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18 अगस्त 2011

आत्मदाह की धमकी, लेकिन बोतल में पानी

जोधपुर। शिव सेना के एक नेता द्वारा आत्मदाह की धमकी देने से गुरुवार को नगर निगम प्रशासन सहमा रहा, लेकिन जब पुलिस ने उसके कब्जे से बरामद की गई बोतल को खोला तो उसमें केरोसिन या पेट्रोल की बजाय पानी भरा था। जांच के बाद पुलिस अधिकारी ने बोतल में भरा पानी पीया तो सभी ने राहत की सांस ली। शिव सेना नेता ने कार्यवाहक सीईओ जुगल किशोर मीणा पर भू-उपयोग परिवर्तन की पत्रावली को जान बूझकर अटकाने का आरोप लगाते हुए करीब ढाई घंटे तक हंगामा किया। बाद में उन्होंने उपमहापौर न्याज मोहम्मद से मिलकर समूचे मामले की शिकायत की।

महापौर के कक्ष में नहीं मिलने पर वे उनके निवास पर जाकर धरने पर बैठ गए। महापौर के आश्वासन के बाद रात ८ बजे धरने से उठे। शिव सेना नेता अनिल कोठारी गुरुवार सुबह साढ़े दस बजे निगम मुख्यालय पहुंचे। और कार्यवाहक सीईओ जुगलकिशोर मीणा के कक्ष के बाहर हंगामा करने लगे। अपने पास मौजूद एक बोतल दिखाते हुए उन्होंने आत्मदाह की धमकी दी। इससे वहां मौजूद कर्मचारी एकबारगी सहम गए।

मौके पर पहुंची शास्त्रीनगर थाना पुलिस ने कोठारी के कब्जे से बरामद बोतल को खोला तो उसमें पानी निकला। इस दौरान समझाइश के बाद भी जब कोठारी कार्यवाहक सीईओ मीणा से मिलने की मांग पर अड़े रहे तो उन्हें सूचना दी गई। करीब एक घंटे बाद जब मीणा अपने कार्यालय पहुंचे तो पुलिस की मौजूदगी में दोनों में बातचीत हुई। इस दौरान कोठारी कार्यवाहक सीईओ पर फाइल अटकाने का आरोप लगाते रहे, जबकि वे कोठारी से कहते रहे कि अपनी बात लिखित में दें। कार्यवाहक सीईओ के कक्ष में डटे शिव सेना नेता अतिक्रमण प्रभारी रामकुमार जावा की दखल से बाहर निकले।

क्या है मामला

चौपासनी जागीर के खसरा नंबर 16 प्लाट संख्या 3 के मालिक अनिल भंडारी व उनकी पत्नी मंजू ने 22 फरवरी 2010 को भू-उपयोग परिवर्तन के लिए निगम में आवेदन किया था। भू उपयोग परिवर्तन समिति ने अब तक किए गए बिना अनुमति निर्माण की शास्ती वसूलने के बाद 24 सितंबर 2010 को उन्हें भू-उपयोग परिवर्तन करने की इजाजत दे दी। इसके बाद अफसरों ने आरक्षित दर की बात कहते हुए फाइल अटका दी। तीन बार अलग-अलग राशि की गणना के बावजूद फैसला नहीं हो पाने से अनिल भंडारी के समधी शिव सेना नेता अनिल कोठारी निगम की कार्यप्रणाली से खफा हो गए। गुरुवार को वे निगम में पहुंच गए और आत्मदाह की धमकी दी।

नियमों की पालना

कार्यवाहक सीईओ जुगल किशोर मीणा ने शिव सेना नेता के आरोपों के जवाब में कहा कि मैंने जो कुछ किया, वह नियमों के तहत किया है। मैंने जुबानी बात नहीं की, लिखित में नोटिस देकर राशि जमा करवाने की बात कह रहा हूं। अगर कोई आपत्ति है तो लिखकर पेश कर दें, निगम उस पर निमयानुसार विचार करेगा।

अंधविश्वास: इलाज के नाम पर मासूम को गर्म सलाखों से दागा

रोहिड़ा(सिरोही)/जोधपुर। गांव वालोरिया में अंधविश्वास के चलते डेढ़ साल के एक मासूम को बुखार और उल्टी दस्त होने पर गर्म सलाखों से दागने का मामला सामने आया है। इसके बाद बच्चे की स्थिति बिगड़ने पर परिजन उसे अस्पताल ले गए, जहां उसकी स्थिति को देखते हुए उसे रोहिड़ा के सरकारी अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया। यहां उसकी स्थिति में सुधार है।

मौसमी बीमारी से गत दिनों हुई चार मौतें : वालोरिया गांव में गत दिनों मौसमी बीमारी से चार मौतें भी हो चुकी हैं। क्षेत्र में मौसमी बीमारी फैलने के बाद मेडिकल विभाग अलर्ट हुआ। विभाग ने वालोरिया की फलियों में सर्वे कर बीमारों की स्लाइड ली और उनका इलाज किया। वालोरिया व वासा गांव में अस्थाई अस्पताल खोलकर सभी प्रकार की दवाइयां उपलब्ध करवाई गईं।

आदिवासियों को नहीं है सरकारी अस्पताल पर भरोसा

आदिवासी क्षेत्र में ग्रामीण आज भी सरकारी अस्पताल को सिर्फ प्रसव करवाने का अस्पताल समझते हैं। इसका कारण है कि अस्पताल में प्रसव कराने पर सहायता राशि मिलती है। रोहिड़ा कस्बे सहित आसपास के वासा, वाटेरा, भीमाना में झोलाछाप डॉक्टरों की भी भरमार है।

इनका कहना है

गांव में अंधविश्वास चरम पर है। वहां शरीर को दाग कर इलाज किया जाता है। डेढ़ वर्षीय मासूम के शरीर पर दागने के निशान थे। अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया गया नहीं तो इसकी मौत हो सकती थी। इलाज के बाद बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार है। -डॉ. अशोक वर्मा, चिकित्सा अधिकारी, राजकीय अस्पताल, रोहिड़ा

रोहिड़ा के आदिवासी क्षेत्रों में मौसमी बीमारी को लेकर टीम काम कर रही है। स्थिति पर पूर्ण नियंत्रण है। अंधविश्वास को मिटाने के लिए मेडिकल टीम जागरूक भी करती है। -डॉ. सी. राम, ब्लॉक सीएमएचओ

बहुत 'शातिर' है ये पांचवीं पास महिला डॉक्टर

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जयपुर। एसएमएस अस्पताल परिसर में डॉक्टर बनकर घूमने वाली एक महिला को मोतीडूंगरी पुलिस ने गुरुवार को पकड़ लिया। उसको डॉक्टरों के एप्रिन व गले में स्टेथस्कोप लटकता देखकर लोग धोखा खा गए थे। गुरुवार को उसका पति उसे लेने आया तो वह झगड़ने लगी। अस्पताल परिसर में मजमा लग गया। सूचना पर एसएमएस अस्पताल पुलिस चौकी वाले दंपती को पकड़कर ले आए।


प्रारंभिक पूछताछ में महिला ने खुद को फोर्टिस अस्पताल की डॉक्टर बताते हुए पति को पहचानने से इनकार कर दिया। जानकारी के अनुसार राजवंती काफी समय से एप्रिन पहने अस्पताल परिसर में घूमती देखी जा रही थी। शक होने पर पुलिस ने उससे गले में टंगे स्टेथस्कोप का नाम पूछा, तो उसने थर्मामीटर बताया।


बाद में, रामलाल ने बताया कि राजवंती उसकी पत्नी है। वह पांचवीं पास है। वह दो ढाई वर्ष से गांव छोड़कर शहर में आ गई। मामला पेचीदा होने पर राजवंती ने बताया कि वह पति के साथ नहीं रहना चाहती। उसने गांव में खुद को डॉक्टरी की पढ़ाई करने की जानकारी दे रखी है। वह सांगानेर में किराए से रहती है। पुलिस ने बताया कि राजवंती का रिश्तेदार एसएमएस अस्पताल में कर्मचारी है। राजवंती को सीआरपीसी की धारा 109 में गिरफ्तार किया गया है।

दारिया एनकाउंटर मामला: निलंबित एडीजी जैन की संपत्ति कुर्क होगी


जयपुर। सीबीआई मामलों की विशेष अदालत ने दारिया एनकाउंटर केस में भगोड़ा घोषित एडीजी अरविन्द कुमार जैन की संपत्ति कुर्की करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने ये आदेश केस के अनुसंधान अधिकारी डीएसपी संतोष कुमार के प्रार्थना पत्र पर दिए। डीएसपी ने अन्य आरोपी अरशद अली, राजेश चौधरी, जुल्फिकार अली, अरविन्द भारद्वाज व विजय कुमार चौधरी की भी संपत्तियों को कुर्क करने की मांग की थी।

सूत्रों के अनुसार सीबीआई ने अदालत के समक्ष पहली सूची पेश कर जैन के उदयपुर स्थित भूखंड व एक मारुति कार का हवाला दिया था। केस के अन्य आरोपियों की संपत्ति कुर्की के संबंध में सुनवाई 20 अगस्त को होगी। सीबीआई ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ अदालत ने 14 मई को स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे।

जैन व अली के खिलाफ 8 जुलाई को स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी कर उन्हें भगोड़ा घोषित किया था। सीबीआई ने आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास किए, लेकिन वे पकड़े नहीं जा सके, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 8 जुलाई, 2011 के आदेश से उन्हें एक महीने में गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है और वहां पर मामले की सुनवाई 12 सितंबर को होगी।

सरकार के रिकॉर्ड में जैन के पास कोई संपत्ति नहीं

कार्मिक विभाग की ओर से ऑनलाइन किए गए आईएएस-आईपीएस अफसरों की संपत्ति के ब्यौरे में एके जैन के नाम कोई संपत्ति नहीं है। जैन ने एक जनवरी 2011 को सरकार को जो संपत्ति ब्यौरा उपलब्ध कराया था, उसमें एक भूखंड उनकी पत्नी अन्नू जैन के नाम जरूर है, लेकिन यह भूखंड भी जैन की सास ने उनकी पत्नी को गिफ्ट किया था।

नीदरलैंड के इस होटल में मनाइये तलाक का बड़ा जश्न


एम्सटर्डम। अब तक लोग केक काटकर या छोटी-मोटी पार्टी कर तलाक का जश्न मनाते थे। लेकिन अब जश्न और बड़ा होगा। नीदरलैंड्स में एक शख्स ने तलाक लेने वालों के लिए एक खास होटल जो खोला है। यह शादीशुदा जोड़ों को तलाक दिलाने में मदद करता है। दुनिया का यह पहला ऐसा होटल है जहां प्यार के कोई अफसाने नहीं लिखे जाते हैं। बल्कि जिस दंपती को तलाक चाहिए वह यहां जाकर आसानी से तलाक ले सकता है।



वकील और मनोवैज्ञानिक भी रहते हैं मौजूद



इस होटल को खास बनाने के लिए यहां एक नोटरी पब्लिक, दोनों पक्षों के लिए वकील और मनोवैज्ञानिक मौजूद रहते हैं। इनकी मौजूदगी में तलाक प्रकिया को आसान और बिना तनाव वाला बनाया जाता है। अगर संपत्ति का विवाद है तो उसे भी निपटाने के लिए संपत्ति एजेंट की सेवा ली जा सकती है।



होटल के पैकेज की कीमत करीब 1,58,000 रुपए हैं। इसमें रहना और कानूनी खर्चे शामिल हैं। इस होटल को नीदरलैंड्स के रहने वाले 32 वर्षीय जिम हाल्फेंस ने खोला है। होटल का नाम तलाक होटल है। यह खास तरह के पैकेज उन लोगों को देता है जो अपनी शादी तोडऩा चाहते हैं।



हाल्फेंस कहते हैं कि अभी तक 10 जोड़ों ने होटल का ऑफर लिया है और लोगों की रूचि इस होटल में बढ़ रही है। इस होटल में जल्द से जल्द कानूनी तौर पर तलाक लेने के अवसर मुहैया कराए जाते हैं। तलाक के बाद जोड़ों के वित्तीय मुद्दे सुलझाए जाते हैं और फिर उसके बाद नई जिंदगी जीने के लिए मनोवैज्ञानिक कोचिंग दी जाती है।

जिसकी बीवी मोटी उसका भी बड़ा नाम है...लेकिन गोद में नहीं उठेगी


लंदन। एरिजोना की 32 वर्षीय सुसेन एमान दुनिया की सबसे मोटी महिला बनने की ओर बढ़ रही हैं। फिलहाल उनका वजन 330 किलो है। लेकिन उन्हें इसकी चिंता नहीं है और वह इस साल के अंत तक अपना वजन बढ़ाकर 730 किलो कर लेना चाहती हैं। इसके लिए वह प्रतिदिन 20,000 कैलोरी ले रही हैं। उनसे पहले न्यू जर्सी की 43 वर्षीय डोना सिंपसन (317 किलो) भी ऐसी ही कोशिश में लगी हैं।



बहरहाल सुसेन चाहती हैं कि वह 730 किलो की पुरानी रिकॉर्ड होल्डर का रिकॉर्ड जल्ज से जल्द तोड़ें। उन्होंने कहा ‘मेरा अगला लक्ष्य 361 किलो वजन और बढ़ाना है। जिस गति से यह बढ़ रहा है इससे लगता है कि मैं 41 या 42वें वर्ष में अपना लक्ष्य पूरा कर पाऊंगी।



सुसेन महीने में एक बार ही अपने 16 और 12 साल के दो बच्चों के साथ सुपरमार्केट जाती हैं। छह ट्रॉली भरकर सामान लाने के लिए आठ घंटे वहां बिताती हैं। ‘मैं जितनी मोटी होती जाती हूं, मुझे उतनी ही खुशी मिलती है।’वह नाश्ते में मक्खन के साथ छह अंडे, आधा पाउंड मांस, 4 आलू, छह टोस्ट मक्खन के साथ, 2 लीटर सॉफ्ट ड्रिंक और सैंडविच लेती हैं।




दूसरी मंजिल की खिड़की में कैसे जा फंसा यह बड़ा ट्रक



किसी बिल्डिंग की दूसरी मंजिल से लटकता हुआ ट्रक अगर आपको दिखाई दे तो आप इसे क्या समझेंगे ? न्यूयार्क में कुछ ऐसा ही हुआ।



एक इमारत की दूसरी मंजिल पर ड्राइवर ने अपने ट्रक से दीवार में टक्कर मार दी। उसके बाद का नजारा जिसने भी देखा, उसने दांतो तले अंगुलियां दबा ली। ट्रक दीवार को तोड़ता हुआ बाहर निकल गया।



ड्राइवर की किस्मत अच्छी थी कि ट्रक का पिछला हिस्सा इमारत की खिड़की में अटक गया, जिसके कारण ट्रक जमीन पर नहीं गिरा और हवा में लटकता रहा।



एक प्रत्यक्षदर्शी फ्रैंक अल्मोना ने बताया "मैंने एक बड़े धमाके की आवाज सुनी। जब मैंने देखा तो पाया कि एक बड़ा ट्रक इमारत की खिड़की से बाहर लटका हुआ है और उसका ड्राइवर मदद की गुहार कर रहा है।"



मौके पर पहुंची रेस्क्यू टीम ने ड्राइवर को ट्रक से बाह निकाल अस्पताल पहुंचाया। उसकी गर्दन और पीठ में चोटें आई हैं।




इंडिया की सोच: क्‍या नौकरशाह अटका रहे हैं जन लोकपाल बिल?


भ्रष्‍टाचार रोकने के लिए मजबूत लोकपाल बनाए जाने की मांग लेकर अन्‍ना हजारे अनशन पर हैं। शुरुआती जंग में सरकार कदम दर कदम पीछे हट रही है। फिर भी जन लोकपाल अभी आ पाएगा, ऐसा विश्‍वासपूर्वक नहीं कहा जा सकता। अन्‍ना जिस लोकपाल की मांग कर रहे हैं, वह बन गया तो सबसे ज्‍यादा खतरा नौकरशाहों को ही रहेगा। तो क्‍या अन्‍ना की राह में नौकरशाही भी रोड़े अटका रही है? अफसरशाही को कैसे भ्रष्‍टाचार के चंगुल से छुड़ाया जा सकता है? इन सवालों पर क्‍या है इंडिया की सोच? पढ़ें पूर्व आयकर आयुक्‍त विश्‍वबंधु गुप्‍ता और पूर्व सीबीआई प्रमुख जोगिंदर सिंह के विचार और फिर अपने कमेंट व वोट के जरिए जानें-बताएं इंडिया की सोच:

आज देश में दो तरह का भ्रष्‍टाचार है। एक तो आम जनता से जुड़ा भ्रष्‍टाचार, जिससे जनता रोज मर्रा की जिंदगी में जूझती है। इसे आप 'रूटीन करप्‍शन' कह सकते हैं। और दूसरा, सत्‍ता सुख भोगने वाले नेताओं की सोची-समझी योजना के तहत किया जाने वाला भ्रष्‍टाचार। इसे आप 'प्‍लैन्‍ड करप्‍शन' की श्रेणी में रख सकते हैं। नौकरशाही की भूमिका दोनों ही तरह के भ्रष्‍टाचार में अलग-अलग है। राशन कार्ड बनाने, जाति प्रमाण पत्र जारी करने, बिजली कनेक्‍शन जारी करने, स्‍कूल-कॉलेज में दाखिला आदि में होने वाला भ्रष्‍टाचार रूटीन करप्‍शन के तहत आता है। इसमें नौकरशाहों की भूमिका ज्‍यादा होती है और उनका फायदा भी ज्‍यादा है।

मोटे अनुमान के आधार पर कहा जाए तो इसमें करीब 70 फीसदी रकम नौकरशाहों की जेब में जाती है। दूसरी ओर, 2जी घोटाला, सीडब्‍ल्‍यूजी घोटाला, खाद्यान्‍न घोटाला, नोएडा जमीन घोटाला आदि प्‍लैन्‍ड करप्‍शन हैं। सस्ता अनाज विदेश में बेचना, फिर बाहर से मंगा कर यहां जनता को महंगे में खरीदने पर मजबूर करना भी इसी तरह का भ्रष्‍टाचार है। उदारीकरण का दौर शुरू होने के बाद से खाद्यान्‍न, रियल एस्‍टेट, रक्षा, दूरसंचार तमाम क्षेत्रों में इस तरह से भ्रष्‍टाचार किया जा रहा है और हजारों, लाखों करोड़ के वारे न्‍यारे किए जा रहे हैं। इसमें नेताओं (संबंधित विभाग के मंत्रियों) की भागीदारी और हिस्‍सेदारी ज्‍यादा होती है। मोटे अनुमान के आधार पर कह सकते हैं कि ऐसे घोटालों में नेताओं की जेब में 75 से 90 फीसदी तक रकम चली जाती है।

मुश्किल यह है कि दोनों ही तरह के करप्‍शन में बढ़ोतरी हो रही है। रूटीन करप्‍शन में रिश्‍वत की रकम बढ़ रही है, तो प्‍लैन्‍ड करप्‍शन में घोटालों के नए-नए तरीके ईजाद हो रहे हैं। भ्रष्‍टाचार रोकने की जिम्‍मेदारी सरकार पर है। पर मंत्री 'प्‍लैन्‍ड करप्‍शन' में लगे होते हैं। उनका ध्‍यान रूटीन करप्‍शन पर जाता ही नहीं है। नतीजतन नौकरशाहों को बेखौफ होकर भ्रष्‍टाचार करने की छूट मिली हुई है। इस तरह भ्रष्‍टाचार बढ़ता ही जा रहा है। नौकरशाहों को मिलने वाला राजनीतिक संरक्षण नौकरशाही में भ्रष्‍टाचार बढ़ने का मुख्‍य कारण है। नौकरशाहों में कार्रवाई का कोई डर नहीं रह गया है। इसके दो प्रमुख कारण हैं। एक तो भ्रष्‍टाचार विरोधी कानून के अमल में सुस्‍ती और दूसरा, मंत्रियों की भ्रष्‍टाचार हटाने में नहीं है कोई दिलचस्‍पी। रूटीन करप्‍शन की बात करें तो ऐसे मामलों में कोई समीक्षा नहीं होती। इसलिए भी नौकरशाह खुल कर रिश्‍वत लेते हैं।

प्‍लैन्‍ड करप्‍शन की बात करें तो जो नेता कानून बनाते हैं, किसी न किसी रूप में उस पर अमल भी उन्‍हीं के हाथों में होता है। भ्रष्‍ट नौकरशाह के खिलाफ कार्रवाई का आदेश सरकार के मंत्री ही देंगे। ऐसे में कार्रवाई की इजाजत ही नहीं मिलती। सीबीआई के पास एक हजार से भी ज्‍यादा नौकरशाहों के भ्रष्‍टाचार की रिपोर्ट है, लेकिन उनके खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई। भ्रष्‍ट नौकरशाहों पर नकेल कसने में सबसे बड़ी बाधा है सीबीआई का स्‍वतंत्र अस्तित्‍व नहीं होना। सीबीआई पीएमओ के अधीन है और पीएमओ को नौकरशाह और सरकार का मुखिया चलाता है। यानी जिन पर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगते हैं, वही भ्रष्‍टाचार की जांच करने वाली एजेंसी के नियंता बने बैठे हैं।

भ्रष्‍टाचार हटाने के लिए सबसे पहले नौकरशाहों में खौफ पैदा करना होगा और सीबीआई को स्‍वतंत्र एजेंसी बनाना होगा। इसके बाद मंत्रालयों और मंत्रियों के सारे अधिकार खत्‍म करने होंगे। इनकी जगह हर क्षेत्र के लिए अलग-अलग स्‍वतंत्र निकाय के रूप में निगरानी तंत्र बनाना होगा। दूरसंचार के क्षेत्र में सरकार ने एक नियामक संस्‍था (ट्राई) बनाई है, लेकिन यह शुरुआत भर है। रियल एस्‍टेट, खाद्यान्‍न, स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा आदि से जुड़े क्षेत्रों में तत्‍काल नियामक संस्‍था बनाने की जरूरत है, जो सरकार के प्रभाव से मुक्‍त और जनता के प्रति जवाबदेह होकर फैसले ले और उन पर अमल कराए।

फैक्‍टफाइल

1. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की एक स्‍टडी के मुताबिक 50 फीसदी भारतीयों को सीधे तौर पर सरकारी दफ्तर में अपना काम निकलवाने के लिए रिश्‍वत देनी होती है।

2. स्‍टडी के मुताबिक भारत की नौकरशाही थाइलैंड, द. कोरिया, मलेशिया, ताइवान, वियतनाम, इंडोनेशिया,‍ फिलीपींस जैसे अपेक्षाकृत कम विकसित देशों की तुलना में न केवल कम सक्षम है, बल्कि इनसे काम करवाने में काफी मुश्किल होती है और वक्‍त भी ज्‍यादा लगता है।

3. एक अन्‍य अध्‍ययन के मुताबिक 91 फीसदी मामलों में घूस की मांग करने वाले सरकारी अफसर ही होते हैं।

4. 92 फीसदी मामलों में भ्रष्‍टाचारी नकद रिश्‍वत ही चाहते हैं। 5 फीसदी किसी तोहफे के रूप में घूस लेना पसंद करते हैं, जबकि सिर्फ 1 फीसदी मामलों में बतौर रिश्‍वत मेहमाननवाजी, सैर-सपाटा आदि की मांग की जाती है।

5. अखिल भारतीय सेवा और ग्रुप 'ए' रैंक के अफसरों को लोकपाल के दायरे में लाने का प्रस्‍ताव किया गया है।

आज क्यूँ हैं ......

आज़ाद भारत की सरकार
आज क्यूँ हैं
ईमानदारी..इन्साफ की दुश्मन ॥
यह तो वोह शे है
जो सरकारी चमचों के अलावा
हर भारतीय के दिलों में
पायी जाती है .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हजार आंधियां चलें ......

हजार आंधियां चलें
हजार हों ज़ुल्मो सितम
लाख बिजलियाँ गिरे
लाख लगाई जाए बंदिशें
फिर भी
इंसाफ की लड़ाई में
जो जीत होना है
वोह तो होकर ही रहेगी ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अन्‍ना कल जाएंगे रामलीला मैदान, पुलिस करेगी रिकॉर्डिं

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नई दिल्‍ली. अन्‍ना हजारे अब गुरुवार को भी तिहाड़ जेल में ही रहेंगे। पहले उनके रामलीला मैदान पहुंचने का काय्रक्रम था, लेकिन अब वह शुक्रवार को रामलीला मैदान जाएंगे। टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को जानकारी दी कि रामलीला मैदान अभी अनशन के लिए तैयार नहीं है। इससे पहले टीम अन्ना की एक और सदस्य किरण बेदी ने रामलीला मैदान में चल रहे साफ-सफाई के काम का जायजा लिया। बेदी ने ट्विट कर बताया कि उन्‍होंने रामलीला मैदान की तैयारियों का जायजा लिया। उन्‍होंने कहा, ‘मैदान में लाइटिंग, साउंड, टेंट, स्‍क्रीन और बैरीकेड आदि लगाने में पूरा दिन लग जाएगा।’ अरविंद केजरीवाल ने पहले ही साफ कर दिया है कि रामलीला मैदान जब तक पूरी तरह तैयार नहीं हो जाता, तब तक वहां टीम अन्‍ना का अनशन का कार्यक्रम शुरू नहीं होगा।

पुलिस ने अन्ना की शर्ते तो मान ली हैं लेकिन इसके साथ-साथ पुलिस ने अन्ना के अनशन का वीडियो रिकॉर्डिंग बनाने का भी फैसला लिया है। रामलीला मैदान में अनशन के दौरान बड़े पैमाने पर पुलिस के हाथों में कैमरे दिए जाएंगे, ताकि पुलिस चप्पे-चप्पे की जानकारी रख सके।

अनशन के लिए मिली इजाजत को सरकार और प्रशासन की हार और देश की जनता की जीत करार देते हुए केजरीवाल ने कहा कि यह तो जंग की शुरुआत है। अभी पूरी लड़ाई बाकी है। केजरीवाल ने आज पत्रकारों से बातचीत में कहा कि रामलीला मैदान में 18 अगस्‍त से 15 दिन के लिए अनशन-धरना की इजाजत पुलिस ने दे दी है और यह आश्‍वासन भी दिया है कि जरूरत पड़ी तो अवधि बढ़ाई जा सकती है। केजरीवाल के मुताबिक अन्‍ना हजारे के स्‍वास्‍थ्‍य की जांच हुई और वह बिल्‍कुल स्‍वस्‍थ हैं। जेल के डाक्‍टर निगरानी कर रहे हैं।

केजरीवाल ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'हमें समझ नहीं आता कि यदि सात दिन तक शांति भंग की आशंका थी तो 2 घंटे में ही अन्‍ना को कैसे छोड़ने का फैसला कर लिया गया। क्‍या सरकार किसी को मनमर्जी से जेल में डाल सकती है। ये किस तरह का कानून है, ये कैसा लोकतंत्र है। क्‍या हम खिलौने हैं कि जब मर्जी आए यहां से उठाकर वहां रख दो।’ केजरीवाल ने कहा कि अन्‍ना जी भी इसी बात से गुस्‍से में थे और वह अड़े कि जब सरकार ने अपनी मर्जी से जेल में डाल दिया तो अब बाहर अपनी मर्जी से जाएंगे।
उधर, श्रीश्री रविशंकर अन्‍ना हजारे के समर्थन में जारी आंदोलन में शुक्रवार को सीधे तौर पर उतर रहे हैं। वह शाम को बेंगलुरू में प्रदर्शन का नेतृत्‍व करेंगे। उन्‍होंने शाम को फ्रीडम पार्क पहुंचने के लिए लोगों से अपील की है। श्री श्री गुरुवार को अन्‍ना से मिलने तिहाड़ जेल भी गए थे।
'डॉक्‍टरों को देख भड़के अन्‍ना'
बुधवार रात तिहाड़ जेल के बाहर अचानक दो एंबुलेंस देखकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठने लगे थे। केजरीवाल ने इस बारे में कहा कि रात में जीबी पंत अस्‍पताल से डॉक्‍टरों की टीम अन्‍ना के स्‍वास्‍थ्‍य की जांच करने गई थी। लेकिन अन्‍ना ने कहा कि वह बिल्‍कुल स्‍वस्‍थ हैं। उन्‍होंने अन्‍ना के हवाले से कहा कि इतने डॉक्‍टरों की क्‍या जरूरत थी। अन्‍ना को आशंका थी कि ये गलत रिपोर्ट बनाकर अस्‍पताल में भर्ती करना चाहते हैं। अन्‍ना ने डॉक्‍टरों से कहा, किसने कहा कि मेरी तबीयत खराब है। मैं अभी दो किलोमीटर चलकर दिखा सकता हूं।’ इसके बाद डॉक्‍टर नरेश त्रेहान को अन्‍ना के स्‍वास्‍थ्‍य की जांच के लिए बुलाया गया। उन्‍होंने अन्‍ना की जांच करने के बाद बताया कि अन्‍ना पूरी तरह स्‍वस्‍थ हैं। डॉ. त्रेहान इससे पहले भी अन्‍ना के स्‍वास्‍थ्‍य पर नजर रखते रहे हैं।

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