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24 सितंबर 2011

अनपढ़ और गंवारों के समूह में शामिल होने का आमंत्रण पत्र

दोस्तों, क्या आप सोच सकते हैं कि "अनपढ़ और गँवार" लोगों का भी कोई ग्रुप इन्टरनेट की दुनिया पर भी हो सकता है? मैं आपका परिचय एक ऐसे ही ग्रुप से करवा रहा हूँ. जो हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु हिंदी प्रेमी ने बनाया है. जो अपना "नाम" करने पर विश्वास नहीं करता हैं बल्कि अच्छे "कर्म" करने के साथ ही देश प्रेम की भावना से प्रेरित होकर अपने आपको "अनपढ़ और गँवार" की संज्ञा से शोभित कर रहा है.अगर आपको विश्वास नहीं हो रहा, तब आप इस लिंक पर "हम है अनपढ़ और गँवार जी" जाकर देख लो. वैसे अब तक इस समूह में कई बुध्दिजिवों के साथ कई डॉक्टर और वकील शामिल होकर अपने आपको फक्र से अनपढ़ कहलवाने में गर्व महसूस कर रहे हैं. क्या आप भी उसमें शामिल होना चाहेंगे? फ़िलहाल इसके सदस्य बहुत कम है, मगर बहुत जल्द ही इसमें लोग शामिल होंगे. कृपया शामिल होने से पहले नियम और शर्तों को अवश्य पढ़ लेना आपके लिए हितकारी होगा.एक बार जरुर देखें.
"हम है अनपढ़ और गँवार जी" समूह का उद्देश्य-
इस ग्रुप में लगाईं फोटो स्व.श्री राम स्वरूप जैन और माताश्री फूलवती जैन जी की है. जो अनपढ़ है. मगर उन्होंने अपने तीनों बेटों को कठिन परिश्रम करने के संस्कार दिए.जिससे इनके तीनों बेटे अपने थोड़ी-सी पढाई के बाबजूद कठिन परिश्रम के बल पर समाज में एक अच्छा स्थान रखते हैं.
इनके अनपढ़ और भोले-भाले होने के कारण इन्होने दिल्ली में आने के चार साल बाद ही अपनी बड़ी बेटी स्व. शकुन्तला जैन को दहेज लोभी सुसराल वालों के हाथों जनवरी,सन-1985 में गँवा दिया था और तब मेरे अनपढ़ माता-पिताश्री से दिल्ली पुलिस के भ्रष्ट अधिकारियों ने कोरे कागजों पर अंगूठे लगवाकर मन मर्जी का केस बना दिया. जिससे सुसराल वालों को कानूनरूपी कोई सजा नहीं मिल पाई. गरीबों के प्रति फैली अव्यवस्था और सरकारी नीतियों के कारण ही पता नहीं कब इनके सबसे छोटे बेटे रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा के सिर पर लेखन का क्या भुत सवार हुआ. फिर लेखन के द्वारा देश में फैली अव्यवस्था का विरोध करने लगा.
हिंदी मैं नाम लिखने की भीख मांगता एक पत्रकार-
मुझ "अनपढ़ और गँवार" नाचीज़(तुच्छ) इंसान को ग्रुप/समूह के कितने सदस्य अपनी प्रोफाइल में अपना नाम पहले देवनागरी हिंदी में लिखने के बाद ही अंग्रेजी लिखकर हिंदी रूपी भीख मेरी कटोरे में डालना चाहते है.किसी भी सदस्य को अपनी प्रोफाइल में नाम हिंदी में करने में परेशानी हो रही हो तब मैं उसकी मदद करने के लिए तैयार हूँ. लेकिन मुझे प्रोफाइल में देवनागरी "हिंदी" में नाम लिखकर "हिंदी" रूपी एक भीख जरुर दें. आप एक नाम दोंगे खुदा दस हजार नाम देगा. आपके हर सन्देश पर मेरा "पंसद" का बटन क्लिक होगा. दे दो मुझे दाता के नाम पे, मुझे हिंदी में अपना नाम दो, दे दो अह्ल्ला के नाम पे, अपने बच्चों के नाम पे, अपने माता-पिता के नाम पे. दे दो, दे दो मुझे हिंदी में अपना नाम दो. पूरा लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

कुदरत के इस हैरतअंगेज करिश्मे को देख डॉक्टर भी रह गए आश्चर्यचकित!


वाराणसी। सोनभद्र जिले के एक 25 वर्षीय युवक के साथ कुदरत ने वह किया जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसके पेट में आये दिन दर्द की शिकायत रहती थी। वह अपनी समस्या लेकर बीएचयू के चिकित्सकों के पास पहुंचा। यहां डॉक्टरों ने चेक किया तो आश्चर्यचकित रह गए। युवक के पेट में गर्भाशय और फेलोपियन ट्यूब था। इसी की वजह से उसको दर्द होता रहता था।

डॉक्टरों की एक टीम ने इस आपरेशन को अंजाम दिया। डॉक्टरों के मुताबिक, इस समस्या ने उसकी पैदाइश से पूर्व गर्भ में रहने के दौरान ही जन्म ले लिया था। बताया कि गर्भ ठहरने के दो माह तक भ्रूण में स्त्री व पुरुष दोनों अंग बने होते हैं। दो माह बाद जब एमआईएस हार्मोन बनता है तो पुरुष अंग का विकास होता है और स्त्रियोचित अंग गायब होने लगते हैं।

वहीं 'इंसुलिन लाइक फैक्टर 3' हार्मोन की वजह से मानव अंडकोष का निर्माण पेट में होता है। उक्त युवक में दोनों हार्मोन्स की कमी हो गई। पहले हार्मोन की कमी से स्त्री अंग गर्भाशय व फेलोपियन ट्यूब शरीर में रह गया और दूसरे हार्मोन की कमी से अंडकोष पेट में ही रह गया।

परिजनों के मुताबिक, बीएचयू में अल्ट्रासाउंड व सीटी स्कैन जांच में उसके पेट में सिस्ट होना बताया गया। जब उसका पेट चीरा गया तो सिस्ट के जगह पर बच्चेदानी व फेलोपियन ट्यूब दिखाई दिया। युवक का ऑपरेशन कर इन अंगों को शरीर से निकाल दिया गया है। युवक अब पूर्णतया स्वस्थ्य है।

पांच चीजें ऐसी जिन्हें खाकर आप बन सकते हैं ताकतवर


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कहते हैं अगर संतुलित भोजन लिया जाए तो कभी बीमारियां पास नहीं आती हैं। लेकिन अधिकतर लोगों को यह पता नहीं होता की कौन सा भोजन अधिक ताकत देता है तो आइए आज हम आपको ऐसी पांच चीजों की जानकारी देते हैं जिन्हें आप अपने भोजन में शामिल करके ताकतवर बन सकते हैं।

अमरुद-अमरुद को दिन का हीरा कहते हैं क्योंकि दिल की बीमारियों को दूर रखने और कब्ज जैसी सामान्य समस्या को खत्म करने में इसका कोई जोड़ नही है। शुगर यानि मधुमेह की रोकथाम के लिए भी इस फल को औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाता है।

हरी फूल गोभी- जन्म के साथ होने वाली बीमारियों से लडऩे में ये गोभी बेहद कारगर होती है। ये न सिर्फ हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है बल्कि, हड्डियों को मजबूत करने की इसमें गजब की क्षमता होती है।

पालक- इसमें कई विटामिन एक साथ पाए जाते हैं। पालक में स्कीन और ब्रेस्ट कैंसर से लडऩे की सबसे ज्यादा ताकत होती है। मजे की बात है कि इसमें कोलेस्ट्राल बिल्कुल नही होता।

गाजर- रोगों से लडऩे की क्षमता बढ़ाने में गाजर का कोई मुकाबला नही है। एक कप कतरे हुए गाजर में 52 कैलोरी होती है इसके बावजूद इसमें कोलेस्ट्राल बिल्कुल नही होता। बच्चों के विकास में ये सबसे ज्यादा मददगार होता है। फेफड़े, स्कीन और मुंह के कैंसर से बचाने के लिए इसे रामबाण माना जाता है।

गोभी : शरीर में बनने वाले विषैलें पदार्थ को रोकने में इस गोभी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सब्जियों की किसी भी किस्म की तुलना में इसमें पौष्टिकता सबसे अधिक होती है।

लाइव: धरती को छूते ही टुकड़ों में बिखरकर गिरा नासा का सेटेलाइट



फ्लोरिडा (अमेरिका). आखिरकार 20 सालों से अंतरिक्ष में भ्रमण कर रहे यूएआरएस सेटेलाइट की यात्रा आज धरती से टकराते ही टुकड़ों में बिखर गया। नासा का कहना है कि सेटेलाइट के टुकड़े धरती पर गिर चुके हैं। लेकिन ये टुकड़े कब और कहां गिरे हैं, इसकी सटीक जानकारी आनी बाकी है। लेकिन नासा ने यह जानकारी जरूर दी है कि प्रशांत महासागर के ऊपर पृथ्वी के वायुमंडल में यूएआरएस ने प्रवेश किया।

नासा को उम्मीद जाहिर की है कि धरती की कक्षा में प्रवेश करने के बाद भी सेटेलाइट के 26 टुकड़े सही सलामत बचे हैं। ये टुकड़े करीब 800 किलोमीटर की दूरी में फैले होंगे। इनमें से सबसे भारी टुकड़ा करीब 165 किलो का है। नासा का कहना है कि सेटेलाइट के धरती के वायुमंडल में प्रवेश करने का सटीक समय और जगह के बारे में अभी नहीं पता चल पाया है। अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन के मुताबिक सेटेलाइट पूर्व की तरफ बढ़ते हुए कनाडा, अफ्रीका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक और हिंद महासागर के ऊपर से गुजरा। नासा ने कहा है कि सेटेलाइट का मलबा अमेरिकी सरकार की संपत्ति है। संगठन ने यह चेतावनी भी जारी की है कि टुकड़े कहीं दिखें तो भी लोग उससे दूर रहें।


वहीं, ट्विटर पर दावा किया जा रहा है कि सेटेलाइट के टुकडे़ पश्चिमी कनाडा के कैलगरी इलाके में ओकोटॉक्स नाम के कस्बे में जाकर गिरे हैं। भारतीय समय के मुताबिक दोपहर पौने एक बजे यह टक्कर हुई। नासा ने पहले कहा था कि इस उपग्रह के गिरने की गति हल्की हो गई है। 2005 से बेकार पड़ा (निष्क्रिय) नासा का यूएआरएस सेटेलाइट अंतरिक्ष में घूम रहा था। अभी तक जानमाल के किसी नुकसान की खबर नहीं है। सेटेलाइट का वजन 5,900 किलोग्राम है। अनुमान है कि धरती के वायुमंडल में प्रवेश करते ही सेटेलाइट 20 टुकड़ों में बिखर गया।

वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके कई टुकड़े तो धरती की कक्षा में प्रवेश करते ही जल गए लेकिन कुछ टुकड़े ज़मीन तक पहुंच गए। चूंकि, गिरने से पहले तक सेटेलाइट लगातार अपनी दिशा बदल रहा था, ऐसे में नासा जैसी संस्थाएं भी इस बात का पूरी तरह से अंदाजा नहीं लगा पाईं थीं कि सेटेलाइट के टुकड़े धरती पर कब और कहां गिरेंगे। 35 फुट लंबे और 15 फुट चौड़ाई वाले इस सेटेलाइट को ओज़ोन और पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद रसायनों के अध्ययन के लिए 1991 में अंतरिक्ष में भेजा गया था। लेकिन 2005 में इसने काम करना बंद कर दिया था।

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