहले अपनी अनुपस्थिति में पार्टी का कामकाज देखने के लिए चार सदस्यीय दल गठित कर दिया है। इसमें उनके बेटे राहुल गांधी भी शामिल हैं। राहुल के अलावा द्विवेदी, रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी और गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल इस दल में शामिल हैं।

..पहले ये तो बताओ गाड़ी पेड़ पे अटकी कैसे?

 

सड़क पर वाहन चलाते हुए जरा सी चूक भी जानलेवा हो सकती है। ऐसे में सावधानी हटने से दुर्घटना के चांस बढ़ जाते हैं। तेज रफ्तार, शराब पीकर गाड़ी चलाने और ध्यान भटकने के कारण लोग खुद दुर्घटना को दावत देते हैं। कई बार दुर्घटनाएं अपनी गलती से होती हैं और कई बार दूसरे वाहन  की वजह से चोटिल होना पड़ता है। इसलिए रफ्तार पर नियंत्रण बेहद जरूरी है। इन भीषण सड़क दुर्घटनाओं की तस्वीरें देख शायद आप अगली बार से अपनी गाड़ी की रफ्तार कंट्रोल में रखेंगे।

 
 

 

 

 

 

 

 
 
 

 
 

 

 

 

तस्वीरों में देखिए मां-बाप की लापरवाही के कारनामे

 

अपने बच्चों से ज्यादा प्यारा किसी मां-बाप को कुछ नहीं होता और उनकी देखभाल में वो कोई भी कसर नहीं चोड़ते। लेकिन अगर माता-पिता ही लापरवाह हो जाएं तो बच्चों का ख्याल कौन रखेगा। इन तस्वीरों में देखिए मां-बाप की लापरवाही के कारनामे....
 
 

 

 
 

 

 

 
 

 

 

 

 

 

 
 

सीबीआई के जाल में फंसेंगी शीला दीक्षित, देना पड़ सकता है इस्‍तीफा?

 
  
नई दिल्‍ली. पिछले साल अक्टूबर में हुए १९ वें कॉमनवेल्थ खेलों में हुई फिजूलखर्ची और अनियमितता के लिए शीला दीक्षित की अगुवाई वाली सरकार को दोषी पाने वाली सीएजी की संसद में पेश रिपोर्ट में दिल्ली सरकार को फिजूलखर्ची के अलावा अनियमितताओं के लिए दोषी माना गया है। सीएजी रिपोर्ट में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सुरेश कलमाड़ी को आयोजन समिति का अध्यक्ष बनाने के लिए दोषी माना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि २००४ में खेल मंत्रालय की आपत्ति के बावजूद पीएमओ ने कलमाडी़ को आयोजन समिति के अध्यक्ष का पद दिया।

सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के मुताबिक सीबीआई सीएजी रिपोर्ट के आधार पर सीडब्‍ल्‍यूजी घोटाले में नए केस दर्ज करेगी। इसमें अगर शीला दीक्षित को आरोपी बनाया गया तो वह इस्‍तीफा देने की विपक्ष की मांग को नकार नहीं पाएंगी। मजबूरन उन्‍हें कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है।  

सीएजी की रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के अलावा आयोजन से जुड़े कई मंत्रालयों और डीडीए, एमसीडी, एनडीएमसी और पीडब्लूडी जैसी एजेंसियों पर कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान फिजूलखर्ची का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान दिल्ली सरकार ने स्ट्रीट लाइट और सड़कों के सौंदर्यीकरण के नाम पर 100 करोड़ रुपये से अधिक फालतू खर्च किए हैं। रिपोर्ट में पीएमओ पर भी अनदेखी का आरोप लगा है। संसद में पेश सीएजी की 743 पन्‍नों की रिपोर्ट में दिल्ली सरकार पर तो धांधली के कई आरोप हैं।

इस्‍तीफे की मांग, संसद में हंगामा

येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद बीजेपी ने हमलावर रुख अपनाते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के इस्तीफे की मांग की है। सीएम के इस्‍तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे कई भाजपाइयों को गिरफ्तार कर लिया गया (तस्‍वीर में)। पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने संसद में रिपोर्ट पेश होने से पहले पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'मैं समझता हूं कि अब यह शीला दीक्षित की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह इस्तीफा दें। अगर ऐसा नहीं होता है तो कांग्रेस आला कमान को दीक्षित को अपना पद छोड़ने के लिए कहना चाहिए और उन्हें अपना नया मुख्यमंत्री चुनना चाहिए।'

बीजेपी के नेता राजीव प्रताप रूडी ने इसी मुद्दे पर कहा कि कांग्रेस पर लगे भ्रष्टाचार के कई आरोपों में से यह एक है। दोपहर तक सीएजी की रिपोर्ट संसद में पेश न होने पर राज्यसभा में बीजेपी के नेता एसएस आहलूवालिया ने हंगामा किया। आहलूवालिया ने कहा कि सरकार इस मामले को दबाना चाहती है। उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री राजीव शुक्ला पर भी जिम्मेदारी न निभाने का आरोप लगाया। सदन में हो हल्ले को देखते हुए उपसभापति के. रहमान खान ने सत्तापक्ष को सीएजी की रिपोर्ट २ बजे तक सदस्यों को उपलब्ध कराने को कहा।

लेकिन बीजेपी की मांग का कांग्रेस पर असर होता नहीं दिख रहा है। केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि कॉमनवेल्थ गेम्स के संदर्भ में सीएजी की रिपोर्ट और कर्नाटक में खनन घोटाले पर वहां के पूर्व लोकायुक्त की रिपोर्ट में कोई तुलना नहीं है। खनन घोटाले में लोकायुक्त की रिपोर्ट आने के बाद बी. एस. येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा था। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला संसद के सामने है, इसलिए देश की सर्वोच्च पंचायत के ऊपर मामले को छोड़ देना चाहिए। येदियुरप्पा की तरह दीक्षित के इस्तीफे की मांग को ठुकराते हुए खुर्शीद ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट में की गई टिप्पणियों को गलत संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए।

संसद के दोनों सदनों में पेश सीएजी की रिपोर्ट को संसद की लोक लेखा समिति (पीएससी) के पास भेजा जाएगा जहां इस मामले की आगे की जांच की जाएगी। दिल्ली सरकार ने भी शीला दीक्षित का यह कहते हुए बचाव किया है कि इस रिपोर्ट में कहीं भी मुख्यमंत्री को दोषी नहीं माना गया है। दिल्‍ली सरकार के मुख्य सचिव पी के त्रिपाठी ने इस रिपोर्ट का खंडन किया है।
केंद्रीय सतर्कता आयोग की एक्सपर्ट कमेटी व शुंगलु कमेटी भी कॉमनवेल्थ गेम्स से जुड़ी परियोजनाओं पर दिल्ली सरकार के कामकाज को लेकर उंगली उठा चुकी है। हालांकि दोनों ही मामलों में दिल्ली सरकार ने इन रिपोर्टों को तरजीह नहीं दी और प्रत्येक आरोप के जवाब में अपने तर्क सामने रखे थे।

शीला दीक्षित की सरकार पर लगे अहम आरोप -दिल्ली सरकार ने स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए बाज़ार रेट से कहीं ऊंची दरों पर ठेका देकर सरकारी खजाने को 31 करोड़ का चूना लगाया।
-कई ऐसी कंपनियों को सौंदर्यीकरण का ठे‍का मिला जो 'काली सूची' में थीं।
-लो फ्लोर बसों, बस शेल्टर, स्ट्रीट लाइट, बसों में एलईडी लाइट पैनल लगाने में वित्तीय खामियां। 
-स्ट्रीट लाइट का आयात करने से भी सरकारी खजाने को चूना लगा।

सीएजी की रिपोर्ट में कॉमनवेल्थ खेलों के आयोजन में पाई गईं खामियां और सिफारिशें-
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पीएमओ ने की कलमाड़ी के खिलाफ की गई चेतावनी की अनदेखी।
-दिल्ली सरकार पर खर्च बढ़ाने का आरोप। 
-ठेका देने में अनियमितताएं।
-सलाहकारों का चयन मनमाने ढंग से किए गए।
-मेडिकल उपकरणों के रखरखाव में गंभीर अनियमितताएं।
-कई परियोजनाओं में देरी होने से खर्च बढ़ा।
-अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए। 
-काम करने के लिए कमजोर सरकारी मॉडल अपनाया गया।
-फर्नीचर के दाम में बाज़ार भाव और खरीद में भारी अंतर।
-एएम फिल्म्स को जरूरी प्रक्रिया पूरी किए बिना काम दिया गया। 
-वित्तीय भुगतान में देरी की गई।
-घड़ी बनाने वाली स्विस कंपनी ओमेगा को गलत ढंग से प्राथमिकता दी गई।
-ठेके देने में पक्षपात और भेदभाव भरा रवैया अपनाया गया। 
-१०० करोड़ से ज़्यादा की फिजूलखर्ची।
-ब्रॉडकास्टिंग डील में भी अनियमितता।

बैठक से पहले उखड़े कांग्रेसी पार्षद

 
 
कोटा नगर निगम बोर्ड की शनिवार को होने वाली बैठक से पहले ही कांग्रेस पार्षदों का गुस्सा फूट पड़ा, उन्होंने निगम में उनके काम नहीं होने, लेटर को रद्दी की टोकरी में डाल देने सहित कई आरोप लगाए।  बैठक में महापौर डॉ. रत्ना जैन के अलावा कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद शर्मा, प्रदेश सचिव रवीन्द्र त्यागी सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।


बोर्ड से पहले कांग्रेस पार्षदों को एकजुट करने व बैठक में एक स्वर में बोलने के लिए पाबंद करने करने के लिए शुक्रवार की शाम को एक सहवरित पार्षद के रावतभाटा रोड स्थित कटले पर बैठक बुलाई गई थी। बैठक में चर्चा के दौरान शहर की बिगड़ी बिजली व्यवस्था पर पार्षद खुलकर बोले। पार्षदों ने कहा कि वार्डो में रोड लाइटें नहीं जल रही, महापौर व सीईओ इस ओर ध्यान नहीं देते, इस बारे में लिखकर देते हैं तो लेटर को कचरे के ढेर में डाल दिया जाता है। सबसे अधिक गुस्सा पार्षद गायत्री सिसोदिया को अपने वार्ड में लंबे समय से अंधेरे में डूबे होने को लेकर था, उन्होंने कहा कि कई बार लिखकर दिया, महापौर सहित सभी को सूचित कर दिया, किसी ने सुनवाई नहीं की। जब पार्टी के जिलाध्यक्ष सहित अन्य ने उन्हें शांत रहने व बैठने के लिए कहा तो वे और फट पड़ी, कहने लगी यदि उनकी बात सुन नहीं सकते तो बैठक में बुलाते क्यों हो। इसी प्रकार पार्षद नरेन्द्र खींची, राममूर्ति, टिन्नू चतुर्वेदी, शीलू विजयवर्गीय, रेहाना खान सहित अन्य पार्षदों ने भी शहर में रोड लाइट की स्थिति खराब होने की बात कही। जब प्रदेश सचिव रवीन्द्र त्यागी ने महापौर व उपमहापौर से मिलकर इस समस्या को हल करने की बात कही तो पार्षद भड़क उठे, वे कहने लगे कि इन्हें तो कई बार लिखकर दे दिया, इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा। इस पर जिलाध्यक्ष गोविंद शर्मा ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने कहा कि वे स्वयं पार्षदों के साथ मिलकर सोमवार को सीईओ के पास जाएंगे। इस समस्या का समाधान कराएंगे। पार्षदों में इस बात को लेकर भी रोष था कि जब रोड लाइटों के संधारण का ठेका दिया हुआ है तो फिर सामान क्यों खरीदा गया, इसका भुगतान क्यों किया जा रहा है। महापौर ने इस पर अनभिज्ञता जताते हुए समिति अध्यक्ष को इसके लिए जिम्मेदार बता दिया। पार्षदों का आरोप था कि निगम से ट्यूबलाइटें जाती है लेकिन, वे कहां लग रही है, किसी को पता नहीं है। इस दौरान त्यागी और गोविंद शर्मा ने पार्षदों को अनुशासन में रहने की सीख दी।
१क् रुपए के ठेके को टेंडर बगैर 70  लाख तक बढ़ा दिए
बैठक में शनिवार को निगम बोर्ड की बैठक में ट्रैक्टर-ट्रॉली के भुगतान के रखे जाने वाले मुद्दे पर भी असंतोष जताया गया। पार्षदों का कहना था कि बिना जांच किए ही भुगतान कैसे, जब कार्य ही नहीं हुआ तो कैसे बिल बन गए। पार्षद नरेन्द्र खींची ने कहा कि 10 रुपए के ठेके को बिना कोई निविदा जारी किए 70 लाख रुपए तक बढ़ा दिया गया। इस पूरे मामले की जांच की जानी चाहिए। इस पर निर्णय लिया गया कि पहले इसकी जांच कराई जाएगी, इसके बाद ही भुगतान का निर्णय होगा। इसके अलावा बैठक में बाकी एजेंडे पर भी चर्चा हुई। बैठक में लगभग 22 पार्षदों ने भाग लिया।

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कोटा नगर निगम बोर्ड की शनिवार को होने वाली बैठक से पहले ही कांग्रेस पार्षदों का गुस्सा फूट पड़ा, उन्होंने निगम में उनके काम नहीं होने, लेटर को रद्दी की टोकरी में डाल देने सहित कई आरोप लगाए।  बैठक में महापौर डॉ. रत्ना जैन के अलावा कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद शर्मा, प्रदेश सचिव रवीन्द्र त्यागी सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।


बोर्ड से पहले कांग्रेस पार्षदों को एकजुट करने व बैठक में एक स्वर में बोलने के लिए पाबंद करने करने के लिए शुक्रवार की शाम को एक सहवरित पार्षद के रावतभाटा रोड स्थित कटले पर बैठक बुलाई गई थी। बैठक में चर्चा के दौरान शहर की बिगड़ी बिजली व्यवस्था पर पार्षद खुलकर बोले। पार्षदों ने कहा कि वार्डो में रोड लाइटें नहीं जल रही, महापौर व सीईओ इस ओर ध्यान नहीं देते, इस बारे में लिखकर देते हैं तो लेटर को कचरे के ढेर में डाल दिया जाता है। सबसे अधिक गुस्सा पार्षद गायत्री सिसोदिया को अपने वार्ड में लंबे समय से अंधेरे में डूबे होने को लेकर था, उन्होंने कहा कि कई बार लिखकर दिया, महापौर सहित सभी को सूचित कर दिया, किसी ने सुनवाई नहीं की। जब पार्टी के जिलाध्यक्ष सहित अन्य ने उन्हें शांत रहने व बैठने के लिए कहा तो वे और फट पड़ी, कहने लगी यदि उनकी बात सुन नहीं सकते तो बैठक में बुलाते क्यों हो। इसी प्रकार पार्षद नरेन्द्र खींची, राममूर्ति, टिन्नू चतुर्वेदी, शीलू विजयवर्गीय, रेहाना खान सहित अन्य पार्षदों ने भी शहर में रोड लाइट की स्थिति खराब होने की बात कही। जब प्रदेश सचिव रवीन्द्र त्यागी ने महापौर व उपमहापौर से मिलकर इस समस्या को हल करने की बात कही तो पार्षद भड़क उठे, वे कहने लगे कि इन्हें तो कई बार लिखकर दे दिया, इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा। इस पर जिलाध्यक्ष गोविंद शर्मा ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने कहा कि वे स्वयं पार्षदों के साथ मिलकर सोमवार को सीईओ के पास जाएंगे। इस समस्या का समाधान कराएंगे। पार्षदों में इस बात को लेकर भी रोष था कि जब रोड लाइटों के संधारण का ठेका दिया हुआ है तो फिर सामान क्यों खरीदा गया, इसका भुगतान क्यों किया जा रहा है। महापौर ने इस पर अनभिज्ञता जताते हुए समिति अध्यक्ष को इसके लिए जिम्मेदार बता दिया। पार्षदों का आरोप था कि निगम से ट्यूबलाइटें जाती है लेकिन, वे कहां लग रही है, किसी को पता नहीं है। इस दौरान त्यागी और गोविंद शर्मा ने पार्षदों को अनुशासन में रहने की सीख दी।
१क् रुपए के ठेके को टेंडर बगैर 70  लाख तक बढ़ा दिए
बैठक में शनिवार को निगम बोर्ड की बैठक में ट्रैक्टर-ट्रॉली के भुगतान के रखे जाने वाले मुद्दे पर भी असंतोष जताया गया। पार्षदों का कहना था कि बिना जांच किए ही भुगतान कैसे, जब कार्य ही नहीं हुआ तो कैसे बिल बन गए। पार्षद नरेन्द्र खींची ने कहा कि 10 रुपए के ठेके को बिना कोई निविदा जारी किए 70 लाख रुपए तक बढ़ा दिया गया। इस पूरे मामले की जांच की जानी चाहिए। इस पर निर्णय लिया गया कि पहले इसकी जांच कराई जाएगी, इसके बाद ही भुगतान का निर्णय होगा। इसके अलावा बैठक में बाकी एजेंडे पर भी चर्चा हुई। बैठक में लगभग 22 पार्षदों ने भाग लिया।
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