दोस्तों इस्लाम के जाने और मानने वालों के लियें यह महीना त्याग ,तपस्या और इबादत का है ..और सभी मुस्लिम भाई इस इबादत में लगे हैं खुदा करे उनकी यह दुआ कुबूल हो .कई लोग हमारे देश में ऐसे भी हैं जो दुसरे मजहब से जुड़े होने के बाद भी इस महीने का सम्मान रखते हुए रोज़े रख रहे हैं ..इबादत का यह महीना ट्रेनिंग का महीना भी कहलाता है इसमें एक मुसलमान को गरीब की भूख ,प्यास का अहसास होता है एक अनुशासन सिखाया जाता है सुबह उठाना फिर दिन भर इबादत करना सभी इन्दिरियों को वश में रख कर तहज़ीब के दायरे में आदर्श इंसान बन कर रहने की सीख़ ही रोजा और रमजान है .तीस रोजों की श्रंखला को रमजान कहते हैं जबकि एक रोज़े को रोजा यानी अहद प्रण कहते हैं इस दिन मुसलमान एक विशेह्स वक्त पार सूरज उगने से पहले नियत करता है और फिर सूरज डूबने तक खुद को खुदा के बताये हुए रास्ते पार चलने वाला बना कर खुदा को समर्पित कर देता है ..आँख नाक , कण ,यानि सभी इन्द्रियों को वश में रख कर बुराई से बचता है और दिन भर अपने देनिक काम काज के साथ साथ खुदा की इबादत करता है पुरे तीस रोज़े रखने या इसके पूर्व चाँद दिखने के बाद फितरा जकात देकर गरीबों में समाजवाद का सिद्धांत लागू कर उनकी जरूरत के मुताबिक कपडे और नकदी वितरित किया जाता है और फिर सभी लोग अपनी इस इबादत को बखूबी पूरी होने पर या खुद के पास होने की ख़ुशी में खुशियाँ मनाते हैं जिसे ईद कहा जाता है इस दिन फ़ित्र निकाला जाता है इसलियें इसे इदुल्फित्र कहते हैं ...........रोज़े ली आठ किसमे होती हैं फ़र्जे मुअय्यन,फ्र्ज़े गेर मुअय्यन,वाजिब मुअय्यन, वाजिब गेर मुअय्यन ,सुन्नत ,नफिल, मकरूह , हराम ...साल भार में एक माह के रोज़े यानि रमजान माह के रोज़े रोज़े मुअय्यन हैं ....अगर मजबूरी की वजह से छूटे रोजों को रखे जा रहे हो तो वोह रोज़े गेर मुअय्यन हैं ....किसी मन्नत यानि किसी खास दिन खास ख्वाहिश पूरी होने पार रोज़े मने जाते हैं तब ऐसे रोज़े को वाजिब मुअय्यन कहते हैं ....आशुरे के दो रोज़े ,मुहर्रम के नवीं और दसवीं तारीख के दो रोज़े अर्फे का रोजा और हर महीने की तेरह ,चवदा , पन्द्राह रोज़ा रखना सुन्नत है ..सवाल के महीने के छ रोज़े , शबन के महीने की पन्द्रह तारीख का रोज़ा , जुमे के दिन का रोज़ा पीर के दिन का रोजा ..जुमेरात के दिन का रोजा मुस्तहब रोज़े हैं लेकिन सनीचर का रोजा और बिना शोहर यानि पति की अनुमति के राख गया न्फ्ली रोजा मकरूह हैं ...इसके आलावा दोनों ईद त्श्रीक के दिन के तीन रोज़ेजो हज की ग्यारवीं ,बाहरवीं ,तेरहवीं तारीख को होते हैं अगर रखे जाते हैं तो हराम हैं ......हमारे देश में रोज़े के नाम पार राजनीति भी शुरू हो गयी है सयासी लोग रोज़े अफ्तार के नाम पार लोगों को बुला कर मोलाना मोलवियों की खरीद फरोख्त कर अपने कार्यक्रम बनाते हैं और लुभावनी बातें कर मुसलमानों को इस दिन बहकाते हैं लेकिन आम रोज़ेदार मुसलमानों को इन सियासी लोगों के खेलों से दूर रहना चाहिए और इनकी मजलिस की भीड़ का हिस्सा नहीं बनना चाहिए क्योंकि रोजा अफ्तार हलाल रोज़ी से हो यह ध्यान रखना जरूरी है सियासी रोज़े कोन अफ्तार करा रहा है इसका रुपया कहाँ से आ रहा है हलाल का है या हराम का है कह नहीं सकते लेकिन अगर मजबूरी हो तो खुद की खजूर जेब में रख कर साथ ले जाओ और रोजा अफ्तार उसी खजूर से करो ताकि गुनाह से बच सकों .................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 अगस्त 2011
भारत में अनोखी है यह लड़की, चाहिए एक अदद नौकरी
मुंबई. भारत की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी अब पच्चीस साल की हो गई है, लेकिन पिछले कुछ समय वे वह बेरोजगार है और नौकरी की तलाश में है।
5 अगस्त, 1986 को मुंबई के केईएस अस्पताल में मणि चावड़ा ने पहली टेस्ट ट्यूब बेबी हर्षा को जन्म दिया था। चावड़ा परिवार आजकल बहुत तंगहाली से गुजर रहा है। इसलिए 5 अगस्त को वह हर्षा का जन्मदिन भी नहीं मना सका।
उसकी लम्बी उम्र की कामना के लिए यह छोटा सा परिवार सिद्धिविनायक मंदिर जरूर गया था। हर्षा बताती हैं, मुझमें कोई अनोखी बात नहीं है। मैं भी बाकी सभी लोगों की तरह हूं। फिर भी हमेशा मैं आपको कुछ खास महसूस करती हूं।
हर्षा ने मुंबई विश्वविद्यालय से कामर्स में स्नातक किया है। पिछले चार सालों से क्लर्क की हैसियत से वह एक निजी कंपनी में काम कर रही थी। लेकिन दो महीने तक बीमार रहने के कारण उसे नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।
हालांकि अब वह पूरी से तरह ठीक है, पर उसके पास काम नहीं है और वह नौकरी की तलाश में है। हर्षा अपनी मां के साथ मुंबई के उपनगरीय इलाके जोगेश्वरी में किराए के मकान में रहती है।
कुछ साल पहले उसके पिता का देहांत हो गया था। लिहाजा अब वह अपने घर में अकेली कमाने वाली है। उसकी मां मणि कहती हैं, देश की पहली आईवीएफ (इन वाईट्रो फर्टिलाईजेशन) मां बनने पर मुझे फक्र है। लेकिन मैं खुश नहीं हूं, क्योंकि मेरी बेटी खुश नहीं है।
हम गरीब हैं, इसलिए शहर में अपना मकान नहीं खरीद सके। यही वजह थी कि हमने हर्षा की पच्चीसवीं सालगिरह नहीं मनाने का फैसला किया और सिद्धिविनायक मंदिर में सिर्फ प्रार्थना की। इस डिलिवरी को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाली डॉक्टर इंदिरा हिंदूजा ने बताया कि वह उनकी जिंदगी का सबसे ज्यादा खुशी का दिन था।
उन्होंने कहा, उस वक्त मैं 35 साल की थी और इस तकनीक को परिपूर्ण बनाने के लिए मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी थी, लेकिन उन्हें अफसोस है कि आईवीएफ डिलिवरी में बीमा कंपनियों को दिलचस्पी नहीं है। वे कहती हैं, ये प्रक्रिया बहुत बड़ी सफलता बन चुकी, फिर भी बीमा कंपनियां ऐसी डिलिवरियों का बीमा करने को तैयार नहीं है।
राष्ट्रगान में शामिल ‘सिंध’ को चुनौती, बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर हुई याचिका
मुंबई. स्वाधीनता दिवस को कुछ दिन शेष हैं। इस बीच यहां के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने राष्ट्रगान में शामिल ‘सिंध’ शब्द पर आपत्ति जताते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
याचिकाकर्ता श्रीकांत मलुस्थे ने बॉम्बे हाईकोट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि ‘सिंध’ के स्थान पर ‘सिंधु’ शब्द को राष्ट्रगान में शामिल किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार ने जनवरी 1950 में राष्ट्रगान में ‘सिंध’ के स्थान पर ‘सिंधु’ शब्द रखा था। इसके बावजूद आज तक अनुचित शब्द के साथ राष्ट्रगान का प्रसारण हो रहा है।
वर्तमान में सिंध पाकिस्तान का हिस्सा है और सिंधु नदी भारत में है, इसीलिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, गृह मंत्रालय एवं संस्कृति मंत्रालय को उचित शब्द के प्रयोग के निर्देश दिए जाने चाहिए। याचिका पर सुनवाई 15 सितंबर तक के लिए टाल दी गई है।
हे भगवान! दुश्मन को भी ना हो ऐसी बीमारी
दुनिया में कुछ लोग अच्छी किस्मत लेकर पैदा होते हैं। नहीं दूसरी ओर कुछ का बुरा समय जन्म के साथ ही शुरू हो जाता है। ब्रेन से संबंधित गंभीर बीमारी से ग्रस्त दो बच्चों की तस्वीरें इंटरनेट से प्राप्त हुई हैं, जिनमें उनके सिर आश्चर्यजनक रूप से बेडौल दिखाई दे रहे हैं। इन बच्चों को कौन सी बीमारी है, इसका पता अभी तक डॉक्टर भी नहीं लगा पाए हैं। मेडिकल साइंस के लिए ये चुनौती से कम नहीं है। तस्वीरों में देखिए दो अलग-अलग बच्चों की तस्वीरें...
इन दर्दनाक तस्वीरों को कृपया कमजोर दिल वाले ना देखें...
इस दौरान लोग मांस, शराब, सेक्स करने औऱ सफेद कपड़े पहनने से परहेज करते हैं। लेकिन इन सबके दौरान यहां कुछ ऐसा भी होता है जो ईश्वर के नाम पर दर्द सहने की एक परम्परा के रूप में कई सालों से चलता आ रहा है। तस्वीरों में देखिए किस तरह लोग खुद को दर्द देकर ईश्वर से शांति और अच्छे स्वास्थय की कामना करते हैं...
बाबा रामदेव ने चोरी छिपे देश के बाहर भेजे तीन लाख डॉलर!
ईडी ने रिजर्व बैंक से योग गुरू के ब्रिटेन और मेडागास्कर में हुए वित्तीय लेन-देन का ब्यौरा मांगा है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘डीएनए’ को बताया, ‘लंदन में 2 लाख डॉलर से अधिक और मेडागास्कर में 80 हजार डॉलर का लेन देन हुआ है। यह लेन देन हाल ही में भारत से किए गए हैं। हमने आरबीआई से इसका पूरा ब्यौरा मांगा है ताकि इसका पता लगाया जा सके। हमारा मानना है कि यह फेमा का गंभीर उल्लंघन है।’
ईडी ने रामदेव के ट्रस्ट पतंजलि योग पीठ के यूरोप में एक द्वीप से जुड़े मामले को लेकर ब्रिटिश अधिकारियों को चिट्ठी लिखी है। ईडी के साथ आयकर विभा रामदेव के कारोबारी साम्राज्य की जांच में जुटा है जिसके तहत पिछले पांच सालों में 30 कंपनियां खड़ी कर ली गई हैं।
मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक स्कॉटलैंड निवासी श्रवण पोद्दार और उनकी पत्नी सुनीता ने 900 एकड़ में फैला एक द्वीप खरीदा और रामदेव को 2009 में बतौर उपहार भेंट कर दिया। इस द्वीप को रामदेव को योग और आयुर्वेद उपचार केंद्र स्थापित करने के लिए दिया गया था। हालांकि इस जोड़े का दावा है कि उन्होंने ब्रिटेन के नियम कानून के तहत यह जमीन योग गुरु को दी है।
जंतर मंतर पर चलीं लाठियां, पत्थर और आंसू गैस के गोले
नई दिल्ली. भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में अन्ना हजारे के अनशन से पहले मंगलवार को जंतर मंतर पर भाजपाइयों ने ताकत दिखाई। लेकिन पुलिस ने उन्हें कुचल दिया। भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ता दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के इस्तीफे की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे।
संसद के घेराव के बाद बड़ी संख्या में भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ता 'भ्रष्टाचार मिटाओ और शीला दीक्षित हटाओ' के नारे लगाते हुए जंतर-मतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। थोड़ी देर में प्रदर्शन हिंसक हो गया। कार्यकर्ता पुलिस का घेरा तोड़ कर संसद परिसर की तरफ निकल गए। काफी संख्या में प्रदर्शनकारी नारे लगाते हुए संसद के वीआईपी एरिया में पहुंच गए जहां किसी भी प्रदर्शनकारी को जाने की इजाजत नहीं होती है। प्रदर्शकारियों को बेकाबू होता देख पुलिस ने लाठी चार्ज शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछारें भी छोड़ी गईं। सुरक्षा बलों ने घटना को कवर कर रहे मीडियाकर्मियों को भी नहीं बख्शा। उन्होंने उनसे बदसुलूकी और मारपीट की। यहां तक कि फोटो जर्नलिस्ट शेखर घोष का कैमरा भी छीन लिया।
भाजपा नेताओं ने लोकसभा में यह मामला उठाया और विरोध को कुचले जाने को मुद्दा बना कर हंगामा किया। इसके चलते लोकसभा की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
वहीं, भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कहा कि पुलिस ने बिना किसी वजह के लाठीचार्ज किया है। पुलिस के मुताबिक दिल्ली, यूपी, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र से करीब 25-30 हजार युवाओं ने संसद मार्ग पर विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
इससे पहले बीजेपी की युवा ईकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए संसद का घेराव किया। भाजयुमो के देश भर से आए कार्यकर्ता दिल्ली के रामलीला मैदान में इकट्ठा हुए जहां बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी, लोकसभा में पार्टी की नेता सुषमा स्वराज भाजयुमो कार्यकर्ताओं को रामलीला मैदान में संबोधित किया। नितिन गडकरी ने सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने कलमाड़ी की कॉमनवेल्थ खेलों की आयोजन समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के लिए दबाव बनाया और वे ही दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को बचाने का काम कर रही हैं।
कोटा में ‘राजा को रानी से प्यार हो गया’
एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर सुभाष सोरल ने बताया कि फिल्म में हाड़ौती के कलाकारों को अवसर दिया जाएगा। नायक सागर के अलावा लगान फेम ग्रेसी सिंह, शक्ति कपूर, मुराद, प्रेम चौपड़ा, अरुण बख्शी भी अन्य किरदारों में है। सोरल ने बताया कि कोटा में पिछले दिनों फिल्म की यूनिट सदस्यों ने कोटा के आसपास चंबल नदी, गेपरनाथ, गराड़िया महादेव सहित बूंदी के प्राकृतिक स्थलों का चयन किया हैं। यहां के नजारों से टीम ने पिछले दिनों जाना कि हाड़ौती में फिल्म निर्माण की पूरी संभावना है। उन्होंने बताया कि एक से पांच सितंबर तक कोटा व बूंदी में फिल्म की शूटिंग होगी। अक्टूबर में यह फिल्म रिलीज होगी।
यह है फिल्म की थीम
इस फिल्म में गुजरात की एक स्कूल के एनसीसी कैडेट का टूर रहता हैं। इसमें हीरो राजा, गाई द्वारा राजस्थान उदयपुर के पर्यटन एवं धार्मिक स्थानों को दिखाते हुए इतिहास की जानकारी देता हैं। हल्दी घाटी सहित अन्य स्थानों को भ्रमण कराया जाता हैं। एनसीसी बच्चों द्वारा नामी लुटेरों को पकड़वाया जाता हैं। इसमें कैडेट को सरकार की ओर से पुरस्कार से नवाजा जाता हैं। यह फिल्म राजस्थान के पर्यटक एवं धार्मिक स्थलों व एनसीसी के कैडेट को प्रोत्साहन देने के लिए बनाई जा रही हैं। इस दौरान हीरो राजा को रानी से प्रेम हो जाता हैं।
फ़ूड सेफ्टी एक तो बन गया लेकिन जनता की सेफ्टी अभी तक नहीं ................
दोस्तों देश में फ़ूड सेफ्टी एक तो बन गया लागू भी हो गया लेकिन जनता की सेफ्टी अभी तक नहीं हो सकी है अन्तराष्ट्रीय दबाव के चलते देश में वर्ष २००५ में फ़ूड सेफ्टी एक्ट बनाया गया जिसे वर्ष २००६ में अंतिम रूप दिया गया इस कानून को वर्ष २००६ से वर्ष २०११ तक लागू नहीं किया जा सका नतीजन भारी दबाव के चलते इस कानून को लागू करने की घोषणा की गयी लेकिन घोषणा के बाद भी इस कानून के तहत देश में सुरक्षा आयुक्त और अधिकारीयों की घोषणा नहीं की गयी है...................................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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