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12 सितंबर 2011

बड़े-बड़े दावों की पोल खोल देगी यह जीती-जागती 'तस्वीर'


जयपुर.प्रदेश में प्रसूता और नवजात बच्चों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने जननी सुरक्षा योजना सोमवार से शुरू कर दी, लेकिन सरकारी अस्पतालों के हालातों ने इस योजना की असलियत खुद ही बयां कर दी।

जयपुर के चांदपोल स्थित जनाना अस्पताल के पोस्ट-नैटल वार्ड में सोमवार को 60 से अधिक महिलाएं भर्ती थीं, जबकि यहां बेड क्षमता 30 है। इतना ही नहीं, अधिकांश बेड पर दो-दो बच्चे भर्ती थे।

ऐसे में बच्चों में न केवल संक्रमण होने का खतरा था, बल्कि प्रसूता महिलाओं को भी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा था। एक बेड पर नायन अमरसर निवासी अनिता तथा नीमकाथाना की सुमन तीन बच्चों के होने से करवट भी नहीं ले पा रही थी, क्योंकि उनमें से एक के जुड़वां बच्चे हुए हैं।


जननी शिशु सुरक्षा योजना : कैल्सियम, बी कॉम्प्लेक्स जैसी दवाएं ही नहीं


प्रदेश में जननी शिशु सुरक्षा योजना (जेएसएसवाई) की शुरुआत ही बदइंतजामी की भेंट चढ़ गई।सरकार की ओर से अस्पतालों में न तो जरूरी सुविधाएं, दवाएं उपलब्ध कराई गईं और न ही लोगों के लिए दिशा-निर्देश थे।

यहां तक कि महिलाओं के लिए बहुत जरूरी कैल्सियम व बी-कॉम्प्लेक्स की गोलियां तक नहीं थी। बिना प्लानिंग के योजना शुरू करने से डॉक्टरों व नर्सेज को व्यवस्थाएं संभालने में पसीने आ गए।

एंटी-नैटल जांच (प्रसव पूर्व) तथा प्रसव कराने वाली महिलाओं की भारी भीड़ के कारण जगह कम पड़ गई। हर बेड पर दो-दो प्रसूताओं को रखना पड़ा। उनको करवट लेने की जगह नहीं मिल पा रही थी। किसी को यह सुध तक नहीं थी कि जननियों व नवजातों को संक्रमण भी हो सकता है।

यह नजारा शहर के किसी छोटे अस्पताल के नहीं बल्कि एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े प्रदेश के सबसे बड़े जनाना अस्पताल तथा महिला चिकित्सालय का था। ओपीडी, आईपीडी, पोस्ट-नैटल वार्ड, एंटी-नैटल चेकअप काउंटर पर भीड़ व योजना की जानकारी नहीं होने के कारण परिजन इधर-उधर भटकते नजर आए।

विद्याधर नगर से अपनी पत्नी का एंटी-नैटल चेकअप कराने आए नितीश ने बताया कि निशुल्क सुविधा मिलने वाली जानकारी के बोर्ड, बैनर्स नहीं लगे होने से दिक्कत हो रही है।

संक्रमण रोकने के लिए अहम ओटी ड्रेस, डिलीवरी व बेबी किट, पीसी एनीमा, स्कल्प वेन सेट, बार्बर थ्रेड (नंबर 40), रेजर ब्लेड, कैप, मास्क, बेबी डायपर उपलब्ध नहीं होने से ज्यादा परेशानी हुई। सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, उल्टी दस्त, पेट दर्द, बी कॉम्प्लेक्स एवं कैल्सियम की टैबलेट भी उपलब्ध नहीं कराने से अस्पताल प्रशासन के सामने समस्या खड़ी हो गई।

इसके अलावा बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए एंटीबायोटिक दवा व इंजेक्शन (वेनकोमाइसिन, टेजोबेक्टम, प्रीपेसीलीन आदि) नहीं थे।

जच्चा बच्चा के लिए नहीं हैं ये दवाएं

अस्पतालों में सिरिंज (2 एमएल), ईसीजी इलेक्ट्रोड, आईवी केन्यूला, सक्शन केथेटर्स, सैन्ट्रल लाइन, वेक्यूम सक्शन सेट, बीटी व एमवी सेट, प्लास्टिक टेस्ट ट्यूब, सर्फेक्टेंट (3 एमएल),डिनोप्रोस्टोन जेल, एंटएसीड सिरप, फ्रूसेमाइड, हिपेटाइटिस इंजेक्शन, एजीथ्रोमाइसिन, जेंटामाइसिन, सेफोटेक्सिम, सिप्रोफलेक्सेसिन, मीरोपीनम (250 मिलीग्राम), एफीड्रिन, फेंटानिल, लीनेजोलिड (100 एमएल) आदि।

"योजना शुरू होने के बाद मरीजों की संख्या दुगुनी हो गई है। समस्या से निपटने के लिए सरकार को बेड की संख्या, नर्सेज के पदों में बढ़ोतरी और महत्वपूर्ण चीजें उपलब्ध कराने के लिए लिखा जाएगा। वर्तमान में 20 नर्सेज की आवश्यकता है।"

-डॉ. शशि गुप्ता, अधीक्षक, जनाना अस्पताल चांदपोल

"हम किसी भी महिला को भर्ती के लिए मना नहीं कर सकते। उनको मिलने वाली निशुल्क सुविधा के लिए जल्द ही बैनर व पोस्टर लगाएं जाएंगे। योजना लागू होने के बाद सुविधाओं के विस्तार के लिए प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा जाएगा।"

-डॉ. लता राजोरिया, अधीक्षक,
महिला चिकित्सालय, सांगानेरी गेट


90 दिन भी नहीं टिके 5 करोड़ के रंग

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जयपुर.आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एमडीएमए) की ओर से घाट की गूणी में कराया गया रेस्टोरेशन कार्य उखड़ने लगा है। एमडीएमए ने आमेर महल में भी यही काम किया था, पर दोनों जगह रात-दिन का अंतर नजर आता है।

भास्कर ने घाट की गूणी में जाकर देखा तो कोई भी मंदिर ऐसा नहीं था, जिसमें परतें नहीं उखड़ी हों, चूना नहीं झड़ा हो और अराइश का काम खुरदरा न हुआ हो। एमडीएमए ने तीन महीने में पांच करोड़ की लागत से यह काम किया। रुपया जेडीए ने दिया। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि एडीएमए सही तरीके से काम कराता तो रेस्टोरेशन का काम बिगड़ता नहीं।

काम करने वाली एजेंसी :

आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण

खर्च :

6 करोड़ रुपए, विकास कार्य व रेस्टोरेशन, कंजरवेशन शामिल

काम पूरा :

गूणी के एक तरफ का काम 3 माह पहले पूरा हो गया।

तरीका क्या अपनाया :

यहां चूना लगाकर उसे पर फाइनल लेयर चढ़ाकर अराइश किया गया, लेकिन घिसाई तकनीक ठीक नहीं थी। खोपरे की घिसाई, थिकनेस व फाइन लेयर कहीं दिखाई नहीं दी। फाइनल लेयर की थिकनेस पूरी नहीं है, केवल उस पर पेंट कर दिया गया है (ऐसा दिखता है)। चूने को कम से कम 3 माह तक पानी में डुबोकर रखने के बाद ही लगाना चाहिए था। फाइनल लेयर के लिए यह अवधि कम से कम एक साल की होनी चाहिए थी।

स्थिति :

जगह-जगह से उखड़ा, अराइशिंग बेहद खुरदरी, पेंटिंग्स पानी से धो दी गई।

छत-दीवार की परतें गिरने लगीं

घाट की गूणी में विश्वकर्माजी मंदिर और देवस्थान विभाग के बिहारीजी मंदिर की छत व दीवारों पर लगाई गई चूने की नई परत उखड़कर नीचे गिर रही है। पुजारी विजय कुमार शर्मा ने बताया कि करीब तीन माह पहले ही यहां काम पूरा हुआ था। दीवारों पर टंचाई कराए बिना चूना पोत दिया गया था, जिसकी परतें उखड़ गई हैं।

पानी से धो दी चित्रकारी

विजय गोविंदजी मंदिर में प्राचीन चित्रकारी को ही रेस्टोरर ने पानी से धो दिया। पुजारी प्रेमकुमार शर्मा का कहना था कि जब उन्होंने इसे बिगाड़ दिया तो हमने काम कराने से मना कर दिया और रुकवा दिया।

"जिस स्थान पर अराइश कार्य हुआ है, वहां हाथ रखने पर बहुत चिकनाई वाली स्थिति बनती है। वह जगह शाइनिंग देती है। घाट की गुणी की स्थिति में यदि अराइश के नाम पर दीवारें खुरदरी हैं तो संबंधित एजेंसी को फिर से काम कराना चाहिए।"

-विनोद भार्गव, पूर्व चीफ आर्किटेक्ट, पीडब्लूडी

(आमेर महल में काम की जांच के लिए पूर्व में हाईकोर्ट की गठित कमेटी के चेयरमैन भी हैं)

"घाट की गूणी में कंजरवेशन व रेस्टोरेशन की जिम्मेदारी मेरे पास अभी हाल में ही आई है। मैं कल ही जाकर देखता हूं, यदि इस तरह की स्थिति है तो यह बहुत खराब है। मैं कल ही उसे दुबारा सही कराता हूं।"

-बी.डी. गर्ग, कार्यकारी निदेशक (कार्य)

आमेर महल

कार्य एजेंसी : एडीएमए

खर्च :

वर्तमान प्रोजेक्ट 4.85 करोड़, इसमें सुरंग विकास

रेस्टोरेशन- कंजरवेशन शामिल

काम वर्तमान में चल रहा है।

स्थिति :

रेस्टोरेशन में अराइशिंग व क्लीनिंग का काम खूबसूरत है। पेंटिंग्स को फिर से उभार दिया गया है। सालों साल में भी नहीं बिगड़ने वाला। (इस प्रकार की रिपोर्ट हाई कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने दी थी)

काम करने का तरीका :

यहां चूना लगाने के साथ गीले चूने पर ही फाइनल लेयर से अराइश किया गया। खोपरे की घिसाई, थिकनेस व फाइन लेयर का बारीकी से ध्यान रखा गया।

आशियाने लगे भरभराने

कोटा। घर बनाने के लिए लोग लाखों जतन करते हैं, लेकिन तकनीकी रूप से कमजोर मकान अचानक ढह जाते हैं तो पीडित परिवारों के लिए जिंदगी भर कड़वी यादें छोड़ जाते हैं। पिछले महीनों में हाड़ौती में कई आशियाने भरभराए और लोगों की खून-पसीने की कमाई मिट्टी में मिल गई। इन हादसों से सबक लिया जा सकता है, लेकिन आमजन जागरूक नहीं हैं।

गैर अभियांत्रिक मकान हैं खतरा
राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के सिविल विभाग से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो मामूली विपरीत स्थिति में गिरने वाले मकान गैर अभियांत्रिक (नॉन इंजीनियरिंग) मकानों की श्रेणी में आते हैं। जिन्हें बनाने में अकुशल कारीगर काम करते हैं। इनके निर्माण में प्लानिंग, जमीन की जानकारी, कुशल अभियंता व वास्तुकार की मदद भी नहीं ली जाती।

बढ़ रही है संख्या
शहर में बस रहीं कच्ची बस्तियों और कृषि भूमि पर बन रही कॉलोनियों के चलते गैर अभियांत्रिक भवनों की संख्या बढ़ती जा रही है। यहां अभियंता और वास्तुकार का खर्च अनावश्यक माना जाता है।

प्रशासनिक ढीलापन
शहर में अतिक्रमण कर बसी बस्तियों में यह घटनाएं सबसे अधिक होती हैं, क्योंकि यहां निर्धारित मापदण्डों के बिना ही निर्माण कर दिए जाते हैं। प्रशासन भी तब चेतता है, जब बस्तियां बस जाती हैं।

अवैध भूखण्ड खतरनाक
नदी-नाले या अन्य पानी के बहाव क्षेत्र में जमीन होने की स्थिति में भूमि में नमी आ जाती है, दलदलीय क्षेत्र भी विकसित हो जाता है। पानी की उचित निकासी नहीं होने के कारण जमीन में पानी रमता है और दीवारें ढह जाती है।

यूं भरभराते हैं मकान
आमजन व निर्माण कार्य से जुड़े लोगों में निर्माण संबंधी न्यूनतम आवश्यक जानकारी का अभाव।
स्थानीय तौर पर प्रचलित निर्माण तकनीक में खामियां।
अवैध भूखण्डों, नदी-नाले के बहाव क्षेत्र, कचरे से भरे गड्ढे व ढलान वाली जमीन पर निर्माण
साधारण सावधानियां
मकान की बाहरी दीवारों में कम से कम बालकनियां या बाहरी झुकाव हो।
कमरों का आकार यथासंभव वर्गाकार ही हो।
नींव की गहराई को पुख्ता मिट्टी अथवा चट्टान तक ले जाएं।
समस्त दीवारों के कुर्सी तल पर प्लिंथ बैंड व लिंटल तल पर लिंटल बैंड का प्रयोग हो। ये बेंड आरसीसी के बीम के रूप में होते हैं। इनसे सम्पूर्ण मकान को एकात्मकता मिलती है।
सीमेंट मसाला या सीमेंट कंक्रीट बनाते समय पानी की मात्रा आवश्यकता से अधिक न हो, क्योंकि अधिक पानी से सीमेंट का सामथ्र्य कम हो जाता है।
पत्थर की दीवार की मोटाई 11-12 इंच से कम नहीं लें। दीवार में उध्र्वाधर जोड़ को टाला जाए क्योंकि इसके फटने की संभावना रहती है।
[तकनीकी विवि के सिविल विभाग के डॉ.बी.पी. सुनेजा ने बताया।]

पिछले दिनों हुए हादसे
2 सितम्बर - नदी पार क्षेत्र की बापू कॉलोनी में मकान की दीवार ढही। महिला की मौत।
5 अगस्त - किशोरपुरा क्षेत्र में तीन मंजिला मकान ढहा। बालिका और मां की मौत।
7 जुलाई - नान्ता क्षेत्र में स्कूल की छत ढही। आस-पास के मकान की दीवारों में भी दरारें आई। कुछ लोगों को हल्की चोटें भी आई। स्कूल में विद्यार्थी नहीं होने से हादसा टला।
इसके अलावा 11, 9 व 6 अगस्त तथा 30 व 20 जुलाई को भी कोटा में मकान या दीवारें गिरने की घटनाएं हुईं।

प्रमोद मेवाड़ा

'मुझे सब पता है..., खूब पैसा आ रहा है'


kota news


कोटा। 'तुम तो एनआरएचएम पर ध्यान लगाओ। उसमें खूब पैसा आ रहा है। मुझे अंदर की सब बात पता है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम होने के बावजूद लोगों को सूचित नहीं करना गम्भीर बात है। इतनी दूर से जिस कार्यक्रम के लिए मंत्री और अधिकारी आ रहे हैं वहां इतने कम लोगों का होना शर्मनाक है।'

यह शब्द जिले की प्रभारी व पर्यटन मंत्री बीना काक ने सोमवार शाम सर्किट हाउस में सीएमएचओ डॉ. गजेन्द्र सिंह सिसोदिया को कहे। हुआ यूं कि कैथून सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सोमवार को जननी शिशु सुरक्षा योजना की शुरूआत के अवसर पर भीड़ कम होने से काक का गुस्सा फूट पड़ा। कार्यक्रम के दौरान कई लोगों ने उन्हें सूचना न होने की भी शिकायत की।

जब शाम करीब सवा पांच बजे वे सर्किट हाउस पहुंची तो उन्होंने सिसोदिया को फटकार लगाते हुए कहा, 'तुमने न तो जिला प्रमुख को सूचना दी और न ही प्रधान को। वहां न तो एएनएम थी और न आंगनबाड़ी कार्यकर्ता। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के बावजूद जितने लोग वहां मौजूद थे, इतने तो औचक निरीक्षण के दौरान ही हो जाते हैं।

तुम तो हमारे साथ मेहमान बनकर भाषण देने गए थे। एक-दो जनप्रतिनिधियों को तो सांसद इज्यराज सिंह ने सूचना दे दी थी, इसलिए वे आ गए। आखिर आपने किया क्या?'सांसद इज्यराज सिंह और जिला कलक्टर जी.एल. गुप्ता की मौजूदगी में ही काक ने सिसोदिया से कहा, 'जिले के स्थानीय अधिकारी भले ही इस बारे में कुछ न कहें।

उन्होंने कहा कि केशवरायपाटन स्थित केशवरायजी मंदिर में भी वृन्दावन की तरह ही विशाल स्तर पर सामूहिक आरती कराने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि यहां भी पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। पैलेस ऑन व्हील के बूंदी में ठहराव को शीघ्र ही अमल में लाया जाएगा। (का.स.)
लेकिन मैं इसे गम्भीरता से लेते हुए इस बारे में मुख्यमंत्री को लिखित में शिकायत करूंगी।' कार्यक्रम के लिए कार्ड बांटने के बारे में पूछने पर डॉ. सिसोदिया ने कहा कि कार्ड तो नहीं छपवाए, लेकिन लोगों को वैसे ही सूचना दे दी गई थी।

अब काले हरिणों की सेंक्चुरी बनेगा सोरसन
बारां जिले के सोरसन अभयारण्य को अब काले हरिणों की सेंचुरी के रू प में विकसित किया जाएगा। यह कहना है जिले की प्रभारी और पर्यटन मंत्री बीना काक का। अपने कोटा प्रवास के दौरान सोमवार को सर्किट हाउस में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने बताया कि पहले सोरसन गोडावन पक्षियों के लिए प्रसिद्ध था।

अब वहां इनकी संख्या तो धीरे-धीरे कम होती जा रही है और काले हिरणों की बहुतायत हो रही है, जिसके चलते इसे अब काले हरिणों की सें`चुरी के रू प में विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। इस बारे में वन मंत्री से भी चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि कोटा मेरे दिल के काफी करीब है।

पांच साल बाद गांधीसागर 1300 फीट पार

कोटा.एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील गांधीसागर में पांच साल बाद सोमवार को इसका जलस्तर 1300.2 फीट तक पहुंच गया। चंबल नदी पर बने राणाप्रताप सागर (1157 फीट), जवाहर सागर(955 फीट) और कोटा बैराज (853) डेम का जलस्तर इसकी भराव क्षमता पर निर्भर है। इससे चंबल की दाई और बाई नहरों को 100 दिन तक भरपूर पानी मिलेगा। इससे मध्यप्रदेश और राजस्थान के 23 हजार 25 वर्ग किलामीटर कैचमेंट एरिया में सिंचाई के लिए भरपूर पानी मिलेगा। इससे चंबल सहित 7 बड़ी नदियां जुड़ी हुई हैं।

बांध लबालब हैं और नदियां तट तोड़ कर बह रही हैं। हाड़ौती में औसत से अधिक बरसात से नदी-नालों में पानी की जबर्दस्त आवक हुई है। चारों जिलों के 87 छोटे-बड़े बांधों में से 66 बांध पूरे भर चुके हैं, जबकि बचे हुए 21 बांधों में भी 75 फीसदी पानी है। कहीं इससे ज्यादा पानी है। जाहिर है कि इस बार न सिर्फ सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी रहेगा।वहीं पेयजल की किल्लत से भी निजात मिलेगी। बांधों के पूरा भरने से भूजल रिचार्ज रहेगा। 150 एमसीएफटी (मिलियन क्यूबिक फीट) भराव वाले 30 बांध पानी से लबालब हो चुके हैं, वहीं इससे कम भराव वाले 36 बांध पूरे भर चुके हैं। चंबल का मुख्य जलाशय गांधीसागर बांध जो मध्यप्रदेश की सीमा में है।

वह भी 12 फीट ही खाली रहा है। यह बांध 1312 फीट भराव क्षमता के मुकाबले 1300 फीट भर गया है। इस बांध से हाड़ौती के तीन जिलों कोटा, बारां और बूंदी में 2 लाख 29 हजार हैक्टेयर में सिंचाई होती है तथा मध्यप्रदेश में भी इतनी ही भूमि सिंचित होती है। इस बांध में इतना पानी आ चुका है कि इस वर्ष रबी के सीजन में पूरे समय 180 दिन नहरें चलने के साथ ही अगले साल भी काम चल सकता है।

अन्य छोटे-बड़े बांधों से भी 2 हजार हैक्टेयर से लेकर 10 हजार हैक्टेयर तक भूमि सिंचित होती है। कोटा के पास आलनिया बांध भी पूरा भर चुका है। इससे 8 हजार हैक्टेयर भूमि सिंचित होती है। राणाप्रताप सागर बांध का जलस्तर 1157.50 की तुलना में 1146.50 फीट हो गया है। अब बांध मात्र 11 फीट ही खाली है। जवाहरसागर बांध का जलस्तर 979.60 फीट पर स्थिर रखा जा रहा था, यहां पन बिजलीघर से उत्पादन कर पानी छोड़ा जा रहा है।

2006 में3 बार खुले थे 19 गेट

गांधी सागर की कुल भराव क्षमता 1312 फीट है, 2006 में 1313 फीट जलस्तर होने पर इसके सभी 19 गेट तीन बार खोले गए थे। इस साल कुछ दिन और बरसात जारी रही और जलस्तर बढ़ा तो इसके गेट खुलने की संभावना रहेगी

एक्सपर्ट व्यू

3 साल तक सिचाई का पानी

गांधीसागर का जलस्तर इस साल 53 फीट बढ़कर 1300.2 फीट तक पहुंचा है। 2010 में यह 16 फीसदी(1259 फीट) भरा था, इस साल यह 68 फीसदी भर चुका है, यानि पिछले साल से 6 गुना ज्यादा पानी आया है। इससे अगले 3 साल तक सिंचाई में कमी नहीं आएगी, क्योंकि 100 दिन नहरें चलने और हाइडल से बिजली उत्पादन होने पर भी इसका लेवल 25-30 फीट से ज्यादा कम नहीं होगा। इससे रबी और खरीफ की पैदावार, बिजली उत्पादन, मछली उत्पादन बढ़ेगा। भूजल स्तर बढऩे से ट्यूबवैल, कुएं आदि का जलस्तर भी बढ़ेगा। गर्मी में पेयजल आपूर्ति का संकट खत्म होगा।

- पीडी गुप्ता, सब इंजीनियर, गांधीसागर

आधे भी नहीं बन पाए राजीव गांधी सेवा केंद्र

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जयपुर.ग्राम पंचायतों और पंचायत समिति मुख्यालयों पर बनने वाले राजीव गांधी सेवा केंद्र अभी तक आधे भी नहीं बन पाए हैं।
पंचायतों में सूचना प्रौद्योगिकी की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए तैयार किए जा रहे इन केंद्रों के समय पर पूरा नहीं होने से समय रहते इनके उद्देश्यों की प्राप्ति में भी देरी हो रही है।

अब राज्य सरकार ने पंचायत समिति पर 15 सितंबर और ग्राम पंचायतों पर 30 अक्टूबर से पहले इन केंद्रों को तैयार करने की अंतिम तिथि दी है। इससे पहले पांच बार तिथियां बदली जा चुकी हैं।

राज्य की 9177 ग्राम पंचायतों और 248 पंचायत समितियों में कुल 9425 राजीव गांधी सेवा केंद्र बनने हैं। इनके लिए बजट भी जारी किया जा चुका है। बावजूद इसके अभी तक 4230 ग्राम पंचायतों और 201 पंचायत समितियों में ही राजीव गांधी सेवा केंद्र बनकर तैयार हो पाए हैं।

बाकी स्थानों पर अभी तक काम जारी है। इनमें से 1489 ग्राम पंचायतों में फिनिशिंग कार्य, 786 में छत डालने का कार्य , 1045 छत डालने, 803 में लिंटल स्तर तक और 521 में प्लिंथ लेवल तक ही काम हो पाया है।

वहीं 125 ग्राम पंचायतों में तो नींव खुदाई और 117 में नींव में क्रकीट भराई का काम हो पाया है। क्या है कारण पंचायती राज विभाग के ही अधिकारियों के अनुसार पहले बजट और उसके बाद जमीनों के विवाद के कारण इन केंद्रों के निर्माण के काम में देरी हुई।

इसके बाद कुछ मामलों में ठेकेदारों ने कम रेट्स भर दी और अब भाव बढ़ गए, ऐसे में सामग्री की सप्लाई में भी देरी हो गई। कई मामलों में सरपंचों की अरुचि के कारण भी विलंब हुए हैं।

सुविधाओं से वंचित रहेंगे

निर्माण में देरी से ग्राम पंचायत स्तर पर आम लोगों को मिलने वाली सूचना प्रौद्योगिकी, सभी प्रमाण-पत्र मिलने और कंप्यूटर प्रशिक्षण आदि सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है।

मॉनिटरिंग तेज

राज्य सरकार ने अब इस मामले में मॉनिटरिंग तेज कर दी है। अधिकारियों का दावा है कि अक्टूबर के आखिर तक सभी केंद्र तैयार हो जाएंगे और इनका उपयोग शुरू हो जाएगा।

शिव सैनिकों की हरकत, एडिशनल चीफ इंजीनियर के मुंह पर पोती कालिख

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जोधपुर.क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत में हो रही देरी को लेकर सोमवार को शिव सैनिकों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने पीडब्ल्यूडी के अतिरिक्त मुख्य अभियंता कार्यालय पर प्रदर्शन कर घेराव किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने एडिशनल चीफ इंजीनियर एमएम फुलवारिया के मुंह पर कालिख पोत दी।

अनंत चतुर्दशी पर टूटी सड़कों के कारण गुस्साए शिव सैनिक सोमवार को प्रदर्शन करते हुए जुलूस के रूप में पीडब्ल्यूडी कार्यालय पहुंचे। यहां मौजूद पुलिस के साथ शिव सैनिकों की झड़प हो गए। इसके बाद शिव सैनिक गलियारे में ही बैठ गए और प्रदर्शन करने लगे।

पुलिस ने इन्हें समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे अतिरिक्त मुख्य अभियंता से मिलने की बात पर अड़े रहे। आखिरकार पुलिस ने कुछ प्रमुख लोगों को उनसे मिलने के लिए कक्ष में प्रवेश की अनुमति दी। इस दौरान जालोरीगेट की प्रमुख सड़क को लेकर कार्यकर्ता आक्रोशित हो गए। अतिरिक्त मुख्य अभियंता ने प्रदर्शनकारियों को तीन माह में इस सड़क के निर्माण का भरोसा दिलाया, लेकिन वे शांत नहीं हुए।

इस दौरान कुछ शिव सैनिकों ने चूड़ियां भेंट करने की कोशिश भी की, लेकिन पुलिस की मौजूदगी से प्रदर्शनकारी सफल नहीं हो पाए। अभी वार्ता समाप्त हुई थी कि कुछ शिव सैनिक अपनी सीट से उठकर अतिरिक्त मुख्य अभियंता के समीप पहुंच गए, पुलिस उन्हें पकड़ पाती इसी दौरान एक शिव सैनिक ने अति.मुख्य अभियंता के मुंह पर कालिख पोत दी।

शांतिभंग के आरोप में 11 गिरफ्तार :

पुलिस ने 11 शिव सैनिकों को शांतिभंग करने के मामले में गिरफ्तार किया है। पुलिस ने पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता दीनदयाल भाटी की रिपोर्ट पर राजकार्य में बाधा उत्पन्न करने का मुकदमा भी दर्ज किया है। पुलिस ने गोविंद मेहता, बाबूलाल सोनी, गौतम भंडारी, जसवंत सिंह, ललित सरगरा, संपत पूनिया, हेमंत, गणपत, कमलेश, लक्ष्मण व विष्णु को गिरफ्तार किया है।

कर्मचारी आज सामूहिक अवकाश पर रहेंगे :

अति.मुख्य अभियंता के साथ हुई बदसलूकी को लेकर कर्मचारियों ने नाराजगी जताते हुए मंगलवार को सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। राजस्थान मिनिस्ट्रियल सर्विसेज एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्रसिंह परिहार व विभागीय समन्वय समिति के संभागीय अध्यक्ष लालसिंह चौहान, जोधपुर ठेकेदार संघ के अध्यक्ष शैतानसिंह सांखला, इंजीनियर्स एसोसिएशन ने घटना का विरोध करते हुए कार्रवाई की मांग की है

'आहा...आज तो खाने में नॉनवेज है'



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भूख लगने पर कोई भी जीव जद्दोजहद के लिए तैयार रहता है। अब इस तिलचट्टे को ही देखिए। यह अपनी भूख मिटाने के लिए पानी से भरे एक्वेरियम में उतरा और पहले से मरी हुई गोल्डफिश को अपने मुंह में दबा लाया।
इस शानदार नज़ारे को अपने कैमरे में कैद किया 40 वर्षीय वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर स्कॉट क्रॉमवेल ने।
स्कॉट ने बताया "मैंने नोटिस किया कि एक्वेरियम में एक गोल्डफिश मर गई है। मैं देखना चाहता था कि कई दिनों से भूखे मेरे पालतू तिलचट्टे की क्या प्रतिक्रिया होती है। मैंने अपने पालतू तिलचट्टे को एक्वेरियम के पास छोड़ दिया और कैमरा लेकर उसकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार किया।"
भूख से व्याकुल तिलचट्टे ने गोल्डफिश को मुंह में दबाया और एक्वेरियम से बाहर ले आया। इन्ही मूमेंट को स्कॉट ने अपने कैमरे में कैद कर लिया।
आप भी देखिए भूखे तिलचट्टे की तस्वीरें.........


शक्कर केसे कंट्रोल हो ....

हिंदी दिवस के सुअवसर पर

गूगल, ऑरकुट और फेसबुक के दोस्तों, पाठकों, लेखकों और टिप्पणिकर्त्ताओं के नाम एक बहुमूल्य संदेश 


दोस्तों, मैं हिंदी में लिखी या की हुई टिप्पणी जल्दी से पढ़ लेता हूँ और समझ भी जाता हूँ. अगर वहां पर कुछ लिखने का मन करता है. तब टिप्पणी भी करता हूँ और कई टिप्पणियों का प्रति उत्तर भी देता हूँ या "पसंद" का बटन दबाकर अपनी सहमति दर्ज करता हूँ. अगर मुझे आपकी बात समझ में ही नहीं आएगी. तब मैं क्या आपकी विचारधारा पर टिप्पणी करूँगा या "पसंद" का बटन दबाऊंगा? कई बार आपके सुन्दर कथनों और आपकी बहुत सुन्दर विचारधारा को अंग्रेजी में लिखे होने के कारण पढने व समझने से वंचित रह जाता हूँ. इससे मुझे बहुत पीड़ा होती है, फिर मुझे बहुत अफ़सोस होता है.अत: आपसे निवेदन है कि-आप अपना कमेंट्स हिंदी में ही लिखने का प्रयास करें.
 आइये दोस्तों, इस बार के "हिंदी दिवस" पर हम सब संकल्प लें कि-आगे से हम बात हिंदी में लिखेंगे/बोलेंगे/समझायेंगे और सभी को बताएँगे कि हम अपनी राष्ट्र भाषा हिंदी (और क्षेत्रीय भाषाओँ) को एक दिन की भाषा नहीं मानते हैं. अब देखते हैं, यहाँ कितने व्यक्ति अपनी हिंदी में टिप्पणियाँ करते हैं? अगर आपको हिंदी लिखने में परेशानी होती हो तब आप यहाँ (http://www.google.co.in/transliterate) पर जाकर हिंदी में संदेश लिखें .फिर उसको वहाँ से कॉपी करें और यहाँ पर पेस्ट कर दें. आप ऊपर दिए लिंक पर जाकर रोमन लिपि में इंग्लिश लिखो और स्पेस दो.आपका वो शब्द हिंदी में बदल जाएगा.जैसे-dhanywad = धन्यवाद.
 
दोस्तों, आखिर हम कब तक सारे हिन्दुस्तानी एक दिन का "हिंदी दिवस" मानते रहेंगे? क्या हिंदी लिखने/बोलने/समझने वाले अनपढ़ होते हैं? क्या हिंदी लिखने से हमारी इज्जत कम होती हैं? अगर ऐसा है तब तो मैं अनपढ़, गंवार व अंगूठा छाप हूँ और मेरी पिछले 35 सालों में इतनी इज्जत कम हो चुकी है, क्योंकि इतने सालों तक मैंने सिर्फ हिंदी लिखने/ बोलने/ समझने के सिवाय कुछ किया ही नहीं है. अंग्रेजी में लिखी/कही बात मेरे लिए काला अक्षर भैंस के बराबर है.
आप सभी यहाँ पर पोस्ट और संदेश डालने वाले दोस्तों को एक विनम्र अनुरोध है.आप इसको स्वीकार करें या ना करें. यह सब आपके विवेक पर है और बाकी आपकी मर्जी. जो चाहे करें. आपका खुद का मंच या ब्लॉग है. ज्यादा से ज्यादा यह होगा. आप जो भी पोस्ट और संदेश अंग्रेजी में डालेंगे.उसको हम(अनपढ़,अंगूठा छाप) नहीं पढ़ पायेंगे. अगर आपका उद्देश्य भी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपना संदेश पहुँचाने का है और आपके लिखें को ज्यादा व्यक्ति पढ़ें. तब हमारे सुझाव पर जरुर ध्यान देंगे. आपकी अगर दोनों भाषाओँ पर अच्छी पकड़ है. तब उसको ध्दिभाषीय में डाल दिया करें. अगर संभव हो तो हिंदी में डाल दिया करें या फिर ध्दिभाषीय में डाल दिया करें.मेरा विचार हैं कि अगर आपकी बात को समझने में किसी को कठिनाई होती है. तब आपको हमेशा उस भाषा का प्रयोग करना चाहिए जो दूसरों को आसानी से समझ आ जाये. बुरा ना माने. बात को समझे. जैसे- मुझे अंग्रेजी में लिखी बात को समझने में परेशानी होती है.
हिंदी भाषा के साथ ही देश और जनहित में महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. यहाँ पर क्लिक करके देखें कैसे नेत्रदान करना है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.
 अपने बारे में एक वेबसाइट को अपनी जन्मतिथि, समय और स्थान भेजने के बाद यह कहना है कि-आप अपने पिछले जन्म में एक थिएटर कलाकार थे. आप कला के लिए जुनून अपने विचारों में स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं. यह पता नहीं कितना सच है, मगर अंजाने में हुई किसी प्रकार की गलती के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ . हम बस यह कहते कि-आप आये हो, एक दिन लौटना भी होगा.फिर क्यों नहीं? तुम ऐसा करों तुम्हारे अच्छे कर्मों के कारण तुम्हें पूरी दुनियां हमेशा याद रखें.धन-दौलत कमाना कोई बड़ी बात नहीं, पुण्य/कर्म कमाना ही बड़ी बात है.
दोस्तों! मैं शोषण की भट्टी में खुद को झोंककर समाचार प्राप्त करने के लिए जलता हूँ फिर उस पर अपने लिए और दूसरों के लिए महरम लगाने का एक बकवास से कार्य को लेखनी से अंजाम देता हूँ. आपका यह नाचीज़ दोस्त समाजहित में लेखन का कार्य करता है और कभी-कभी लेख की सच्चाई के लिए रंग-रूप बदलकर अनुभव प्राप्त करना पड़ता है. तब जाकर लेख का विषय पूरा होता है. पूरा लेख पढने के लिए यहाँ क्लिक करेंहिंदी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें और बधाई!

ख़ुदकुशी करना पसंद करेगा या फिर क़त्ल होना ?

किसी व्यक्ति से यह पूछा जाना कि वह लव-मैरिज करना पसंद करेगा या अरेंज-मैरिज, कुछ वैसा ही है जैसे किसी से यह पूछा जाना कि वह ख़ुदकुशी करना पसंद करेगा या फिर क़त्ल होना ?

जरा हंस भी लो यार ..........

......पत्नी (पति से) – एक बात कहूँ, नाराज़ तो नहीं होगे ? पति– कहो क्या बात है ? पत्नी - मैं माँ बनने वाली हूँ . पति– इसमें नाराज़ होने वाली कौनसी बात है बल्कि ये तो खुशी की बात है. पत्नी– दरअसल जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी तब यही बात मैंने पिताजी को बताई थी तो वे बहुत नाराज़ हुए थे ….. !
.......टीचर: तुम बड़े होकर क्या करोगे? स्टूडेंट: शादी!!! टीचर: नहीं मेरा मतलब है कि क्या बनोगे? स्टूडेंट: दूल्हा!! टीचर:ओ नो, आई मीन तु से डेट बड़े होकर क्या हासिल करोगे? स्टूडेंट: दुल्हन!! टीचर: अबे मतलब,अपनी मम्मी पापा के लिए क्या करोगे? स्टूडेंट: बहू लाउंगा? टीचर: हराम खोर,तम्हारे पापा तुमसे क्या चाहते हैं? स्टूडेंट: पोता!!! टीचर: हे भगवान,अबे जिंदगी का क्या मकसद है? स्टूडेंट: हम दो हमारे दो!!

इस विधि से कराएं श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन?



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श्राद्धपक्ष में पितरों की तृप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराने का बहुत महत्व है। क्योंकि ऐसी धार्मिक मान्यता है कि ब्राह्मणों के साथ वायुरूप में पितृ भी भोजन करते हैं इसलिए विद्वान ब्राह्मणों को पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ भोजन कराने पर पितृ भी तृप्त होकर सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

श्राद्धपक्ष में ब्राह्मणों को किस तरह यथाविधि भोजन कराना चाहिए -

- श्राद्ध तिथि के पूर्व ही यथाशक्ति विद्वान ब्राह्मण या ब्राह्मणों को भोजन के लिए बुलावा दें।

- श्राद्ध दोपहर के समय करें।

- श्राद्ध के दिन भोजन के लिए आए ब्राह्मणों को दक्षिण दिशा में बैठाएं।

- पितरों की पसंद का भोजन दूध, दही, घी और शहद के साथ अन्न से बनाए गए पकवान जैसे खीर आदि है। इसलिए ब्राह्मणों को ऐसे भोजन कराने का विशेष ध्यान रखें।

- तैयार भोजन में से गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी के लिए थोड़ा सा भाग निकालें।

- इसके बाद हाथ जल, अक्षत यानी चावल, चन्दन, फूल और तिल लेकर ब्राह्मणों से संकल्प लें।

- कुत्ते और कौए के निमित्त निकाला भोजन कुत्ते और कौए को ही कराएं, किंतु देवता और चींटी का भोजन गाय को खिला सकते हैं।

- इसके बाद ही ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

- पूरी तृप्ति से भोजन कराने के बाद ब्राह्मणों के मस्तक पर तिलक लगाकर यथाशक्ति कपड़े, अन्न और दक्षिणा दान कर आशीर्वाद पाएं।

- ब्राह्मणों को भोजन के बाद घर के द्वार तक पूरे सम्मान के साथ विदा करके आएं। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मणों के साथ-साथ पितर लोग भी चलते हैं।

- ब्राह्मणों के भोजन के बाद ही अपने परिजनों, दोस्तों और रिश्तेदारों को भोजन कराएं।

मनमोहन जी...राहुल जी...मौत के क्रूर पंजों से बचा लीजिए इन मासूमों को!


लखनऊ।पूर्वी यूपी में अधिकतर मां-बाप की रातें आंखों में कट जा रही है। मन बैचेन है। डर सता रहा है कि कहीं 'नौकी बीमारी' उनके लाल को न निगल जाए। डर इतना लाडले को छींक भी आ जाए तो कंठ सूख जाता है। ऐसा हो भी क्यों ना। पूरे इलाके में मौत बनकर तांडव मचाने वाली नौकी बीमारी यानी जापानी इंसेफ्लाइटिस ने इस साल अब तक 250 मासूम बच्चों की सांसे छीन ली है। इतने ही करीब अस्पताल में भर्ती हैं। अकेले गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में ही 1497 मरीज आ चुके हैं।

अब तक 10 हजार बच्चों की हो चुकी है मौत

पूर्वी उप्र के गोरखपुर और आसपास के जिलों में 1978 से इंसे लाइटिस महामारी के रूप में कहर ढा रही है। इसके सबसे आसान शिकार मासूम बच्चे है। मरने वालों से कई गुना ज्यादा विकलांग और मानसिक बीमारों की संख्या है। सरकारी रिकार्ड में अब तक दस हजार बच्चों की मौतें हो चुकी हैं। जबकि तमाम मरीज ऐसे है जो निजी अस्पतालों में इलाज कराते रहें है जिनका सरकार के पास कोई रिकार्ड नही है।

पिछले 33 सालों में इस बीमारी से मरने वालों का अनुमानित आंकड़ा 25 हजार मौत और लाखों को विकलांग होने का है। इस साल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज और अन्य अस्पतालों में लगातार नये मरीज भर्ती हो रहें है। मेडिकल कॉलेज में भर्ती होने वाले मरीजों की सं या 1230 और मरने वालों की 195 है।

खून से लिखेंगे खत

इंसेफ्लाइटिस उन्मूलन अभियान चला रहें डा. आरएन सिंह ने बताया है कि पूर्वांचल के किसानों के मासूमों को एन्से लाइटिस के क्रूर पंजों से बचाने के लिए एक ‘खून से खत का महाभियान’ चलाने का निर्णय हुआ है। ‘खून से लिखे खत’ देश के प्रधानमंत्री, स्वास्थ्यमंत्री, योजना आयोग, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी व स्थानीय ‘पूर्वांचल’ के संवेदनशील सांसदों को लिखे जायेंगे।

पूर्वांचल के सातों जिलों में एक ही दिन, एक ही समय पर, एक साथ अभियान के सदस्यों, किसानों, प्रबुद्ध नागरिकों द्वारा स्वरक्त से लोकतंत्र के सबसे प्रभावी हाथियार ‘रक्त पत्र’ का ब्रहास्त्र के रूप में प्रयोग किया जायेगा। उन्होंने कहा कि 33 वषों में किसानों के बच्चों की मौत के बाद पूर्वांचल की जनता एन्से लाइटिस के खिलाफ संघर्ष में खून से खत लोकतंत्र का सबसे प्रभावी हथियार और कवच दोनो है। उन्होंने कहा कि सरकार के लिए चेतावनी है कि लोकतंत्र में खून से खत से बड़ा कोई अस्त्र नहीं हो सकता। एन्से लाइटिस उन्मूलन के लिए खून से खत कोई जूनून नहीं है बल्कि पीड़ा पहुंचाने का तरीका है।

रफ्तार का कहर: जिंदगी-मौत के बीच झूल रहे अजहर के बेटे पर मामा ने कराया केस



हैदराबाद. सांसद और पूर्व क्रिकेटर मोहम्‍मद अजहरुद्दीन के बेटे की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है। डॉक्‍टरों ने बताया कि अयाजुद्दीन को अब भी वेंटीलेटर पर रखा गया है। उनके मुताबिक अयाजुद्दीन के सिर, सीने और पेट में गंभीर चोट लगी है। इस पर मुसीबत यह कि उनके मामा ने अयाजुद्दीन के खिलाफ लापरवाही से गाड़ी चलाने और इसकी वजह से अपने बेटे की जान जाने का मामला दर्ज कराया है।

अजहरुद्दीन का छोटा बेटा मोहम्‍मद अयाजुद्दीन (19) रविवार को यहां सड़क हादसे में गंभीर रूप से जख्‍मी हो गया था। हादसे में अयाजुद्दीन के ममरे भाई अफजल उर रहमान की मौत हो गई थी। नरसिंगी थाना के पुलिस इंस्‍पेक्‍टर पी नारायण ने कहा कि अफजल के पिता ने अयाजुद्दीन के खिलाफ लापरवाही और तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने के मामले में आईपीसी की धारा 304 ए के तहत मुकदमा दर्ज कराया है।

रविवार को शहर के आउटर रिंग रोड पर हादसा उस वक्‍त हुआ जब ये दोनों सुजुकी स्‍पोर्ट्स बाइक पर सवार होकर कहीं जा रहे थे। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस का गश्‍ती वाहन मौके पर पहुंचा लेकिन एंबुलेंस किसी वजह से समय पर नहीं पहुंच सका था। पुलिस की गाड़ी में ही इन दोनों को जुबली हिल्‍स स्थित अपोलो अस्‍पताल में भर्ती कराया गया। अफजल ने रविवार को ही अस्‍पताल में दम तोड़ दिया।

सूत्रों का कहना है कि दोनों बिल्‍कुल नई बाइक पर टेस्‍ट ड्राइव कर रहे थे। 13 लाख रुपये की इस बाइक का रजिस्‍ट्रेशन नहीं हुआ था। अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि अयाजुद्दीन के पास ड्राइविंग लाइसेंस था या नहीं। बताया जा रहा है कि अयाजुद्दीन और अफजल तेज रफ्तार से जा रहे थे कि उनकी बाइक सड़क पर फिसल गई। ऐसी खबर है कि ये दोनों जिस सड़क से गुजर रहे थे वहां बाइक चलाने की इजाजत नहीं है।

'250 की स्‍पीड से बाइक चलाना चाहता था अयाज'
अफजल सेंट मेरिज कॉलेज में इंटरमीडिएट का स्‍टूडेंट था। अयाजुद्दीन भी इसी कॉलेज में पढ़ता है। घर में आई नई बाइक चलाने की ललक उसमें काफी पहले से थी। परिवार के लोगों ने इन दोनों को कई बार इस नई बाइक की सवारी करने से मना किया था। लेकिन रविवार तड़के अफजल अपने घर से निकलकर अयाजुद्दीन के घर गया और वहीं अपनी कार खड़ी की। फिर दोनों बाइक से निकल पड़े। तब घरवाले सो रहे थे। अयाजुद्दीन अपने दादा-दादी के साथ जुबली हिल्‍स इलाके स्थित मकान में रहता है।

कहा जा रहा है कि अफजल ने अपने दोस्‍तों को बताया था कि अयाजुद्दीन अपनी नई बाइक को 250 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ाना चाहता है। हालांकि उसके दोस्‍तों को ऐसा नहीं लगा था कि अयाजुद्दीन ऐसा कर सकता है।

अयाजुद्दीन पूर्व क्रिकेटर की पहली बीवी नौरीन से दो बेटों में एक है। नौरीन से तलाक के बाद अजहरुद्दीन ने पूर्व अभिनेत्री संगीता बिजलानी से शादी की थी। अजहरुद्दीन फिलहाल उत्‍तर प्रदेश के मुरादाबाद से कांग्रेस सांसद हैं।

हादसे के वक्‍त नौरीन सउदी अरब में थीं, जबकि अजहर लंदन में थे। रविवार शाम दोनों हैदराबाद पहुंचे। इस हादसे के बाद सबसे पहले अस्‍पताल पहुंचने वाले परिजनों में संगीता बिजलानी भी थीं।

121 मौतें: फ्रांस में परमाणु प्‍लांट तो केन्‍या में तेल पाइप लाइन में विस्‍फोट


नीम्स(फ्रांस). फ्रांस और केन्‍या में सोमवार को हुए दो हादसों में 121 लोगों की मौत हो गई। फ्रांस में जहां एक परमाणु संयंत्र में विस्‍फोट हो गया, वहीं केन्‍या में तेल पाइपलाइन में आग लग गई।

केन्या की राजधानी नैरोबी में एक तेल पाइपलाइन फटने से 120 से अधिक लोग मारे गए। घटना नैरोबी के लुंगा लुंगा औद्योगिक इलाके की है। स्थानीय निवासी जोसेफ म्वेगो ने बताया, ‘पाइपलाइन में रिसाव के बाद लोग तेल जमा करने के लिए जुट गए। इसके बाद पाइपलाइन में विस्‍फोट के चलते आग लग गई। इसकी चपेट में आकर लोग मारे गए।' कई लोग जिंदा जल गए, जबकि कई की मृत्‍यु अस्‍पताल में हुई। 2009 में भी पश्चिमी केन्या में एक टैंकर के पलटने के बाद इसी तरह ईधन बटोरने में लगे 122 लोगों की जलकर मौत हो गयी थी.


फ्रांस में परमाणु सुरक्षा पर सवाल

उधर, दक्षिणी फ्रांस के मार्कूल परमाणु संयंत्र में धमाके के बाद रेडियोएक्टिव पदार्थ के लीक होने की आशंका बढ़ गई है। इस धमाके में 1 कर्मचारी की मौत हो गई और 4 लोग घायल हो गए हैं। धमाके की चपेट में आए लोगों को अस्पताल में दाखिल कराया गया है। ब्लास्ट से रेडिएशन फैलने का खतरा पैदा हो गया है, हालांकि अभी तक ऐसा होने की खबर नहीं है।

जानकारी के मुताबिक ब्लास्ट प्लांट के ओवन में हुआ, जिसकी चपेट में वहां के कर्मचारी आ गए। मार्कूल प्लांट फ्रांस के दक्षिण में लैंगडॉक रूजीलन इलाके में भूमध्य सागर के नजदीक मौजूद है। इससे पहले जुलाई में भी एक परमाणु प्लांट में विस्फोट के बाद आग लग गई थी। ऐसे में ताजा घटना फ्रांस में परमाणु प्लांटों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

सोमवार को हादसा कचरा स्टोर करने वाली जगह पर हुआ। प्लांट के जिस हिस्से में विस्फोट हुआ उसमें फ्रांस की ईडीएफ इलेक्ट्रिसिटी कंपनी की सहायक कंपनी परमाणु कचरे का शोधन करती है। इस संयंत्र का इस्तेमाल फ्रांस की कंपनी अरेवा एमओएक्स ईंधन के उत्पादन के लिए करती है। एमओएक्स ईंधन परमाणु हथियारों से प्लूटोनियम की रीसाइकिलिंग करता है। संयंत्र के सेंट्रेको न्यूक्लियर वेस्ट ट्रीटमेंट सेंटर में यह धमाका हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि अभी संयंत्र से बाहर किसी तरह का खतरा नहीं है।

पिछले साल दिसंबर में हुई फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच परमाणु संयंत्रों को स्थापित करने को लेकर सहमति बनी थी। इस समझौते के तहत भारत में बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अरेवा को भारत में दो परमाणु संयंत्र बनाने का ठेका दिया गया था। यह समझौता 9.3 अरब अमेरिकी डॉलर में हुआ था।

जुलाई में भी हो चुका है हादसा
फ्रांस में इसी साल जुलाई महीने में रोन घाटी के ड्रोम में मौजूद एक अन्य परमाणु प्लांट ट्राइकास्टिन में विस्फोट के बाद आग लग गई थी । यह घटना परमाणु प्लांट की जांच के दो दिन बाद ही हुई थी। जांच में प्लांट में सुरक्षा संबंधी 32 कमियां सामने आई थीं। इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ था। इस प्लांट को चलाने वाली कंपनी ईडीएफ ने जानकारी दी थी कि यह हादसा प्लांट के उस हिस्से में हुआ था, जहां गैर ऐटमी काम होते हैं।

फ्रांस में 58 न्यूक्लियर रिएक्टर हैं। वहां खपत होने वाली बिजली का 74 फीसदी परमाणु स्रोतों से आता है।

गुजरात दंगा: सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुनाने से इनकार, नरेंद्र मोदी ने लिखा- ईश्वर महान | Email Print Comment

नई दिल्‍ली. गुजरात दंगों के दौरान पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी हत्याकांड मामले में मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी को फिलहाल राहत मिलती दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका के बारे में निचली अदालत ही फैसला करेगी। सोमवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गुलबर्ग सोसायटी कांड की रिपोर्ट मजिस्‍ट्रेट के पास भेज दी जो इस पर फैसला लेंगे। यह रिपोर्ट एसआईटी जांच पर कोर्ट के सलाहकार की ओर से तैयार की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी के खिलाफ मुकदमा चलाने के पर्याप्‍त सबूत नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी ने ट्विटर पर लिखा, 'भगवान महान हैं।'

सर्वोच्‍च अदालत के इस रुख को जहां भाजपा 'सत्‍य की जीत' बता रही है, वहीं कांग्रेस बता रही है कि इसे मोदी को क्‍लीन चिट समझने की भूल नहीं की जाए । गुजरात सरकार के प्रवक्‍ता जयनारायण व्‍यास ने कहा कि गुजरात दंगे के पीडि़तों को बहुत पहले ही न्‍याय मिलता, लेकिन एनजीओ/सामाजिक संगठनों ने अड़ंगा लगा दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने फैसले में निचली अदालत को निर्देश दिया है कि वह फैसला करे कि नरेंद्र मोदी के अलावा 63 अन्य लोगों पर 2002 में हुए गुजरात दंगे में मुकदमा चलाया जा सकता है या नहीं। इनमें मोदी के अलावा उनकी तत्कालीन कैबिनेट सदस्य, आईएएस और आईपीएस अधिकारी शामिल हैं।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश डीके जैन, पी सतशिवम और आफताब आलम की बेंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में जांच और मुकदमे की निगरानी नहीं करेगा। बेंच के फैसले के मुताबिक अब यह मजिस्ट्रेट पर निर्भर है कि मोदी या किसी और पर गुजरात दंगों के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार के कार्रवाई न करने की शिकायत पर मुकदमा चलाना है या नहीं। बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की है। पीठ ने अदालत मित्र राजू रामचंद्रन और विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट पर संज्ञान के बाद व्यवस्था दी है। एसआईटी पहले ही गुजरात दंगों के मामले में नरेंद्र मोदी को क्‍लीन चिट दे चुकी है। मामले की जांच में जुटी टीम के मुखिया रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी आर के राघवन ने कहा कि वो निचली अदालत को पूरा सहयोग करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में विशेष जांच टीम (एसआईटी) को यह निर्देश भी दिया है कि वह अपनी रिपोर्ट ट्रायल कोर्ट को सौंपे। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जकिया जाफरी की तरफ से अगर कोई अर्जी ट्रायल कोर्ट को दी जाती है तो ट्रायल कोर्ट कानून के मुताबिक उस पर फैसला ले। सुप्रीम कोर्ट ने आज का आदेश कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका पर सुनाया है। जकिया ने अपनी याचिका में नरेंद्र मोदी के अलावा कई मंत्रियों, नौकरशाहों पर आरोप लगाए हैं। गौरतलब है कि साल 2002 में अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार में एहसान जाफरी समेत 69 लोग दंगाइयों के शिकार बन गए थे।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी और उनकी बेटी ने कहा कि अदालत के फैसले से उन्‍हें निराशा हुई है। सामाजिक कार्यकर्ता तीस्‍ता शीतलवाड़ इस फैसले को मोदी के लिए पूरी तरह राहत नहीं मान रही हैं और उनका कहना है कि यह न्‍याय की ओर एक बड़ा कदम है।
बीजेपी नेता और राज्‍यसभा सांसद बलबीर पुंज का कहना है कि पार्टी इस के मामले के चलते थोड़ी लाचार नजर आ रही थी लेकिन अब नरेंद्र मोदी राष्‍ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। भाजपा प्रवक्‍ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मोदी को बदनाम करने की कोशिश 10 सालों से चल रही है। लेकिन हर बार मोदी बेदाग निकलते हैं।

क्‍या था पूरा मामला?
जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी ने नरेन्द्र मोदी सहित 62 महानुभावों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष जांच दल (एसआईटी) को आरोपों की जांच के आदेश दिए थे। इस मामले में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी एसआईटी के समक्ष पेश हो चुके हैं। हालांकि एसआईटी ने मुख्यमंत्री को क्लीनचिट दे दी थी।
इस आशय की खबरों के बाद पांच मई को अदालत ने अदालत मित्र को स्वतंत्र रूप से निरीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा था। साथ ही रिपोर्ट की छायाप्रति देने की गुजरात सरकार की मांग खारिज कर दी थी। इसी साल अप्रैल में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपी थी। गोधरा कांड के बाद राज्य में भड़के सांप्रदायिक दंगों के समय पूर्वी अहमदाबाद में 2002 में हुए गुलबर्ग कांड में पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित कई लोग मारे गए थे।

कीडे-मकौड़े खाकर और अपना मूत्र पीकर ज़िंदा रहा मैं'


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बोल्विया में एक प्लेन क्रैश हादसे में बचे एक व्यक्ति ने जब अपनी दास्तां सुनाई तो बचाव दल के लोग सन्न रह गए। यह व्यक्ति 62 घंटों तक कीड़े-मकौड़े खाकर और अपना मूत्र पीकर ज़िंदा रहा।

बोल्वियन समाचार पत्र 'ला रोज़ेन' के हवाले से वाइडल ने बताया कि इस मुश्किल वक़्त में उसे स्काउट में सीखे गए गुर काम आए।

वाइडल ने बताया कि बचाव दल की नज़र में आने के लिए उसने जमीन पर अफने खून से तीर का चिह्न भी बना दिया था।

पेशे से दवाइयों और कॉस्मेटिक्स के सेल्समैन, 35 वर्षीय वाइडल बोल्वानिया से ट्रिनिदाद का हवाई सफर कर रहे थे। उड़ान के कुछ समय बाद ही प्लेन क्रैश हो गया।

वाइडल ने बताया कि वो विमान के पिछले हिस्से में बैठे थे और दुर्घटना के बाद उन्होंने खुद को घने जंगल में फंसा पाया। बचाव दल की एक नेवी पेट्रोल बोट ने दुर्घटना के 62 घण्टों बाद उन्हें ढ़ूंढ निकाला।

आडवाणी पर अन्‍ना का निशाना- जहां लोग भूख से मर रहे, वहां रथयात्रा क्‍यों?

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रालेगण सिद्धी.अन्ना हजारे मानते हैं कि जिस देश में लोग भूख से मर रहे हैं वहां रथयात्रा का कोई औचित्य नहीं है। अन्ना हजारे ने हिंदी को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया और कहा कि हिंदी के विपरीत बोलना राजनेताओं के दंभ को दिखाता है। अन्ना ने यह भी स्पष्ट किया कि वो अपना कोई संगठन खड़ा नहीं करेंगे और आगे पूरा आंदोलन स्वयंसेवक ही चलाएंगे।

पेश है अन्ना से खास बातचीत-

आडवाणी जी की रथयात्रा और आपकी यात्रा साथ-साथ शुरु हो रही है, इसे किस रूप में देखा जाए?
रथयात्रा हमारे लिए नहीं है। ये रथयात्रा है क्या? जिस देश में गरीब लोगों के पास खाने के लिए नहीं है वहां रथयात्रा का क्या औचित्य। हम पद यात्रा को मान सकते हैं। पदयात्रा गांधीजी की नीति थी। गांधीजी मानते थे कि पदयात्रा से सामाजिक चेतना जागती है। हम पदयात्रा में विश्वास रखते हैं रथयात्रा में नहीं।

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राजनीति हो रही है। इससे पार्टियां राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है। आपको क्या लगता है?
देश अब जाग गया है। कोई भी पार्टी अब लोगों को गुमराह नहीं कर सकती। मेरा विश्वास है कि अब भारत के लोग आसानी से गुमराह नहीं होंगे।

60 प्रतिशत भ्रष्टाचार तो लोकपाल मिटा देगा। बाकी कैसे मिटेगा?

सिर्फ लोकपाल लाना ही इस आंदोलन का उद्देश्य नहीं है। अभी लोकपाल केंद्रबिंदु में हैं लेकिन यह लड़ाई की शुरुआत भर है। आगे हम भूमि अधिग्रहण बिल और अन्य जरूरी मुद्दों को लेकर भी आंदोलन करेंगे। चुनाव सुधारों के जरिए सच्चे लोकतंत्र की स्थापना कर भ्रष्टाचार से पूरी तरह निपटा जा सकता है।

क्या आप अपना संगठन खड़ा करेंगे। आगे आंदोलन किस आधार पर चलेगा?

मैं लंबे समय से भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रहा हूं। महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार विरोधी संगठन में दो बार बर्खास्त कर चुका हूं। कुछ लोग ऐसे भी जुड़ जाते हैं जो संगठन के नाम पर गलत काम करते हैं। हर राज्य में जो स्वयंसेवक खड़े होंगे वो ही सही काम करेंगे। आंदोलन के समय देश की जनता खडी़ हो गई। इसमें कोई संगठन नहीं था। उनका उद्देश्य भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण करना था। प्रत्येक राज्य में स्वयंसेवक खड़े करना हमारी रणनीति है।

कुछ स्वयंसेवक चरित्रहीन भी होते हैं, इनसे कैसे निपटा जाएगा?
हम किसी भी कार्यकर्ता पर मुहर नहीं लगाते हैं। जो स्वयंसेवक है वो बिना किसी मुहर के ही हमारे साथ काम करेगा। अब हम अपने साथ जोड़ने से पहले लोगों के चरित्र की भी जांच करेंगे। हमारी टीम इस बात की पूरी परख करेगी की जो लोग हमारे साथ जुड़ रहे हैं उनका ट्रैक रिकार्ड कैसा है।

आतंकवाद पर आपकी राय क्या है?

आतंकवाद क्यों बढ़ा है इसकी जड़ में भी जाना चाहिए। अभी सरकार जो बर्ताव कर रही है उसकी वजह से आतंकवाद बढ़ा है। सरकार लाठी चलाकर किसानों की जमीन ले रही है। यह लोकशाही नहीं है यह हुक्मशाही है। हुक्मशाही से ही आतंकवाद पनपता है। जब सरकार क्षेत्रीय समस्याओं पर ध्यान नहीं देती तो आतंकवाद पनप जाता है। भारत सरकार को लगता है कि हम मालिक है इस देश के। मालिक बनकर चले हैं इसलिए ही भ्रष्टाचार पनप रहा है। सेवक बनकर चलते तो आतंकवाद पनपता ही नहीं। देश में जनता का खड़ा होने आने वाले समय में सभी समस्याओं के लिए रास्ते खोलेगे। यह आशा की किरण है?

आप मूलतः मराठी भाषी है, हिंदी को आप किस रूप में देखते हैं ?

हिंदी आना जरूरी है। मुझे दुख होता है कि हमारे देश के कई मंत्रियों को अभी तक हिंदी नहीं आती है। हिंदी हमारी राजभाषा है सबको यह आनी ही चाहिए। हम अपने प्रदेश में मराठी बोलते हैं लेकिन यूपी जाए तो वहां मराठी काम नहीं आएगी। हमारे हर क्षेत्र की अपनी भाषा है लेकिन भारत में सभी को हिंदी जरूर सीखनी चाहिए। मैं तो यह भी कहता हूं कि विश्व से मुकाबला करने के लिए अंग्रेजी भी जरूर सीखनी चाहिए। हां इस बात का जरूर ध्यान रखा जाना चाहिए कि अंग्रेजी संस्कृति हममे न घुस पाए। हमें अंग्रेजी को भी स्वीकार्यता देनी चाहिए लेकिन अंग्रेजी संस्कृति को किसी भी रूप में नहीं। मैं विदेश जाता हूं तो मुझे भी दुख होता है कि मुझे अंग्रेजी नहीं आती।

देश को जोड़ने के लिए हिंदी का जो उपयोग होना चाहिए क्या वो हो रहा है? कुछ नेता हिंदी को लेकर विपरीत बोलते हैं इस पर आपका क्या कहना है?

राजनेता किसी भी भाषा को लेकर के लेकर विपरीत इसलिए बोलते हैं क्योंकि उनके अंदर अहं होता है। जब राष्ट्र के प्रति प्रेम मन में होता है तो कोई इस तरह की बात नहीं करता। अहंकार के कारण ही ऐसी विपरीत बातें निकलती है। जो लोग समाज को आगे ले जाना चाहते हैं उन्हें यह सोचना चाहिए कि मेरे पीछे समाज चल रहा है। उन्हें इस बात पर गौर करनी चाहिए कि मुझे देखकर समाज चल रहा है। जो मैं करूंगा वही लोग करेंगे। मेरे पीछे रालेगण से लेकर दिल्ली तक लोग खड़े हो गए क्योंकि वो देखते हैं कि मैं क्या कर रहा हूं। राजनेताओं को भी अपने विचार और चरित्र को शुद्ध रखना चाहिए।

भ्रष्टाचार के कारण भी नेताओं का आचरण ही है। लोग देखते हैं कि हमारे नेता भ्रष्टाचार में डूबे हैं तो वो भी ये सोचकर भ्रष्टाचार करने लगते हैं कि जब इतना बड़ा नेता कर रहा है तो मेरे करने में क्या हर्ज है।

देश बड़ी अपेक्षा से आपके पास आ रहा है। रोजाना हजारों चिठ्ठियां आपकों लिखी जा रही हैं। क्या आप सभी को जवाब दे पा रहे हैं?
यह प्रश्न मेरे सामने भी है कि क्या मैं देश की उम्मीदों पर खरा उतर पाउंगा। लोग बड़ी उम्मीद से मेरे पास आ रहे हैं। मैं फकीर आदमी हूं। मंदिर में रहता हूं। मेरे पास कोई बैंक बैलेंस या दौलत नहीं है। रोजाना इतने पत्र आ रहे हैं। एक पत्र के जवाब देने में भी कम से कम पांच रुपए खर्च होते हैं मैं इतना पैसा कहां से लाउंगा। देने वाले भी हैं। बहुत से लोग पैसे के दान की बात करते हैं लेकिन मैं किसी भी प्रकार का दो नंबर का पैसा स्वीकार नहीं कर सकता। मैं अपने जीवन में कभी दो नंबर का पैसा नहीं लिया क्योंकि इस पैसा से कुछ अच्छा हो ही नहीं सकता। अभी दिल्ली से मुझे एक करोड़ रुपए का ईनाम दिया जा रहा था लेकिन देने वालेलोग सही नहीं थे इसलिए मैंने लेने से इंकार कर दिया। मेरे सामने देश है। देशवासियों की अपेक्षा बढ़ गई है। मेरे जीवन का सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि मैं देश की अपेक्षाओं पर कैसे खरा उतर पाउंगा। सामान्य नागरिकों ने मुझे कभी देखा नहीं फिर भी देश की जनता मेरे पीछे खड़ी हो गई है। मुझे ऐसा लगता है कि यह सब भगवान की लीला है। भगवान को ही देश में परिवर्तन लाना है। वो ही लोगों को सद्बु्द्धी दे रहा है। जनता की अपेक्षा बड़ी है इसका भी कोई न कोई रास्ता भगवान ही निकालेगा। मुझे नहीं पता कि मैं उनकी अपेक्षाए कैसे पूरी कर पाउंगा। बस भगवान में मेरा पूर्ण विश्वास है।

लोग समझ रहे हैं कि अन्ना दुख दर्द दूर कर देंगे इसलिए भी वो यहां आ रहे हैं?

मैं बीस साल से आंदोलन कर रहा हूं। लाखों पत्र मेरे पास पहुंचे हैं। मैं हर पत्र का जवाब नहीं दे पाता हूं यह मेरी समस्या है लेकिन फिर भी मैं जितना कर पाता हूं उतना कर रहा हूं। उदाहरण के तौर पर मेरे प्रयासों से महाराष्ट्र में सात कानून बन गए हैं। इन सब से काफी फर्क आया है। सूचना का अधिकार के कानून से भी पूरे देश को फायदा हुआ है।

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