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10 अगस्त 2011

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कोलंबो.श्रीलंकाई सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह आपातकाल के कठोर कानून को जल्द ही खत्म करने वाली है। यह कानून श्रीलंका में पिछले 30 सालों से लागू है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री डीएम जयरत्ने ने कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से इस बारे में चर्चा चल रही है।

संसद को इसका मसौदा जल्द ही सौंपा जाएगा।’ श्रीलंका में लागू इस कानून के तहत शक के घेरे में आए किसी भी व्यक्ति को अनिश्चितकाल के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है।

लिट्टे के खिलाफ इस कानून का इस्तेमाल किया जाता रहा है। दो वर्ष पहले सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश के अंतर्गत आने वाली कई धाराओं को हटा दिया गया था। लेकिन विदेश में काम कर रहे लिट्टे समर्थकों के खिलाफ कुछ धाराएं अभी भी जारी हैं। बकौल जयरत्ने, ‘लिट्टे का खात्मा तो हो चुका है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ संगठन हैं जो श्रीलंका में इसे फिर से शुरू करने की फिराक में हैं।’
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कोलंबो.श्रीलंकाई सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह आपातकाल के कठोर कानून को जल्द ही खत्म करने वाली है। यह कानून श्रीलंका में पिछले 30 सालों से लागू है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री डीएम जयरत्ने ने कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से इस बारे में चर्चा चल रही है।

संसद को इसका मसौदा जल्द ही सौंपा जाएगा।’ श्रीलंका में लागू इस कानून के तहत शक के घेरे में आए किसी भी व्यक्ति को अनिश्चितकाल के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है।

लिट्टे के खिलाफ इस कानून का इस्तेमाल किया जाता रहा है। दो वर्ष पहले सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश के अंतर्गत आने वाली कई धाराओं को हटा दिया गया था। लेकिन विदेश में काम कर रहे लिट्टे समर्थकों के खिलाफ कुछ धाराएं अभी भी जारी हैं। बकौल जयरत्ने, ‘लिट्टे का खात्मा तो हो चुका है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ संगठन हैं जो श्रीलंका में इसे फिर से शुरू करने की फिराक में हैं।’

श्रीलंका जल्द ख़त्म कर देगा देश के इस सबसे क्रूर कानून को क्यूंकि...

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कोलंबो.श्रीलंकाई सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह आपातकाल के कठोर कानून को जल्द ही खत्म करने वाली है। यह कानून श्रीलंका में पिछले 30 सालों से लागू है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री डीएम जयरत्ने ने कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से इस बारे में चर्चा चल रही है।

संसद को इसका मसौदा जल्द ही सौंपा जाएगा।’ श्रीलंका में लागू इस कानून के तहत शक के घेरे में आए किसी भी व्यक्ति को अनिश्चितकाल के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है।

लिट्टे के खिलाफ इस कानून का इस्तेमाल किया जाता रहा है। दो वर्ष पहले सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश के अंतर्गत आने वाली कई धाराओं को हटा दिया गया था। लेकिन विदेश में काम कर रहे लिट्टे समर्थकों के खिलाफ कुछ धाराएं अभी भी जारी हैं। बकौल जयरत्ने, ‘लिट्टे का खात्मा तो हो चुका है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ संगठन हैं जो श्रीलंका में इसे फिर से शुरू करने की फिराक में हैं।’

अपनी शक्ल आइने में कभी नहीं देखता ये शख्स


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चेहरे की डरावनी कुरूपता के कारण इस शख्स को 'बिना चेहरे के इंसान' के रूप में जाना जाता है। हांलाकि पिछले 35 सालों से चेहरे के भद्देपन का शिकार इस शख्स को मेडिकल साइंस द्वारा ठीक होने का भरोसा तो दिया गया है, लेकिन इसकी संभावनाएं बहुत कम हैं।



लिस्बन, पुर्तगाल के रहने वाले जोस मेस्ट्रे पिछले 35 वर्षों से चेहरे पर ट्यूमर होने की बीमारी से ग्रस्त हैं। हालत यह है कि अब उनके चेहरे को पहचानना मुश्किल हो गया है और इतने लंबे समय से यह ट्यूमर लगातार फैलता ही जा रहा है।



51 वर्षीय जोस के चेहरे पर रक्त वाहिकाओं की वृद्धि लगातार होती रहती है, जिसके कारण इसने ट्यूमर का रूप ले लिया है और इनके चेहरे की त्वचा बेहद भद्दी हो चुकी है।



दरअसल जन्म के वक्त जोस के ऊपरी होंठ पर गुलाबी रंग का निशान था, जो समय के साथ फैलता रहा। लगभग 35 सालों में फैलकर यह इतना बड़ा हो गया कि आज यह 33 सेंटीमीटर जगह में फैल चुका है और इस ट्यूमर का वजन लगभग 3 किलोग्राम हो गया है।



धार्मिक कारणों से जोस ने ब्लड ट्रांसफ्यूजन नहीं कराया, जिसकी वजह से लंबे समय तक उनकी सर्जरी भी नहीं हो सकी। इसी कारण उनकी बीमारी ने ये रूप ले लिया।



जोस की बीमारी को डिस्कवरी चैनल के कार्यक्रम 'माई शॉकिंग स्टोरी' में भी दिखाया जा चुका है।

हैरतअंगेजः जड़ें निकलने लगीं और पेड़ बनने लगा आदमी...

इंडोनेशिया के सुदूर गांव में रहने वाला एक मछुआरा एक अजीब समस्या से पीड़ित है। 32 वर्षीय डेडे 'आधा इंसान आधा पेड़' है। दरअसल इस व्यक्ति के शरीर के कई अंगों में पेड़ जैसी संरचनाएं उग चुकी हैं जो हर साल 5 सेंटीमीटर की गति से बढ़ रही हैं।

अपने दो बच्चों के साथ रह रेह डेडे को हर समय डर लगता है कि कहीं इसकी वजह से उसकी मौत ना हो जाए। डेडे के हाथों और पैरों से पेड़ की जड़ों जैसी संरचनाएं उग आई हैं, जिनमें से शाखाएं भी निकल चुकी हैं।

इनमें हर साल 5 सेंटीमीटर की वृद्धि होने के कारण उसके शरीर का अधिकांश हिस्सा ढक गया है। अपने गांव और आस पास के इलाके में 'ट्री मैन' के नाम से प्रसिद्ध डेडे का इलाज पिछले 20 सालों से इलाके के डॉक्टर कर रहे हैं। अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए ये कई रोमांचक शो में हिस्सा ले चुके है, जहां इसकी बीमारी का प्रदर्शन किया जाता है।

मोहब्बत के इकरार का यह तरीका भी खूब रहा


चीन के एक युवक ने अपनी गर्लफ्रेंड को प्रपोज करने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया। पैंग कुन ने अपनी गर्लफ्रेंड जाओ सिन्यू को प्रपोज करने के लिए गाजर का कॉस्ट्यूम पहनकर डांस किया। उसके इस तरीके में उसका साथ उसके 49 साथियों ने दिया, जिन्होनें गाजर का कॉस्ट्यूम पहनकर पैंग कुन के साथ डांस किया।



किंग्डाओं के एक शॉपिंग कॉंप्लेक्स में पैंग जब जाओ से मिला तो वह थोड़ी देर का बहाना बनाकर बाथरूम में गया और वहां जाकर उसने अपने कपड़े बदल लिए।



बाथरूम से वापस आने पर वह गाजर के कॉस्ट्यूम में था और अपने 49 साथियों के साथ म्यूजिक पर डांस करने लगा। ये सब देखकर उसकी गर्लफ्रेंड चौक गई। इस तरह का माहौल देखकर वहां लोगों की भीड़ लग गई और सभी वीडियो बनाने लगे और फोटो खींचने लगे।



जैसे ही डांस खत्म हुआ तो पैंग ने अपने कॉस्ट्यूम को उतार दिया, जिसे देखकर उसकी गर्लफ्रेंड चौंक गई। फिर क्या था...पैंग ने घुटनों के बल बैठकर लाउडस्पीकर के जरिए अपनी गर्लफ्रैंड के सामने प्यार का इजहार कर दिया।



पैंग के अनुसार उसने इसके लिए 10,000 पाउंड का खर्चा किया है। इसमें डांस की तैयारी करने में भी उसे लगभग 3 हफ्तों का समय लगा है।

नहीं जानते 102 लोग किसके आदेश पर मारे

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भीलवाड़ा/जयपुर। प्रदेश में अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्रित्व काल में विभिन्न कारणों से 43 स्थानों पर हुई पुलिस फायरिंग में 15 डकैतों सहित कुल 105 लोगों की मौत हुई है। तीन मामलों में हुई तीन मौतों का तो सरकार को पता है कि किसके आदेश पर फायरिंग हुई। बाकी 102 लोगों की मौत किसके आदेश पर की गई फायरिंग में हुई, यह सरकार नहीं जानती।

आरटीआई कार्यकर्ता एसएस राणावत ने मुख्यमंत्री कार्यालय से इस बात की जानकारी मांगी थी कि वर्ष 1998 से लेकर आज तक कितनी बार पुलिस फायरिंग की गई और उसमें कितने लोग मारे गए। साथ ही यह फायरिंग किसके आदेश पर की गई। इस संबंध में अतिरिक्त महानिदेशक अपराध शाखा की ओर से उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह फायरिंग किसके निर्देश पर की गई इसकी सूचना उपलब्ध नहीं है।

वसुंधरा राजे के शासनकाल में 7 डकैतों सहित कुल 79 लोग मारे गए। इनमें सर्वाधिक लोग दौसा जिले के दुब्बी में 20 व डूमरिया रेल्वे स्टेशन के पास भरतपुर में 16 लोग मारे गए। गहलोत के पूर्व शासनकाल में मारे गए चौदह लोगों में से तीन डकैत बिजौली धौलपुर में मारे गए। वरिष्ठ एडवोकेट गोपीचंद वर्मा का कहना है कि दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत किसी भी स्थिति में बिना मजिस्ट्रेट के आदेश के फायरिंग नहीं की जा सकती।

13 साल में 43 बार फायरिंग

> अशोक गहलोत का वर्तमान कार्यकाल (14 दिसंबर 2008 से 31 दिसंबर 2010) में ११ जगह फायरिंग, कुल 12 लोगों की मौत।> वसुंधरा के मुख्यमंत्रित्व काल (9 दिसंबर 2003 से 13 दिसंबर 2008) में २२ जगह फायरिंग, कुल 79 लोग मरे।> अशोक गहलोत के पूर्व कार्यकाल (1 दिसंबर 1998 से 8 दिसंबर 2003) में १क् जगह फायरिंग, 14 लोग मारे गए।

सरकार को सिर्फ 3 आदेशों की जानकारी

वसुंधरा राजे के कार्यकाल में नई व पुरानी मंडी घडसाणा में हुई फायरिंग एसडीएम के निर्देश पर हुई जबकि अशोक गहलोत के कार्यकाल में कस्बा रोहिडा जिला सिरोही में एसडीएम तथा भादरा हनुमानगढ़ में एसीएम के निर्देश पर फायरिंग हुई। शेष की जानकारी सांख्यिकी विभाग सीआईडी सीबी के पास उपलब्ध नहीं है।

यह संभव ही नहीं

यह संभव ही नहीं है कि फायरिंग के आदेश देने वाले का रिकॉर्ड न हो। फायरिंग की हर घटना के बाद न्यायिक जांच के आदेश होते हैं और आम तौर पर संभागीय आयुक्त जांच करते हैं। जांच रिपोर्ट में फायरिंग के कारणों और जिम्मेदार लोगों का उल्लेख होता है।-पीके देब, अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग

पब्लिक के चालान, खुद बगैर हेलमेट

कोटा। शहर पुलिस बिना हेलमेट वाहनचालकों पर तो कार्रवाई कर रही है लेकिन उसके कर्मी खुद बिना हेलमेट ही घूमते हैं। बुधवार दोपहर रावतभाटा रोड पर रामधाम मंदिर के सामने दादाबाड़ी थाना पुलिस की जीप मंदिर के सामने खड़ी थी। कुछ जवान बगैर हेलमेट आने वाले बाइक सवारों पर नजरें जमाए थे। जो भी बगैर हेलमेट निकलता उसको रोकते, बाइक की चाबी निकालते। करीब 20 मीटर दूर खड़ी जीप तक बाइक को पैदल ही खिंचवाते, फिर चालान काटते।

बगैर हेलमेट गए याद नहीं आया कानून

दोपहर तीन बजे वहां मौजूद पुलिस अधिकारी ने कहा -चलो बंद करते हैं कार्रवाई, आज का कोटा पूरा हुआ। इसके बाद कार्रवाई टीम में शामिल कई पुलिसकर्मी बिना हेलमेट ही वहां से रवाना हो गए।

थानेदार व सिपाही ने की बदसलूकी

इस दौरान पुलिसकर्मियों ने बदसलूकी भी की। चाबी निकालने के बाद वे वाहनचालक से उसे 50 से 100 मीटर पैदल लाने को कहते।

जो उनका पत्थर था वही दिल पर लगा ..

हाँ
में सड़क पर
बेबस, लाचार
मजनू की तरह
उनकी याद में
यूँ ही भटक रहा था .....
मजनू समझ कर
मुझे दीवाना समझ कर
यूँ ही
लोगों ने मुझ पर
पत्थर बरसाए
मुझे किया लहू लुहान
फिर भी
जख्मों में दर्द न हुआ
बस
एक पत्थर
हाँ एक पत्थर
जो लगा मेरे दिल पर
वोह उन्होंने फेंका था
बस उसी पत्थर
की चोट के दर्द से
आज भी में तडप रहा हूँ ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हाँ गुनाहगार हूँ में ...............

हाँ
तुम सही कहते हो
तुम्हारा
गुनाहगार हूँ में
जब भी देखा है
तुम्हे मेने
सिर्फ और सिर्फ
पाकीज़ा
नज़र से ही
देखा है .............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

चलो छोडो ..............

चलो छोड़ो
क्या करोगे
मुझ से तुम
मेरे अतीत के
दुखद भरे
किस्से सुनकर ...
मेरी जिंदगी में
उनकी बेवफाई
उनसे मेरी
रुसवाई
के सिवा रखा क्या है ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जले जा बस ......

ऐ शमा ऐ रोशन
जले जा तू चुपचाप
न घबरा ना चिल्ला
देख लेना
तेरे बुझने से पहले
सुबह होगी जरुर ................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सोचता हूँ में ......

सोचता हूँ में
कोई तो
चोंक कर देखे
केसे टूटा है दिल मेरा
केसे खुद
हुए अरमान मेरे
बस इसी लियें तो
में चीखे जा रहा हूँ
और एक ज़ालिम तू है
जो ठहाके लगा लगा कर
मुझे सताए जा रहा है ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जितना वक़्त ....

जितना वक़्त 
जितनी ताकत 
तुमने 
गुलिस्तान 
उजाड़ने में लगाई है 
 उतने वक्त , उतनी ताकत में तो तुम 
ना जाने कितने 
वीराने संवार देते ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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