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05 सितंबर 2011

अब दिल्ली में गूंजी आवाज


कोटा। एआई ट्रिपल ई सेंटर बहाल करने की कोटावासियों की मांग और सीबीएसई निदेशक द्वारा आरटीआई के जवाब में की गई अपमानजनक टिप्पणी की शिकायत सोमवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय तक पहुंच गई। सांसद इज्यराज सिंह ने सोमवार को एमएचआरडी मंत्री कपिल सिब्बल और सीबीएसई उच्चाधिकारियों से मिलकर परीक्षा केंद्र बहाल करने का दबाव बनाया। इससे पूर्व सिंह ने शुक्रवार को भी सीबीएसई अधिकारियों से मिलकर एआई ट्रिपल ई विंग के निदेशक की कोटा में पेपरों की असुरक्षा संबंधी टिप्पणी पर शिकायत दर्ज करवाई थी।

सिंह ने दिल्ली से फोन पर ‘भास्कर’ को बताया कि एमएचआरडी के उच्चाधिकारियों ने उन्हें आश्वस्त किया है कि एआई ईईई,2012 के परीक्षा केंद्रों की सूची में कोटा का नाम फिर से शामिल करने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही आईआईटी-जेईई,12 का परीक्षा केंद्र भी फिर से बहाल करने पर विचार किया जाएगा। वे पहले भी ध्यानाकर्षण के जरिए इस मुद्दे को लोकसभा में उठा चुके हैं।

सांसद ने अधिकारियों को बताया कि देश-विदेश में कोटा की ख्याति शैक्षणिक नगरी के रूप में है। वहां देश के कोने-कोने से लाखों छात्र-छात्राएं एआई ट्रिपल ई और आईआईटी-जेईई की तैयारी करने कि लिए आते हैं। ये विद्यार्थी पूरे साल कोटा में ही रहते हैं, इसलिए उन्हें यहां की अनुकूल परिस्थितियों में ही परीक्षा देने का अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कोटा के आम नागरिकों की आवाज है। पूर्व पार्षद बृजेश शर्मा नीटू ने बताया कि इस मुद्दे पर कोटा के नागरिक व छात्र शक्ति सांसद के साथ हैं।

महापौर व कांग्रेस प्रवक्ता भी आगे आए

इधर, एआई ट्रिपल ई का परीक्षा केंद्र बहाल करने की मुहिम में सोमवार को महापौर डॉ.रत्ना जैन ने भी हस्ताक्षर करके अपना समर्थन दिया। राजीव गांधी नगर में 500 से ज्यादा स्टूडेंट्स ने परीक्षा केंद्र खोलने के समर्थन में बैनर पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर महापौर ने कहा कि कोटा देश में एजुकेशन सिटी के नाम से जाना जाता है, ऐसे में यहां प्रमुख प्रवेश परीक्षाओं के सेंटर न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने आईआईटी,मुंबई के निदेशक को पत्र भेजकर यहां जेईई,2012 का सेंटर भी बहाल करने की मांग की। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता पंकज मेहता ने कहा कि वे प्रधानमंत्री, एचआरडी मंत्री और मुख्यमंत्री स्तर पर निरंतर इस मुद्दे को उठाते आ रहे हैं, सीबीएसई को गंभीरता से विचार करना चाहिए।

वीडियोगेम के शौकीन हैं तो यहां ज़रूर जाएं


बर्लिन के इस वीडियो गेम म्यूजियम को देखकर आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे। यहां पर 300 से ज्यादा नए और पुराने हार्डवेयर मौजूद हैं। सबसे पहला आर्केड गेम कम्प्यूटर स्पेस भी यहां रखा है। 1971 में रिलीज हुआ ये गेम व्यावसायिक तौर पर नाकाम रहा था।



1990 के दशक अंत में ये म्यूजियम कुछ समय के लिए खोला गया था और 2000 में बंद हो गया था। इसके बाद जनवरी 2011 में इसे दोबारा शुरू किया गया है। म्यूजियम का मकसद 1951 से लेकर अब तक वीडियो गेम्स से संबंधित सभी क्षेत्रों की जानकारी लोगों को देना है। म्यूजियम की एक दीवार पर 50 हैंडहेल्ड और होम वीडियो गेम्स प्रदर्शित हैं। गेम्स के शौकीन यहां कॉमोडोर 64, द गेम बॉय और 1990 का पॉपुलर गेम निंटैंडो भी देख सकते हैं।





नौकरी से निकालने पर बना लिया गिरोह

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लुधियाना. पटियाला . जाली सर्टीफिकेट तैयार करने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड बलबीर सिंह ने ‘शार्टकट टू सक्सेस’ का फंडा अपनाया, लेकिन यह शार्टकट उसे अपराध की दलदल में धकेलता चला गया। बलबीर सिंह बीएससी है व पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड में क्लर्क था। उसे विभाग से विवाद के चलते निकाल दिया गया। नौकरी से बर्खास्त होने पर उसने दसवीं व बारहवीं के सर्टीफिकेट की बारीकी से जानकारी होने का फायदा उठाने की सोची और पट्टी के सुखदेव सिंह गिल को अपने साथ मिला लिया।

मोहाली में तैयार करते थे फर्जी सर्टिफिकेट

उन्होंने जाली सर्टीफिकेट बनाने के लिए मोहाली स्थित घर में कंप्यूटर व अन्य उपकरण लगा लिए। बाद में सुखदेव सिंह की मौत हो गई तो बलबीर ने गुरप्रीत सिंह के साथ मिलकर जाली सर्टीफिकेट बनाने का काम जारी रखा और अपने गिरोह को मजबूत कर लिया। उसने पंजाब सहित अन्य राज्यों में जाली सर्टीफिकेट सप्लाई करने शुरू कर दिए।

परीक्षा कंट्रोलर बदलने पर दस्तखत भी बदले

आरोपी जाली सर्टीफिकेट तैयार करने के लिए हर बारीकी पर ध्यान रखते थे। वे संबंधित यूनिवर्सिटी में परीक्षा कंट्रोलर बदलने पर असल सर्टीफिकेट पर किए कंट्रोलर के हस्ताक्षरों की हूबहू कॉपी करते थे। इसके लिए उन्होंने कई यूनिवर्सिटीज के स्टाफ से संपर्क बना रखे थे।

एसएसपी गुरप्रीत सिंह गिल ने कहा कि आरोपियों से पता लगाया जा रहा है कि उनके विभिन्न यूनिवर्सिटी के किस स्टाफ के साथ संपर्क हैं। विभिन्न राज्यों में सप्लाई का सूत्र बनने वाले आरोपियों को भी काबू करने का प्रयास किया जा रहा है। आरोपियों से बरामद कंप्यूटर व अन्य उपकरणों को साइबर लैब में जांच के लिए भेज दिया है।

पंजाबी यूनिवर्सिटी में जांच : पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के परीक्षा कंट्रोलर पवन कुमार सिंगला ने कहा कि उनके पास सीआईए स्टाफ के कुछ अधिकारी आए थे। उन्होंने जाली सर्टीफिकेट्स की बारीकी से जांच की है। इसमें पता चला कि ये सर्टीफिकेट्स स्कैन करके तैयार किए गए।

आगे क्या : फर्जी सर्टीफिकेट बनाने वाले गिरोह के दो सदस्य गिरफ्त में आने के बाद अब पुलिस तीसरे फरार आरोपी जसविंदर की तलाश कर रही है जो ग्राहक ढूंढ़कर लाता था। उसके काबू में आने के बाद इस गिरोह के विभिन्न राज्यों में फैले नेटवर्क का खुलासा होगा। गिरोह ने जिन लोगों को फर्जी सर्टिफिकेट बांटे हैं, उनमें से कई वर्तमान में सरकारी विभागों में कार्यरत हैं। इन पर भी गाज गिरना तय है। पुलिस पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ व पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के स्टाफ से पूछताछ कर यह भी पता लगा रही है कि आरोपियों के साथ यूनिवर्सिटीज के कौन कर्मचारी मिले हुए थे।

इन रंगीन चूजों के पीछे छिपी है इंसानी क्रूरता

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चीन में इन दिनों रंगीन चूजे बाज़ार में काफी संख्या में बेचे जा रहे हैं। यह चूजे पेंट या कलर द्वारा रंगीन नहीं बनाए जाते, बल्कि यह जन्मजात रंगीन होते हैं। इन्हें रंगीन बनाने के लिए इनके अण्डों में सिरींज के द्वारा कलर इंजेक्ट किए जा रहे हैं।

इस तरीके से पैद हुए रंगीन चूजे भारत, चीन, मलेशिया, मोरक्को, यमन और अमेरिका में इन्हें अच्छी कीमत पर बेचा जाता है। इस संबंध में जानवरों के हितों के लिए काम करने वाली संस्थाओं ने आपत्ति जताई है और जानवरों के प्रति होने वाली इस क्रूर हरकतों का विरोध किया है।

दरअसल जिन रंगों के द्वारा इन्हें रंगीन बनाया जाता है, उनमें हाइड्रोजन पराक्साइड और अमोनिया जैसे ख़तरनाक रसायन होते हैं, जो कि इन जानवरों के लिए ख़तरनाक साबित बो सकते हैं।

विशेषज्ञों द्वारा बताया जा रहा है कि इन चूजों को रंगीन बनाने से इनके अलावा इन्हें खाने वाले इंसानों पर भी दुष्प्रभाव पड़ सकता है। इससे इनकी मौत भी हो सकती है।

हालांकि रंगीन करने की इस प्रक्रिया का कोई ख़ास फायदा नहीं होता, क्योंकि जैसे-जैसे मुर्गी के यह बच्चे बड़े होते हैं, वैसे-वैसे इनके नए पंख निकले रहते हैं और एक निश्चित दिन सभी रंगीन पंख झड़ जाते हैं। लेकिन फिर भी ज़्यादा पैसे कमाने के लालच में इनका व्यापाक करने वाले लोग यह प्रक्रिया अपना रहे हैं।

इंटरनेट पर 'हिट' हो गया पेड़ पर लटकता यह मेढ़क

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इस तस्वीर को देख कर शायद आपको ऐसा लगे कि ये मेंढ़क अपना वज़न कम करने के लिए कसरत कर रहा है, लेकिन असल में ऐसा नहीं है। इंटरनेट पर छाई हुई इस तस्वीर में एक मेंढ़क पेड़ की डाल पर लटका हुआ है।

जर्मनी के बावरिया में एक नदी में फोटोग्राफर हेंज बुल्स ने इस शानदार क्षण की तस्वीर को अपने कैमरे में कैद किया। हेंज ने बताया कि दरअसल उस समय पानी में एक सांप था, जिससे बचने की कोशिश करते हुए ये मेंढ़क पेड़ पर लटक गया था और जब इस क्षण की तस्वीर खींची गई तो उसमें ऐसा महसूस हो रहा है जैसे मेंढ़क कसरत कर रहा हो।

केजरीवाल पर दिग्विजय के आरोपों से भड़के अन्‍ना, सिंह ने कहा- 'तमीज' से पेश आएं

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रालेगण सिद्धि. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और सामाजिक कार्यकर्ता अन्‍ना हजारे के बीच शब्‍दों के वाण चलने फिर से शुरू हो गए हैं। अरविंद केजरीवाल पर की गई टिप्‍पणी को लेकर अन्‍ना हजारे ने दिग्विजय सिंह पर पलटवार किया। अन्‍ना ने सोमवार को एक बार फिर दिग्विजय को उनके बयानों को लेकर ‘पागलखाने’ भेजे जाने की सलाह दी। अन्ना ने कहा, ‘दिग्विजय सिंह का मनसिक स्तर बिगड़ चुका है। उन्हें इलाज के लिए पागलखाने भेज देना चाहिए क्योंकि उनकी फालतू की बयानबाजी यह साबित करने के लिए काफी है कि उनके सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो गई है।’ अन्‍ना ने केजरीवाल की तारीफ करते हुए उन्‍हें अच्‍छा इंसान करार दिया। अन्‍ना के बयान पर दिग्विजय ने निशाना साधते हुए कहा कि अन्ना को अपनी भाषा का ध्यान रखना चाहिए और नेताओं के साथ तमीज से पेश आना चाहिए।


अन्‍ना की यह टिप्‍पणी दिग्विजय के उस बयान पर प्रतिक्रिया के रूप में आई है कि अरविंद केजरीवाल ने एनजीओ चलाकर लाखों रुपये चंदे के तौर पर वसूल किए हैं। रविवार को आजमगढ़ में एक सम्मेलन के दौरान दिग्विजय सिंह ने कहा कि सरकारी सेवा में रहते हुए केजरीवाल राजनीति करते रहे और एनजीओ के लिए पैसा बटोरते रहे। उन्होंने कहा कि अगर किसी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया है तो सिर्फ इसलिए वह सरकारी नियमों से खिलवाड़ नहीं कर सकता है। टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आयकर विभाग की ओर से जारी वसूली नोटिस पर उन्होंने कहा कि केजरीवाल को विभागीय कायदे-कानूनों के आधार पर बकाया जमा करना होगा।



कांग्रेस के महासचिव और पार्टी के उत्तर प्रदेश मामलों के प्रभारी दिग्विजय ने आजमगढ़ में बाबा रामदेव पर भी निशाना साधा। उन्‍होंने अन्ना हजारे को सामाजिक कार्यकर्ता तो बाबा रामदेव को एक ठग करार दिया। उन्होंने कहा कि अन्ना हजारे के जन लोकपाल बिल के पीछे भाजपा और संघ है, जिसे केंद्र सरकार स्वीकार नहीं करेगा।
केजरीवाल ने दिग्विजय के आरोपों का जवाब यह कहते हुए दिया, 'अगर दिग्विजय सिंह को लगता है कि मैंने करोडो़ रुपये की हेराफेरी की है तो गैर जिम्मेदाराना बयान देने के बजाय उनकी पार्टी की सरकार मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मेरे खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे।' हालांकि सोमवार को एक मीडिया रिपोर्ट से केजरीवाल की मुश्किल बढ़ सकती है। नई दिल्‍ली से प्रकाशित एक अंग्रेजी अखबार ने 2007 में केजरीवाल की केंद्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को लिखी चिट्ठी का हवाला देते हुए लिखा है कि अरविंद ने खुद माना था कि उन्‍होंने नौकरी के दौरान सेवा शर्तों का उल्‍लंघन किया था

'मायावती ने चप्‍पल लेने मुंबई भेजा विमान, हर बार गुजरने के बाद धुलवाती हैं सड़क'


नई दिल्ली. अमेरिका उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को तानाशाह मानता है। अमेरिका के ये विचार विकीलीक्स के जरिए सामने आए अमेरिकी दूतावास के गुप्त राजनयिक संदेशों में दर्ज हैं। 13-17 अक्टूबर, 2008 के बीच अमेरिकी दूतावास की तरफ से एक राजनीतिक प्रतिनिधि ने उत्तर प्रदेश के हालात का जायजा लेने सूबे के तीन शहरों-लखनऊ, वाराणसी और कानपुर की यात्रा की थी। इस यात्रा के आधार पर 23 अक्टूबर, 2008 को अमेरिका के विदेश मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट के मुताबिक, 'मुख्यमंत्री मायावती तानाशाह बन चुकी हैं और प्रदेश की कानून व्यवस्था बस इसी मायने में सही हुई है कि अब भ्रष्टाचार का केंद्रीयकरण हो गया है और इसकी डोर सीधे तौर पर मुख्यमंत्री के हाथों में आ गई है।'

अमेरिकी केबल यह भी कहता है कि मायावती के राज में भ्रष्टाचार संस्थागत हो गया है। गुप्त दस्तावेज के मुताबिक, 'मायावती और उनकी पार्टी ने सत्ता हासिल करने के बाद प्रदेश के विकास के लिए बहुत कम काम किया है। राज्य में नौकरशाह, पत्रकार डरे सहमे रहते हैं। मायावती सूबे से जुड़ा हर छोटा बड़ा फैसला या तो खुद करती हैं या फिर उनका बहुत ही सीमित दायरे वाला समूह। मायावती को अपनी सुरक्षा का डर सताता है। यही वजह है कि उनका खाना बनाने के लिए 9 कुक रखे गए हैं, जिसमें सिर्फ दो खाना बनाते हैं और बाकी 7 खाना बनता हुआ देखते हैं। मायावती को इससे भी संतोष नहीं होता है। खाना बनने के बाद वे दो फूड टेस्टर से उसकी जांच करवाती हैं। मायावती की शाहखर्ची का आलम यह है कि एक बार उन्होंने सैंडल की एक जोड़ी लेने के लिए एक जेट विमान मुंबई भेज दिया था। मायावती को प्रधानमंत्री बनने की धुन सवार है। रिपोर्ट के मुताबिक मायावती से ब्राह्मण और मुस्लिम वोट बैंक खिसक रहा है लेकिन उनका मुख्य आधार दलित आज भी उनके साथ हैं। '

शाहखर्च और सुरक्षा के प्रति सतर्क
अमेरिकी केबल के अनुसार मायावती 'किसी भी राज्य पहली ऐसी मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने अपने घर से दफ्तर के लिए निजी सड़कें बनवाईं। मायावती की रईसी का आलम यह है कि यहां से गुजरने के बाद इस सड़क की सफाई की जाती है। यहां तक माया ने विरोधियों द्वारा जहर दिए जाने की आशंका के मद्देनजर एक फूड टेस्टर की नियुक्ति तक कर रखी है, जो माया के खाने-पीने की चीजों की जांच करता है।'

सत्ता पर सीधा नियंत्रण
अमेरिकी दस्तावेज के मुताबिक मायावती सत्ता पर सीधे तौर पर नियंत्रण रखना पसंद करती हैं। राज्य के हर फैसले उनके कार्यालय से होकर गुजरने चाहिए। ऐसा न होने पर वे सख्त हो जाती हैं। लखनऊ के पत्रकार के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बार एक मंत्री ने मायावती को बिना बताए राज्यपाल को किसी कार्यक्रम में बुला लिया था। मायावती ने उस मंत्री को अपने सामने उठक-बैठक करवा दी थी। यही नहीं, जब मायावती को पता चला कि उनके एक अधिकारी की बेटी कांग्रेस पार्टी में शामिल हुई है तो उन्होंने अधिकारी को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया था।

भ्रष्टाचार
केबल में कहा गया है कि मायावती के राज में बदमाशों के गैंग एक-दूसरे पर गोलियां चलवाने के लिए पैसे देते हैं। यही नहीं, लोकसभा चुनाव में बीएसपी का टिकट लेने के लिए किसी कैंडिडेट को 250,000 अमेरिकी डॉलर (करीब एक करोड़ रुपये) देने होते हैं। इसके अलावा प्रदेश सरकार के साथ होने वाली हर बड़ी 'डील' में 'हिस्सा' होता है। रिपोर्ट के अनुसार सूबे के कई उद्योगपतियों ने गुजरात के मुख्यंत्री नरेंद्र मोदी की इस मामले जमकर प्रशंसा की।

कार्रवाई का डर
अमेरिकी केबल के मुताबिक मायावती मीडिया से बहुत कम मुखातिब होती हैं और जब भी वे प्रेस कॉन्फ्रेंस करती हैं, पत्रकारों को सवाल पूछने की इजाजत नहीं होती है। रिपोर्ट के मुताबिक दूतावास के प्रतिनिधि ने सूबे के कई पत्रकारों से बातचीत की थी। इन पत्रकारों के मुताबिक राज्य के अफसर अपनी कुर्सी बचाने के लिए पत्रकारों से बात नहीं करते हैं। पत्रकारों ने माना है कि अगर वे मायावती या उनकी सरकार के खिलाफ कोई खबर लिखते हैं तो उन्हें बदले की कार्रवाई का डर रहता है। ज़्यादातर अफसरों और पत्रकारों के फोन टेप किए जाते हैं।


जाति आधारित राजनीति की धूम
गुप्त राजनयिक दस्तावेज के मुताबिक मई, 2007 में दलित, ब्राह्मण और कुछ मुस्लिमों के गठजोड़ के दम पर सत्ता में आईं मायावती के साथ आज भी दलित हैं। क्योंकि समाज के इस वर्ग को लगता है कि उनके समाज से एक महिला मुख्यमंत्री बनी है, जिससे उन्हें गौरव का एहसास होता है। केबल में किए गए आकलन के अनुसार सूबे में कांग्रेस के के पतन, बीजेपी के कमजोर होने और समाजवादी पार्टी के शासन में कानून व्यवस्था की खराब स्थिति के चलते समाज का उच्च तबका बीएसपी की तरफ गया।


पीएम बनने की संभावना
केबल में मायावती के प्रधानमंत्री बनने की संभावना के बारे में कहा गया है कि यह तभी संभव लगता है जब कांग्रेस और बीजेपी-दोनों राष्ट्रीय स्तर पर बहुत ही खराब प्रदर्शन करें। बीएसपी शानदार प्रदर्शऩ करे और क्षेत्रीय पार्टियां भी अच्छी संख्या में सीटें जीतें। ऐसा होने पर मायावती तीसरे मोर्चे को बनाकर सत्ता पर काबिज हो सकती हैं। केबल मानता है कि जाति आधारित राजनीति करने में मायावती का कोई मुकाबला नहीं है।

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