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19 अगस्त 2011

अन्ना की आंधी से निपटने का कोंग्रेस को हम देते हैं फार्मूला

दोस्तों सभी जानते हैं के भ्रष्टाचार के मामले में कोंग्रेस ने अपना अस्तित्व खो दिया है ..देश की जनता और वोटर्स का विशवास खो दिया है फिर अन्ना के संघर्ष से निपटने के लियें कोंग्रेस के कुछ कथित नोसिखिये टुच्चे नेताओं ने कोंग्रेस के ताबूत में आखरी कील ठोक दी है ..एक तरफ राहुल गाँधी युवाओं को कोंग्रेस से जोड़ने की कोशिशों में जुटे हैं तो उत्तर प्रदेश के चुनाव सर पर है ऐसे में कोंग्रेस की कारगुजारियों से हर तरफ थू थू है .में खुद कोंग्रेसी हूँ कोंग्रेसी वोटर हूँ इसलियें मुझे एक हिन्दुस्तानी भारतीय होने के नाते कोंग्रेस की इस बर्बादी पर सबसे ज्यादा चिंता और दुःख है ॥
दोस्तों कोंग्रेस चाहे तो अभी भी इस आंधी से निपट सकती है ...........सोनिया जी इन दिनों विदेश हैं उनका इस्तेमाल किया जा सकता है सोनिया जी देश में आयें हालात से निपटने के लियें खुद दखल दे और अन्ना का जो जन समर्थित लोकपाल बिल है उसे लोकसभा में रखवाएं इमानदारी से बहस हो जो संशोधन संभव हों किया जाए लेकिन जनता की आवाज़ बहस के लियें संसद में राखी जाए .कोई भी संसद जनता से बड़ी नहीं जनता जनार्दन है और कोंग्रेस संसद से बढा जनता को समझती है जनता में यह संदेश देना होगा ........दुसरा कोंग्रेस को भ्रस्टाचार मामले में अपनी खोयी हुई प्रतिष्ठा को वापस प्राप्त करने के लियें मनमोहन सिंह को हटा कर मंत्रिमंडल में फेरबदल करना होगा .राहुल गाँधी को प्रधानमन्त्री बनाया जाए और मनमोहन को अगले साल राष्ट्रपति का पद खाली होने पर राष्ट्रपति की सीट ऑफर कर खामोश किया जाए तब कहीं जाकर कोंग्रेस के मुर्दा जिस्म में वापस से जान आने की संभावना है खेर कोंग्रेस तो कोंग्रेस है यहाँ चापलूसों का जमावड़ा है लेकिन अगर अभी कोंग्रेस नहीं संभली तो कोंग्रेस का एक विभाजन तय है और कोंग्रेस बेजान मुर्दा से एक तरफ अलग थलग राजनीति रहेगी पहले ५४४ सीटों से ४०० सीटों पर चुनाव लड़ रही है क्षेत्रीय दलों से समझोते कर रही है अब तो ढूंढते रहने की नोबत आने वाली है .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मौत की कोठरी में नौ माह, महिला की आंख तक खा गए कीड़े-मकोड़े


सीतापुर। जिले के छरेटा थाने के बिजमाऊ गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना हुई। यहां एक महिला को उसके पति और ससुराल वालों ने नौ महीने तक कमरे में बंधक बनाकर यातनाएं दीं। महिला के शरीर में कीड़े लग गए। कीड़े-मकोड़े उसकी आंखें तक खा गए। बेटी के पिता ने इस खौफनाक मंजर को देखा तो उनकी भी हत्या कर लाश को पेड़ पर लटका दिया गया। पिता की हत्या के बाद बेटी ने भी दम तोड़ दिया।

जानकारी के मुताबिक, गुड़िया की कुछ साल पहले ही शादी हुई थी। ससुरालवालों ने उसको घर में कैद कर दिया। उसके पूरे शरीर में कीड़े लग चुके थे। आंखें कीड़े कुतर कर खा चुके थे। शरीर पर पड़ा कंबल उठाया गया तो उसके बाहर तक कीड़े निकल रहे थे। आखिरकार उसने दम तोड़ दिया।

गुड़िया का इलाज कर रही डॉक्टर सरला के मुताबिक, लड़की को जब यहां लाए थे तो उसके शरीर में बहुत कीड़े थे। उसकी आंखों को भी कीड़ों ने खा लिया था। उसकी हालत काफी खराब थी।

गुड़िया के भाई के मुताबिक, परिवार इस घटना के बारे में जानता नहीं था। जब पिता को पता चला तो वह बेटी से मिलने उसके घर गए। गुड़िया अंधेरे कमरे में जिंदा लाश की तरह मिली जो धीरे-धीरे कीड़ों का निवाला बन चुकी थी। बिटिया की ये हालत देखकर पिता ने ससुराल वालों को जेल भेजने की धमकी दी। इस पर ससुराल वालों ने पीट-पीट कर उन्हें मार डाला।

एसएसपी बालेंदु भूषण सिंह के मुताबिक, गुड़िया के ससुरालवालों पर केस दर्ज कर लिया गया है। दोषियों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया।

सांप काटने से मरा लड़का 12 साल बाद हुआ जिंदा, चौंक गए लोग!



बिजनौर। यह कहानी किसी हिन्दी फिल्म के पटकथा सरीखी है। पर है सौ फीसदी सही। जिले के काजीवाला गांव का रहने वाला डाल चन्द्र बारह साल पहले मरने के बाद घर लौट आया। उसे देख घर वाले भौंचक्के रह गए। जिस डाल चंद्र को उन्होंने मरने के बाद जल में प्रवाहित कर दिया था, वह उनके सामने खड़ा था। घर वालों को यकीन नहीं हो रहा था, पर जब यकीन आया तो पूरा परिवार खुशियों से झूम उठा।

तुलाराम के बेटे डाल चन्द्र को घर आने की सूचना देखते ही देखते पूरे गांव में फैल गई। पूरा गांव उसके घर के सामने जमा हो गया। दरवाजे पर डाल चन्द्र को खडा देख घर वाले विस्मित रह गये। उसके साथ एक सपेरा भी था जिसके साथ डाल चन्द्र बारह साल रहा।

जानकारी के मुताबिक, डाल चन्द्र को 9 जून 1999 को सांप ने काट लिया था। डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। गांव की परम्परा के अनुसार सांप काटने से मरे व्यक्ति को जलाया नहीं बल्कि पानी में बहा दिया जाता है। इसी परम्परा के अनुसार डाल चन्द्र को भी नदी में बहा दिया गया।

उसके साथ आये सपेरे रमेश नाथ ने कहा कि डाल चन्द्र उसे नदी में बहता मिला तो उसका जडी बूटिंयों से ईलाज किया गया। कुछ महीने में वह ठीक हो गया लेकिन उसकी याददाश्त जाती रही।

भीख मांगते आज वह अपने गांव के समीप पहुंचा तो उसे सभी बातें याद आ गयी और वह घर पहुंच गया। जब डाल चन्द्र को सांप ने काटा था तब उसकी उम्र बीस साल थी और अब वह 32 साल का है।

रिक्शा चालक की इस कामयाबी को सुन आश्चर्यचकित हैं लोग!

बस्ती। 'कौन कहता है आसमा में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो' दुष्यन्त कुमार की यह लाईन जीवन की दिशा बदल देगी ऐसा तो इस रिक्शा खींचने वाले ने भी नहीं सोचा था। अपने मन में जबरदस्त हौसला रखे इस गरीब मुस्लिम रिक्शा चालक ने राम और रहीम की कवितायें लिखकर साहित्य में वह मुकाम हासिल किया पहुंच पाना काफी मुश्किल होता है।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में बस्ती जिले के धवाएं गांव के रहने वाले रहमान बेहद गरीब हैं और रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण बडी मुश्किल से कर पाते हैं। चूंकि रहमान गरीब रिक्शा चालक हैं इसलिए समाज में उन्हें उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता है लेकिन बुलंद हौसलों के धनी रहमान इन सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए समय के चक्र के साथ अपनी कला को बढाते जा रहे हैं।

बचपन से ही साहित्य में रुचि रखने वाले रहमान इण्टर की परीक्षा पास करने के बाद थियटरों में छोटा मोटा काम करने लगे। वहां उन्हें कुछ काम भी मिल जाता था। रहमान रामलीला के पात्रों को देखा करते और उनका गहन अध्ययन भी करते थे। यहीं से रहमान की रुचि श्रीकृष्ण. राम. रहीम. कबीर और अन्य सामाजिक मामलों में बढी।

रहमान की यही सोच उन्हें साहित्य के क्षेत्र में ले आई और वह रिक्शा चलाते हुए कविताएं लिखने लगे। रहमान ने अभी तक तीन पुस्तकें लिखीं हैं। पहली पुस्तक है, रहमान राम नाम का प्यारा, दूसरी .मत व्यर्थ करो पानी को. और तीसरी एक कविता संग्रह है। रहमान को साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने पर सरकार और कई गैर सरकारी संस्थाओं ने सम्मान तो दिया लेकिन सहयोग के रुप में रहमान को निराशा ही हाथ लगी।

रहमान बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे अपनी किताबों को छपवाकर उन्हें बाजार तक पहुंचा सके। छत्तीस सालों से रिक्शा चला रहे रहमान ने समाज के सभी पहलुओं को अपनी कविता के माध्यम से पेश किया है लेकिन उन्हें दरकार है मदद की।

रहमान कहते हैं कि रिक्शा चलाने से ही उनके परिवार का पेट भरता है लेकिन साहित्य उन्हें मानसिक खुराक देती है। हालांकि उनकी यह रूचि परिवार वालों को नागवार गुजरती है। रहमान को सम्मान तो बहुत मिले लेकिन समाज और सरकार से आर्थिक मदद नहीं मिली।

छंद. मुक्तक. दोहे और देशभक्ति गीत रहमान के साहित्य के प्रमुख अंग हैं। उन्होंनें सभी जातियों .सम्प्रदाय को अपने साहित्य के माध्यम से एक धागे में पिरोने का काम किया है। रहमान की आखिरी इच्छा यही है कि उसकी कविताओं को हिन्दी साहित्य में जगह मिल जाये।

भीड़ के इस अंधे इंसाफ को सुन दहल गया लोगों का दिल!


फिरोजाबाद। जिले में चोरी करने आए हथियारबंद लोगों में से एक को भीड़ ने पकड़कर कथित रूप से इस कदर पीटा कि उसकी मौत हो गई। यह घटना शिकोहाबाद कस्बे की है, जहां स्थानीय भीड़ की पिटाई से बदमाश देशराज (39) की मौत हो गई। वह फिरोजाबाद का ही रहने वाला था।

शिकोहाबाद कोतवाली प्रभारी पी.एस. सेंगर ने बताया कि देशराज अपने साथियों के साथ देर रात स्थानीय व्यक्ति सत्यदेव सिंह की साइकिल की दुकान का ताला तोड़कर चोरी कर रहा था। इस दौरान लोगों को इसकी भनक लग गई और उन्होंने चोरों को घेर लिया। तीन चोर तो हवा में गोलियां चलाते हुए भाग गए लेकिन देशराज को भीड़ ने पकड़कर डंडों से पीटना शुरू कर दिया।

सेंगर के मुताबिक इस दौरान कुछ लोगों के बीच-बचाव किए जाने से घायल देशराज भी मौका पाकर भाग गया। रविवार सुबह प्रोफेसर कॉलेनी के पास उसका शव पड़ा मिला।

कोतवाली प्रभारी ने कहा, "चोर की मौत भीड़ के पिटाई से हुई है। कानून को हाथ में लेने वाले अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।

बहते नाले में उसे देख इलाके में मच गया हड़कम्प


बुलंदशहर। शहर के ईदगाह रोड के नाले में एक नवजात बालिका मिलने से कस्बे में सनसनी फैल गई। सैंकड़ों की संख्या में लोग वहां पहुंच गए। नाले में पड़ी नवजात बच्ची को देखकर अचरज भरी निगाहों से लोग निहारते रहे, लेकिन किसी ने उसे अस्पताल तक ले जाने की जहमत नहीं उठाई।

तभी एक महिला की ममता जागी और उसने नवजात को गले लगा लिया। उसने नवजात को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर भर्ती कराया जहां से उपचार के बाद महिला उसे अपने साथ ले गई। नवजात के नाले में मिलने की घटना कस्बे में चर्चा का विषय बनी हुई है।

कहा जा रहा है कि एक अज्ञात अविवाहित लड़की बच्ची को ईदगाह रोड स्थित नाले में एक बोरे में बंद कर फेंककर गायब हो गई। नाले के पास कुछ महिलाएं घास काटने आई थी। महिलाओं को नाले में बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। महिलाएं दौड़कर नाले में पड़े एक बोरे में बंद बच्ची को बाहर निकाला तो बालिका जीवित थी। इस दौरान वहां लोगों की भीड़ जमा हो गई। नवजात के मिलने की जानकारी कस्बे में आग की तरह फैल गई।

बच्ची को गोद लेने वाली राजवती की छह संताने हैं। जिनमें तीन बेटे और तीन बेटियां हैं। बेटियों की शादी कर चुकी है, जबकि एक बेटे की भी शादी कर चुकी है। नवजात को अब वह अपनी बेटी मान चुकी है।

भुतहा कमरा, खौफनाक मंजर, अंदर आने में कांप जाती है पुलिस!

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देवरिया। बड़े-बड़े अपराधियों और नक्सलियों का सामना कर उनके छक्के छुड़ाने वाली वाली उत्तर प्रदेश पुलिस एक थाने के 'भुतहा कक्ष' से डरती है। डर इस कदर कि कोई उसमें जाना नहीं चाहता, जिसके कारण यह पिछले 10 साल से खाली पड़ा है।

देवरिया जिले के तरकुलवा पुलिस थाने के प्रभारी (एसएचओ) का कार्यालय 2001 से ही बंद पड़ा है। कहा जाता है कि यहां एक मौलाना की आत्मा का वास है। जो भी इसमें काबिज होने की इच्छा करता है उसका नुकसान हो जाता है।

तरकुलवा थाने के वर्तमान प्रभारी उपेंद्र यादव ने कहा, "सालों से इसी डर के कारण कोई भी प्रभारी इस कक्ष में जाने का प्रयास नहीं करता। अपने पूर्व अधिकारियों की तरह मैं भी इस कक्ष का प्रयोग नहीं करता।" छह महीने पहले कानपुर से स्थानांतरित होकर यहां आए यादव सुसज्जित कार्यालय होने के बावजूद थाने के एक बरामदे में कुर्सी-मेज लगवाकर सरकारी कामकाज निपटाते हैं।

थाने के कर्मचारियों के मुताबिक, जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने तरकुलवा थाने के प्रभारियों को कक्ष से कामकाज करने के लिए प्रोत्साहित करने की हरसम्भव कोशशि की, लेकिन बात नहीं बनी। थाने के एक पुलिसकर्मी ने बताया कि पूर्व पुलिस अधीक्षक ने प्रभारी कक्ष को प्रेतात्मा से मुक्त कराने के लिए थाने में हवन और पूजा-पाठ भी करवाया था, ताकि थानेदारों के मन से भूत का डर समाप्त हो जाए और वह कार्यालय में बैठकर कामकाज कर सकें। लेकिन उनका यह प्रयास निर्थक साबित हुआ।

स्थानीय लोगों का कहना है कि थाना प्रभारी के कार्यालय में एक मौलवी मौलाना बाबा की आत्मा निवास करती है, जिसकी करीब 20 साल पहले थाने से कुछ मीटर की दूरी पर सड़क हादसे में मौत हो गई थी। स्थानीय नागरिक जी. डी. द्विवेदी के अनुसार, कहा जाता है कि गम्भीर रूप से घायल बाबा कई घंटे तक पुलिस स्टेशन के पास पड़े रहे लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली और उनकी उनकी मौत हो गई। इसके बाद उनकी आत्मा थाने में प्रभारी के कार्यालय में रहने लगी।

थाना प्रभारी उपेंद्र यादव ने इस घटना के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की और कहा, "मुझे नहीं पता कि यह कितना सही या गलत है। चूंकि इससे लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं, इसिलए मैं इसका सम्मान करता हूं।"

इस बारे में देवरिया के पुलिस अधीक्षक डी. के. चौधरी ने कहा, "समस्या के समाधान की कोशिश की जा रही है। जरूरत पड़ने पर प्रभारी कक्ष को दूसरे भवन में स्थानांतरित किया जा सकता है।

क्या आपने कभी देखा है ऐसा 'अजीब' और 'अनोखा' बच्चा?


सिद्धार्थनगर। जिले के डुमरियागंज के एक नर्सिग होम में उस समय तमाशा लग गया, जब एक अजीब और अनोखे बच्चे की किलकारी गूंजी। इस बच्चे को देखने के लिए अस्पताल में लोगों का तांता लग गया। बच्चे का सारा जिस्म तो ठीक है, लेकिन चेहरे का हिस्सा बिगड़ा हुआ है।

बच्चे की सिर्फ एक आंख है, वह भी ललाट पर, जबकि नाक आंख के ऊपर सिर के पास है। अस्पताल के डाक्टर बच्चे की स्थिति को देख भौंचक्के हैं। कोई इसे प्रकृति की देन बता रहा था, तो कोई चमत्कार।

जानकारी के मुताबिक, नौवां गांव के रहने वाले एक परिवार ने अपनी बहू को डिलेवरी के अस्पताल में भर्ती कराया। जब बच्चे ने जन्म लिया तो परिवार के लोग विचित्र बच्चे के जन्म को लेकर उदास हो गए।

अन्‍ना पर कांग्रेस में दरार? बैठक से नदारद रहे राहुल, दीक्षित ने गिरफ्तारी को बताया गलत

नई दिल्ली. अन्‍ना हजारे की गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेस में अलग सुर सुनाई पड़ने लगे हैं। पूर्वी दिल्ली से पार्टी के सांसद संदीप दीक्षित ने साफ कहा है कि अन्ना को अनशन से रोकना गलत था। उन्‍होंने कहा कि कभी-कभी सरकार भी गलती कर जाती है, लेकिन गलती को तत्‍काल मान कर उसे सुधारना चाहिए।

उधर, कांग्रेस पार्टी के भीतर से खबरें आ रही हैं कि शुक्रवार की शाम कांग्रेस कोर कमिटी की बैठक में अन्ना के आंदोलन से निपटने को लेकर माथापच्ची की गई। इस बैठक में प्रधानमंत्री के अलावा प्रणब मुखर्जी, पी. चिदंबरम जैसे नेता शामिल हुए। इस बैठक से राहुल गांधी नदारद रहे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में पार्टी ने टीम अन्ना के साथ बातचीत के तरीके पर विचार किया। इस बात पर भी राय जाहिर की गई कि टीम अन्ना से बातचीत के लिए ट्रैक टू डिप्लोमेसी का इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं।


कांग्रेस पार्टी ने अन्ना के मुद्दे पर अब तक हार नहीं मानी है। यही वजह है कि ज़मीन पर अन्ना हजारे से जंग हारने के बाद अब केंद्र की सत्ता पर काबिज कांग्रेस पार्टी अब साइबर स्पेस में जनलोकपाल आंदोलन की हवा निकालने की तैयारी कर रही है। हालांकि, इस योजना में इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि अन्ना हजारे पर सीधे तौर पर कोई हमला न हो। सूत्रों के मुताबिक मनीष तिवारी की बयानबाजी से पैदा हुई शर्मिंदगी के बाद कांग्रेस अन्ना की जगह आंदोलन को निशाने पर लेना चाहती है। कांग्रेस की कोशिश है कि आंदोलन को कानूनी दांवपेंच से पस्त किया जाए। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर, फेसबुक, यू ट्यूब और एसएमएस के जरिए लोगों तक सरकार का पक्ष रखने की तैयारी हो रही है। सरकार की कोशिश है कि इन तकनीकी माध्यमों से लोगों को बताया जाए कि अन्ना का आंदोलन किस तरह से गैरवाजिब है।
कांग्रेस ने कुछ एसएमएस भी तैयार किए हैं। इनमें से एक एसएमएस कुछ यूं है- 'मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ हूं, लेकिन मैं अन्ना नहीं हूं। मैं तानाशाह नहीं हूं जो कहे, मेरा विधेयक या फिर कोई नहीं। मैं लोकतांत्रिक तरीके में भरोसा रखता हूं। मैं किसी मौकापरस्त राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ा हूं जो अपने स्वार्थों के चलते संसद को नहीं चलने दे रही है। मुझे भारत पर गर्व है और मैं ईमानदार बनकर इसमें योगदान देना चाहता हूं। आप फैसला कीजिए कि आप अन्ना बनना चाहते हैं या फिर गौरवशाली भारतीय! इस संदेश को अपने मित्रों को फॉरवर्ड कीजिए और उन्हें फैसला लेने दीजिए कि वे क्या बनना चाहते हैं। हम 21 वीं सदी के लोग हैं और हम सोच सकते हैं।'

कैमरे में कैद हुआ यह दुर्लभ नजारा, देखने उमड़ी भीड़

नागपुर. चंद्रपुर जिले के वरोरा में आज सांपों के मिलन का यह दुर्लभ नजारा देखने भारी भीड़ उमड़ी। इस बीच मनीष चंडालिया ने इसे कैमरे में कैद किया।



नागपुर. चंद्रपुर जिले के वरोरा में आज सांपों के मिलन का यह दुर्लभ नजारा देखने भारी भीड़ उमड़ी। इस बीच मनीष चंडालिया ने इसे कैमरे में कैद किया।


कंघी' करते ही मौत के मुंह में चली जाएगी यह लड़की

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लंदन। अपने बालों को संवारना किसे अच्छा नहीं लगता। लेकिन 13 वर्षीय मीगन स्टीवर्ट बालों में कंघी करने से डरती है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर वह बालों में जोर से कंघी करेगी तो उसकी मौत हो सकती है।



दरअसल, मीगन को एक दुर्लभ बीमारी है, जिसे हेयर ब्रशिंग सिंड्रोम कहते हैं। इसी कारण वह पॉलिएस्टर और गुब्बारों को भी हाथ नहीं लगा सकती। किसी भी इलेक्ट्रिकल उपकरण को छूने भर से इस बच्ची का दिमाग कन्फ्यूज हो सकता है और काम करना भी बंद कर सकता है। ऐसा होने की स्थिति में दिमाग दिल और फेफड़ों को सिग्नल देना भी बंद कर सकता है। बचाव के लिए मीगन को स्कूल में साइंस एक्सपेरीमेंट में हिस्सा लेने की भी मनाही है।



इस समस्या का पता तब चला, जब तीन साल पहले मीगन कंघी करते-करते बेहोश हो गई थी। इस बच्ची की मुसीबतें यहीं कम नहीं होती। लंकाशायर की रहने वाली मीगन को अस्थमा है और स्ट्रीम डायसफंक्शन भी, यह एक ऐसी समस्या है, जिसमें पीड़ित का दिमाग और आंखें तेज गति वाली चीजों को देख व समझ नहीं पाते।

क्लास नहीं लेने में गर्व महसूस करते हैं शिक्षक : गहलोत

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पढ़ाने से जी चुराने वाले शिक्षकों पर मुख्यमंत्री ने उतारा गुस्सा। कहा, पेशे को बदनाम करते हैं ऐसे शिक्षक।

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बच्चों को पढ़ाने से जी चुराने वालों पर गुस्सा होकर कहा कि कई ऐसे शिक्षक हैं जो क्लास नहीं लेने में ही गर्व महसूस करते हैं। ऐसे तत्व पूरे पेशे को बदनाम करते हैं। उन्हें एक ऐसे शिक्षक की भी जानकारी है जो गर्व से यह कहना नहीं भूलता कि पिछले 28 साल से उसने एक भी क्लास नहीं ली। यह स्थिति पूरे समाज के लिए चिंताजनक है।

शिक्षा संकुल परिसर में राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल के शिलान्यास समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षकों को इस नोबल प्रोफेशन को पूरी ईमानदारी के साथ जीना चाहिए। क्लास नहीं लेने वाले शिक्षक बच्चे के साथ ही खुद का भी अहित करते हैं। गहलोत ने निजी स्कूलों के दबदबे पर कहा कि वहां अमीरों के लिए पढ़ाई आसान है। एक गरीब बेहतर ढंग से इन स्कूलों में पढ़ सके इसीलिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम में 25 प्रतिशत सीटें रिजर्व रखी गई हैं। अगले साल से इन सीटों पर हर हाल में प्रवेश सुनिश्चित किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्यादातर संस्थाएं आजकल सरकार पर निर्भर रहती हैं, ऐसे में अपने बूते आगे बढऩे वाले राजस्थान स्टेट ओपन बोर्ड की जितनी भी सराहना की जाए, कम है। केरल की तरह शिक्षा क्षेत्र में राजस्थान को ले जाने का सपना तभी पूरा हो सकता है जब सरकार के साथ ही आमजनता इस काम में उनका साथ दे। उन्होंने प्रदेश में शिक्षकों की कमी जल्द दूर करने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि 40 हजार शिक्षकों के साथ ही 25 हजार सैकंड ग्रेड शिक्षकों की अलग से भर्ती की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांवों में पर्याप्त शिक्षक लगा दिए जाएंगे, ताकि तबादलों के लिए चक्कर काटने का खेल ही खत्म हो जाए।

तबादला नीति पर जल्द लगेगी केबिनेट की मुहर : शिक्षामंत्री
शिक्षामंत्री मास्टर भंवरलाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रदेश में तबादलों को एक नियमित प्रक्रिया से पूरा करने के लिए पॉलिसी बनाई जा रही है। अधिकारियों को इस नीति को जल्द अंतिम रूप देने के निर्देश दिए गए हैं। नीति पर जल्द ही केबिनेट की मुहर लगेगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल के नए भवन पर 4.60 करोड़ रुपए खर्च होंगे और यह 11 माह में तैयार करने की योजना है। मेघवाल ने बताया कि प्रदेश में 12 लाख में से करीब सवा सात लाख ड्रॉप आउट बच्चों का नामांकन कर लिया गया है। यह अभियान वर्षभर चलेगा।
शिक्षा राज्यमंत्री का नहीं आना रहा चर्चा का विषय:
समारोह में शिक्षाराज्य मंत्री मांगीलाल गरासिया का नहीं आना चर्चा का विषय रहा। पांडाल में यह कयास लगाए जाते रहे कि कहीं शिक्षा मंत्री और उनके बीच नए सिरे से कोई विवाद तो पैदा नहीं हो गया। हालांकि मुख्यमंत्री की मौजूदगी के चलते कुछ लोगों ने इस अंदेशे को निराधार बताया।

नीलेकणी की नज़रों में अन्ना का आंदोलन गलत, वरुण की सीख- गिरेबां में झांकें नेता

नई दिल्ली. भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए मजबूत लोकपाल की मांग कर रहे अन्ना हजारे के आंदोलन पर अलग-अलग राय आने का सिलसिला जारी है। आईटी जगत के दिग्गज और यूआईडी आयोग के अध्यक्ष नंदन नीलेकणी की नज़रों में अन्ना हजारे का आंदोलन सही नहीं है। इस मुद्दे पर मीडिया में दिए गए बयान में नीलेकणी ने कहा है कि मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि लोकपाल बिल को लेकर यह आंदोलन यहां तक कैसे पहुंच गया। नीलेकणी के मुताबिक जब यह मुद्दा संसद की स्थायी समिति के पास विचार के लिए भेज दिया गया है तो हमें इस प्रक्रिया पर भरोसा दिखाना चाहिए। हमें संसदीय प्रणाली पर सवाल नहीं उठाना चाहिए। मैं यह नहीं कहता कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए मजबूत लोकपाल कानून नहीं बनना चाहिए। लेकिन यह देश को सुधारने के लिए १०-१५ उपायों में से सिर्फ एक उपाय है।

वहीं, मशहूर उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने अन्ना हजारे की जमकर तारीफ की है। महिंद्रा ने अपने अंदाज में अन्ना की तारीफ करते हुए कहा, मुझे यह देखकर अच्छा लगता है कि मीडिया को पसंद करने वाले युवा भारत के नेता की छवि बहुत खूबसूरत नहीं है। ज़िंदगी के आठवें दशक में चल रहा यह नेता धोखा देने वाले नहीं लगता है।

जबकि, राजनीतिक हलके से अन्ना के पक्ष में बयान आया है। पीलीभीत से बीजेपी के सांसद वरुण गांधी ने अन्ना हजारे के लोकपाल बिल को संसद में प्राइवेट मेंबर्स बिल के तौर पर पेश करने की इच्छा जताते हुए कहा है कि अब समय आ गया है कि देश के नेता अपने गिरेबां में झांकें। उनकी नज़रों में अन्ना का आंदोलन देश के राजनेताओं की नाकामी बताता है। वरुण का मानना है कि अन्ना के बिल में खामियां हो सकती हैं। लेकिन यह बिल सरकार की तरफ से पेश बिल से कहीं बेहतर हैं। वरुण गांधी ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा है कि उन्होंने बिल को लेकर लोकसभा में नेता, प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज से बातचीत की है। वरुण का कहना है, 'मुझे लगता है कि इस तरह से मैं अपने स्तर पर इस बिल को कानून बनाने में थोड़ी मदद कर सकता हूं।'

अन्‍ना से निपटने के सरकार के पास हैं ये 3 उपाय, 2-3 दिन में हो जाएगा समझौता!


नई दिल्‍ली. मजबूत जनलोकपाल के लिए आंदोलन चला रहे अन्‍ना हजारे के अनशन का शुक्रवार को चौथा दिन है। आज से वह रामलीला मैदान में अनशन पर बैठ गए हैं। मैदान पहुंचने पर समर्थकों को अपने पहले संबोधन में अन्‍ना ने ऐलान किया कि उनका अनशन तब तक जारी रहेगा, जब तक मजबूत जन लोकपाल बिल संसद में पेश करने की उनकी मांग मान नहीं ली जाती है। अभी उन्‍हें मैदान में सिर्फ 15 दिन तक अनशन करने की इजाजत मिली है। पर अन्‍ना जरूरत हुई तो इसके बाद भी अनशन करने पर अड़े हुए हैं। सरकार चाहती है कि जल्‍द से जल्‍द अन्‍ना का अनशन और आंदोलन खत्‍म करा दे। इसके लिए वह कई रणनीतियों पर काम कर रही है।

रणनीति नंबर 1
टीम अन्‍ना को बातचीत से मनाने की कोशिश शुरू हो गई है। इसके लिए मध्‍यस्‍थ तलाशे जा रहे हैं। सूत्र बता रहे हैं कि एनजीओ से जुड़े एक शख्‍स को जरिया बनाए जाने पर बात चल रही है। यह शख्‍स दोनों पक्ष का करीबी बताया जाता है। सरकार में कपिल सिब्‍बल और टीम अन्‍ना में किरण बेदी से इनकी करीबी बताई जाती है।
संकेत हैं कि सरकार को बातचीत की रणनीति में कुछ कामयाबी भी मिल रही है। टीम अन्‍ना इस बात पर सहमत हो गई है कि अनशन 15 दिन के भीतर ही खत्‍म कर लिया जाएगा। न्‍यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने की अपनी मांग पर भी रुख नरम करने और दूसरी प्रमुख मांगों पर भी बीच का रास्‍ता निकालने पर सहमति की उम्‍मीद बढ़ी है।

आध्‍यात्मिक गुरू और अन्‍ना के आंदोलन को समर्थन दे रहे श्रीश्री रविशंकर ने कहा है कि अन्‍ना की मांगों पर फैसला 2-3 दिनों के भीतर हो जाना चाहिए।

रणनीति नंबर 2
टीम अन्‍ना ने जन लोकपाल बिल का जो मसौदा तैयार किया है, उस पर संसद में चर्चा करा कर सरकार अन्‍ना और उनके सहयोगियों का मुंह बंद करा सकती है। dainikbhaskar.com को सरकार में पैठ रखने वाले एक अहम सूत्र ने बताया कि अगले सप्‍ताह निजी विधेयक के तौर पर टीम अन्‍ना द्वारा तैयार जनलोकपाल बिल का ड्राफ्ट संसद में चर्चा के लिए रखा जा सकता है।
वैसे, भाजपा नेता वरुण गांधी ने भी संकेत दिए हैं कि वह टीम अन्‍ना द्वारा तैयार बिल निजी विधेयक के तौर पर संसद में पेश कर सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि इस दिशा में वरुण ने कमद आगे बढ़ाए हैं और लोकसभा अध्‍यक्ष से बात भी की है। कहा जा रहा है कि निजी विधेयक पेश करने के लिए एक महीने पहले नोटिस देने की अनिवार्यता को इस मामले में खत्‍म किए जाने की कवायद चल रही है।
अगर टीम अन्‍ना का ड्राफ्ट संसद में पेश हो गया तो उनकी फिर कोई मुख्‍य मांग ही नहीं रह जाएगी। इसके बाद अनशन वैसे ही खत्‍म हो जाएगा। टीम अन्‍ना यही कह रही है कि संसद में सरकार मजबूत लोकपाल बिल का ड्राफ्ट पेश करे। बाकी उसे पास करना या नहीं करना तो संसद का विशेषाधिकार है। संसद में समर्थन चूंकि सरकार के पक्ष में है, इसलिए सरकार अपनी मर्जी का बिल ही पारित करा पाएगी। लेकिन टीम अन्‍ना के बिल पर चर्चा करा के वह आंदोलन को खत्‍म करा सकती है।

रणनीति नंबर 3

यह नीति सरकार के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है, फिर भी मजबूरन एक विकल्‍प के तौर पर इसे आजमाया जा सकता है। इस लिहाज से भी तैयारी है। इसके तहत अनशन को बंद कराने के लिए सरकारी मशीनरी का सहारा लिया जा सकता है।

डॉक्‍टरी रिपोर्ट या कानून का उल्‍लंघन के नाम पर अनशन में खलल डाला जा सकता है। सरकार ने टीम अन्‍ना से अन्‍ना हजारे के स्‍वास्‍थ्‍य की गारंटी मांगी है। अनशन के दौरान रोज तीन बार उनके स्‍वास्‍थ्‍य की जांच कराए जाने की भी मांग उनसे मनवा ली है। ऐसे में तीन-चार दिन और अनशन चला तो खराब स्‍वास्‍थ्‍य के आधार पर अन्‍ना को अस्‍पताल में दाखिल करवाया जा सकता है।

दूसरी ओर, पुलिस को भी तैयार रखा गया है। रामलीला मैदान की हर गतिविधि वीडियो कैमरे में कैद होगी। पुलिस को चप्‍पे-चप्‍पे पर नजर रखने के लिए

लाइव: अन्‍ना की हुंकार- 30 तक बिल पास न हुआ तो जेल भरो, आमरण अनशन

लाइव: अन्‍ना की हुंकार- 30 तक बिल पास न हुआ तो जेल भरो, आमरण अनशन



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नई दिल्‍ली. चार दिन से अनशन कर रहे अन्‍ना अजारे ने रामलीला मैदान से शुक्रवार को हुंकार भरी कि जन लोकपाल बिल संसद में पेश होने तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्‍होंने कहा कि सरकार बहुमत में है। वह कैसे बिल पारित कराती है, यह वह जाने। हमें इस सत्र में जन लोकपाल बिल पारित हुआ देखना है। जब तक ऐसा नहीं हुआ तब तक हमारा अनशन जारी रहेगा। मरने के बाद ही मेरा अनशन खत्‍म होगा। उन्‍होंने कहा कि 30 अगस्‍त तक बिल पारित नहीं हुआ तो देश भर में जेल भरो आंदोलन होगा और आमरण अनशन जारी रहेगा।

टीम अन्‍ना के कड़े रुख के बाद एक बार फिर सरकार ने झुकने के संकेत दिए। कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि अगर कोई सांसद निजी विधेयक के तौर पर जन लोकपाल बिल का ड्राफ्ट सदन में पेश करता है तो उस पर विचार किया जा सकता है।
इससे पहले अन्‍ना हजारे ने रामलीला मैदान में अपने समर्थकों में जोश भरते हुए कहा, 'युवा शक्ति राष्ट्रशक्ति है। राख के ढेर से जापान खड़ा हो गया तो अपना देश भी खड़ा हो जाएगा। इस देश का युवक जग गया है। इस समाज और देश का उज्ज्वल भविष्य दूर नहीं। जिन गद्दारों ने देश को लूटा है, उन्हें हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। अपनी आज़ादी को हम हरगिज भुला सकते नहीं, सिर कटा सकते हैं मगर सिर झुका सकते नहीं।' अन्‍ना ने कहा कि अनशन से हमारा वजन घटेगा, लेकिन जोश बढ़ेगा।

74वर्षीय अन्‍ना हजारे ने 16 अगस्‍त से अनशन शुरू किया है। उसी दिन से तिहाड़ जेल में रह रहे अन्‍ना अपनी शर्तों पर शुक्रवार को बाहर निकले। इस दौरान अनशन के बावजूद उनके तेवर में कमी नहीं दिखी। जेल के गेट पर मौजूद हजारों समर्थकों को संबोधित करते हुए अन्ना ने कहा, ‘क्रांति की शुरुआत हो गई है। अन्‍ना रहे न रहे क्रांति की मशाल जलती रहे। इस मशाल को बुझने न दें। आजादी के 64 साल बाद भी हमें असली आजादी नहीं मिल पाई है। यह आजादी की दूसरी लड़ाई है। यह अत्‍याचार मुक्‍त भारत का आंदोलन है।’ उन्‍होंने भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आंदोलन को पुरजोर समर्थन देने के लिए जनता का शुक्रिया अदा किया।

अन्‍ना तिहाड़ से तिरंगे से सजे खुले ट्रक पर सवार होकर मायापुरी की ओर रवाना हुए। उनके साथ दो किलोमीटर तक लोगों का हुजूम भी चल रहा था। अन्‍ना के साथ ट्रक पर अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया सहित कई सहयोगी भी थे। भारी बारिश के बावजूद लोगों का हौसला नहीं टूटा और अन्‍ना के साथ जुड़ने वाले लोगों की संख्‍या बढ़ती ही गई। मायापुरी के बाद अन्‍ना कार में सवार होकर राजघाट पहुंचे। वहां से वह रामलीला मैदान पहुंचे।

इस बीच, अन्‍ना के समर्थन में देशभर में प्रदर्शन जारी है। आज मुंबई में डिब्‍बावालों ने हड़ताल रखी। वहीं राजस्‍थान के उदयपुर में चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ने बंद रखा। मुंबई में भारत मर्चेंट चैम्‍बर की ओर से भुलेश्‍वर से आजाद मैदान तक रैली आयोजित की गई। कोलकाता में सिटी सेंटर पर अन्‍ना के आंदोलन के समर्थन में एक सभा हुई।

रामलीला मैदान का आंखों देखा हाल
मंच से मनमोहन सिंह और कपिल सिब्बल को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। व्यंग्यातक टिप्पणियां कर कहा जा रहा कि मनमोहन सिंह को नींद कैसे आ जाती है।
सरकार पर निशाना साधते हुए यह छंद पढ़ा गया-
सियासी भेड़ियों थोड़ी गैरत जरूरी है
तवायफ तक किसी मौके पर घुंघरू तोड़ देती है
राजा बुंदेला ने भी यहां आए लोगों को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर जमकर तीर चलाए और राहुल गांधी के पुणे जाने पर प्रश्नचिन्ह उठाया।

यहां पहुंचे ज्यादातर लोगों में कॉलेजों और स्कूलों के छात्र हैं जो समूहों में यहां पहुंच रहे हैं। राजघाट से रामलीला मैदान की ओर आने वाली सड़क युवाओं से भरी है। मैदान भरा हुआ है और अंदर जितने लोग नहीं हैं, उससे कहीं ज्‍यादा बाहर हैं।

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