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23 सितंबर 2011

आज कौवा नहीं, तोता है।

बिना हेलमेट के स्कूटर वाले को पुलिस वाले ने रोक लिया। स्कूटर वाले ने रिश्वत देकर चालान से पीछा छुड़वाया और पूछा, आगे कोई रोकेगा तो? पुलिस वाले ने कहा : तुम कह देना कौवा। वो तुम्हें जाने देगा। आगे एक और पुलिस वाले ने रोका। स्कूटर वाले ने कहा : कौवा पुलिस वाले ने जाने दिया। दो दिन बाद यह फिर जब रोक लिया गया तब स्कूटर वाले ने कहा: कौवा। पुलिस वाले ने कहा : बेटा साइड में आ जा। आज कौवा नहीं, तोता है।

...क्योंकि हम अकेले ही पैदा होते हैं और अकेले ही मर जाते हैं!

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जब इस दुनिया में किसी व्यक्ति का जन्म होता है तो वह अकेले ही आता है। उसके साथ कोई और नहीं होता है। जन्म के बाद ही उसे परिवार, समाज, मित्र आदि प्राप्त होते हैं। जैसे कर्म वह करता है उसी के अनुसार जीवनभर सुख या दुख प्राप्त करते रहता है। अंत में व्यक्ति अकेले ही मर जाता है।

आचार्य चाणक्य ने जीवन से जुड़ी कई सटीक नीतियां बताई हैं। इन नीतियों में जीवन की सत्यता छिपी हुई है। जो व्यक्ति इन नीतियों को अपने व्यवहार में उतार लेता है वह निश्चित ही श्रेष्ठ व्यक्ति बन सकता है। आचार्य ने बताया है कि इस दुनिया में हमें आना अकेले ही है और जाना भी अकेले ही पड़ता है, अत: स्वर्ग या नर्क भी हमें अकेले भी भोगना है।

चाणक्य के अनुसार जन्म लेने के बाद व्यक्ति को जो घर-परिवार और वातावरण प्राप्त होता है उसी के अनुसार वह कर्म करते रहता है। यदि कोई व्यक्ति अच्छे कर्म करेगा तो उसे इनके शुभ फल प्राप्त होंगे। वहीं यदि कोई व्यक्ति बुराई के कार्यों में लिप्त रहता है तो उसे इन सभी कार्यों के भयंकर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। जन्म से मृत्यु तक हमें अच्छे-बुरे कर्मों के फल अवश्य ही प्राप्त हो जाते हैं।

कोई भी व्यक्ति यदि अपने निजी स्वार्थ के लिए या किसी और के लिए बुरा कार्य करता है तो यह निश्चित ही दुख देने वाली बात है। लेकिन जिन लोगों के लिए व्यक्ति अधर्म के मार्ग पर चलता है वे सभी लोग भी मृत्यु के समय उनका साथ छोड़ देते हैं। इसीलिए कभी भी किसी भी परिस्थिति में बुरे कार्यों से बचना चाहिए। हमेशा ऐसे कर्म करें जिनसे दूसरों का अहित न हो।

पानी के लिए कर दी चचेरे भाई की हत्या!

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जयपुर.सोडाला के जमना डेयरी इलाके में गुरुवार रात पानी के टैंक में मोटर लगाने को लेकर दो परिवारों में विवाद इतना बढ़ गया कि चचेरे भाई की पिटाई कर हत्या कर दी गई। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को हिरासत में लिया है।

जमना डेयरी निवासी फूलचंद सैनी (70) की दो दुकानों के सामने फुटपाथ पर पानी का टैंक बना हुआ है और इसके सामने ही उसका घर है। दुकानों से सटे घर में चंदालाल सैनी (68), उसके भतीजे राकेश, योगेश, नंदकिशोर व हीरालाल रहते हैं। फूलचंद और चंदालाल रिश्ते में भाई हैं।

चंदालाल के घर चल रहे निर्माण कार्य में टैंक से पानी लिया जा रहा था। टैंक में मोटर लगाने को लेकर दोनों परिवारों में गुरुवार को दिन में विवाद हो गया था, लेकिन उस समय आपसी समझाइश के बाद मामला शांत हो गया। रात करीब साढ़े नौ बजे टैंक में मोटर लगाने को लेकर फिर से विवाद हो गया।


चंदालाल के साथ उसके भतीजे राकेश, हीरालाल, नंदकिशोर व योगेश ने फूलचंद व उनके बेटे दिनेश की पिटाई कर दी। फूलचंद को अचेतावस्था में उनके बेटे योगेश व पड़ोसी अभिनव सोनी ने एसएमएस अस्पताल पहुंचाया जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। फूलचंद रिटायर्ड कंपाउंडर थे।

दो साल से विवाद

फूलचंद के बेटे दिनेश ने बताया कि उनके पिता ने दो वर्ष पहले राकेश के पिता बाबूलाल सैनी से दो दुकानें खरीदी थीं। इनके सामने बने टैंक को वे बंद करना चाहते थे, लेकिन चंदालाल और उसके भतीजे पानी उपयोग में लेने के कारण उसे भरने नहीं दे रहे थे। इसी बात को लेकर दो साल से विवाद चल रहा था।

पीएमओ ने दी थी गरीबी के आंकड़े को हरी झंडी, योजना आयोग में बगावत

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नई दिल्ली. गरीबी के आंकड़ों को लेकर योजना आयोग की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे पर विवाद थमता नज़र नहीं आ रहा है। आयोग के दो सदस्य अभिजीत सेन और मिहिर शाह बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में आयोग की तरफ से दायर हलफनामे के विरोध में खुलकर सामने आ गए। इस हलफनामे में योजना आयोग ने कहा था कि शहरी इलाकों में 32 रुपये और ग्रामीण इलाकों में 26 रुपये खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नहीं माना जाएगा। यह बात भी सामने आ रही है कि योजना आयोग के इन आंकड़ों को प्रधानमंत्री कार्यालय से भी सहमति मिली थी। हालांकि अब आंकड़े में सुधार करने की बात भी कही जा रही है।

सेन और शाह ने मीडिया को जानकारी दी है कि योजना आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के अहम सवालों के जवाब नहीं दिए। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की सूची में शामिल लाभार्थियों की संख्या सीमित क्यों है? योजना आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल का कोई साफ सुथरा जवाब नहीं दिया है कि बीपीएल सूची में आने वाले लोगों को सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ लेने की सीमा क्यों तय की गई है। अभिजीत सेन के मुताबिक आयोग ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया है। वहीं, शाह ने भी लाभार्थियों की सीमा तय किए जाने पर ऐतराज जताया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा बीपीएल लाभार्थियों के लिए कट ऑफ लगाए जाने की वजह पूछी थी। लाभार्थियों को बीपीएल कार्ड राज्य सरकारें जनगणना के आधार पर देती हैं। समाज के इस तबके के लिए कल्याणकारी योजनाओं में धन केंद्र मुहैया कराता है। लेकिन इसे योजना आयोग द्वारा तय कट ऑफ लाइन के आधार पर ही बीपीएल कार्ड धारकों को लाभ दिया जाता है।

ऐसे में अगर राज्य सरकार जनगणना के आधार पर तैयार बीपीएल सूची में आने वाले सभी लोगों को योजना का लाभ देना चाहे तो उसे सब्सिडी का भार खुद उठाना पड़ता है। योजना आयोग ने अपने हलफनामे में तेंडुलकर आयोग के ही आंकड़े दोहरा दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान सलाहकार खाद्य आयुक्त बिरज पटनायक का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूछे गए सवाल का ठोस जवाब न देकर योजना आयोग ने कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की है। पटनायक के मुताबिक योजना आयोग ने दो अहम बिंदुओं पर कोई जवाब नहीं दिया है। पहला बिंदु है, गरीबी रेखा का महंगाई के आधार पर संशोधन और दूसरा बीपीएल तय करते समय कैप का इस्तेमाल न करना।
अभिजीत सेन का कहना है, 'यह बेहद अहम सवाल है। योजना आयोग बीपीएल सूची में भी सीमा निर्धारित करने के मुद्दे पर खुलकर सामने नहीं आया है। हमें इन सवालों के जवाब आज नहीं तो कल देने होंगे। अफसोस है कि समय से इन मुद्दों पर फैसला नहीं लिया जा सका ताकि कोर्ट को सूचित किया जा सके।' पटनायक के मुताबिक इस चूक के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय भी जिम्मेदार है क्योंकि वहां भी इस हलफनामे की जांच की गई थी। सूत्रों के मुताबिक योजना आयोग के सदस्यों के बीच हलफनामे को लेकर गंभीर मतभेद थे। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी के वकीलों ने आयोग को अड़ने के लिए कहा था। वहीं, पीएमओ भी इसी रुख पर अड़ा रहा।

सेन के मुताबिक, 'तेंडुलकर से गरीबी की सीमा (कैप) निर्धारित करने के लिए नहीं कहा गया था। उनसे गरीबी के पहले के आंकड़ों की वर्तमान आंकड़ों से तुलना करके यह देखने को कहा गया था कि किसी तरह का सुधार आया है या नहीं। रिपोर्ट में शहरी इलाकों में गरीबी के आंकड़ों को तो पहले जैसा ही रखा गया और वस्तुओं के दाम में हुई बढ़ोतरी के आधार पर गांवों में गरीबी के आंकड़ों में बदलाव कर दिया।'

..तो खुद मुख्यमंत्री जी आकर शवों को दफन करवाएं'

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जयपुर.भरतपुर जिले के गोपालगढ़ में शुक्रवार शाम को उस समय माहौल फिर गर्मा गया, जब दौसा सांसद किरोड़ीलाल मीणा जिला प्रशासन की मनाही के बावजूद गोपालगढ़ होते हुए अंधवाड़ी गांव चले गए।

उधर, फायरिंग की घटना के 9 दिन बाद जिला प्रशासन ने शुक्रवार को कर्फ्यू में ढील दी। इस दौरान गोपालगढ़ की मस्जिद पर पुलिस बल तैनात था, लेकिन कोई भी नमाज पढ़ने नहीं आया, जबकि अन्य क्षेत्रों में पुलिस की मौजूदगी में नमाज अदा की गई।

स्थानीय पंच-पटेलों की पंचायत के दबाव में कामां विधायक जाहिदा के इस्तीफा देने की खबरें भी उड़ीं, लेकिन खुद जाहिदा ने इस्तीफा देने की बात को बिलकुल गलत ठहराया

पहाड़ी संवाददाता के अनुसार सांसद किरोड़ीलाल मीणा के गोपालगढ़ आने की सूचना जिला प्रशासन को पहले ही मिल गई थी। पुलिस ने वहां जाने के सभी रास्ते बंद कर रखे थे। सांसद मीणा शाम करीब 7 बजे कटी घाटी के रास्ते मोटर साइकिल से गोपालगढ़ के पास अंधवाड़ी गांव पहुंचे।

वहां उन्होंने सभा की और चले गए। मीणा ने सभा में मांग की कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद आकर शवों को दफन करवाएं और गृहमंत्री शांति धारीवाल को बर्खास्त किया जाए। इस पर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक जब तक अंधवाड़ी पहुंचे, तब तक मीणा वहां से निकल चुके थे।

पुलिस ने मजबूरी में चलाई गोलियां : कटारिया

पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का कहना है कि गोपालगढ़ में पुलिस ने मजबूरी में गोलियां चलाईं। एक तरफ से जब लगातार फायरिंग हो रही थी, उसे रोकने के लिए पुलिस को गोली चलानी पड़ी। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के निर्देश पर हाल ही कटारिया के नेतृत्व में तथ्यों की जानकारी लेने के लिए पार्टी की एक टीम गोपालगढ़ भेजी गई थी।

दसवें दिन खुला बाजार :

गोपालगढ़ के बाजार घटना के दसवें दिन शुक्रवार को खुले। इससे पहले एसपी विकास कुमार ने व्यापारियों से बात करके उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिलाया।

सुबह 11 बजे से 4 बजे तक कर्फ्यू में ढील के दौरान छिटपुट दुकानें ही खुल पाईं। हालात सामान्य होते देख जिला प्रशासन ने कफ्यरू में ढील का समय बढ़ाना शुरू कर दिया है। शनिवार को सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक कर्फ्यू में ढील रहेगी।

दो मृतकों के परिजनों को दिए चैक :

गोपालगढ़ फायरिंग में मारे गए दो लोगों के परिजनों को पहाड़ी एसडीएम ने 5-5 लाख रुपए की सहायता राशि के चैक दिए।

एक समुदाय को भड़काने का आरोप :

दौसा सांसद किरोड़ीलाल मीणा के गोपालगढ़ दौरे पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने आपत्ति जताई है। प्रदेश प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि सांसद मीणा इस मामले में राजनीति कर रहे हैं। इस घटना को लेकर वे एक समुदाय की भावनाएं भड़काना चाहते हैं। दूसरी तरफ वे गुजरात में नरेन्द्र मोदी से गले मिलकर खुद को आरएसएस का सच्च सिपाही बताते हैं।

मुख्यमंत्री और गृहमंत्री जिम्मेदार :

गोपालगढ़ फायरिंग प्रकरण को गृहमंत्री शांति धारीवाल द्वारा जमीन के लिए दो समुदायों का झगड़ा बताने पर गुर्जर आरक्षण समन्वय समिति ने आपत्ति जाहिर की है।

समिति के सदस्य महेन्द्रसिंह खेड़ला ने एक बयान में कहा कि इस घटना के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, गृहमंत्री शांति धारीवाल और पुलिस महानिदेशक हरिश्चंद्र मीणा खुद जिम्मेदार हैं।

यह घटना जिला प्रशासन की गलती से हुई है। अगर जिला प्रशासन समय रहते जमीन के गलत इंद्राज को दुरुस्त कर लेता तो यह घटना ही नहीं होती।

एक और मुसीबत? 'कृष्ण अवतार' में दिखे गृह मंत्री चिदंबरम, पुलिस में दर्ज हुई शिकायत


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नई दिल्ली. वित्त मंत्रालय प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई चिट्ठी से उठे विवाद के बीच केंद्रीय गृह मंत्री एक पी. चिदंबरम और पचड़े में फंसे हुए हैं। 16 सितंबर को चिदंबरम के ६६ वें जन्मदिन पर तमिलनाडु में कई जगहों पर ऐसे पोस्टर लगाए गए थे, जिसमें चिदंबरम को उनके समर्थकों ने भगवान कृष्ण की वेशभूषा में दिखाया गया था। लेकिन हिंदू संगठनों को गृह मंत्री का यह अवतार नहीं भाया। आतंकी धमाकों के बीच गृहमंत्री पी. चिदंबरम के समर्थकों ने उन्हें भगवान का दर्जा दे दिया था।

समर्थकों के मुताबिक गृह मंत्री कृष्ण का अवतार हैं और वे ही देश में आतंक का नाश करेंगे। लेकिन संघ परिवार से जुड़े संगठन हिंदू मक्कल कची ने इन पोस्टरों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए चेन्नई पुलिस कमिश्नर के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है। हिंदू मकल कची से जुड़े अर्जुन संपत का कहना है कि गृह मंत्री को किसी एक धर्म या भगवान के साथ अपनी पहचान नहीं जोड़नी चाहिए। संपत के मुताबिक, 'यह हिंदू समुदाय के लिए अपमानजनक है क्योंकि चिदंबरम हजारों लोगों के जीवन की रक्षा करने में नाकाम रहे हैं। भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों को कभी भी निराश नहीं किया है।'

पिछले दिनों हुए लगातार आतंकी धमाकों ने चिदंबरम की काफी आलोचना हो रही है। वे विपक्ष के निशाने पर हैं। मुंबई धमाके, दिल्ली हाईकोर्ट ब्लास्ट और उसके बाद आगरा में धमाका इसकी एक बानगी है। वहीं, वित्त मंत्रालय की तरफ से पीएमओ को इसी साल मार्च में भेजी गई चिट्ठी के आरटीआई के जरिए सामने आने के बाद चिदंबरम पर 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया जा रहा है।

छि..छि..! 'धरती के भगवान' ने ये क्या कर डाला...

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भोपाल।हमीदिया अस्पताल में गुरुवार देर रात जूनियर डॉक्टर ने एक महिला से छेड़खानी की। महिला की शिकायत पर कोहेफिजा पुलिस ने जूनियर डॉक्टर के विरुद्ध छेड़खानी का मामला दर्ज किया है। हालांकि आरोपी डॉक्टर ने खुद को बेकसूर बताया है। साथ ही गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के हड्डी रोग विभाग के एक सीनियर रेसीडेंट डॉक्टर पर अपने खिलाफ साजिश करने का आरोप लगाया है।

कोहेफिजा पुलिस ने बताया कि बड़वानी निवासी रुकमा बाई (परिवर्तित नाम) गुरुवार रात करीब 11.30 बजे हमीदिया के प्राइवेट वार्ड के बाहर मौजूद थी। तभी आथरेपेडिक विभाग के जूनियर डॉक्टर अनुराग अग्रवाल ने उनके साथ अश्लील हरकतें करनी शुरू कर दी। इस पर पीड़िता ने चिल्लाना शुरू कर दिया। तभी महिला के रिश्ते के बड़े भाई डॉ. प्रभात पाटीदार वहां पहुंच गया, जिसे देख डॉ. अग्रवाल भाग गए।

मुझे फंसा रहे हैं डॉ. पाटीदार

महिला से छेड़छाड़ के आरोपी डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि गुरुवार को दोपहर में सीनियर रेसीडेंट डॉ. प्रभात पाटीदार से मेरा झगड़ा हुआ था। इस कारण मुझे फंसाने के लिए डॉ. पाटीदार ने किसी मरीज की महिला साथी का सहारा लेकर कोहेफिजा पुलिस में मेरी झूठी शिकायत की है।

बकौल डॉ. अग्रवाल गुरुवार रात पूरे समय मैं आथरेपेडिक विभाग में ड्यूटी करता रहा। आथरेपेडिक विभाग के सीनियर रेसीडेंट डॉ. प्रभात पाटीदार ने बताया कि रुकमा बाई मेरी बड़ी बहन हैं। वे अस्पताल में अपनी सास पार्वती बाई का इलाज कराने आई हुई हैं।

गुरुवार रात को मैं पार्वती बाई को देखने गया था, तभी वार्ड के बाहर रुकमा के चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। मैं डॉ. अनुराग को उनकी गलती बताने गया तो उन्होंने मेरे साथ झगड़ा किया। इसी झगड़े को डॉ. अनुराग दोपहर का झगड़ा बता रहे हैं। मैंने डॉ. अग्रवाल की शिकायत कोहेफिजा पुलिस थाने और कॉलेज डीन से की है।

महिला को छेड़ने के मामले की प्रारंभिक जांच में जूनियर डॉ. अनुराग अग्रवाल व सीनियर रेसीडेंट डॉ. प्रभात के बीच विवाद होने की बात सामने आई है। महिला ने अब तक मुझसे व डीन से घटना की शिकायत नहीं की है।

- डॉ. डीके पाल, अधीक्षक हमीदिया अस्पताल

शादी के बाद पति नहीं ससुर की 'सेज' पर पहुंची दुल्हन!

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गुड़गांव .भोंडसी थाना क्षेत्र के गांव खैंजावास में बहू के साथ दुष्कर्म करने का मामला प्रकाश में आया है। ससुर तीन सालों से लगातार उससे दुष्कर्म करता आ रहा था।

महिला ने थाना पहुंचकर आपबीती बताई। महिला के बयान पर ससुर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। महिला का मेडिकल करवाया गया, जिसमें दुष्कर्म का आरोप सही पाया गया है। आरोपी की तलाश जारी है।

पलवल निवासी शांति (परिवर्तित नाम) का विवाह 3 वर्ष पहले भोंडसी थाना इलाके के गांव खैजावास निवासी शेखर से हुआ था। शेखर बचपन से ही मंदबुद्धि है। शादी के बाद से ही उसका ससुर रमेश उससे दुष्कर्म करता आ रहा है। विरोध करने पर उसे वह धमकाता था। दो दिन पहले उसकी सास मायके चली गई थी।

इससे रमेश को और मौका मिल गया। वह लगातार दो दिनों से जबरन उससे अनैतिक संबंध बना रहा था। हिम्मत कर उसने मामले की सूचना शुक्रवार को पुलिस को दी। विवाहिता को एक डेढ़ वर्षीय बच्ची भी है। भोंडसी थाना प्रभारी सूबे सिंह यादव ने बताया कि विवाहिता का मेडिकल करा आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।

ससुर की इस क्रूरता को सुन दहल जाएगा आपका दिल

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इंदौर।बाणगंगा थाना क्षेत्र में शुक्रवार दोपहर एक ससुर ने अपनी बहू और उसकी गोद में खेल रही पोती पर घासलेट डालकर आग लगा दी। पत्नी व बेटी को जलता देख उन्हें बुझाने पहुंचा युवक भी झुलस गया।

इस घटना में महिला की मौत हो गई। लेकिन उसकी मासूम बेटी अभी भी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही है। युवक की हालत नाजुक बनी हुई है। वृंदावन कॉलोनी में रहने वाली नवविवाहिता रिया मिश्रा (22), पति अंकित व उनकी तीन माह की मासूम बेटी एंजल को जली हालत में रहवासी एमवाय अस्पताल लेकर आए। डॉक्टर ने उन्हें भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया। टीआई राजीव चतुर्वेदी ने बताया कि रिया ने मृत्युपूर्व बयान में ससुर पर जलाकर मारने का आरोप लगाया है।

उसने बताया था कि ससुर अनिल दोपहर को घर पहुंचे। वह बोल रहे थे कि मुझे तू पसंद नहीं है। मेरे बेटे की दूसरी लड़की से शादी करवाऊंगा। मैं तुझे जिंदा जला देता हूं। उसके बाद ससुर अनिल ने घासलेट डालकर आग लगा दी। उसकी गोद में बच्ची एंजल भी थी। वह एंजल को गोद में लेकर घर से बाहर जान बचाकर भागी।

एक दिन पहले ही करवाई थी सुलह

भिंड में रहने वाली रिया की डेढ़ साल पहले अंकित से शादी हुई थी। अंकित के पिता एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं जबकि अंकित लेबर कांट्रेक्टर है। वह कंपनियों में मजदूर उपलब्ध करवाता है। रिया के ससुराल में चल रहे झगड़ों के चलते रिया के पिता अनिल त्रिपाठी गुरुवार को ही इंदौर आए थे। उन्होंने रिया और ससुराल वालों को समझाइश दी। सुलह करवाने के बाद वे भिंड लौट गए। शुक्रवार को ये घटना हो गई।

हादसे के समय मैं घर पर ही नहीं था

वृंदावन कॉलोनी की सब्जी मंडी के पास रहने वाले रिया के ससुर अनिल का कहना है कि मुझ पर झूठे आरोप लगाए गए है। मैं पत्नी, छोटा बेटा व बेटी दो माह से रिया व अंकित से अलग रह रहे है। हादसे के समय मैं घर पर ही नहीं था। मुझे तो पड़ोसियों ने फोन पर घटना की सूचना दी।

दोनों मां-बेटी लपटों में घिरी थीं

रिया को एमवायएच पहुंचाने वाले पड़ोसी सोनू ने जो दास्तां बयां कि वह रोंगटे खड़े कर देने वाली थी। दोनों मां-बेटी आग में घिरी थी। दोनों बुरी तरह चीख रही थी। कॉलोनी के लोगों ने देखा कि रिया ने एंजल को गोद में ले रखा था। दोनों के शरीर से आग निकल रही थी। लोगों ने आग बुझाकर तीनों को अस्पताल पहुंचाया।

टीआई श्री चतुर्वेदी ने बताया कि मृतका के बयान के आधार पर मामले की जांच की जा रही है। ससुर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि देर रात तक ससुर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।

यकीन मानिए...पुलिस का इतना क्रूर चेहरा नहीं देखा होगा आपने!

सतना/भोपाल।मानसिक रूप से विक्षिप्त एक व्यक्ति को पुलिस ने बीच बाजार जानवरों की तरह पीटा। रस्सी से बांधने के बाद पुलिस ने लाठियों से पीट-पीट कर उसका सिर फोड़ दिया।

सिटी कोतवाली के चर्चित टीआई बलवीर सिंह जग्गी और उनके मातहत सिपाहियों ने यह वहशियाना कृत्य गुरूवार को दिन में तीन बजे शहर के व्यस्ततम क्षेत्र चौक फूलचन्द्र चौक में किया। पुलिस महानिरीक्षक गाजीराम मीणा ने घटना के तुरंत बाद टीआई बलवीर सिंह जग्गी को निलंबित कर दिया है। यहां रहने वाले रामकृष्ण अग्रवाल 40 वर्ष की मानसिक हालत ठीक नहीं है। वह अजीब किस्म की हरकते करता हैं। तमाशबीन लोग उसे चिढ़ाकर मजा लेते हैं।

गुरूवार को दोपहर भी लोगों ने ऐसा ही किया तो वह आक्रामक हो उठा और लाठी लेकर अपने को चिढ़ाने वाले लोगों को दौड़ा। सूचना मिलने पर सिटी कोतवाली के टीआई बलवीर सिंह जग्गी अपनी टीम लेकर मौके पर पहुंचे और रामकृष्ण को पकड़कर उसपर लाठियां बरसानी शुरू कर दी। उसके लहूलुहान होने के बाद भी टीआई का गुस्सा शांत नहीं हुआ। उसे जानवरों की तरह रस्सी में बांधकर पुलिस थाने ले गई।

2जी घोटाले में प्रधानमंत्री की भी भूमिका! अमेरिका में आपात बैठक

नई दिल्ली. 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंत्रियों के समूह (जीओएम) के टर्म्स ऑफ रिफरेंस (टीओआर अथवा कार्यवाही के बिंदु) को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी सहमति से ही स्पेक्ट्रम की कीमतें तय करने का हक जीओएम से लेकर टेलीकॉम मंत्री को दे दिया गया। इसी वजह से तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए राजा जनवरी 2007 में घोटाला कर पाए, जिससे देश को 1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। सामाजिक कार्यकर्ता विवेक गर्ग ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत गोपनीय दस्तावेज हासिल किए हैं, जिनसे यह खुलासा हुआ।

2जी घोटाले में पहले पी चिदंबरम, फिर प्रणब मुखर्जी और अब खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भूमिका को लेकर हो रहे खुलासे के बीच प्रणब मुखर्जी अमेरिका में प्रधानमंत्री से आपात बैठक करने वाले हैं।
मनमोहन से मिले मारन: जनवरी 2006 में प्रधानमंत्री ने दूरसंचार कंपनियों के लिए रक्षा मंत्रालय से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम खाली करवाने के मामले में जीओएम के गठन को मंजूरी दी थी। जीओएम के सामने सिफारिशों पर विचार करने के विषय विस्तृत थे। शेष त्न पेज 13 पर इसमें दुर्लभ 2जी स्पेक्ट्रम की कीमतों के निर्धारण पर भी चर्चा होनी थी। एक फरवरी 2006 को तत्कालीन दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा।

मेरी इच्छा के हों टीओआर : 28 फरवरी 2006 को तत्कालीन दूरसंचार मंत्री और द्रमुक नेता दयानिधि मारन ने प्रधानमंत्री को अर्धशासकीय पत्र (डीओ नंबर एल-14047/01/06-एनटीजी) लिखा। मारन ने ‘गोपनीय’ पत्र में लिखा, ‘आपको याद ही होगा कि एक फरवरी 2006 की मुलाकात में हमने रक्षा मंत्रालय द्वारा स्पेक्ट्रम खाली करने के मुद्दे पर गठित जीओएम पर चर्चा की थी। आपने मुझे आश्वस्त किया था कि जीओएम के टीओआर हमारी इच्छानुसार तैयार होंगे। यह जानकर आश्चर्य हुआ कि जीओएम के सामने जो विषय रखे गए हैं, वे बहुत व्यापक हैं। ऐसे मामलों का परीक्षण किया जा रहा है, जो मेरे अनुसार मंत्रालय स्तर पर किए जाने वाले कार्यो में अतिक्रमण है। विचार के इन बिंदुओं में हमारी सिफारिशों के आधार पर बदलाव किया जाए।’

मारन ने बनाए जीओएम की कार्यवाही के बिंदु: मारन ने पत्र के साथ जीओएम के लिए कार्यवाही के बिंदुओं का नया प्रस्ताव भी भेजा। पहले जीओएम को छह बिंदुओं पर चर्चा के लिए कहा गया था। इनमें स्पेक्ट्रम का मूल्य निर्धारण शामिल था। मारन ने प्रस्तावित एजेंडे में से उसे हटा दिया। सिर्फ चार विषयों को ही प्रस्तावित कार्यवाही के बिंदुओं में शामिल किया। यह सभी रक्षा मंत्रालय से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम खाली कराने से जुड़े थे। प्रधानमंत्री ने जवाबी पत्र में मारन का पत्र मिलने की पुष्टि की।

चार बड़ी वजहें जो उन्हें संदेह के घेरे में लाती हैं

१ - कार्यवाही के बिंदु कैसे बदले
कार्यवाही के बिंदुओं (टर्म्स ऑफ रिफरेंस) की जानकारी केवल तीन किरदारों के पास थी। खुद टेलीकॉम मंत्री दयानिधि मारन, दूसरे प्रणब की अध्यक्षता वाले मंत्रियों का समूह और तीसरे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह। या तो दयानिधि मारन ने बिंदु बदले (लेकिन यह इनके अधिकार क्षेत्र से बाहर था। यह उनके लिए असंभव था।) या मंत्रियों का समूह ने ऐसा किया (अपनी ही कार्यवाही के बिंदु वे बदलकर हलके क्यों करेंगे।) फिर मारन प्रधानमंत्री से मिले। इसके बाद ही कार्यवाही के बिंदु बदल गए।

२ - नोटिफिकेशन पर आपत्ति क्यों नहीं उठाई गई
चूंकि केबिनेट सचिवालय न तो संचार मंत्री को रिपोर्ट करता है और न मंत्रियों के समूह को। वह सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है।
प्रधानमंत्री की सहमति के बाद ही केबिनेट सचिवालय से नोटिफिकेशन
जारी हो सकता है।

३ - मंत्रियों का समूह चुप क्यों रहा
आठ प्रभावशाली मंत्रियों वाले इस समूह ने कार्यवाही के बिंदु बदले जाने पर आपत्ति क्यों नहीं उठाई? तीन ही बातें हो सकती हैं
1. या तो बिंदु बदलने से उनका कुछ लेना देना नहीं था
2. या उन्हें जानकारी नहीं थी। ये दोनों बातें असंभव है।
3. या यह प्रधानमंत्री का आदेश था, जिसकी वे अवहेलना नहीं कर सकते थे।

4 - वित्तमंत्री को क्यों किया नजरअंदाज
सरकारी कामकाज के नियम-1961 के मुताबिक ऐसे किसी भी फैसले को लेने से पहले जिसमें पैसों का मामला हो, वित्तमंत्रालय से सलाह मशविरा जरूरी है। लेकिन इस मामले में तत्कालीन वित्तमंत्री की पूरी तरह अनदेखी की गई। यह तभी संभव था
जब प्रधानमंत्री ने खुद आदेश दिए हों। मारन के इस पत्र से स्पष्ट हुआ कि मंत्री समूह के कार्यवाही के बिंदु बदलने में प्रधानमंत्री की सहमति थी। राजा भी
यही कहते थे
राजा ने २५ जुलाई 2011 को सीबीआई की विशेष अदालत में दलील दी थी कि मैंने जो भी किया उसके पीछे मनमोहन और चिदंबरम की मंजूरी थी।

आज 12.30 बजे तक भारत के पास गिर सकता है नासा का बेकाबू हुआ सेटेलाइट

फ्लोरिडा (अमेरिका). एक बस का आकार का बेकाबू सेटेलाइट धरती पर कभी भी गिर सकता है। हालांकि ने नासा ने ताजा रिपोर्ट जारी कर कहा है कि इस उपग्रह के गिरने की गति हल्कीहो गई है जिस कारण वो अब शनिवार तक धरती पर गिरेगा। 2005 से बेकार पड़ा (निष्क्रिय) नासा का यूएआरएस सेटेलाइट अंतरिक्ष में घूम रहा है। लेकिन चिंता की बात यह है शनिवार सुबह के बाद नासा का यह सेटेलाइट कभी भी धरती से टकरा सकता है। नासा की तरफ से जारी ताज़ा बयान में यह भी कहा गया है कि इस उपग्रह के अमेरिका से टकराने की संभावना बेहद कम है। नासा ने यह भी साफ नहीं किया है कि आखिरकार यह सैटेलाइट धरती के किस हिस्‍से से टकराएगा। नासा का यह भी दावा है कि सैटेलाइट की टक्‍कर से धरती पर नुकसान जरूर होगा।

रूसी वैज्ञानिकों ने कुछ आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया है कि इस सैटलाइट के हिंद महासागर में गिरने की उम्मीद है। यह जगह हिंद महासागर में क्रोजेट द्वीप के उत्तर में कहीं हो सकती है।


क्या कहता है नासा का ताजा अपडेट
अमेरिकी समयानुसार शाम सात बजे यूएआरएस की आर्बिट १४५ से १५० किलोमीटर था। यह अमेरिकी समयानुसार शुक्रवार रात ११ बजे से सुबह तीन बजे के बीच (भारतीय समयनुसार शनिवार सुबह ८.३० बजे से १२.३० बजे) धरती पर गिर सकता है। इस समय यह उपग्रह कनाडा, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर के ऊपर से गुजर रहा होगा। इस स्थिति में इससे जान माल की हानि होने की संभावना बेहद कम है। राहत की बात यह है कि अंतरिक्ष अभियानों के अभी तक के इतिहास में किसी भी उपग्रह के धरती पर गिरने से जान माल की कोई हानि नहीं हुई है।
सेटेलाइट का वजन 5,900 किलोग्राम है। यह धरती के वायुमंडल में प्रवेश करते ही 20 टुकड़ों में बंट जाएगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके कई टुकड़े तो धरती की कक्षा में प्रवेश करते ही जल जाएंगे लेकिन कुछ टुकड़ों के धरती पर करीब 800 किलोमीटर की दूरी में बिखरने की आशंका है। इन टुकड़ों की कुल वजन करीब 500 किलो होगा। चूंकि, सेटेलाइट लगातार अपनी दिशा बदल रहा है, ऐसे में नासा के जानकार भी इस बात का पूरी तरह से अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं कि सेटेलाइट के टुकड़े धरती पर कब और कहां गिरेंगे।
यह सेटेलाइट 35 फुट लंबे और 15 फुट चौड़ाई वाले इस सेटेलाइट को ओज़ोन और पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद रसायनों के अध्ययन के लिए 1991 में अंतरिक्ष में भेजा गया था। लेकिन 2005 में इसने काम करना बंद कर दिया था।

3,200 में से 1 के बराबर है इंसान से टकराने की संभावना
नासा का कहना है कि चूंकि धरती का 75 फीसदी हिस्सा पानी, रेगिस्तान और ऐसी जगहों से मिलकर बना है, जहां इंसानी आबादी नहीं है। नासा के अनुमान के मुताबिक यूएआरएस के मलबे के हिस्सों के किसी इंसान पर गिरने की आशंका 3,200 में 1 के बराबर है। नासा का यह भी कहना है कि सेटेलाइट उत्तरी अमेरिका के ऊपर से इस दौरान नहीं गुजरेगा।

पहले भी अंतरिक्ष से गिर चुके हैं टुकड़े
जुलाई, 1979 में धरती पर स्काईलैब स्पेस स्टेशन के टुकड़े आकर गिरे थे। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में गिरे स्काईलैब के टुकड़ों से किसी को चोट नहीं लगी थी। लेकिन स्थानीय प्रशासन ने गंदगी फैलाने के लिए नासा पर 400 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगाया था। स्काईलैब का आकार यूएआरएस से ज़्यादा बड़ा था। स्काईलैब का आकार एक बड़े घर जैसा था।

अल्फ्लाह अल्फ्लाह अल्फ्लाह .........

कोटा में प्रतिभावान छात्र और छात्राओं का इस तरह का सम्मान कहीं देखने में नहीं आया है वर्षों पहले एक छोटी सी संस्था अल्फ्लाह वेलफेयर सोसाइटी का गठन किया गया था जिसे सभी सदस्यों ने निजी स्वार्थों से उपर उठ कर अपनी कड़ी महनत और लग्न से सींचा खुद वर्तमान अध्यक्ष रफ़ीक बेलियम ने तो इनके कार्यकाल में इस संस्था के चार चाँद लगा दिए .......कहते हैं सभी का भला सोच कर जो चले और उसके बाद खुद की भलाई की बात सोचे तो एक सुबह और वोह भी खुशनुमा सुबह आपका इन्तिज़ार करती मिलती है भाई रफीक बेलिय्म ने भी अपनी इसी महनत से इस सुबह को खुबसुरत और खुशनुमा बना दिया है और आज अल्फ्लाह सोसाइटी वाकई अल्फ्लाह हो गयी है कोटा के मरीज़ हो चाहे छात्र छात्राएं हो अध्यापक हो राजनीती और समाज सेवा से जुड़े लोग हों आज सभी के मुंह पर अल्फ्लाह की तारीफ ही तारीफ है और इस काम के लिए अल्फ्लाह की टीम खासकर रफीक बेलियम डोक्टर युनुस जावेद इकबाल सभी मुबारकबाद के हकदार हैं ..................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 जी: अन्‍ना का वार- लोकपाल होता तो चिदंबरम को देना ही पड़ता इस्‍तीफा

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नई दिल्ली. वित्त मंत्रालय की तरफ से इसी साल मार्च में प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई चिट्ठी मौजूदा गृहमंत्री पी. चिदंबरम के लिए मुश्किलों का सबब बन गई है। निजी समाचार चैनलों के हवाले से खबरों के मुताबिक गृहमंत्री इस घटनाक्रम से इतने आहत हो गए हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री को इस्तीफे की पेशकश कर दी है।

खबरों के मुताबिक पी. चिदंबरम ने प्रधानमंत्री से बुधवार रात बातचीत के दौरान इस्तीफे की पेशकश की। चिदंबरम प्रणब मुखर्जी की तरफ से प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई चिट्ठी से बहुत दुखी हैं। लेकिन प्रधानमंत्री ने फोन पर हुई बातचीत में चिदंबरम से धैर्य बनाए रखने और उनके स्वदेश लौटने तक कोई बयान न देने को कहा है। पर अन्‍ना हजारे ने इसे लेकर एक बयान दिया है। उन्‍होंने कहा है कि अगर लोकपाल होता तो चिदंबरम को इस्‍तीफा देना पड़ता।
मनमोहन सिंह ने अमेरिका जाते समय विमान में 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में पी. चिदंबरम का नाम आने के मुद्दे पर मीडिया से बातचीत में कहा, ‘इस मामले में फिलहाल अदालत में सुनवाई चल रही है। इसलिए इस पर सीधे तौर पर कुछ भी कहना उचित नहीं होगा, लेकिन चिदंबरम का कार्यकाल बेदाग रहा है। उन पर पार्टी और सरकार समेत सबको भरोसा है।’ प्रधानमंत्री अनौपचारिक बातचीत में कहा कि चिदंबरम को लेकर पार्टी, सरकार या यूपीए में किसी तरह की दरार नहीं है।


इस बीच, यूपीए सरकार के मंत्रियों ने चिदंबरम के बचाव और गृहमंत्री पर हो रहे विपक्ष के हमलों के जवाब में बयान देना शुरू कर दिया है। पहले केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा, 'चिदंबरम को इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है। अगर हम विपक्ष के कहने पर इस्तीफा देने लगें तो इससे भारत की छवि राजनैतिक रूप से अस्थिर लोकतंत्र की बनेगी।' प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री नारायण सामी ने बीजेपी के नेता मुरली मनोहर जोशी पर जुबानी हमला बोलते हुए कहा है कि गृह मंत्री के खिलाफ उन्हें बयान देने का कोई हक नहीं है। इससे पहले केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आज़ाद ने मीडिया पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री इस समय अमेरिका में हैं, ऐसे में देश की ऐसी खबरें दुनिया की नज़र में भारत की छवि खराब कर रही हैं।
दूसरी तरफ, एक नया खुलासा सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री प्रणब मुखर्जी के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर सकता है। एक अंग्रेजी अख़बार के हवाले से आई खबर के मुताबिक मौजूदा वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी 2 जी स्पेक्ट्रम के मुद्दे पर पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा से कई बार बात की थी।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक 2007-08 के दौरान जब 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला हुआ था, उस समय प्रणब मुखर्जी विदेश मंत्री के साथ-साथ स्पेक्ट्रम मुद्दे पर गठित किए गए मंत्री समूह के अध्यक्ष भी थे। 26 दिसंबर, 2007 को प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी में ए. राजा ने बताया था कि उन्होंने प्रणब मुखर्जी के साथ इस मुद्दे पर कई बार बातचीत की है। इसके 15 दिन बाद 10 जनवरी, 2008 को टेलीकॉम लाइसेंस के लिए लेटर ऑफ इंटेट जारी कर दिए गए थे। राजा ने प्रधानमंत्री को बताया था कि 121 नए लाइसेंस और 35 डुअल टेक्नॉलजी लाइसेंस जारी करने से पहले प्रणब मुखर्जी से लंबी बातचीत हुई है।

राजा ने चिट्ठी के अंत में प्रणब मुखर्जी से बातचीत का जिक्र करते हुए लिखा था कि मुखर्जी से चर्चा के बाद मुझे इस मुद्दे (2 जी स्पेक्ट्रम) पर फैसले लेने में काफी आसानी हुई है। इस चिट्ठी के साथ एक अन्य चिट्ठी भी थी, जिसमें प्रधानमंत्री को पहले आओ पहले आओ नीति की राजा द्वारा गढ़ी गई नई परिभाषा की जानकारी दी गई थी। उसी दिन, मुखर्जी ने भी प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में मुखर्जी ने स्पेक्ट्रम मुद्दे पर अपनी राय प्रधानमंत्री को दी थी। इस चिट्ठी में कहीं भी प्रणब मुखर्जी ने बोली लगाए जाने या नए कारोबारियों के लिए बाज़ार आधारित मूल्य पर स्पेक्ट्रम बेचे जाने की बात नहीं लिखी थी।

इस चिट्ठी टॉप अप स्पेक्ट्रम के लिए सब्सक्राइबर आधारित मानक, अलग-अलग वर्गों में लाइसेंस दिए जाने और नीति को और ठोस बनाए जाने की बात कही गई थी। यह चिट्ठी कहीं भी राजा द्वारा उठाए जाने वाले कदमों का विरोध नहीं करती है। इसके एक हफ्ते बाद यानी 3 जनवरी, 2008 को राजा को प्रधानमंत्री की ओर से दो पंक्तियों का जवाब मिला, जिसमें राजा की प्रणब मुखर्जी के साथ बैठक और बिना नीलामी के स्पेक्ट्रम के आवंटन की जानकारी मिलने की बात कही गई थी।

इसके चार दिनों बाद दूरसंचार विभाग ने राजा द्वारा प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी का हवाला देते हुए आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। विभाग ने राजा द्वारा लिए गए फैसले को लाइसेंसिंग की नीति मान लिया था। बाद में राजा द्वारा प्रणब मुखर्जी के साथ हुईं बैठकों के संबंध में प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी को दूरसंचार मंत्रालय ने नीतिगत फैसला मानते हुए 2 जी स्पेक्ट्रम का आवंटन कर दिया।
सोनिया देंगी दखल!
केंद्र सरकार में नंबर दो की हैसियत वाले वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और ताकतवर गृह मंत्री पी चिदंबरम के बीच चल रही खींचतान से सरकार और पार्टी का गणित बिगड़ता देख अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस मामले में दखल दे सकती हैं। एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक इस घमासान से पार्टी और सरकार में जिस तरह से असहज स्थिति बनी है, उसे देखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और प्रणब की वापसी के बाद इस मसले पर बात करेंगी। इस बीच पूरे मामले पर गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने फोन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बात की है। सूत्रों का कहना है कि पीएम ने चिदंबरम को धैर्य रखने की सलाह दी है। उधर, प्रणब की ओर से अभी तक चिदंबरम को राहत देने वाला कोई बयान नहीं आया है।
पार्टी के लिए आसान नहीं
कांग्रेस इस बार मसले को पहले से कहीं ज्यादा गंभीर मान रही है क्योंकि 2 जी का मामला सरकार के गले की फांस बन गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट वित्त मंत्रालय के नोट का संज्ञान लेता है तो स्थिति सरकार के लिए खराब हो सकती है। एक कांग्रेस महासचिव के मुताबिक, इस बार सरकार के नंबर दो मंत्री के महकमे की ओर से विवादित तथ्य सामने आए हैं। लिहाजा, यह आसानी से निपटने लायक मामला नहीं है। इसमें सोनिया के दखल और प्रधानमंत्री के स्पष्ट रुख की जरूरत है। पार्टी मान रही है कि आपसी खींचतान से सरकार की छवि पर असर पड़ रहा है। गौरतलब है कि 2 जी मामले में अभी तक पार्टी पूरा ठीकरा सहयोगी दल द्रमुक के सिर ही फोड़कर बचती रही है।

जाको राखै साईयां... मार सके न कोय'...!

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मोरबी। गुजरात के मोरबी के पास रेलवे फाटक क्रॉस कर रही कार की टक्कर ट्रेन से हो गई। ट्रेन से टकराकर कार लगभग 100 फिट दूर गड्ढे में जा रही। इस भयानक घटना में कार के परखच्चे उड़ गए लेकिन नसीब देखिए कि कार चला रहे बिजनेसमैन की जान बच गई।

मोरबी में रहने वाले और बिजनेसमैन मगनभाई आद्रोजा अपनी सेंट्रो कार से कारखाने जा रहे थे। रास्तें में भडियाद गांव के पास स्थित खुले रेलवे फाटक को उन्होंने जैसे ही पार करने की कोशिश की, तभी दूसरी तरफ से ट्रेन आ गई और कार को टक्कर मार दी और कार हवा में उड़ गई।

यह ट्रेन वांकानेर से मोरबी आ रही थी। तेज रफ्तार ट्रेन से टकराकर कार हवा में उछलती हुई 100 फुट दूर गड्ढे में जा गिरी। कार की पूरा ढांचा तहस-नहस हो गया, लेकिन खुशकिस्मती देखिए कि कार चला रहे मगनभाई को इस भयानक दुर्घटना के बाद भी कुछ हल्की चोंटे ही आईं। कार से बाहर आकर उन्होंने खुद कार की दयनीय हालत देखी। यहां वही कहावत चरितार्थ हो गई... 'जाको राखै साईयां... मार सके न कोय'...!

नरेंद्र मोदी ने उठाई पाकिस्‍तानियों के लिए वीजा में रियायत देने की मांग

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अहमदाबाद. गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी ने मांग की है कि पाकिस्‍तान से अजमेर शरीफ दरगाह पर जियारत के लिए आने वाले लोगों को वीजा देने की प्रक्रिया आसान की जानी चाहिए। इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स के सालाना सम्‍मेलन में मोदी ने गुरुवार को यह मांग की। मोदी ने कहा, 'बड़ी संख्‍या में पाकिस्‍तानी क्रिकेट मैच देखने भारत आते हैं। उनमें से कई अजमेर शरीफ जाने की भी ख्‍वाहिश रखते हैं। पर उनका वीजा सिर्फ मैचस्‍थल के लिए ही होता है। इस प्रक्रिया को आसान बनाना चाहिए।'मोदी ने भारतीय मूल के लोगों के लिए कुंभ मेला में आने के लिए हवाई किराया में सब्सिडी देने की मांग भी रखी। उन्‍होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए यह भी कह डाला कि उन्‍हें नहीं पता कि केंद्र की यूपीए सरकार उनके विचार को धर्मनिरपेक्ष रूप में लेगी या नहीं, लेकिन इस पहल से पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा। मोदी ने कहा कि कुंभ मेला के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को उसी रूप में लेना चाहिए जैसे हजयात्रियों को दी जाती है।

मोदी ने अभी 17 से 19 सितंबर तक गुजरात में 'सद्भावना मिशन' के नाम पर तीन दिन का उपवास रखा था, तो उसमें भी बड़ी संख्‍या में मुसलमानों को बुलाया था और सर्वधर्म सद्भाव की बात की थी। हालांकि राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) को यह बात पसंद नहीं आई थी। विश्‍व हिंदू परिषद (वीएचपी) को भी यह नागवार गुजरा था और गुरुवार को तो इसके दो कार्यकर्ता इस बात को लेकर आपस में भिड़ गए। अहमदाबाद के पुलिस आयुक्‍त सुधीर सिन्‍हा के मुताबिक वीएचपी के अल्‍पेश पटेल ने कुछ दिन पहले एक अन्‍य सदस्‍य नरेंद्र खोलिया को एक एसएमएस भेजा था। यह एसएमएस मोदी के उपवास में मुसलमानों की शिरकत को लेकर था। गुरुवार को जब ये दोनों वीएचपी कार्यकर्ता संगठन मुख्‍यालय में मिले तो इनके बीच कहासुनी हुई और पटेल ने खोलिया को कमरे में बंद कर मारा-पीटा। सिन्‍हा ने बताया कि एसएमएस में 'मियाजी' और 'शिवाजी' जैसे शब्‍दों का प्रयोग किया गया था।

शिकार के प्यार में पगलाया सुपारी किलर...बनाया डेंजरस प्लान

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कहते हैं प्यार किसी को भी हो सकता है और कहीं भी। प्यार ऐसी भावना है जो किसी का भी हृदय परिवर्तन कर सकने की काबिलियत रखता है।

ऐसा ही हुआ एक सुपारी किलर के साथ। महाशय को अपने शिकार से ही प्यार हो गया। बस फिर क्या था। प्यार में जान लेने का तो सवाल ही नहीं उठता। किलर ने सुपारी देने वाले को बेवकूफ बनाने के लिए एक साजिश रची और लड़की की हत्या की झूठी तस्वीरें सुपारी देने वाले को भेज दी।

ब्राजील के रहने वाला कार्लोस रोबर्टो डे जीसस एक कॉंट्रेक्ट किलर है और उसने एक महिला अगुआर अराजो की हत्या के लिए 345 पाउंड की सुपारी ली थी।

उसे यह सुपारी मारिया साइमोस ने दी थी, जिसे यह शक था कि महिला का उसके पति के साथ अफेयर चल रहा है।

लेकिन जब डे जीसस की मुलाकात अगुआर से हुई तो वह उसके सिर से लेकर पांव तक उसके प्यार में डूब गया और उसने अपनी मंशा उसे बता दी।

इसके बाद दोनों ने मारिया को बेवकूफ बनाने की एक योजना बनाई। इस नए प्रेमी जोड़े ने पास की ही एक सुपरमार्केट से टोमैटो केचअप की दो बोतल खरीदी।

डे जीसस ने अगुआर के कपड़ों पर सॉस से कुछ इस कदर रंग दिया कि वो बिल्कुल खून से लथपथ लग रही थी। उसने उसका मुंह बांधा और उसके बगल में इस तरह चाकू लगाया कि वह घोंपा हुआ प्रतीत हो। इस अवस्था में उसकी तस्वीरें खींच कर डे ने मारिया को भेज दी।

लेकिन उनका यह राज उस वक्त जब मारिया ने उन दोनों को एक जगह किस करते हुए देख लिया। इसके बाद वह पुलिस के पास गई और उसने डे पर 1000 डॉलर चुराने की शिकायत दर्ज करा दी।

मामले की छानबीन करने वाले उस वक्त हैरान रह गए जब डे ने उन्हें पूरी कहानी सुनाई।

यह पूरा मामला पूर्वी ब्राजील के बाहिया प्रदेश के छोटे से कस्बे पिडोनबाचू का है।

इन जनाब ने हल्की की सरकार की जेब, विदेश यात्रा पर खर्च डाले करोड़ों

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योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने गरीबो की नई परिभाषा दी थी उनके मुताबिक शहरों में 32 रुएए और गांवो में 26 रुपए रोजाना खर्च करने वाला गरीब नहीं है लेकिन ये जनाब तो इस रकम से हजारों गुना ज्यादा रोज का खर्चा करते हैं और वो भी सरकार की जेब से। आरटीआई के तहत मांगी एक जानकारी के मुताबिक योजना आयोग के उपाध्यक्ष की विदेश यात्राओं का रोजाना का औसतन खर्च 11,354 रुपए है। और जाहिर है कि यह खर्च आपकी और हमारी जेब काट कर ही दिया जाता है जिसे सरकार टैक्स के रुप में वसूलती है और सरकारी मंत्री और बाबू उसपर ऐश करते हैं।

आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने पांच सालों में विदेश यात्राओं पर 2 करोड़ 4 लाख 36 हजार 825 रुपए खर्च किए। यह आंकडे जुलाई 2006 से जुलाई 2011 के बीच के हैं इस दौरान मोंटेक ने 16 बार सरकारी खर्चे पर 35 विदेश यात्राएं की। इसमें से केवल एक बार उन्होंने अपनी जेब से विदेश यात्रा का खर्च चुकाया।

इस जानकारी के मुताबिक मोटंके ने पिछले पांच साल के दौरान 16 बार अमेरिका की सरकारी यात्रा की चार बार ब्रिटेन और चार बार सिंगापुर की यात्रा की इसके अलावा अहलूवालिया दो-दो बार चीन और फ्रांस की यात्रा भी सरकारी खर्चे पर की। यही नहीं स्विटजरलैंड, सऊदी अरब, कनाडा, ओमान, बहरीन कोरिया और जापान की यात्रा भी सरकारी खर्चे पर निपटा डाली।

पाकिस्‍तान की अमेरिका को चेतावनी, आगे आलोचना की तो दोस्‍ती खत्‍म


इस्‍लामाबाद. पाकिस्‍तान की विदेश मंत्री हिना रब्‍बानी खार ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि यदि वह पाकिस्‍तान की आलोचना जारी रखेगा तो उसे एक सहयोगी से हाथ धोना पड़ सकता है। हिना रब्‍बानी ने न्‍यूयॉर्क में जिओ टीवी से बातचीत में अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा, ‘आप पाकिस्‍तान और वहां की अवाम को अलग-थलग नहीं कर सकते हैं। यदि आप ऐसा करते हैं तो पाकिस्‍तान भी ऐसा करेगा और इसके लिए अमेरिका ही जवाबदेह होगा।’

खार ने कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाने के स्‍तर पर यह कहना सही होगा कि दोनों देशों के बीच गंभीर समस्‍याएं हैं। एक दूसरे पर उंगली उठाने और बलि का बकरा बनाए जाने से कुछ हासिल नहीं होगा। हम एक परिपक्‍व और जवाबदेह वतन बनना चाहते हैं जो आतंकवाद के खिलाफ जंग में काफी परिवक्‍वता के साथ जुटा है।’
इस बीच, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रज़ा गिलानी ने अमेरिका पर तीखी टिप्पणी की है। अमेरिकी अधिकारियों द्वारा आईएसआई पर हक्कानी नेटवर्क का साथ देने के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए गिलानी ने कहा है कि न तो अमेरिका पाकिस्तान के बिना रह सकता है और न ही पाकिस्तान के साथ रह सकता है।


गौरतलब है कि खार की यह टिप्‍पणी अमेरिकी सेना के ज्‍वाइंट चीफ ऑफ स्‍टाफ के चेयरमैन माइक मुलन के उस बयान के जवाब में आई है जिसमें उन्‍होंने कहा था कि पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के हक्‍कानी नेटवर्क से करीबी रिश्‍ते हैं। अफगान तालिबान प्रायोजित आतंकवाद में हक्‍कानी गुट की अहम भूमिका रही है।

मुलन ने कहा था कि आईएसआई ने बीते 13 सितंबर को काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास पर हुए आतंकी हमले में अहम भूमिका निभाई थी। उन्‍होंने आईएसआई पर हक्‍कानी गुट के आतंकियों की मदद करने का आरोप भी लगाया। मुलन ने यहां तक कह दिया कि हक्‍कानी गुट आईएसआई का असली हाथ है। मुलन ने कहा कि हक्‍कानी गुट के आतंकी आईएसआई की मदद से हमलों की योजना बनाते हैं और इन्‍हें अंजाम देते हैं।
अमेरिकी सेना के वरिष्‍ठ अधिकारी ने कहा कि आईएसआई का हक्‍कानी गुट के आतंकवादियों को समर्थन और पनाह देने का पुराना रिकॉर्ड रहा है। ऐसे में इस बात की आशंका से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता कि काबुल में हुए हमलों में आईएसआई का हाथ हो। इस हमले में 27 लोगों की मौत हुई थी।

अमेरिकी दूतावास पर हुआ यह हमला हिंसक घटनाओं की श्रृंखला में एक ताजा कड़ी है जिससे अफगानिस्‍तान में जंग को शांतिपूर्ण तरीके से विराम देने की अमेरिकी कोशिश को तगड़ा झटका लगा है।

इससे पहले अपने ठिकानों पर हमले से बौखलाए अमेरिका की सीनेट की एक समिति ने पाकिस्‍तान को दी जाने वाली आर्थिक व सामरिक मदद के लिए शर्त लगाए जाने का प्रस्‍ताव पास कर दिया है। प्रस्‍ताव के मुताबिक अगर अमेरिका को हक्‍कानी नेटवर्क जैसे आतंकी समूहों से लड़ने में पाकिस्‍तान मदद करता है, तभी उसे सहायता मिलेगी।
पहले मुलन की टिप्‍पणी और इस पर खार के पलटवार को ऐसे समय में अमेरिका और पाकिस्‍तान के बीच रिश्‍तों में ताजा कड़वाहट के तौर पर देखा जा रहा है, जब दोनों देशों के रिश्‍ते बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं।
अमेरिका और पाकिस्‍तान के संबंध उस वक्‍त कटु हो गए थे जब अमेरिकी सैनिकों ने बीते मई में एक बेहद गुप्‍त ऑपरेशन में पाकिस्‍तान के ऐबटाबाद में घुसकर अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था।


अलविदा टाइगर: गांव की मिट्टी में दफन हुए नवाब, अंतिम झलक पाने को उमड़ी भीड़


नई दिल्‍ली. पूर्व क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी का अंतिम संस्कार गुड़गांव (हरियाणा) जिले के पटौदी गांव में हो गया है। पटौदी गांव स्थित मंसूर अली के महल परिसर में पूर्व क्रिकेटर को सुपुर्द ए खाक कर दिया गया। इस मौके पर 'टाइगर' की अंतिम झलक पाने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। हजारों लोगों ने नम आंखों से मंसूर अली खान का विदाई दी। मंसूर अली को पटौदी महज परिसर स्थित कब्रगाह में दफना दिया गया। यहां पहले से ही उनके दादा-दादी और पिता की कब्र है। छोटे नवाब के शव पर मिट्टी डालने वालों का तांता लग गया। बॉलीवुड और क्रिकेट की कई हस्तियों के यहां जुटने से पुलिस को भीड़ नियंत्रित करने में दिक्‍कत आ रही थी। इस दौरान हल्‍का बल प्रयोग भी करना पड़ा।

इससे पहले नवाब अली का शव अभी पटौदी महल में लोगों के दर्शनार्थ रखा गया। यहां नवाब अली के रिश्‍तेदारों, स्‍थानीय लोगों और कई नामचीन हस्तियों का तांता लग गया। पूर्व क्रिकेटर कपिलदेव, फिल्‍म निर्माता मुजफ्फर अली, शबाना आजमी, जावेद अख्‍तर, अमृता अरोड़ा, मलाइका अरोड़ा खान, करिश्‍मा कपूर और बबीता कपूर भी पटौदी गांव पहुंचे।

इससे पहले पटौदी का पार्थिव शरीर आज तड़के अस्‍पताल से दिल्‍ली के वसंत विहार स्‍थित निवास पर लाया गया। जब पटौदी का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव ले जाया जा रहा था तो उस वक्‍त पटौदी की पत्‍नी और गुजरे जमाने की बॉलीवुड नायिका शर्मिला टैगोर, उनके बेटे और बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान, सैफ की गर्लफ्रेंड करीना कपूर, सैफ की बहन सोहा अली खान सहित कई नामचीन हस्तियां मौजूद थीं।

पटौदी को श्रद्धां‍जलि देने वाली हस्तियों में पाकिस्‍तान उच्‍चायुक्‍त शाहिद मलिक और उनकी पत्‍नी, पूर्व क्रिकेटर कपिल देव और अजय जडेजा, पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के चीफ आईएस बिंद्रा के अलावा दिल्‍ली की सीएम शीला दीक्षित और भाजपा नेता अरुण जेटली भी शामिल हैं।

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