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25 अगस्त 2011

श्रृखला में अब दूध से तैयार होने वाले कपड़े भी जुड़ गए हैं


इको फ्रेंडली कपड़ों की श्रृखला में अब दूध से तैयार होने वाले कपड़े भी जुड़ गए हैं। जर्मनी में पिछले कई सालों से दूध से कपड़े तैयार किए जा रहे हैं।

यह अनोखा कार्य कर दिखाया है जर्मनी की फैशन डिजाइनर और माइक्रोबायोलॉजिस्ट एन्के डोमास्के ने।

28 वर्षीय एन्के और उनकी टीम ने कई सालों की मेहनत के बाद दूध से धागा बनाने का फॉर्मूला खोजा है। इस धागे से ये कपडा बनता है।

उन्होंने एक खास मिक्सचर बनाया है, जिमसें खट्टे दूध में पाया जाने वाला प्रोटीन होता है। उसे गरम कर एक मशीन में दबाया जाता है और ये धागा तैयार होता है।

इस धागे से उन्होंने अब तक सैकडों पोशाकें तैयार कर ली है। उनका कहना है कि यह स्किन फ्रेंडली है साथ ही किसी तरह के इफेक्‍शन का डर नहीं रहता।

ब्‍यूटी क्रीम से क‍म नहीं है सेब

सेब के छिलके पेस्ट के साथ सेब के छिलके भी आपके बहुत काम आएंगे। छिलकों को अपने हाथों और पैरों पर मलें और तकरीबन 20 मिनट बाद धो दें। स्किन सॉफ्ट हो जाएगी और शाइन करने लगेगी।

सेब न सिर्फ शरीर को आंतरिक रूप से स्‍वस्‍थ रखता है बल्कि सेब का पेस्ट स्किन को सॉफ्ट बनाने में बेहद फायदेमंद होता है। ब्‍यूटीशियन निक्‍की बावा कहती है कि रोजाना एक सेब खाने से स्किन को जितना फायदा होता है, उससे भी ज्यादा इसका पेस्ट लगाने से होता है

कैसे बनाएं पेस्‍ट

पेस्ट बनाने के लिए एक सेब को कद्दूकस कर लें। इस पेस्ट को 10 से 15 मिनट तक चेहरे पर लगाएं। इसके बाद पानी से त्‍वचा को धो लें। यह स्किन की ऑयलीनेस भी कम करता है। यह मुहांसे के दाग और धब्‍बे को मिटाता है यही नहीं अगर चेहरे पर कोई कट का निशान हो तो यह उसे भी कम करता है।

इसके अलावा, पके सेब का गूदा आंखों पर रखने से आंखें तो रिलैक्स होती ही हैं डार्क सर्कल भी कम होते हैं

दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में सोनिया, नूयी


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वाशिंगटन.कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पेप्सीको कम्पनी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी भारतीय मूल की अमेरिकी इंद्रा नूयी दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में शामिल हैं।

फोर्ब्स पत्रिका द्वारा जारी सूची में 10 सबसे शक्तिशाली महिलाओं में सोनिया व नूयी का नाम है जबकि जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल शीर्ष स्थान पर हैं।सूची में 64 वर्षीया सोनिया सातवें स्थान पर हैं और 55 वर्षीया नूयी चौथे स्थान पर हैं। सूची में शामिल ज्यादातर महिलाएं राजनेता, व्यवसायी व मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र में कार्यरत हैं। दो अन्य भारतीय महिलाएं भी सूची में हैं।

आईसीआईसीआई बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी 49 वर्षीया चंदा कोचर 43वें स्थान पर हैं। बायोकॉन फाउंडर चेयर 58 वर्षीया किरण मजूमदार शॉ 99वें स्थान पर हैं।

मार्केल दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में शीर्ष पर हैं। वह नवंबर 2005 में चांसलर बनी थीं। उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन व इसी साल ब्राजील की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं दिलमा रूजेफ को पीछे छोड़कर यह जगह बनाई है।

अन्‍ना बने जरूरत: जन लोकपाल के बाद चाहिए राइट टू रिकॉल?


जन लोकपाल बिल पारित कराने के लिए अन्‍ना हजारे की मुहिम को मिल रहा समर्थन हर ओर दिख रहा है। रामलीला मैदान और देश भर की सड़कों पर तो इसकी झलक मिल ही रही है। dainikbhaskar.com पर भी लोगों ने यह समर्थन साफ जता दिया है। जनलोकपाल बिल चाहिए या सरकारी लोकपाल? इस सीधे सवाल के जवाब में 97 फीसदी लोगों ने जनलोकपाल बिल का विकल्‍प चुना है। पोल में अब तक 20 हजार से ज्‍यादा लोग शामिल हो चुके हैं और संख्‍या लगातार बढ़ रही है।

अन्ना को यह साबित करने के लिए कि उनकी बात में दम है, दो बार अनशन करना पड़ा, सरकार को 13 पत्र लिखने पड़े, जनता को सड़क पर उतरना पड़ा और चौबीसों घंटे मीडिया का सहयोग लेना पड़ा।

देश भर में अन्ना के समर्थन में चली लहर और सड़क पर उतरे जनसैलाब ने सरकार को हार का घूंट पीकर जनता के आगे झुकने के लिए (हालांकि अभी यह देखना बाकी है कि अंतत: किस हद तक सरकार झुकती है) मजबूर कर दिया है। लेकिन बुनियादी सवाल अभी भी वही है। क्या देश में हर बदलाव के लिए आज एक अन्ना की जरूरत है? क्‍या जनता की सरकार उसकी बात तभी सुनेगी जब जनता सड़कों पर उतर कर जान देने पर आमादा हो जाए? और क्‍या इतने पर भी उसकी बात मान ली जाएगी, इस बात की गारंटी है?

इन सवालों के बीच क्‍या जन लोकपाल से और आगे जाने की जरूरत नहीं खड़ी होती है? क्‍या वक्‍त आ गया है कि अब जनता अपनी बात नहीं सुनने वाले सांसदों को वापस बुलाने का अधिकार मांगे?

यदि यह अधिकार मिल गया तो अपनीबात सुनाने के लिए लोगों को जनप्रतिनिधियों का ऐसे घेराव नहीं करना पड़ेगा जैसे कि अन्ना आंदोलन के दौरान हमने देखा। जनता के पास विश्वास खो चुके जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार (राइट टू रिकॉल) होगा।

हालांकि भारत के कई राज्यों में पंचायत और नगरीय प्रशासन व्यवस्था में लोगों को यह अधिकार मिल गया है। तो क्‍या संसदीय शासन व्‍यवस्था में इसे लागू नहीं करना चाहिए?

यह व्यवस्था ग्रीस के प्रजातंत्र के समय से चली आ रही है और आज के दौर में कई देशों ने इसे अमल में ला रखा है। मौजूदा दौर में इस व्यवस्था की शुरुआत स्विट्जरलैंड में हुई लेकिन अमेरिका ने भी कई राज्यों में इसे लागू कर रखा है। लॉस एंजेलिस, मिशिगन और ओरेगन जैसे राज्यों मेंतो जनता प्रतिनिधियों को वापस भी बुला चुकी है। ब्रिटेन, कनाडा, युगांडा और वेनेजुएला में भी जनता के पास अलग-अलग रूप में यह अधिकार है।

भारत में स्थिति-

भारत में जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार के लिए सबसे पहले जय प्रकाश नारायण ने 1974 में इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ चलाए गए संपूर्ण क्रांति आंदोलन के दौरान आवाज बुलंद की थी। इसके बाद 1984 में जनता दल की सरकार और फिर 1989 में नेशनल फ्रंट की सरकार के दौरान भी इस अधिकार की मांग उठी। लेकिन भारतीय राजनीतिक व्यवस्था हमेशा से ही इस अधिकार को लाने से खुद को बचाती रही है।

भारत के कई राज्यों में इस व्यवस्था की परख के लिए प्रयोग हो चुका है। बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने शहरी क्षेत्र के वोटरों को नगरीय प्रशासन के प्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार दिया है। म्यूनिसिपल कार्पोरेशन, नगर परिषद या नगर पंचायत के दो तिहाई वोटर यदि अपने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ हस्ताक्षर कर शहरी विकास विभाग के समक्ष याचिका प्रस्तुत करें तो आरोप सही पाए जाने पर प्रतिनिधियों को वापस बुलाया जा सकता है।

2007 में छत्तीसगढ़ के के राजपुर, गुंडेरदेही और नवागढ़ में चुने जाने के 6 महीने बाद ही जनप्रतिनिधियों को इसलिए बाहर कर दिया गया था क्योंकि वो जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे थे।

मध्य प्रदेश पंचायती राज कानून 1993 भी चुने हुए जन प्रतिनिधियों को चुनाव के ढाई साल बाद वापस बुलाने का अधिकार जनता को देता है।

तो क्‍या जन लोकपाल के बाद अब 'राइट टू रिकॉल' के लिए लड़ाई लड़नी होगी?

गोविंदाचार्य ने कहा विपक्ष नहीं निभा रहा सही भूमिका

नई दिल्ली
आरएसएस के पूर्व विचारक गोविंदाचार्य अपने संगठन राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन की ओर से गुरुवार को रामलीला मैदान में अन्ना हजारे का समर्थन करने पहुंचे। उन्होंने कहा कि लोकपाल बिल के मुद्दे पर विपक्ष अपनी भूमिका सही तरीके से नहीं निभा रहा। संसद के विपक्षी दलों को उनके शासन वाले राज्यों में लोकायुक्त का गठन करना चाहिए, इसमें उन्हें ही राज्यों में राजनीतिक फायदा होगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस मुद्दे पर सरकार भी असंवेदनशील तरीका अपना रही है।



उन्होंने कहा कि सरकार व टीम अन्ना के बीच जो आपसी विश्वास में कमी आई है, उसे दूर करने के प्रयास होने चाहिए और संवाद टूटना नहीं चाहिए। अगर भ्रष्टाचार जैसे अहम मुद्दे पर समाज के सदस्यों की मदद ली जाए तो इससे संसद की गरिमा कम नहीं होती। उन्होंने कहा कि वह एक जागरूक नागरिक की हैसियत से हजारे को समर्थन देने यहां आए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अभी यह आंदोलन और बढ़ेगा।

इस लोमड़ी में है जादुई शक्ति, लड़की बन देती है लोगों को धोखा!

जापान में जादुई शक्तियों वाली एक लोमड़ी की कई पौराणिक कथाएं मशहूर हैं। इस लोमड़ी को स्थानीय भाषा में किटसूने कहा जाता है। किटसूने इंसानों का भी भेष धारण कर लेती है, खासकर सुंदर लड़की का। इस तरह वह लोगों को धोखा देती है। वहां ऐसी कई कहानियां हैं जिनमें किटसूने ने लोगों की वफादार दोस्त, प्रेमिका, पत्नी या फिर रक्षक का रोल निभाया है।

प्राचीन जापान में इंसान और लोमड़ियों के बीच काफी करीबी रहती थी। इसलिए भी ऐसी कहानियां ने जन्म लिया होगा। वहां चौथी शताब्दी ईसापूर्व तक के ऐसे किस्से हैं। जापान के अलावा चीन और कोरिया में भी किटसूने के चर्चे सुने जा सकते हैं।

किटसूने को देवता इनारी का संदेश वाहक भी कहा जाता है। बीमारियां दूर करने के लिए और अकसर धन-समृद्धि के लिए भी इनारी की पूजा की जाती है। किटसूने की ताकत और बुद्धि के लिए भी कई लोग उसकी पूजा करते हैं। इन बातों में कितनी सच्चई और कितना अंधविश्वास है, ये सदियों से राज़ बना हुआ है।

राज़ है गहरा
जादुई शक्तियों वाली एक लोमड़ी किटसूने के किस्सों का जन्म चीन में हुआ, लेकिन ये जापान में ज्यादा चर्चित हैं। पूजी जाने वाली इस लोमड़ी की हकीकत सदियों से राज़ है।

प्रदर्शन करने का ये तरीका है थोड़ा कलात्मक



आंदोलन के लिए जरूरी नहीं कि नाराजगी जाहिर करने वाले झंडे-बैनर बनाए जाएं या फिर भीड़ जुटाकर नारे लगाए जाएं। ब्रिटेन के दो कलाकारों ने इसका एक कलात्मक तरीका खोजा है। बैंक अधिकारियों के रवैये के प्रति नाराजगी जाहिर करने के लिए उन्होंने रातोरात बस स्टॉप्स को घर का रूप दे दिया है।



गौरतलब है कि आर्थिक मंदी से जूझ रहे इस देश में बहुत से लोगों को अपने बैंक गंवाने पड़े हैं। वे लोग बैंकों से लिया गया कर्ज नहीं चुका सके और उनके घर बैंक ने कुर्क कर लिए हैं।



सबसे पहले मैनचेस्टर के वैली रेंज में ये काम किया गया। इसके बाद हूल्मे के चॉर्लटन रोड बस स्टॉप का नक्शा बदला गया। स्टॉप की दीवार पर वॉल पेपर लगाए गए हैं और एक पलंग भी रखा है। रात में ये काम किया गया था। सुबह जब लोग स्टॉप पर पहुंचे तो धोखा खा गए। इस इलाके में बहुत से भारतीय लोग रहते हैं और एक मंदिर भी बना है।



जन्माष्टमी के दिन वे लोग रात दो बजे तक मंदिर में थे। इससे जाहिर होता है कि ये काम रात दो बजे के बाद ही किया गया होगा। बाद में पता चला कि ये किनका काम है। एक ने अपना नाम टेरररिस्ट और दूसरे ने आइजैक शन्यूटन बताया है।



जनलोकपाल पर संसद में आज मचेगा घमासान

जनलोकपाल पर संसद में आज मचेगा घमासान

Comment

नई दिल्‍ली. जनलोकपाल बनाम लोकपाल को लेकर सरकारी कवायद खत्म होने के बाद केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने साफ कर दिया कि संसद में शुक्रवार को न केवल जनलोकपाल पर बल्कि सभी बिलों के ड्राफ्ट पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि चर्चा किस नियम के तहत होगी ये अभी तय नहीं है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने कहा कि हम अन्ना के संपर्क में लगातार बने हुए हैं लेकिन सरकार की तरफ से उनसे मिलने कोई नहीं जाएगा।
वहीं वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि टीम अन्ना से केंद्र सरकार का संपर्क बना हुआ है व संकट के समाधान के लिए बातचीत जारी है। दूसरी तरफ जनलोकपाल के मुद्दे पर टीम अन्ना ने आडवाणी के घर जाकर बीजेपी नेताओं से मुलाकात कर समर्थन पाने का दावा किया है ।

जनलोकपाल पर बहस कल, लिखित आश्‍वासन देने पर भी तैयार
जनलोकपाल बिल के लिए 10 दिनों से अनशन पर बैठे अन्‍ना हजारे की जिद के आगे सरकार झुकती नजर आ रही है। ऐसी खबर है कि सरकार शुक्रवार को ही अन्‍ना की तीन शर्तों पर संसद में चर्चा शुरू करेगी। सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के मुताबिक जनलोकपाल बिल पर संसद में शुक्रवार को चर्चा होगी। लोकपाल के सभी ड्राफ्टों और अन्‍ना की तीनों शर्तों पर संसद में चर्चा होगी।

सरकार ने गहन विचार-विमर्श के बाद फैसला किया गया कि नियम 184 के तहत सदन में कल जनलोकपाल पर चर्चा होगी। जनहित के अति महत्‍वपूर्ण मसलों पर इस नियम के तहत चर्चा का प्रावधान है। इस नियम के तहत वोटिंग भी होती है। सरकार के मंत्रियों के बीच संसद की अवधि बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। सूत्र बता रहे हैं कि संसद की कार्यवाही शनिवार को भी जारी रह सकती है। सरकार ने इन सभी मुद्दों का समाधान निकालने के लिए विपक्षी दलों से बातचीत शुरू कर दी है। सरकार अन्‍ना की शर्तों पर संसद में बहस के बारे में अन्‍ना हजारे को लिखित आश्‍वासन देने को भी तैयार हो गई है।

अन्‍ना ने अनशन तोड़ने की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अपील ठुकराते हुए तीन शर्तें रखी हैं। उन्‍होंने रामलीला मैदान के मंच से समर्थकों को संबोधित करते हुए अन्‍ना ने कहा कि शुक्रवार से ही उनकी शर्तों पर संसद में चर्चा होगी तभी वह अनशन तोड़ सकते हैं। हालांकि धरना-प्रदर्शन उसके बाद भी जारी रहेगा। अन्‍ना ने अपनी तीन मांगें दोहराईं- 1.सभी दफ्तरों को लोकपाल के दायरे में लाया जाए। 2. राज्‍यों में लोकायुक्‍तों की नियुक्ति की जाए। 3. सिटिजन चार्टर बनाया जाए।

अन्‍ना ने बताया कि केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख उनके पास सरकार की ओर से संदेश लेकर आए थे जिसके जवाब में उन्‍होंने पीएम के पास अपनी तीन शर्तें भेज दीं। महाराष्‍ट्र के पूर्व सीएम देशमुख रामलीला मैदान में अन्‍ना हजारे से मुलाकात करने पहुंचे थे। गौरतलब है कि अनशन के 10वें दिन देशमुख के रुप में सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिनिधि अन्‍ना हजारे से मिलने पहुंचा। हालांकि आध्‍यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने भी अन्‍ना हजारे से मुलाकात के बाद अन्‍ना की शर्तों की जानकारी दी।

अन्‍ना हजारे से मिलने के बाद देशमुख के आवास पर कांग्रेस सांसदों संदीप दीक्षित, सचिन पायलट, मिलिंद देवड़ा की बैठक हुई। इसके बाद देशमुख पीएम के पास अन्‍ना का जवाब लेकर गए। इसके बाद वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी की संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री सलमान खुर्शीद से मीटिंग हुई। इसके बाद पीएम आवास पर मनमोहन सिंह के साथ वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी और रक्षा मंत्री ए के एंटनी की मीटिंग हुई। बाद में प्रधानमंत्री ने एक बार फिर संसदीय कार्य मंत्री पीके बंसल सहित कई मंत्रियों के साथ बैठक की। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में शुक्रवार को सदन में जनलोकपाल बिल पर चर्चा के तौर-तरीके तय किए गए और यह भी तय हुआ कि अन्‍ना को उनकी मांगें माने जाने का लिखित आश्‍वासन दे दिया जाए।

उधर, विपक्ष की ओर से स्थिति साफ किए जाने की अन्‍ना की मांग पर भाजपा अध्‍यक्ष नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार विपक्ष की अनुमति से लोकपाल बिल वापस ले। उन्‍होंने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘जनलोकपाल बिल को आधार बनाकर संसद में चर्चा शुरू की जानी चाहिए।

स्वामी अग्निवेश आखिर गद्दार निकले .....कोंग्रेस और भाजपा भी चोर चोर मोसेरे भाई साबित हुए

जी हाँ स्वामी अग्निवेश ने आज तो सरकार की दलाली कर साबित कर दिया की वोह देश के सवा सो करोड़ लोगों के गद्दार हैं .कभी अन्ना के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ अंतिम वक्त तक लड़ने की बात करने वाले स्वामी अग्निवेश आज अचानक बदल गए उन्होंने टी वी को दिए गए अपने बयान में साफ कहा के अन्ना को प्रधानमन्त्री और संसद की बात मान कर अनशन वापस ले लेना चाहिए और फिर थोड़ा आराम कर वापस से आन्दोलन करें स्वामी अग्निवेश और टी वी चेनल की साफ़ सरकार से सांठ गाँठ नज़र आ रही थी ....आज संसद में कोंग्रेस और भाजपा ने एक साथ होकर यह साबित किया है के उन्हें जनता और जनता की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं जनता को वोह जूते की नोक पर रख कर जेसा चाहें व्यवहार करते हैं और को उनका कुछ बिगाड़ भी नहीं सकता है .....आज संसद में चालीस सालों से भी अधिक वक्त से लोकपाल बिल चाकर काटता रहा सेकड़ों विधेयक इस दोरान पेश हुए और पारित हुए कई सांसद आये कई सांसद आकर चले गए लेकिन नहीं आये तो बस भ्रष्टाचार को मिटाने वाले सांसद नहीं आये कोंग्रेस..भाजपा..सपा.बसपा.वगेरा वगेरा जो भी पार्टियां थीं सभी सत्ता में रहीं लेकिन जनता के बारे में जनता के अधिकारों के बारे में किसी भी पार्टी ने नहीं सोचा एक आम आदमी अन्ना जब सडक पर उतरे तो पहले चालीस से धूल चाट रहा विधेयक बाहर निकाला गया सोचा लोगों को साम्प्रदायिकता , हिन्दू मुस्लिम कोंग्रेस भाजपा के नाम पर लड़ाएँगे और इस बिल को टाल देंगे उन्हें पता नहीं था के अन्ना आम आदमी नहीं आंधी हैं वोह ना बिकेंगे ना झुकेंगे और उनकी टीम के एक दो लोग स्वामी अग्निवेश निकल भी जाए तो भी उनके साथ मजबूत कंधे हैं ..सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के पहले उन्हें डराया ,धमकाया उन्हें ब्लेकमेल किया अपनी सारी सरकारी ताकत झोंक कर भारी जान समर्थन के आगे सरकार झुकी लेकिन बड़े आराम के साथ प्रधानमन्त्री और कपिल सिब्बल ने अन्ना का मजाक उदय कोंग्रेस ने उन्हें भ्रष्ट बताया .भाजपा ने उनके बिल का समर्थन नहीं किया चर्चा तक नहीं की और दस दिन बाद सरकार और विपक्ष भाजपा कोंग्रेस अन्ना से कहती है के आपके बिल की भी सांसद में चर्चा होगी अनशन तोड़ दो हमे आपकी फ़िक्र है तो जनाब कोंग्रेस भाजपा के चेहरे इस लोकतंत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में साफ़ हो गये हैं कोंग्रेस और भाजपा के दल्ले खूब आये खुद शिवसेना के बालठाकरे के पेट में दर्द हुआ अन्ना टीम को त्द्राया गया धमकाया गया डांटा गया वायदा किया और फिर मुकर गये .कुल मिला कर कोंग्रेस और भाजपा खुले तोर पर भ्रष्टाचार के साथ खड़ी दिखी एक जिद सांसद में कार्यवाही होगी स्टेंडिंग कमेटी देखेगी तो जनाब स्टेंडिंग कमेटी का कहां विधिक प्रावधान हैं क्यों सांसद में सरकार बिल नहीं लायी क्यूँ चर्चा नहीं की क्यूँ बिल को टाल कर स्टेंडिंग कमेटी को तरका दिया गया किया देश की जनता और अन्ना इसकों नहीं समझते हैं ...में खुद सरकार की आज की चाल से चिंतित था मेरा ब्लड प्रेशर ठंढा था में सोचता था के देश का भ्रष्टाचार जीत गया और इस की लड़ाई में लगे सवा सो करोड़ लोग हार गये लेकिन वाह अन्ना वाह नो बिका ना झुका ना फुसलाने में आया सरकार की काली करतूतों को सामने खोल कर रख दिया और अड़ गया कुछ ना कुछ जनता के लियें लेने के लियें अब भाजपा और कोंग्रेस और दुसरे दल तो जनता के सामने भ्रष्टाचार के हिमायती और लोकतंत्र के हत्यारे साबित हो गए है देखे आगे क्या होता है सरकार भ्रष्ट लोगों को बचाने के लिए भाजपा से सांठ गाँठ कर जनता और आन्दोलन कारियों का कितना दमन करती है ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सांसदों का घेराव आमिर की सलाह पर, सलमान के बॉडीगार्ड्स ने अन्‍ना समर्थकों को पीटा!





नई दिल्‍ली.सरकार से बातचीत बनती नहीं देख दस दिन से अनशन कर रहे अन्‍ना हजारे ने एक बार फिर समर्थकों से आह्वान किया है कि वे सांसदों के घर पर धरना दें। अन्‍ना और उनके सहयोगियों की इस अपील की भाजपा खुले तौर पर आलोचना कर चुकी है। बाकी दलों को भी यह रास नहीं आ रहा है। पर अन्‍ना के समर्थक इसे बड़ा 'हथियार' मान कर जोरदार ढंग से आजमा जा रहे हैं। अब खबर आ रही है कि आंदोलन का यह तरीका टीम अन्‍ना ने आमिर खान की सलाह पर अपनाया है।

टीम अन्‍ना के एक सदस्‍य के मुताबिक आमिर ने सुझाव दिया कि हमें हर सांसद को निजी तौर पर आंदोलन का अहसास कराना चाहिए। इसके बाद अपील की गई और जनता ने इस पर फौरन अमल शुरू कर दिया।

आमिर बॉलीवुड की पहली शख्‍सीयत हैं जिन्‍होंने टीम अन्‍ना को लिखित समर्थन दिया था। उन्‍होंने अन्‍ना की मांग पर ध्‍यान देने के लिए प्रधानमंत्री को चिट्ठी भी लिखी थी। आमिर का अन्‍ना के आंदोलन को लगातार समर्थन है। वह खुल कर सामने भले नहीं आते हों, लेकिन लगातार टीम अन्‍ना के संपर्क में बने रहते हैं। उधर, कानुपर (उत्‍तर प्रदेश) में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान और उनके बॉडीगार्ड पर अन्‍ना समर्थकों को पीटने का आरोप लगा है। यहां इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है।

आरोप है कि इंडिया अगेंस्‍ट करप्‍शन (आईएसी) के कार्यकर्ता चाहते थे कि सलमान उनके आंदोलन से जुड़ें। उन्‍होंने सलमान के पास पहुंचने की कोशिश की तो उनके बॉडीगार्ड्स ने उनकी पिटाई कर दी। सलमान एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कानपुर में थे। जब वह कार्यक्रम से लौट रहे थे, तभी यह घटना हुई।

आईएसी के एक कार्यकर्ता ने कहा कि जैसे ही हमने सलमान की गाड़ी के करीब जाने की कोशिश की, उनके बॉडीगार्ड्स ने हमें पीटा। हम सलमान को बस अन्‍ना टोपी पेश करना चाहते थे।

अनशन पर अड़े अन्‍ना से नाखुश अग्निवेश ने छोड़ी टीम, हजारे को मनाने की कोशिशें तेज


नई दिल्‍ली. भ्रष्‍टाचार के खिलाफ सख्‍त लोकपाल कानून की मांग पर अड़े अन्‍ना हजारे का अनशन दसवें दिन भी जारी है लेकिन उनकी टीम में दरार आ गई है। खबर है कि टीम अन्ना के एक प्रमुख सदस्य स्वामी अग्निवेश ने टीम की गतिविधियों से खुद को अलग कर लिया है।

‘बीबीसी’ को दिए गए इंटरव्‍यू में अग्निवेश ने कहा कि चूंकि अन्ना हज़ारे अपना अनशन ख़त्म नहीं कर रहे हैं और उन्होंने ड्रिप लेने से इनकार कर दिया है इसलिए वे अपने आपको अन्‍ना के आंदोलन से अलग कर रहे हैं क्योंकि सिद्धांतों के अनुसार वे आमरण अनशन के साथ खड़े नहीं रह सकते। बीबीसी के मुताबिक अग्निवेश ने यह भी कहा कि अन्ना हज़ारे का आंदोलन सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुकूल नहीं है इसलिए वे अपने आपको इससे अलग कर रहे हैं। ‘दैनिक भास्‍कर डॉट कॉम’ ने इस बारे में स्‍वामी अग्निवेश से प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्‍होंने फोन नहीं उठाया। टीम अन्‍ना की सदस्‍य किरण बेदी को इस बारे में ई मेल कर उनकी राय मांगी गई है। उनके जवाब का अभी भी इंतजार है।


इस बीच, अन्‍ना को मनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। टीम अन्‍ना ने उन्‍हें संसद की उस अपील से अवगत कराया है, जिसमें उनसे अनशन खत्‍म करने के लिए कहा गया है। श्री श्री रविशंकर ने उनसे मिल कर उन्‍हें यह अपील मान लेने के लिए राजी कराने की कोशिश की।

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