आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

29 सितंबर 2011

शायर चाँद शेरी की खुदा से एक दुआ इस तरह है

तू ना अम्रत का प्याला दे हमें
सिर्फ रोटी का निवाला दे हमें ...
जिस को पढकर एक हो एहले वतन
वोह मोहब्बत का रिसाला दे हमें ...
ढूंढ ले ज़ुल्मत में मंजिल के निशाँ
या खुदा ..इतना उजाला दे हमे ...
सीख़ पायें हम जहाँ इंसानियत
कोई ऐसी पाठशाला दे हमें .....
दिल मगर उजला हो पारस की तरह
जिस्म गोरा दे कि काला दे हमे ....
और कुछ चाहे ने दे शेरी मगर
शायरी का फन निराला दे हमें ........................संकलन अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोपभवन में बैठे


नागपुर। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच मतभेदों ने गंभीर रूख अख्तियार कर लिया है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में न आने की सूचना गुरूवार सुबह गडकरी को फोन पर दे दी थी। मोदी ने गडकरी को अपनी नाराजगी में जो दो कारण गिनाए हैं, उसमें आडवाणी की रथयात्रा को नरेन्द्र मोदी के कट्टर विरोधी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश का हरी झण्डी दिखाना और पूर्व संगठन महामंत्री संजय जोशी
को यूपी चुनाव में जिम्मेदारी देना शामिल है।


नीतीश कुमार के नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम में उपस्थित न होने की शर्त पर हरी झण्डी दिखाने की सहमति देने और आडवाणी व पार्टी के इसे स्वीकार कर लेने से नरेन्द्र मोदी बेहद खफा हैं। नरेन्द मोदी ने पार्टी के कार्यक्रम मे गठबंधन दल के अनावश्यक दबाव को मान लेने पर गडकरी के पास कडी नाराजगी दर्ज कराई है।

नरेन्द्र मोदी ने नीतीश कुमार के स्थान पर बिहार से ही भाजपा के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से रथयात्रा को हरी झण्डी दिखाने की पैरवी की है। नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के चुनाव में अपने कट्टर विरोधी संजय जोशी को पार्टी में बिना पूर्व चर्चा के सगंठन की जिम्मेदारी देने पर भी अपना विरोध पार्टी अध्यक्ष के पास दर्ज कराया है। सूत्रों की मानें तो भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा नरेन्द्र मोदी को मनाने पर असफल रहने पर देर शाम नितिन गडकरी ने राष्ट्रीय सह सगंठन महामंत्री और गुजरात संगठन की विशेष जिम्मेदारी देख रहे वी.सतीश को नरेन्द्र मोदी से बात करने का जिम्मा सौंपा।

मोदी-टोपी का कार्टून बनाने वाला गिरफ्तार


modi


भोपाल। इंदौर में एक समाचार पत्र के कार्टूनिस्ट को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का काटून बनाना भारी पड़ गया। सूत्रो के मुताबिक मंगलवार को पुलिस ने हरीश यादव नाम के शख्स को धर्म विशेष की धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक बीते दिनो तीन दिवसीय सद्भावना मिशन के दौरान मोदी द्वार धर्म विशेष की टोपी को पहनने से इनकार करने की घटना पर कार्टून बनाया गया था। हालांकि बुधवार को हरीश को जमानत पर रिहा कर दिया गया।

इंदौर एस पी एस श्रीनिवास वर्मा ने कहा कि हरीश यादव पेपर प्रभात किरण में मुसावीर नाम से कार्टून छापा था। अल्पसंख्यक समुदाय ने इस कार्टून पर आपत्ति जताई थी। बताया जा रहा है कि 20 सितम्बर को जावेद नाम के एक व्यक्ति ने कार्टून के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन उस दिन पुलिस उसे पकड़ने में नाकाम रही थी। इस बीच, प्रभात किरन के संपादक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि पत्र ने अगले ही दिन काटून पर माफी मांग ली थी।

कब्र पर फूल चढ़ाने गए थे लेकिन वहां का दृश्य भयावह था!

भोपाल।उसने अभी उम्र के महज ग्यारह महीने देखे थे, लेकिन लंबी बीमारी ने उस मासूम की जिंदगी छीन ली। क्या पता था कि उसके नसीब में मौत के बाद भी सुकून नहीं लिखा है। मौत के बाद परिजनों ने उसे दफन कर दिया और जब अगले दिन उसकी कब्र पर फूल चढ़ाने गए तो बच्ची की लाश गायब थी।

अब यह सनसनीखेज मामला कमला नगर पुलिस के हवाले है। पुलिस ने इस मामले में शव के अपमान की धारा में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने इस मामले में किसी तांत्रिक का हाथ होने से भी इनकार नहीं किया है।

रोशनपुरा झुग्गी में बूदिया भोई नाम के शख्स का परिवार रहता है। पेशे से मजदूर बूदिया की 11 महीने की बच्ची अर्चना की बीमारी (पीलिया) के चलते मंगलवार शाम मौत हो गई। बुधवार सुबह तकरीबन 11 बजे परिजनों ने मासूम की लाश भदभदा विश्राम घाट के पीछे वाले हिस्से में दफना दी। अगले दिन जब अर्चना के चाचा संतोष और राजू भतीजी की कब्र पर फूल चढ़ाने गए तो शव वहां से गायब था। काफी तलाश की, लेकिन शव का पता नहीं चला।

इंसान ने निकाली है लाश

मौके पर पहुंचे सब इंस्पेक्टर अखिलेश मिश्रा का दावा है कि कब्र खोदने वाला कोई जानवर नहीं, बल्कि इंसान ही होगा। वजह यह भी है कि कब्र पर पांच बड़े पत्थर रखे गए थे, जिन्हें हटा पाना किसी जानवर के बस की बात नहीं। कब्र को खोदने के बाद मिट्टी चारों तरफ बराबर बिखरी हुई है, जबकि जानवर एक तरफ ही मिट्टी बिखेरते हैं। खास बात यह भी है कि कफन के कपड़े को भी शव से निकाला गया है, जबकि जानवर उसे फाड़ देता।

मंदिर पर क्यों ठहर गया ब्रूनो

पुलिस ने मौके पर डॉग स्क्वायड को भी बुलवा लिया। मास्टर चंदन ने जैसे ही कफन का कपड़ा अपने डॉग ब्रूनो को सुंघाया वह फौरन विश्राम घाट के पास वाली बस्ती की ओर चल दिया। ब्रूनो एक धार्मिक स्थल पर जा पहुंचा और उसके इर्द-गिर्द घूमने लगा। इसके बाद पुलिस बस्ती के लोगों से भी पूछताछ की तैयारी कर रही है।

सब इंस्पेक्टर अखिलेश मिश्रा ने इस संभावना से भी इनकार नहीं किया है कि बच्ची के शव का इस्तेमाल किसी तांत्रिक विद्या के लिए किया गया हो।

पहले नस काटा फिर जहर खाकर नदी में कूदा फिर भी बच गया क्योंकि..


कोटा तीन तरह से आत्महत्या का प्रयास, भास्कर फोटो जर्नलिस्ट ने डूबते हुए दीपक के शरीर में हरकत देखी तो पुलिस व अग्निशमन विभाग को फोन किया, मौके पर पहुंचे किशोरपुरा थाने के कांस्टेबल ने नहर में उतरकर निकाल लिया युवक को

ससुराल से पत्नी नहीं लौटी तो केशवपुरा निवासी दीपक ने गुरुवार को एक ही दिन में तीन बार आत्महत्या का प्रयास किया लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था। किशोरपुरा दाईं मुख्य नहर में डूब रहे दीपक पर भास्कर फोटो जर्नलिस्ट सलीम शैरी की नजर पड़ी।

पहले उसने क्लिक करने के लिए कैमरा निकाला, पोजीशन ली तो कैमरे में दिखा युवक के शरीर में हरकत हो रही है। फोटो जर्नलिस्ट को यह समझते देर नहीं लगी कि युवक अभी जिंदा है। उसने तत्काल 100 नंबर, फायर ऑफिस और 108 एंबुलेंस के लिए फोन किया।

सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची किशोरपुरा थाना पुलिस। टीम में शामिल कांस्टेबल राजेश कुमार (बैल्ट नंबर 756) ने स्थानीय लोगों की मदद से सामने के घर से साड़ी मांगी और उसकी मदद से नहर में उतर गया। साड़ी की मदद से युवक को किनारे की तरफ लाया गया।

इतने में ही वहां अग्निशमन दस्ता भी पहुंच गया। युवक को ऊपर लाया गया और तत्काल उसे एमबीएस अस्पताल में पहुंचाया गया। अस्पताल में युवक का उपचार जारी है।

पहले नस काटी, फिर जहर खाया
युवक को बाहर निकाला गया तो उसके मुंह से झाग निकल रहे थे और उसके हाथ की नसें कटी हुईं थी। डॉक्टरों का कहना है कि संभवतया पहले उसने नस काटकर जीवनलीला समाप्त करने की कोशिश की। इसके बाद उसने किसी जहरीली वस्तु का सेवन किया और फिर नहर में कूद पड़ा। इन सबको देखकर ऐसा लगता है कि वह बचने की कोई उम्मीद बाकी नहीं रखना चाहता था। भास्कर संवाददाता की नजर उस पर नहीं पड़ती और कांस्टेबल तत्काल नहर में नहीं उतरता तो शायद बहुत देर हो जाती और केशवपुरा के प्रजापति परिवार का दीपक बुझ जाता।

विश्व प्रसिद्ध लंगूर मेला शुरू

अमृतसर. शीश पर लगी टोपी में चमकते शीशे.., बदन पर लाल रंग की पोशाक पर लगी सफेद गोटा किनारी.., हाथ में लाल रुमाल युक्त छड़ी.. और पैरों में छम-छम बजते घुंघरु..। बुधवार को ऐसे ही स्वरूप में हजारों लंगूर बने बच्चे श्री दुग्र्याणा मंदिर के श्री बड़ा हनुमान मंदिर के प्रांगण में ढोल की थाप पर नाचते नजर आए। जय श्री राम, जय बजरंगबली, जय श्री हनुमान के जयघोष से गूंजे मंदिर परिसर में हर ओर यही नजारा था।

शारदीय नवरात्रों में हर वर्ष लगने वाले विश्व प्रसिद्ध लंगूर मेले के पहले दिन सुबह हजारों परिवार अपने बच्चों के साथ मंदिर पहुंचे। पवित्र सरोवर में दही आदि से स्नान करवाने के बाद ब्राrाणों ने बच्चों से पूजन करवाकर लंगूर की पोशाक धारण करवाई। उसके बाद परिजनों बच्चों के साथ श्री हनुमान जी के दरबार में माथा टेका।

श्रद्धालुओं को दरबार में पहुंचने के लिए घंटों लाइन में इंतजार करना पड़ा। वेद कथा भवन से लेकर मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार तक लगी लंबी लाइन उनकी आस्था का प्रतीक रही। देर शाम अनेक अखाड़ों से जुड़े युवा भी लंगूर के वेश में माथा टेकने मंदिर पहुंचे। मंदिर कमेटी के प्रधान सतपाल महाजन, महासचिव रमेश शर्मा, सचिव हरीश तनेजा, श्री गिरिराज जी सेवा संघ के प्रधान संजय मेहरा के अनुसार श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बेहतर प्रबंध किए गए हैं।

छह माह से 40 साल तक के बने लंगूर

मेले में ज्यादातर बच्चे लंगूर मन्नत पूरी होने पर बने थे, जबकि कई युवा ऐसे भी थे, जो हर साल श्रद्धा के साथ लाल चोला पहनकर हनुमान जी के समक्ष हाजिरी भरते हैं। आज सुबह कई बच्चे ऐसे भी थे, जिन्होंने अपनी आंखें भी नहीं खोली थी। माता-पिता ने उनको अपनी गोद में उठाकर माथा टिकवाया तो कई युवाओं की टोली नाचते-गाते दरबार में पहुंचे।

दशहरे तक चलेगा मेला

सैकड़ों सालों से लगने वाला यह मेला दशहरा तक चलेगा। लंगूर बने बच्चे सुबह और शाम परिजनों के साथ माथा टेकेंगे। एकादशी के दिन सभी बच्चे मंदिर में वस्त्र उतारेंगे। मेले में अमृतसर ही नहीं, दिल्ली, रोपड़, देहरादून, जालंधर, जम्मू आदि शहरों से भी लोग पहुंचे।

साइबर दुनिया में भी अब अण्णागीरी


रालेगण सिद्धि. सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे ने इंटरनेट की दुनिया में प्रवेश करते हुये गुरुवार को अपने पहले ब्लाग संदेश में सरकार के एजेंटों और बिचौलियों पर कड़ा प्रहार किया। अण्णा ने अपने गांव रालेगणसिद्धि से अपने ब्लाग पर मराठी और अंग्रेजी भाषा में पहला संदेश जारी किया जिसका मराठी भाषा में शीर्षक था क्रांती मोठच्या पल्ल्याची लढ़ायी (क्रांति:अभी लम्बी लड़ाई है)।

उल्लेखनीय है कि राजधानी नई दिल्ली के रामलीला मैदान पर अण्णा के १२ दिवसीय अनशन को समाप्त कराने के लिये केन्द्र सरकार की ओर से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री विलासराव देशमुख, सांसद संदीप दीक्षित तथा भैय्यू जी महाराज की ओर से कोशिश की गई थी। देशमुख पर महाराष्ट्र में आदर्श सोसाइटी घोटाले मे ंशामिल होने का आरोप है।

अण्णा ने देशमुख का नाम नहीं लेते हुए कहा कि उन्होंने सरकार का प्रतिनिधि मानते हुये इन लोगों से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि यह उनकी नहीं बल्कि सरकार की जिम्मेदारी थी कि वह यह जांच पड़ताल करे कि उनके प्रतिनिधि भ्रष्ट या साफ सुथरी छवि वाले लोग हैं या नहीं। अण्णा ने कहा कि रामलीला मैदान पर अनशन सत्याग्रह के दौरान सरकार ने आंदोलन तोड़ने की हर तरीके से कोशिश की।गांधीवादी नेता ने देश की जनता का आभार व्यक्त किया कि उनके सक्रिय सहयोग के कारण आंदोलन को तोड़ने की कोशिशें सफल नहीं हो पायीं।

ब्लाग पर पहला संदेश

अण्णा ने ब्लाग पर पहले संदेश में कहा कि क्रांति की शुरुआत हो गई है लेकिन बड़ी लड़ाई अभी बाकी है। सरकार से जुड़े कुछ लोग यह झूठा दावा कर रहे हैं कि रामलीला मैदान पर अगस्त महीने में किया गया अनशन उन्होंने समाप्त कराया। सरकार की ओर से जनलोकपाल विधेयक के बारे में आश्वासन मिलने के बाद अपनी अन्तर आत्मा की पुकार पर उन्होंने अपना अनशन समाप्त किया था।यह पूरी तरह मेरा फैसला था तथा किसी बिचौलिये को इसका Ÿोय नहीं लेना चाहिए। अनशन समाप्त कराने का दावा करने वाले लोग देश की जनता और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दुश्मन हैं।

नए घर में पैर रखते ही क्रिकेट के भगवान पर आई मुसीबत!

| Email Print

मुंबई.मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर अपने बांद्रा के पेरी क्रॉस रोड स्थित आलिशान नए बंगले को लेकर विवादों में फंस गए हैं। उन्होंने इस बंगले में बुधवार को गृह प्रवेश किया था, मगर अब खबर आ रही है कि उन्होंने मुंबई की महानगर पालिका (मनपा) से कब्जा प्रमाणपत्र लिए बिना ही गृह प्रवेश कर लिया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सचिन पर पर साढ़े पांच लाख रुपए का दंड लगाया गया है

मुंबई मनपा के सूत्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति बिना कब्जा प्रमाणपत्र लिए किसी घर में प्रवेश करता है, तो उससे दंड वसूलने का प्रावधान है। चूंकि मास्टर ब्लास्टर ने भी मनपा के इस नियम का उल्लंघन किया है, लिहाजा उनसे भी दंड वसूला जाएगा।

सचिन के नए बंगले को लेकर उठे इस विवाद पर काफी कुरेदने पर मुंबई मनपा की महापौर श्रद्धा जाधव का कहना है कि यदि सचिन ने मनपा प्रशासन को जरूरी दस्तावेजों को उपलब्ध कराया, तो उन्हें जल्द से जल्द कब्जा प्रमाणपत्र दिया जाएगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नियमों का उल्लंघन होने की स्थिति में जो कार्रवाई सामान्य लोगों पर होती है, इस मामले में वैसी ही कार्रवाई मास्टर ब्लास्टर के खिलाफ भी होगी।

मुंबई मनपा ने लगाया साढ़े पांच लाख रुपए का दंड:

यह पूरा मामला हाईप्रोफाइल होने की वजह से मुंबई मनपा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सचिन की ओर से कब्जा प्रमाणपत्र पाने के लिए आवश्यक दस्तावेज जमा करा दिए गए हैं और उन्हें दो दिन के भीतर कब्जा प्रमाण पत्र दे दिया जाएगा।

रहम करो मुझ पर, प्लीज इस लाचारी भरी तस्वीर को अब हटा दो'

अहमदाबाद. गुजरात में 2002के दंगों के दौरान वे दंगाइयों से हाथ जोड़कर रहम मांग रहे थे। वे अब गुजरात पुलिस से आग्रह कर रहे हैं, ‘प्लीज! मेरी तस्वीर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दें।’

अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर को कुतुबुद्दीन अंसारी ने 9 जून को पत्र लिखा। यह अब प्रकाश में आया है। इसमें उन्होंने लिखा है, ‘आज मैं अपने परिवार के साथ शांति से रह रहा हूं। यही नहीं, मेरे बच्चे भी अच्छे माहौल में रह रहे हैं। मुझे दुख होता है, जब मैं हाथ जोड़े हुए अपनी तस्वीर को अखबारों, वेबसाइटों और स्वयंसेवी संगठनों की रिपोर्टो के कवर पर देखता हूं। इसमें मेरी लाचारी नजर आती है। मैं आग्रह करता हूं कि प्लीज, मेरी तस्वीर के भविष्य में किसी भी तरह के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। साथ ही, सभी जगहों से इसे हटा दिया जाए।’

अंसारी ने बताया, ‘दंगो के बाद मैं महाराष्ट्र के मालेगांव चला गया। उसके बाद सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस नाम एनजीओ की मदद से कोलकाता आ गया। यहां एक साल रहा। इसी दौरान मालूम हुआ कि मेरी तस्वीर को लोग अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।’ उनके मुताबिक, ‘दंगा पीड़ित होने के बावजूद अब तक उचित मुआवजा नहीं मिला। अहमदाबाद कलेक्टर को आवेदन दिया। वह खारिज हो गया। बताया गया कि आवेदन 2002 में ही दाखिल करना था।’

याद है वह घटना अंसारी ने पत्र में बताया कि जब दंगे शुरू हुए वह शहर के नरोदा इलाके में रहते थे। इलाके में दंगाइयों ने हमला कर दिया। वे भी फंस गए। जब वे उनसे रहम की गुजारिश कर रहे थे, किसी फोटोग्राफर ने तस्वीर खींच ली। बाद में पुलिस ने उन्हें बचाया।

विश्व का सातवां अजूबा अपनी दुनिया में बना 'दबंग'

आगरा. विश्व का अजूबा ताजमहल अब पर्यटन के लिहाज से देश के अन्य स्मारकों की तुलना में पहले स्थान पर काबिज हो गया है. पर्यटन विभाग ने बताया कि वर्ष 2010-2011 में देश में अन्य स्मारकों की तुलना में सैलानियों की पहली पसन्द रहा है ताज. मुगलकालीन इस खूबसूरत इमारत में ऐसा अद्भुत आकर्षण है कि लोग खुद-ब-खुद यहां खिंचे चले आते हैं. यही वज है कि पिछले वर्ष ताजनगरी में सैलानियों की आमद इतनी ज्यादा थी कि दस साल का रिकार्ड भी पीछे छूट गया.

पर्यटन सुविधाओं से जूझ रही ताजनगरी में पर्यटकों के साथ हो रही बदसलूकी. छलावे व छुटपुट विस्फोट की घटनाओं के बावजूद देशी-विदेशी पर्यटक ताज की खूबसूरती को निहारने आये. यही वजह है कि पर्यटन उद्योग अब धीरे-धीरे परवान चढने लगा है.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने बताया कि आंकडों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2010-2011 में ताजनगरी में ताजदर्शन को 41 लाख से अधिक देशी तथा छह लाख से ज्यादा विदेशी पयर्टक आये जबकि दिल्ली की कुतुबमीनार दूसरे तथा लालकिला तीसरे और मुम्बई का एलोरा पर्यटकों की संख्या के हिसाब से चौथे स्थान पर रहा.

पर्यटकों की आमद को देखते हुए यहां की पर्यटन सस्थाओं ने खुशी जाहिर की है. होटल एण्ड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौहान ने बताया कि ताजनगरी में आने वाले सभी पर्यटकों का ताज के पूर्व गेट पर भारतीय परम्परा के अनुसार स्वागत किया जायेगा.

प्रदेशअध्यक्ष की टिप्पणी पर फिर इस्तीफ़ा देने पहुंची गोलमा देवी!


जयपुर.खादी एवं ग्रामोद्योग राज्य मंत्री गोलमा देवी ने बुधवार को एक बार फिर मुख्यमंत्री से मिल कर इस्तीफे की पेशकश की।
इससे पहले दो बार वे ऐसी पेशकश कर चुकी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से इस्तीफा नहीं लेने के बाद अब गोलमा देवी गुरुवार को कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान को इस्तीफा देने के लिए कांग्रेस कार्यालय जाएंगी।
गोलमा देवी ने कहा कि वे मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने गईं थीं, लेकिन उनका इस्तीफा माना नहीं जा रहा है। अब वे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष को इस्तीफा देकर उनसे इसे स्वीकार करवाने का आग्रह भी करेंगी। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के बयान से काफी आहत हैं।
गोपालगढ़ प्रकरण के बाद राज्यमंत्री गोलमा देवी के पति सांसद किरोड़ी लाल मीणा की ओर से भरतपुर और अलवर में सभाएं करने के बाद डॉ. चंद्रभान ने कहा था कि गोलमा देवी इस्तीफा क्यों नहीं दे देती।
उन्होंने कहा था कि एक तरफ तो मंत्री होने के कारण सारी सुविधाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है और दूसरी ओर राज्य मंत्री के पति सरकार की आलोचना कर रहे हैं। इस बयान के बाद गोलमा ने इस्तीफे की पेशकश की है।

मौत' को मात : मुंह में धंसा ज़िंदा



मेक्सिको में कार्ला फ्लोर्स को 'मिरेकल वूमेन' कहकर पुकारा जाता है और इनकी तस्वीर देखकर आप भी अंदाज़ा लगा सकते हैं कि क्यों इन्हें 'मिरेकल वूमेन' कहा जाता है।

इनके साथ घटित हुआ हादसा बेहद दर्दनाक था। यह उस दिन हुआ, जब तीन बच्चों की मां कार्ला सिनोलोआ के कलिआकन में सड़क पर स्ट्रीटफूड बेच रही थी।

अचानक एक तेज धमाका हुआ और उनके मुंह कुछ काफी तेजी से टकराया। कार्ला को उस जगह काफी तेज जलन और दर्द महसूस हुआ। जब उन्होंने अपने चेहरे पर हाथ लगाया तो वो खून से लथपथ हो गया। कुछ ही देर में कार्ला बेहोश हो गई।

जब कार्ला को होश आया तो उन्होंने खुद को कलिआकन के एक अस्पताल मे पाया। उन्हें अंदाज़ा हो गया था कि उनके चेहरे में कोई रॉकेट घुस गया है।

शुरूआत में कार्ला और डॉक्टरों को नहीं समझ में आया कि उसके चेहरे में क्या घुसा है। डॉक्टरों ने जब उसके चेहरे का एक्स-रे किया तो वे चकित रह गए। कार्ला के चेहरे में एक ज़िंदा ग्रेनेड धंसा हुआ था, जो किसी भी वक़्त फट सकता था।

आनन-फानन में तुंरत अस्पताल को खाली कराया गया क्योंकि ग्रेनेड के फटने पर 32 फीट के दायरे में नुकसान हो सकता था।

बमुश्किल सांस ले पा रही कार्ला के जबड़े के बीच फंसे हुए ग्रेनेड को निष्क्रिय किया गया, लेकिन फिर भी कोई उसकी सर्जरी करने को तैयार नहीं था।

आखिरकार अस्पताल के प्रमुख डॉक्टर गैजिओला मेज़ा ने कार्ला की सर्जरी में स्वेच्छा से योगदान करने वाले को आगे आने को कहा। अंततः चार बहादुर व्यक्ति जिनमें फिलीप ओर्टिज, क्रिस्टीना सोटो, रोड्रिगो अरेडोंडो और लीडिया सोटो शामिल थे। साथ ही मेक्सिकन आर्मी के दो बारूद विशेषज्ञों ने भी अपना सहयोग दिया, ताकि विस्फोटक को जबड़े से बाहर निकाला जा सके।

कई घण्टों की अथक मेहनत और सूझबूझ के बाद डॉक्टर कार्ला को बचाने में कामयाब हो गए। कार्ला ने अपने आधे से अधिक दांतों को खो दिया है, लेकिन उसे इस बात की खुशी है कि वह ज़िंदा बच गई।

फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

800 साल पुरानी कब्र से मिले चुड़ैल के अवशेष

इटली के तुसकेनी में पुरातत्व शास्त्रियों को एक कब्र से महिला के अवशेष मिले हैं। साधारण-सी इस कब्र में उसे ताबूत के बिना दफनाया गया था। खास बात ये है कि उसके जबड़े में सात कीलें और शरीर के आसपास 13 कीलें ठोंकी गई थीं। कंकाल के आसपास 17 पासे भी रखे गए थे। जिस खेल में ये पासे इस्तेमाल होते थे, वो खेल महिलाओं के लिए प्रतिबंधित था। ला एक्विला यूनिवर्सिटी के अलफॉन्सो फोर्गिओन ने ये खोज की है।

वे बताते हैं कि कब्र करीब 800 साल पुरानी है और इससे पहले उन्होंने ऐसा कभी नहीं देखा था। जिस अंदाज में महिला को दफनाया गया था, उससे लगता है लोगों को शक होगा की वह चुड़ैल है। वहां पर एक और महिला की ऐसी ही कब्र मिली है। उसके आसपास भी 17 पासे जमे हैं। उस दौर में 17 को अशुभ अंक माना जाता था। ये कब्रें एक पुराने चर्च परिसर में बनी हैं, इसलिए कह सकते हैं कि ये महिलाएं अच्छे घर से रही होंगी।

श्मशान में कब्र को देख अचंभित रह गया सदमें में डूबा परिवार

कोटा.तीन दिन पहले नवजात को दफना कर गए परिवार वाले बुधवार को श्मशान पहुंचे तो अचंभित रह गए। जहां नवजात को दफनाया गया था, वहा जगह खुदी पड़ी थी और उसमें से शव गायब था। परिजनों ने आसपास वालों से पूछताछ की, लेकिन कुछ पता नहीं चल सका। इसके बाद वे निराश होकर लौट गए।

तालेड़ा की एक महिला के तीन दिन पहले कोटा के निजी अस्पताल में प्रसव हुआ। बच्चा मृत था। परिवार वालों ने उसे सुभाष नगर स्थित बच्चों के श्मशान में दफनाया। वे बुधवार सुबह दूध पिलाने की रस्म अदायगी के लिए श्मशान पहुंचे तो वहां नवजात की कब्र खुदी हुई थी।

उसकी मिट्टी आसपास बिखरी हुई थी। परिवार वालों ने जानवरों द्वारा कब्र खोदने की आशंका के चलते आसपास की झाड़ियों व अन्य जगह पर तलाश किया, लेकिन कहीं पता नहीं चला। श्मशान के आसपास रहने वालों से भी जानकारी की, लेकिन कोई कुछ नहीं बता पाया।

वे मायूस होकर लौट गए। हालांकि इस संबंध पुलिस में कोई शिकायत नहीं दी गई है। वहां एक कब्र और खुदी हुई थी, जिसके बारे मे अभी यह पता नहीं चल पाया है कि उसमें भी शव सुरक्षित है या नहीं।

शव के दुरुपयोग की आशंका

आसपास के लोगों ने आशंका जताई कि नवरात्रि के दिनों में पहले भी यहां बच्चों के गायब होने की घटनाएं हो चुकी हैं। कुछ असामाजिक तत्त्व तांत्रिक क्रिया के लिए भी शव चुरा सकते हैं। पुलिस को इस बाबत कई बार शिकायतें की जा चुकी हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं देता।

इनकी सुरक्षा कौन करेगा

सुभाष नगर के श्मशान से नवजात के शव निकालने जाने की घटना के बाद भास्कर ने शहर के प्रमुख श्मशानों के हाल जाने तो पता चला कि उनमें सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। कई बार शहरवासियों की भावनाएं आहत हो चुकी हैं बावजूद प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहा।

शहरवासियों का आरोप है कि तांत्रिक उपयोग के लिए लोग बच्चों के शव निकाल ले जाते हैं अथवा फिर जानवर उन्हें बाहर निकालकर क्षत विक्षत कर देते हैं।

बड़ों के लिए व्यवस्थाएं ठीक ,बच्चों की अनदेखी

किशोरपुरा मुक्तिधाम शहर का सबसे प्रमुख मुक्तिधाम है। चंबल किनारे बने इस मुक्तिधाम पर हर समय एक गार्ड भी रहता है। लेकिन, बच्चों के श्मशान में सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं है।

चारदीवारी है, लेकिन रास्ता खुला है

चंबल किनारे बने रामपुरा व नयापुरा मुक्तिधाम पर चारदीवारी तो बनी हुई है। यहां न तो कोई गार्ड तैनात रहता है और न ही सुरक्षा के इंतजाम किए हुए हैं। चारदीवारी के बीच में रास्ता होने से जानवर आ जाते हैं। दोनों श्मशानों पर स्मैकचियों का जमावड़ा रहता है।

बदतर हालात

कुन्हाड़ी में तीन श्मशान हैं, तीनों ही खुले पड़े हुए हैं। स्टेशन व डीसीएम क्षेत्र में भी श्मशानों पर चार दीवारी है, लेकिन गेट व गार्ड नहीं होने से असुरक्षित हैं। प्रशासन करे सुरक्षा

पंडित अमित जैन ने बताया कि लोग भ्रामक जानकारियों के आधार पर तांत्रिक क्रियाओं के लिए भी इस तरह की अवांछित हरकतें करते हैं। प्रशासन को इस तरह की घटनाओं की रोकथाम के लिए श्मशानों की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करनी चाहिए।

जानवरों द्वारा ले जाने से भी इंकार नहीं

श्मशान पूरी तरह से खुला पड़ा हुआ है। वहां कोई भी जानवर आसानी से आ जा सकता है। इसलिए, नवजात का शव किसी जानवर द्वारा ले जाने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

यहां हो चुकी हैं घटनाएं

>नयापुरा मुक्तिधाम पर चार माह पहले शव को निकाला गया था

>रामपुरा मुक्तिधाम पर अस्थियां चोरी होने व बच्चों के शव गायब होने पर खूब हंगामा हुआ था

>केशवपुरा मुक्तिधाम से छह माह पहले कुत्ते बच्चों के शवों को बाहर निकाल लाए थे।

ये होनी चाहिए व्यवस्थाएं

>चारदीवारी बनाई जाए और दरवाजे लगाकर सुरक्षा व्यवस्थाएं बढ़ाई जाएं

>सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएं

>बच्चों के श्मशान पर केशवपुरा की तरह जालियां लगाई जानी चाहिए

>बच्चों के श्मशान पर मिट्टी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे कब्र को ठीक प्रकार से भरा जा सके

प्रणब मुखर्जी ने 2 जी नोट से पल्ला झाड़ा, कहा-चिट्ठी में मेरे विचार नहीं


नई दिल्‍ली. 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में संकट से घिरी यूपीए सरकार की तरफ से केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी गुरुवार की शाम मीडिया के सामने आए और उन्होंने अपने मंत्रालय की उस चिट्ठी से पल्ला झाड़ लिया जिसमें कहा गया था कि चिदंबरम चाहते तो राजा को स्पेक्ट्रम आवंटन से रोक सकते थे। प्रणब मुखर्जी ने मीडिया के सामने पढ़े बयान में पीएमओ को वित्त मंत्रालय की तरफ से भेजी गई चिट्ठी की तरफ इशारा करते हुए कहा, 'यह सिर्फ वित्त मंत्रालय की चिट्ठी नहीं थी। इसमें कई मंत्रालयों के विचार शामिल किए गए थे। चिट्ठी अधिकारियों ने तैयार की थी। चिट्ठी में लिखी गई कई बातें मेरे विचार जाहिर नहीं करती हैं। विपक्ष अब स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल क्यों उठा रहा है। 2007 में यूपीए सरकार ने स्पेक्ट्रम आवंटन में उसी नीति का पालन किया जो 2003 में एनडीए सरकार ने तैयार की थी।' इस दौरान गृह मंत्री पी. चिदंबरम और कपिल सिब्बल भी मौजूद थे। चिदंबरम ने मुखर्जी के बयान के बाद कहा कि वे इस बयान से संतुष्ट हैं।

कुछ दिनों पहले आरटीआई के जरिए वित्त मंत्रालय की तरफ से प्रधानमंत्री कार्यालय को 25 मार्च, 2011 को भेजी गई चिट्ठी का खुलासा हुआ था। यह चिट्ठी वित्त मंत्रालय के उप निदेशक स्तर के अधिकारी की तरफ से लिखी गई थी, जो वित्त मंत्री के डेस्क से होते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंची थी। इस चिट्ठी में कहा गया था कि तत्कालीन वित्त मंत्री चिंदबरम चाहते तो ए. राजा स्पेक्ट्रम आवंटन नहीं कर सकते थे। इस चिट्ठी के सामने आने के बाद यूपीए सरकार सवालों से घिर गई थी और प्रणब मुखर्जी और चिदंबरम के बीच मतभेद के कयास लगाए जाने लगे थे।
कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के दखल के बाद प्रणब मुखर्जी और चिदंबरम मीडिया के सामने आने के लिए राजी हुए। सबसे पहले सोनिया गांधी ने 2 जी मामले पर वित्त मंत्रालय के विवादित नोट को लेकर मचे सियासी बवाल को आज शांत करने की कोशिश की।
2जी पर नोट और वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी की पीएम को चिट्ठी के बाद पैदा हालात पर चर्चा के लिए कांग्रेस अध्‍यक्ष के निवास पर पार्टी के आला नेताओं की बैठक हुई। रक्षा मंत्री ए के एंटनी, सोनिया के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल, कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी सहित कई आला नेताओं ने इस बैठक में हिस्‍सा लिया। वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी भी इस बैठक में शामिल हुए। हालांकि गृह मंत्री पी चिदंबरम इस बैठक से नदारद रहे। सूत्रों के मुताबिक सोनिया ने मीटिंग में प्रणब से कहा कि 2जी पर नोट से उठे विवाद को जल्‍द से जल्‍द खत्‍म किया जाए।
इसके बाद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने प्रधानमंत्री के आवास पर उनसे करीब २५ मिनट तक मुलाकात की। इन्हीं कोशिशों का नतीजा है कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी चिदंबरम के साथ प्रेस को संबोधित करने के लिए तैयार हुए।
प्रधानमंत्री से मुलाकात से पहले चिदंबरम के नाराज होने की खबर आई थी। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार के दो मंत्रियों-सलमान खुर्शीद और वी. नारायण सामी को चिदंबरम को मनाने के लिए भेजा गया था। गृह मंत्रालय में चिदंबरम के साथ मुलाकात के बाद सलमान खुर्शीद ने कहा, 'ऑल इज़ वेल (चिंता कोई बात नहीं है, सब अच्छा है)।'

प्रणब की चिट्ठी ने बढ़ाई थी मुश्किल
प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी को अपनी सफाई में तल्ख चिट्ठी लिखने के बाद प्रणब मुखर्जी नाराज बताए जा रहे थे (संबंधित खबर के लिए रिलेटेड लिंक पर क्लिक करें)। कोलकाता से लौटने के बाद बुधवार शाम वे पहले अपने दफ्तर पहुंचे। और इसके बाद बिना किसी से बात किए अपने घर चले गए। सूत्रों के मुताबिक इससे हरकत में आए शीर्ष नेतृत्व ने तीन वरिष्ठ मंत्रियों पीके बंसल, वी नारायणसामी और राजीव शुक्‍ला को प्रणब के घर भेजा। करीब 20 मिनट तक चली इस बैठक से क्‍या निकला, इसकी जानकारी मीडिया को नहीं दी गई और कहा गया कि यह 'नियमित बैठक' थी। सरकार के वरिष्‍ठ मंत्री कमलनाथ ने साफ किया है कि प्रणब और चिदंबरम के बीच किसी तरह की ‘लड़ाई’ नहीं है, इसे मीडिया बढ़ाचढ़ाकर पेश कर रहा है।
बीजेपी ने कहा, मामले को दबाने की कोशिश
प्रणब मुखर्जी के 2जी नोट पर सफाई पर मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। पार्टी के प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यूपीए सरकार की तरफ से मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। प्रसाद ने कहा, 'प्रणब मुखर्जी के बयान से कुछ भी साफ नहीं हुआ है। सच्चाई अपने आप सामने आएगी। हमने कभी नहीं कहा कि यह चिट्ठी वित्त मंत्री के विचार प्रकट करती है। लेकिन यह वित्त मंत्रालय के सैद्धांतिक स्टैंड को उजागर करती है।'

कांग्रेस अन्ना को बनाना चाहती है राष्ट्रपति? समर्थकों का इनकार


पुणे. भ्रष्टाचार के खिलाफ और जन लोकपाल कानून के समर्थन में आवाज उठाने वाले वरिष्ठ समाजसेवी अन्ना हजारे को लेकर एक खबर महाराष्ट्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। अन्ना हजारे को लेकर चर्चा यह हो रही है कि केंद्र की यूपीए सरकार ने उन्हें राष्ट्रपति बनने की पेशकश की है। दरअसल, पिछले कुछ दिनों में अहमदनगर जिले में मौजूद अन्ना के गांव रालेगण सिद्धि में अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं के दौरों के बीच इस खबर ने तेजी पकड़ी है।


एक स्थानीय दैनिक ने अन्ना को राष्ट्रपति बनाने की पेशकश को लेकर एक खबर प्रकाशित भी की है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक कांग्रेस अन्ना को राष्ट्रपति भवन में बैठाकर उनकी भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को बेदम करना चाहती है। हालांकि, अभी तक इस खबर की पुष्टि नहीं हुई है। गौरतलब है कि मौजूदा राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल अगले साल खत्म हो रहा है। पिछले कुछ दिनों में अन्ना हजारे से मिलने आने वाले नेताओं में राजस्व मंत्री बाला साहेब थोरात, पूर्व लोक निर्माण मंत्री विजय सिंह मोहिते-पाटिल और अहमदनगर के सांसद भाऊ साहब वाघचौरे शामिल हैं। पुणे से छपने वाले एक अंग्रेजी अखबार ने इस बारे में खबर भी छापी है। इस रिपोर्ट में एक अखबार के हवाले से बताया गया है कि दिल्ली में कांग्रेस नेताओं की एक बैठक में इस संभावना पर विचार किया गया और यह महसूस किया गया कि अगर अन्ना हजारे को यह पद देकर मनाया जा सका तो महाराष्ट्र की जनता तो खुश होगी ही साथ ही देश भर के लोगों में एक अच्छा संदेश जाएगा, जिससे भ्रष्टाचार के मसले पर पूरे देश में मजबूत होती जा रही कांग्रेस विरोधी लहर को काफी हद तक काबू किया जा सकता है। लेकिन बताया जा रहा है कि एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने इस सुझाव का यह कहते हुए विरोध भी किया कि अन्ना इस पेशकश को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।


अन्ना के करीबी माने जाने वाले रालेगण सिद्धि के निवासी और शिक्षक संजय पठाड़े इस अफवाह को पूरी तरह खारिज करते हुए कहते हैं कि यह सब 'बेबुनियाद' बातें हैं। अन्ना ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं स्वीकार करेंगे। उन्होंने कहा, ' राष्ट्रपति पद का किसी पार्टी पार्टी द्वारा रिश्वत के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।' रालेगण सिद्धि के सरपंच जयसिंह मपारी ने कहा, 'मुझे पूरा भरोसा है कि अन्ना ऐसे किसी जाल में नहीं फंसेंगे।' उन्होंने कहा, ' अन्ना मंत्रियों को अच्छी तरह जान गए हैं। मुझे नहीं लगता कोई भी केंद्रीय मंत्री उनके पास ऐसा प्रस्ताव ले जाने की हिम्मत करेगा।'

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...