आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

08 अगस्त 2011

-- ब्लोगर मीट वीकली के माध्यम से भाई अनवर और प्रेरणा ने सभी ब्लोगर्स को एक माला में बाँध लिया है


              दोस्तों आप सभी जानते हैं के ब्लोगिंग की दुनिया में डोक्टर अनवर जमाल की क्या शख्सियत है ..वोह जो लिखते हैं दिल से लिखते हैं ..और लिखते हैं तो बस लिखते ही रहते हैं ..उनके लिखने के अपने अंदाज़ से ब्लोगिंग के कई महाराज उनसे कुछ दिन खफा जरुर रहे ..डोक्टर अनवर जमाल और कुछ लोगों के बीच तकरार रही लेकिन अब खुदा का शुक्र है के माहोल दोस्ताना है परिवाराना हैं और खुश गवार माहोल में ब्लोगिग्न चल रही है ..लेकिन दोस्तों डोक्टर अनवर जमाल ने इन दिनों जो कमाल क्या है उससे ब्लोगिंग के कई लोग जो दबे कुचले कोने में एक तरफ बेठे थे वोह अब सीना ताने खड़े हैं और उन्हें भाई अनवर जमाल ने ब्लोगिग्न की खबरें और खुद के कई ब्लॉग पर स्थान दिया है .साथ ब्लोगरों को अधिक से अधिक लोग पढ़ें इसके लियें भाई अनवर जमाल ने एक कमाल और क्या है ..इधर उधर बिखरे पड़े ब्लोगों को सजा संवार कर एक माला में गूँथ कर उन्होंने अपनी एक महिला ब्लोगर साथी प्रेरणा के साथ ब्लोगर मीट वीकली का प्रसारण शुरू कर दिया है ......भाई अनवर के इस सपने को साकार करने में बहन प्रेरणा अर्गल  ने पूरा सहयोग दिया है बंगाल की रहने वाली प्रेरणा जी सभी ब्लोगर्स के ब्लॉग समेटती हैं और फिर एक वीकली ब्लॉग मीट में हम जेसे लोगों के सामने परोस देती हैं .............दोस्तों भाई अनवर के इस प्रयास ने ब्लोगिग्न की दुनिया में खलबली मचा दी है ..जिस भाई अनवर की पोस्टों को निजी कारणों से एग्रीगेटरों से हटा दिया जाता था आज वोह खुद दुसरे लोगों की पोस्टों का प्रकाशन प्रचार प्रसार कर रहे हैं ..उनकी इसी महनत और लगन का नतीजा है के आज वोह प्रमुख ब्लोगरों में गिने जाने लगे हैं जो लोग उन्हें टिपण्णी देना तो दूर उनके ब्लॉग से खिसक लिया करते थे आज उनके ब्लॉग को वोह पूरा पढ़ कर टिप्पणिया देने के लियें मजबूर हो गए हैं ........भाई अनवर ने खुद तो बहतरीन ब्लोगिरी की ही है साथ ही अपने साथियों के साथ जो सहयोगी ब्लॉग बनाए हैं उसकी कामयाबी से सभी ब्लोगर्स हेरान हैं ..और आज हालात यह हैं के वोह दूसरों के ब्लॉग को वीकली ब्लोगर्स मीट में स्थान दे रहे हैं ...........भाई अनवर की इस कोशिश .इस कामयाम कोशिश और महनत से सभी ब्लोगर भाइयों को एक बात तो सीखने को मिली है के कोई काम नहीं है मुश्किल जब किया इरादा पक्का ..दूसरी बात विकट परिस्थितयों में भी अगर कोई हिम्मत नहीं हरे और पत्थर से टकराने का उसमे होसला हो तो वोह जीतता और सिर्फ जीतता ही है ........भाई अनवर ने खुदी को इतना बुलंद किया है के हर ब्लोगर उनसे पूंछने लगा है के बता तेरी रजा क्या है ....भाई अनवर के ब्लॉग को जब एग्रीगेटरों से हटाया जाने लगा उनके ब्लॉग एक विशेष लोगों के बनाये गए कोकस की उपेक्षा के शिकार हुए तब भाई अनवर हिम्मत नहीं हारे और उन्होंने इस शेर को सही साबित कर दिखाया के ....नशेमन पर नशेमन इस क़दर तामीर करता जा के बिजलियाँ आप बेज़ार हो जाएँ गिरते गिरते और भाई अनवर ने कुछ ऐसी ही महनत की ऐसी ही हिम्मत दिखाई के उन्होंने छोटे ब्लोगर्स को एक साहस दिया , एक ताकत दी , मान सम्मान  और प्रतिष्ठा दी ..टिप्पणियों का कोकस खड़ा कर खुद अपने ही लोगों को टिपण्णी करने की परम्परा के शिकार जो अली बाबा चालीस चोर बने थे उन्हें गिरफ्त में लिया उन्हें  उनकी भूल का एहसास दिलाया और आज देखलो ब्लोगिग्न की दुनिया में फिर से भाईचारा सद्भाव और प्यार कायम है ..भाई अनवर का साथ दे रही हैं प्रेरणा अर्गल जो रोज़ मर्रा ब्लोगर मीट वीकली के लियें ब्लोगों को खुशबूदार फूलों की तरह चुनती है एक माला बनाती है और फिर ब्लोगिंग की दुनिया को प्यार दुलार और अपनेपन की खुशबु से महका देती है ..ब्लोगिंग के इस कामयाब सफ़र के लियें भाई अनवर और प्रेरणा बहन को बधाई .ब्लोगिंग के इस सिपाही का सेल्यूट है ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

थोड़ा हंस भी लो यार

संता: कल पापा कुंए में गिर गए बहुत चोट लगी बहुत चिल्ला रहे थे!बंता: अब वो कैसे है?संता: ठीक ही होंगे कल से कुंए से कोई आवाज़ नहीं आई!

पाक ने किया हत्फ का परीक्षण, अब ‘ब्रम्होस ब्लॉक-2’ को परखेगा भारत

 
 
जोधपुर। राजस्थान सीमा के नजदीक पाकिस्तानी सेना के मिसाइल ‘हत्फ’ के परीक्षण के बाद अब भारतीय सेना ‘ब्रम्होस ब्लॉक-2’ मिसाइल का 12 अगस्त को फायरिंग टैस्ट करेगी।
जमीन से जमीन पर मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रम्होस का परीक्षण पोकरण के चांधन फायरिंग रेंज में होगा। यह मिसाइल 30 किलोमीटर दूर अजासर गांव में काल्पनिक ठिकाने पर निशाना दागेगी। इस फायरिंग टैस्ट को राजस्थान सीमा से पाकिस्तानी सेना के हटने और कारगिल में फिर से जंग की आशंका के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारतीय सेना व डीआरडीओ के उच्चाधिकारियों की मौजदूगी में 12 अगस्त को चांधन फायरिंग रेंज से ब्रrाोस मिसाइल से निशाना दागा जाएगा। मिसाइल कितने समय में और कितना टारगेट भेद सकेगी, उससे मिसाइल की मारक क्षमता का आकलन किया जाएगा। अजासर पाकिस्तान सीमा से करीब 80 किमी दूर है। ब्रम्होस-2 मिसाइल 4 मार्च 2007 को ट्रायल के दौरान निशाना चूक गई थी। बाद में दुबारा 28 मार्च को किया गया परीक्षण सफल रहा था।
फायरिंग टेस्ट के मायने
पाकिस्तान ने अपनी एक तिहाई सेना अलकायदा के आतंकवादियों से लड़ने के लिए अफगान सीमा पर लगा रखी है। भारतीय सेना का ध्यान बंटाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने एक रणनीति के तहत रेगिस्तानी इलाके में मिसाइल ‘हताफ’ का परीक्षण किया था। बीते दिनों पाक मीडिया में इस तरह की खबरें प्रकाशित हुई थीं कि भारतीय शहरों को अपने निशाने पर लेने के लिए पाकिस्तान परमाणु शस्त्र वहन करने में सक्षम 24 मिसाइल सेना में शामिल कर रहा है। कारगिल में फिर से जंग के हालात बनने की आशंका जताई जा रही है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की इन गतिविधियों को देखते हुए भारतीय सेना मिसाइल ‘ब्रम्होस’ का फायरिंग टेस्ट कर जवाब देना चाहती है कि वह हर स्थिति से निपटने में सक्षम है। गौरतलब है कि रेगिस्तान में फिर कभी जंग होती है तो बैटल टैंक और मिसाइलों की अहम भूमिका होगी।

कश्‍मीरी को पाकिस्‍तानी बता मारा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- फर्जी मुठभेड़ की सजा सिर्फ मौत

जम्मू. जम्मू-कश्मीर में एक फर्जी मुठभेड़ का मामला सामने आया है। सेना ने रविवार को पुंछ के जंगलों में पुलिस के साथ की गई संयुक्त कार्रवाई में एक शख्‍स को मार गिराया था। उसका नाम अबु उस्मान बताया गया और कहा गया कि वह आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का डिविजनल कमांडर था। पर पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट और जांच से पता चला कि वह आम नागरिक था। वह मुसलमान भी नहीं था और दिमागी तौर पर बीमार था।

सेना ने गलती मान ली है। भारतीय सेना के 16 कॉर्प्स के प्रवक्ता ने बताया कि टेरीटोरियल आर्मी और पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने सेना को गलत जानकारी मुहैया कराई। प्रवक्ता ने कहा कि दोनों सुरक्षाकर्मियों को हिरासत में ले लिया गया है और जांच के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी गठित कर दी गई है। सेना पर इससे पहले भी बेकसूर लोगों को आतंकवादी समझकर मारने के आरोप लग चुके हैं।

फर्जी मुठभेड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी सख्‍त टिप्‍पणी की है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फर्जी मुठभेड़ करने वाले पुलिसकर्मियों को फांसी पर लटका देना चाहिए। जस्टिस मार्कंडेय काटजू और सीके प्रसाद की पीठ ने कहा कि पुलिस लोगों की सुरक्षा के लिए होती है न कि भाड़े का हत्‍यारा बन कर उन्‍हें मारने के लिए। पीठ की अध्‍यक्षता कर रहे जस्टिस काटजू ने कहा, 'फर्जी मुठभेड़ पुलिस द्वारा लोगों की निर्मम हत्‍या है, जिसमें शामिल पुलिसकर्मियों को कोई रियायत नहीं देते हुए सजा-ए-मौत देनी चाहिए। उन्‍हें फांसी पर लटका देना चाहिए।'

पीठ ने यह टिप्‍पणी राजस्‍थान के दो वरिष्‍ठ आईपीएस अफसरों (एडीशनल डीजीपी अरविंद जैन और एसपी अरशद) को सरेंडर करने का निर्देश देते हुए की। यह निर्देश फर्जी मुठभेड़ में  कथित गैंगस्‍टर दारा सिंह की हत्‍या के मामले की सुनवाई के दौरान दिया गया। दारा को 23 अक्‍टूबर, 2006 को राजस्‍थान पुलिस के स्‍पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने मार गिराया था।

खुफिया एजेंसियों की चेतावनी- अन्‍ना से रामदेव की तरह निपटने की गलती न करे सरकार

| Email  Print
Comment
 

 
नई दिल्ली. भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन की फैलती ‘तपिश’ से सरकार के पसीने छूट सकते हैं। खुफिया तंत्र ने केंद्र सरकार को खबरदार किया है कि इस आंदोलन के प्रभाव को हल्के में न लें। पूरे देश से ली गई रिपोर्टों के आधार पर केंद्र को नसीहत दी गई है कि जनलोकपाल के मुद्दे पर जिस तेजी से लोगों का ध्रुवीकरण हो रहा है, उससे समय पर निपटने की तार्किक तैयारी होनी चाहिए। बातचीत और बहस से भी मसले को सुलझाने की सलाह दी गई है।

केंद्र सरकार के सूत्रों ने दैनिक भास्कर को बताया कि रिपोर्ट में खास तौर पर आगाह किया गया है कि सरकार इस आंदोलन को बाबा रामदेव जैसा आंदोलन समझने की नासमझी न करे। सूत्रों ने बताया कि अन्ना हजारे के नेतृत्व में 16 अगस्त को प्रस्तावित सिविल सोसायटी के अनशन को लेकर खुफिया तंत्र ने सरकार को इस बात की खास ताकीद की है कि जन लोकपाल विधेयक के मामले में छोटी-बड़ी स्वयंसेवी संस्थाओं के बीच गजब का समन्वय किया गया है। बताया गया है कि छोटी-छोटी टोलियों का अभियान 16 अगस्त को बड़े आंदोलन की शक्ल ले सकता है।

सूत्रों ने माना कि सरकार के अंदर और बाहर से अन्ना को मिल रहे समर्थन को देखते हुए आईबी ने आंदोलन के खिलाफ कोई जोर-जबरदस्ती न करने का सुझाव भी दिया है। अनशन के लिए नहीं सूझ रहा स्‍थानजनलोकपाल बिल के लिए आंदोलन कर रहे गांधीवादी अन्ना हजारे के 16 अगस्त से प्रस्तावित अनशन की जगह तय करने के लिए अब दिल्ली पुलिस ने दो दिन का वक्त मांगा है।

सोमवार को टीम अन्ना ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बीके गुप्ता से मुलाकात कर रामलीला मैदान और जंतर-मंतर से तीन किलोमीटर की परिधि में कहीं भी अनशन करने की अनुमति देने का आग्रह किया। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि वह सभी वैकल्पिक व संभावित स्थलों के संबंध में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत कर दो दिन के भीतर जवाब देंगे।

सर्जरी के बाद लगातार खिलखिलाकर हंस रही एना, मां-बाप सन्न

| Email  Print 
लंदन. बच्चों को हंसते हुए देखना माता-पिता के लिए सबसे सुखद अनुभव होता है। लेकिन एना नामक इस बच्ची को यह हंसी उसे साइड इफेक्ट के रूप में मिली है। दरअसल एना का हाल ही में ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन हुआ था, तब से उसका हंसना बंद नहीं हो रहा।

वह एक बार में लगातार 15 मिनट बिना रुके हंसती है, जब पहली बार उसके मां-बाप ने उसे इस हालत में देखा तो सन्न रह गए लेकिन बेटी को हंसते हुए देखकर ज्यादा देर हंसने बिना नहीं रह सके। एना की मां स्टीफन्स के मुताबिक हमने महसूस किया कि अपने दुख को बाहर करने का यह सबसे अच्छी तरीका है।
डॉक्टरों का कहना है कि बहुत दुख तकलीफ और टेंशन के बाद ब्रेन ट्यूमर के पेशेंट का ऐसी स्थिति में आना बड़ी बात नहीं है। उनका यह भी कहना है कि समय के साथ-साथ वह सामान्य जिंदगी में लौट आएगी।

इस बच्चे को देखकर हैरत में पड़ गए थे लोग


| Email  Print 
नेपाल के दोलखा जिले के चारीकोट में वर्ष 2006 में एक ऐसे बच्चे का जन्म हुआ था जिसे देख सैकड़ों लोग हैरान रह गए था।
इस बच्चे की गर्दन नहीं थी जिसके कारण उसका सिर उसके धड़ में धंसा हुआ था। इस अजीबो-गरीब बच्चे की आंखों की पुतलियां भी असामान्य रूप से बाहर की ओर निकली हुई थी।
बच्चे का जन्म चारीकोट के गौरीशंकर अस्पताल में हुआ और इसके माता पिता का नाम सुंतली कार्की और नीर बहादुर कार्की है।
हांलाकि बच्चे की जन्म के लगभग आधे घण्टे बाद ही मौत हो गई। इस तरह के बच्चे के जन्म की खबर इलाके में आग की तरह फैल गई और सैकड़ों की भीड़ उसे देखने के लिए इकट्ठा हो गई। इस बच्चे को देखने के लिए भीड़ इतनी बढ़ गई कि स्थानीय पुलिस को मौके पर पहुंच कर स्थिति को नियंत्रण में करना पड़ा।
सामान्य रूप से नौ महीने के गर्भकाल के बाद पैद हुए इस बच्चे का जन्म के समय वजन 2 किलो था। बच्चे की मां सुंतली पहले से दो बच्चों की मां है। पिता नीर बहादुर इस मामले में कहते हैं कि उन्हें बच्चे की मौत का कोई दुख नहीं है बल्कि इस बात की खुशी है कि उनकी पत्नी को कुछ नहीं हुआ।
 

फर्राटेदार अंग्रेजी-उर्दू बोलने के साथ भौंकता भी है यह 'तोत

 | Email  Print
 
लंदन। ब्रिटेन में एक तोता न केवल अंग्रेजी बल्कि उर्दू भी बखूबी बोलता है। तोते के मालिक ने उसे इस्लामी शब्द, वाक्यांश व मुहावरे बोलना सिखाया है।
समाचार पत्र 'डेली मेल' के मुताबिक यह धूसर रंग का दो साल का अफ्रीकी मिट्ठू 'अस्सलाम आलयकुम' कहकर आपका अभिवादन करता है।
तोते के मालिक गफ्फार अहमद के मुताबिक उनका मिट्ठू अन्य धार्मिक शब्दों के साथ उर्दू में 'यहां आओ', 'हैलो, आप कैसे हैं' भी बोलता है।
अहमद कहते हैं, "यह उर्दू और अंग्रेजी बोलता है। मैं नहीं जानता कि ब्रिटेन में द्विभाषी पक्षी कितने हैं लेकिन उनकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं है।"
उन्होंने बताया कि तोता 'बिस्मिल्लाह' और 'शाबाश' जैसे उर्दू अल्फाज भी बोलता है। अहमद के मुताबिक मिट्ठू को तरह-तरह की आवाजें निकालना पसंद है। वह कुत्ते की तरह भौंक सकता है और रेफ्रिजरेटर के अलार्म जैसी आवाज निकाल सकता है।

खून के आंसू रोती है 14 साल की मासूम ट्विंकल

 
 
| Email  Print 
 
ट्विंकल द्विवेदी की उम्र महज 14 साल है। उसकी आंखों से आंसुओं की जगह खून निकलता है। इस अजीब बीमारी की इंतहा केवल यहीं तक नहीं है। आंखों के अलावा भी बिना किसी चोट और घाव के उसकी नाक, गर्दन और पैरों से खून की धारा बहने लगती है।
अमेरिकी हीमेटोलॉजिस्ट एक्सपर्ट डॉक्टर जार्ज बुचानन ने मुंबई के एक अस्पताल में ट्विंकल की जांच की, लेकिन वो भी किसी किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में नाकाम रहे। ट्विंकल को दिन में लगभग 50 बार यह रक्तस्त्राव होता है जिसकी वजह से रोजाना उसका कुछ लीटर खून बेकार बह जाता है।
इस परेशानी की वजह से ट्विंकल की पढ़ाई भी दो साल से छूट चुकी है। अचानक रक्तस्त्राव के कारण वह जिस भी स्कूल में पढ़ती है उसे वहां से निकाल दिया जाता है।

लाल-नीली बत्ती बन रहे हैं अपराधियों का हथियार

 
 
 
जयपुर। 250 रुपए में लालबत्ती खरीदी, खुद ही लगाई और बड़ी से बड़ी वारदात के बाद आरोपी सुरक्षित शहर से बाहर निकल गए। एटीएम उखाड़ने समेत कई मामलों में यही बात सामने आई, मगर आरटीओ और पुलिस प्रशासन की नींद नहीं खुली। अब तक लालबत्ती, नीलीबत्ती बेचने वालों के लिए गाइडलाइन तक नहीं है। यहां तक कि अगर कोई अनधिकृत रूप से इसे लगाता भी है तो उसे अधिकतम सजा महज 300 रुपए जुर्माना कर छोड़ दिया जाता है।

एटीएम उखाड़ने के मामले में भी लालबत्ती का इस्तेमाल सामने आने के बाद भास्कर टीम पड़ताल करने निकली तो इन बत्तियों का कारोबार जालूपुरा, रेलवे स्टेशन और पुलिस रिजर्व पुलिस लाइन के सामने की दुकानें पर बेरोकटोक होता मिला। खरीददार से किसी भी दुकानदार ने न तो पता जाना और न ही विभाग का नाम। यहां तक की उसका आईकार्ड तक नहीं देखा गया। मार्केट में लोकल बत्तियां 250 से 600 रुपए के बीच और ब्रांडेड 1400 से 1800 रुपए के बीच बिक रही हैं।

ये हैं नियम

जिस वाहन पर लाल या नीली बत्ती लगी हुई है और वह उच्च पदस्थ व्यक्ति को नहीं ले जा रहा है तो ऐसी स्थिति में लाल या नीली बत्ती का उपयोग नहीं किया जाएगा, बल्कि बत्ती को ढक दिया जाएगा।

ये हैं लाल बत्ती के हकदार

राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय, अध्यक्ष राजस्थान विधानसभा, लोकायुक्त राजस्थान, मुख्य सूचना आयुक्त, मंत्रिमंडल के सदस्य गण, मुख्य सचेतक राजस्थान विधानसभा, नेता प्रतिपक्ष राजस्थान विधानसभा, न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय, राज्यमंत्री, उपमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा मंत्री, राज्यमंत्री के स्तर के दर्जे के लिए अधिसूचित उच्च पदस्थ गण, उपाध्यक्ष राजस्थान विधानसभा, उप मुख्य सचेतक राजस्थान विधानसभा, मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव, अध्यक्ष राजस्व मंडल, आयुक्त राज्य निर्वाचन आयोग, एडवोकेट जनरल राजस्थान सरकार, समस्त प्रमुख शासन सचिव, पुलिस महानिदेशक, संभागीय आयुक्त, रेंज प्रभारी पुलिस महानिरीक्षक, उप महानिरीक्षक, समस्त जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, समस्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश, रजिस्ट्रार जनरल उच्च न्यायालय जोधपुर, नगर निगम जयपुर, जोधपुर एवं कोटा के महापौर, समस्त जिला प्रमुख, अध्यक्ष राजस्थान लोक सेवा आयोग।

..और नीली बत्ती इनकी

जिलों में पदस्थापित समस्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, जोधपुर शहर में पदस्थापित अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (मोबाइल), गश्ती ड्यूटी के लिए प्रयोग में लिए जाने वाले पुलिस, आबकारी एवं परिवहन विभाग की वाहनों।

खतरा बड़ा, जुर्माना थोड़ा

आम आदमी अगर लाल-नीली बत्ती का उपयोग करता मिला तो मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 177 के अन्तर्गत प्रथम अपराध पर 100 रुपए तथा अपराध के दोहराव पर 300 रुपए का जुर्माने का प्रावधान है। इसके साथ लोक सेवकों/राज्य सेवा के अधिकारियों द्वारा अनधिकृत रूप से लाल या नीली बत्ती का प्रयोग करने पर सीसीए नियम 17/16 के अन्तर्गत अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए विभागाध्यक्ष को सूचित किया जाएगा।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

लालबत्ती बेचने पर अब तक तो कोई कार्रवाई हमने नहीं की है, लेकिन अवैध रूप से बत्ती लगाने वालों पर समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। लालबत्ती बेचने वालों के लिए कोई गाइड लाइन नहीं है। लाल-नीली बत्ती बेचने या लगाने वालों पर 300 रुपए जुर्माने की सजा है। मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 177 के में यही प्रावधान है। अनधिकृत बत्ती लगाने वाले किसी अफसर को आरटीओ ने कभी नोटिस नहीं भेजा। ट्रैफिक पुलिस ने कार्रवाई की हो तो पता नहीं। आरटीओ गाड़ी जब्त कर बत्ती हटाता है।
-डॉ. बी.एल. जाटावत, आरटीओ

ट्रैफिक पुलिस लालबत्ती वाली किसी भी गाड़ी की चेकिंग कर सकती है। अधिकृत व्यक्ति की गैर मौजूदगी में चालक लालबत्ती का उपयोग कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होती है। नाकाबंदी के दौरान नाकों पर हर गाड़ी को रोकना चाहिए। चाहे वह लालबत्ती वाली ही क्यों न हो। अनधिकृत बत्ती लगाने वालों के खिलाफ हमने वर्ष 2000 में अभियान भी चलाया था। शहर में ऐसा हो रहा है तो फिर से अभियान चलाएंगे। बत्ती बेचने वालों के लिए गाइडलाइन सरकार को बनानी चाहिए।
-रोहित महाजन, डीसीपी, ट्रैफिक

‘टैक्स 70 करोड़, सड़कें दो कौड़ी की


 
 
कोटा. हर साल 70 करोड़ रुपए रोड टैक्स चुकाने के बाद भी नागरिकों को रोज बदहाल सड़कों से रू-ब-रू होना पड़ रहा है। शहर के हर हिस्से में इन दिनों 50 से 100 मीटर की दूरी पर गड्ढे और उखड़ती गिट्टी वाहन चालकों के लिए जान की जोखिम बन गए हैं। पिछले दिनों यूआईटी ने 1 करोड़ 25 लाख रुपए खर्च करके गिट्टी व मिट्टी डालकर गड्ढे पर मरहम लगाने की कोशिश तो की, लेकिन सारे प्रयास उस समय फेल हो गए, जब बारिश में यह गिट्टी उखड़कर सड़कों पर फैल गई। सड़कें फिर से जख्मी हैं और प्रशासन लाचार। ऐसे में नागरिकों के मन में बार-बार सवाल उठ रहे है कि सड़क डिजाइन करते समय बरसात के पानी का सही स्लोप क्यों नहीं रखा गया? सड़कों पर पानी क्यों भरा रह जाता है? बरसात नहीं होने पर तुरंत पेचवर्क क्यों नहीं होता? यूआईटी और नगर निगम के आला अफसर यह कहकर बचाव कर रहे हैं कि बरसात के मौसम में मिट्टी-गिट्टी के अलावा गड्ढे भरने का दूसरा विकल्प नहीं है। जबकि सिविल विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं।

सड़कों पर नहीं है ढलान

पीडब्ल्यूडी के रिटायर्ड एसई जसवंतसिंह चौधरी का कहना है कि सड़क निर्माण करते समय दोनों तरफ ढलान ठीक न हो तो पानी की निकासी नहीं हो पाती है। ऐसे में सड़क पर भरा पानी कच्ची जगह से सड़क को डेमेज कर देता हैं। तुरंत मरम्मत नहीं होने पर डेमेज बढ़ता जाता हैं।

मॉनिटरिंग सही नहीं

पीडब्ल्यूडी के रिटायर्ड एसई पदमसिंह सिरोही ने बताया कि डामर सड़क के लिए पानी का भराव घातक है। फाउंडेशन सिस्टम भी अगर तकनीकी मापदंडों के अनुसार नहीं बनता है तब भी सड़क को नुकसान पहुंचता है। कार्य की गुणवत्ता की सही मॉनिटरिंग नहीं होने से तकनीकी खामी छूटती है। मैं कई अन्य शहरों में रहा लेकिन इतनी टूटी सड़कें कहीं नहीं देखी।

किससे कहें, कोई नहीं सुनता

गड्ढों भरी राह में समय और पेट्रोल-डीजल भी ज्यादा खर्च होता है। मैं कार से हर माह करीब चार हजार रुपए डीजल पर खर्च कर रहा हूं। अगर सड़कें ठीक हो तो खर्च में कमी होगी। मरम्मत खर्च भी कम होगा। एक बार बैलेंसिंग व अलाइनमेंट का खर्च करीब 500 रुपए आता है। गड्ढों के कारण कार में यह परेशानी बार-बार आती है। किससे कहें अपनी पीड़ा। कोई नहीं सुनने वाला।""
-गिरीश गौतम, व्यवसायी, महावीर नगर द्वितीय

ऐसे हैं हमारे शहर के रास्ते

* एरोड्रम से घोड़ा बाबा सर्किल - 22 बड़े गड्ढे
* घोड़ा बाबा सर्किल से सीएडी सर्कल - 25 मीटर लंबी सड़क उखड़ी
* सीएडी से चंबल गार्डन तक - 34 बड़े गड्ढे
* गढ़ पैलेस से कोटा बैराज तक व तलवंडी चौराहा- सड़क उखड़ी
* जेडीए सर्किल से सरस दूध डेयरी सर्किल - 4 जगह धंसी सड़क
* केशवपुरा सर्किल से कॉमर्स कॉलेज- 50 गड्ढे
* महावीरनगर द्वितीय में खंडेलवाल नर्सिग होम मार्ग - 20 बड़े व 15 छोटे गड्ढे
* किशोरपुरा एलिवेटेड रोड से चंबल गार्डन, विज्ञाननगर- संजय नगर- अधिकांश सड़क उखड़ी
* गढ़ पैलेस से कैथूनी पोल, गंधी जी की पुल, श्रीपुरा मार्ग - 70 गड्ढे
* छत्रपुरा आरटीओ कार्यालय से मीणा हॉस्टल तक - 12 गड्ढे

ऐसे भर सकते हैं बारिश में गड्ढे

आरटिया में सिविल के एचओडी प्रो.एनपी कौशिक का कहना है कि कर्नाटक में सड़कें वेस्ट प्लास्टिक को बिटुमन में मिक्स करके बनाई जा रही हैं, जो एन्वायरनमेंट फ्रेंडली भी हैं। इससे शहर के प्लास्टिक कचरे का निस्तारण भी होगा और गड्ढे भी भरे जा सकते हैं। मुख्य सड़कों का स्लोप डिजाइन सही नहीं होने से सड़कें ज्यादा क्षतिग्रस्त हो रही हैं।

कोर्ट में दे सकते हैं शिकायत

एडवोकेट विवेक नंदवानी ने बताया कि यदि सार्वजनिक मार्ग पर गड्ढ़े है और इससे किसी को क्षति होती है तो कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे मार्ग की मरम्मत के लिए सिविल न्यायालय में वाद दायर किया जा सकता हैं। जिसमें नगर निगम या पीडब्ल्यूडी को पार्टी बनाया जाता हैं।

दसवीं के छात्र की पीड़ा: कोई इनसे पूछो गड्ढों के ‘जख्म’

कोटा। शहर की बदहाल सड़कों की स्थिति का दंश हमें बार-बार झेलना पड़ रहा है। स्कूल व ऑफिस जाते वक्त इन गड्ढों में गिरकर चोटिल होने वालों की लंबी लिस्ट है। मगर प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। एमबीएस अस्पताल में गुरुवार को भर्ती हुए 10 वीं के छात्र कमलेश (15) पुत्र हीरालाल ने बताया कि स्कूल जाते समय बाइक से गड्ढ़े के कारण दोस्त के साथ गिर गया था। तब कमर में मामूली चोट लगी। उस समय तो पता नहीं चला लेकिन कुछ दिनों बाद ही दर्द उठने लगा। दो माह से दर्द को सहन कर रहा हूं, लेकिन दर्द अब सहन नहीं होता। अब डॉक्टर ने भर्ती किया है।

गर्दन व पीठ दर्द बढ़े

आथरेपेडिक सर्जन डॉ.मोहम्मद इकबाल के अनुसार, गड्ढे में हिचकोले खाते हुए वाहन में झटके लगने से 40 से ज्यादा उम्र वालों की परेशानी बढ़ रही है, वे गर्दन दर्द, पीठ दर्द, कमर दर्द या स्लिप डिस्क की शिकायत लेकर आ रहे हैं। रोज ऐसे कैसे आ रहे हैं जो गड्ढे या गिट्टी के कारण फिसलकर गिर पड़े और हाथ-पैर में फ्रेक्चर हो गया। रीढ़ की हड्डी के छल्ले खिसकने, साईटिका दर्द होने या पैर का फ्रेक्चर हो जाने पर 2 से 6 माह तक आराम करना पड़ सकता है। एक ऑपरेशन पर 10 हजार रुपए तक खर्च हो जाते हैं।

ट्रक गड्ढे में, कार बची

ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. गौरव रोहतगी ने बताया कि वे शुक्रवार को बारां से कोटा लौट रहे थे। बोरखेड़ा के पास मुख्य सड़क पर एक ट्रक का पहिया अचानक आधे फीट गहरे गड्ढे में फंस गया, जिससे उसका संतुलन बिगड़ गया, उस समय पास से गुजर रही उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त होने से बच गई। उनका कहना है कि मुख्य सड़कों पर गड्ढे जानलेवा हो गए हैं।
क्यों बर्बाद कर रहे हैं पैसा

गड्ढों में ही चलाना है तो सड़कें बनाने के नाम पर क्यों जनता का पैसा बर्बाद कर रहे हैं। गांव में भी लोग रहते ही है, यहां भी रह लेंगे। बड़े निर्माण कार्यो में गड़बड़ी के मामले पर तो प्रशासन तुरंत एक्शन लेता है, लेकिन गड्ढे किसी को नहीं दिख रहे।""
-कैलाशचंद मारवाड़ा, रिटायर्ड सरकारी वकील

साहब मैं वो नहीं, जिसे आप तलाश रहे ह



 
 
 
कोटा। नयापुरा पुलिस ने एक बदमाश के चक्कर में सोमवार को गवर्नमेंट कॉलेज के एक छात्रनेता को पकड़ लिया। उसने बार-बार दुहाई दी कि जिसे पुलिस ढूंढ रही है, वह कोई और होगा लेकिन पुलिस नहीं मानी। आखिर उसने कॉलेज का आई-कार्ड दिखाया और दूसरे छात्रों की गवाही दिलवाई तब जाकर उसे छोड़ा गया।

हुआ यूं कि मंडी समिति के संचालक मंडल के चुनाव के लिए प्रत्याशी रामावतार मेघवाल अपने समर्थकों के साथ नामांकन भरने कलेक्ट्रेट पहुंचे। उनके साथ छात्र नेता सांवरिया गोचर भी अपने समर्थकों के साथ मौजूद थे। इस बीच किसी ने पुलिस को सूचना दी कि बसंत विहार तीनबत्ती निवासी बदमाश सांवरिया गुर्जर कलेक्ट्रेट में मौजूद है। इस पर दो पुलिसकर्मी छात्रनेता के पास पास पहुंचे और नाम पूछा। अपना नाम सांवरिया बताने पर पुलिसकर्मियों ने उनसे साथ चलने के लिए कहा।

सांवरिया उनके साथ कलेक्ट्रेट स्थित चौकी पर पहुंचे। वहां तीन सीआई बैठे हुए थे, उन्होंने सांवरिया से नाम-पता पूछा और बताया कि पुलिस को उसकी तलाश है। यह सुनकर सांवरिया चौंक गया उसने कहा कि साहब मैं वो नहीं हूं, जिसे आप तलाश रहे हो लेकिन पुलिस अधिकारियों ने उसकी एक नहीं सुनी। सांवरिया ने अपने कॉलेज की आईडी सहित अन्य दस्तावेज दिखाए तब भी पुलिस अधिकारी नहीं माने। उसने हवाला दिया कि नारी सम्मान के लिए पुलिस द्वारा आयोजित मैराथन में सहयोग किया था। अन्य छात्रों ने भी उसके सांवरिया गोचर होने की पुष्टि की तब कहीं जाकर उन्हें छोड़ा गया।
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...