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04 अक्तूबर 2011

जब हो टोने-टोटके, तंत्र-मंत्र या बुरी नजर का साया, तो क्या और क्यों करें...




कभी-कभी ऐसा होता है कि आपके जीवन में सबकुछ अच्छा चल रहा होता है और अचानक से ही समय एकदम बदल जाता है। जिस काम में आप सफलता प्राप्त कर रहे थे, वहां से आपके काम बिगडऩा शुरू कर देते हैं। घर में अक्सर कोई बीमार रहता हो या इसी प्रकार अन्य कोई परेशानी जो दिखने में तो सामान्य होती है लेकिन इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।

ज्योतिष और शास्त्रों के अनुसार जब अचानक से आपका अच्छा समय बुरे समय में बदल जाता है तो ऐसी संभावनाएं हो सकती हैं कि आपको या आपके घर को किसी की बुरी नजर लग गई हो। कई बार किसी की सफलता और समृद्धि से जलने वाले लोग उन्हें क्षति पहुंचाने के लिए टोने-टोटके या तंत्र-मंत्र जैसी नकारात्मक शक्तियों का उपयोग करते हैं। इन नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से एकदम ही सबकुछ गड़बड़ हो जाता है।

इस प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव खत्म करने के लिए एक सटीक उपाय है कि अपने घर में नियमित रूप से गौमूत्र का छिड़काव किया जाए। शास्त्रों के अनुसार गौमूत्र को पवित्र पदार्थ माना गया है और इसमें वातावरण में मौजूद सभी नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करने की शक्ति होती है। ऐसा माना जाता है गाय में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। अत: इससे प्राप्त होने वाली हर चीज बहुत ही पवित्र और पूजनीय है।

किसी भी प्रकार के टोने-टोटके, तंत्र-मंत्र या बुरी नजर के प्रभाव से बचने के लिए गौमूत्र का उपयोग सर्वश्रेष्ठ उपाय है। यदि संभव हो तो प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा गौमूत्र पीने से भी लाभ प्राप्त होते हैं। इसके अलावा अपने आसपास का वातावरण सकारात्मक रखें। किसी प्रकार के नकारात्मक विचारों को अपने से दूर ही रखें और ऐसे लोगों से भी दूर रहें। प्रतिदिन नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें और प्रति मंगलवार-शनिवार को हनुमान मंदिर जाएं तथा सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें। आप सभी प्रकार के टोने-टोटकों और बुरी नजर के प्रभाव से बचे रहेंगे।

राजस्थान : गुस्साए बस ड्राइवर ने श्रद्धालुओं को कुचला, 6 की मौत

करौली /जयपुर राजस्थान के करौली जिले में एक ड्राइवर ने गुस्से में श्रद्धालुओं पर बस चढ़ा दी है जिसमें ६ यात्रियों की मौत हो गई है तथा ३ अन्य गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। सभी श्रद्धालु आगरा के बताए जा रहे हैं जो कैला देवी मंदिर में दर्शन के लिए जा रहे थे। मरने वालो में सभी पुरुष है और सभी आगरा के हैं।

किराए को लेकर हुआ झगड़ा

श्रद्धालुओं और बस ड्राइवर में किराए को लेकर कहा सुनी हुई जिसके बाद आवेश में आकर पहले तो ड्राइवर ने उनको बस से नीचे उतारा और फिर बस उनके ऊपर चढ़ा दी। घटना को अंजाम देने के बाद बस ड्राइवर राजू फरार हो गया है। बय आगरा के शर्मा ट्रैवल्स की बताई जा रही है।

बीजेपी में खींचतान, सुषमा और जेटली भी नहीं चढ़ेंगे आडवाणी के रथ पर?

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भोपाल. भारतीय जनता पार्टी में अंदरूनी हालात बहुत अच्छे हैं, ऐसे संकेत नहीं मिल रहे हैं। खबरों के मुताबिक लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा से पार्टी के वरिष्ठ नेता और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की नाराजगी की खबरों के बीच लोकसभा में पार्टी की नेता सुषमा स्वराज भी इस यात्रा से अलग हो गई हैं।

पार्टी के सूत्रों के हवाले से सामने आ रही जानकारी के मुताबिक सुषमा स्वराज के संसदीय क्षेत्र विदिशा को लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के रूट से अलग कर दिया गया है। वहीं, सूत्र यह भी कर रहे हैं कि सुषमा स्वराज निजी तौर पर व्यस्त होने की वजह से इस यात्रा का हिस्सा नहीं बन पाएंगी।

पार्टी के वरिष्ठ नेता के मुताबिक आडवाणी की रथयात्रा बिना विदिशा गए ही, भोपाल पहुंचेगी। 11 अक्टूबर को सिताब दियारा से यात्रा शुरू होगी और मध्य प्रदेस में रीवा जिल के माहूगंज में 13 अक्टूबर को प्रवेश करेगी। हालांकि, सुषमा के करीबी एक नेता का कहना है कि मध्य प्रदेश में रथयात्रा का कार्यक्रम अभी तय होना बाकी है। इस बीच, मीडिया में ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि राज्यसभा में पार्टी के नेता अरुण जेटली ने भी खु को इस यात्रा से अलग कर लिया है। हालांकि, इस खबर की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है।

हिंसक होगा अमेरिका का प्रदर्शन? न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर हमले की चेतावनी


न्यूयॉर्क. अमेरिका में आर्थिक असमानता के खिलाफ जारी प्रदर्शन अब और ज्यादा उत्तेजक हो सकते हैं। अकुपाई वॉल स्ट्रीट (वॉल स्ट्रट पर कब्जा करो) के नाम से जारी यह प्रदर्शन अब सड़कों तक ही सीमित नहीं रहेंगे। एक और गुमनाम समूह ने प्रदर्शनों को और ज्यादा उत्तेजक और व्यापक करने के लिए नया अभियान चलाने की चेतावनी दी है।
अब तक यह कहा जा रहा था कि वॉल स्ट्रीट पर कब्जा करो, अब इन प्रदर्शनों को नया नाम इंवेड वॉल स्ट्रीट (वॉल स्ट्रीट पर हमला करो) नाम दिया गया है जिससे प्रदर्शनों के हिंसक होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ गई है। इंवेड वॉल स्ट्रीट अभियान का मकसद न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के काम को पूरी तरह ठप्प करना होगा।

अमेरिकी मीडिया को जारी किए गए एक प्रेस रिलीज में इस नए गुमनाम समूह ने कहा है कि
स्टॉक एक्सचेंज पर दस अक्टूबर को हमला किया जाएगा। प्रेस रिलीज में कहा गया है कि हमने न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के खिलाफ युद्ध इसलिए शुरु किया है क्योंकि हम फायदे के नाम पर जनता के शोषण को और ज्यादा नहीं देख सकते हैं।

हम दुनिया को दिखा देंगे की हम अपनी बात के कितने पक्के है। दस अक्टूबर को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज को इंटरनेट से भी मिटा दिया जाएगा। हालांकि इस नए अभियान को समर्थन से ज्यादा आलोचना झेलनी पड़ रही है। समूह के ज्यादातर सदस्यों ने ट्विटर पर इसकी तीखी आलोचना की है। कई ने तो इसे सिर्फ एक छलावा करार दिया है।

कुछ लोगों का कहना है कि गुमनाम लोगों द्वारा शुरु किया जा रहा यह अभियान अकुपाई वॉल स्ट्रीट अभियान को रोकने के लिए सरकारी तंत्र द्वारा ही प्रमोट किया जा रहा है। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि प्रदर्शनकारियों के इरादा क्या हैं। एक अन्य प्रेस विज्ञप्ति में लोगों से हिंसक प्रदर्शनों से दूर रहने की अपील की गई है ताकि जेल जाने से बचा जा सके।

अंधविश्वासी पति, विसर्जन के लिए सरोवर पर रखा महिला का कटा पैर!


पुष्कर.रविवार को पुष्कर सरोवर किनारे मिला अज्ञात महिला का आधा कटा पैर टोंक जिले की एक महिला का था। उसे अजमेर के जेएलएन चिकित्सालय के अस्थि रोग विभाग के सहायक आचार्य ने महिला की जान बचाने के लिए काटा था।

वहीं महिला के पति ने कटा पैर तीर्थ स्थल में विसर्जन करने की नीयत से सरोवर के तट पर रखा था। यह तथ्य पुलिस की पड़ताल में सामने आए हैं।

सरोवर के तरणी घाट से बरामद आधे कटे पैर की शिनाख्त के लिए आज पुलिस की अलग-अलग टीमों ने जिले के सभी छोटे-बड़े अस्पताल खंगाले।थाना प्रभारी दिनेश कुमावत ने अजमेर के जेएलएन चिकित्सालय में पैर का पांच सदस्यीय मेडिकल बोर्ड से मेडिकल जांच करवाई।

पुलिस को यहां महिला अस्थि रोग वार्ड में भर्ती डिग्गी थानातंर्गत ग्राम चौसला निवासी सीताराम गुर्जर की पत्नी राम कन्या उर्फ लाली (27)को होने की जानकारी मिली।

पुलिस तत्काल वार्ड में पहुंची तथा महिला एवं उसका ऑपरेशन करने वाले अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. देवकांत मीणा से पूछताछ की। पूछताछ में डॉ. मीणा ने बरामद पैर रामकन्या का ही होने की पुष्टि की। इसके बाद पुलिस ने चैन की सांस ली।

थानाप्रभारी दिनेश कुमावत ने बताया कि रामकन्या कैंसर पीड़ित थी। उसे उपचार के लिए गत 27 सितंबर को जेएलएन के अस्थि रोग वार्ड में भर्ती कराया गया।

इस बीच अस्थि रोग विभाग के सहायक आचार्य डॉ. मीणा ने ही 1 अक्टूबर की रात ऑपरेशन कर महिला की जान बचाने के लिए पैर काटा।

बताया गया है कि डॉक्टर ने परिजनों की मांग पर महिला के पति सीताराम को कटा पैर सुरक्षित रूप से नष्ट करने के लिए पाबंद करते हुए उपलब्ध करा दिया। थानाप्रभारी ने बताया कि सीताराम ही अंधविश्वास के चलते रविवार की सुबह कटा पैर सरोवर के तट पर लावारिस छोड़ कर चला गया।

आरोपित पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज :

पुष्कर सरोवर किनारे महिला का आधा कटा पैर लावारिस रखने के मामले में पुलिस ने महिला के आरोपित पति सीताराम के खिलाफ उपेक्षापूर्वक संक्रमण फैलाने तथा जलाशय (सरोवर) को प्रदूषित करने के आरोप में भादसं. की धारा 269 व 277 के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इसके चलते पुलिस ने अस्पताल से महिला का भर्ती रिकार्ड भी तलब किया है।

मुख्यमंत्री जी मेरी भी फोटो लगवा दीजिए

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लुधियाना . फोटो का विवाद डायल 108 एंबुलेंसों का पीछा नहीं छोड़ रहा। पहले भाजपा के दो मंत्रियों प्रोफेसर लक्ष्मीकांता चावला और सेहतमंत्री सतपाल गोसाईं में फोटो लगाने के मामले पर बयानबाजी हुई और अब सीएम की फोटो लगने से नया विवाद पैदा हो गया है। एंबुलेंसों पर अपनी फोटो न लगाए जाने पर गोसाईं बेहद नाराज हैं। उन्होंने मंगलवार को डायल 108 की फाइल मंगाकर मुख्यमंत्री को यह टिप्पणी करके भेज दी कि एंबुलेंसों पर सीएम के साथ सेहतमंत्री की फोटो भी होनी चाहिए।

अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि इस मामले में गोसाईं को सबसे अधिक ये बात खटकी है कि डायल 108 की एंबुलेंस सेहत महकमे के अधीन काम करती हैं जबकि सिर्फ सीएम की फोटो लगाने के आदेश जारी करते वक्त मंत्री तक को जानकारी नहीं दी गई।

मंत्री को जानकारी दिए बिना किस अफसर ने सीधे डायल 108 का संचालन करने वाली कंपनी को फोटो लगाने के आदेश भेजे। संपर्क करने पर गोसाईं ने सीएम को टिप्पणी भेजने की पुष्टि की। गोसाईं ने कहा कि आदेश किसी के भी माध्यम से गए हों पर उन्होंने अपनी तरफ से फाइल पर लिखकर भेज दिया है, बाकी अब सीएम की मर्जी है।

उधर, पंजाब हेल्थ सिस्टम कापरेरेशन की एमडी राजी पी.श्रीवास्तव ने इस सवाल पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया कि किस अफसर के माध्यम से डायल 108 को सीएम की फोटो लगाने के आदेश गए थे। एमडी ने सिर्फ इतना कहा कि मंत्री की ओर से उनकी फोटो लगाने का प्रपोजल आया है, जो उन्होंने सीएम आफिस को भेज दिया है।

गोसाईं को बहुत पहले दे देना चाहिए था इस्तीफा: कैप्टन

इसी बीच लुधियाना के दुर्गा माता मंदिर पहुंचे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सेहतमंत्री सतपाल गोसाईं पर शब्दबाण चलाए। कर्मचारियों की हड़ताल से परेशान गोसाईं की इस्तीफे की पेशकश पर कटाक्ष करते हुए कैप्टन ने कहा कि गोसाईं को यह काम बहुत पहले कर देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि गोसाईं के मंत्री बनने से अब तक बारी-बारी से कर्मचारी हड़तालों पर जा रहे हैं, जिससे सरकार की कमजोरी खुलकर सामने आई है।

यहां एक नहीं कई वीरू जो टंकी पर जा चढ़े हैं, मौसी बनी पुलिस


लुधियाना. गिल गांव में शोले के रामगढ़ वाला सीन बन गया है। यहां एक नहीं कई वीरू हैं, जो टंकी पर जा चढ़े हैं। मुसीबत में फंसी है लुधियाना पुलिस, जिसे टंकी पर चढ़े वीरू मौसी समझकर हर मांग मानने को कह रहे हैं।

असल में ये नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के कर्मचारी हैं, जो पक्की नौकरी मांग रहे हैं। कह रहे हैं कि पिछली बार सेहतमंत्री ने खुद उन्हें टंकी से उतारते वक्त भरोसा दिलाया था कि उन्हें रेगुलर कर दिया जाएगा। लेकिन हुआ कुछ नहीं, इसलिए अब वे सीएम या डिप्टी सीएम से बात करने के बाद ही टंकी से उतरेंगे। उधर, देर रात चंकी पर चढ़ी संगरूर की स्टाफ नर्स गुरप्रीत कौर ने टंकी पर ही भूख हड़ताल पर बैठने की घोषणा कर दी।

एनआरएचएम कर्मियों व पुलिस में मंगलवार को खूब लुकाछिपी का खेल चला। कर्मियों ने सीआईडी को सूचना दी थी कि वे गिल रोड पर प्रदर्शन करेंगे। पिछली बार जून में सब रजिस्ट्रार दफ्तर के साथ लगी टंकी पर ये मुलाजिम जा चढ़े थे, इसलिए पुलिस ने टंकी को घेर लिया

दोपहर करीब बारह बजे नीले रंग की बस में बैठे कर्मी पुलिस को देख गिल गांव की टंकी पर चले गए। पचास से ज्यादा प्रदर्शनकारी टंकी पर जा चढ़े, जबकि दो सौ कर्मी टंकी घेरकर खड़े हो गए हैं। उधर, सूचना मिलने पर पुलिस अफसर मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी।

शाम को पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को मंगलवार सुबह डिप्टी सीएम से मीटिंग का टाइम ले दिया लेकिन प्रदर्शनकारी इस बात पर अड़े हैं कि पांच कर्मी बातचीत के लिए चंडीगढ़ जाएंगे जबकि बाकी टंकी पर ही बैठे रहेंगे। इसी बीच एक महिला कर्मी की हालत भी बिगड़ गई।

चिताओं पर रोटियां सेकी पर कौओं के कारण नसीब नहीं हुई!

मेरा घर का नाम ही था चिंदी। चिंदी यानी फटा हुआ कपड़े का टुकड़ा। मुझे यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि मैं अनपेक्षित थी। मेरे पिता अभिमान साठे खुद अनपढ़ थे लेकिन वे मेरी पढ़ाई को लेकर बहुत जागरूक थे। मां की इच्छा के विपरीत पशुओं के पीछे भेजने के बजाय वे मुझे स्कूल भेजते थे लेकिन मैं चौथी कक्षा तक ही पढ़ सकी। बहुत गरीबी थी, इतने भी पैसे नहीं थे कि स्लेट खरीद सकें। मैंने पेड़ की मोटी पत्तियों पर ककहरा सिखा।

10 साल की उम्र में शादी कर दी गई, इसी के साथ पढ़ाई भी बंद हो गई। पति श्रीहरि सपकाल उर्फ हर्बजी 30 साल के थे। वर्धा के जंगलों में पति के नवरगांव चली गई। तीन बेटों को जन्म दिया। 1972 में फारेस्ट विभाग से गोबर इकट्ठा करने के बदले महिलाओं को पैसे देने की मांग उठाई। फारेस्ट विभाग गोबर बेचकर पैसा जेब में रख लेता था।

हमने वह लड़ाई जीती लेकिन इससे मेरा परिवार टूट गया। जमीन मालिक ने मुझ पर बदचलनी का आरोप लगाया। मेरी पिटाई कर मुझे गाय के कोठे में रख दिया गया, जहां बेटी ममता पैदा हुई। मैंने खुद पत्थर से गर्भनाल काटी। मायके में शरण लेने की कोशिश की लेकिन मां ने स्वीकार नहीं किया। मैं शहर दर शहर घूमती रही।

मनमाड़-औरंगाबाद रेल्वे रुट पर सात साल भीख मांगी। मेरे पास आश्रय, खाना कुछ नहीं था। महफूज मानकर श्मशान में दिन बिताएं। चिताओं पर रोटियां सेकी जो कौओं के कारण कई बार नसीब नहीं हुई। इसी दौरान चिखलदारा में टाइगर प्रोजेक्ट के लिए खाली कराए जा रहे 84 गांवों के आदिवासियों के लिए लड़ाई लड़ी जो सफल रही।

इसके बाद मुझे लोगों का स्नेह और सहयोग मिलने लगा। मैंने अपने जैसे निराश्रित लोगों की मदद करना शुरू की। आज मुझे गर्व है मेरे 36 डॉटर इन लॉ और 122 सन इन लॉ हैं। मेरा एक बेटा मुझ पर ही पीएचडी कर रहा है।

- सिंधुताई सपकाल, सामाजिक कार्यकर्ता

चोरों की चोरी के बारे में सुनकर आप भी कहेंगे, अरे ये क्या चुरा ले गए?


बिलासपुर। चोरों ने सोमवार की रात सिविल लाइन थाना क्षेत्र में चार स्थानों पर चोरी कर दो लाख रुपए का माल पार कर दिया। चोर ने एक वकील के मकान से वकालत की कुछ किताबें भी चोरी कर ली।


अभिषेक विहार मंगला निवासी सोनिया कुलदीप अपने पड़ोसी अभिषेक मिश्रा व किरण शुक्ला के साथ सोमवार की रात महामाया देवी के दर्शन के लिए पदयात्रा कर रतनपुर गई थीं। मंगलवार की सुबह लौटने पर उनके मकान का ताला टूटा हुआ मिला। चोर सोनिया कुलदीप के मकान से 10 हजार रुपए के अलावा वकालत की कुछ किताबें भी अपने साथ ले गए। इसी तरह चोरों ने किरण शुक्ला के मकान से 2 तोला सोना,18 तोला चांदी व 20 हजार रुपए नगद सहित एक लाख रुपए का सामान पार कर दिया

'मैं तो हनुमान की तरह पुलिस को उसका रोल याद दिलाना चाहता हूं!'

कोटा.गृहमंत्री शांति धारीवाल पिछले दिनों दिए अपने बयान ‘पुलिस पीटकर आए, पिटकर नहीं आए’ से कुछ आहत नजर आए। उन्होंने मंगलवार को शहर पुलिसलाइन में पुस्तकालय भवन व मनोरंजन कक्ष के उद्घाटन समारोह में कहा कि वे ज्यादा बोलने से आलोचना के शिकार हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि पुलिस का इकबाल तभी कायम रह सकता है, जब अपराधियों में पुलिस का डर हो। इसके लिए पुलिस को अपराधियों पर शिकंजा कसना पड़ेगा। लोगों का तभी पुलिस पर विश्वास रहेगा। हालांकि, इस बार संबोधन में धारीवाल संभलकर बोलते नजर आए।

धारीवाल ने कहा कि आमजनों को पुलिस से काफी अपेक्षा होती है, लेकिन पुलिस को ही सबसे ज्यादा गालियां पड़ती हैं। आवश्यकता होती है तो लोग पुलिस की मदद ले लेते हैं, लेकिन समय निकलने के बाद वे ही पुलिस की जरा सी खामियों पर कोसने लगते हैं। जनता चाहती है कि अपराध कम हों, इसके लिए लोगों को भी पुलिस का पूरा सहयोग करना होगा।

उन्होंने कहा कि सरकार हर सुविधा उपलब्ध कराए, यह संभव नहीं है, इसलिए व्यापारी जब यह चाहता है कि कहीं भी अपराध हो तो आरोपी पकड़े जाएं तो वे भी पुलिस का सहयोग करते रहें। कार्यक्रम में कार्यवाहक आईजी पी. रामजी, एएसपी हनुमानप्रसाद, लक्ष्मण गौड़, ललित माहेश्वरी सहित कई पुलिस अधिकारी मौजूद थे।

एसपी ने कहा-कॉलोनी की समस्या हल हो

एसपी प्रफुल्ल कुमार ने कहा कि पुस्तकालय भवन व मनोरंजन कक्ष में करीब 16 लाख का खर्च आया है। इसमें 11 लाख रुपए दानदाताओं ने दिए थे। पुलिसलाइन में पुराने क्वाटर्स में सीवरेज की बड़ी समस्या है। इसके बारे में पहले भी कहा गया था। इसका हल जल्द हो जाए तो पुलिसकर्मियों को राहत मिलेगी।

इनका हुआ सम्मान

कार्यक्रम में भामाशाह नवीन माहेश्वरी, वीरेंद्र पांड्या, मोहम्मद मियां, प्रमोद माहेश्वरी, नरेंद्र अवस्थी, वीके बंसल, दिनेश भारद्वाज सहित पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन, ठेकेदार का भी सम्मान किया गया।

कहते-कहते कुछ और कह जाता हूं..

धारीवाल ने कहा कि मैं कहना कुछ और चाहता हूं, लेकिन कहते-कहते कुछ और कह जाता हूं। मीडिया वाले व आलोचना करने वाले उसे ही तूल देते हैं। पुलिस बड़ा अपराधी पकड़ती है तो छोटी खबर देखने को मिलती है, जबकि अपराधी की भागने की खबर को प्रमुखता से छापा जाता है।

हनुमान की याद दिलाना चाहता हूं

धारीवाल ने कहा कि पुलिस को हनुमान का रोल याद दिलाना चाहता हूं, जैसे हनुमान को याद दिलाया गया था। हालांकि, अब अपराध कई प्रकार के हो गए हैं। हनुमान की भूमिका की अभी भी आवश्यकता है। जब तक पुलिस का डर अपराधियों में नहीं होगा, तब तक अपराध कम नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि कोटा रेंज प्रदेश में क्राइम रेट कम करने में दूसरे नंबर पर है।

पर्ची आई तब तक यमराज के घर पहुंच चुका था मासूम

करौली/जयपुर.रजिस्ट्रेशन पर्ची के बिना इलाज से इनकार करने के कारण 3 वर्षीय बालक की मौत हो गई। घटना स्वतंत्रता सेनानी शिवराज राजकीय सामान्य चिकित्सालय में मंगलवार सुबह 9 बजे की है।

इससे गुस्साए लोगों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने अस्पताल परिसर में तोड़फोड़ की और प्रदर्शन किया। कुछ लोगों ने आसपास का बाजार भी बंद करा दिया। हंगामा 4 घंटे तक चलता रहा। पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को खदेड़ा।

कलेक्टर विष्णु चरण मल्लिक ने प्रथम दृष्ट्या डॉ. जीएन अग्रवाल को दोषी मानते हुए एपीओ कर दिया, जबकि प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीराम मीणा को 17सीसी का नोटिस दिया है।

पर्ची लेने में लग गया डेढ़ घंटा

पीलुआ निवासी संतोषी राम जाटव ने बताया कि वह छोटे भाई बहादुर व उसकी पत्नी कमलेश के साथ उनके बच्चे दीपेश (3) को दिखाने के लिए लाए थे। बच्चे की हालत गंभीर थी। वे आउटडोर में डॉ. जीएन अग्रवाल के पास पहुंचे तो उन्होंने पहले रजिस्ट्रेशन पर्ची लाने को कहा।

उन्होंने बताया कि बालक की हालत गंभीर है, लेकिन वे नहीं माने और पहले पर्ची लाने को कहते रहे। वे पर्ची लेने के लिए लाइन में लग गए। करीब डेढ़ घंटे बाद पर्ची मिलने पर वे दूसरे डॉक्टर के पास पहुंचे तो उन्होंने बताया कि बच्च मर चुका है।

इससे बालक के परिजन विलाप करने लगे। मौके पर लोगों की भीड़ जुट गई। भीड़ ने चिकित्सालय प्रशासन व सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अस्पताल के बाहर रास्ता जाम कर दिया। परिजन भी बालक का शव लेकर सड़क के बीच बैठ गए। इस बीच भाजपा व भाजयुमो कार्यकर्ता भी मौके पर पहुंच गए और वे दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे।

बाद में पहुंचे पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने समझाइश का प्रयास किया, लेकिन वे सफल नहीं हुए। आखिर में दोपहर दो बजे कलेक्टर पहुंचे और डॉक्टर को तुरंत प्रभाव से एपीओ करने, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी को 17सीसी का नोटिस देने, पीड़ित परिवार को राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी की ओर से दस हजार रु. की सहायता देने तथा चिकित्सालय की व्यवस्थाओं में सुधार का आश्वासन देकर मामला शांत कराया।
उधर, डॉक्टर अग्रवाल का कहना है कि बालक और उसके परिजन उन्हें दिखाने के लिए आए ही नहीं। अगर वे आते तो वे बालक का इलाज जरूर करते।

क्या हिंदू क्या मुसलमान, यहां तो जीते हैं सिर्फ इंसान

फैजाबाद। नसीम खान वैसे तो अपनी छोटी सी सिलाई की दुकान की आय से संतुष्ट हैं लेकिन हर वर्ष दशहरा से पहले वह थोड़े से चिंतित हो जाते हैं। गांव में दशकों से हो रही रामलीला का आयोजन सुचारू रूप से हो सके इसलिए उन्हें बड़े पैमाने पर मिले काम लेकर ज्यादा पैसों का बंदोबस्त करना पड़ता है।

उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले के मुमताज नगर गांव में नसीम की तरह दूसरे मुसलमान भी रामलीला के आयोजन में दिल खोलकर चंदा देकर सालों से चली आ रही इस परम्परा को संजोए हुए हैं। दशकों से मुसलमान इस रामलीला का आयोजन करते आ रहे हैं।

नसीम खान ने कहा, "हमें गर्व है कि हम इस तरह की परम्परा निभा रहे हैं, जो सही अर्थो में आपसी भाईचारे को मजबूत करती है। हर साल दशहरे पर जब हम लोग रामलीला का आयोजन करते हैं तो हम में ऐसी भावनाएं उमड़ती हैं कि जैसे हम ईश्वर की सेवा कर रहे हैं। आखिरकार हिंदू भाई भी तो उसी ईश्वर की संतान हैं।"

रामलीला का आयोजन रामलीला रामायण समिति के बैनर तले होता है। अब से करीब 47 साल पहले गांव के मुसलमानों ने मिलकर आपसी भाईचारे को मजबूत करने के उद्देश्य से इस समिति का गठन किया था। मुमताजनगर गांव की आबादी करीब 600 है जिसमें से तकरीबन 65 फीसदी मुसलमान समुदाय के लोग हैं।

समिति के अध्यक्ष माजिद अली ने कहा, "एक मुस्लिम बहुल गांव होने के मद्देनजर मुस्लिम त्योहारों के दौरान मुमताज नगर का महौल बहुत जीवंत और आकर्षक लगता था। गांव में हिंदुओं की आबादी को सीमित देखते हुए हमारे पूर्वजों ने सोचा कि उन्हें हिंदुओं के त्योहारों को बढ़ावा देने के लिए कुछ करना चाहिए। फिर उन्होंने 1963 में रामलीला के आयोजन की शुरुआत की, जो तब से लगातार जारी है।"

अली कहते हैं कि मुसलमान समुदाय के विभिन्न वर्गो के लोग इस समिति के सदस्य हैं। कम आय होने के बावजूद गांव के मुसलमान रामलीला के आयोजन में हर तरह से आर्थिक मदद देते हैं। जो लोग चंदा देने में असफल होते हैं वे रामलीला के आयोजन में श्रमदान देते हैं।

गांव के मुसलमान केवल आर्थिक सहयोग और श्रमदान के जरिए रामलीला के आयोजन तक ही खुद को सीमित नहीं रखते बल्कि वे इसमें अभिनय भी करते हैं। अली ने बताया, "हमारे भाई-बंधु राम, सीता और रावण जैसे रामलीला के मुख्य किरदारों के अलावा मंच पर अन्य कई महत्वपूर्ण किरदार निभाते हैं।"

इस साल यहां रामलीला की शुरुआत एक अक्टूबर से हुई है, जो आठ तारीख तक चलेगी। रामलीला का आयोजन शुरुआत से ही गांव के किनारे एक मैदान में होता आ रहा है। पहले रामलीला का मंचन अस्थाई मंच पर होता था लेकिन कुछ साल पहले आपसी सहयोग से वहां पर एक सीमेंट का मंच बना दिया गया है।

जेल में कैदियों ने किया इस 'सिंघम' का तालियों की गडग़ड़ाहट से स्वागत

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अहमदाबाद। साबरमती जेल के तत्कालीन पुलिस प्रमुख रह चुके गुजरात कैडर के सस्पेंडेड डीआईजी संजीव भट्ट इस बार जेल में बतौर कैदी पहुंचे। बीते शनिवार को उन्हें साबरमती जेल लाया गया। जैसे ही भट्ट जेल में दाखिल हुए, सारे कैदियों ने जोरदार तालियों की गडग़ड़ाहट से उनका स्वागत किया। यह दृश्य देख भट्ट भी भाव-विभोर हो उठे, उनके मुंह से शब्द नहीं निकले और उन्होंने हाथ हिलाते हुए सभी कैदियों का अभिनंदन स्वीकार किया।
भट्ट को इस जेल में 10 नंबर की सेल में रखा गया है। इसके अलावा खुद भट्ट ने जेल में किसी वीआईपी सुविधा लेने से मना कर दिया, इस बात से जेल अधिकारी भी आश्चर्यचकित रह गए। बताया जाता है कि पिछले तीन दिनों से संजीव भट्ट ज्यादा बातचीत नहीं कर रहे हैं। अधिकतर समय वे अपने आप में ही खोए-खोए से रहते हैं।
दरअसल कैदियों का भट्ट के प्रति यह स्नेह इसलिए है कि जब वे साबरमती जेल के इंजार्च थे, तब उन्होंने कैदियों के उत्थान के लिए कई सराहनीय कार्य किए थे। कैदियों के अनुसार भट्ट हरेक कैदी से पूरी सहानुभूति के साथ मिलते और बात किया करते थे। भट्ट के प्रति कैदियों के प्रेम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उनका यहां से स्थानांतरण किया गया था तो सारे कैदी हड़ताल पर बैठ गए थे और उनके स्थानांतरण को रोकने के लिए कैदियों ने गुजरात हाईकोर्ट से निवेदन भी किया था।
उल्लेखनीय है कि भट्ट को 30 सितंबर को गुजरात की घाटलोडिया पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पुलिस ने भट्ट को सरकारी कर्मचारी को धमकाने, गलत सुबूत पेश करने तथा अवैध रूप से उन्हें कैद में रखने के (भारतीय दंड संहिता की धारा 341, 342 व 195) आरोपों के तहत गिरफ्तार किया है।

पुलिस कर्मचारी के.डी.पंत ने भट्ट पर आरोप लगाया था कि भट्ट ने उन्हें धमकी देते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से मुख्यमंत्री निवास पर 27 फरवरी 2002 को बुलाई गई बैठक में उपस्थिति को लेकर जबरन शपथपत्र तैयार करवाया था।

पंत ने यह शिकायत गत जून माह में दर्ज कराई थी। पंत गुजरात दंगों के दौरान राज्य खुफिया विभाग (एसआईबी) में पुलिस उपायुक्त के तौर पर कार्यरत भट्ट के अधीनस्थ कर्मचारी थे।
हालांकि भट्ट ने अदालत में जमानत याचिका दायर की थी। मंगलवार को अदालत ने उनकी याचिका पर सुनवाई आगामी 7 अक्टूबर तक के लिए मुल्तवी कर दी है। मसलन भट्ट को अब 7 अक्टूबर तक जेल में ही रहना होगा।

दिल दहला देगी यह खबरः एक ही परिवार के दस लोगों ने क्यों की खुदकुशी?

देहरादून. देहरादून के विकास नगर में एक ही परिवार के दस लोगों ने नहर में छलांग लगा दी। एक महिला को बचा लिया गया जबकि बाकी ९ लोगों की मौत हो गई।
8 शव नहर से बरामद कर लिए गए हैं। पुलिस के मुताबिक मृतक परिवार अवसाद से ग्रस्त थ। मरने वालों में ६ बच्चे भी शामिल हैं। परिवार की एक बेटी की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई थी जिसके चलते परिवार मानसिक तनाव में था। घटना सोमवार देर रात की बताई जा रही है। एक महिला को जिंदा बचा लिया गया। बची हुई महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पुलिस के मुताबिक यह परिवार विकास नगर से आटो करके शक्ति नहर पर आया। जहां इन्होंने कोल्डड्रिंक या चाय में नशीली दवा ली और फिर नहर में छलांग लगा दी। पुलिस के एक महिला नहर के तारों में उलझी हुई मिली जिसे अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि इस परिवार ने आत्महत्या क्यों की।

परिवार की ही एक बेटी का पति मनोज इस घटना के बाद से नहीं मिल रहा है। पुलिस मान रही है कि हो सकता है कि मनोज की भी मौत हो गई या फिर घटना के बाद से वो गायब हो। यह परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। परिवार ने यह कदम क्यों उठाया यह सिर्फ जिंदा बची महिला ही बता सकती है जो फिलहाल अस्पताल में भर्ती है।

जी जनाब मेरे हिंदी प्रेमी भाई के कुछ सवालों के जवाब बता दीजिये जो मुझे उन्हें देना है

दोस्तों अभी पिछले दिनों हिंदी दिवस के अवसर पर मेने अपने कुछ साथियों से पंगा ले लिया उन्हें हिंदी राष्ट्रभाषा ..संविधान की भाषा बताते हुए हिंदी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग लेने की बात कही .....इसी बीच कुछ लोगों के कथन मेने बताये जिनका कहना है के अगर हिंदी में कोई नहीं लिखता है तो उसके सवालों का जवाब नहीं दिया जाता है ,मेने उन्हें एक हिदी प्रेमी बढ़े भाई की मुझे दी गयी शिक्षा के बारे में भी बताया और उनसे हिंदी में ही बात करने हिंदी में ही लिखने के प्रयास के बारे में गुहार की बस फिर क्या था उन्होंने मुझे घेर लिया .पहले मुझे मेल किये फिर पत्र लिखे फिर एस एम एस किये और फिर पत्र लिखे हैं उनका कहना है के भाई हम हिन्दुस्तानी हैं और हिंदी प्रेमी हिंदी लिखने या बोलने का दिखावा करने से नहीं बनते है बलके हिंदी का विकास केसे हो उसके विनाश को केसे रोका जाए उससे ही हिंदी का विकास संभव है .मेरे मित्रों ने वेसे तो कपड़े फाड़ अंदाज़ में मुझे पत्र लिखे हैं लेकिन में उनका सारांश प्रस्तुत कर रहा हूँ ........मेरे दोस्तों ने मुझ से पूंछा है के आप अगर हिंदी प्रेमी हैं तो इंजेक्शन .....ट्रेन.....रेल की पटरी...... क्रिकेट ......होंकी ..फूटबाल .....वोलीबाल .बास्केट बाल ........कुर्सी .टेबल...कम्प्यूटर .लेबटोप ..मोबाइल ....टायर .ट्यूब वगेरा कई ऐसे अलफ़ाज़ हैं जिनका हिंदी में उपयोग करके बताएं उनका कहना है के आप के हिंदी प्रेमी जब गेहूं पिसवाने जाते हैं तो वोह सीधे कहते हैं के हम आता पिसवाने जा रहे हैं .अगर ट्यूब पंचर होती है तो कहते हैं के टायर पंचर हो गया है .साइकल...मोटरसाइकल.....कार का नाम हिंदी में जब नहीं किया जाता तो कई बार मजबूरी में अगर कोई अपनी भाषा में अपनी बात आपको समझाना चाहता है तो आप उसकी बात समझने की जगह उसकी मात्राओं में गलतियाँ .उसके शब्दों में गलतिया और उसकी हिंदी की गलतियाँ निकालने बेठ जाते हैं भावनाओं को क्यूँ नहीं समझते .उनके इस पत्र को मेने पढ़ा .मेर और एस एम एस पढ़े लेकिन चुप रहा .आज फिर जब मुझे मेरे मित्र का एक लम्बा खड्डा रजिस्ट्री से मिला जिसमे लिखा था के डर गये क्या हिंदी से प्यार करते हो और डरते हो तो बस मुझे भी तेश आ गया और मेने प्रण किया के में भी इस पत्र को अपने तरीके से सार्वजनिक करूंगा ताके मुझे मेरे दुसरे भाइयों से इस बारे में ज्ञान मिले के इन सब अल्फाजों को हिंदी में क्या कहते हैं और में इन पत्र देने वाले हुज्जती भाइयों को इसका जवाब दे सकूं साथ ही मेरे हिंदी प्रेमियों द्वारा इन अल्फाजों की हिंदी अपने लेखों में आलेखों में देखूं ताके मेर गर्व से कह सकूं के में हिंदी प्रेमी मित्रों का दोस्त भाइयों का भाई हूँ जय हिंद जय भारत जय हिंदी .जय हिंदी राष्ट्रभाषा ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जी जनाबी कुछ सवालात मेरे हिदी प्रेमी दोस्त ने छोड़े हैं ............

दोस्तों हिंदी हमारी मात्र भाषा है अभी हाल ही में मेने हिंदी दिवस पर कुछ लोगों को हिंदी ज्यादा इस्तेमाल की सलाह दे डाली

विश्व के सबसे ताकतवर मुल्क के मुखिया ने 'युद्ध' के पहले ही डाल दिए हथियार !



वाशिंगटन। एक नए जनतम सर्वेक्षण में बहुसंख्यक अमेरिकियों ने बराक ओबामा से बस एक कार्यकाल तक ही राष्ट्रपति रहने की अपेक्षा की है। ऐसे में ओबामा ने अपने को एक कमजोर उम्मीदवार बताया है, क्योंकि खराब अर्थव्यवस्था 2012 में उनके पुनर्निर्वाचन की सम्भावनाओं को क्षीण कर रही है।

एबीसी न्यूज ने सोमवार को जब ओबामा से पूछा कि क्या खराब अर्थव्यवस्था के कारण नवम्बर 2012 में परिस्थिति उनके विपरीत रहेगी, तो ओबामा ने कहा, "निश्चितरूप से। मैं कमजोर हो रहा हूं। लेकिन दिन समाप्त होने पर लोग सवाल करते हैं- यह दृष्टि किसने दी?"

ओबामा ने कहा कि अमेरिकी जनता आज उतनी बेहतर स्थिति में नहीं है, जितनी बेहतर स्थिति में चार वर्ष पहले थी। ओबामा ने कहा, "बेरोजगारी दर बहुत ऊंची हो गई है।" नौ प्रतिशत की बेरोजगारी दर आधी से अधिक सदी के दौरान की सबसे ऊंची दर है।

रोजगार मंजूरी दर चूंकि 40 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है, लिहाजा ओबामा 2012 के चुनाव में बहुत कमजोर नहीं रहेंगे। लेकिन उन्होंने 2012 के चुनाव को 'मूल्यों और दृष्टियों' का एक चुनाव बताया, और कहा कि यह चुनाव इस मुद्दे पर एक जनमत संग्रह भी होगा कि क्या सरकार को शिक्षा व अधोसंरचना में दीर्घकालिक सुधारों में इस समय निवेश करना चाहिए या नहीं।

इस बीच एबीसी न्यूज/वाशिंगटन पोस्ट द्वारा किए गए एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार, मात्र 37 प्रतिशत अमेरिकी ही चाहते हैं कि ओबामा नवम्बर 2012 के चुनाव में पुन: निर्वाचित हों, जबकि 55 प्रतिशत अमेरिकी चाहते हैं कि रिपब्लिकन का कोई उम्मीदवार जीते।

डेमोक्रेट ओबामा की जीत तो चाहते हैं, लेकिन ऐसा चाहने वालों का प्रतिशत केवल 58-33 ही है, जो कि पार्टी के भीतर ओबामा के प्रति अपेक्षाकृत कमजोर भरोसे को जाहिर करता है। इसके विपरीत रिपब्लिकन में अपने उम्मीदवार के प्रति 83-13 प्रतिशत जीत का भरोसा है।

दैवीय आवाज़ें सुन अपने ही हाथों से निकाल डाली अपनी आंखें


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उत्तरी-पश्चिमी इटली के एक चर्चे में एक व्यक्ति ने अपने हाथों से अपनी आंखे बाहर निकाल डाली। व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया हैं।

घटना वियारेगिओं के सेंट एंड्रीया चर्च की है, जहां ब्रिटेन में जन्मे 46 वर्षीय एल्डो बिआनचीनी ने 300 लोगों से खचाखच भरे चर्च में प्रार्थना सभा के दौरान अपने ही हाथों से अपनी आंखें खींचकर बाहर निकाल डाली।

न्यूज एजेंसी ANSA के अनुसार बिआनचीनी ने बताया कि उसे कुछ देर से दैवीय आवाज़ें सुनाई दे रही थीं, जिनके आह्वान पर उसने अपनी आंखों की पुतलियों को नोंचकर बाहर निकाल दिया।

गंभीर रूप से घायल बिआनचीनी को वर्सिलीया अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है। डॉक्टरों के अनुसार उसकी जान को कोई ख़तरा नहीं है, फिर भी उसकी हालत काफी गंभीर बनी हुई है।
घटनास्थल पर तत्काल मदद के लिए आगे आए लोगों ने जमीन पर पड़ी उसकी आंखें तो उठा ली, लेकिन डॉक्टरों के अनुसार उन्हें लगाया नहीं जा सकता और बिआनचीनी अब कभी नहीं देख सकता।

प्रार्थना सभा को संबोधित कर रहे फादर लॉरेंज़ो टेंगानेली ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में किसी घटना में इतना खून बहते हुए नहीं देखा।

बिआनचीनी के पहचान वालों के अनुसार उसे पहले भी मनोवैज्ञानिक परेशानियों से प्रभावित देखा गया है।

वहां अमन क्या होगा ...चाँद शेरी के अशार ..

वहां पर अमन क्या होगा ..सुकून की बात क्या होगी
जहां बारिश लहू की हो ॥ वहां बरसात क्या होगी ॥
कभी मेरठ कभी दिल्ली कभी पंजाब में कर्फ्यू
भला इससे भी बिगड़ी सूरते हालात क्या होगी
जहां इंसाफ बिकता हो .जहां दोलत की पूजा हो
वहां ज़िक्रे वफा इंसानियत की बात क्या होगी
गरीबों को मयस्सर अब न रोटी है न कपड़ा है
ऐ आज़ादी तेरी इससे बढ़ी सोगात क्या होगी ॥
तुझे शेरी लहू देकर भी इसकी लाज रखनी है
वतन की आबरू पर जान की ओकात क्या होगी .....................संकलन .............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मणिपुर में पेट्रोल 200 रूपए प्रति लीटर और गैस 1,500


इम्फाल. मणिपुर में दो प्रमुख राजमार्गो पर पिछले दो महीने से चल रही नाकेबंदी की वजह से पेट्रोल,गैस और अन्य आवश्वयक वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। कालाबाजारी का आलम यह है कि पेट्रोल 200 रूपए प्रति लीटर और गैस 1,500 रूपए प्रति सिलेंडर तक बिक रहा है जिससे हर कोई परेशान है।

विश्व महिला बॉक्सिंग चैम्पियन मेरी कोम का कहना है कि इस विषम परिस्थति में वह किसी तरह ओलम्पिक की तैयारियां कर रहीं और लकड़ियों का इस्तेमाल कर खाना बना रही हैं।
दो बच्चों की मां कोम ने कहा,"लकड़ी जलाकर खाना बनाने में काफी समय लगता है और इस वजह से जीवन बहुत कठिन हो गया है। आर्थिक नाकेबंदी की वजह से गैस सिलेंडर बाजार में नहीं मिल रहा है। मैं लकड़ी जलाकर खाना बनाने को मजबूर हूं।"

कोम कहती हैं कि इस तरह की परिस्थति में ओलम्पिक को लेकर उनकी तैयारियों पर असर पड़ रहा है। पांच बार की महिला बॉक्सिंग विश्व चैम्पियन रहीं कोम उन हजारों लोगों में से एक हैं,जो इस वर्तमान आर्थिक नाकेबंदी की वजह से प्रभावित हैं। इन लोगों में रोजमर्रा की चीजों की इतनी ऊंची कीमत देने की क्षमता नहीं है।

शहर के सभी अस्पतालों में भी नाकेबंदी का खासा असर पड़ा है। गैस सिलेंडरों की उपलब्धता नहीं होने की वजह से अस्पतालों में ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं। बच्चों के खाने पीने की चीजें और जीवन रक्षक दवाएं लगभग समाप्त हो चुकी हैं।

दो राष्ट्रीय राजमार्गो पर नाकेबंदी की वजह से वाहनों की आवाजाही ठप्प है। मणिपुर को देश से जोड़ने वाली मुख्य सड़क दो जनजाति समूहों की आपसी लड़ाई की वजह से बंद है। ये लोग इलाके में नए जिले के गठन की मांग कर रहे हैं।

कुकी समुदाय एकतरफ जहां अल सादार हिल्स जिले की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ नागा समुदाय के लोग इसके लिए अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

दोनों समुदायों के बीच संघर्ष की वजह से आवश्यक खाद्य पदार्थो और दवाइयों से लैस सैकड़ों ट्रक नागालैंड और असम की सीमा पर रुके हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने दोनों राजमार्गो को अवरूद्ध कर रखा है।

इम्फाल के एक निवासी सुनील सिंह ने कहा,"बाजार में कालाबाजारी बढ़ गई है। एक लीटर पेट्रोल की कीमत 200 रूपए तक पहुंच गई है तो गैस सिलेंडर 1,500 रूपए में या उससे अधिक कीमत में मिल रहा है। चावल 60 से 70 रूपए प्रति किलो बिक रहा है।"

एक अन्य व्यक्ति बसंता सिंह ने बताया कि मणिपुर में लोगों का जीवन काफी दुभर हो गया है। ईंधन, गैस सिलेंडर और आवश्यक खाद्य पदार्थो की किल्लत हो गई है। व्यापारी मनमाना दाम वसूल रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि मणिपुर पूर्ण रूप से बाहर से आने वाली रसद सामग्री पर निर्भर करता है। देश के अन्य हिस्सों से आवश्यक वस्तुओं की खेप नागालैंड के रास्ते मणिपुर में पहुंचती है।

यदि सपने में दिखे ये तीन लोग तो समझ लें कुछ गड़बड़ होगी...




आज आमतौर पर नेता, मंत्री या अधिकारी के संबंध में लोगों की राय या सोच अच्छी नहीं है। आजकल बढ़ते भ्रष्टाचार के चलते सामान्यत: अधिकांश लोगों की नजर में नेता, मंत्री या अधिकारी बुराई के मार्ग पर चलने वाले ही हैं। कुछ लोगों की बुराई के कारण सभी पर अंगुलियां उठना एक स्वाभाविक बात है। ज्योतिष के अनुसार यदि सपने में नेता, मंत्री या अधिकारी दिखाई दे तब समझ लो कि भविष्य में आपके साथ कुछ गड़बड़ होने वाली है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भविष्य में होने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए कई प्रकार के संकेत बताए गए हैं। ये संकेत कई प्रकार के हो सकते हैं। इन संकेतों में सपनों का भी गहरा महत्व है। हमें जो भी सपने दिखाई देते हैं उनसे भविष्य में होने वाली संभावित घटनाओं की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

स्वप्न ज्योतिष के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के सपने में कोई नेता, मंत्री या अधिकारी दिखाई देता है तो इसे शुभ स्वप्न नहीं माना जाता है। ऐसे सपने अशुभ सपनों की श्रेणी में आते हैं, अत: भविष्य में इनके फल भी बुरे ही प्राप्त होने की संभावनाएं होती हैं।

स्वप्न ज्योतिष के अनुसार यदि किसी नेता, मंत्री या अधिकारी को सपने में मरा दिखाई तो यह जनता के राहत पहुंचाने वाला संकेत है।

यदि सपने में आप स्वयं को नेता, मंत्री या अधिकारी के भोजन करते देखें तो भविष्य में दुख मिलता है। घर-परिवार में झगड़े हो सकते हैं।

यदि सपने में कोई नेता, मंत्री या अधिकारी को किसी अधार्मिक स्थान पर दिखाई दे तो समझ लें कि जल्दी ही कोई बड़ी विपदा आने वाली है। कोई बड़ी धन हानि हो सकती है।

सौ बीमारियों की एक दवा है मूली



मूली को सलाद के रूप में सबसे अधिक पसंद किया जाता है। मूली सलाद व सब्जी दोनों के ही रूप में बहुत गुणकारी मानी जाती है।मूली में प्रोटीन, कैल्शियम, गन्धक, आयोडीन तथा लौह तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इसमें सोडियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन तथा मैग्नीशियम भी होता है। मूली में विटामिन ए भी होता है। विटामिन बी और सी भी इससे प्राप्त होते हैं। जिसे हम मूली के रूप में जानते हैं, वह धरती के नीचे पौधे की जड होती हैं। धरती के ऊपर रहने वाले पत्ते से भी अधिक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। सामान्यत: हम मूली को खाकर उसके पत्तों को फेंक देते हैं। यह गलत आदत हैं।

मूली के साथ ही उसके पत्तों का सेवन भी किया जाना चाहिए। इसी प्रकार मूली के पौधे में आने वाली फलियाँ 'मोगरभी समान रूप से उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक है। सामान्यत: लोग मोटी मूली पसन्द करते हैं। कारण उसका अधिक स्वादिष्ट होना है, मगर स्वास्थ्य तथा उपचार की दृष्टि से छोटी, पतली और चरपरी मूली ही उपयोगी है। ऐसी मूल वात, पित्त और कफ नाशक है। इसके विपरीत मोटी और पकी मूली त्रिदोष कारक मानी जाती है।मूली कच्ची खायें या इसके पत्तों की सब्जी बनाकर खाएं, हर प्रकार से बवासीर में लाभदायक है। गर्दे की खराबी हो सकती है।मूली खाने से मधुमेह में लाभ होता है।

एक कच्ची मूली नित्य प्रात: उठते ही खाते रहने से कुछ दिनों में पीलिया रोग ठीक हो जाता है। गर्मी के प्रभाव से खट्टी डकारें आती हो तो एक कप मूली के रस में मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है। मासिकधर्म की कमी के कारण लड़कियों के यदि मुहाँसे निकलते हों तो प्रात: पत्तों सहित एक मूली नित्य खाएं।मूली खाने से मधुमेह में लाभ होता है।रोज मूली खाने से शरीर की खुश्की दूर होती है।मूली के रस में नींबू का रस समान मात्रा में मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की रंगत निखरती है।त्वचा के रोगों में यदि मूली के पत्तों और बीजों को एक साथ पीसकर लेप कर दिया जाये, तो यह रोग खत्म हो जाते हैं।

संता ने एक बेहद खूबसूरत और सेक्सी महिला को देखा।


संता ने एक बेहद खूबसूरत और

सेक्सी महिला को देखकर

क्या सोचा होगा ? …..





सोचो ….. ?



सोचो …. ?





यही कि …

काश ! ये मेरी माँ होती तो मैं भी इतना ही सुन्दर होता … !!!

बेडरूम का सीन देख मोहल्ला रह गया अवाक, फूल गए हांथ-पांव!

रायपुर. खमतराई के शहीद नगर में अपनी पत्नी और उसके प्रेमी की हत्या के बाद आरोपी मोतीलाल सो नहीं सका। उसने अपने ही घर के बेडरूम में दोनों की लाशें गड़ा रखी थी। सोच-सोचकर उसकी नींद उड़ चुकी थी।

52 वर्षीय मोतीलाल पूर्व पत्नी 47 वर्षीय कुमारी बाई को छोड़ चुका था। उसके पांच बच्चे हैं। वह भी उसी मोहल्ले में रहती थी। मोतीलाल ने छह साल पहले 28 वर्षीय जानकी से दूसरी शादी की। जानकी की तीन बेटियां हैं। उसने पुलिस को दिए गए बयान में बताया कि 10 दिन पहले वह रात 12 बजे घर पहुंचा, तो दरवाजा बंद था। पीछे के रास्ते भीतर प्रवेश किया तो बेडरूम में पत्नी किसी दूसरे युवक के साथ सो रही थी। हंसिया और डंडा लेकर उसने दरवाजा खटखटाया।

जैसे ही पत्नी ने दरवाजा खोला, उसने हंसिए से उसके चेहरे और सिर पर वार किए। इसके बाद उस प्रेमी युवक पर भी हमला किया। डंडे से मारकर दोनों को बेहोश किया और फिर हंसिए से उनकी सांसें बंद होने तक वार किया। पूरा मोहल्ला इस दौरान सो रहा था। उसने उसी कमरे में कुदाल से गड्ढा खोदकर उन्हें रातोरात गाड़ दिया। इसके बाद घर में रखे सीमेंट की बोरी से उसने रात में ही फ्लोरिंग कर डाली। बच्चे तब तक सो रहे थे। उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगी।

बेडरूम में लाशें देखकर स्तब्ध रह गया मोहल्ला : बेडरूम में लाशें निकालने के लिए पुलिस को दो घंटे तक खुदाई करनी पड़ी। खुदाई से जब लाश का कुछ हिस्सा दिखा तो बदबू की वजह से लोग खुदाई छोड़ भाग खड़े हुए। कोई भी व्यक्ति खुदाई करने के लिए तैयार नहीं था। साढ़े 3 बजे दोनों लाशें दिखाई दी। पुलिस और मीडिया को देखकर ही आसपास जबर्दस्त भीड़ एकत्र हो गई। जब लाशें घर से बाहर निकाली गईं, तो पूरे इलाके में जबर्दस्त बदबू का आलम था। लोग शव देखकर स्तब्ध रह गए।

यह जिसने भी देखा कांप गया लेकिन होना तो था 'चमत्कार'

रायपुर / बिलासपुर.रायपुर बिलासपुर रोड पर मंगलवार को दोपहर 3:42 बजे दैनिक भास्कर के फोटो जर्नलिस्ट भूपेश केशरवानी को यह रोंगटे खड़े कर देने वाला दृश्य देखने को मिला।

एक ट्रक की ठोकर से एक बाइक सवार ट्रक के नीचे आ गया। देखने वालों का कलेजा मुंह को आ गया। लेकिन वे तब हैरत में पड़ गए जब बाइक सवार को सही सलामत ट्रक के नीचे से निकाल लिया गया। उसे इस घटना में बहुत मामूली चोट आई। दहशत अलबत्ता देर तक बरकरार रही।

1- ट्रक की ठोकर से बाइक सवार ट्रक के नीचे आ गया। बाइक छिटक गई। बाइक सवार ने मदद के लिए आवाज लगाई।

2- उसने लोगों की ओर हाथ फैलाए। इस बीच लोगों ने ट्रक वाले को रोका कि वह ट्रक जहां के तहां खड़े रहने दे।

3-लोगों ने बाइक सवार के हाथ पकड़े और उसे बाहर खींच लिया। तत्काल 108 पर फोन किया गया। थाने को खबर की गई।


4-घटना से बाइक सवार सहम गया। जान बचाने के लिए उसने भगवान से मदद करने वालों का भी शुक्रिया अदा किया।




अक्टूबर के आखिर में धरती पर फिर गिरेगा ढाई टन का रोसैट सेटेलाइट




लंदन. एक और उपग्रह धीरे-धीरे पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। उम्मीद है कि वह पृथ्वी पर इस माह के अंत या नवंबर की शुरुआत में गिरेगा। ‘रोसैट’ नाम का यह उपग्रह जर्मनी का है।
जर्मन वैज्ञानिकों ने इस बात की जानकारी दी है। हालांकि जर्मनी का यह उपग्रह यूएआरएस से छोटा है। यूएआरएस अपर एटमॉसफियर रिसर्च सेटेलाइट छह टन का था, जबकि रोसैट का वजन मात्र ढाई टन है। इसका प्रक्षेपण 1990 में किया गया था। यह सेटेलाइट 1998 में निष्क्रिय हो गया था।
जानकार मानते हैं कि यूएआरएस की तुलना में जर्मन सेटेलाइट से ज़्यादा टुकड़े टूटकर धरती पर गिरेंगे। जर्मन स्पेस एजेंसी का कहना है कि सेटेलाइट के 30 टुकड़े धरती पर गिरेंगे। जर्मन स्पेस एजेंसी ने कहा है कि इस सेटेलाइट के टुकड़ों के किसी शख्स पर गिरने की संभावना 2000 में 1 के बराबर है। जबकि नासा के सेटेलाइट यूएआरएस के टुकड़ों की किसी व्यक्ति पर गिरने की संभावना 3,200 में 1 के बराबर थी।

कुछ दिनों पहले ही अमेरिका का यूएआरएस सेटेलाइट धरती पर आकर गिरा था। हालांकि, यूएआरएस के धरती पर गिरने से जानमाल का नुकसान नहीं हुआ था।

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