आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

01 सितंबर 2011

..और इलाज नहीं मिलने से ‘पापा-पापा’ करते हुए मर गया बच्चा

नागौर/ जायल/जोधपुर। जिले के जायल विधानसभा क्षेत्र के तंवरा गांव में गुरुवार तड़के एक 14 साल का गरीब बालक विजयसिंह समय पर इलाज नहीं मिलने से ‘पापा -पापा ’ कहते मर गया। बीमार बच्चा, उसकी विक्षिप्त व विधवा मां और दो बीमार भाइयों वाले परिवार को पेंशन, बीपीएल कार्ड व निशुल्क इलाज जैसी सुविधाओं की दरकार थी, मगर किसी ने इस असहाय परिवार की खैर खबर नहीं ली। इस परिवार की पेंशन स्वीकृति को भी छह माह पूर्व प्रशासन गांवों के संग अभियान के शिविर में लेने के बाद गायब कर दिया गया। अब इस मामले पर प्रशासन के अधिकारी कुछ करने की बजाय बचाव मुद्रा में आ गए हैं। वे कहते हैं, ‘मौत भूख से नहीं हुई।’ विजय सिंह की मौत इंसानियत को झकझोरने वाली है। उसके पिता गिरधारी सिंह की छह साल पहले मौत हो गई थी। फिर उसकी पत्नी उगमा कंवर अपना मानसिक संतुलन खो बैठी। परिवार में कोई देखभाल करने वाला नहीं था। चार में से तीन बच्चे शैतान सिंह, कान सिंह व विजय सिंह भी मानसिक रूप से बीमार हो गए। सबसे छोटे बेटे दिलीप सिंह की मानसिक स्थित कुछ ठीक थी। इस परिवार को कोई सरकारी सहायता नहीं मिली। मां बच्चों को लेकर ठोकरें खाती रहीं। अब शैतान 16 व कानसिंह 13 साल का है।

किसी ने नहीं सुनी

भारतीय किसान संघ के जिला संगठन मंत्री लक्ष्मीनारायण विश्नोई व युवा कांग्रेस विधानसभा क्षेत्र महासचिव राजेंद्र डिडल ने भास्कर को बताया ‘हमने एक माह पहले बस स्टैंड पर इन बीमार बच्चों व विक्षिप्त मां को तड़पते देखा तो एसडीएम भागीरथ मीणा को सूचना दी।’ एसडीएम ने जायल बीडीओ को निर्देश दिए, मगर किसी ने इनकी 25 दिन तक सुध नहीं ली।

मौत के बाद याद आई सहायता

गुरुवार तड़के विजय सिंह की मौत की सूचना पर प्रशासन में हड़कंप मचा। कई दिन से कागजात दबाकर बैठे बीडीओ ने बच्चे की मौत की जानकारी मिलने पर परिवार के पेंशन कागज तैयार कराए।

विधायक को जानकारी ही नहीं

जायल विधायक मंजू मेघवाल से उनके क्षेत्र में गरीब बच्चे की समय पर इलाज नहीं मिलने से हुई मौत के बारे में भास्कर ने पूछा तो उनका कहना था, ‘मुझे इस पूरे मामले की जानकारी नहीं है।’

पूछा तो मिला यह जवाब

जायल बीडीओ सुरेंद्र कुमार ने विजय सिंह की मौत के मामले में कहा कि ‘उगमा कंवर गरीब नहीं है, उसके पास 16 बीघा जमीन है, मैं घर गया, वहां बाजरा पड़ा था, पक्का मकान है।’

एक घण्टे तक अटकी रही 22 लोगों की सांसे'

| Email

वह काफी चौंकाने वाला क्षण था, जब एक बड़ा झूला टूट गया। जिस वक़्त झूला टूटा, तब उसमें 22 लोग सवार थे। इस घटना में 22 लोग बुरी तरह घायल हो गए हैं।



लिंकनशायर स्थित एक एम्यूजमेंट पार्क में 'फेयरग्राउंड राइड' ऐसा झूला है जो 360 डिग्री के एंगल पर घूमता है। जब यह घूमता हो तो एक निस्चित समय में इसकी स्थिति लंबवत होती है, यानि इसमें सवार सभी लोग जमीन से कई फुट की ऊंचाई पर होते हैं और उनके सिर ज़मीन की ओर होते हैं।



एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि अचानक चलते-चलते यह झूला टूट गया और सभी एक ही पोजीशन में अटक गया। इससे सभी लोग इसमें लगभग एक घण्टे तक फंसे रहे। प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि इसमें फंसे लोग मदद के लिए बुरू तरह चिल्ला रहे थे।



मौके पर पहुंचे बचाव दल को सभी लोगों को निकालने में लगभग एक घण्टा लग गया। इस घटना में कुछ लोगों को मामूली चोट आई है, जबकि एक महिला बुरी तरह घायल हो गई है।



एम्यूजमेंट पार्क के मालिक जिम्मी बोटन ने कहा कि झूले की मशीनरी के एक दांते के टूटने कारण यह दुर्घटना हुई है।

तस्वीरों का भी जरा लुत्फ़ लो यारों ...............

Miscellaneous pics
























बाबा रामदेव पर ईडी ने दर्ज किया हेराफेरी का केस, दिल्‍ली पुलिस भी भेजगी समन



नई दिल्‍ली. योग गुरु बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने योग गुरु और उनके ट्रस्‍ट के खिलाफ फेमा के उल्‍लंघन के आरोप में मामला दर्ज किया है। बाबा रामदेव के सहयोगी और वरिष्‍ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक ने सरकार पर योग गुरु से बदला लेने का आरोप लगाया है। एक चैनल से बातचीत में उन्‍होंने कहा, ‘आखिर अब ये मामले क्‍यों दर्ज किए जा रहे हैं।’
बाबा रामदेव के प्रवक्‍ता एस के तिजरावाला ने कहा, ‘अभी तक हमें इसकी जानकारी नहीं है।’

दूसरी ओर रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्‍ण को दिल्‍ली पुलिस समन भेजने की तैयारी कर रही है। दोनों को रामलीला मैदान में उनके समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प से संबंधित केस के सिलसिले में पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। यह केस जून में दर्ज हुआ है। इसमें रामदेव पर रामलीला मैदान में अपने समर्थकों को भड़काने का आरोप है। इस मामले में अब तक 10 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

आरोप है कि 5 जून को रामदेव के समर्थकों ने पुलिस पर गमलों और बैट से हमले किए थे। दिल्‍ली पुलिस के संयुक्‍त आयुक्‍त (उत्‍तरी क्षेत्र) सुधीर यादव के मुताबिक, 'हमने उन लोगों से पूछताछ की है जिन्‍हें रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के मंच से भाषण देने के लिए बुलाया गया था। लेकिन खुद रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्‍ण से अभी पूछताछ होनी है। हमें इस केस को अंजाम तक पहुंचाना है। इसलिए हम जल्‍दी ही उन दोनों को बुलाएंगे।'

मारपीट की घटना में पुलिसवालों समेत 65 से अधिक लोग घायल हुए थे। इनमें से एक की हालत अब भी गंभीर है। एफआईआर में पुलिस ने कहा है कि आयोजकों ने सिर्फ 4 से 5 हजार लोगों की इजाजत मांगी थी और वह भी योग शिविर के लिए। लेकिन जल्‍द ही उन्‍होंने दिल्‍ली से सटे राज्‍यों से लोगों को रामलीला मैदान में जुटने का अनुरोध करने लगे और इसने राजनीतिक रैली का रूप ले लिया।

कानून-व्‍यवस्‍था की स्थिति बिगड़ने की आशंका के मद्देनजर पुलिस ने अनुमति रद्द कर दी और रामदेव को गिरफ्तार करने गई। हालांकि योग गुरु ने अपने समर्थकों से कहा कि वो उन्‍हें पूरी तरह घेर लें जिसके बाद वहां के हालात उग्र हो गए। पुलिस का कहना है कि जब योग शिविर रैली में तब्‍दील होने लगा तो उन्‍होंने रामदेव को दी गई इजाजत को रद्द करने का फैसला किया।

एफआईआर के मुताबिक, ‘साध्‍वी रितंभरा, मौलाना कल्‍बे जब्‍बार और अकाली दल के ओंकार सिंह रंधावा के भड़काऊ भाषणों के बाद पुलिस ने रामदेव के आयोजन की अनुमति रद्द करने का फैसला किया। आयोजक अधिक से अधिक लोगों से इस रैली में हिस्‍सा लेने की अपील कर रहे थे और किसी भी कीमत पर रामलीला मैदान नहीं छोड़ने के लिए कह रहे थे।’ प्राथमिकी में यह भी कहा गया है कि योग शिविर की अनुमति रद्द करने का नोटिस रामदेव को दिए जाने के बाद भी उनका भड़काऊ भाषण जारी था। पुलिसवालों पर हमला करने और दंगा भड़काने के आरोप में 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया था जो अब जमानत पर बाहर हैं। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की नजर है।

टीम अन्‍ना में बड़े बदलाव के आसार, रालेगण में बनेगी 'रण' की नीति

Email Print


नई दिल्‍ली. भ्रष्‍टाचार के खिलाफ मुहिम की अगुवाई कर रहे अन्‍ना हजारे की मौजूदा टीम में बदलाव हो सकते हैं। महाराष्‍ट्र स्थित अन्‍ना हजारे के पैतृक गांव रालेगण सिद्धि में 10 और 11 सितंबर को टीम अन्‍ना की बैठक होने वाली है। इसमें हजारे भी शामिल रहेंगे।

टीम अन्‍ना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक रामलीला मैदान में पिछले दिनों अन्‍ना के अनशन के दौरान कुछ ऐसे वाकये सामने आए जहां बाहरी लोगों के बजाय सिविल सोसायटी के सदस्‍यों के रवैये के चलते टीम अन्‍ना को निराशा हुई। रालेगण में होने वाली बैठक में ऐसे सदस्‍यों की भूमिका पर भी विचार किया जाएगा।

स्‍वामी अग्निवेश को टीम अन्‍ना से बाहर का रास्‍ता दिखाए जाने के बाद 23 सदस्‍यों वाली इस टीम की कोर ग्रुप की बैठक रालेगण में हो रही है। सूत्र के मुताबिक, ‘कोर ग्रुप में या तो नए सदस्‍य शामिल किए जाएंगे या फिर और समितियों या समन्‍वय समितियों का गठन किया जाएगा। इस बैठक में टीम अन्‍ना की आगामी रणनीति का भी ऐलान किया जाएगा।

टीम अन्ना के एक सदस्य ने बताया, 'अन्ना की देखभाल कर रहे एक-दो डॉक्टरों की निष्ठा को लेकर टीम को संदेह था। जिस दिन अन्ना का अनशन तुड़वाने के लिए चारों ओर से दबाव बनने लगा था, उस दिन पुलिस के सूत्र भी यह कहने लगे थे कि अन्ना को अस्पताल ले जाया जा सकता है। तब डॉक्टर चुप थे। हमारी टीम में कई लोग काफी घबराए हुए थे।'

सूत्रों को उम्मीद है कि टीम में काफी बदलाव हो सकते हैं, इस नजरिए से भी रालेगण सिद्धि में होने वाली बैठक काफी अहम होगी। सूत्रों के मुताबिक, 'अन्ना हर आंदोलन के बाद अपनी टीम को बदलने में यकीन रखते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में उनका कोई भी पुराना साथी शामिल नहीं था। वह ईमानदार, समर्पित हैं और किसी भी तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करते हैं।'

अन्ना का निजी जीवन

अन्ना हजारे ने शादी नहीं की है। वर्ष 1975 से रालेगण सिद्धि में बना यादवबाबा के मंदिर से सटे एक छोटे से कमरे में वह रह रहे हैं। 16 अप्रैल, 2011 को उन्होंने घोषणा की थी कि उनके पास 67,183 रुपये बैंक में जमा हैं और 1,500 रुपये नकद उनके पास हैं। रालेगण सिद्धि में उनके नाम 0.07 हेक्टेयर जमीन है, जो उनके भाई इस्तेमाल करते हैं। ज़मीन के दो अन्य टुकड़े जो उन्हें भारतीय सेना और गांव के ही एक व्यक्ति से उपहार के तौर पर मिले थे, उसे अन्ना ने गांव के ही इस्तेमाल के लिए दान कर दिया। अन्ना की आमदनी का एकमात्र स्रोत सेना से मिलने वाली पेंशन है।

अन्‍ना के लोकपाल का सीबीआई करेगी विरोध, समिति में होगी कड़ी परीक्षा!

| Email Print


नई दिल्‍ली. टीम अन्‍ना के जनलोकपाल बिल को स्‍थायी संसदीय समिति में कड़ी परीक्षा से गुजरना होगा। यह बिल कानून और न्‍याय मामले की स्‍थायी समिति के विचाराधीन है। समिति के पास लोकपाल बिल के आठ और मसौदे विचार के लिए हैं। टीम अन्‍ना की और से तैयार जनलोकपाल बिल में सीबीआई की भ्रष्‍टाचार निरोधी शाखा को लोकपाल के दायरे में लाने का प्रावधान है। ऐसे में जांच एजेंसी इन प्रावधान का विरोध कर सकती है। स्‍थायी समिति की बैठक सात सितंबर को होगी। इस बैठक के दौरान सीबीआई के शीर्ष अधिकारी अपना पक्ष रखने जाएंगे।

सीबीआई के आला अधिकारी हालांकि यह चाहते हैं कि लोकपाल भ्रष्‍टाचार से जुड़े मामले सीबीआई को रिफर करे और इन मामलों की जांच लोकपाल की निगरानी में हो। इसके अलावा सीबीआई के अधिकारी इस संस्‍था के लिए और अधिक स्‍वायत्‍ता चाहते हैं। सीबीआई के डायरेक्‍टर ए पी सिंह सात सितंबर को कार्मिक, लोक शिकायत और कानून व न्‍याय मामलों पर संसद की स्‍थायी समिति के सामने पेश होंगे। सीबीआई के एक अधिकारी के मुताबिक, ‘हम लोकपाल का गठन चाहते हैं लेकिन साथ ही तमाम जकड़नों से आजाद और स्‍वायत्‍त सीबीआई चाहते हैं जो भ्रष्‍टाचार के खिलाफ जंग में एक कारगर हथियार साबित हो सकता है।’

सीबीआई इस समिति को बताएगी कि वह लोकपाल को अपने मौजूदा ढांचे को मजबूत करने के एक अवसर पर तौर पर देख रही है। जांच एजेंसी ज्‍वाइंट सेक्रेट्री रैंक और इससे ऊपर के अधिकारियों के खिलाफ जांच में आने वाली रुकावटों को दूर करना चाहती है। इस समय सीबीआई को सीनियर अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से पहले राष्‍ट्रपति से लेकर पीएम और मंत्रियों की मंजूरी लेनी पड़ती है। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इस तरह के 14 मामले मंजूरी की राह देख रहे हैं। इसके अलावा 273 मामलों में जांच तो पूरी हो गई है लेकिन मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी नहीं मिलने से चार्जशीट दायर नहीं हो सकी है।
इस बीच, संसद की स्‍थायी समिति के अध्‍यक्ष अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि टीम अन्‍ना के बिल से संबंधित एक प्रस्‍ताव संसद में पारित हो गया है। इसके बावजूद समिति इस बात के प्रभाव में आए बिना सभी मसौदों को बराबर अहमियत देते हुए जांचेगी-परखेगी। सिंघवी का कहना है कि समिति अंतत: अपनी सिफारिशों में ऐसे बिल का ही प्रावधान करेगी जो संविधान के मौजूदा नियमों के अनुरूप हो। ऐसे में देखा जाए तो टीम अन्‍ना के जन लोकपाल बिल का संसदीय समिति की कसौटी पर खरा उतरना मुश्किल हो सकता है।
टीम अन्‍ना के जन लोकपाल बिल में किए गए प्रस्‍ताव के मुताबिक लोकपाल को काफी शक्तियां होंगीं। जांच करने, कार्रवाई करने और जज के रूप में काम करने की सम्मिलित शक्ति एक ही संस्‍था के अंदर हो, सिंघवी इसे संविधान की कसौटी पर प्रथम दृष्‍टया खरा नहीं मानते। ऐसे में टीम अन्‍ना के बिल के लिए समिति के स्‍तर पर चुनौती बढ़ सकती है। हालांकि सिंघवी अभी इस बारे में कुछ नहीं कह रहे कि जांच-परख का क्‍या आधार बनेगा और अंतत: क्‍या निकल कर आएगा।

वैसे, कानूनन यह भी एक तथ्‍य है कि समिति की सिफारिशें सरकार पर बाध्‍यकारी नहीं होती। सरकार ने जन लोकपाल बिल से संबंधित तीन मांगों पर संसद से प्रस्‍ताव पारित करा लिया है। उध, संसदीय समिति को अभी तक सरकारी लोकपाल बिल पर 5500 लोगों के सुझाव मिल चुके हैं। इन तमाम बातों के मद्देनजर लोकपाल का अंतिम स्‍वरूप क्‍या निकल कर आता है, यह अभी तय नहीं है।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...