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03 सितंबर 2011

सत्ता के इन भूखे भेडियों का टेटुआ दबाकर

मुर्दों के
इस देश में
रहने वाले हम लोग
आखिर
किस सुबह
किस आज़ादी की
बात कर रहे हैं
यह सत्ता के
भूखे भेडिये हैं
देख लो
यह ज़िंदा लोगों की लाशों से
बलात्कार ..अत्याचार कर रहे हैं
इन लाशों के मांस को
नोच नोच कर खा रहे हैं
हाँ
अँगरेज़ चले गए
ओलादें छोड़ गए
इसलियें यह कहा रहे हैं
और गुर्रा रहे हैं
हो सके तो इन्हें रोक लो
ऐ मेरे वतन को लोगों
तुम जो बने हो ज़िंदा लाश
जरा उठो
सत्ता के इन भूखे भेडियों का टेटुआ दबाकर
इनके जबड़ों से
चमकता सूरज
मेरे देश को छुडा कर
आज़ाद करा लो
ताके तुम्हे हमें एक बार फिर मिले
सुबह सवेरा एक नये आज़ादी का बसेरा ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

रामदेव ने भरी हुंकार



नई दिल्ली। योगगुरू बाबा रामदेव ने एक बार फिर हुंकार भरी है। उन्होंने शनिवार को घोषणा की कि झांसी से 20 सितम्बर से वह अपनी भारत स्वाभिमान यात्रा का दूसरा चरण शुरू करने जा रहे हैं। कांस्टीट्यूशनल क्लब में योगगुरू ने कहा कि वह अब योग क्रांति से आर्थिक आजादी तक की लडाई लडने जा रहे हैं। रामदेव ने आरोप लगाया कि कालेधन के मुद्दे पर भ्रष्ट लोगों ने देश को लूटा है, ड्रग माफिया, विदेशी कम्पनियां सब मिलकर उनके खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं। रामदेव ने कहा कि उनके ट्रस्ट की गतिविघियों पर फारेन करेंसी रेगुलेशन एक्ट लागू होता है। इसमें किसी भी प्रकार के कानून का उल्लंघन नहीं किया गया है।


अन्ना के साथ हूं


बाबा रामदेव ने कहा कि जन आंदोलनों से सरकार बहुत बुरी तरह से डरी हुई है, पहले सरकार ने अन्ना हजारे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और फिर उनकी टीम के सदस्यों पर तमाम तरह के आरोप लगाए। वह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अन्ना हजारे के साथ पहले भी थे और आगे भी साथ रहेंगे।


नहीं मिला ईडी का नोटिस


रामदेव ने साफ किया कि उन्हें अभी तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कोई नोटिस नहीं मिला है। केवल मीडिया से ही उन्हें इस बारे में जानकारी मिली है। जहां तक उन्होंने कानूनविदों से राय ली है, उनके मुताबिक फेमा में कोई एफआईआर दर्ज ही नहीं होती है। अगर प्रवर्तन निदेशालय कभी पूछेगा भी, तो वह सत्य बताने के लिए तैयार हैं।

कोटा में साहित्य पर ख्यातनाम भाषाविद करेंगे मंथन

कोटा. कोटा में पहली बार राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के भाषाई लेखकों और साहित्यविदों की दो दिवसीय सेमिनार होने जा रही है, जिसमें देशभर के 30 ख्यातनाम लेखक, साहित्यकार, विषय विशेषज्ञ और पत्रकार भाषाई साहित्य और लेखन पर दो दिन तक साझा संवाद करेंगे।


वरिष्ठ पत्रकार नाफीस अफरीदी इस आयोजन में भाग लेने के लिए बरसों बाद शुक्रवार को अपनी जन्मभूमि कोटा आएंगे। इनके अलावा प्रख्यात लेखिका अद्वैता काला आ रही हैं, जिन्होंने विद्या बालन की आने वाली फिल्म ‘कहानी’ और रणधीर कपूर व प्रियंका चौपड़ा अभिनीत फिल्म ‘अंजाना-अंजानी’ की स्क्रिप्ट लिखी थी। वे शुक्रवार रात कोटा पहुंचेगी। ‘आल मोस्ट सिंगल’ की लेखिका अनामिका, रामायण के अनुवादक अर्शिया सत्तार, लेखिका नमिता गोखले, स्पेन के शिक्षाविद् ऑस्कर पुजोल, प्रो. माला श्रीलाल, अनुवादक अरुनव सिन्हा, प्रो. अवधेशकुमार सिंह, लेखिका मनीषा पांडे, मनीषा कुलश्रेष्ठ, लता शर्मा, प्रेमचंद गांधी, विनोद पदज, सरिता मैग्जीन से जुड़े सत्यानंद निरुपम, डॉक्यूमेंट्री निर्माता व लेखक पुष्पेश पंत, कहानीकार हेतु भारद्वाज आ रहे हैं।

प्लीज, मेरे ‘आखिर’ को खून दे दो, जान बच जाएगी

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कोटा। प्लीज कोई तो मेरे आखिर को खून चढ़वा दो। देखो उसकी तबीयत कितनी खराब है। सवाईमाधोपुर निवासी नियाज ने शनिवार को एमबीएस अस्पताल के सरकारी ब्लड बैंक में न जाने कितने लोगों से यह गुहार की, लेकिन उसे अपने छह वर्षीय बेटे आखिर के लिए खून नहीं मिला। ब्लड बैंक वालों का एक ही जवाब था, इमरजेंसी के लिए ही खून का टोटा है, तुम्हें कहां से दें। नियाज जैसे ही करीब 50 माता-पिता और थे जिन्हें अपने थैलेसीमिया पीड़ित मासूमों के लिए ब्लड नहीं मिला।

निजी ब्लड बैंकों से भी उन्हें राहत नहीं मिली तो कुछ तो निराश होकर लौट गए। करीब 20 बच्चों को शनिवार को ही ब्लड चढ़ाया जाना जरूरी था। इन्हीं में से एक था आखिर, जिसका हिमोग्लोबिन शनिवार को 3 ग्राम तक पहुंच गया था। सवाईमाधोपुर निवासी नियाज का छह वर्षीय पुत्र आखिर थैलीसीमिक है। उसे कभी 15 दिन तो कभी एक माह में रक्त चढ़ता है। हीमोग्लोबिन एकदम से कम होने पर उसे शुक्रवार को ही अभिभावकों ने जेके लोन अस्पताल में भर्ती करवाया था।

शनिवार सुबह जब अभिभावक एमबीएस परिसर स्थित सरकारी ब्लड में रक्त लेने पहुंचे तो, वहां उन्हें रक्त की कमी बताकर ब्लड नहीं दिया गया। सुबह 11 बजे तक और थैलेसीमिक बच्चे अपने अभिभावकों के साथ जेके लोन अस्पताल आए। सब एकजुट होकर सरकारी ब्लड बैंक में जा पहुंचें। ब्लड नहीं मिला तो और बच्चों के साथ आखिर के अभिभावक भी ब्लड बैंक के दरवाजे पर जाकर बैठ गए। बाद में मौके पर पहुंची भास्कर टीम की पहल पर स्वैच्छिक रक्तदाता सरकारी ब्लड बैंक पहुंचे और थैलीसीमिक बच्चों को रक्त मिला। डॉक्टरों का कहना है कि यदि आखिर को रक्त नहीं मिलता तो उसकी जान पर भी बन सकती थी।

आवक कम, आपूर्ति ज्यादा

सरकारी ब्लड बैंक में रक्त की आवक कम व आपूर्ति ज्यादा है। यहां से लावारिस, घायल, कैदी आदि को रक्त ज्यादा दिया जाता है। एमबीएस व जेके लोन अस्पताल में भर्ती रोगियों को 45 से 50 यूनिट रक्त दिया जाता है।
- डॉ. एआर.गुप्ता, अधीक्षक एमबीएस

‘पार्टी में सबका कहा मान लूंगा, धारीवाल का नहीं’


कोटा। ईद की बधाइयों के संदेश में पहली बार सार्वजनिक निर्माण मंत्री प्रमोद जैन भाया के साथ दिखे कांग्रेसी नेता नईमुद्दीन गुड्डू अब खुलकर नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ बोलते भी नजर आ रहे हैं। कृषि उपज मंडी समिति चुनाव से पहले धारीवाल के करीबी माने जाने वाले गुड्डू ने अब यहां तक कह दिया है कि वे पार्टी में सबका कहा मान लेंगे लेकिन अब धारीवाल का नहीं।

मंडी समिति चुनाव में गुड्डू समर्थकों ने नगरीय विकास मंत्री और कांग्रेसी नेता रवींद्र त्यागी के खिलाफ आक्रोश भी जताया था। इसके बाद ईद पर शहरभर में लगे होर्डिग्स में वे धारीवाल के विरोधी माने जाने वाले सार्वजनिक निर्माण मंत्री प्रमोद जैन भाया के साथ भी दिखे। शहर में इन होर्डिग्स के बाद चर्चा थी कि गुड्डू ने बधाई संदेश के साथ खेमा बदलने का संदेश भी दे दिया है। इस बारे में जब गुड्डू से पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि वे पाला क्यों बदलेंगे, लेकिन उनकी आस्था जिस नेता (धारीवाल) के प्रति थी वह जरूर बदल गई है।

वे कहते हैं कि उनकी पत्नी को हराने के लिए कांग्रेस के ही पदाधिकारी जिनमें त्यागी भी शामिल है ने पूरी ताकत लगाई। सदस्यों को बॉस (धारीवाल) का आदेश कहते हुए उनके विरोधी को मतदान करने की बात करते रहे। इसके बाद भी जीतने के बाद उन्होंने धारीवाल से आशीर्वाद मांगा, लेकिन उन्होंने सहानुभूति दिखाने की अपेक्षा यह कहा कि चुनाव लड़ने के लिए जो लाइन तय की है, वही अब कर लो। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ मिलकर कांग्रेसी को हराने की नीति उन्हें नहीं आती।

प्रमोद जैन भाया के होर्डिग के साथ फोटो होने पर उन्होंने कहा कि पिछले चार माह से भाया से उनकी बात तक नहीं हुई। वे पाले में नहीं, पार्टी में विश्वास करते हैं। जनता भी इस बात को समझती है। उनकी आस्था कांग्रेस, सोनिया गांधी और राहुल गांधी में है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान में है। उनके कहने पर ही वे कार्य करेंगे। जहां तक सलाह का सवाल है, वे सांसद इज्यराजसिंह, मंत्री भरतसिंह की मान लेंगे, लेकिन नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की नहीं मानेंगे।

जयराम लिखते हैं सोनिया का भाषण, दिग्विजय-प्रणब-पवार देखते हैं पीएम बनने का ख्‍वाब


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नई दिल्‍ली. केंद्र में सत्‍तारूढ़ कांग्रेस नीत सरकार में सोनिया गांधी की भूमिका को लेकर अक्‍सर सवाल उठाए जाते रहे हैं। कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी भले ही पीएम नहीं हैं लेकिन मुख्‍य विपक्षी दल भाजपा का आरोप है कि सरकार की ‘कमान’ उनके ही हाथ में हैं। लेकिन अमेरिका ऐसा नहीं मानता है।


अमेरिकी राजनयिक रॉबर्ट ओ ब्‍लेक ने कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से लिखा था कि सरकार के कामकाज में सोनिया की भूमिका नगण्‍य है। यह खुलासा हुआ है खोजी वेबसाइट विकीलीक्‍स के ताजा गोपनीय संदेशों से। अमेरिकी राजनयिक ने 6 अप्रैल 2005 को लिखे संदेश में कहा था कि सोनिया ने जानबूझकर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करने वाली नेता की छवि बनाई और कांग्रेसी सभ्‍यता का भरपूर फायदा उठाया। वह एक ऐसे कोर ग्रुप से घिरी हुई हैं जो उन्‍हें सलाह देता है और उन्‍हें आलोचकों के हमले से बचाता भी है।

ब्‍लेक का दावा है कि गांधी परिवार इसका कभी खुलासा नहीं करता कि कोर ग्रुप में कौन से लोग हैं जो सोनिया को सलाह देते हैं। अमेरिकी राजनयिक ने भाजपा के उन आरोपों का हवाला दिया है जिसमें कहा जाता है कि सोनिया गांधी ‘शैडो प्राइम मिनिस्‍टर’ की तरह काम करती हैं। राजनयिक का सूत्रों के हवाले से दावा है कि सोनिया और मनमोहन की भूमिकाएं तय हैं। ईमानदार छवि के पीएम सरकार की कमान संभाले हैं वहीं सोनिया कांग्रेस पार्टी पर नजर रखने और गठबंधन सरकार को चलाने के लिए किससे क्‍या समझौता करना है, इस पर नजर रखती हैं।


अमेरिकी राजनयिक के मुताबिक सोनिया गांधी के तीन मुख्‍य सलाहकार हैं- अहमद पटेल, अंबिका सोनी और जयराम रमेश। ये कई वर्षों से गांधी परिवार से जुड़े हैं। पार्टी के अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि अंबिका सोनी का कद बढ़ता जा रहा है और वह उन लोगों में शामिल हैं जिनपर सोनिया सबसे ज्‍यादा भरोसा करती हैं। रमेश को विचारक और शब्‍दों का जादूगर माना जाता है जो गांधी का भाषण तैयार करते हैं और उनके विचारों को आकार देने में मदद करते हैं। सूत्रों ने अहमद पटेल को कमतर आंका जो पहले अपने कौशल के लिए जाने जाते थे और सोनिया के हर फैसले के पीछे उनका ही हाथ माना जाता था।


ब्‍लेक ने गांधी परिवार के साथ लंबे समय तक जुड़े रहने वाले सलाहकारों के अलावा कांग्रेस में कुछ ऐसे नेताओं का जिक्र किया जो सोनिया गांधी के कोर ग्रुप में कभी शामिल होते हैं तो कभी बाहर आ जाते हैं। इनमें पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह और कृषि मंत्री शरद पवार शामिल हैं। विकीलीक्‍स के गोपनीय संदेशों के मुताबिक ये बेहद महत्‍वाकांक्षी हैं और पीएम बनने का ख्‍वाब देखते हैं। ब्‍लेक के मुताबिक इस टीम में अर्जुन सिंह (जो अब इस दुनिया में नहीं रहे) भी शामिल थे।

कोर ग्रुप के अलावा सोनिया के आसपास एक और घेरा है जिसमें वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी जैसे नेता शामिल हैं। इन नेताओं का गांधी परिवार से लंबा जुड़ाव रहा है और सोनिया गांधी से कभी भी सीधे मिलते हैं और विभिन्‍न मसलों पर कांग्रेस के फैसले को लेकर सुझाव देते हैं। अमेरिका राजनयिक ने मुखर्जी ने इस ग्रुप में सबसे सीनियर नेता माना है और इनके बारे में भी कहा है कि वह एक दिन पीएम बनने का उम्‍मीद पाले बैठे हैं।
कांग्रेस और सोनिया गांधी को लेकर अमेरिका की यह राय भले ही छह साल पुरानी हो, पर इससे यह तो पता चलता ही है कि अमेरिका कांग्रेस अध्‍यक्ष को किस रूप में देखता है।

स्‍वामी अग्निवेश ने हजार रुपये रिश्‍वत देकर बनवाया था फर्जी वोटर कार्ड?


रेवाड़ी. स्वामी अग्निवेश के साथ आठ साल तक काम करने वाले उनके सहयोगी रहे वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 1984 में मध्यप्रदेश के राजनंद गांव से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए अग्निवेश ने दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित चुनाव कार्यालय में एक हजार रुपए रिश्वत देकर मुस्लिम मोहल्ला से फर्जी मतदाता प्रमाण पत्र बनवाया था।

विद्रोही के अनुसार उनकी 1978 में स्वामी से मुलाकात हुई थी। बंधुवा मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय खान मजदूर यूनियन गठित करने के बाद स्वामी दोनों संगठनों के अध्यक्ष तथा विद्रोही महासचिव बने थे। विद्रोही ने स्वामी से अलगाव की वजह स्वामी की खदान मालिकों से मिलीभगत होना बताया।

विद्रोही ने कहा कि अगर मोर्चा के पुराने रिकॉर्ड को खंगाला जाए तो साबित हो जाएगा कि स्वामी का विदेशों में भी लेनदेन चलता था। स्वामी अग्निवेश 1977 में जनता पार्टी की टिकट पर हरियाणा के पूंडरी विधानसभा से विधायक मनोनीत हुए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल ने उन्हें शिक्षामंत्री बनाया था। सत्ता परिवर्तन के बाद पूंडरी से उनका लगाव खत्म हुआ और मतदाता सूची से उनका नाम काट दिया गया था।


आज़ादी की दूसरी लड़ाई में काले अँगरेज़ बाधक बन रहे हैं

जी हाँ दोस्तों एक आज़ादी की लड़ाई सभी ने मिलकर अंग्रेजों को भगाने के लियें लड़ी थी धरने दिए ..प्रदर्शन किये .गोलियां खायीं ..जेल में गए और फिर कहीं जाकर यह आज़ादी हमे मिली है लेकिन आज जब भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे नेताओं खासकर सत्तापक्ष के लोगों से जनता मुक्ति मांग रही है देश से भ्रष्टाचार और कालाबाजारी के खिलाफ आवाज़ उठा कर काले धन को बाहर निकालने की बात कर रही है तब सत्ता पक्ष के लोग वही सब कुछ कर रहे है जो अंग्रेजों ने आज़ादी का आन्दोलन दबाने के लियें क्या ,,,,सत्ता पक्ष ने पहले काले धन के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले बाबा रामदेव को आना से लडाया फिर डिवाइड एंड रुल की निति पर सत्तापक्ष ने बाबा रामदेव से समझोता कर गले लगाया उन्हें रामलीला मैदान बेठने की जगह दी जब बात बिगड़ गयी तो फिर उनकी जलियावाला बाग़ जेसी गत बनाई गयी .उनके खिलाफ अचानक सत्तापक्ष ने सारी जांचें शुरू कर दी .इस जीत से सत्तापक्ष का सीना फुल गया और उसने समझा भ्रष्टाचार के खिलाफ जो भी बात करे उसे भ्रस्थ बताओ जेल में डालो ..अन्ना के साथ भी ऐसा ही बर्ताव किया गया पहले अन्ना को डराया धमकाया फिर गिरफ्तार कर प्रताड़ित किया लेकिन जब जनता की आवाज़ उठी तो सरकार दो कदम पीछे हटी और अन्ना और उनके समर्थकों के आगे अंग्रेजों की तरह नतमस्तक हो गयी सारे देश ने देखा के समझोते हुए दलालों को भेजा गया आन्दोलन के जो समर्थक थे उनकी हिट लिस्ट बनाई गयी और उन्हें सबक सिखाने उन्हें जेल का दरवाज़ा दिखाने के प्रयास तेज़ हो गये ..आन्दोलन के जो गद्दार बने सरकार का जिसने समर्थन किया उन्हें पुरस्कर्त करने की तय्यारी की गयी .............आज बाबा रामदेव के खिलाफ नोटिस उनके खिलाफ जांच अचानक उनके द्वारा काले धन के खिलाफ आवाज़ उठाने का नतीजा है वरना इसी सत्ता के लियें यह बाबा रामदेव भगवान थे ..अन्ना और उनके समर्थकों को सत्तापक्ष ने माथे पर बिठाया और फिर अचानक दूध में से मक्खी की तरह निकाल दिया .ताज्जुब तो यह है के सत्तापक्ष ने वोह अंग्रेजों की निति अपनाई जिसमे वोह डिवाइड एंड रुल की निति से देश को गुलाम बनाये रहे लेकिन अभी इन काले अंग्रेजों की सभी नीतिया फेल हो गयीं साम्प्रदायिकता ..अआर एस एस ..विपक्षी आन्दोलन कहकर आन्दोलन को दबाया बदनाम किया लेकिन वाह देश जिंदाबाद रहा और जनता जीत गयी घोषणा हो गयी लेकिन सत्तापक्ष तो काली अँगरेज़ है उसने केजरीवाल को सताया ..बाबा को उठाया ..अन्ना को भ्रष्ट कहा और किरण बेदी ..ओम,पूरी सहित प्रशांत भारद्वाज को जेल भेजने की धमकिया देकर कार्यवाहियां शुरू की इतना बखेड़ा होने के बाद भी सत्ता पक्ष को पछतावा नहीं है वोह अपनी गलतियाँ सुधारना नहीं चाहती है और एक रावण की तरह हरकतें कर रही है लेकिन उन्हें पता नहीं के दस सर वाले रावण का अंत करने के लियें अब राम का जन्म हो गया है और देश की सुक्ख शांति इमानदारी का जो हरण इस सरकार ने किया है उसे छुडाने के लियें अन्ना रामबाण और हनुमानों की वानर सेना को लेकर आ गये है फिर कुम्भ कारन हो चाहे शूर्पनखा हो चाहे रावण हो सभी को धाराशायी होना ही होगा इसलियें कहते हैं के वन्दे मातरम ..इन्कलाब जिंदाबाद .मेरा देश महान है मेरे देश की भोली भली जनता जब सडको पर आती है तो फिर यह मेरे देश की तरह ही महान हैं .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पीएमओ की वेबसाइट पर देखें किस मंत्री के पास कितना पैसा

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नई दिल्ली.प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की वेबसाइट पर तीन मंत्रियों को छोड़कर बाकी केंद्रीय मंत्रियों की संपति का ब्योरा शुक्रवार से सार्वजनिक हो गया है। इससे पहले,पीएमओ ने मंत्रियों से 31 अगस्त तक यह ब्योरा मांगा था।

इसे http://pmindia.nic.in/rti.htm पर देखा जा सकता है। हालांकि इसमें विलास राव देशमुख,कृष्णा तीरथ और जयंती नटराजन की संपत्ति की जानकारी फिलहाल शामिल नहीं है। केंद्रीय मंत्री वीरभद्र सिंह ने अपनी घोषणा में 55 बैंक खातों का जिक्र किया है।

इस सिलसिले में 2 जून को तत्कालीन केबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर ने सभी मंत्रियों को पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि उन्हें प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया है कि मंत्रियों को उनकी आचार संहिता के अनुरूप (संपत्ति की) घोषणा करनी जरूरी है।

इसके तहत वे अपनी संपत्ति, उतरदायित्व, व्यावसायिक हितों, किसी अन्य काम को संभालना व उसके प्रबंधन, विदेशी सरकार या संगठन के तहत पति-पत्नी व आश्रितों की आय का भी विवरण दें। इस घोषणा में मंत्रियों उनके परिजन व कंपनियों की संपत्ति शामिल है।

सिब्बल ने माना,सोशल नेटवर्किंग साइटों पर नजर रखना एक चुनौती


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नई दिल्ली. केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को कहा कि आंकड़ों को कूट रूप दिए जाने के कारण सोशल नेटवर्किंग साइटों की विषय-विस्तुओं पर नजर रखना भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए कठिन कार्य है।


उन्होंने कहा,"सोशल नेटवर्किंग साइटों के समाधान सेवा प्रदाता ऐसी नेटवर्किंग साइटों के लिए कूट रूप का उपयोग करते हैं जिस कारण सुरक्षा एजेंसियों के लिए उनकी विषय-विस्तुओं पर नजर रखना चुनौती बन जाती है।"

सिब्बल ने कहा कि सरकार हालांकि दूरसंचार सेवा प्रदाताओं एवं समाधान सेवा प्रदाताओं के साथ नियमित रूप से संवाद बनाए रखती है,ताकि मसले का हल निकाला जा सके और सुरक्षा, सेवा तथा देश की विकासात्मक जरूरतों की दृष्टि से समाधान को लागू करना सम्भव हो सके।

सांप को काटने के जुर्म में इन महाशय को हुई सजा


एक बदकिस्मत सांप की उस वक़्त आपातकालीन सर्जरी करनी पड़ी, जब कैलिफोर्निया के एक आदमी ने उसे दो बार काट डाला। जीव चिकित्सकों को उसके शरीर पर हुए दो इंच के घाव पर टांके लगाने पड़े। काटी गई जगह से मांस का कुछ हिस्सा भी ग़ायब था।

कैलिफोर्निया के डेविड सेंक को एक सांप को बुरी तरह काटने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया है। फॉक्स 40 द्वारा जेल में पूछने पर डेविड ने बताया कि उसे याद नहीं कि उसने सांप को कब काटा. डेविड ने बताया कि वो उस वक़्त नशे में था।

डेविड ने कहा "अगर सांप के मालिक का पता चले तो मुझे बताइएगा, मैं उससे माफ़ी मांगना चाहता हूं। मुझे ख़ुशी है कि सांप ज़िंदा है और जल्द ही ठीक हो जाएगा। मैं उसके इलाज में आए खर्चे की भरपाई की कोशिश करूंगा।"


आखिर क्यों नहीं टिक पाते राजस्थान में राज्यपाल

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जयपुर। राजस्थान का राजभवन पिछले काफी समय से खाली पड़ा है। लेकिन कोई भी यहां का राज्यपाल बनने को तैयार नहीं है। पिछले काफी समय से जो भी राज्यपाल बना है , उसकी किसी न किसी कारण से पद पर रहते हुए मौत हो गई है। पहले निर्मल जैन, शीलेन्द्र कुमार सिंह और कुछ समय पहले प्रभा राव की मौत के बाद से यहां कोई स्थाई राज्यपाल नहीं है। कुछ इसे राजभवन में वास्तुदोष बताते हैं तो कुछ इसे बस एक संयोग भर ही कहते हैं। फिलहाल यहां शिवराज पाटील कार्यवाहक राज्यपाल के रूप में पदभार संभाल रहे हैं। भाजपा नेता मजाक में कहते हैं कि यदि कांग्रेस का कोई नेता राज्यपाल बनना नहीं चाहता तो हमारे नेताओं को यह पद दिया जा सकता है।

मनमोहन के पास एक पुरानी तो सिब्‍बल के पास चार-चार कार, वीरभद्र के 55 बैंक खाते


नई दिल्‍ली. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कहने पर उनकी टीम के सदस्‍यों ने अपनी संपत्ति सार्वजनिक कर दी लेकिन मंत्रिमंडल के छह सदस्‍यों ने अभी भी अपनी संपत्ति का ब्‍यौरा नहीं दिया। ये छह मंत्री हैं- विलासराव देशमुख, राहुल गांधी के करीबी भंवर जितेंद्र सिंह, कृष्णा तीरथ, जयंती नटराजन, एस जगतरक्षकन और वी किशोर चंद देव।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास गाड़ी के नाम पर सिर्फ 1996 मॉडल की एक मारुति 800 कार है। वहीं, उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्यों के पास एक से ज्यादा लग्जरी गाडि़यां हैं। कपिल सिब्बल के पास 5 गाड़ियां - टोयोटा कोरोला, ह्युंदै सोनाटा, सुजुकी जीप, एनफील्ड मोटरसाइकिल, रेवा इलेक्ट्रिक कार हैं। गृहमंत्री पी चिदंबरम के पास 22 लाख 14 हजार की स्‍कोडा, 16 लाख 23 हजार की फॉक्सवैगन समेत तीन कारें हैं। उनकी अचल और चल संपत्ति की कुल कीमत 11.16 करोड़ रुपये है। वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी के पास 2000 मॉडल की फोर्ड आइकन कार है जिसकी मौजूदा कीमत एक लाख 6 हजार 250 रुपये है। जबकि इनकी पत्‍नी के नाम 22 हजार 185 रुपये की अंबेसडर कार है।


सिब्‍बल के पास करीब 35 करोड़ की चल - अचल संपत्ति है। उनके पास बेंगलुरु, दिल्ली, फरीदाबाद और गुड़गांव में जमीन है। सिकंदराबाद, पटना, दिल्ली और गुड़गांव में उनके घर भी हैं। इसके अलावा नकदी करीब 3.11 लाख और वित्तीय संस्थान और गैर वित्तीय कंपनियों में जमा - करीब 76.91 लाख रुपये जमा हैं।

पीएमओ की वेबसाइट पर उपलब्‍ध कैबिनेट मंत्रियों की संपत्ति के ब्‍यौरे के मुताबिक मनमोहन सिंह के पास चंडीगढ़ में दो और दिल्ली में एक घर है। उनके पास 15 हजार रुपये ही नकद है। अलग-अलग बैंकों में उनकी जमापूंजी लगभग 26 लाख रुपए है।

मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर के पास 2.75 लाख के सोने के आभूषण हैं। दूसरे मंत्रियों की तरह देश के प्रधानमंत्री के नाम खेती योग्य कोई जमीन नहीं है। जबकि, मंत्रिमंडल में उनके कई सहयोगी कई हजार एकड़ कृषि भूमि के मालिक हैं। कृषि मंत्री शरद पवार की कुल अचल संपत्ति साढ़े तीन करोड़ की है तो उनकी पत्नी की अचल संपत्ति की कुल कीमत एक करोड़ के आस पास है।


अन्‍ना हजारे के आंदोलन को लेकर टिप्‍पणी करने वाले वीरभद्र सिंह कुल 22.22 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति के मालिक हैं। इन्‍होंने अपने पास 55 बैंक खाते होने की घोषणा की है। शहरी विकास मंत्री कमलनाथ मनमोहन सरकार के सबसे धनी मंत्री हैं। इनके पास 2 अरब 63 करोड़ की संपत्ति है। रक्षा मंत्री ए के एंटनी के पास सबसे कम संपत्ति है। एंटनी के नाम 15 लाख रुपये का मकान और इतने ही कीमत की जमीन है। इसके अलावा करीब पौने चार लाख रुपये बैंक में जमा हैं। इनके पास सेकेंड हैंड वैगन आर कार है जो एक लाख 36 हजार बैंक लोन से खरीदी गई है।

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