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21 सितंबर 2011

4 नंवबर को कोर्ट में हाजिर हों सोनिया-राहुल और दिग्विजय


कोटा.योगगुरु बाबा रामदेव की मानहानि के दावे पर सुनवाई करते हुए कोटा के स्थानीय कोर्ट ने बुधवार को कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव दिग्विजयसिंह तथा राहुल गांधी को नोटिस जारी किए हैं।

उन्हें 4 नवंबर को कोर्ट में तलब किया है। छावनी निवासी आरएसएस कार्यकर्ता नेता खंडेलवाल ने 14 जून को एसीजेएम (नंबर 5) में कांग्रेस के तीनों शीर्ष नेताओं के खिलाफ आरएसएस एवं बाबा रामदेव की मानहानि का परिवाद पेश किया था।लेकिन, अधीनस्थ कोर्ट ने 2 जुलाई को इसे खारिज कर दिया था। खंडेलवाल ने आदेश के विरुद्ध 13 सितंबर को जिला एवं सेशन न्यायालय में निगरानी याचिका दाखिल की थी।

न्यायालय ने याचिका को सुनवाई के लिए एडीजे (नंबर 4) में भेज दिया। इस पर एडीजे कोर्ट ने तीनों को नोटिस जारी कर 4 नवंबर को तलब करने के आदेश दे दिए। परिवादी के एडवोकेट भुवनेश शर्मा ने बताया कि इसमें गुरुवार नोटिस कौन तामील कराएगा, इस पर सुनवाई होगी।

क्या कहा है परिवाद मे

नेता खंडेलवाल ने याचिका में कहा कि अधीनस्थ कोर्ट में उसने आरएसएस एवं बाबा रामदेव की पतंजलि योग पीठ दोनों संगठनों का सदस्य व पदाधिकारी होने के साथ साथ व्यक्तिगत आहत होने के आधार पर यह परिवाद पेश किया है।

तीनों नेताओं ने बाबा रामदेव व पतंजलि योग पीठ के खिलाफ गलत बयानबाजी की है। इससे देश के लोगों का अपमान हुआ है। इन बयानों से उन्हें शारीरिक एवं मानसिक आघात पहुंचा है।

गोपालगढ़ फायरिंग: सोनिया नाखुश, गहलोत, धारीवाल को दिया सख्त संदेश!


जयपुर/नई दिल्ली.राजस्थान के भरतपुर में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के मारे जाने के बाद इसके सियासी असर को लेकर कांग्रेस आलाकमान काफी गंभीर है। घटना में राज्य सरकार के ढीले रवैए पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की नाखुशी मुख्यमंत्री अशोक गहलौत तक पहुंचा दी गई है।
वहीं गृह विभाग की लापरवाही पर भरतपुर गए कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने खुद ही सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और समय पर प्रशासन चेत जाता तो इसे रोका जा सकता था। आला सूत्रों ने कहा कि महकमे का नेतृत्व करने की वजह से गृह मंत्री पर सवाल उठना लाजिमी है।
आला नेतृत्व से जुड़े नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री और गृह मंत्री तक आलाकमान का सख्त संदेश पहुंचा दिया गया है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पूरे मामले पर निगाह बनाए हुए हैं। रिपोर्ट उन तक पहुंच गई है। राज्य सरकार को साफ कहा गया है कि दंगों में जो लोग मारे गए हैं उनको मुआवजा व पुनर्वास के जरिए जो भी मरहम लगाया जा सकता है उसमें कोई भी कोताही नहीं हो।
क्या गृह मंत्री को पद से हटने को कहा जा सकता है या फिर मुख्यमंत्री पर जिम्मेदारी थोपी जा सकती है? इस सवाल के जवाब में आला सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री को सीधे दोषी नहीं ठहराया जा सकता है,लेकिन गृह मंत्री को क्लीन चिट देना मुश्किल है।
उधर भरतपुर गए टीम के सदस्य राशिद अल्वी ने कहा कि ‘‘हमने अपनी रिपोर्ट में सभी पक्षों की कही हुई बात को हू ब हू लिखा है। दोनों पक्षों से हुई मुलाकात के दौरान सामने आए तथ्य रिपोर्ट में दर्ज किए हैं।प्रशासन द्वारा 8 लोगों के मारे जाने की पुष्टि का उल्लेख भी रिपोर्ट में किया गया है। विवाद काफी समय से चला आ रहा था। हमने जमीन के विवाद के निपटारे की कोशिश भी की है। हमने मांग की है कि न्यायिक जांच समयबद्ध तरीके से पूरी हो और जो भी दोषी हों उन्हें दंडित किया जाए।’
हालांकि अल्वी ने मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। गौरतलब है कि भंवरी देवी प्रकरण के चलते हो रही फजीहत से पहले ही कांग्रेस आलाकमान खुश नहीं है।
तीन माह में आएगी जांच रिपोर्ट
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की अनौपचारिक बैठक में गोपालगढ़ फायरिंग और भंवरी देवी का मामला छाया रहा।
बैठक के बाद गृह मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि घटना की जांच के लिए बनने वाले न्यायिक जांच आयोग को तीन माह की तय अवधि में रिपोर्ट देनी होगी। आयोग का कार्यकाल नहीं बढ़ेगा।
जांच आयोग का कार्यकाल संभवत: तीन माह तय किया जाएगा, इसी अवधि में जांच पूरी करनी होगी। घटना के लिए मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के जिम्मेदार होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी तो बनती ही है। भंवरी देवी प्रकरण पर उन्होंने कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
प्रभारी मंत्री करेंगे जिलों में मुफ्त दवा वितरण योजना की शुरूआत :
राज्य में 2 अक्टूबर से सरकारी अस्पतालों में शुरू हो रही मुफ्त दवा वितरण योजना की लांचिंग प्रभारी मंत्री करेंगे। बैठक के बाद ऊर्जा मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि केबिनेट में योजना पर विस्तार से चर्चा हुई है।
जिलों में जननी शिशु सुरक्षा योजना की तर्ज पर ही इसे लॉन्च किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सभी प्रभारी मंत्रियों को योजना की सफलता के लिए काम में लग जाने के निर्देश दिए।
पोस्टमार्टम कराया
गोपालगढ़ कांड के मृतकों के सभी छह शवों का बुधवार को जिला प्रशासन ने पोस्टमार्टम जयपुर से आई डॉक्टरों की टीम से करा दिया। पोस्टमार्टम के बाद मृतकों के शवों को उनके परिजनों के आने तक जिला अस्पताल में रखा जाएगा।

काली कमाई का सरताज था करोड़पति चीफ इंजीनियर


रायपुर।ईओडब्लू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) ने बुधवार को पीडब्लूडी के चीफ इंजीनियर विजय कुमार भतपहरी के बंगले में छापा मारकर छह करोड़ से ज्यादा की काली कमाई का पर्दाफाश किया।

शुरुआती आकलन के मुताबिक कमाई पिछले 10 साल की है। ईओडब्लू की टीम ने अफसर के घर सुबह 5.30 बजे दबिश दी। उस समय अफसर और उनका परिवार सो रहा था। ईओडब्लू ने अफसर के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत कार्रवाई की है।

ईओडब्लू की टीम देर शाम तक अफसर के अरिहंत नगर सरोना वाले बंगले में दस्तावेजों की छानबीन कर रही थी। पड़ताल के दौरान अफसर के पुश्तैनी गांव कुरूद में मकान और जमीन होने का पता चला। उसके बाद वहां भी एक टीम भेजी गई है।

अफसर के गांव वाले मकान की भी तलाशी ली जा रही है। ईओडब्लू के एडीजी डीएम अवस्थी ने बताया कि अफसर के पैतृक गांव कोड़ेबोड़ में पेट्रोल पंप है। रिश्तेदार के नाम पर वह राईस मिल संचालित कर रहा था। अभनपुर में नई राजधानी के करीब 26 एकड़ जमीन है। इसके अलावा कुछ अचल संपत्ति का पता चला है

अफसर की कुछ अघोषित संपत्ति

संपत्ति कीमत भतीजे आशाराम के नाम पर राईस मिल 1. 50 करोड़ पत्नी के नाम पर पेट्रोल पंप 60 लाख करीबी रिश्तेदारों नाम जमीन 3.10 करोड़ कारें और गाड़ियां 40 लाख बीमा पालिसी 1 करोड

बाहर से अलग-अलग, अंदर से एक बंगला

अफसर का बंगला बेहद आलीशान है, साथ ही उन्होंने बाजू वाला बंगला भी खरीद लिया है। बाहर से देखने पर दोनों बंगले अलग-अलग नजर आते हैं, लेकिन भीतर से उनके बीच दीवार नहीं है। बंगले की आलमारी से एक करोड़ से ज्यादा के लाइफ इंश्योरेंस के कागजात, पीपीएफ के खाते और एलआईसी पॉलिसी के दस्तावेज मिले।

50 सांसदों ने खरीदे जब्त हथियार

नई दिल्ली. बसपा की मायावती, कांग्रेस के जनार्दन द्विवेदी और बीजेपी के शाहनवाज हुसैन और जेल में बंद सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन में क्या समानता है? ये सभी उन 750 सांसदों में शामिल हैं जिन्होंने बीते 25 सालों में सुरक्षा के नाम पर जब्त किए हथियार खरीदे हैं।

सबसे महंगी यानी 3.15 लाख की पिस्तौल पूर्व सांसद अतीक अहमद ने खरीदी थी। अतीक 35 आपराधिक मामलों में जेल में बंद है। इनमें कई हत्या के भी मामले शामिल हैं। जेल में बंद सुरेश कलमाडी ने भी सरकार से ही हथियार खरीदे हैं। इनके साथ कई मुख्यमंत्री, पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री इस होड़ में शामिल रहे हैं। ’



90 के दशक के शुरू में आर्मीनियस रिवॉल्वर पसंद की जाती थी। वहीं दशक के अंत में इसकी जगह वेब्ली रिवॉल्वर ने ले ली। हालांकि पिछले दशक में .22 बोर रिवॉल्वर और 7.65 वॉल्दर पिस्टल की मांग बढ़ गई। यह जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद को आरटीआई आवेदन के जवाब में मिली।


हथियार बेचने के नियम

वित्त मंत्रालय द्वारा जुलाई में जारी सर्कुलर के अनुसार :

> जब्त किए गए हथियार पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर बेचे जा सकते हैं।

> यह लिखित में देना जरूरी है कि यह हथियार खरीदने वाले के पास पहले से कोई हथियार नहीं है।

> इन हथियारों को विभाग के अधिकारियों को लीज पर दिया जा सकता है। लेकिन सांसदों को लीज पर दिए हथियारों की अवधि 10 साल से ज्यादा नहीं हो सकती।

> हथियार के गुम या चोरी हो जाने पर दोबारा हथियार दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि आरटीआई की सूची में वर्ष 1986 से 2000 के बीच कई सांसदों के नाम दो बार से ज्यादा सामने आए है।

बराबर दिन और रात

जयपुर.सायन सूर्य के तुला राशि में प्रवेश पर शुक्रवार को दिन-रात बराबर होंगे। सूर्य का उदय और अस्त एक ही समय 6.19 बजे होगा। इस दिन 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की ही रात होगी।

राजस्थान ज्योतिष परिषद के महासचिव डॉ. विनोद शास्त्री के मुताबिक सायन सूर्य तुला राशि में दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर आएगा। ये शरद संपात भी कहलाता है। इसी को विषुवत दिन भी कहा जाता है।

इसके साथ ही सूर्य का दक्षिण गोल में जाना शुरू हो जाएगा। सूर्य के दक्षिण गोल में प्रवेश से दिन छोटे होने लगेंगे और रातें बड़ी होना शुरू हो जाएंगी। यह देवताओं की रात्रि का प्रारंभ माना जाता है अर्थात सांयकाल। और राक्षसों का प्रात:काल कहलाता है।

पं.बंशीधर जयपुर पंचांग निर्माता पं. दामोदर प्रसाद शर्मा के मुताबिक वर्ष में 21 मार्च और 23 सितंबर को दिन-रात बराबर होते हैं। 21 जून को दक्षिणी ध्रुव सूर्य से सर्वाधिक दूर रहता है, इसलिए इस दिन सबसे बड़ा दिन होता है।

इसके बाद 22 दिसंबर को सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायन की ओर प्रवेश करता है। इसलिए यह सबसे छोटा दिन होता है। खगोलविदों के मुताबिक 25 दिसंबर से दिन की अवधि बढ़ने लगती है।

यह है दक्षिण गोल

पृथ्वी की मध्य रेखा को भूमध्यरेखा या विषुवत रेखा कहा जाता है। सूर्य दक्षिण की ओर अग्रसर होता है तो दक्षिण गोल सूर्य कहलाता है। यदि सूर्य उत्तर की ओर जाता है तो उत्तर गोल कहलाता है।

दोनों की अवधियों का समय छह-छह महीने का होता है। डॉ.विनोद शास्त्री के अनुसार पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगा रही है और सूर्य ब्रह्माण्ड में परमेष्ठी मंडल (ब्लैक हॉल) के चक्कर लगा रहा है।

यह चक्कर 27 हजार वर्ष में पूर्ण होता है। इस बीच कभी-कभी अयनांश की गणना के कारण एक दिन आगे पीछे हो जाता है। इसी के चलते दिन-रात की बराबर अवधि कभी 22 को तो कभी 23 सितंबर को होती है।

प्रधानमंत्री को भेजी चिट्ठी में प्रणब मुखर्जी का आरोप- चिदंबरम ने होने दिया 2जी घोटाला


नई दिल्ली.पौने दो लाख करोड़ रुपए के 2जी घोटाले में अब गृहमंत्री पी. चिदंबरम का नाम भी शामिल हो गया है। उन पर आरोप विपक्ष या जांच एजेंसी सीबीआई ने नहीं बल्कि वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की ओर से लगाए गए हैं।

मुखर्जी की ओर से 25 मार्च 2011 को प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि अगर चिदंबरम चाहते तो 2जी घोटाला रोक सकते थे। लेकिन उन्होंने 30 जनवरी 2008 को ए राजा से मीटिंग में उन्हें पुरानी दरों पर स्पेक्ट्रम बेचने की इजाजत दी। उन्होंने कहा - मैं अब एंट्री फीस या रेवेन्यू शेयरिंग की वर्तमान दरों को रीविजिट (समीक्षा) नहीं करना चाहता।

चिट्ठी में कहा गया है कि अगर चिदंबरम चाहते तो स्पेक्ट्रम की पहले आओ, पहले पाओ की जगह उचित कीमत पर नीलामी की जा सकती थी। 11 पन्नों की ये चिट्ठी आने वाले वक्त में चिदंबरम के लिए आफत का सबब बन सकती है। यह चिट्टी आरटीआई के तहत विवेक गर्ग ने हासिल की है। जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्र्हाण्यम स्वामी ने बुधवार को यह पत्र सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जीएस सिंघवी और एके गांगुली की बेंच के समक्ष दस्तावेज के तौर पर पेश किया।

चिट्ठी का सच

25 मार्च 2011 को वित्त मंत्रालय में उपनिदेशक डॉ. पीजीएस राव ने पीएमओ में संयुक्त सचिव विनी महाजन को ये चिट्ठी भेजी थी। इसके कवरिंग लेटर में साफ लिखा है कि इसे प्रणब मुखर्जी पढ़ चुके हैं। इसका विषय था- 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन और मूल्य निर्धारण।

राजा की मनमानी जिसे ठहराया ‘सही’

यह किया चिदंबरम ने...

पुरानी दरों पर ही स्पेक्ट्रमः 30 जनवरी 2008 को ए राजा से मीटिंग में उन्हें पुरानी दरों पर स्पेक्ट्रम बेचने की इजाजत दी।

‘पहले आओ, पहले पाओ’ ही ठीकः पहले आओ, पहले पाओ की जगह ज्यादा कीमत पर स्पेक्ट्रम की नीलामी की जा सकती थी।

अपने अफसरों की भी नहीं सुनीः वित्त मंत्रालय ने टेलीकॉम सेक्टर में ग्रोथ के अनुपात में फीस तय करने की बात की। राजा इससे सहमत नहीं थे। चिदंबरम ने विरोध नहीं किया।

लिमिट बढ़ाकर फायदा पहुंचायाः वित्त मंत्रालय 4.4 मेगाहट्र्ज से ऊपर के स्पेक्ट्रम को बाजार भाव पर बेचना चाहता था। राजा ने यह सीमा 6.2 मेगाहट्र्ज कर दी। चिदंबरम इसी पर मान गए। लेकिन किसी भी कंपनी को 6.2 मेगाहट्र्ज से ऊपर स्पेक्ट्रम दिया ही नहीं गया।

ऐसे रोक सकते थे...

लाइसेंस की शर्ते बदल सकते थेः कंपनियों को दिए यूएएस लाइसेंस का प्रावधान 5.1 सरकार को लाइसेंस की शर्तो को किसी भी समय बदलने की इजाजत देता है। बशर्ते यह जनहित में हो या सुरक्षा के लिए जरूरी हो।

4 महीने थे सरकार के पासः सरकार के पास प्रावधान को लागू करने के लिए काफी समय था। लाइसेंस के चार महीने बाद स्पेक्ट्रम दिया।

..तो लागू होतीं नई दरेंः 4.4 मेगाहट्र्ज से ऊपर की नीलामी वाले रुख पर कायम रहकर कंपनियों से नई दरों पर पैसे वसूले जा सकते थे।

किस पर क्या असर?

सरकार पर : घोटाले में द्रमुक कोटे के दो मंत्रियों (राजा और दयानिधि मारन) के इस्तीफे हो चुके हैं। द्रमुक अब चिदंबरम के इस्तीफे की मांग उठाएगा।

चिदंबरम पर: विपक्ष और खासकर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता उनकी गिरफ्तारी और पद से बर्खास्तगी की मांग तेज करेंगी।

प्रणब मुखर्जी पर: यह पत्र खुद उनके मंत्रालय ने उनकी रजामंदी से लिखा है। ऐसे में पार्टी फोरम पर उनसे जवाब तलब किया जा सकता है।

आगे क्या?

- अदालत नए तथ्यों के आधार पर पीएमओ और चिदंबरम से स्पष्टीकरण मांग सकती है।

- विशेष जज संबंधित पत्रावली अदालत के सामने पेश किए जाने के आदेश दे सकते हैं।

- प्रधानमंत्री के खिलाफ विपक्ष का अभियान और तेज और तीखा होगा।


इंदिरा और राजीव ने बचाया वरुण को

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नई दिल्ली.भाजपा नेता वरुण गांधी का सांसद पद बचाने में उनकी दादी इंदिरा गांधी और ताऊजी राजीव गांधी की ‘मदद’ मिली है। वरुण के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया में कदाचार से जुड़े कई मामलों का संदर्भ लिया। इनमें इंदिरा और राजीव के मामले सर्वाधिक उपयुक्त रहे।
पिछले हफ्ते इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वरुण के निर्वाचन को चुनौती देने वाली उनके मामा व पीलीभीत से पराजित प्रतिद्वंद्वी वीएम सिंह की याचिका खारिज कर दी। सिंह ने दावा किया था कि वरुण ने आपत्तिजनक बयान दिए। जिससे हिंदू मतों का उनके खिलाफ ध्रुवीकरण हुआ। वरुण का तर्क था कि उनका बयान, ‘जो हाथ हिंदू के ऊपर उठेगा, उस हाथ को वरुण गांधी काट देगा’ उस समय दिया था, जब वे चुनाव प्रत्याशी नहीं थे।
वरुण ने राज नारायण विरुद्ध इंदिरा गांधी मामले का संदर्भ लिया। इस मामले में इंदिरा गांधी को संविधान संशोधन करना पड़ा था। हाईकोर्ट के प्रतिकूल फैसले के बाद वह सत्ता में बनी रही थीं। हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने कहा था कि कोई भी व्यक्ति नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद ही उम्मीदवार बनता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट जस्टिस श्रीकांत त्रिपाठी ने इस फैसले के आधार पर कहा कि वरुण ने जब आपत्तिजनक बयान दिया था, तब वह प्रत्याशी नहीं थे। इसलिए आपत्ति खारिज हो जाती है।
वरुण ने सिंह की याचिका पर एक और आपत्ति की थी। इसमें कहा गया था कि जिस टिप्पणी की बात की जा रही है, वह अनिश्चित है। न तो समय को स्पष्ट किया गया है और न ही स्थान को। इस मामले में उन्होंने अजहर हुसैन विरुद्ध राजीव गांधी प्रकरण का संदर्भ लिया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी वाक्य का पूरा होना जरूरी है। महज वाक्यांश किसी को दोषी नहीं बनाता

सिंह ने यह भी कहा कि वरुण ने प्रत्याशी बनने से पहले दिए गए अपने भाषण का चुनाव प्रचार में फायदा उठाया। उसने मीडिया में अपने शब्दों को दोहराने से नहीं रोका। दरअसल, वरुण ने चुनाव प्रचार के दौरान आपत्तिजनक वाक्य को पूरा नहीं दोहराया। वह कहते थे, ‘जो हाथ हिंदू के ऊपर उठेगा उस हाथ को ..’। श्रोता इसे आगे बढ़ाते और कहते ‘वरुण गांधी काट डालेगा।’ ऐसा करके वरुण ने फिर बिना पूरा वाक्य कहे ही अपनी भावनाएं जनता तक पहुंचा दी।

राजू रामचंद्रन करेंगे सर्वोच्च न्यायालय में कसाब का बचाव

नई दिल्ली. भारतीय न्यायपालिका में निष्पक्षता की सर्वोच्च परम्परा को बनाए रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन को,पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब का बचाव करने के लिए एमिकस क्यूरे नियुक्त किया है। कसाब मुम्बई हमले के मामले में मृत्युदंड का सामना कर रहा है।

रामचंद्रन ने इस नियुक्ति को अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों का एक निर्वहन बताया है। रामचंद्रन,2002 के गुजरात दंगे के दौरान हुए गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार मामले में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य 62 लोगों के खिलाफ जांच की मांग को लेकर जाकिया जाफरी द्वारा दायर की गई याचिका की सुनवाई के लिए भी सर्वोच्च न्यायालय में एमिकस क्यूरे थे।

ज्ञात हो कि पाकिस्तान से आकर मुम्बई पर 26 नवम्बर,2008 को हमला करने वाले 10 आतंकवादियों में से एकमात्र कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था। उसे मुम्बई की एक अदालत ने दोषी ठहराया और फांसी की सजा सुनाई। बम्बई उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी।

इसके बाद कसाब ने सर्वोच्च न्यायालय को एक पत्र लिखकर अपनी फांसी की सजा को चुनौती दी है।

अन्ना जी हमारे पाकिस्तान आइये और भ्रष्टाचार मिटाइये'



नई दिल्ली.पाकिस्तान के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से उनके गांव रालेगण सिद्धि में मुलाकात की और अपने देश में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन शुरू करने के सम्बंध में उनसे विचार-विमर्श किया। ज्ञात हो हाल ही में देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़े आंदोलन का नेतृत्व करके अन्ना हजारे जब से रालेगण सिद्धी पहुंचे है उनसे मिलने लगातार देश विदेश से लोग आ रहे हैं। पाकिस्तान से आए दल ने अन्ना हजारे को पाकिस्तान आने का भी निमंत्रण दिया।
इस प्रतिनिधिमंडल में पाकिस्तान के पूर्व कानून मंत्री इकबाल हैदर सहित तीन कानूनी विशेषज्ञ शामिल थे। अन्ना हजारे से पाकिस्तानी दल की इस मुलाकात को गैर सरकारी संगठन सरहद ने आयोजित किया था। सरहद के प्रमुख संजय नाहर ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने अपने देश में इसी तरह का आंदोलन शुरू करने को लेकर अन्ना से चर्चा की, क्योंकि दोनों देशों में भ्रष्टाचार और आतंकवाद की एक जैसी समस्याएं हैं।
पाकिस्तान से आए इस दल ने अन्ना से यह भी जाना कि पाकिस्तान में किस तरह से भ्रष्टाचार के खिलाफ जनआंदोलन शुरु किया जा सकता है।
इस दल में शामिल जस्टिस नासिर आलम जाहिद ने रालेगण में पत्रकारों को बताया कि हमने अपने देश में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए अन्ना से टिप्स लिए और उन्हें पाकिस्तान आने के लिए भी आमंत्रित किया। अन्ना ने आमंत्रण के जवाब में कहा कि फिलहाल उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है लेकिन वो भविष्य में पाकिस्तान यात्रा के बारे में सोच सकते हैं।

गौरतलब है कि अगस्त में दिल्ली में चले १२ दिन के अनशन के दौरान अन्ना हजारे को विश्व भर में सुर्खियां मिली थी। अन्ना से प्रेरणा लेकर पाकिस्तान में भी जनआंदोलन चलाने की तैयारी चल रही है।

भाषण में झूठ बोल रहे थे नरेंद्र मोदीः जस्टिस सच्चर

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नई दिल्ली. सोमवार को अपना सद्भावना उपवास समाप्त करते वक्त नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में जोर देकर यह कहा था कि वो गुजरात में अल्पसंख्यकों के लिए कुछ खास नहीं करते हैं और बहुसंख्यकों के लिए भी कुछ नहीं करते हैं। वो सभी गुजरातियों के लिए काम करते हैं। जस्टिस सच्चर ने नरेंद्र मोदी के इस कथन को झूठ बताया है।

नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में जस्टिस सच्चर से मुलाकात का उल्लेख करते हुए यह कहा था कि अल्पसंख्यकों पर रिपोर्ट तैयार कर रहे जस्टिस सच्चर जब अपनी टीम के साथ मुझसे मिले तो उन्होंने मुझसे सवाल किया था कि मैं अल्पसंख्यकों के लिए क्या करता हूं। इसके जवाब में मैंने कहा था कि मैं अल्पसंख्यकों के लिए कुछ नहीं करता। मैंने यह भी कहा था कि मेरी सरकार बहुसंख्यकों के लिए भी कुछ नहीं करती। हम जो करते हैं वो पूरे गुजरातियों के लिए करते हैं और गुजरात के ६ करोड़ गुजरातियों को साथ लेकर चलते हैं।

जस्टिस सच्चर ने एक टीवी चैनल से बातचीत में मोदी के इस बयान को गलत बताते हुए कहा कि जब उनकी मोदी से मुलाकात हुई थी तो मोदी ने जवाब दिया था कि वो अल्पसंख्यकों के लिए पतंग उत्सव आयोजित करते हैं। पतंगों के कारोबार में ज्यादातर मुस्लिम जुड़े हुए हैं। पतंग उत्सव से उनके व्यवसाय को फायदा होता है। जस्टिस सच्चर ने मोदी के बयान को झूठा बताते हुए यह भी कहा कि मोदी ने खासतौर पर यह उल्लेख किया था कि उनकी सरकार अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए काम करती है।

मनीष तिवारी ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से लिखित में माफी मांग ली

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पुणे. लुधियाना से कांग्रेस संसद और प्रवक्ता मनीष तिवारी ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से लिखित में माफी मांग ली है।

पत्र में उन्होंने गांधीवादी अन्ना को भ्रष्टाचार में लिप्त होने के अपने आरोप पर की गई टिप्पणियों पर खेद व्यक्त किया। तिवारी का यह लिखित माफीनामा पुणे के मिलिंद पवार,जोकि अन्ना हजारे के वकील है, 8 सितम्बर को भेजे गए कानूनी मानहानि नोटिस के बाद आया है।

पवार ने अन्ना हजारे को संबोधित इस लिखित माफीनामे की कॉपी जारी की। तिवारी ने इस पत्र में कहा कि रामलीला मैंदान में भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ रहे अन्ना हजारे से अपना अनशन खत्म करने का आग्रह करते हुए वे पहले ही इस सम्बन्ध में 25 अगस्त को खेद व्यक्त कर चुके थे।

तिवारी ने कहा "मैं बिना किसी प्रतिष्ठा या अहंकार के,खास कर तब जब बात अपने से बड़े को आदर और सम्मान देने की हो,पूरी ईमानदारी से मैं अपने पछतावे को दोहराता हूं।"

उन्होंने कहा "मैं इस मुद्दे पर कानूनी प्रतिक्रियाएं देने की इच्छा नहीं करता हूं या इस मुद्दे को मैं और नहीं बढ़ना चाहता हूं। मैं आशा करता हूं कि अब आप इस मामले को खत्म समझेंगे।"

अन्ना के वकील पवार ने भारतीय दंड सहिता की धारा 500 के तहत तिवारी को क़ानूनी नोटिस भेजा था। पवार ने बताया कि कांग्रेस प्रवक्ता के लिखित माफीनामे को देखते हुए हजारे ने इस मामले को खत्म करने का निर्णय लिया है।

गौरतलब है कि पिछले महीने 16 अगस्त को अन्ना हजारे के अनशन शुरू करने से ठीक दो दिन पहले यानी 14 अगस्त को एक संवादाता सम्मलेन में तिवारी ने अन्ना की आलोचना करते हुए उन्हें भ्रष्टाचार में सिर से पैर तक डूबा हुआ करार दिया था।

कोर्ट ने युवती से दुर्व्यवहार पर मंदिर में जूते पालिश करने का आदेश

भुवनेश्वर.ओडिशा उच्च न्यायालय ने एक विवाह समारोह में एक युवती के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोपी युवक को इस शर्त पर जमानत दी कि वह एक मंदिर में तीन महीने तक भक्तों के जूते पालिश करेगा।

युवक के वकील काली प्रसन्न मिश्रा ने को बताया कि न्यायमूर्ति सी.आर. दास ने कटक निवासी 19 वर्षीय युवक सुमन पात्रा को इस उम्मीद पर जमानत दे दी कि वह अपने आचरण में सुधार लाएगा।

पात्रा के वकील ने कहा, "यह असंवैधानिक है। मानवाधिकार का उल्लंघन भी है। हम आदेश में संशोधन के लिए इसी अदालत में याचिका दायर करेंगे।"

पात्रा को चार जुलाई को कटक में एक विवाह समारोह के दौरान एक युवती के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उस पर यह आरोप भी था कि विरोध करने पर उसने युवती के परिजनों की पिटाई की।

इससे पूर्व एक निचली अदालत ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उसके वकील ने निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

उच्च न्यायालय ने पात्रा को इस शर्त पर जमानत दी कि वह कटक के चंडी मंदिर में भक्तों के जूतों की पालिश करेगा।

वाह रे अतुल्य भारत : 25 रुपए में रोटी, शिक्षा और स्वास्थ्य!

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नई दिल्ली.अच्छा खाना,उचित स्वास्थ्य सेवा और ढंग की शिक्षा- इस महंगाई के समय में एक शख्स के लिए ये सब पाने के लिए 25 रुपए ही काफी हैं। आपको यह अविश्वसनीय लग सकता है, लेकिन योजना आयोग को ऐसा नहीं लगता।

मंगलवार को आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। इसके मुताबिक, गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) का दर्जा पाने के लिए एकमात्र शर्त यह है कि एक परिवार की न्यूनतम आय 125 रुपए रोजाना हो। आमतौर पर एक परिवार में औसतन पांच लोग माने जाते हैं। इस तरह प्रति व्यक्ति रोजाना आय मात्र 25 रुपए।

गौरतलब है कि अधिकतर सरकारी योजनाओं का लाभ केवल गरीबी रेखा से नीचे के लोग ही उठा सकते हैं। आयोग ने यह हलफनामा अदालत के कई बार कहने के बाद दायर किया है। आयोग के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय भी इस हलफनामे पर विचार कर चुका है। हलफनामा सुरेश तेंडुलकर समिति की रिपोर्ट पर आधारित है। इसमें कहा गया है, ‘प्रस्तावित गरीबी रेखा भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति खर्च के वास्तविक आकलन पर जीवनयापन के न्यूनतम संभव स्तर पर आधारित है।’

यूपीए ने ‘आमआदमी’ के प्रति अपनी चिंता कई बार जाहिर की है और 2004 व 2009 में इसे अपना चुनावी एजेंडा भी बनाया था। लेकिन इस हलफनामे से साफ है कि देश में गरीबी रेखा केवल अत्यंत गरीबों और पिछड़ों के लिए ही रह जाएगी। इस समय जब सब्जी की कीमतें आसमान पर हैं, तेल कंपनियां आए दिन पेट्रो उत्पाद महंगे कर रही हैं और एलपीजी सिलेंडर से सब्सिडी खत्म करने की बात चल रही है, तब यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि सरकार बीपीएल दर्जा पाने के लिए लोगों को भूखे मरते हुए ही देखना चाहती है।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त खाद्य आयुक्त एनसी सक्सेना ने इस हलफनामे पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि यह असंवेदनशील है। उन्होंने कहा कि यह पैमाना तो उन परिवारों के लिए सही है जो भुखमरी के कगार पर हैं, न कि गरीबी के। उन्होंने कहा कि अगर आयोग का बस चले तो देश के अधिकतर गरीबों की कई सरकारी कल्याणकारी योजनाओं से हाथ धोना पड़ेगा।

उन्होंने कहा,‘ देश में 80 फीसदी से ज्यादा लोग 80 रुपए रोजाना से कम पर जीते हैं। आयोग ने इस बात को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। नतीजतन हमारे पास एक खराब तरीके से लिखा गया हलफनामा है।’

सक्सेना के सहकर्मी बृज पटनायक ने भी इस हलफनामे पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा, ‘यह सरकार और आयोग का नैतिक दिवालियापन दिखाता है। वे गरीबों के बारे में नहीं सोचते, यह बेहद असंवेदनशील है।’ उन्होंने कहा,‘सांसदों के लिए कैंटीन में सब्सिडी वाला भोजन है लेकिन जब गरीबों की बात आती है तो सरकार न्यूनतम सुविधाएं भी कम से कम लोगों तक सीमित रखना चाहती है।’

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की है। उनके मुताबिक, उचित स्वास्थ्य सेवा तो भूल जाइए आजकल तो एक रुपए में एस्प्रिन की गोली तक नहीं मिलती

हलफनामे की प्रमुख बातें

>हर महीने शहरी इलाके में 965 रुपए और ग्रामीण इलाके में 781 रुपए खर्च करनेवाला गरीब नहीं। शहरों में रोज 32 रुपए और गांव में रोज 26 रुपए से ज्यादा खर्च करने वाला केंद्र और राज्य सरकार की गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों के लिए कल्याण योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकता। >हर रोज अनाज पर 5.5 रुपए का खर्च व्यक्ति को सेहतमंद रखने के लिए काफी। इस तरह रोज दाल पर 1.02 रुपए, दूध पर 2.33 रुपए, सब्जियों पर 1.95 रुपए और खाद्य तेल पर 1.55 रुपए का खर्च करने वाला गरीबी रेखा के नीचे नहीं।

>दवाओं और स्वास्थ्य पर हर महीने 39.70 रुपए का खर्च काफी। शिक्षा पर 99 पैसा रोज यानी 29.60 रुपए प्रति माह (शहरों में) खर्च करने वाला गरीब नहीं।

साफ है कि सरकार इस आकलन से गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की संख्या अवास्तविक रूप से कम करना चाहती है, ताकि गरीबों पर सरकारी खर्च कम किया जा सके।

अरुणा राय,सदस्य्र,राष्ट्रीय सलाहकार परिषद

वाह रे अतुल्य भारत : 25 रुपए में रोटी, शिक्षा और स्वास्थ्य!

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नई दिल्ली.अच्छा खाना,उचित स्वास्थ्य सेवा और ढंग की शिक्षा- इस महंगाई के समय में एक शख्स के लिए ये सब पाने के लिए 25 रुपए ही काफी हैं। आपको यह अविश्वसनीय लग सकता है, लेकिन योजना आयोग को ऐसा नहीं लगता।

मंगलवार को आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। इसके मुताबिक, गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) का दर्जा पाने के लिए एकमात्र शर्त यह है कि एक परिवार की न्यूनतम आय 125 रुपए रोजाना हो। आमतौर पर एक परिवार में औसतन पांच लोग माने जाते हैं। इस तरह प्रति व्यक्ति रोजाना आय मात्र 25 रुपए।

गौरतलब है कि अधिकतर सरकारी योजनाओं का लाभ केवल गरीबी रेखा से नीचे के लोग ही उठा सकते हैं। आयोग ने यह हलफनामा अदालत के कई बार कहने के बाद दायर किया है। आयोग के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय भी इस हलफनामे पर विचार कर चुका है। हलफनामा सुरेश तेंडुलकर समिति की रिपोर्ट पर आधारित है। इसमें कहा गया है, ‘प्रस्तावित गरीबी रेखा भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति खर्च के वास्तविक आकलन पर जीवनयापन के न्यूनतम संभव स्तर पर आधारित है।’

यूपीए ने ‘आमआदमी’ के प्रति अपनी चिंता कई बार जाहिर की है और 2004 व 2009 में इसे अपना चुनावी एजेंडा भी बनाया था। लेकिन इस हलफनामे से साफ है कि देश में गरीबी रेखा केवल अत्यंत गरीबों और पिछड़ों के लिए ही रह जाएगी। इस समय जब सब्जी की कीमतें आसमान पर हैं, तेल कंपनियां आए दिन पेट्रो उत्पाद महंगे कर रही हैं और एलपीजी सिलेंडर से सब्सिडी खत्म करने की बात चल रही है, तब यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि सरकार बीपीएल दर्जा पाने के लिए लोगों को भूखे मरते हुए ही देखना चाहती है।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त खाद्य आयुक्त एनसी सक्सेना ने इस हलफनामे पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि यह असंवेदनशील है। उन्होंने कहा कि यह पैमाना तो उन परिवारों के लिए सही है जो भुखमरी के कगार पर हैं, न कि गरीबी के। उन्होंने कहा कि अगर आयोग का बस चले तो देश के अधिकतर गरीबों की कई सरकारी कल्याणकारी योजनाओं से हाथ धोना पड़ेगा।

उन्होंने कहा,‘ देश में 80 फीसदी से ज्यादा लोग 80 रुपए रोजाना से कम पर जीते हैं। आयोग ने इस बात को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। नतीजतन हमारे पास एक खराब तरीके से लिखा गया हलफनामा है।’

सक्सेना के सहकर्मी बृज पटनायक ने भी इस हलफनामे पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा, ‘यह सरकार और आयोग का नैतिक दिवालियापन दिखाता है। वे गरीबों के बारे में नहीं सोचते, यह बेहद असंवेदनशील है।’ उन्होंने कहा,‘सांसदों के लिए कैंटीन में सब्सिडी वाला भोजन है लेकिन जब गरीबों की बात आती है तो सरकार न्यूनतम सुविधाएं भी कम से कम लोगों तक सीमित रखना चाहती है।’

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की है। उनके मुताबिक, उचित स्वास्थ्य सेवा तो भूल जाइए आजकल तो एक रुपए में एस्प्रिन की गोली तक नहीं मिलती

हलफनामे की प्रमुख बातें

>हर महीने शहरी इलाके में 965 रुपए और ग्रामीण इलाके में 781 रुपए खर्च करनेवाला गरीब नहीं। शहरों में रोज 32 रुपए और गांव में रोज 26 रुपए से ज्यादा खर्च करने वाला केंद्र और राज्य सरकार की गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों के लिए कल्याण योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकता। >हर रोज अनाज पर 5.5 रुपए का खर्च व्यक्ति को सेहतमंद रखने के लिए काफी। इस तरह रोज दाल पर 1.02 रुपए, दूध पर 2.33 रुपए, सब्जियों पर 1.95 रुपए और खाद्य तेल पर 1.55 रुपए का खर्च करने वाला गरीबी रेखा के नीचे नहीं।

>दवाओं और स्वास्थ्य पर हर महीने 39.70 रुपए का खर्च काफी। शिक्षा पर 99 पैसा रोज यानी 29.60 रुपए प्रति माह (शहरों में) खर्च करने वाला गरीब नहीं।

साफ है कि सरकार इस आकलन से गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की संख्या अवास्तविक रूप से कम करना चाहती है, ताकि गरीबों पर सरकारी खर्च कम किया जा सके।

अरुणा राय,सदस्य्र,राष्ट्रीय सलाहकार परिषद

पीएम की रेस से बाहर हुए आडवाणी, उम्मीदवार घोषित नहीं करेगी बीजेपी


नागपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत से संघ के मुख्यालय में मुलाकात के बाद कहा कि उन्हें जीवन में संघ, जनसंघ, बीजेपी, कार्यकर्ताओं और देश से जितना कुछ मिला है, वह प्रधानमंत्री जैसे पद से कहीं ज़्यादा है। आडवाणी ने यह बात उस सवाल के जवाब में कही जिसमें उनसे 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद की रेस में शामिल होने की बात पूछी गई थी। आडवाणी ने इस खबर का भी खंडन नहीं किया कि संघ ने उनसे पीएम पद की होड़ से बाहर रहने को कहा है। जानकार इन बयानों से यह नतीजा निकाल रहे हैं कि आडवाणी ने खुद को प्रधानमंत्री पद की होड़ से बाहर कर लिया है।
वहीं ऐसे भी संकेत मिल रहे हैं कि २०१४ के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार की ही घोषणा न करे। सूत्रों के मुताबिक भाजपा देखो और इंतेजार करो की नीति पर चल रही है और वो पीएम पद की उम्मीदवारी के लिए फैसला सोच समझ कर लेगी। गौरतलब है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिन के उपवास के जरिए प्रधानमंत्री पद की रेस में अपनी उम्मीदवारी मजबूत कर चुके हैं। भाजपा में मोदी के अलावा भी कई वरिष्ठ नेता है जो प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार हो सकते हैं ऐसे में किसी भी प्रकार की अंदरूनि राजनीति से बचने के लिए बीजेपी ने देखो और इंतेजार करो की नीति पर चलने का फैसला लिया है।
मोहन भागवत से मुलाकात और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी का हालचाल पूछने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि मैं रथयात्रा शुरु करने से पहले मोहन भागवत से आशीर्वाद लेने आया था। मोहन भागवत ने मुझे पूरा समर्थन और आशीर्वाद दिया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता के मुताबिक मोहन भागवत ने रथयात्रा में पूरा सहयोग देने की बात कही है। आडवाणी ने रथयात्रा के कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 24 सितंबर को भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी दिल्ली आकर रथयात्रा का कार्यक्रम घोषित करेंगे। आडवाणी ने यह भी बताया कि उनकी यात्रा 35 से 40 दिन में पूरी हो जाएगी और वो चाहेंगे की रथयात्रा लोकसभा के शीत सत्र से पहले समाप्त हो जाए।

आडवाणी ने यह भी बताया कि इस बार वह देश के पूर्वोत्तर हिस्से में भी जाएंगे। उनकी यात्रा का उद्देश्य गुड गवर्नेंस और क्लीन पॉलिटिक्स (स्वच्छ राजनीति और सुशासन) को बढ़ावा देना होगा। लालकृष्ण आडवाणी ने यह भी कहा कि वोट के बदले नोट प्रकरण में उनकी भी जिम्मेदारी थी। वह उस समय विपक्ष के नेता थे यदि वह अपने सांसदों से मना करते तो वो लोकसभा के पटल पर नोट नहीं रखते।

बीजेपी के प्रवक्ता बलबीर पुंज ने कहा कि पार्टी ने अभी तक 2014 के आम चुनावों के लिए किसी को भी प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। पुंज ने कहा कि ऐसे में किसी के रेस से हटने या शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता है।

वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रवक्ता राम माधव ने कहा है कि संघ और आडवाणी की रथ यात्रा को लेकर किसी तरह का मतभेद नहीं है। राम माधव ने कहा कि संघ ने आडवाणी को किसी तरह का दिशानिर्देश नहीं दिया है। संघ उनकी रथयात्रा का पूरा समर्थन करता है। राम माधव ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ संघ हर अभियान के साथ है। राम माधव ने आडवाणी की पीएम पद के लिए दावेदारी पर कहा कि यह बीजेपी का अंदरूनी मामला है।
केंद्र सरकार पर साधा निशाना
लालकृष्ण आडवाणी ने केंद्र सरकार पर जबर्दस्त हमला करते हुए कहा, 'मेरा उद्देश्य रहा कि सरकार गुड गवर्नेंस और क्लीन पॉलिटिक्स के आधार पर चले। यदि क्लीन पॉलिटिक्स के नजरिए से सोचा जाए तो 2008 में हुआ नोट के बदले वोट घोटाला भारत के इतिहास में सबसे शर्मनाक घोटाला है। लेकिन यदि हम गुड गवर्नेंस की बात करे तो इस समय तो कोई सरकार ही नहीं है। पहली बार ऐसा हुआ है जब कई मंत्री न सिर्फ हटाए गए बल्कि जेल भी भेजे गए।'

आडवाणी ने कहा, 'कैश फॉर वोट ने न सिर्फ राजनीतिक व्यवस्था पर एक बहुत बड़ा दाग लगा बल्कि यह लोकतंत्र पर भी धब्बा है। कोई सरकार अपने आपको बचाने के लिए इस बात की जांच करती है कि विपक्ष में कौन कौन से सांसद बिकाऊ है। कीमत करोड़ों में हो तो भी वो देने को तैयार है। अब इस बात में कोई संदेह नहीं है कि वो विश्वासमत नोट देकर जीता गया। 19 लोगों ने क्रॉस वोटिंग की। बाद में इनमें से कुछ कांग्रेस के सांसद बन गए। इसके बाद 2010 में पूरा का पूरा शीत सत्र भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। उस समय तीन बड़े घोटाले उजागर हुए। संसद में पूरा का पूरा विपक्ष एकजुट हो गया और यह मांग की कि जब तक घोटालों की जांच नहीं होगी तब तक संसद नहीं चलने दी जाएगी।'
अपनी रथ यात्रा का जिक्र करते हुए बीजेपी के वरिष्ठतम नेता ने कहा, 'इस बीच मुझे यह लगा कि मैं गुड गवर्नेंस और क्लीन पॉलिटिक्स के मुद्दे को लेकर यात्रा करूं। मेरी यह इच्छा तब और बढ़ गई जब कैश फॉर वोट कांड का उजागर करने वाले हमारे दो सांसदों को जेल भेज दिया गया। पूरी दुनिया भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को बचाती है। हमने अपने देश में ऐसा करने वाले को जेल भेज दिया गया। मैंने यह भी कहा कि यदि वे सांसद अपराधी हैं तो मैं भी अपराधी हूं। मुझे भी तिहाड़ जेल भेजा जाना चाहिए था। देश अच्छा होगा और महान होगा यदि गुड गवर्नेंस और क्लीन पॉलिटिक्स को लेकर पार्टियां चलेंगी। मेरी यात्रा का उद्देश्य इन्हीं दो बातों को बढ़ावा देना है। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी 24 सितंबर को दिल्ली में आकर रथयात्रा के कार्यक्रम की घोषणा करेंगे और हम 35-40 दिन में यात्रा पूरी कर लेंगे।

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