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14 अगस्त 2011

महात्मा गाँधी भी जब आसमां से देखते होंगे ..

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी
जब आसमां से देखते होंगे
मेरे आज़ाद भारत का प्रधानमंत्री
मनमोहन को किसने बनाया सोचते होंगे ......
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी
जब भी आसमां से देखते होंगे
सोनिया और राहुल को गांधी क्यूँ बनाया सोचते होंगे ।
देश के भ्रष्टाचार के लियें ज़िम्मेदार
कोंग्रेस पार्टी के समर्पित राष्ट्रभक्त नेता क्यूँ चुप हैं
राष्ट्रपिता गान्धी यह सोचते होंगे ........
आज़ाद भारत की भूख मरी , गरीबी , भ्रष्टाचार , कालाबाजारी
गांधी की पार्टी खुद क्यूँ नहीं खत्म कर पायी
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी यह भी सोचते होंगे
अनशन के हथियार , गाँधीवादी अन्ना पर अत्याचार
जो कर रही है सरकार
उसके देख कर भी
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सर पकड़ कर कुछ सोचते होंगे ।
जो लोकतंत्र जनता का जनता द्वारा शासन के लियें हैं
इस लोकतंत्र में कुछ सांसद खुद को खुदा समझें
कभी जो न जीत सकें लोकसभा चुनाव
वोह लोग जो राज्यसभा के चोर दरवाज़े से
चापलूसी कर मंत्री और प्रधानमन्त्री बने
वोह देश में केसी अराजकता फेला रहे हैं
देश के लोकतंत्र का केसे गला काट रहे हैं
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब भी
असमान से देखते होंगे
यह मेरे देश में क्या हो रहा है
एक दर्द भरे अंदाज़ में सोचते होंगे .................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मन को धोने के लिए आंसू की एक बूंद भी काफी है

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जब नाम, दाम, पद, प्रतिष्ठा खूब मिलने लगती है तो तन से पहले इसका प्रभाव मन पर होता है। ऐसे लोगों की बॉडी-लैंग्वेज बदल जाती है, लेकिन इससे बड़ा नुकसान नहीं होता। झंझट तब शुरू होती है जब इन उपलब्धियों में मन सक्रिय होने लगता है।

धन में अच्छाई-बुराई दोनों होती हैं। उपलब्धियां होती ही ऐसी हैं, ये मिल जाएं तो भी कुछ खो जाता है और ये खो जाएं तो भी कुछ हासिल हो जाता है। मन की देखने की दृष्टि अलग होती है। वह उपलब्धियों के प्रति आसक्ति पैदा करता है, जबकि हमारा इनसे जुड़ाव उपयोगिता के आधार पर होना चाहिए।

मन को आवश्यकताओं की पूर्ति से अधिक उसके भोग में रुचि होती है। इसलिए जीवन में जब उपलब्धियां आएं तो मन की सफाई जरूर करें। जैसे अतिथि के आने के पूर्व साफ-सफाई की जाती है। मन की सफाई का मतलब वासनाओं का विसर्जन और विवेक का आगमन है।

भक्ति मार्ग में मन की सफाई के लिए आंसू का महत्व बताया है। आप कितने ही सफल हों, एकांत में अपने परमात्मा के सामने आंसू बहाने की तैयारी जरूर रखें। भगवान के सामने जिन्होंने आंख के आंसू सुखाए, फिर उनका मार्ग पथरीला हो जाएगा।

मन को धोने के लिए आंसू की एक बूंद भी काफी है। इस समय तर्क व बुद्धि को दूर रखिए। जीवन में तृप्ति चाहें तो परमात्मा के सामने आंसू बहाएं। व्यर्थ जाएंगी ये बूंदें, यदि दुनिया के सामने बहाएंगे और यदि परमात्मा के सामने गिराएंगे तो अमृतकण बन जाएंगी।

दही में पड़ा हूं इसलिए ही मैं दही बड़ा हूं’

समर्पण जिंदा व्यक्ति का लक्षण है तो अहंकार मुर्दे की पहचान है। मुर्दे के लक्षण होते हैं कि वह कुछ भी करो, मुड़ता नहीं है, यथास्थिति रहता है। अहंकारी व्यक्ति किसी के सामने झुकता नहीं है। लेकिन आदमी मुड़ना जानता है इसलिए वह मुड़ता भी है और मोड़ता भी है। तो अहंकार आदमी को अकड़ाकर मुर्दा बनाता है और समर्पण झुकाकर जीना सिखाता है। गुरुनानक देव ने कहा है - नानक छोटे हुई रहो, जैसे नन्ही दूब। बड़े बिरछ कट जाएंगे, दूब खूब की खूब।।

संतों की ऐसी वाणी भी हमारे अहंकार के सामने व्यर्थ हो जाती है। बड़े बनने की धृष्टता पर हम मर मिटने को भी राजी हो जाते हैं, लेकिन याद रखें कि अहंकार के लिए मरने वाले कभी बड़े नहीं बन सकते। बड़े वे होते हैं, जो समर्पण के साथ जीते हैं। जैसे दही बड़ा। किसी ने दही बड़े से पूछा - लोग तुम्हें बड़ा क्यों कहते हैं? उसने कहा - मैं दही में पड़ा हूं इसलिए बड़ा हूं। दही बड़े की यह आत्मकथा हमें बताती है कि पड़े रहने का अर्थ है समर्पण। समर्पण हमारे भीतर की विशेषताओं को स्थापित करता है। समर्पण में सीखने के लिए ऊर्जा का जन्म होता है।

जो सीख लेते हैं, वे ज्येष्ठ (बड़े) के साथ श्रेष्ठ भी हो जाते हैं और जो नहीं सीख पाते, वे निश्चेष्ट (मृत) हो जाते हैं। समर्पण की एक और विशेषता है कि वह हमें वर्तमान पर टिकाता है। जब अतीत व भविष्य से मुक्त होंगे, तब वह हमारा वर्तमान होगा और वर्तमान में ही जागरण की अनुभूति होती है।

यह भ्रम न पालें कि मुझे ही सबकुछ आता है औरों को नहीं

दुनिया में कई तरह के भ्रम होते हैं, उनमें से एक भ्रम है यह मान लेना कि मुझे सबकुछ आता है। उससे भी बड़ा भ्रम यह है कि मेरे मुकाबले दूसरों को कुछ नहीं आता। यहीं से गड़बड़ शुरू हो जाती है।

एक बुरी आदत जीवन में यह उतर जाती है कि अपनी गलतियां ढूंढ़ने में रुचि नहीं रहती, सारे दोष दूसरों पर थोपने लगते हैं। जब भी आप किसी जिम्मेदार पद पर हों और आपके पास कोई महत्वपूर्ण कार्य हो तो पहली बात यह करें कि उससे संबंधित सारी जानकारियां और ज्ञान जरूर बटोर लें।

जानकारी का अभाव बिल्कुल न रखें। आप विशिष्ट और अधिकार संपन्न इसी बात के लिए होंगे कि आपके पास अन्य के मुकाबले उस विषय की जानकारी अधिक होगी। लगातार आत्मसमीक्षा करते रहें। अपनी जानकारियों को अपडेट करते रहें।

प्रतिदिन की पूजा में नवीनता बनाए रखें। भारतीय शास्त्रों ने कहा है कि भक्ति के प्राण उसकी नवीनता में बसे हैं, इसे बासी बिल्कुल न होने दें, वरना हम थोड़ी भी चुनौती आने पर चिड़चिड़े हो जाते हैं, तनावग्रस्त बन जाते हैं।

यह भ्रम न पालें कि हमें सब आता है और दूसरों को कुछ नहीं। जितनी भी देर आप पूजा करें, पूरी तरह डूबकर उसे नवीन बनाएं। एक भाव-दशा में जीना सबसे अच्छी पूजा है।

पूजा में बैठकर अपने भीतर की स्थिति का मूल्यांकन करें। जितना हम भीतर उतरकर पूजा करेंगे, नवीन होते जाएंगे। जब परमात्मा को फूल, वस्त्र व भोग ताजा लगाते हैं तो स्वयं भी बासी बनकर न चढ़ें।

स्वतंत्रता का आत्मविश्वास.. स्वतन्त्रता दिवस पर हार्दिक बधाई

अपनी स्वतंत्रता और दूसरे की गुलामी इंसान की पुरानी पसंद है। इस मनोविज्ञान को हालात में बदलकर पुरुष समाज ने अधिक लाभ उठाया है और परतंत्रता को स्त्रियों से जोड़ दिया गया।

अपने देश के स्वतंत्रता दिवस पर आध्यात्मिक दृष्टि से विचार करने के साथ हमें इस समय मनुष्य की स्वतंत्रता पर भी विचार करना चाहिए। हम भौगोलिक स्वतंत्र हुए, मानसिक परतंत्रता से मुक्त नहीं हो पाए। इसकी कीमत जिन-जिन लोगों ने चुकाई, उसमें एक बड़ा वर्ग माताओं और बहनों का है।

जीवन में जितनी लाचारी होगी, उतना ही सम्मान कम होगा और माताओं-बहनों के साथ ऐसा ही होता है। यह भी सही है कि पूजा-पाठ, धर्म-कर्म में नारी वर्ग अधिक संलग्न रहता है। आज भी स्त्रियां पूजा-पाठ के मामले में कर्मकांड से अधिक जुड़ी हुई हैं, इसलिए वे केवल शरीर पर अधिक टिक गईं।

माताएं-बहनें जितना मन व आत्मा पर काम अधिक करेंगी, यानी योग, प्राणायाम, ध्यान से जुड़ेंगी, उतना वे स्वतंत्र रहेंगी और स्वतंत्रता के अर्थ भी उनके लिए बदल जाएंगे। ध्यान की अवस्था स्त्रियों को प्राप्त भी जल्दी होती है और परिणाम भी अधिक दिव्य होंगे। स्वतंत्रता के लिए जिस आत्मविश्वास की जरूरत है, वह इसी योग-पथ से प्राप्त होगा।

कृष्ण सिखाते हैं, जिंदगी जीएं तो कुछ इस तरह....



भागवत के अंक 235 में आपने पढ़ा....

इसी प्रकार अपने दूसरे और तीसरे बालक के भी पैदा होते ही मर जाने पर वह ब्राह्यण लड़के की लाश राजमहल के दरवाजे पर डाल गया और वही बात कह गया। नवें बालक के मरने पर जब वह वहां आया, तब उस समय भगवान श्रीकृष्ण के पास अर्जुन भी बैठे हुए थे। अर्जुन ने देखा भगवान मौन हैं, ब्राह्मण अपने पुत्रों की असामयिक मृत्यु से विचलित है लेकिन कोई उसकी मदद नहीं कर रहा है। अर्जुन से रहा नहीं गया वह ब्राह्मण से बोल पड़ा। यह भगवान की लीला है।

अब आगे....

महाभारत की कथा गति पकड़ रही है। इस कथा के केन्द्र में कृष्ण ही हैं। उनकी विभिन्न लीलाएं हैं। कृष्ण की शिक्षा, उनके उपदेश सभी हमारे काम आने वाले हैं। महाभारत की पूरी कथा अब कृष्ण के ईर्द-गिर्द ही घूमने वाली है, संचालित भी वही करते हैं और उसके केन्द्र में भी वही हैं। पाण्डवों के लिए सबसे बड़े हितैशी और कौरवों के लिए शत्रु।

सारी बातें या तो कृष्ण के लिए कही जा रही हैं या कृष्ण द्वारा कही जा रही हैं। कृष्ण के अलावा महाभारत का कोई पात्र नहीं है जो इस कथा को आगे बढ़ाता है। कृष्ण अपनी गृहस्थी में भी उतने ही रमे हैं जितने वे महाभारत यानी हस्तिनापुर के पात्रों को लेकर सोच रहे हैं। गृहस्थी और दुनियादारी में कैसे जीया जाए यह कृष्ण से सीखा जा सकता है।

कृष्ण ने दुनिया और दांम्पत्य के बीच में जो तालमेल बनाया है वह अद्भुत है।महाभारत में अब भगवान व्यस्त हो जाएंगे। बार-बार द्वारका से इन्द्रप्रस्थ और हस्तिनापुर जाना होगा। इसीलिए भागवत ग्रंथकार ने भगवान की द्वारकालीला का भी वर्णन दसवें स्कंध के अंतिम 90वें अध्याय में किया है।

द्वारकानगरी की छटा अद्भुत थी। जिधर देखिये, उधर ही हरे-भरे उपवन और उद्यान लहरा रहे हैं। वह नगरी सब प्रकार की सम्पत्तियों से भरपुर थी। भगवान श्रीकृष्ण सोलह हजार से अधिक पत्नियों के एकमात्र प्राणाधार थे। उन पत्नियों के अलग-अलग महल भी परम ऐश्वर्य से सम्पन्न थे। जितनी पत्नियां थीं, उतने ही अद्भुत रूप धारण करके वे उनके साथ विहार करते थे।

गृहस्थी चलाने का यह तरीका केवल कृष्ण के पास ही था। वे किसी भी पत्नी को नाराज नहीं करते। सबको बराबर स्नेह, प्रेम, आदर और समय दिया करते थे। कई ज्ञानी, ध्यानी, तपस्वी भी उनकी इस लीला को समझ नहीं पाए। जो छोटी बुद्धि के थे उन्होंने कृष्ण को कामी-विलासी की संज्ञा भी दी। आज भी कई लोग उनकी रासलीला, राधा प्रसंग और 16108 विवाहों को केवल दैहिक दृष्टि से ही देखते हैं। ऐसे लोगों के लिए कृष्ण न केवल दुर्लभ हैं बल्कि उन्हें कभी भी शांति नहीं मिल सकती।

कृष्ण तो तर्क से परे हैं। वे सभी तर्कों-कुतर्कों से ऊपर स्वयं एक सत्ता है। वे अविचल और परम धर्म के समतुल्य हैं। कृष्ण ने अपनी शक्ति के कई चमत्कार शिशुकाल से ही दिखाए। अब वे अपनी गृहस्थी की लीलाएं, अपने परिवार और कुटुम्ब के जरिए भी हमें जीवन के कई सूत्र दे रहे हैं। इन सूत्रों में ही मानव जीवन छिपा है।

केमिकल लोचा के कारण लोग बन जाते हैं तुनकमिजाज

कुछ पुरुष तुनकमिजाज होते हैं तो कुछ सौम्य । इसके लिए व्यक्ति में उपस्थित जिन या व्यक्ति की परवरिश जिम्मेदार नहीं है।

ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि पुरुषों के मस्तिष्क में एक खास किस्म की केमिकल की कमी के कारण वे तुनकमिजाज बन जाते हैं।

इस शोध में इस बात भी सामने आई है कि क्यों कुछ पुरूष आवेग में आकर तुरंत निर्णय ले लेते हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि आवेगशील पुरूषों में गाबा (जीएबीए) नामक रसायन अनुपस्थित रहता है। इसका काम मस्तिष्क कोशिकाओं के मध्य सूचनाएं भेजना होता है।

गंगा की मछली से होगा दिल का इलाज


लंदन के शोधकर्ताओं ने गंगा नदी में पाई जाने वाली मछली जेब्रा मछली में ऐसा प्रोटीन प्रोटीन अनु पाया है जो क्षतिग्रस्त हृदय की मांसपेशी की मरम्मत करने में समर्थ है।




यह मछली एक हफ्ते में क्षतिग्रस्त हृदय की मांसपेशी के 20 प्रतिशत हिस्‍से की मरम्‍मत करने में समर्थ है। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के मेडिकल डायरेक्टर प्रोफेसर पीटर वीशवर्ग का कहना है कि जेब्राफिश में हृदय की मांसपेशियों को पुनर्जीवित करने की क्षमता है।




यह दिल की बीमारी की नई दवा के रूप में जल्‍द ही अपनी पहचान बना लेगा। यह मछली उन लाखों लोगों के लिए उम्‍मीद की किरण बनकर सामने आया है जो मौत के करीब हैं।

जोडों का दर्द दूर करती है


अगर आप गठिया या अर्थराइटिश के दर्द से परेशान हैं तो अपने खाने का मेन्यू बदलें। शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया है कि कढी जोडों के दर्द में भी राहत देती है। कढी खाने से सूजन घट जाती है और कोहनी दुरूस्त हो जाती है।

लंदन के नॉटिंघम विश्वद्यालय और जर्मनी के मैक्समिलियंस युनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने भारतीय कढियों के एक महत्वपूर्ण तत्व करकूमिन की शिनाख्त की है जो जोड में स्त्रायु सूजन को रोकता है।

करकूमिन हल्दी से बनती है। इसका इस्तेमाल स्त्रायु बीमारी के दौरान सूजन फैलाने वाली जैविक यांत्रिकी को कम करने के लिए किया जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन से जोड के दर्द के लिए इलाज का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

मकड़ी के रेशम से बनेगी त्वचा

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वाशिंगटन वैज्ञानिकों ने कृत्रिम त्वचा को और भी मजबूत बनाने का तरीका खोज लिया है। अब कृत्रिम त्वचा मानव त्वचा से कई गुना ज्यादा मजबूत और स्ट्रेचेबल स्पाइडर सिल्क से बनाई जाएगी। इससे इंसान के शरीर के किसी अन्य भाग से त्वचा ट्रांसप्लांट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

इससे त्वचा पर कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होगा। अब तक कृत्रिम त्वचा बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वस्तु इतनी मजबूत नहीं थी।

जर्मनी के शोधकर्ताओं ने एक शोध में पाया कि मकड़ी का रेशम आग से झुलसे हुए और अन्य त्वचा रोग संबंधी मरीजों के इलाज में आसानी से प्रयोग में लाया जा सकता है। मेडिकल स्कूल हैनोवर की शोधकर्ता हैना वें½ के अनुसार मकड़ी के जालों का प्रयोग संक्रमण से लड़ने में और घावों को भरने में भी किया जाता है।

लेकिन, वैज्ञानिक अब मकड़ी के सिल्क को भी कृत्रिम रूप से तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे काफी मदद मिल सकती है।

कैसे किया शोध

स्पाइडर सिल्क की मजबूती जांचने के लिए शोधकर्ताओं ने सुनहरा रेशम बनाने वाली मकड़ियों के रेशम बनाने वाली ग्रंथियों को थपथपाया। इससे उनका रेशम फाइबर के रूप में बाहर आ गया। इस रेशम को फ्रेम में बांध कर इंसानी त्वचा की कोशिकाएं उसपर रखीं। उचित पोषण, तापमान और हवा में रखने पर वे कोशिकाएं सामान्य रूप से बढ़ने लगीं। शोधकर्ता दो प्रकार की त्वचा कोशिकाएं बनाने में सफल हुए- पहली तो किरेटिनोसाइट्स- जो त्वचा का सबसे ऊपरी भाग है तथा दूसरी फाइब्रोटब्लास्ट- जो त्वचा को पोषित करती हैं । इनमें रक्त नलिकाएं, बालों के रोम और अन्य संरचनाएं होती हैं।

अब नहीं चूस पाएंगे खून, मच्छरों की होगी नसबंदी


वैज्ञानिकों ने मलेरिया रोकने की कोशिश में शुक्राणु रहित मच्छर विकसित किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मच्छरों की संख्या कम करने की दिशा में ये पहला महत्त्वपूर्ण क़दम है। मलेरिया की वजह से दुनिया भर में 10 लाख लोग मारे जाते हैं और अफ़्रीका में तो बच्चों की कुल मौत में से 20 प्रतिशत सिर्फ़ मलेरिया से ही होती है।

वैज्ञानिकों के इस प्रयास की चर्चा नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंसेज़ में है। वैसे तो कीटों का बंध्याकरण नई बात नहीं है और इससे पहले सीसी मक्खी के वंध्याकरण में विकिरण का सहारा लिया गया था। मगर अब वैज्ञानिकों ने महीनों की मेहनत के बाद विकिरण की जगह मच्छरों को शुक्राणु रहित करने का नया तरीक़ा ढूँढ़ निकाला है।

लंदन के इंपीरियल कॉलेज की फ़्लेमिनिया कैटेरुचिया ने अपने छात्र जैनिस थैलायिल की मदद ली जिससे नर मच्छरों के शुक्राणु तो ख़त्म किए जा सकें मगर वह फिर भी स्वस्थ रहें।

जीन ख़त्म

थैलायिल ने 10 हज़ार मच्छरों के भ्रूण में आरएनए का एक ऐसा छोटा हिस्सा डाला जिससे उनमें शुक्राणु का विकास करने वाला जीन ख़त्म हो गया। इतनी मेहनत के बाद शोधकर्ता 100 शुक्राणु विहीन मच्छरों के विकास में क़ामयाब हो गए और ये भी पता चला कि मादा मच्छर को ऐसे मच्छरों और आम मच्छरों में अंतर पता नहीं लगा।

दरअसल मादा मच्छर जीवन काल में एक ही बार संबंध बनाती हैं और शुक्राणु जमा करके जीवन भर अंडे निषेचित करती हैं तो अगर वैज्ञानिक उन्हें ये धोखा देने में क़ामयाब हो जाते हैं कि उन्होंने नर मच्छर से सफलतापूर्वक संबंध बना लिया है तो वे बिना ये जाने ही अंडे देना जारी रखेंगी कि उन अंडों का निषेचन यानी फ़र्टिलाइज़ेशन तो हुआ ही नहीं है।

कई पीढ़ियों के बाद धीरे-धीरे आम मच्छरों की संख्या गिरती जाएगी और उम्मीद है कि इससे मलेरिया को कम करने में मदद मिल सकती है।

अंतरिक्ष से कचरा साफ करेगा उपग्रह


रोम. अंतरिक्ष में तैर रहे कबाड़ उपग्रहों को ठिकाने लगाने के लिए इटली के वैज्ञानिक एक उपग्रह छोड़ने की योजना बना रहे हैं। इसके जरिए कबाड़ हो चुके उपग्रहों और अन्य खराब वैज्ञानिक उपकरणों को पृथ्वी के वायुमंडल में धकेला जाएगा। उल्लेखनीय है कि अंतरिक्ष में कबाड़ की वजह से आईएसएस को हमेशा खतरा बना रहता है।

नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी के चारों तरफ कचरे के करीब 5 लाख टुकड़े तैर रहे हैं २२ जिनकी रतार 17,500 मील/घंटा तक है। हाल ही आईएसएस की तरफ कबाड़ उपग्रहों का कचरा बढ़ता देखा गया था हालांकि, बाद में इसका मार्ग बदल गया। मिशन के मुय शोधकर्ता डॉ. माकरे कास्त्रोनुओवो ने कहा कि हम प्रतिवर्ष 5-10 बड़े टुकड़ों को उपग्रह से धकेल कर समुद्र में गिराएंगे।

उपग्रह कैसे करेगा सफाई

उपग्रह के अगले हिस्से में एक प्रोपेलेंट किट (विशेष धक्का मारने वाला उपकरण) लगा होगा जो कचरे को धकेलते हुए पृथ्वी के वायुमंडल ले आएगा। इसके अलावा कुछ छोटे-छोटे उपग्रह और भेजे जाएंगे जिनमें रोबोटिक आर्म (हाथ) लगे होंगे जो ऐसे कचरों को खींचकर पृथ्वी के वायुमंडल में छोड़ देंगे।

रोबोटिक आर्म के जरिए इन कचरे के टुकड़ों पर आयन-इंजन थ्रस्टर लगाए जाएंगे जो इन्हें धकेलते हुए पृथ्वी तक ले आएंगे।

इंटरनेटः भारत में पूरे हुए 15 साल

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15 अगस्त को भारत को आजाद हुए 64 साल होने जा रहे हैं। दिलचस्प यह है कि इसी दिन 15 अगस्त 1995 को भारत के अवाम को इंटरनेट पर विचारों की अभिव्यक्ति का अधिकार भी मिला है। 15 अगस्त को इंटरनेट देश में अपनी 16वीं सालगिरह मना रहा है।

इंटरनेट इस युग में जीने और आगे बढ़ने के सबसे शक्तिशाली माध्यम के रूप में स्थापित हो रहा है। इंटरनेट के माध्यम से आज हर तरह की सूचना बड़ी आसानी से मिल जाती है। वर्ल्ड वाइड वेब के जन्मदाता टिम बर्नर्स ली चाहते हैं कि इंटरनेट को मूल अधिकारों में शामिल किया जाए। फिनलैंड में इंटरनेट को नागरिक अधिकारों में शामिल कर लिया गया है। इसे अब प्राकृतिक माध्यम मानना शुरू कर दिया है।

मिस्र ने साबित किया कि यह लोकतांत्रिक उद्देश्यों को पाने का मजबूत साधन बन सकता है। कोई देश या कंपनी इसकी ठेकेदार न बन सके। इसलिए इंटरनेट की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नियामक संस्था बनना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटरनेट की उपलब्धता मूलभूत मानवाधिकार है।

संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि फै्रंक ला रू ने ये रिपोर्ट विचारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रचार और संरक्षण के अधीन तैयार की है। इंटरनेट की सुविधा ऐसी परिस्थिति में और महत्वपूर्ण हो जाती है, जब राजनीतिक अशांति फैली हो। ये देखते हुए कि इंटरनेट, असामानता से लड़ने के साथ-साथ विकास और मानव प्रगति को बढ़ावा देने जैसे बहुत से मानवाधिकारों के लिए एक अनिवार्य साधन बन चुका है, इंटरनेट की सुविधा हर व्यक्ति को उपलब्ध कराना सभी देशों की प्राथमिकता होनी चाहिए।

इंटरनेट पारदर्शिता बढ़ाने, जानकारी उपलब्ध कराने और लोकतांत्रिक समाज के निर्माण में आम नागरिकों की सRिय भागीदारी बढ़ाने के लिए 21 वीं शताब्दी के सबसे शक्तिशाली उपकरणों में से एक है। तकनीक ही ऐसी चीज है जो समाज में सबके लिए समान रूप से प्रभावी होती है। दुनिया भर में दो अरब लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट कॉम के संपादक सरमन नगेले ने बताया कि इंटरनेट एक क्रांतिकारी माध्यम है जो रेडियो, टेलीविजन या प्रकाशित सामग्री से अलग है, जो संवादात्मक है जिसमें लोग केवल जानकारी ग्रहण नहीं करते बल्कि उसमें योगदान भी करते हैं।

भविष्य का समाज इंटरनेट और इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्जन 6 से संचालित होगा। महज बीस साल में इंटरनेट ने आज वो मुकाम हासिल कर लिया है कि दुनिया भर में करीब 80 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि इंटरनेट के प्रयोग को उनके मौलिक अधिकार में शामिल कर देना चाहिए। एक सर्वेक्षण के अनुसार हर पांच वयस्क लोगों में से हर चार ये मानते हैं कि उन्हें इंटरनेट के प्रयोग की सुविधा मौलिक अधिकारों की तरह मिले।

दुनिया भर के 26 देशों के कुल 27 हजार वयस्क लोगों की इंटरनेट के बारे में राय ली गई। भारत में 70 प्रतिशत लोग इंटरनेट को अपने विचारों की अभिव्यक्ति का एक सुरक्षित स्थान मानते हैं। 67 प्रतिशत लोग इंटरनेट पर फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन और माई स्पेस जैसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर समय बिताते हैं। सर्वेक्षण में लोगों ने इंटरनेट को अभिव्यक्ति का एक बेहतर माध्यम बताया है, हालांकि इसके पक्ष और विपक्ष में लोगों की संख्या लगभग बराबर थी। सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर लोग चाहते हैं कि इस पर किसी भी तरह का सरकारी नियंत्रण नहीं होना चाहिए।

हालांकि कुछ लोग इस संबंध में विरोधी विचार भी रखते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इंटरनेट धोखाधड़ी आदि को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। फिलवक्त भारत में एक करोड़ 86 लाख से अधिक लोगों के पास इंटरनेट कनेक्शन है। ग्रामीण दूरसंचार नेटवर्क के विस्तार पर यूनिवर्सल सर्विस फंड यानि यूएसएफ से जुटाए गए कोष से 15 हजार करोड़ का निवेश किया जाएगा। 2012 तक देश की ढ़ाई लाख ग्रामपंचायतें इंटरनेट से जुड़ जाएंगी। इंटरनेट लोकतंत्र की नींव मजबूत करने में ज्यादा से ज्यादा किया जा सकेगा यदि इसके उपयोग को मौलिक अधिकारों में शामिल कर लिया जाए। भारत के लिए यही सबसे अधिक उपयुक्त समय है।

ये है भ्रष्टाचार की जांच के पीछे का 'भ्रष्टाचार'

आखिर पीजे थॉमस में क्या खास था कि सरकार ने उन पर लगे आरोपों और नेता विपक्ष की आपत्ति के बावजूद उन्हें सीवीसी नियुक्त कर दिया? भास्कर ने मालूम किया भ्रष्टाचार की जांच कर रही विभिन्न खुफिया एजेंसियों के काम के बारे में और पता लगाया कैसे होती है उनके शीर्ष पदों पर नियुक्तियां। और और इन एजेंसियों के शीर्ष पदों के लिए क्या राजनीति होती है और कैसे?

केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी)
काम- भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी
नियुक्ति - प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता की सदस्यता वाली समिति की सलाह पर राष्ट्रपति करते हैं नियुक्ति।
पूरे देश में भ्रष्टाचार की किसी भी शिकायत की जांच कराने वाली एजेंसी सीवीसी के मुखिया पीजे थॉमस की नियुक्ति की प्रक्रिया अपने आप में कई राज खोलती है। थॉमस केरल के पॉमोलीन आयात घोटाले में फंसे थे। केंद्र सरकार में सचिव बनने के लिए जरूरी केंद्र में दो साल के डेपुटेशन का अनुभव भी उनके पास नहीं था। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने उन्हें सचिव बनाया। उनकी नियुक्ति पर ज्यादा लोगों का ध्यान न जाए इसलिए उन्हें कम महत्वपूर्ण माने जाने वाले संसदीय कार्य मंत्रालय में सचिव बनाया गया।

फिर एक रुटीन ट्रांस्फर की तरह उन्हें हाई प्रोफाइल टेलीकॉम विभाग में सचिव बना दिया। उनकी ओर लोगों का ध्यान तब गया जब प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी ने उन्हें सीवीसी नियुक्त किया। इस कमेटी में गृह मंत्री पी चिदंबरम ने तो प्रधानमंत्री का समर्थन किया लेकिन लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने कड़ी आपत्ति जताई। थॉमस की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले पूर्व सीबीआई अधिकारी बीआर लाल कहते हैं कि बाजार भाव से कहीं ज्यादा भाव पर पामोलीन खरीदना भ्रष्टाचार था। प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि ऐसे भ्रष्ट आदमी को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का मुखिया बनाने के पीछे उनकी क्या मजबूरी थी।

भ्रष्ट नौकरशाहों की सूची को इंटरनेट पर डालने का क्रांतिकारी कदम उठाने वाले पूर्व सीवीसी एन विट्टल कहते हैं कि थॉमस की नियुक्ति नियमों में कमी की वजह से हुई है। नियमों में यह कहीं नहीं है कि केवल बेदाग व्यक्ति को ही सीवीसी बनाया जा सकता है और न ही यह है कि उसे चयन समिति द्वारा सर्वसम्मति से चुना जाएगा। अगर ये नियम होते तो थॉमस सीवीसी नहीं बन सकते थे।

सीबीआई
* 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में पिछले सप्ताह पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा को सीबीआई ने शाम तीन बजे गिरफ्तार किया। लेकिन गिरफ्तारी की घोषणा कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने टीवी चैनलों पर ढाई बजे ही कर दी थी। आखिर सीबीआई किसके कहने पर काम कर रही है और उसका प्रवक्ता कौन है?

* उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मंगलवार को एटॉर्नी जनरल ई वाहनवती ने कहा कि अदालत को सीबीआई जांच के आदेश नहीं देना चाहिए क्योंकि यह केवल भ्रष्टाचार का मामला है और इसमें मूल अधिकारों का हनन नहीं है। इस पर कोर्ट ने मुलायम सिंह के वकीलों से कहा कि जब खुद सरकारी वकील उनके पक्ष में बोल रहे हैं तो उन्हें जिरह करने की जरूरत नहीं है।

मुलायम सिंह और मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले पिछले छह सालों से जांच एजेंसियों की इसी तरह की राजनीतिक मजबूरियों के चलते जहां के तहां लटके हैं। जांच अधिकारी मानते हैं कि उनके पास दोनों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं लेकिन ऊपर से हरी झंडी न मिलने से उनके हाथ पैर बंधे हैं। आखिर केंद्र सरकार सपा के 22 और बसपा के 21 सांसदों के बाहरी समर्थन पर ही तो चल रही है।

इस बारे में पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह सीबीआई से हाल ही में रिटायर हुए निदेशक अश्विनी कुमार का जिक्र करते हुए कहते हैं कि इस पद के लिए सीवीसी की अध्यक्षता वाली द्वारा कमेटी द्वारा तैयार तीन शीर्ष पुलिस अफसरों के पैनल में उनका नाम दूसरे स्थान पर था। उनके चयन पर इसलिए भी विवाद उठा क्योंकि वे कभी बहुत काबिल अफसर नहीं माने गए। हां, एक केंद्रीय मंत्री से उनकी निकटता के चर्चे जरूर सुर्खियों में रहे। सीबीआई के पूर्व निदेशक जोगिंदर सिंह कहते हैं कि खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों की यह हालत है कि अगर सरकार उन्हें बैठने को कहती है तो वे लेट जाते हैं।

मौजूदा सीबीआई प्रमुख अमर प्रताप सिंह जैसे सख्त अफसर की नियुक्ति के पीछे माना जा रहा है कि थॉमस की नियुक्ति से उठे विवाद के तुरंत बाद सरकार कोई और विवाद नहीं चाहती थी। इसीलिए पुलिस पदक व आईपीएस पदक से सम्मानित वरिष्ठतम अफसर को नियुक्त किया।

प्रवर्तन निदेशालय
फिलहाल केंद्र शासित कॉडर के अरुण माथुर एनफोर्समेंट निदेशक (ईडी) हैं। आर्थिक अपराधों की जांच के मुखिया के पद पर आने से पहले वे दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष थे। उस दौरान दिल्ली के ग्रेटर कैलाश क्षेत्र में उनके द्वारा कराए कामों को लेकर वे विवाद में थे। इस मामले में उन्हें अदालत ने समन भी किया था लेकिन तब तक वे ईडी बन चुके थे। हालांकि बाद में कोर्ट ने मामला खारिज कर दिया था।

ईडी को हवाला, मनीलॉंड्रिंग और फेमा के मामलों की जांच करनी होती है। माथुर को दिल्ली के शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व का खास माना जाता है। इस पद पर रहकर उन्होंने कॉमनवेल्थ खेलों, आईपीएल, 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, मधु कोड़ा के खिलाफ कार्रवाई, सत्यम इंफोटेक के एमडी एस राजू के खिलाफ मामलों की जांच के अलावा दिल्ली की रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ छापे की कार्रवाई जैसे मामलों की निगरानी की हैं।

उनकी नियुक्ति की सिफारिश करने वाली समिति के अध्यक्ष रहे पूर्व सीवीसी प्रत्यूष सिन्हा कहते हैं कि माथुर की नियुक्ति पूरी तरह नियमों के अनुसार हुई। आईएएस के चार वरिष्ठतम बैच के अफसरों में छांटकर समिति ने जो तीन लोगों की सूची तैयार की थी उसमें वे सबसे ऊपर थे। उनका कहना है कि जल बोर्ड के कार्यकाल के दौरान उठा कोई विवाद उनके सामने नहीं आया था।

रॉ --जो काम देश के अंदर आईबी करती है वही काम विदेशों में रॉ करती है यानी काउंटर इंटेलिजेंस या दूसरे देशों के प्रमुख लोगों की गतिविधियों की जानकारी जमा करना। लेकिन दूसरी खुफिया एजेंसियों की तरह रॉ के निदेशक की नियुक्ति भी राजनीतिक फैसला हो गया है। ताजा मामला मौजूदा निदेशक संजीव त्रिपाठी का है। उन्हें रॉ की सेवा से 31 दिसंबर 2010 को रिटायर होना था। तब वे एडिशनल डायरेक्टर थे। और तब डायरेक्टर के पद पर आसीन के सी वर्मा का रिटायरमेंट 31 जनवरी को होना था।

लेकिन अचानक वर्मा ने 30 दिसंबर 2010 को पद से इस्तीफा दे दिया। त्रिपाठी रिटायर होने से बच गए। सरकार ने उन्हें दो साल के लिए रॉ का निदेशक बना दिया। या यूं कहें कि रिटायरमेंट की जगह उन्हें दो साल का न सिर्फ एक्सटेंशन दिया बल्कि प्रमोशन भी। हां, इस त्याग का लाभ वर्मा को भी मिला। उन्हें भी दो साल के लिए साइबर (इंटरनेट) अपराधों के लिए बनी खुफिया एजेंसी नेशनल टेक्निकल रिसर्च आर्गनाइजेशन (एनटीआरओ) का प्रमुख बना दिया गया। यह भी मात्र संयोग नहीं है कि त्रिपाठी के पिता गौरी शंकर त्रिपाठी भी रॉ में काम कर चुके रहे हैं।

गुप्तचर ब्यूरो (आईबी)
इस एजेंसी को प्रधानमंत्री का आंख और कान माना जाता है। पूरे देश में राजनीति और आतंकवाद की खुफिया जानकारी जुटाने का काम इसके पास है। इसके निदेशक (डीआईबी) रोज सुबह प्रधानमंत्री से मुलाकात कर उन्हें देश में चल रही गतिविधियों की जानकारी देते हैं। इसीलिए प्रधानमंत्री अपने सबसे विश्वस्त आदमी को ही इस पद पर बिठाते हैं। 1977 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी खत्म कर चुनाव कराने का फैसला आईबी की रिपोर्ट पर ही किया था।

अधिकतर राजनेताओं के फोन टेप करने का काम भी यही एजेंसी करती है। राष्टीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) एम के नारायणन खुद डीआईबी रह चुके हैं। उनकी नियुक्ति के बाद से डीआईबी द्वारा प्रधानमंत्री को रोज सुबह दी जाने वाली ब्रीफिंग की प्रक्रिया बंद कर दी गई है। अब डीआईबी केवल नारायणन को ही ब्रीफ करते हैं। फिलहाल आईपीएस अधिकारी नेहचल संधू डीआईबी हैं

योग गुरु बाबा रामदेव:साइकिल से स्कॉटलैंड तक की सवारी

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कभी साइकिल से चलने वाले योग गुरु बाबा रामदेव आज हेलीकॉप्टर में उड़ते हैं। उनके ट्रस्ट के पास अरबों की संपत्ति है। इसके अलावा अब बाबा की तैयारी राजनीतिक पार्टी बनाने की है। वे 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी में हैं। उनके पास स्कॉटलैंड में करोड़ों का द्वीप है।

योग गुरु बाबा रामदेव ने भले ही योग विद्या के जरिए पूरे विश्व में भारत का नाम किया हो, लेकिन अभी वो अपने ही देश में कांग्रेस पार्टी के निशाने पर हैं। एक ओर जहां हाल ही में उन्हंे अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के एक सांसद ने कथित रूप से अपशब्द कहे वहीं अब कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह उनसे उनकी संपत्ति का हिसाब मांग रहे हैं। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार के खात्मे की बात करने वाले बाबा रामदेव पहले अपनी प्रॉपर्टी का हिसाब दें। जबकि बाबा रामदेव ने इसके जवाब में कहा है कि उनके ट्रस्ट के पास 1115 करोड़ की संपत्ति है और उनके स्वयं के नाम एक इंच भी भूमि नहीं है।

बाबा रामदेव के अनुसार उनके पास जो कुछ भी है वो सब ट्रस्ट का है, उनका निजी कुछ भी नहीं है। बाबा रामदेव के साथी आचार्य बाल कृष्णा ने भी कहा है कि वे सभी प्रकार की जांच के लिए तैयार हैं। उन्हें और खुशी होगी कि यदि उनकी जांच के साथ-साथ नेहरु-गांधी नामों से चल रहे अनेक ट्रस्टों की जांच भी हो। बाबा रामदेव इस मामले में सभी प्रकार की जांच के लिए तैयार हैं।

बाबा का ‘शांति द्वीप’
बाबा रामदेव ने 2009 में स्कॉटलैंड में लगभग 14.7 करोड़ का एक टापू खरीदा था। इस द्वीप का अधिग्रहण भारतीय मूल के स्कॉटिश दंपती सैम और सुनीता पोद्दार ने किया था। इस द्वीप के बारे में बाबा रामदेव ने कहा था कि यह संपत्ति बनाने की बात नहीं है, बल्कि इसको हमने भारतीय मूल्यों को एक पहचान देने के लिए लिया है। यहां हम विश्व स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं देंगे। उन्होंने इसे शांति का टापू बनाने की बात कही थी। 310 एकड़ में फैले इस टापू को खरीदे हुए लगभग 17 माह हो गए हैं। बाबा ने कहा था कि 18 माह के अंदर वे इस टापू को एक नई पहचान देंगे और इसे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने वाले एक शांति के टापू के रूप में विकसित करेंगे। हालंकि अब तक यहां पर बाबा रामदेव ने या ट्रस्ट के किसी सदस्य ने इस तरह का कोई खास काम नहीं किया है।

1,100 करोड़ का टर्नओवर
2009-2010 में बाबा रामदेव की ट्रस्ट का टर्नओवर 1100 करोड़ रु. था। बाबा द्वारा आयोजित शिविरों में पंजीकरण के लिए 5000 रुपए लगते हैं और हर शिविर में कम से कम 50 हजार लोग पहुंचते हैं। इन खास सत्रों से बाबा को हर साल 25 करोड़ रुपए की आय होती है। हरिद्वार में बाबा ने 95 एकड़ में एक फूड पार्क भी स्थापित किया है। इसके लिए उन्होंने 500 करोड़ रुपए का निवेश किया है।

मप्र सरकार भी मेहरबान
मध्यप्रदेश सरकार भी बाबा रामदेव को जबलपुर में 1618 एकड़ की भूमि देने का विचार कर रही थी, मगर विपक्ष के दबाव के चलते उसे अपने इस निर्णय को रोकना पड़ा। बेंगलुरु के पास भी बाबा करीब 150 एकड़ भूमि खरीदने का विचार बना रहे हैं। इसके अलावा बाबा के पास एक हेलीकॉप्टर भी है, जिसे वे अपने एक शिष्य की भेंट बताते हैं। इतनी संपत्ति के मालिक होने के बावजूद बाबा रामदेव का कहना है कि, ‘कई लोग मेरे आश्रमों में आते हैं और छोटी-मोटी राशि दान करते हैं, मैंने सारी संपत्ति इन्हीं से बनाई है। मगर, मेरे पास कोई पर्सनल अकाउंट नहीं है।’

बार को बनाया आश्रम
सुधाकर शेट्टी नामक बाबा के एक श्रद्धालु का मुंबई में दीपा लेडीज बार नामक बार हुआ करता था। 2008 में जब महाराष्ट्र सरकार ने डांस बारों को बंद करने का निर्देश दिया तो शेट्टी ने इसे बाबा रामदेव को भेंट में दे दिया। इस आश्रम का उद्घाटन खुद बाबा ने किया था। जब इस बार के बारे में शेट्टी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जनकारी नहीं है और कहा कि इसे कोई और चलाता था। शेट्टी ने कहा कि वह रियल एस्स्टेट का बिजनेस करते हैं और यह बार केवल उनकी संपत्ति थी। इस बार में कई राजनेताओं के बेटे भी आया करते थे। इनमें हरियाणा के एक पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा भी शामिल है। शेट्टी के बारे में बाबा का मानना है कि वे उनके शिष्य हैं और उन्होंने पैस कमाने के लिए कोई गलत रास्ता नहीं अपनाया।

कई बार रहे हैं विवादों में
मार्च 2005 में दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के 113 कर्मचारियों ने मजदूरी देने को लेकर आंदोलन किया था। 2006 में दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट पर यह आरोप लगा था कि वे अपनी दवाइयों में मानव और जानवरों की हड्डी का प्रयोग करते हैं। दिसंबर 2006 में बाबा रामदेव एक बार फिर विवादों में आ गए थे। इस बार इनके उत्पाद को प्रमोट करने वाली एक वेबसाइट ने लिखा था कि एड्स के मरीजों में पाए जाने सीडी4सेल को योग के माध्यम से बेहतर बनाया जा सकता है। इसी बात को मीडिया ने लिख दिया कि बाबा रामदेव के पास एड्स जैसी गंभीर बीमारी का भी इलाज है। बाद में बाबा रामदेव ने कहा कि उन्होंने कभी ऐसा दावा नहीं किया है।

साइकिल थी सवारी
कभी साइकिल से चलने वाले बाबा रामदेव के पास उस समय इतना भी पैसा नहीं हुआ करता था कि वे साइकिल का पंचर भी बनवा सकें। अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने हाल ही में बाबा रामदेव पर आरोप लगाए थे कि एक दशक पहले रामदेव साइकिल से चलते थे। उनका कहना है कि साइकिल से चलने वाला आज हेलीकॉप्टर से यात्राएं कर रहा है, इसलिए हम उनकी संपत्ति की जांच की मांग करते हैं। बाबा रामदेव हरिद्वार में गुरु शंकर देव के शिष्य थे, लेकिन गुरु शंकर देव का अब कुछ पता नहीं है। आज बाबा रामदेव के सबसे विश्वस्त साथी बाल कृष्णा महाराज हैं। इन्होंने ही बाबा के आयुर्वेद का साम्राज्य खड़ा किया है। गौरतलब है कि बाबा रामदेव और कांग्रेस में भी जुबानी जंग चल रही है। बाबा रामदेव आजकल विदेशों में जमा भारतीयों का काला धन वापस लाने के लिए अभियान चला रहे हैं।

64 साल : सभी क्षेत्रों में दर्ज कराई धमक

दिल्ली/ मुंबई/ जयपुर. सन 1947 से 2011। आजाद मुल्क के तौर पर 64 साल का सफर। इस दरम्यान कई स्तरों पर सामाजिक-आर्थिक बदलाव हुए। भास्कर ने अलग-अलग क्षेत्रों की जानी-मानी हस्तियों से ही इस बारे में बात की। जानकार मानते हैं कि ज्यादातर बड़े बदलाव 20 साल में हुए।

क्षेत्रीय मसलों की गूंज ताकत के साथ दिल्ली तक

मल्टी पार्टी डेमोक्रेसी की मौजूदा झलक सबसे बड़ा बुनियादी बदलाव है। करीब 50 साल कांग्रेस केंद्र में रही। सत्तर के दशक में आपातकाल के दौरान उस पर तानाशाही के आरोप लगे। जनता ने न सिर्फ केंद्रीय सत्ता में दूसरे दलों को चुना, बल्कि राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों को भी जड़ें जमाने के मौके मिले। 1998 के बाद तो क्षेत्रीय ताकतों की बड़ी भूमिका ही केंद्र में बनने लगी। इन्हें सिर्फ राजनीतिक नजरिए से मत देखिए।

स्थानीय समाजों से जुड़े जरूरी क्षेत्रीय मुद्दों की गूंज दिल्ली में ताकत से सुनाई देने लगी। यह मामूली बात नहीं है। दूसरा बड़ा बदलाव अर्थव्यवस्था का है। 64 साल पहले तक गुलाम रहे मुल्क की अर्थव्यवस्था आज दुनिया में सबसे तेज अर्थव्यवस्थाओं में से है।

अछूते नहीं गांव-कस्बे भी

बड़े बदलाव पिछले बीस सालों ही नजर आए हैं। खासतौर से उदारीकरण के बाद। रोजगार के विकल्प बढ़े। उत्पादन बढ़ा। खेती में सुधार हुआ। इससे बदलाव शहरों से कस्बों-गांवों तक में दिखाई दिया। यह पहला चरण है। हमें सरकार और कापोरेट घरानों तक निर्भर नहीं होना चाहिए। एक बेरोजगार को काम देने का मतलब है एक परिवार को गरीबी की रेखा से ऊपर लाने में हाथ बटाना। दूसरे चरण में, हर साधन संपन्न व्यक्तिइसमें हिस्सेदारी करे।

मजबूत सेकुलर समाज

आप 1947 का वक्त याद कीजिए। तब उद्योग नाम की चीज नहीं थी। गरीबी और अशिक्षा कितनी थी। साठ के दशक तक बहस होती रही कि आबादी बढ़ेगी तो आने वाले दशकों में क्या होगा? लेकिन औद्योगिकीकरण ने हालात पर काबू पाया। मेरी नजर में व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता और मजबूत सेकुलर समाज ऐसे बदलाव हैं, जिनका मैं सबसे पहले जिक्र करना चाहूंगा।

महिलाएं बड़े फैसले ले रही हैं

सबसे बड़ा बदलाव है महिलाओं का सशक्तिकरण। शिक्षा व रोजगार में उनकी बढ़ती भागीदारी के साथ सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक सक्रियता काबिलेगौर है। पंचायत से लेकर राज्यों व केंद्र तक सत्ता में उनकी सशक्त उपस्थिति बढ़ी है। स्वयं सहायता समूहों में वे बड़े फैसले ले रही हैं। समाज में यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण करवट है। सूचना-तकनीक ने जो बदला वह स्वाभाविक है।

आम आदमी की ताकत बढ़ी

पिछले कुछ सालों में मोबाइल और इंटरनेट के जरिए आम आदमी की ताकत बढ़ी है। तकनीक सिर्फ संपन्न वर्ग के कब्जे में नहीं है। सूचना का तो जैसे विस्फोट हुआ है। मीडिया की निगहबानी बढ़ी है। अदालतों के गलत फैसले बदले गए। जैसे-जेसिका लाल प्रकरण। पहले कानून बनने के बाद लोग प्रतिक्रिया देते थे। अब कानून बनाने की प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी है। सूचना और शिक्षा के कानूनी हक जनता की पहल से उपजे। लोकपाल के लिए लड़ाई जारी है। महिलाएं निर्णायक भूमिका में आ रही हैं।

पांच बड़े बाजारों में भारत भी

सबसे बड़ा बदलाव आर्थिक क्षेत्र में आया। भारतीय मध्य वर्ग ने भारत को दुनिया के पांच सबसे बड़े बाजारों में शुमार कर दिया है। कारों के उत्पादन में तो हमारा देश ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों से आगे है। सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में भारत सुपर पावर है। भारतीय प्रोफेशनल्स की ताकत पूरी दुनिया ने मानी है। खेल में अब बॉक्सिंग,कुश्ती,निशानेबाजी,टेनिस,बैडमिंटन,शतरंज में भारतीय खिलाड़ी दुनिया भर में लगातार देश का नाम रोशन कर रहे हैं।

बुनियादी सुविधाएं गांवों तक

सामाजिक-आर्थिक बदलाव के दो दौर हैं। पहला आर्थिक उदारीकरण से पहले, दूसरा बाद का। उदारीकरण के बाद अभूतपूर्व विकास हुआ। पिछले दशक में बुनियादी सुविधाओं की तस्वीर काफी बदली। सड़कें गांव-गांव तक गईं। स्वर्ण चतुभरुज प्रोजेक्ट के तहत 5,846 किलोमीटर सड़कों से दिल्ली,मुंबई,चेन्नई और कोलकाता जुड़ रहे हैं। दिल्ली के बाद हैदराबाद,बेंगलुरू,जयपुर,भोपाल,इंदौर जैसे शहरों में मेट्रो ट्रेन की तैयारी हो रही है। मुंबई में मोनो रेल परियोजना पर काम चल रहा है।

लौटेगा सिस्टम: जितना सोना ..

इससे उसका रिजर्व स्टॉक 560 टन हो गया है। इस दौरान चीन ने भी 400 टन सोना खरीद कर अपना रिजर्व स्टॉक 1050 टन कर लिया है।

गोल्ड स्टैंडर्ड से फायदा क्या?

पहला तो सोने के भाव से ही तय होते हैं देशों की करंसी के एक्सचेंज रेट। यानी जितना सोना एक डॉलर में खरीदा जाता है, उतना सोना कितने रुपए में आएगा?

दूसरा जितने नोट छपेंगे,उतनी महंगाई बढ़ती जाएगी। कारण साफ है ज्यादा पैसा होने से ज्यादा चीजें खरीदी जाएंगी। जब सोने से करंसी पर कंट्रोल होगा तो ज्यादा नोट नहीं छाप सकते यानी महंगाई पर काबू।

यहां 72 करोड़ लोग चुनते हैं दुनिया की सबसे ताकतवर सरकार !!!

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आजादी की 64वीं वर्षगांठ। इन सालों में कई ऐसे सामाजिक-आर्थिक बदलाव आए जिन्होंने देश की दशा और दिशा बदल डाली। भास्कर ने अपने पाठकों के लिए इनमें से 10 बड़े बदलावों की जानकारी जुटाई है। इनके जरिए..

अधिकार: 72 करोड़ लोग चुनते हैं सरकार

1988 तक सिर्फ 21 साल और अधिक की उम्र के लोगों को ही सरकार के चुनाव का अधिकार।

अब: संविधान में 61वें संशोधन के जरिए 1989 में वोट देने की उम्र 21 से घटाकर 18 साल कर दी गई।

बदलाव : सरकार चुनने में करीब 72 करोड़ लोग योगदान दे रही है।


आसान कर्ज

1947 में आम भारतीय की सालाना आमदनी सिर्फ 19 हजार 865 रुपए (439 डॉलर)। बैंकिंग प्रणाली की असफलता का दौर। कुल आबादी में लगभग ६क् फीसदी लोग गरीब।

अब: सालाना आय 54 हजार 527 रु.। नीतियां बदलीं। घर, वाहन, पढ़ाई, पर्यटन, खेती सबके लिए आसान कर्ज। करीब दो करोड़ क्रेडिट, नौ करोड़ किसान क्रेडिट, 20 करोड़ डेबिट कार्ड।

बदलाव: देश के नौ हजार 324 अरब रुपए के लोन मार्केट में 46।10 हिस्सेदारी होम लोन की है।

दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा भारत

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आजादी की 64वीं वर्षगांठ। इन सालों में कई ऐसे सामाजिक-आर्थिक बदलाव आए जिन्होंने देश की दशा और दिशा बदल डाली। भास्कर ने अपने पाठकों के लिए इनमें से १क् बड़े बदलावों की जानकारी जुटाई है। इनके जरिए..


चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था

1950 के दशक तक दूरसंचार, बीमा, पावर प्लांट, स्टील, माइनिंग जैसे उद्योग सरकार के नियंत्रण में। मिली-जुली अर्थव्यवस्था पर 1990 तक रूस, ब्रिटेन का प्रभाव। उद्योग लगाने को लाइसेंस जरूरी।

अब : विश्व में चौथी सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था। सॉफ्टवेयर उद्योग में अव्वल। कृषि उत्पादन में अमेरिका के बाद नंबर दो। दुनिया में छठा सबसे बड़ा कार उत्पादक (30 लाख कार हर साल) भारत।

बदलाव: दो से 10 लाख रुपए सालाना आय वाले मध्यमवर्ग की करीब 16 करोड़ आबादी अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत।


टेलीविजन : 22 करोड़ परिवारों में से 13.5 करोड़ के पास

1962 तक दिल्ली में सिर्फ 41 टीवी सेट। देखने के लिए सिर्फ एक चैनल, दूरदर्शन।

अब: लगभग 22 करोड़ से ज्यादा परिवारों में से 13.5 करोड़ से ज्यादा के पास टेलीविजन। देखने के लिए 600 से ज्यादा चैनल।

बदलाव : जुलाई 2011 तक देश के 3.5 करोड़ से ज्यादा घरों के टीवी डीटीएच से जुड़ चुके हैं।

ये है दुनिया का सबसे बड़ा पीले रंग का हीरा, आप भी देखें...

वाशिंगटन.अमेरिका में अगले महीने होने वाली नीलामी में 43 कैरेट के एक दुर्लभ पीले रंग के हीरे ‘गोल्डन आई’ को नीलाम किया जाएगा। इसके नीलामी से लाखों डॉलर मिलने की उम्मीद है।

यूनाइटेड स्टेट्स मार्शल्स सर्विसेज 6 सितंबर को होने वाली इस ऑनलाइन नीलामी में ‘गोल्डन आई’ को भेजेगी। इसकी शुरुआती कीमत 9 लाख डॉलर रखी गई है।

न्यायिक विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस हीरे की नीलामी से इकट्ठा होने वाली रकम का इस्तेमाल सामुदायिक कार्यक्रमों के लिए किया जाएगा। अमेरिकी मार्शल पीट एलियोएट ने कहा, इस हीरे को लेकर दुनिया भर के हीरा प्रेमियों की उत्सुकता जगेगी।

इस हीरे को फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने एक ऑप्रेशन के दौरान हासिल किया था। फिलहाल इसे ओहायो के क्लीवलैंड की फैडरल बिल्डिंग में रखा गया है।

कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ‘लापता’, अखबार में छपा विज्ञापन


नई दिल्‍ली. कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के बारे में एक अखबार में विज्ञापन छपा है जिसमें उन्‍हें ‘लापता’ बताया गया है। जैतापुर संघर्ष समिति और पवना मावल खोरे बचाव समिति की ओर से दिए गए इस विज्ञापन में राहुल की तस्‍वीर भी है। 'सामना' में प्रकाशित इस विज्ञापन में राहुल गांधी का रंग, उनकी उम्र और वैवाहिक स्थिति सहित कई विवरण दिए गए हैं।

यह विज्ञापन गुमशुदा की तलाश के लिए आमतौर पर अखबारों में दिए जाने वाले विज्ञापन की तरह ही है। इसमें दिए गए विवरण के मुताबिक राहुल का पेशा-सांसद और कांग्रेस महासचिव, उम्र- 41 साल, रंग-गोरा, वैवाहिक स्थिति-अविवाहित बताया गया है। इसमें आगे कहा गया है कि राहुल गांधी सफेद कपड़े पहने हुए हैं। इनके बांह के पास कुरता मुड़ा हुआ है। गाल कश्‍मीरी सेब की तरह हैं। देवदास जैसी दाढ़ी है।'

विज्ञापन के मुताबिक राहुल गांधी की आदत का जिक्र करते हुए कहा गया है कि वह हर समय कुछ अनाप-शनाप बोलकर विवादों में फंस जाते हैं। किसानों और दलितों के घर जाने की उनकी आदत है। उन्‍हें महाराष्‍ट्र के गरीब किसान सरगर्मी से तलाश रहे हैं।

राहुल के बारे में लिखा है कि उत्‍तर प्रदेश के भट्टा परसौल गांव में उन्‍होंने पार्टी नेता दिग्विजय सिंह के साथ जाकर आंदोलन किया। मायावती सरकार के खिलाफ किसानों की महापंचायत की। लेकिन महाराष्‍ट्र के पीडित किसान इस तथाकथित 'मसीहा' की राह देख रहे हैं। जैतापुर में किसानों पर गोलीबारी हुई फिर भी लोगों से हमदर्दी जताने वाले राहुल गांधी यहां नहीं आए। पुणे में किसानों पर हाल में कांग्रेस सरकार ने गोलियां बरसाईं। चार प्रदर्शनकारी मारे गए लेकिन 'किसानों का मसीहा' महाराष्‍ट्र में नहीं आया।

विज्ञापन में लिखा गया है कि जिस किसी शख्‍स को राहुल गांधी का पता चले वो जरूर सूचित करें। ऐसा करने वाले को उचित ईनाम दिया जाएगा। इसमें विशेष टिप्‍पणी भी लिखी हुई है जिसमें कहा गया है, ‘राहुल जी, हम आपसे गुस्‍सा नहीं हैं। आप जब से गुमशुदा हुए हैं। आप जब से लापता हुए हैं महाराष्‍ट्र के किसानों को भोजन अच्‍छा नहीं लग रहा है। आप जहां भी हैं, वहां से तुरंत आ जाइए।’

आज लौट सकते हैं राहुल

कांग्रेस पार्टी की ओर से पिछले दिनों कहा गया था कि कांग्रेस अध्‍यक्ष और राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी इलाज के सिलसिले में विदेश गई हैं। राहुल और प्रियंका भी उनके साथ हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक राहुल आज भारत लौट सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस महासचिव 15 अगस्‍त के मौके पर कांग्रेस मुख्‍यालय में झंडोत्‍तोलन समारोह में हिस्‍सा लेंगे।

सोनिया की बीमारी और इलाज को लेकर सारी जानकारी गुप्‍त रखी गई है। यहां तक कि दिल्‍ली में सरकार के तमाम मंत्रियों को भी इसकी जानकारी तभी हुई, जब कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने पिछले दिनों मीडिया ब्रीफिंग के जरिए बताया कि सोनिया इलाज के लिए विदेश गई हैं। सूत्रों के मुताबिक सोनिया की सफल सर्जरी हुई है और अब वह बेहतर हैं।

कांग्रेस का सबसे तीखा हमला: ‘फिरौती वसूलते हैं अन्‍ना के लोग’


नई दिल्‍ली. सामाजिक कार्यकर्ता अन्‍ना हजारे के अनशन की तारीख नजदीक आते देख केंद्र सरकार ने टीम अन्‍ना पर हमला तेज कर दिया है। कांग्रेस ने अन्‍ना हजारे पर अब तक का सबसे तीखा हमला बोलते हुए हजारे को भ्रष्‍टाचारी करार दिया है। कांग्रेस ने पीएम पर अन्‍ना की टिप्‍पणी को लेकर नाराजगी जताते हुए सामाजिक कार्यकर्ता को शिष्‍टाचार सीखने की नसीहत दे डाली है। वहीं सरकार के प्रतिनिधि के तौर दो केंद्रीय मंत्रियों ने टीम अन्‍ना को संविधान का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि वो अनशन करें, बगावत नहीं । वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अन्‍ना के अनशन पर कहा कि किसी की मर्जी से कानून नहीं बन सकता है। लेकिन अन्‍ना की टीम के तेवर भी कड़े बने हुए हैं। टीम अन्‍ना ने कांग्रेस के आरोपों को हास्‍यास्‍पद करार दिया है। अन्‍ना की चिट्ठी के जवाब में पीएम के जवाब पर टीम अन्‍ना ने हैरानी जताते हुए कहा कि अनशन होकर ही रहेगा। मुख्‍य विपक्षी दल भाजपा ने भी अन्‍ना के प्रति खुलकर समर्थन जाहिर किया है।

कांग्रेस प्रवक्‍ता मनीष तिवारी ने आज यहां प्रेस कांफ्रेंस कर अन्‍ना पर जमकर हमला बोला। कांग्रेस प्रवक्‍ता ने 2005 में बने जस्टिस सावंत आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अन्‍ना के लोगों पर फिरौती, ब्‍लैकमेलिंग, जबरन वसूली, गुंडागर्दी और दूसरों की संपत्ति पर कब्‍जा करने के आरोप हैं। अन्‍ना हजारे पर भ्रष्‍टाचार में डूबे होने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस प्रवक्‍ता ने कहा कि जस्टिस सावंत आयोग ने अन्‍ना के चार संस्‍थाओं की जांच की है। अन्‍ना के एक ट्रस्‍ट ने 1982 से 2002 के बीच लेखा जोखा नहीं दिया है। अन्‍ना ने फौज की चिट्ठी का भी जवाब नहीं दिया।

उन्‍होंने कहा, ‘मई 2011 को फौज ने अन्‍ना को चिट्ठी लिखी थी जिसमें कहा गया है कि आपने जो फौज में सेवा की है उसकी कोई सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांग रहा है लेकिन अभी तक अन्‍ना हजारे ने उस चिट्ठी का जवाब नहीं दिया।’ तिवारी ने कहा, ‘जब आप पारदर्शिता की बात करते हो, भ्रष्‍टाचार के खिलाफ जंग की बात करते हो तो क्‍या आपत्ति है जवाब देने में। आप अपने मामले में पारदर्शिता क्‍यों नहीं दिखाते।’ उन्‍होंने सवालिया लहजे में कहा, ‘अन्‍ना के आंदोलन का पैसा कहां से आ रहा है नहीं मालूम।’

अन्‍ना की इस टिप्‍पणी पर कि पीएम किस मुंह से झंडा फहराएंगे, मनीष तिवारी ने कहा, 'हजारे ने संस्‍कृति और शिष्‍टाचार की सारी हदें पार कर दी हैं। उन्‍होंने न सिर्फ पीएम का अपमान किया बल्कि तिरंगे का भी अपमान किया है जिसे लाल किले पर लहराने के लिए लाखों हिंदुस्‍तानियों ने बलिदान किया। अन्‍ना की पीएम पर टिप्‍पणी गैरजिम्‍मेदार, असंवैधानिक और अनैतिक है।' उन्‍होंने तल्‍ख लहजे में कहा, ‘तुम किस मुंह से भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अनशन की बात करते हो। ऊपर से नीचे तक तुम भ्रष्‍टाचार में खुद लिप्‍त हो। ये बात हम नहीं कहते, बल्कि उच्‍चतम न्‍यायालय के एक न्‍यायाधीश की अगुवाई में बना हुआ जांच आयोग कहता है।' उन्‍होंने कहा, ‘अगर आप नैतिकता की दुहाई देते हैं तो पहले सावंत आयोग के इल्‍जामों का जवाब दें।’

टीम अन्‍ना को ‘ए’ कंपनी करार देते हुए मनीष तिवारी ने कहा, ‘इसने कभी अन्‍ना हजारे यह नहीं पूछा कि आपके खिलाफ बहुत संगीन आरोप जस्टिस सावंत ने लगाए हैं। क्‍या कहना है आपको इन आरोपों के बारे में। मैं जस्टिस संतोष हेगड़े और वकील शांति भूषण से यह पूछना चाहता हूं कि आपने कभी अन्‍ना हजारे से यह पूछने की जरूरत नहीं समझी कि उनके खिलाफ भ्रष्‍टाचार के कितने आरोप हैं।’ इस तरह की रिपोर्ट का अभी खुलासा करने की वजह पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्‍ता ने कहा कि जब आप सभी मर्यादाओं की सीमा लांघ जाएं, सरकार ही नहीं संसद को भी अपमानित करें तो आपको आईने में अपना चेहरा दिखाना जरूरी है।

मनीष तिवारी ने कहा, ‘16 अगस्‍त के अनशन का लोकपाल या फिर भ्रष्‍टाचार से कोई लेना-देना नहीं है। यदि इस अनशन का भ्रष्‍टाचार से कोई लेना देना है तो अन्‍ना पहले अपने खिलाफ लगे आरोपों का जवाब दें।’ हालांकि जस्टिस सावंत ने आज एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, ‘उनकी रिपोर्ट में जिस भ्रष्‍टाचार का जिक्र हुआ है वह किसी व्‍यक्ति से नहीं, बल्कि संस्‍था से जुड़ा है।’

इससे पहले टीम अन्‍ना ने पीएम के जवाब को दुर्भाग्‍यपूर्ण करार दिया है। वरिष्‍ठ वकील और टीम अन्‍ना के सहयोगी प्रशांत भूषण ने कहा कि इस अनशन में ज्‍यादा लोग हिस्‍सा न ले सकें, इसलिए इतनी शर्तें लादी गई हैं। सामाजिक कार्यकर्ता और टीम अन्‍ना के एक अन्‍य सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वैधानिक शर्तें ही मानेंगे।

भाजपा का अन्‍ना को समर्थन

भाजपा ने मनीष तिवारी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस देश को गुमराह कर रही है। कांग्रेस की बयानबाजी इमरजेंसी के दिनों की याद दिलाती है। गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अन्‍ना हजारे के अनशन का समर्थन करते हुए कहा, ‘मैं अन्‍ना हजारे के साथ हूं। गुजरात से भ्रष्टाचार मिटाकर रहूंगा।’ वहीं भाजपा अध्‍यक्ष नितिन गडकरी ने कहा कि अन्‍ना हजारे को अनशन की इजाजत देने के साथ शर्तें लादना मौलिक अधिकारों का हनन है। उन्‍होंने इसे आपातकाल की शुरुआत बताया है। भाजपा नेता मुख्‍तार अब्‍बास नकवी ने कहा है कि भ्रष्‍टाचार सरकार को लेकर गंभीर नहीं है।

रामदेव नहीं होंगे शामिल

अन्‍ना के अनशन में पिछली बार की तरह इस बार योग गुरु रामदेव नहीं शामिल होंगे। रामदेव की तरफ से कहा गया है कि उन्‍हें इस अनशन में हिस्‍सा लेने के लिए औपचारिक निमंत्रण नहीं मिला है। हालांकि कल अन्‍ना के करीबी स्‍वाममी अग्निवेश ने दावा किया था कि बाबा रामदेव ने अन्‍ना के अनशन में शामिल होने की इच्‍छा जताई है। इस बीच, दिल्‍ली पुलिस की टीम ने जेपी पार्क का मुआयना किया है, जहां 16 अगस्‍त से अन्‍ना अनशन पर बैठने वाले हैं।

कांग्रेस का सबसे तीखा हमला: ‘फिरौती वसूलते हैं अन्‍ना के लोग’


नई दिल्‍ली. सामाजिक कार्यकर्ता अन्‍ना हजारे के अनशन की तारीख नजदीक आते देख केंद्र सरकार ने टीम अन्‍ना पर हमला तेज कर दिया है। कांग्रेस ने अन्‍ना हजारे पर अब तक का सबसे तीखा हमला बोलते हुए हजारे को भ्रष्‍टाचारी करार दिया है। कांग्रेस ने पीएम पर अन्‍ना की टिप्‍पणी को लेकर नाराजगी जताते हुए सामाजिक कार्यकर्ता को शिष्‍टाचार सीखने की नसीहत दे डाली है। वहीं सरकार के प्रतिनिधि के तौर दो केंद्रीय मंत्रियों ने टीम अन्‍ना को संविधान का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि वो अनशन करें, बगावत नहीं । वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अन्‍ना के अनशन पर कहा कि किसी की मर्जी से कानून नहीं बन सकता है। लेकिन अन्‍ना की टीम के तेवर भी कड़े बने हुए हैं। टीम अन्‍ना ने कांग्रेस के आरोपों को हास्‍यास्‍पद करार दिया है। अन्‍ना की चिट्ठी के जवाब में पीएम के जवाब पर टीम अन्‍ना ने हैरानी जताते हुए कहा कि अनशन होकर ही रहेगा। मुख्‍य विपक्षी दल भाजपा ने भी अन्‍ना के प्रति खुलकर समर्थन जाहिर किया है।

कांग्रेस प्रवक्‍ता मनीष तिवारी ने आज यहां प्रेस कांफ्रेंस कर अन्‍ना पर जमकर हमला बोला। कांग्रेस प्रवक्‍ता ने 2005 में बने जस्टिस सावंत आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अन्‍ना के लोगों पर फिरौती, ब्‍लैकमेलिंग, जबरन वसूली, गुंडागर्दी और दूसरों की संपत्ति पर कब्‍जा करने के आरोप हैं। अन्‍ना हजारे पर भ्रष्‍टाचार में डूबे होने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस प्रवक्‍ता ने कहा कि जस्टिस सावंत आयोग ने अन्‍ना के चार संस्‍थाओं की जांच की है। अन्‍ना के एक ट्रस्‍ट ने 1982 से 2002 के बीच लेखा जोखा नहीं दिया है। अन्‍ना ने फौज की चिट्ठी का भी जवाब नहीं दिया।

उन्‍होंने कहा, ‘मई 2011 को फौज ने अन्‍ना को चिट्ठी लिखी थी जिसमें कहा गया है कि आपने जो फौज में सेवा की है उसकी कोई सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांग रहा है लेकिन अभी तक अन्‍ना हजारे ने उस चिट्ठी का जवाब नहीं दिया।’ तिवारी ने कहा, ‘जब आप पारदर्शिता की बात करते हो, भ्रष्‍टाचार के खिलाफ जंग की बात करते हो तो क्‍या आपत्ति है जवाब देने में। आप अपने मामले में पारदर्शिता क्‍यों नहीं दिखाते।’ उन्‍होंने सवालिया लहजे में कहा, ‘अन्‍ना के आंदोलन का पैसा कहां से आ रहा है नहीं मालूम।’

अन्‍ना की इस टिप्‍पणी पर कि पीएम किस मुंह से झंडा फहराएंगे, मनीष तिवारी ने कहा, 'हजारे ने संस्‍कृति और शिष्‍टाचार की सारी हदें पार कर दी हैं। उन्‍होंने न सिर्फ पीएम का अपमान किया बल्कि तिरंगे का भी अपमान किया है जिसे लाल किले पर लहराने के लिए लाखों हिंदुस्‍तानियों ने बलिदान किया। अन्‍ना की पीएम पर टिप्‍पणी गैरजिम्‍मेदार, असंवैधानिक और अनैतिक है।' उन्‍होंने तल्‍ख लहजे में कहा, ‘तुम किस मुंह से भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अनशन की बात करते हो। ऊपर से नीचे तक तुम भ्रष्‍टाचार में खुद लिप्‍त हो। ये बात हम नहीं कहते, बल्कि उच्‍चतम न्‍यायालय के एक न्‍यायाधीश की अगुवाई में बना हुआ जांच आयोग कहता है।' उन्‍होंने कहा, ‘अगर आप नैतिकता की दुहाई देते हैं तो पहले सावंत आयोग के इल्‍जामों का जवाब दें।’

टीम अन्‍ना को ‘ए’ कंपनी करार देते हुए मनीष तिवारी ने कहा, ‘इसने कभी अन्‍ना हजारे यह नहीं पूछा कि आपके खिलाफ बहुत संगीन आरोप जस्टिस सावंत ने लगाए हैं। क्‍या कहना है आपको इन आरोपों के बारे में। मैं जस्टिस संतोष हेगड़े और वकील शांति भूषण से यह पूछना चाहता हूं कि आपने कभी अन्‍ना हजारे से यह पूछने की जरूरत नहीं समझी कि उनके खिलाफ भ्रष्‍टाचार के कितने आरोप हैं।’ इस तरह की रिपोर्ट का अभी खुलासा करने की वजह पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्‍ता ने कहा कि जब आप सभी मर्यादाओं की सीमा लांघ जाएं, सरकार ही नहीं संसद को भी अपमानित करें तो आपको आईने में अपना चेहरा दिखाना जरूरी है।

मनीष तिवारी ने कहा, ‘16 अगस्‍त के अनशन का लोकपाल या फिर भ्रष्‍टाचार से कोई लेना-देना नहीं है। यदि इस अनशन का भ्रष्‍टाचार से कोई लेना देना है तो अन्‍ना पहले अपने खिलाफ लगे आरोपों का जवाब दें।’ हालांकि जस्टिस सावंत ने आज एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, ‘उनकी रिपोर्ट में जिस भ्रष्‍टाचार का जिक्र हुआ है वह किसी व्‍यक्ति से नहीं, बल्कि संस्‍था से जुड़ा है।’

इससे पहले टीम अन्‍ना ने पीएम के जवाब को दुर्भाग्‍यपूर्ण करार दिया है। वरिष्‍ठ वकील और टीम अन्‍ना के सहयोगी प्रशांत भूषण ने कहा कि इस अनशन में ज्‍यादा लोग हिस्‍सा न ले सकें, इसलिए इतनी शर्तें लादी गई हैं। सामाजिक कार्यकर्ता और टीम अन्‍ना के एक अन्‍य सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वैधानिक शर्तें ही मानेंगे।

भाजपा का अन्‍ना को समर्थन

भाजपा ने मनीष तिवारी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस देश को गुमराह कर रही है। कांग्रेस की बयानबाजी इमरजेंसी के दिनों की याद दिलाती है। गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अन्‍ना हजारे के अनशन का समर्थन करते हुए कहा, ‘मैं अन्‍ना हजारे के साथ हूं। गुजरात से भ्रष्टाचार मिटाकर रहूंगा।’ वहीं भाजपा अध्‍यक्ष नितिन गडकरी ने कहा कि अन्‍ना हजारे को अनशन की इजाजत देने के साथ शर्तें लादना मौलिक अधिकारों का हनन है। उन्‍होंने इसे आपातकाल की शुरुआत बताया है। भाजपा नेता मुख्‍तार अब्‍बास नकवी ने कहा है कि भ्रष्‍टाचार सरकार को लेकर गंभीर नहीं है।

रामदेव नहीं होंगे शामिल

अन्‍ना के अनशन में पिछली बार की तरह इस बार योग गुरु रामदेव नहीं शामिल होंगे। रामदेव की तरफ से कहा गया है कि उन्‍हें इस अनशन में हिस्‍सा लेने के लिए औपचारिक निमंत्रण नहीं मिला है। हालांकि कल अन्‍ना के करीबी स्‍वाममी अग्निवेश ने दावा किया था कि बाबा रामदेव ने अन्‍ना के अनशन में शामिल होने की इच्‍छा जताई है। इस बीच, दिल्‍ली पुलिस की टीम ने जेपी पार्क का मुआयना किया है, जहां 16 अगस्‍त से अन्‍ना अनशन पर बैठने वाले हैं।

इस सियाह रात के बाद आज़ादी की रौशनी ने...

मेरे भारत वासियों
मेरे भाइयों ..मेरे ब्लोगर दोस्तों
आज १४ अगस्त को
हमारा भारत अंग्रेजों की
काली चाल के आगे बेबस था
और इसी दिन भारत बिखर कर
भारत से
हिंदुस्तान पाकिस्तान हो गया था
आज के दिन इस अफ़सोस नाक घटना से
हमारे भारत और भारतवासियों के आगे
घटाटोप अँधेरा छा गया था ॥
लेकिन दोस्तों कहते हैं हर काली रात के बाद
रोशन सवेरा होता है
और बस हमारे साथ भी यही कुछ हुआ
इस सियाह रात के बाद आज़ादी की रौशनी ने
हमारे देश को खुशियों से जगमगा दिया ..हमारे देशवासियों के दुःख को
आज़ादी के जश्न में बदल दिया
और अंग्रेजों के आगे करोड़ों करोड़ बलिदान के बाद
हमने जो आज़ादी हांसिल की
अपना सब कुछ खोकर
बेशकीमती आज़ादी हमें मिली
क्या आज हम उसे बचा कर रख पाए हैं
अगर नहीं तो सोचिये हम कहां गलत हैं
हमारे भाई , हमारी सरकारे कहां गलत हैं
कहीं हम आज़ादी का गला घोंटने वाली सरकारों को चुन कर
हमारे देश की आज़ादी का अपमान तो नहीं कर रहे
दोस्तों झकझोर दो अपने अंतर्मन को अपने जमीर को अपनी अंतरात्मा को
शायद एक बार फिर हमे इन आज़ादी के बेरहम कातिलों से
आज़ादी मिल जाए ...............इसी के साथ आप सभी लोगों को स्वतन्त्रता दिवस की वर्षगाँठ मुबारक हो ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

गाँधीवादी अन्ना और सोनिया ,राहुल का गांधीवाद

दोस्तों एक महात्मा जिसने लाठी लंगोटी के बल पर अनशन के ब्रह्मास्त्र से अंग्रेजों को देश छोड़ने पार मजबूर कर दिया ..गांधी के अनशन का कभी किसी गोरे अँगरेज़ ने ना तो मजाक उड़ाया और ना ही उनके मनोबल को तोड़ने का प्रयास किया ..देश को गांधी दर्शन यानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अनशन के बारे में एक सम्मान दिया , एक ताकत दी और गोरों को झुकाने की शक्ति दी ..बेचारे अन्ना जो ठहरे गांधीवादी वोह आज इस कलियुग में जब नकली गांधियों की फोज है ..सोनिया जी गांधी केसे बनी राहुल जी गांधी केसे बने यह एक लम्बी दास्ताँ हैं लेकिन कहने को तो वोह खुद को गांधीवादी कहते रहे हैं और कोंग्रेस पार्टी के होने के नाते इस विचारधारा का सम्मान भी सभी को करना चाहिये ..लेकिन दोस्तों गान्धी की इस कोंग्रेस में कोई तो विदेश से पढ़कर वकालत करते करते रसमलाई खाने के लियें कोंग्रेस में शामिल हो गया ॥ कोई दल बदल कर मंत्री बन्ने के लियें कोंग्रेसी हो गया तो कोई बेंक में नोकरी करते करते रिटायर हो जाने के बाद महत्वपूर्ण पद के लालच में कोंग्रेसी हो गया ..कुल मिलाकर गांधी की इस कोंग्रेस में जनजात कोंग्रेसियों की कमी और मोकापरास्तों की अधिकता हो गयी आज अन्ना जब देश के एक बहतरीन मुद्दे पर जनता को साथ लेकर अनशन के हथियार से लोकतांत्रिक तरीके से लड़ना चाहते हैं तब उन्हें इसकी इजाजत तक नहीं दी जा रही हे ऐसे वक्त पर गाँधी के हत्यारों की सरकार होती तो बात दूसरी थी लेकिन अब गांधी के हत्यारों की सरकार नहीं तो कमसे कम गांधी के विचारों के हत्यारों की सरकार तो है जिन लोगों ने गाँधी और गाँधी की हत्या को भुना कर कई वर्षों तक देश पर शासन किया आज वही लोग गांधी की अनशन निति का मजाक उड़ा रहे है लोकतंत्र का मखोल उड़ा रहे हैंराहुल गाँधी सोनिया गांधी यह सब तमाशा देख रहे है अगर ऐसा ही हो रहा है तो बस राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी को खुद के आगे से गान्धी नाम तो हटा ही लेना चाहिए ताकि गाँधी का नाम उनकी विचारधारा अपमानित ना हो ..रही बात अन्ना के गाँधीवादी आन्दोलन की तो अब अन्ना अगर खामोश बैठते है और लोकपाल बिल में संशोधन होने तक अनशन पर नहीं टिकते है और सरकारी दमन के आगे घुटने टेक देते है तो फिर तो बस जो लोग कहते हैं के अन्ना और सरकार की जनता का महंगाई और भ्रष्टाचार से ध्यान बंटाने के लियें सुनारी लड़ाई नुरा कुश्ती है वही सच साबित हो जायेगी देखते हैं अन्ना अनशन के हथियार से गांधी विचारधारा की हथियारी सरकार को हरा पाते हैं या नहीं और अन्ना की मदद इस लड़ाई में गाँधी के हत्यारे विचरक कितनी मदद किस तरह से कर पाते हैं .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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