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17 अगस्त 2011

फर्ल्‍ट को प्‍यार समझ लेते हैं पुरुष

फ्लर्ट करने के मामलों में पुरुषों को पहले नंबर पर रखा जाता है। लेकिन हाल ही में शोध में वैज्ञानिकों ने माना है कि फ्लर्ट करने के मामलों में महिलाएं पीछे नहीं हैं।

आमतौर पर महिलाएं फ्लर्ट करने के लिए लटों को उमेठना तो कभी आंखों में आंखें डालना या फिर मादक मुस्कान बिखेरना जैसी क्रियाएं करती हैं।

महिलाओं के इस तरह के चालाकी भरी अदाओं के प्रति पुरुष तकरीबन अंधे हो जाते हैं और महिलाओं के इस अंदाज को दोस्ती समझ बैठते हैं।

ज्‍यादातर पुरुष इन गैर शाब्दिक संकेतों को समझ नहीं पाते हैं और दोस्‍ती प्‍यार के बीच उलझ जाते हैं।

खतरनाक सांपों के साथ यह महिला करती है योग


सांपों के साथ इस महिला को देखकर अगर आप यह समझ रहे हैं कि यह सपेरन है तो आप गलत है। हरि भजन कौर नाम की यह महिला योग गुरु है। और यह सांप के माध्यम से शरीर के शक्तियों को संतुलित करती हैं।
इंग्लैड में इनके छात्रों की संख्या हजारों में है। उनका कहना है कि जब लोग मेरे पास योग करने आते हैं तो बास्केट में नाग सांप के समूह को देखकर डर जाते हैं। लेकिन जब यह सांपों के साथ योग करती हैं तो लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं। उनका कहना है कि सांप ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं। सांपों के साथ आप घंटो मेडीटेशन कर सकते हैं।
क्योंकि यह बहुत कम लोग जानते हैं कि सांप भी खुद को स्वस्थ रखने के लिए कई दिनों तक एक ही अवस्था में पड़े रहकर मेडिटेशन करते हैं। ये उर्जा के श्रोत होते हैं। इनसे मुझे उर्जा मिलती है। ये शरीर के चक्र को बैलेंस करते हैं और व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करते हैं।
सांपों के साथ योग करने के लिए इन्होंने लाइसेंस हासिल किया है। कौर ने यह योग 2005 में इंग्लैंड में अपने गुरु महाराज शिव चरण सिंह से सिखा था। उस समय वह मात्र 23 साल की थी। इस योग को कुंडली योग के नाम से भी जाना जाता है। वह अपने घर में योग के लिए कई सांप और सांप के बच्चे पाल रखी हैं।
वह प्रतिदिन अपने छात्रों को सांप के साथ योग करने का प्रशिक्षण देती हैं।

किसन बाबू राव कैसे बने अन्‍ना हजारे


किसन बाबूराव हजारे आज एक ऐसी सख्सियत बन चुका है जिसे दुनिया अन्‍ना के नाम से जानती है। आज अन्‍ना आंदोलन बन चुका है। 74 साल की उम्र में भी अन्‍ना की आवाज समाज के हितों को बुलंद करने के लिए उठती है तो दिल्‍ली की सरकार भी हिल उठती है। लेकिन यह कोई नहीं जानता कि बाबू राव से वह कैसे बने अन्‍ना हजारे।

15 जनवरी 1937 को महाराष्ट्र के अहमद नगर के भिंगर कस्बे में जन्मे अन्ना का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा। पिता मजदूर थे। दादा फौज में। दादा की पोस्टिंग भिंगनगर में थी। वैसे अन्ना के पुरखों का गांव अहमद नगर जिले में ही स्थित रालेगन सिद्धि में था। दादा की मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया। अन्ना के छह भाई हैं। परिवार में तंगी का आलम देखकर अन्ना की बुआ उन्हें मुम्बई ले गईं। वहां उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की। परिवार पर कष्टों का बोझ देखकर वह दादर स्टेशन के बाहर एक फूल बेचनेवाले की दुकान में 40 रुपये की पगार में काम करने लगे।

जिंदगी समाज को समर्पित कर दी

छठे दशक के आसपास वह फौज में शामिल हो गए। उनकी पहली पोस्टिंग बतौर ड्राइवर पंजाब में हुई। यहीं पाकिस्तानी हमले में वह मौत को धता बता कर बचे थे। इसी दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से उन्होंने विवेकानंद की एक बुकलेट 'कॉल टु दि यूथ फॉर नेशन' खरीदी और उसको पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी समाज को समर्पित कर दी। उन्होंने गांधी और विनोबा को भी पढ़ा।

1970 में उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प किया। मुम्बई पोस्टिंग के दौरान वह अपने गांव रालेगन आते-जाते रहे। चट्टान पर बैठकर गांव को सुधारने की बात सोचते रहते।

भ्रष्टाचार रहित भारत

जम्मू पोस्टिंग के दौरान 15 साल फौज में पूरे होने पर 1975 में उन्होंने वीआरएस ले लिया और गांव में आकर डट गए। उन्होंने गांव की तस्वीर ही बदल दी। उन्होंने अपनी ज़मीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दान कर दी। आज उनकी पेंशन का सारा पैसा गांव के विकास में खर्च होता है। वह गांव के मंदिर में रहते हैं और हॉस्टल में रहने वाले बच्चों के लिए बनने वाला खाना ही खाते हैं। आज गांव का हर शख्स आत्मनिर्भर है। आस-पड़ोस के गांवों के लिए भी यहां से चारा, दूध आदि जाता है। गांव में एक तरह का राम राज है। गांव में तो उन्होंने राम राज स्थापित कर दिया है। अब वह अपने दल-बल के साथ देश में रामराज की स्थापना की मुहिम में निकले हैं : भ्रष्टाचार रहित भारत।

अन्‍ना हजारे यानी 'छोटे गांधी'

गांधी की विरासत उनकी थाथी है। कद-काठी में वह साधारण ही हैं। सिर पर गांधी टोपी और बदन पर खादी है। आंखों पर मोटा चश्मा है, लेकिन उनको दूर तक दिखता है। इरादे फौलादी और अटल हैं। भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्होंने मौत को भी धता दे दी थी। उनकी प्लाटून के सारे सदस्य मारे गए थे। ऐसी शख्सियत है किसन बाबूराव हजारे की। प्यार से लोग उन्हें अन्ना हजारे बुलाते हैं। उन्हें छोटा गांधी भी कहा जा सकता है।

अन्‍ना से झुकतीं है सरकारें

अन्ना ने आज तक जो सोचा है, उसे कर दिखाया है। भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सख्त लोकपाल विधेयक बनाने और उसमें जनता की हिस्सेदारी की मांग को लेकर अनशन पर बैठे अन्ना हजारे देश के भीतर ईमानदारी और इंसाफ की लड़ाई लड़ने से पहले सीमा पर देश के दुश्मनों के भी दांत खट्टे कर चुके हैं। उन्होंने 1975 में अपने सामाजिक जीवन की शुरुआत की थी। अन्ना की राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के धुर विरोधी सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर पहचान 1995 में बनी थी जब महाराष्ट्र के तीन 'भ्रष्ट' मंत्रियों-शशिकांत सुतार, महादेव शिवंकर और बबन घोलाप के खिलाफ वे अनशन पर बैठे थे। सरकार को झुकना पड़ा और सुतार और शिवंकर को कैबिनेट से बाहर कर दिया गया।

अन्ना के गाँधीवादी विरोध का सामना महाराष्ट्र की कांग्रेस-एनसीपी की सरकारों को भी करना पड़ा है। अन्ना 2003 में कांग्रेस और एनसीपी सरकार के चार भ्रष्ट मंत्रियों-सुरेश दादा जैन, नवाब मलिक, विजय कुमार गावित और पद्मसिंह पाटिल के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठ गए। हजारे का विरोध काम आया और सरकार को झुकना पड़ा। अन्ना हजारे को 1990 में सरकार ने 'पद्मश्री' सम्मान से नवाजा था।

अन्ना हजारे देश के दूसरे गांधी

सख्त लोकपाल विधेयक के लिए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का आमरण अनशन जारी है। अन्ना के गांव के साथ साथ देश के सभी राज्‍यों में प्रदर्शन जारी है। वहां भी लोगों ने सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। मंगलवार का अन्ना का पूरा गांव भूखा था। अन्ना के गांव में नारे गूंज रहे हैं ‘अन्ना हजारे आंधी है...देश का दूसरा गांधी है....।

देश भर में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को मिल रहे समर्थन के बीच जाने-माने गांधीवादी हजारे ने कहा है कि सरकार भ्रष्टाचार रोकने को लेकर गम्भीर नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनेताओं पर अब विश्वास नहीं किया जा सकता।

हल्दी का पानी छिड़के घर में, दूर हो जाएगी पैसों की तंगी

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इन दिनों जिस तेजी से महंगाई बढ़ रही है, इससे प्रतीत होता है कि आने वाले समय में चाहे जितना भी पैसा कमाओ कम ही लगेगा। ऐसे में कमाई बढ़ाने के लिए कई और रास्ते खोजने होंगे।

पैसों के संबंध में कहा जाता है कि जिन लोगों की किस्मत अच्छी होती है उन्हें ही अपार धन प्राप्त होता है। अन्यथा पैसों की तंगी कभी पीछा नहीं छोड़ती है।

वास्तु के अनुसार कुछ उपाय बताए गए हैं जिनसे आर्थिक तंगी को दूर किया जा सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम कर दिया जाए और सकारात्मक ऊर्जा को अधिक सक्रिय कर दे तो निश्चित ही हमारे घर-परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती जाएगी। परिवार के सभी सदस्यों को पैसों से जुड़ी कोई परेशानी नहीं रहेगी।

यदि किसी व्यक्ति के घर में कोई वास्तु दोष है तो उसे बहुत सी परेशानियां सहन करनी पड़ती हैं। इन बुरे प्रभावों से बचने के लिए संबंधित वास्तु दोषों का निवारण किया जाना आवश्यक है।

धन की देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के बाद ही पर्याप्त धन प्राप्त होता है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए घर में हमेशा साफ-सफाई रखने के साथ ही यह उपाय अपनाएं। इस उपाय को अपनाने से कुछ ही समय में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगेंगे। प्रत्येक गुरुवार को पानी में हल्दी घोलकर पूरे में छिड़काव करें।

ध्यान रहे घर का कोई भी भाग या कोना छुटना नहीं चाहिए। घर में किसी भी प्रकार की गंदगी न हो, ना ही कोई मकड़ी के जाले हो। हल्दी के छिड़काव से घर पवित्र होता है और पॉजीटिव एनर्जी की बढ़ोतरी होती है। इससे परिवार के सदस्यों का मनोबल ऊंचा होता है और सभी कार्यों को पूरी मेहनत के साथ करते हैं। जिससे सफलता अवश्य प्राप्त होती हैं।


अन्‍ना को तिहाड़ भेजा जाना प्‍लान में नहीं था शामिल, सरकार भी हैरान!


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नई दिल्‍ली. अन्‍ना हजारे को तिहाड़ जेल भेजे जाने का फैसला जन लोकपाल बिल की मांग कर रही टीम अन्‍ना से निपटने की ‘योजना’ का हिस्‍सा नहीं था। यहां तक कि सरकार को भी यह खबर सुनकर हैरानी हुई। सूत्रों का कहना है कि योजना के मुताबिक हजारों को कुछ घंटों तक पुलिस हिरासत में रखना था ताकि विरोध-प्रदर्शन को उस वक्‍त शांत किया जा सके। दिल्‍ली पुलिस के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक उन्‍होंने इस बात का डर था कि अन्‍ना को गिरफ्तार करने से शहर में अशांति फैल जाएगी और इससे कानून-व्‍यवस्‍था बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।

दिल्ली में राहुल गांधी ने पीएम समेत तमाम अन्य शीर्ष नेताओं के साथ अन्ना के मुद्दे पर चर्चा की। सूत्र बताते हैं कि राहुल अन्‍ना को गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ थे।

अन्‍ना को रिहा करने का फरमान मंगलवार देर शाम तिहाड़ जेल पहुंच गया लेकिन अन्‍ना ने रिहा होने से इनकार कर दिया। अन्‍ना के सामने दो विकल्‍प रखे गए। पहला, तीन दिन अनशन कर लें या फिर अपने गांव (रालेगण सिद्धि) चले जाएंगे लेकिन हजारे की मांग है कि उन्‍हें बिना शर्त रिहा किया जाए और जेपी पार्क में अनशन की इजाजत दी जाए तभी वो जेल से बाहर जाएंगे। ऐसी स्थिति में उन्‍हें जेल में एक कैदी की तरह रखना मुमकिन नहीं था और अन्‍ना बाहर निकलने को राजी नहीं थे। जेल प्रशासन ने उन्‍हें तिहाड़ में प्रशासनिक ब्‍लॉक में एक क्‍वार्टर में रखा है जो किसी अधिकारी का है और वह कुछ दिन पहले यहां से ट्रांसफर हुए हैं।

ताकत का दुरुपयोग!
अन्ना हजारे को सीआरपीसी की धारा 107/151 के तहत गिरफ्तार करने को कानून के जानकार पूरी तरह से अवैध बता रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस ने जो कदम उठाया है, वह पावर का मिस यूज है। पुलिस उक्त धारा के तहत अन्ना हजारे को गिरफ्तार ही नहीं कर सकती। यह पूरी तरह से असंवैधानिक है। कुछ यही राय खुद दिल्ली पुलिस के अधिकारियों की भी है, लेकिन वे ऑन रिकॉर्ड कुछ भी नहीं कह रहे हैं। पुलिस अधिकारियों ने यह भी आशंका जताई है कि सही तरीके से उच्च न्यायालय या फिर सुप्रीम कोर्ट के सामने इस मुद्दे को रखा जाए तो बहुत हद तक संभव है कि अदालत पुलिस के खिलाफ ठोस कदम उठा सकती है।

निषेधाज्ञा का उल्‍लंघन करने की धमकी देने के बाद अन्‍ना को गिरफ्तार किया गया। सूत्रों के मुताबिक यह आश्‍वस्‍त होने के बाद कि अब टीम अन्‍ना इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका करेगी इसपर निर्णय आने के बाद ही दिल्‍ली पुलिस कोई फैसले करेगी। इसलिए अन्‍ना के रिमांड के लिए अर्जी नहीं दी और शाम तक मजिस्‍ट्रेट को सूचित किया गया कि यदि अन्‍ना और उनके सहयोगियों को रिहा किया जाता है तो उन्‍हें कोई आपत्ति नहीं होगी।

अन्ना हजारे को गिरफ्तार करने के बाद दिल्ली पुलिस को उनके समर्थकों की भीड़ को हटाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। यही कारण रहा कि पुलिस सुबह से लेकर दोपहर तक अन्ना की टीम को इधर से उधर ले जाती रही। पुलिस ने अन्ना हजारे को बुधवार सुबह साढ़े सात बजे गिरफ्तार किया, जिसके बाद पुलिस उन्हें पहले सिविल लाइंस स्थित जीओएस मेस लेकर आई। जैसे ही इसकी भनक समर्थकों को लगी, वे जीओएस मेस के बाहर एकत्र होने लगे। लेकिन, जब भीड़ बढ़ने लगी तो पुलिस ने आनन-फानन अन्ना को पश्चिमी जिला डीसीपी ऑफिस में ले गई। वहीं पर पूर्वी जिला के स्पेशल एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को बुलाया गया और अन्ना हजारे व उनके सात साथियों को पेश किया गया।

पांच बड़े आन्दोलन जिन्होंने भारत में जनक्रांति की आवाज बुलंद की


भारत में आजादी से लेकर अब तक पांच बड़े आन्दोलन हुए जिन्होंने भारत में आम आदमी की आवाज को बुलंद किया। ये चारों आन्दोलन मोटे तौर पर अहिंसक रहे है।
एक नजर
चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह
अंगेजों से भारत की आजादी को लेकर लड़ाई लड़ रहे गांधी जी को इस दिशा में पहली बड़ी उपलब्धि 1918 में चम्पारण और खेड़ा सत्याग्रह,आंदोलन में मिली। किसानों को अपने निर्वाह के लिए जरूरी खाद्य फसलों की बजाए नील की खेती करनी पड़ती थी।

जमींदारों (अधिकांश अंग्रेज)की ताकत से दमन हुए भारतीयों को नाममात्र भरपाई भत्ता दिया जाता था,जिससे वे अत्यधिक गरीबी से घिर गए। गांवों में चारों तरफ गंदगी और,अस्वास्थ्यकर माहौल,शराब,अस्पृश्यता और पर्दा प्रथा थी। उस समय आए एक विनाशकारी अकाल के बाद शाही कोष की भरपाई के लिए अंग्रेजों ने दमनकारी कर लगा दिए जिनका बोझ दिन प्रतिदिन बढता ही गया। खेड़ा (गुजरात) में भी यही समस्या थी। गांधी जी ने वहां एक आश्रम बनाया जहां उनके बहुत सारे समर्थकों और नए स्वेच्छिक कार्यकर्ताओं को संगठित किया गया।
नतीजा

गांधी जी ने जमींदारों के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन और हड़तालों को का नेतृत्व किया। जिसके फलस्वरूप अंग्रेजों ने उस क्षेत्र के गरीब किसानों को अधिक क्षतिपूर्ति मंजूर करने तथा खेती पर नियंत्रण,राजस्व में बढ़ोतरी को रद्द करना तथा इसे संग्रहित करने वाले एक समझौते पर हस्ताक्षर करने को मजबूर हुए। वहीँ खेड़ा में आन्दोलन का नेतृत्व सरदार पटेल किया। उन्होंने अंग्रेजों के साथ विचार विमर्श के लिए किसानों का नेतृत्व किया जिसमें अंग्रेजों ने राजस्व संग्रहण से मुक्ति देकर सभी कैदियों को रिहा कर दिया गया था।

नमक सत्याग्रह


गांधी जी हमेशा सक्रिय राजनीति से दूर ही रहे। 1920 की अधिकांश अवधि तक वे स्वराज पार्टी और इंडियन नेशनल कांग्रेस के बीच खाई को भरने में लगे रहे और इसके अतिरिक्त वे अस्पृश्यता,शराब,अज्ञानता और गरीबी के खिलाफ आंदोलन छेड़ते रहे।
गांधी जी ने मार्च 1930 में नमक पर कर लगाए जाने के विरोध में सत्याग्रह चलाया। 12 मार्च 1932 को गांधी जी ने नमक कानून तोड़ने के लिए 400 किलोमीटर तक का सफर अहमदाबाद से दांडी,गुजरात तक पैदल यात्रा की ताकि भारतीय स्वयं नमक बना सके।


नतीजा

इस यात्रा में हजारों की संख्‍या में भारतीयों ने भाग लिया। भारत में अंग्रेजों की पकड़ को विचलित करने वाला यह एक सर्वाधिक सफल आंदोलन था जिसमें अंग्रेजों ने 80,000 से अधिक लोगों को जेल भेजा।

भारत छोड़ो आन्दोलन

नाजी जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया। परिणामस्वरूप 1939 में जब द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया। आरंभ में गांधी जी ने इस युद्ध में अंग्रेजों के प्रयासों को अहिंसात्मक नैतिक सहयोग देने का पक्ष लिया। किंतु कांग्रेस के दूसरे नेताओं ने युद्ध में जनता के प्रतिनिधियों के परामर्श लिए बिना इसमें एकतरफा शामिल किए जाने का विरोध किया।

कांग्रेस के सभी चयनित सदस्यों ने सामूहिक तौर पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। लंबी चर्चा के बाद,गांधी ने घोषणा की कि जब स्वयं भारत को आजादी से इंकार किया गया हो तब लोकतांत्रिक आजादी के लिए बाहर से लड़ने पर भारत किसी भी युद्ध के लिए पार्टी नहीं बनेगी।
गांधी जी ने आजादी के लिए अंग्रेजों पर अपनी मांग को लेकर दबाब बढ़ाना शुरू कर दिया। यह गांधी तथा कांग्रेस पार्टी का सर्वाधिक स्पष्ट विद्रोह था जो भारत से से अंग्रेजों को खदेड़ने पर केन्द्रित था ।

9 अगस्त 1942 को गांधी जी ने अंग्रेजो भारत छोड़ों का नारा दिया। इसी दिन कांग्रेस कार्यकारणी समिति के सभी सदस्यों को अंग्रेजों द्वारा मुबंई में गिरफ्तार कर लिया गया। गांधी जी को पुणे के आंगा खां महल में दो साल तक बंदी बनाकर रखा गया।
उनके खराब स्वास्थ्‍य और जरूरी उपचार के कारण 6 मई 1944 को दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति से पूर्व ही उन्हें रिहा कर दिया गया। अंग्रेज उन्हें जेल में दम तोड़ते हुए नहीं देखना चाहते थे जिससे देश का क्रोध बढ़ जाए।

नतीजा

हालांकि भारत छोड़ो आंदोलन को अपने उद्देश्य में आशिंक सफलता ही मिली लेकिन अंगेजों ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए को दमनकारी नीति अपनाई उसने भारतीयों को और संगठित कर दिया।

दूसरे युद्ध के अंत में,ब्रिटिश ने स्पष्ट संकेत दे दिया कि संत्ता का हस्तांतरण कर उसे भारतीयों के हाथें में सोंप दिया जाएगा। इसके बाद गांधी जी ने आंदोलन को बंद कर दिया. कांग्रेसी नेताओं सहित लगभग 100,100 राजनैतिक बंदियों को रिहा कर दिया गया।
अंततः अंग्रेजों को भारत छोड़ कर जाना पड़ा और 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया।

विनोबा भावे का भूदान आन्दोलन

विनोबा भावे ने सन 1950-60 के दशक में भूदान आन्दोलन चलाया। जिसे सफलता भी मिली। कई लोगो ने अपनी जमीने दान में दी। भूदान आन्दोलन को सफलता सबसे अधिक उन क्षेत्रों में मिली जहां पर भूमि सुधार आन्दोलन को सफलता नहीं मिल पाई थी। बिहार,ओड़िसा और आंध्र प्रदेश में इसे सबसे अधिक सफलता मिली थी।
नतीजा
विनोबा के आन्दोलन के पहले भारत में महज कुछ लोगों के पास बहुत ज्यादा ज़मीन थी और बाकी लोगों के पास नाम मात्र की ज़मीन थी या कई लोग भूमिहीन थे। इस आन्दोलन के बाद कई ज़मींदारों ने अपनी ज़मीनों में से भूमिहीनों को ज़मीन दान की। कई राज्यों ने भूमि चकबंदी कानून बनाया,जिससे बहुत हद तक भूमिहीनों की दशा में सुधार हुआ।

वीपी सिंह का आंदोलन (1987)

राजीव गांधी सरकार में रक्षा मंत्री विश्वनाथप्रताप सिंह ने बोफोर्स तोप सौदे में घोटाले की आशंका के चलते प्रधानमंत्री राजीव गांधी से पूछे बिना ही इसकी जांच के आदेश दे दिए। उन्हें मंत्रिमंडल से हटना पड़ा। इसके बाद उन्होंने इस सौदे के खिलाफ जन आंदोलन छेड़ दिया। उनका आंदोलन देश की आवाज बन गया।

जेपी आंदोलन (1974)

जयप्रकाश नारायण (संक्षेप में जेपी) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। लोकनायक जयप्रकाश नारायण को 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने बिहार में अब्दुल गफूर के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के खिलाफ नवंबर 1974 में मुहिम छेड़ी। सबसे बड़ा और अहम मुद्दा था,बिहार में भ्रष्टाचार।
केंद्र में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब 1975 में आपातकाल लगाया तो पूरे देश में यह आंदोलन‘संपूर्ण क्रांति’ के तौर पर फैल गया। जेपी सहित 600 से भी अधिक विरोधी नेताओं को बंदी बनाया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई। जेल मे जेपी की तबीयत और भी खराब हुई। 7 महीने बाद उनको मुक्त कर दिया गया।

नतीजा

अंत में इंदिरा गांधी को झुकना पड़ा। 1977 में उन्होंने आपातकाल वापस ले लिया और आम चुनाव की घोषण कर दी। 1977 जेपी के प्रयासों से एकजुट विरोध पक्ष ने इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया।

5 अप्रैल को अन्ना का भूख हड़ताल

सबसे पहले 1 दिसंबर 2010 को अन्ना हजारे ने स्वामी रामदेव,श्री श्री रविशंकर,किरण बेदी,स्वामी अग्निवेश,अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून बनाने के लिए पत्र लिखा। साथ ही कहा कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो वह 5 अप्रैल 2011 से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर चले जाएंगे। 200 से ज्यादा लोग हजारे के साथ भूख हड़ताल पर बैठे ।
नतीजा
अन्ना के आन्दोलन से अंततः सरकार को झुकना पड़ा। सरकार अन्ना की टीम से बातचीत को तैयार हुई। दो महीने तक सरकार और अन्ना की सिविल सोसाइटी के बीच चली बैठक के बाद अन्ना टीम के जन लोक पाल और सरकारी लोकपाल विधेयक पर सहमती नहीं बन सकी।
हालांकि सरकार ने दवा किया कि उन्होंने अन्ना की 40 में से 34 शर्तों को मान लिया है। वहीँ टीम अन्ना का कहना है कि सरकार ने उनके द्वारा सुझाए 72 में से मात्र 12 सुझावों को माना है।
लिजाजा दोनों पक्षों में अभी लोकपाल बिल को लेकर गतिरोध जारी है। इसी के तहत अन्ना ने 16 अगस्त को दिल्ली के जेपी पार्क में अनशन का एलान किया। परन्तु सरकार ने उन्हें अनशन वाले दिन ही सुबह गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया।
अन्ना को सरकार ने 16 अगस्त को ही रात में रिहा कर दिया पर अन्ना अनशन की बात को लेकर अभी भी तिहाड़ से बाहर निकलने को तैयार नहीं है।

अन्‍ना को लता मंगेशकर का साथ, कांग्रेस की मांग- अमेरिकी समर्थन की हो जांच



नई दिल्‍ली. सरकार जहां अन्‍ना हजारे को मनाने की हर संभव कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस ने उन पर निशाना साधा है। पार्टी प्रवक्‍ता राशिद अल्‍वी ने कहा है कि अन्‍ना को अमेरिका ने समर्थन क्‍यों दिया, इसकी जांच होनी चाहिए। अमेरिका की ओर से बयान आया था कि भारत लोकतांत्रिक देश है और वहां किसी को अनशन की इजाजत मिलने में मुश्किल नहीं आनी चाहिए।


कांग्रेस प्रवक्‍ता के बयान से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में अन्‍ना हजारे की गिरफ्तारी पर अफसोस जताते हुए कहा कि टीम अन्‍ना ने शर्ते नहीं मानीं इसलिए उनकी गिरफ्तारी हुई। पीएम ने बुधवार को अन्‍ना के मसले पर संसद में बयान देते हुए यह बात कही। विपक्ष की मांग के बीच पीएम दोनों सदनों में बयान देने तो आए लेकिन उनका अंदाज वही था जो मंगलवार को गृह मंत्री पी चिदंबरम सहित सरकार के सिपहसालारों का था। लोकसभा में पीएम के बयान दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। लोकसभा अध्‍यक्ष ने सदस्‍यों को बार-बार समझाने की कोशिश की। लेकिन विपक्षी सदस्‍य नहीं माने। कई बार सदन की कार्यवाही स्‍थगित करनी पड़ी।
राज्‍यसभा में भी पीएम के बयान पर विपक्ष ने हंगामा किया। सदन में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्‍होंने कहा, 'ब्रिटिश राज में भी ऐसी पाबंदियां नहीं थी जैसी अन्‍ना हजारे के भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आंदोलन के विरोध में लगाई गई हैं।' जेटली ने कहा कि सरकार की नीयत भ्रष्‍टाचार से लड़ाई की नहीं है। और, न ही उसमें राजनीतिक इच्‍छाशक्ति है। उन्‍होंने कहा कि सरकार अन्‍ना के समर्थकों को रिहा करे और उन्‍हें शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की इजाजत दे।

पीएम लोकसभा में अपना बयान देने के बाद तुरंत ही राज्‍यसभा चले गए। इस पर विपक्ष ने हंगामा किया। विपक्ष की नेता सुषमा स्‍वराज ने सवाल किया, ‘पीएम विपक्ष को सुने बिना ही क्‍यों चले गए। पीएम के सामने ही प्रतिक्रिया दूंगी।’ पीएम के न होने के मुद्दे पर लोकसभा में विपक्ष और सरकार पर तीखी नोंकझोंक हुई। भाजपा के वरिष्‍ठ नेता लालकृष्‍ण आडवाणी ने कहा कि सरकार विपक्ष की आवाज दबा रही है। उन्‍होंने कहा, ‘अन्‍ना के आंदोलन को दबाने के प्रयास से इमरजेंसी के दिनों की याद आ रही है। सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने भाजपा पर ‘मगरमच्‍छ के आंसू’ बहाने का आरोप लगाया जिसे लेकर सुषमा ने हंगामा किया।

पीएम ने कहा, ‘अन्‍ना ने पुलिस की शर्तें मानने से इनकार किया। पुलिस को लगा कि अन्‍ना नियम तोड़ सकते हैं। ऐसे में पुलिस ने शांति-व्‍यवस्‍था बनाए रखने के लिए अन्‍ना को गिरफ्तार किया। यह सारी कार्रवाई दिल्‍ली पुलिस ने की। पुलिस ने अन्‍ना की रिमांड नहीं मांगी। कल 2600 लोग हिरासत में लिए गए थे लेकिन कल ही सभी लोगों को रिहा कर दिया गया लेकिन अन्‍ना ने जेल से निकलने से मना किया। अन्‍ना हजारे बिना शर्त जेपी पार्क में अनशन की इजाजत चाहते हैं। जबकि अनशन के लिए हर बार शर्त रखी जाती है। प्रदर्शन के लिए हर शख्‍स को हलफनामा देना होता है। अन्‍ना ने भी शर्तें मानी तो अनशन की इजाजत मिलेगी। कल की घटना पर अफसोस है।’

मनमोहन सिंह ने माना कि अन्‍ना ऊंचे आदर्शों से प्रेरित शख्सियत हैं लेकिन उनके अभियान को तरीके को जायज नहीं ठहराया। बातचीत से ही किसी समस्‍या का हल हो सकता है। उन्‍होंने कहा, ‘कानून बनाना संसद का काम है और इसकी सर्वोच्‍च्‍ता को चुनौती नहीं दी जा सकती। जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को संसद में अपना काम करने देना चाहिए। लोकतंत्र का कोई विकल्‍प नहीं है। हम कई मोर्चों पर लड़ रहे हैं। कुछ लोग देश को आगे बढ़ना देखना नहीं चाहते हैं। कोई यदि सरकार को चुनौती देता तो शांति बनाना सरकार का काम है।’

सभी राजनीतिक दलों से संसद को चलने देने में सहयोग का आह्वान करते हुए पीएम ने कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्‍होंने कहा, ‘संसद ने तय किया है कि लोकपाल बिल जल्‍द से जल्‍द पास हो। बिल अभी स्‍टैंडिंग कमेटी के पास है। स्‍टैंडिंग कमेटी में चर्चा के दौरान लोकपाल बिल पर अन्‍ना को बात रखने का मौका मिलेगा। अन्‍ना जनलोकपाल बिल पर अड़े हैं। वह इस बिल को थोपना चाहते हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि कानून कौन बनाता है। हमें हर आदमी की फिक्र है।’
लता मंगेशकर का ट्विटर पर संदेश - नमस्कार, मुझे राजनीति न समझ आती है न ही उसमें कोई दिलचस्पी है परंतु भ्रष्टाचार से हमारा देश मुक्त होना बहुत जरूरी है, इसलिए मैं अन्ना जी के इस भ्रष्टाचार विरोध अभियान का समर्थन करती हूं - जय हिंद

विधि के शासन से बंधी है संसद : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली. विधि का शासन संविधान के मूल ढांचे का जरूरी हिस्सा है। इसका उल्लंघन संसद भी नहीं कर सकती। वास्तव में वह भी इससे बंधी हुई है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसएच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच ने यह व्यवस्था दी है।

संवैधानिक बेंच ने मंगलवार को कहा,‘विधि के शासन को धारणा के रूप में हमारे संविधान में जगह नहीं मिली है। लेकिन इसे हमारे संविधान की मूल विशेषता में माना जाता है। इसका उल्लंघन या समाप्ति संसद भी नहीं कर सकती।’

संसद सर्वोच्च है लेकिन..

जजों ने केशवानंद भारती मामले का जिक्र किया। बेंच के अनुसार इस मामले में अदालत ने साफ कहा था कि विधि का शासन मूल ढांचे का एक बेहद अहम पहलू है। यह संसद की सर्वोच्चता की पुष्टि करता है। साथ ही संविधान के ऊपर उसकी संप्रभुता से इनकार करता है।

हो सकती है न्यायिक समीक्षा

बेंच ने वैसे कानून को गैरकानूनी बताया जो निजी हित के लिए एक व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित करे। ऐसा करना विधि के शासन को कमजोर करना है। यह न्यायिक समीक्षा का विषय है।

अधिग्रहण कानून से जुड़ा मामला

> सुप्रीम कोर्ट में आया मामला रोरिक एंड देविका रानी रोरिक इस्टेट अधिग्रहण कानून, 1996 से जुड़ा है
> इस कानून को कर्नाटक की विधायिका ने बेंगलुरू में 465 एकड़ जमीन के संरक्षण के लिए बनाया था
> यह जमीन रूसी कलाकार स्वेतोस्लाव और पत्नी की थी
> स्वेतोस्लाव ने केटी प्लांटेशन को कुछ जमीन बेची थी
> लेकिन इसे राज्य सरकार ने कानून बनाकर अधिग्रहीत कर लिया था
> इसका मकसद कलाकार दंपती के कीमती पेड़ों, पेंटिग्स तथा आर्ट गैलरी का संरक्षण था

क्या हुआ फैसला

> प्लांटेशन फर्म की याचिका खारिज
> किसी की निजी भूमि का मुआवजे के साथ सार्वजनिक उद्देश्य के लिए अधिग्रहण संभव।
>कोर्ट ने कहा, भले विदेशी निवेशक को मूल अधिकार न दिए गए हैं। लेकिन विधि का शासन देश में चलता है।

अगर आबादी यूं ही

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अगर आबादी यूं ही बढ़ती रही तो दुनिया में कोई स्थान ऐसा नहीं रह जाएगा, जहां शांति और सुकून हो। तस्वीरों में देखिए कुछ ऐसे ही स्थान जो हमेशा भीड़-भाड़ होने की मजह से मशहूर हैं।

1. टोक्यो समरलैंड स्थित यह एक स्वीमिंग पूल की इस तस्वीर में साफ है कि इसमें लोगों की तैराकी की तमन्ना अधूरी ही रह जाती होगी। गर्मियों के दौरान इसमें इतनी भीड़ हो जाती है कि पानी ढ़ूंढ़ना तक मुश्किल हो जाता है।
2. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अनुसार चीन स्थित मोंकॉक पृथ्वी पर सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाली जगह है। यहां का जनसंख्या घनत्व प्रति एक किलोमीटर में 130,000 व्यक्ति है।
3. सन 1950 में शुरू हुआ ब्राजील का रियो डे जेनियरो फुटबाल स्टेडियम विश्व का सबसे अधिक भीड़भाड़ वाला स्टेडियम है। इसमें खेले एक फुटबॉल मैच के दौरान दर्शकों की रिकॉर्ड संख्या 199,854 दर्ज की गई थी।

4. टोक्यों की शिबुया क्रॉसिंग सर्वाधिक भीड़ वाली सड़क है। इस पर से प्रतिदिन लगभग 2.5 मिलियन लोग गुजरते हैं। आप दिन के जिस भी वक्त यहां जायेंगे, आपको हर समय सैकड़ो लोगों की भीड़ इसपर चलते हुए मिल जायेगी।

5. रूस के सेंटपीटर्सबर्ग की क्रेस्टी जेल विश्व की सर्वाधिक कैदियों वाली जेल में शुमार है। आधिकारिक तौर पर इसकी क्षमता 3,000 कैदी है लेकिन इसमें हमेशा 10,000 कैदियों को रखा जाता है। यहां हर कैदी को केवल 4 वर्ग मीटर की ही जगह उपलब्ध हो पाती है।

6. मुंबई, भारत में लोकल ट्रेन।

7. चीन का इंगडाओ हुइकुआन बीच एशिया के सबसे अधिक व्यस्त बीच की श्रेणी में गिना जाता है।

8. विश्व का सर्वाधिक भीड़ वाला सबवे ट्रेन स्टेशन, मास्को, रूस

9. 395 व्यक्ति प्रति किलोमीटर घनत्व के साथ इंग्लैंड, यूरोप के सर्वाधिक भीड़ वाले देशों में नंबर एक है। चीन अभी भी विश्व के सबसे अधिक भीड़ वाले देशों में नंबर एक है

किसी ने सच ही कहा है कि उड़ने के लिए पंखों की नहीं, हौसले की जरूरत होती है

किसी ने सच ही कहा है कि उड़ने के लिए पंखों की नहीं, हौसले की जरूरत होती है। कम से कम जेसिका कोक्स को देखकर तो यही लगता है। जेसिका जब अपनी मां के गर्भ में थी तब सब कुछ ठीक था। डॉक्टरी रिपोर्ट में भी किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका व्यक्त नहीं की गई थी, लेकिन दुर्भाग्यवश जेसिका का जन्म अपंगता के साथ हुआ। जन्म से ही उसके हाथ नहीं थे। लेकिन बिना हाथों के पैदा होने के बावजूद उसमें इच्छाशक्ति की कमी नहीं थी। मनोविज्ञान से स्नातक जेसिका वो सभी काम कर सकती है जो कोई भी सामान्य व्यक्ति करता है। वह लिख सकती है, टाइप कर सकती है, कार चला सकती है और फोन पर बात कर सकती है। ऐसा कोई भी काम नहीं जिसे करने में जेसिका पीछे हो। अमेरिका के अरीजोना की रहने वाली जेसिका कोक्स डांसर भी रह चुकी हैं। उनके पास 'नो रिस्टिक्शन' ड्राइविंग लाइसेंस भी है। वह विमान उड़ाना भी जानती हैं और 25 शब्द प्रति मिनट की गति से टाइपंग भी कर सकती हैं। जिस विमान को जेसिका उड़ाती हैं उसका नाम एरकूप है। वो अपने हाथों के स्थान पर पैरो का उपयोग इसे उड़ाने में करती हैं। आमतौर पर जिस एयरक्राफ्ट को उड़ाने में लोग 6 महीने का प्रशिक्षण लेते हैं, उसे जेसिका ने 3 साल का प्रषिक्षण लेकर पूरा किया है। जेसिका के पास 89 घण्टे विमान उड़ाने का अनुभव है।

ये कोई साधारण बात नहीं थी बल्कि रूसी पुरातत्व शास्त्रियों ने वो किया था जो...

रूस के पुरातत्व शास्त्रियों का दावा है कि उन्होंने खाज़र लोगों की राजधानी ‘एटिल’ तलाश ली है। यहूदी धर्म वाले ये लोग आधे बंजारे होते थे। दसवीं शताब्दी के आसपास की ये एक पॉवरफुल सभ्यता थी। इनके इतिहास को लेकर आज भी बहस होती रहती है। क्या ये लोग यहूदी धर्म को मानते थे, ये भी बहस का विषय है।

अस्ट्राखन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर दिमित्री वासिलयेव कहते हैं कि कैपसिकम सागर के पास नौ साल की खुदाई के बाद उन्हें ये जगह मिली थी। यहां जमीन में मिले त्रिकोणीय आकार के किले को देखकर कहा जा सकता है कि ये एटिल था। किले के निर्माण में जिस तरह की ईंटों का इस्तेमाल किया गया था, वैसी ईंटें सिर्फ एटिल में बनती थीं।

‘द ज्यूज़ ऑफ खाज़ारिआ’ के लेखक कैविन ब्रूक भी कहते हैं कि मैंने एटिल के लिए की जा रही खुदाइयों पर कई साल तक नजर रखी है। भले ही यहां पर यहूदियों से संबंधित किसी तरह के अवशेष नहीं मिले हैं, फिर भी मैं कह सकता हूं कि ये एटिल ही है। ये लोग तुर्की के बंजारे थे।

सातवीं से दसवीं शताब्दी के दौरान इन्होंने दक्षिणी रूस और यूक्रेन के काफी इलाके जीत लिए थे। समझा जाता है उनकी राजधानी एटिल मॉस्को से 800 मील दक्षिण में थी। 0.8 वर्गमील में फैले इस शहर की आबादी 60 हजार थी। यूरोप और चीन के बीच व्यापारिक गतिविधियां जिस मार्ग से संचालित होती थीं, ये उस मार्ग पर था। फिर भी ये लोग जिन कलाओं में माहिर थे। उतना सामान यहां से तलाशा नहीं जा सका है। सिर्फ कुछ इमारतों के आधार पर इसे एटिल नहीं कहा जा सकता

बहन को नशीला इंजेक्शन लगा पति के आगे 'परोसा'

नई दिल्ली.जाफराबाद इलाके में एक महिला द्वारा अपनी छोटी बहन को नशीला इंजेक्शन व गोलियां खिलाने के बाद अपने पति से उसके साथ दुष्कर्म करवाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पुलिस ने पीड़िता की शिकायत पर उसकी बहन को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि, उसके जीजा व एक अन्य आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।

जीनत (20, बदला हुआ नाम) अपने परिवार के साथ विजय मोहल्ला, मौजपुर में रहती है। वह ग्रेजुएशन कर रही है। घटना चार फरवरी की है। जीनत ने पुलिस को दिए बयान में बताया है कि रात नौ बजे वह भू-तल पर पानी भर रही थी। तभी उसकी बड़ी बहन सायरा अपने पति अफसर के साथ उसके घर आई। अफसर के साथ उसका दोस्त राजेंद्र भी था।

उस समय घर में कोई और नहीं था। राजेंद्र व अफसर प्रथम तल पर चले गए। इसके बाद जीनत का हाथ पकड़ कर सायरा उसे प्रथम तल स्थिति कमरे में ले गई। वहां अफसर व राजेंद्र ने उसका हाथ पकड़ लिया। सायरा ने पहले तो उसे इंजेक्शन लगाया और फिर तीन गोलियां खाने को दी।

इसके बाद अफसर ने उसके साथ दुष्कर्म किया और वह बेहोश हो गई। जब होश में आई तो उसने खुद को गुरुतेग बहादुर अस्पताल में पाया, जहां उसे उसकी दूसरी बहन लेकर आई थी। जीनत की मेडिकल जांच में उसके साथ दुष्कर्म की पुष्टि हो गई।

पुलिस ने जीनत के बयान पर मामला दर्ज कर सायरा को गिरफ्तार कर लिया है तथा राजेंद्र व अफसर की तलाश कर रही है।

सरकार और उसके मंत्री पगला गए हैं ...................

जी हाँ दोस्तों हमारे देश की सरकार और उसके मंत्री पगला गए हैं और वोह पागल कुत्ते की तरह से किसी को भी कभी भी काटने पर आमादा है .............आज संसद में जे दी यु के नेता ने जब कहा के कोंग्रेस ने अंग्रेजी बोलने और समझने वालों को बड़ा मंत्री बनाया है हिंदी वाले तो बेचारे ऐसे ही हैं तो कपिल सिब्बल हंस पड़े ............संसद में कोंग्रेस और भाजपा दोनों ही सभी विपक्ष के साथ मिलकर खुद को जनता और देश से बड़ा समझने की भूल करते दिखे ..मजेदार बात तो यह रही के कपिल सिब्बल संसद में संविधान को उलटा पढाने लगे ..देश की जनता और आम आदमी से बड़ी संसद को बताने लगे . आम आदमी की आवाज़ को संविधान विरोधी बताने लगे अभी देश के मसलों को जनता को विशवास में लिए बगेर मनमाने तोर पर तय किया जाता है और देश इसीलियें आज भ्रष्टाचार और नोकर शाहों और काला बाजारियों की भेंट चडा है ..सभी जानते है बच्चे को भी संविधान पढाते है के देश में जनता द्वारा जनता के लियें जनता का शासन है सांसद और विधायक जनता के लोकसेवक हैं जो खुद को जनता का मालिक समझने लगे हैं .कपिल सिब्बल कहते हैं के देश में एक बहर का आदमी किसी कानून बनने के पहले बहर बोलने का हक नहीं रखता ..यही तो सरकारों ने किया है तानाशाही के बल पर अब तक जनता का शोषण किया है खरीद फरोख्त की है हो हल्ला जूतम पैजार और हंगामा किया है .फिर सिब्बल जी जनता को पाठ पढ़ना चाहते हैं ...देश के विधान में लिखा है के जनता के लिए जो भी कानून बनाया जाएगा जनता से मशवरा करके जनता के हित में कानून संसद में पारित होगा लेकिन यहाँ कोई कानून बनता है जनता से कोई रायशुमारी नहीं ली जाती जनता को तो बदलने वाले कानूनों की जानकारी ही नहीं होती और खुद सांसद विधायक अनुपस्थित रहते है ऐसे कानूनों को बनाकर पेश करने के बाद इन कानूनों पर कितनी बहस कोनसा सांसद करता है लोकसभा या विधानसभा की कार्यवाही उठा कर देखने से पोल खुल जायेगी कई संसद और कई विधायक तो प्रस्तावित कानूनों और विधेयकों को खोल कर भी नहीं देखते हैं और फिर जनता को संसद से दूर रखने और संसद को जनता से बड़ी होने की बात करते हैं जो काम जनता के लियें किया जा रहा है उस कम के लियें जनता से बोलने का हक छिनना चाहते हैं .....क्या फर्क पढ़ता अगर अन्ना समिति का बनाया हुआ लोकपाल बिल भी सरकार के बिल के साथ संसद में रख दिया जाता बहस तो संसद में ही होती और जो भी प्रावधान ठीक होते उसमे से निकल कर बिल तय्यार हो जाता क्या किसी देश के नागरिक को संसद द्वारा की जा रही गलत कार्यवाही को सूधारने का सुझाव देने का अधिकार नहीं है ..ऐसे सारे अधिकार जनता को देश के संविधान ने दे रखे हैं और अन्ना के अनशन को असंवेधानिक बताने वाले आज बताएं के पहले जो लोग अन्ना को गिरफ्तार करने की राजनीति कर रहे थे आज उसी अन्ना की रिहाई के लिए गिडगिडा रहे हैं तो जनाब सरकार किसी भी समस्या या जनता की आवाज़ से निपटने में अक्षम है और उस पर अंग्रेजी सिर्फ अंग्रेजी जान्ने वाले प्रभावशाली मंत्री या बेकडोर एंट्री करने वाले मंत्री लोग देश की जड़े खोखली करने में लगी है काश इस वक्त सोनिया गाँधी देश में होती और वोह यह सब मंत्रियों की करतूतें देखती तो वोह इन सभी अराजकता पूर्ण आपराधिक सरकारी हालातों पर अंकुश लगातीं लेकिन बिना धनी ढोरी की कोंग्रेस इन दिनों पगला सी गयी है और भुगता राहुल और सोनिया को पढ़ेगा ................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

विधवा गुनगुना रही हैं

मालिक आलसी नौकर से: यहां पर इतने सारे मच्छर गुन-गुन कर रहे हैं,तू उनहें मार गिरा।

थोड़ी देर बाद मालिक: अबे साले नौकर के बच्चे मैंने तुझे मच्छर मारने को कहा अभी तक तूने मारे नहीं। वो अब भी गुन-गुन कर रहे हैं।

आलसी नौकर: मालिक मच्छर तो मैंने मार दिए थे। यह तो उनकी बीवियां हैं जो विधवा होकर रो रही हैं।

जरा हंस भी लो यार


एक बार तीन फलों में आपस में बातचीत होती है।

सेब : मुझे तो सब धो के और काट के खाते हैं।

अमरुद : तुझे क्या मुझे भी सब धो के और काट के खाते हैं।

सेब , चुप चाप बैठे केले से कहता है तू चुप क्यों है ?

केला : “मैं क्या कहूं मुझे तो बताते हुए भी शर्म आती है , मुझे तो सब लोग नंगा करके खाते हैं ।”














राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस 27 से 31 दिसंबर तक जयपुर में

राष्ट्रपति करेंगी उद्घाटन, तैयारियों पर मुख्य सचिव ने ली अफसरों की बैठक
जयपुर। राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस जयपुर में 27 से 31 दिसंबर तक होगी। बाल विज्ञान कांग्रेस में देश भर से प्रतिभाशाली बच्चे शामिल होंगे। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को इसका उद्घाटन करने का निमंत्रण भेजा गया है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलना अभी बाकी है। सरकार ने 19 वीं बाल विज्ञान कांग्रेस के आयोजन को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है।


मुख्य सचिव एस. अहमद ने बुधवार को आला अफसरों की बैठक लेकर समय पर तैयारियां पूरी करने और इसके लिए विभागों को आपसी तालमेल से काम करने के निर्देश दिए। बैठक में राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के आयोजन के लिए शिक्षा, परिवहन, कानून व्यवस्था, पर्यटन, प्रचार-प्रसार के लिए किए जाने वाले कामों और प्रक्रियाओं का अनुमोदन किया गया।


क्या होगा बाल विज्ञान कांग्रेस में : विज्ञान व प्रौद्योगिकी सचिव संजय मल्होत्रा ने बताया कि राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन हर साल10 से 17 साल तक की आयु के बच्चों के लिए किया जाता है। इस बार इसका विषय भूमि संसाधन : समृद्घि के लिए उपयोग करें, भविष्य के लिए बचाएं रखा गया है। कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रपति द्वारा किया जाना प्रस्तावित है। इस आयोजन पर 1.5 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।


बाल विज्ञान कांग्रेस में 12 समानांतर वैज्ञानिक सत्र होंगे और हर दिन सांस्कृतिक संध्याओं का भी आयोजन होगा। बाल विज्ञान कांग्रेस में लगभग 1800 प्रतिभागी भाग लेंगे जिनमें 1000 बच्चे शामिल हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी में किया जाना प्रस्तावित है। कार्यक्रम में लगभग 800 बाल वैज्ञानिक, प्रमुख वैज्ञानिक, रिसोर्स पर्सन सहित आसियान देशों के प्रतिभागी भी भाग लेंगे।

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