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10 सितंबर 2011

चूहे को ही अपना वाहन क्यों बनाया श्रीगणेश ने?


मूषक (चूहा) भगवान गणेश का वाहन है। गणेश का स्वरूप जितना विचित्र है उतना ही अजीब उनका वाहन है। शिवपुराण में प्रसंग आता है कि गणेश ने मूषक पर सवार होकर ही अपने माता-पिता की परिक्रमा की। कहां विशालकाय गणेश और कहां चूहे का छोटा-सा शरीर, कहीं कोई तालमेल ही नहीं। पुराण कहते हैं-

मूषकोत्तममारुह्यï देवासुरमहाहवे।

योद्धुकामं महाबाहुं वन्देऽहं गणनायकम्॥

पद्मपुराण, सृष्टिखंड 66/4

भावार्थ- उत्तम मूषक पर विराजमान देव-असुरों में श्रेष्ठ तथा युद्ध में महाबलशाली गणों के अधिपति श्रीगणेश को प्रणाम है।

भगवान गणेश के वाहन मूषक के बारे में कई प्राचीन कथाएं प्रचलित हैं। उसी के अनुसार गजमुखासुर नामक दैत्य ने अपने बाहुबल से देवताओं को बहुत परेशान कर दिया। सभी देवता एकत्रित होकर भगवान गणेश के पास पहुंचे। तब भगवान श्रीगणेश ने उन्हें गजमुखासुर से मुक्ति दिलाने का भरोसा दिलाया। तब श्रीगणेश का गजमुखासुर दैत्य से भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध में श्रीगणेश का एक दांत टूट गया। तब क्रोधित होकर श्रीगणेश ने टूटे दांत से गजमुखासुर पर ऐसा प्रहार किया कि वह घबराकर चूहा बनकर भागा लेकिन गणेशजी ने उसे पकड़ लिया। मृत्यु के भय से वह क्षमायाचना करने लगा। तब श्रीगणेश ने मूषक रूप में ही उसे अपना वाहन बना लिया।

श्रीगणेश विसर्जन: पूजन विधि व शुभ मुहूर्त

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भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को गणेशोत्सव का समापन होता है और भगवान श्रीगणेश का विसर्जन किया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार श्रीगणेश का विसर्जन नदी या तालाब में किए जाने का विधान है लेकिन सिर्फ बालूरेत से निर्मित गणेश प्रतिमा का। विसर्जन के पूर्व भगवान श्रीगणेश का पूजन पहले घर पर तथा इसके बाद विसर्जन स्थल पर भी किया जाता है। इसकी विधि इस प्रकार है-
विधि
विसर्जन से पूर्व स्थापित गणेश प्रतिमा का संकल्प मंत्र के बाद षोड़शोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। मंत्र बोलते हुए 21 दुर्वा-दल चढ़ाएं। 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास चढ़ाएं और 5 ब्राह्मïण को प्रदान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें। पूजन के समय यह मंत्र बोलें-

ऊँ गं गणपतये नम:

दुर्वा-दल चढ़ाते समय यह मंत्र बोलें
गणेशजी को 21 दुर्वादल चढ़ाई जाती है। दो दुर्वा-दल नीचे लिखे नाममंत्रों के साथ चढ़ाएं।
ऊँ गणाधिपाय नम:
ऊँ उमापुत्राय नम:
ऊँ विघ्ननाशनाय नम:
ऊँ विनायकाय नम:
ऊँ ईशपुत्राय नम:
ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:
ऊँ एकदन्ताय नम:
ऊँ इभवक्त्राय नम:
ऊँ मूषकवाहनाय नम:
ऊँ कुमारगुरवे नम:
इसके बाद श्रीगणेश की आरती उतारें और विसर्जन स्थल पर ले जाकर पुन: एक बार आरती करें व गणेश प्रतिमा जल में विसर्जित कर दें और यह मंत्र बोलें-
यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम् ।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च ॥
यदि नदी या तालाब से थोड़ा जल लेकर गणेश प्रतिमा पर चढ़ा दिया जाए तो यह भी विधिवत विसर्जन ही माना जाएगा, ऐसा धर्म ग्रंथों में उल्लेख है।

विसर्जन के शुभ मुहूर्त
सुबह 07:50 से 09:20 बजे तक- चल
सुबह 10:50 से दोपहर 12:20 बजे तक- अमृत
दोपहर 01:50 से 03:20 बजे तक- शुभ
शाम 06:20 से 07:50 बजे तक- शुभ
राहुकाल- शाम 04:30 से 06:00 बजे तक।
राहुकाल को शुभ कामों के लिए निषेध माना जाता है इसलिए इस समय में शुभ काम करना माना है।

विपक्ष समेत तृणमूल ने किया सांप्रदायिक हिंसा बिल का विरोध

नई दिल्ली.विवादास्पद सांप्रदायिक व लक्षित हिंसा (निषेध) विधेयक के ड्राफ्ट को लेकर केंद्र सरकार की शनिवार को जमकर आलोचना हुई। इस मुद्दे पर न सिर्फ विपक्ष ने सरकार की आलोचना की, बल्कि यूपीए सरकार के अहम घटक तृणमूल कांग्रेस ने भी इस बिल की आलोचना की है। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने भी इस बिल के ड्राफ्ट का विरोध किया है।

राष्ट्रीय एकता परिषद की शनिवार को हुई बैठक में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के साथ ही तृणमूल कांग्रेस ने प्रस्तावित सांप्रदायिक हिंसा का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह ऐसा खतरनाक कानून साबित होगा, जो देश के संघीय ढांचे को नुकसान पंहुचा सकता है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में शनिवार को हुई राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में एनडीए शासित राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और पंजाब के मुख्यमंत्रियों ने प्रस्तावित विधेयक के मौजूदा प्रारूप पर कड़ी आपत्ति जताई। बैठक में शामिल लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने भी इसका विरोध करते हुए कहा कि यह ऐसा खतरनाक कानून साबित होगा, जो सांप्रदायिकता को काबू करने की बजाय उसे हवा देगा। साथ ही यह बहुसंख्यकों और अल्पसंख्यकों में दूरी बढ़ाएगा। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिनेश त्रिवेदी ने भी कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक के वर्तमान प्रारूप का विरोध करती है। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने भी इस बिल का विरोध किया है।

मायावती ने कहा है कि केंद्र सरकार ने बिल का ड्राफ्ट नहीं दिया। मायावती खुद तो इस बैठक में नहीं आईं, लेकिन उनके प्रतिनिधि ने उनकी तरफ से बयान पढ़ा। बीजद शासित उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि इसमें कुछ ऐसे आपत्तिजनक प्रावधान हैं, जो राज्यों की स्वायत्तता को सीधे प्रभावित कर सकते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे ऐसी धारणा पैदा हो सकती है कि बहुसंख्यक समुदाय ही सांप्रदायिक घटनाओं के लिए हमेशा दोषी होता है और इससे अंततोगत्वा यह धारणा बहुसंख्यकों में प्रतिक्रिया उत्पन्न कर अल्पसंख्यकों के विरूद्ध ही जा सकती है। बैठक में नीतीश स्वयं उपस्थित नहीं थे और उनकी ओर से राज्य के सिंचाई मंत्री विजय चौधरी ने उनका भाषण पढ़ा।

सोनिया ने थामी पार्टी की बागडोर,शुरू किया दिशा-निर्देश देना



नई दिल्ली.कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के कामकाज को ढर्रे पर लाने की कमान संभाल ली है। विभिन्न मुद्दों पर लगातार विपक्ष और सिविल सोसायटी का आक्रमण झेल रही पार्टी अब सोनिया के निर्देशन में जवाबी रणनीति पर मंथन में जुट गई है।

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी को कुछ बैठकों के बारे में निर्देश दिए हैं। आने वाले दिनों में पार्टी को राजनीतिक कार्यक्रमों के जरिए सक्रिय होने को भी कहा है।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि वे अभी व्यक्तिगत मुलाकातों से परहेज कर रही हैं। वे अपने परिवार के सदस्यों के अलावा चुनिंदा लोगों से ही मिली हैं। इनमें राजनीतिक सचिव अहमद पटेल शामिल हैं। लेकिन अलग-अलग माध्यमों से वे पूरी तरह सक्रिय हैं। सरकार और पार्टी के कई नेताओं से उन्होंने फोन पर बात करके राजनीतिक एजेंडे पर दिशा निर्देश दिए हैं।

शुक्रवार को कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष का संदेश राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने सरकार तक पहुंचाया।

उनके निर्देश पर ही शनिवार को पार्टी महासचिवों, राज्यों के प्रभारी, कोषाध्यक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव मौजूदा सियासी स्थिति पर गौर करने के अलावा भावी राजनीतिक एजेंडा तय करने के लिए बैठक कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष खुद कोर ग्रुप की बैठक में मौजूद नहीं रहीं। वे पार्टी पदाधिकारियों की बैठक से भी दूर रहेंगी। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी पदाधिकारियों की बैठक में मौजूद रहेंगे।

कोर ग्रुप में चिंतन:कोर ग्रुप बैठक में गृहमंत्री ने प्रधानमंत्री को हाईकोर्ट के बाहर विस्फोट मामले में अब तक की जांच पर अपडेट बताया। लोकपाल मसले पर भी कोरग्रुप में चर्चा हुई और तय किया गया कि ऐसा कोई संदेश नहीं जाना चाहिए कि सरकार इस मसले पर कोई ढिलाई कर रही है। गुजरात के लोकायुक्त मसले पर भी पार्टी ने कथित रूप से भाजपा को बेनकाब करने की रणनीति तय की।

रथ यात्रा का जवाब:भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की प्रस्तावित रथ यात्रा के जवाब में कांग्रेस भाजपा शासित राज्यों में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर पोल खोल अभियान चलाएगी। सूत्रों ने बताया कि कोर ग्रुप की बैठक में भाजपा नेता आडवाणी की रथयात्रा के बारे में चर्चा की गई। तय किया गया कि भ्रष्टाचार पर सरकार के कार्यक्रमों की जानकारी लोगों तक पहुंचाई जाएगी।

रुके काम होंगे:

सूत्रों ने कहा कि मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों में कार्यकारिणी का गठन करने के लिए प्रभारी महासचिवों को तैयारी पूरी करके रखने को कहा गया है। हरियाणा, जम्मू कश्मीर, बिहार में प्रदेश अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया भी जल्द पूरी हो सकती है।

राजनीतिक कार्यक्रमों से पलटवार

पार्टी सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में पार्टी अपने राजनीतिक कार्यक्रमों के जरिए देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं को ऊर्जा देने की कोशिश करेगी। पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना एजेंडा लोगों तक ले जाएगी। राहुल गांधी का संसद सत्र में दिए गए भाषण में सुझाए गए एजेंडे पर पार्टी का फोकस होगा।

अल्पसंख्यक समझते हैं कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली.प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि 'दुभाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद'अल्पसंख्यक समुदायों के लोग अक्सर महसूस करते हैं कि उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है।

राष्ट्रीय एकता परिषद (एनआईसी) की 15वीं बैठक का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून को अपना काम करने की छूट होनी चाहिए व जांच एजेंसियों को किसी भी तरह के पक्षपात और पूर्वाग्रहों से मुक्त होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा, "यह काफी संतोष का विषय है कि हाल के वर्षो में विभिन्न समुदायों के बीच के सम्बंध व्यापक तौर पर सौहार्दपूर्ण रहे हैं।"

सिंह ने कहा, "इस परिषद के सदस्यों ने यह सुनिश्चित कराने में सक्रिय भूमिका निभाई है कि घटनाक्रमों पर लोगों की प्रतिक्रियाएं परिपक्व हों अन्यथा इससे साम्प्रदायिक भावनाएं भड़क सकती थीं।"

सिंह ने कहा, "फिर भी हमें इस सम्बंध में लगातार सतर्क बने रहने की आवश्यकता है। हमें इस बात को भी स्वीकार करने की आवश्यकता है कि अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों की अक्सर यह धारणा रही है कि दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद कानून प्रवर्तन से जुड़ी एजेंसियां उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाती हैं।"

प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब हाल ही में सुरक्षा एजेंसियों ने अजमेर शरीफ दरगाह और हैदराबाद की मक्का मस्जिद जैसे बम विस्फोटों में हिंदूवादी संगठनों की भूमिका की जांच की है। दोनों घटनाएं 2007 में घटी थी। इसके पहले जांच एजेंसियों को इन हमलों के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के चरमवादी संगठनों की भूमिका पर शक हुआ था।

मनमोहन सिंह ने कहा, "जहां एक ओर कानून को अपना काम करने की छूट होनी चाहिए, वहीं हमें यह सुनिश्चित कराने की भी आवश्यकता है कि हमारी जांच एजेंसियां किसी भी तरह के पक्षपात एवं पूर्वाग्रहों से मुक्त हों। मीडिया को भी हमारे समाज में शांति एवं सौहार्द कायम करने में अधिक महत्वपूर्ण एवं रचनात्मक भूमिका निभानी है।"

गूगल स्ट्रीट व्यू ने खींची न्यूड महिला की तस्वीरें,मच गया हंगामा

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गूगल स्ट्रीट व्यू द्वारा फ्लोरिडा में एक न्यूड महिला की खींची गई तस्वीरें सामने आई हैं। तस्वीर में महिला घर के बाहर बिन कपड़ों के खड़ी है।

महिला की पहचान नहीं हो पाई है। तस्वीर में महिला हाथ में पानी की बोतल लिए खड़ी है और उसने अपना मुंह हाथ से ढ़का हुआ है।

इस तस्वीर के कारण इंटरनेट पर सनसनी फैल गई है। कुछ मशहूर ब्लॉगिंग साइट्स अपने आधार पर इस जगह की सही लोकेशन का कयास भी लगा रही हैं।

ताजा स्ट्रीट व्यू विवाद उस समय चर्चा में आया था, जब वेबसाइट द्वारा कुछ सड़कों की तस्वीरें जारी की गई थी, जिसमें गलियों में लाशों दिखाई गई थी। इन तस्वीरों को देखकर ब्राजील के हजारों लोगों ने शिकायत की थी।

ऐसी ही एक घटना में जर्मनी में सड़क पर बच्चे को जन्म देती एक महिला की तस्वीरें भी जारी की गई थी।

अभी विवादों का सिलसिला थमा भी ना था कि न्यूड महिला की तस्वीरें सनसनी फैला रही हैं। यह वेबसाइट ब्राजील में पिछले साल ही लॉंच की गई थी।





अधिकार मांगने से पहले कर्तव्य तो निभाएं मेयर: धारीवाल



जयपुर.आल इंडिया मेयर काउंसिल की बैठक के शुरुआत में ही माहौल तनावपूर्ण हो गया। अपने उद्घाटन भाषण में ही नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने कहा, ‘अधिकार मांगने वाले मेयरों को संविधान में बताए गए18 कर्तव्य को भी ध्यान में रखना चाहिए।

उन्हें दोबारा चुनाव तो लड़ना नहीं, विकास पर ध्यान देना चाहिए।’ ये बोलकर धारीवाल तुरंत कोटा के लिए रवाना हो गए। वहीं, देशभर से आए मेयरों में रोष व्याप्त हो गया। काउंसिल चेयरमैन आशुतोष वाष्र्णेय ने सरकार पर शक्तियों के हनन का आरोप लगाया।

वहीं, बाकी मेयरों ने भी एकसुर से धारीवाल के खिलाफ तीखी टिप्पणी की। साथ ही इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि मंत्री ने उनसे परिचय तक करना उचित नहीं समझा।

काउंसिल की शनिवार को हुई 102वीं बैठक के उदघाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243 में नगर निकायों व मेयर के 18 कर्तव्य बताए गए हैं। मेयरों को अधिकारों के साथ साथ अपने कर्तव्यों के बारे में भी सोचना होगा।

स्थानीय निकाय राज्य सरकार के भरोसे कब तक जिंदा रहेंगी। उनको अपने स्तर पर आर्थिक स्थिति सुधारनी होगी। टैक्स लगाना निकायों का अधिकार नहीं है लेकिन टैक्स की वसूली तो निकाय ही करेंगी।

प्रोजेक्ट के लिए केंद्र व राज्य से पैसा मिलने के बावजूद अपने हिस्से की 10 फीसदी राशि भी निकाय नहीं चुका पा रहें हैं। प्रदेश सरकार ने स्थानीय निकायों को नये एक्ट में पूर्ण स्वायत्तता दी है, निकाय को बजट पास करवाने की भी जरूरत नहीं।

स्थानीय निकायों को आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए 1000 करोड़ रुपए के अरबन डवलपमेंट फंड की स्थापना की है। स्थानीय निकायों को और भी अधिकार देना चाहते हैं लेकिन पहले इनका इंफ्रास्ट्रक्चर तो मजबूत हो।

उन्होंने आश्वस्त किया कि काउंसिल की बैठक में जो भी अच्छे सुझाव आएंगे, सरकार उनपर गौर करेगी। काउंसिल की बैठक में 40 मेंबरों को आमंत्रित किया गया था लेकिन पहले दिन आयोजित दो सत्रों में 22 मेंबर ही शामिल हुए।

काउंसिल चेयरमैन ने दिया जवाब

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे काउंसिल के चेयरमैन आशुतोष वाष्र्णेय ने बताया कि केंद्र सरकार तो 74वां संविधान संशोधन कर मेयरों को अधिकार दे चुकी है, लेकिन राज्य सरकारें, इम्प्लीमेंट नहीं कर रही है। स्टेट गर्वमेंट स्थानीय निकायों को पूरी तरह से शक्तियां नहीं सौंप रहीं हैं।

संविधान की भावना का उल्लंघन हो रहा है। देशभर में मेयरों की वित्तीय व प्रशासनिक शक्तियां, कार्यकाल, और चुनाव की प्रक्रिया एक जैसी होनी चाहिए। कुछ जगहों पर तो सरकार ने मेयर को पॉवर दे रखा है जबकि कई जगहों पर विपरीत सत्ता होने से मेयर पॉवर लेस हो गए हैं।

जयपुर मेयर का दर्द, अधिकारी ही योजना बनाते हैं और निर्णय लेते हैं

मेयर ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि स्थानीय निकायों में अधिकारी ही योजना बनाते हैं और निर्णय लागू करते हैं, जिससे आम नागरिकों की भागीदारी नहीं रहती। ऐसे पारदर्शिता नहीं आने से विकास अधूरा रह जाता है।

उन्होंने सुझाव दिया कि मेयर काउंसिल की वेबसाइट बनाई जाए और मेयर अपने अपने शहरों में हो रही विकास कार्यो व सुझाव की जानकारी उस पर डाले। गौरतलब है कि चुनाव के बाद से ही मेयर और अफसरों में लगातार विवाद चला आ रहा है। ये निर्णय लिए गए

1. 74वें संविधान संशोधन को सभी स्थानीय निकायों में प्रभावी ढंग से लागू किया जाए

2. अधिकारों को लेकर मेयर काउंसिल प्रधानमंत्री, यूपीए की चेयरपर्सन व महासचिव से मिलेंगे

3. ध्यान आकर्षण करवाने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर के पास अक्टूबर में एक दिन धरना देंगे

4. काउंसिल चुनाव अक्टूबर के अंत में कराए जाएंगे

इन्होंने जाहिर की नाराजगी

भोपाल की मेयर कृष्णा गौड़ ने मंत्री द्वारा बीच में बैठक छोड़ चले जाने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि मंत्री जी से मेयरों का परिचय तक नहीं हुआ है। अगर मंत्री कुछ देर के लिए बैठक में और रुकते तो हो सकता था विकास कार्य पर अधिक चर्चा हो सकती थी।

मंत्री के चले जाने के बाद यह शिकायत मेयर ने मेयर काउंसिल के चेयरमेन से की। गाजियाबाद की मेयर दमयंती गोयल ने कहा कि मेयर काउंसिल की बैठक के दौरान अगर कोई अतिथि आता है तो उसे मेयरों का परिचय अवश्य कराना चाहिए। आज मंत्री से मेयरों का परिचय तक नहीं हुआ। यह अच्छा नहीं हुआ।

जयपुर के सुर में 21 महापौर

आल इंडिया मेयर काउंसिल में देशभर से गुलाबी शहर आए मेयर एक सुर में मांग कर रहे हैं कि उन्हें और अधिकार दिए जाएं। कोलकाता, इंदौर जैसे एक दो शहरों को छोड़ दें तो देश के 21 शहरों से आए महापौर भी जयपुर की महापौर की तरह निगम अधिकारियों और सरकार से परेशान हैं।

भास्कर ने जब उनसे पूछा कि जितने अधिकार उनके पास है, उससे क्या बड़े काम करवाए? तो एक दो को छोड़कर अधिकतर उनके पास अधिकार ही नहीं होने का राग अलापने लग गए।

कोलकाता में हालांकि 74 वां संविधान संशोधन लागू होने से मेयर के पास सभी अधिकार है, जिससे निगम ने मेट्रो जैसे बड़ा काम हाथ में लिया, लेकिन शेष शहरों में पूरा पावर महापौर के हाथ में नहीं होने से मेयर अपने आप को कमतर महसूस करते हैं।

सभी महापौर पूरे देश में 74 वां संविधान संशोधन लागू सख्ती से लागू करने, अधिकारियों की एसीआर भरने, 75 लाख से एक रुपए तक की फाइल निकालने का अधिकार देने व सभी टैक्स का अधिकार निगम को देने की मांग कर रहे हैं।

जनता से फंड जुटाया

इंदौर में निगम ने सरकार के भरोसे रहना छोड़ जनता को जोड़ कर विकास कार्य करने की शुरुआत की है। कुछ दिन पहले इंदौर निगम ने पीपी मोड पर कुछ सड़कों, हेरिटेज बिल्डिंग और मेरिज गार्डन का सौन्दर्यन किया है।

मार्च, 12 तक निगम के पास सौ करोड़ रुपए इक्कट्ठे होने की उम्मीद है। इसी से शहर का विकास हो रहा है। सरकार से फंड लेने की जरूरत ही नहीं पड़ रही है।

-कृष्ण मुरारी मोघे,
मेयर, इंदौर

मेट्रो का काम निगम के हाथ

पश्चिमी बंगाल में मेयर को सभी अधिकार मिले हुए हैं। हमने सबसे पहले हावड़ा में मेट्रो का काम निगम के माध्यम से शुरू करवाया। अधिकारियों की एसीआर भी महापौर ही भरते हैं। जितने भी प्रोजेक्ट शहर में शुरू करने होते हैं, उसकी फाइल पास करना या रोकना मेयर के हाथ में होने से कोई काम रुक नहीं रहा। इससे शहर के विकास में सरकार का हस्तक्षेप नहीं के बराबर रहता है।

-ममता जायसवाल, मेयर, हावड़ा, प. बंगाल

आधे-अधूरे अधिकार

जो अधिकार हैं उनका तो पूरा उपयोग हो रहा है, लेकिन बाकी अधिकार और कमिश्नर की एसीआर भरने का अधिकार मिल जाएगा तो मेयर और कमिश्नर में तालमेल रहेगा। यदि कमिश्नर की नब्ज मेयर के हाथ में पकड़ा दी जाए तो विकास कार्य प्रभावित नहीं होंगे। फिलहाल सीईओ को 20 लाख और मेयर को 50 लाख रुपए तक की फाइल निकालने के अधिकार हैं।

-समीक्षा गुप्ता, मेयर ग्वालियर

मेरठ में रबर स्टांप है मेयर

मेरठ में मेयर के पास अधिकार नाम से कुछ भी नहीं है। मेयर सिर्फ बोर्ड मीटिंग की बैठक की अध्यक्षता करती है। फाइलों पर हस्ताक्षर करती हैं। निगम के पास विकास कार्य के लिए फंड नहीं है। निगम हाउस टैक्स के अलावा कोई टैक्स नहीं लगा सकता। यूपी में सीईओ की एसीआर भरने का अधिकार मेयर के पास है, लेकिन एसीआर डिवीजनल कमिश्नर से भराई जा रही है।

-मधु गुर्जर,मेयर,
मेरठ

सफाई का महत्व सिखाया

शिमला में निगम ने एक सोसायटी बना कर डोर टू डोर कचरा उठाने की योजना लागू की है। इसमें शहर के चुनिंदा 300 लोगों को लिया गया है। लोग सड़क पर कचरा नहीं डाले इस के लिए डस्टबिन वितरित किए गए। पीपीपी मोड पर तीन पार्किग प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य चल रहा है। कुत्तों के लिए डोग पोंड बनाया गया है। इससे लोगों को काफी फायदा हुआ है।

-मधु सूद, मेयर,
शिमला

गड्ढों ने एक पल में छीन लीं परिवार की सारी खुशियां


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कोटा/कैथून.सड़क के गड्ढों ने एक हंसते-खेलते परिवार को उजाड़ दिया। शनिवार सुबह कैथून रोड पर रायपुरा के पास गड्ढे के कारण बाइक अनियंत्रित हो गई। उस पर सवार पति-पत्नी व मासूम सड़क पर गिर गए।

पीछे से आ रहे ट्रॉले ने मां-बेटे को कुचल दिया। उनकी मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पति घायल हो गया। लोगों ने ट्रॉला चालक को पकड़ लिया और उसकी जमकर धुनाई कर दी। बाद में पुलिस को सौंप दिया। महिला गर्भवती थी।

कैथून निवासी तसलीम अहमद अपनी पत्नी शाकिराबानो (25) के साथ 3 वर्षीय बेटे अनस अली को लेकर अस्पताल दिखाने आया था। लौटते समय रायपुरा के पास उनकी बाइक एक गड्ढे के कारण बेकाबू होकर नीचे गिर गई।

तसलीम रोड के तरफ जबकि बीवी व बेटा दूसरी तरफ गिरे। पीछे आ रहे ट्रॉले ने मां-बेटे को कुचल दिया। दोनों के सिर बुरी तरह से कुचल जाने से मौके पर ही मौत हो गई। राहगीरों ने ट्रॉला चालक की जमकर पिटाई कर दी। आवागमन बंद होने से वाहनों की लंबी कतारें लग गई। पुलिस ने चालक को गिरफ्तार कर लिया।

23 सितंबर को था अनस का जन्मदिन

परिजनों ने बताया कि अनस अली का 23 सितंबर को जन्मदिन था। परिवार वाले उसका जन्मदिन मनाने की तैयारी कर रहे थे। उसकी मां शाकिरा का भी जन्मदिन को लेकर खूब मन था, लेकिन हादसे ने परिवार की सारी खुशियां छीन ली।

शाकिरा भी गर्भवती थी। तसलीम की लेडीज टेलर की दुकान है। तसलीम के पिता को लकवा है और एक 10 वर्षीय छोटा भाई है।

कौन है जिम्मेदार..

हादसे की खबर लगते ही तसलीम के रिश्तेदार व मित्र मुर्दाघर पहुंच गए। उनका कहना था कि शहर में हर सड़क खुदी हुई है। आए दिन हादसे हो रहे हैं, लेकिन न तो मंत्री सुन रहे हैं न ही अधिकारी।

आए दिन एक न एक परिवार की खुशियां खुदी पड़ी सड़कों के कारण छीन रही है। कोई ध्यान देने वाला नहीं है। कैथून की सड़क पर पग-पग पर डेढ़ से दो फीट गहरे गड्ढे हैं। आखिर इसका जिम्मेदार कौन हैं। लोगों का कहना था शहर की सड़कें भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी हुई हैं।

अनंत चतुर्दशी आज, जानें क्या है सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

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जयपुर. अनंत चतुर्दशी पर्व रविवार को मनाया जाएगा। महिलाएं अनंत भगवान की पूजा करेंगी और चौदह ग्रंथी धागा धारण करेंगी।

राजस्थान ज्योतिष परिषद के महासचिव डॉ. विनोद शास्त्री के मुताबिक रविवार को चतुर्दशी तिथि दोपहर 1.10 मिनट तक रहेगी, लेकिन उदियात में चतुर्दशी होने से दिनभर यह पर्व मनाया जा सकेगा।

सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

चर का चौघड़िया

सुबह 7.46 से 9.19 बजे तक

लाभ और अमृत के चौघड़िए

सुबह 9.19 से दोपहर 12.23 बजे तक

दिग्विजय सिंह ने किया दावा- मेरे पास है अन्‍ना को आरएसएस के समर्थन की चिट्ठी



 
 

 
नई दिल्‍ली. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने अन्‍ना हजारे को राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुखौटा बताने के कुछ ही दिन बाद उनकी जबरदस्‍त तारीफ और दिल्‍ली पुलिस व सरकार की आलोचना की है। उन्‍होंने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि अन्‍ना 'सीधे-सरल, अच्‍छे और सार्थक' इंसान हैं। साथ ही, यह भी कहा कि अन्‍ना की गिरफ्तारी का मसला और बेहतर तरीके से हैंडल करने की जरूरत थी।


अन्‍ना को 16 अगस्‍त को अनशन के लिए जाते समय गिरफ्तार कर लिया गया था। दिग्विजय सिंह ने कहा, 'इस मसले (अन्‍ना की गिरफ्तारी) से और बेहतर ढंग से निपटने की जरूरत थी। इससे ज्‍यादा मुझे जो कुछ भी कहना है, मैं सीधे अपने नेताओं से कहूंगा।'


उन्‍होंने कहा, 'जब मैं ज्‍यादा बेहतर तरीके से निपटने की बात करता हूं तो मेरा मतलब है कि मसौदा (लोकपाल का) तैयार करने की प्रक्रिया से विपक्ष को अलग क्‍यों रखा गया। हमने एक अप्रत्‍याशित कदम उठाया। हमने यह सिर्फ अन्‍ना का आदर करते हुए ऐसा किया। पर इससे विपक्ष अलग क्‍यों रहा, इस बात ने भाजपा को काफी गुस्‍सा दिला दिया।'


अन्‍ना की तारीफ करते हुए दिग्विजय ने कहा, 'वह सीधे इंसान हैं, जो अनजाने में आरएसएस के जाल में फंस गए। मैं अन्‍ना को तब से जानता हूं, जब मीडिया उन्‍हें नहीं जानता था। मैंने उन्‍हें मध्‍य प्रदेश प्‍लानिंग बोर्ड का सदस्‍य बनाया था। उन्‍होंने बहुत अच्‍छा काम किया था। वह साधारण, बेहतर और सार्थक इंसान हैं। पर उन्‍हें गुमराह किया गया। वह नहीं चाहते हुए भी आरएसएस का चेहरा बन गए। वह गांधीवादी हैं, पर उन्‍हें आरएसएस का समर्थन है। मैं उन्‍हें कभी एजेंट नहीं कहूंगा, लेकिन चेहरा जरूर बन गए हैं।'


दिग्विजय ने दावा किया कि उनके पास अन्‍ना को आरएसएस के समर्थन की चिट्ठी है। उन्‍होंने कहा कि भले ही न चाहते हुए अन्‍ना आरएसएस के जाल में फंस गए हैं, लेकिन आज यह एक सर्वविदित सच है।

लश्‍कर ने सेलफोन के जरिए आरडीएक्‍स से किया था दिल्‍ली हाईकोर्ट में धमाका?

 
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नई दिल्‍ली. दिल्‍ली हाईकोर्ट के बाहर 7 सितंबर को हुए धमाके की जांच का दायरा पूरे देश में बढ़ा दिया गया है। धमाके के चार दिन बाद राष्‍ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को कुछ सुराग हाथ लगा है। यह सुराग बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहा है। संकेत है कि धमाके में लश्‍कर-ए-तैयबा का हाथ हो सकता है।
एनआईए को मिल रहे सुराग से पता चलता है कि धमाका कराने के लिए सेलफोन का इस्‍तेमाल किया गया हो सकता है। मोबाइल फोन के टुकड़े और इस पर मिले विस्‍फोटक के निशान से ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि जांचकर्ताओं को अब लग रहा है कि धमाके के लिए अमोनियम नाइट्रेट नहीं, बल्कि आरडीएक्‍स या पीईटीएन का इस्‍तेमाल किया गया हो सकता है।
यह सुराग अब तक की जांच को एक नई दिशा दे रहा है। सेलफोन से धमाका करने का तरीका बीते दिनों में लश्‍कर-ए-तैयबा के आतंकी आजमाते रहे हैं। कुछ साल पहले उत्‍तर कश्‍मीर के बारामूला में इस तरह पहली बार धमाका किया गया था। भारतीय सेना के काफिले को निशाना बना कर वह धमाका किया गया था।
दिल्‍ली हाईकोर्ट के बाहर हुए धमाके की जिम्‍मेदारी हूजी और इंडियन मुजाहिदीन ने ईमेल भेज कर ली है। इस मामले में चार ईमेल आ चुके हैं। इनकी जांच चल रही है, लेकिन अभी तक इनकी सच्‍चाई का पता नहीं चल पाया है। इस सिलसिले में जो गिरफ्तारियां हुई हैं, उनसे भी कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है।
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