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05 अक्तूबर 2011

विजयादशमी की हार्दिक बधाई

आज दस सर वाले विद्वान राक्षस रावण की म्रत्यु का दिन है आज के ही दिन रावण के काले शासन से लोगों को मुक्ति मिली थी .....धार्मिक रीतिरिवाज और परम्पराओं के कारण दोस्तों आप सभी भाइयों और बहनों फेसबुक दोस्तों दोस्तानियों को बधाई .सलाम ,आदाब , सत्सिरिकाल .लेकिन दोस्तों आज महंगाई,,भुखमरी..भ्रस्ताचार..साम्प्रदायिकता.भाषावाद ..मक्कारी ..राष्ट्रद्रोहिता ..आतंकवाद .कामचोरी .राजनितिक साजिशें जेसे दस सर वाले रावण इस देश को तबाह और बर्बाद कर रहे हैं क्या हम और आप मिलकर इस रावण का वध कर सकेंगे क्या हम और आप ऐसे रावन का वध करना चाहते है अगर हाँ तो उठो दोस्तों संकल्प लो के आज के बाद हर चुनाव में सभी वोट डालेंगे और ऐसे व्यक्ति को वोट डालेंगे जो इमानदार होगा ..प्रतियों और बाहुबलियों के दबाव भैभ्तिजेवाद के प्यार में हम लोकतंत्र को बर्बाद नहीं करेंगे ..आओ दोस्तों हम संकल्प लें के आज के बाद घर बाहर सड़क दफ्तर या कहीं भी कुछ भी गलत होता हुआ देखेंगे उसके खिलाफ लड़ेंगे सम्बंधित अधिकारी और उच्च अधिकारी को शिकायत करेंगे अपने जेसे लोगों का एक गुट बनाकर नियम कायदे तोडकर देश को लुटने वाले लोगों के खिलाफ हम उन्हें रावण समझ कर उन पर हमला बोलेंगे क्या कर सकेंगे हम ऐसा ...अगर हाँ.... तो दोस्तों आप सभी को एक बार फिर विजयादशमी की हार्दिक बधाई ..रावण वध की खुशिया आपको रास आयें राम राज्य एक बार फिर से आये बस यही दुआ है खुदा से ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

उत्तरी ध्रुव पर हुआ ओजोन होल

न्यूयॉर्क। वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तरी ध्रुव पर पहली बार ओजोन की पर्त इतनी तेजी से गायब हुई है कि इसे "ओजोन होल" कहा जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जमीन के 20 किमी ऊपर के हिस्से में ओजोन की अस्सी प्रतिशत पर्ते गायब हो गई थीं।

इसकी वजह थी कि ऊंचे स्थानों पर सर्द मौसम लंबे समय के लिए मौजूद रहा। ठंड में ओजोन की पर्तों को नष्ट करने वाला क्लोरीन रसायन बहुत अधिक सक्रिय होता है। हालांकि इससे संबंधित आंकड़े पहले प्रकाशित हो चुके हैं, लेकिन पूरा विश्लेषण पहली बार छपा है।

ओजोन की पर्तो को नष्ट करने वाले क्लोरोफ्लोरोकाबर्स फ्रिज और अग्निशामक यंत्रों के इस्तेमाल से बाहर आते हैं। इनका प्रभाव सबसे पहले दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र में दर्ज किया गया था। ओजोन की पर्ते सूरज से निकलनेवाली तेज किरणों (अल्ट्रावॉयलेट) को रोकती हैं।

इट इज नॉट' लिखकर भी बेच देते थे 'जहर'!

जयपुर.दिल्ली बाईपास पर मानबाग में पुलिस ने बुधवार को तीन हजार नकली घी पकड़ा है। इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा तीन नाबालिग भी पकड़े हैं जो कारखाने में नकली घी बना रहे थे। आरोपी छह माह से नकली घी बनाकर पंजाब, हरियाणा तथा शेखावाटी इलाके में सप्लाई कर रहे थे।

पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी मुख्य सरगना गगन गुप्ता (34) तथा सहयोगी भूपसिंह कुशवाह (28) मूल रूप से मप्र के ग्वालियर के रहने वाले हैं। इन्होंने छह माह पहले ही मकान किराए पर लिया था।

अभी ये ब्रह्मपुरी इलाके के गोविंद नगर में रहते हैं। पुलिस को कारखाने में अनिल कुमार, विक्की, मुकेश व तीन बाल अपचारी नकली घी बनाते मिले। आरोपी मैसर्स श्याम फूड प्रोडक्ट के नाम से मुरली मिलन ब्रांड का नकली घी तैयार कर रहे थे।

जिनको बाजार में 15 लीटर, दो लीटर, एक लीटर तथा आधा लीटर के पैक में सप्लाई किया जाता था। आरोपियों ने पैकिंग पर देशी घी मोटे अक्षरों में लिख रखा था। इसके नीचे छोटे अक्षरों में इट इज नॉट लिखा था।

जो किसी को दिखाई ही नहीं देता था। कोई भी व्यक्ति इसे खरीदता तो देशी घी ही समझता था। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि सप्ताह में तीन चार दिन नकली घी बनाते और दो तीन दिन इनको सप्लाई करते।

तीन हजार लीटर तैयार नकली घी मिला:

पुलिस ने दिल्ली बाइपास पर मानबाग स्थित प्लाट नंबर 97, 98 पर दबिश दी तो पॉम ऑयल, वनस्पति घी एवं एसेंस के मिश्रण से नकली घी तैयार कर पैकिंग की जा रही थी।

फैक्ट्री में 1875 किलो ग्राम पॉम ऑयल, तीन हजार लीटर तैयार नकली घी तथा 1125 किलो नकली घी भट्टी पर तैयार किया जा रहा था। पैकिंग मैटेरियल, खाली टिन व अन्य सामान पुलिस ने जब्त किए। बाद में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने नकली घी के सैंपल लिए।

चेयरमैन की दबंगई तो देखिए ऑफिस में घुस एमडी पर बरसाए लात-घूंसे

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कोटा.कोटा सरस डेयरी के एमडी व चेयरमैन के बीच चल रहा विवाद बुधवार को सारी हदें पार कर गया।चेयरमैन श्रीलाल गुंजल ने अपने साथियों के साथ मिलकर एमडी एमपी चौधरी को उनके ऑफिस में ही घसीट-घसीटकर पीटा। कर्मचारियों ने उन्हें बमुश्किल छुड़ाया। बाद में गुंजल अपने समर्थकों के साथ चले गए।

एमडी चौधरी ने गुंजल व उनके खिलाफ राजकार्य में बाधा डालने व मारपीट का मामला दर्ज कराया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दोपहर 1 बजे कुछ समितियों के व्यवस्थापक एमडी चौधरी से दूध सप्लाई के मानदेय को लेकर मिलने आए। उनका कहना था कि बैंक से रकम निकालने में शाम हो जाती है, इसलिए मानदेय नकद देना चाहिए। उनके साथ गुंजल समर्थक महावीर व राधाकिशन भी मौजूद थे।

समर्थकों की डेयरी के एमडी से कहासुनी हो गई। चौधरी का कहना है कि गुंजल और उसक समर्थकों ने उन्हें मारा-पीटा। उधर, गुंजल ने कहा कि एमडी ने व्यवस्थापकों को भला-बुरा कहा और उनपर कुर्सी उठाकर फेंकी

व्यवस्थापक भड़क गए और उन्होंने एमडी के साथ मारपीट की। जब मैं पहुंचा तो मारपीट हो रही थी, मैंने उन्हें छुड़ाने का प्रयास किया। मैंने कोई मारपीट नहीं की।

इसी दौरान चेयरमैन गुंजल अपने कक्ष से तेजी से एमडी के कक्ष में आए और वहां रखा पानी का मग उठाकर एमडी की तरफ फेंका। इसके बाद गुंजल ने चौधरी के साथ मारपीट शुरू कर दी। पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है।

चौधरी ने कहा कि श्रीलाल गुंजल ने उनसे मारपीट की, जबकि गुंजल का कहना है कि गलत तरीके से चेयरमैन बने हैं। दो साल से लगातार वे दबाव बनाना चाह रहे हैं। उनके पास कोई अधिकार नहीं हैं। वे डेयरी में अपनी गुंडागर्दी चलाना चाहते हैं, जिसमें वे सफल नहीं हो पा रहे थे। इसी के चलते उन्होंने प्री प्लान यह हमला किया है। हमले के पीछे उनकी मंशा है कि डेयरी में उनका खौफ रहे और जैसा वे चाहते हैं, वैसा ही काम हो

एक लख पूत, सवा लख नाती, लकड़ी दीन्ही न कोई

कितनी अजीब और चौंका देने वाली बात है कि त्रेता युग में इतने बड़े वंश के स्वामी रावण की चिता पर कोई लकड़ी डालने वाला नहीं था। ..और आज उसी रावण को बनाने वाले लाखों हैं, जलाने वाले करोड़ों।

एक बड़ा सीधा-सा सवाल है कि लंका तो हनुमान जला आए थे, फिर राजतिलक में विभीषण को राम ने कौन सी लंका सौंपी? जली हुई या मरम्मत करवाई हुई? जवाब उतना ही आसान.. कि ताप पाकर सोना जलता नहीं, उसमें और निखार आता है।

कितना बड़ा कूटनीतिज्ञ था रावण- कि त्रेता से इस युग तक हर बार, हर समय, हर मौके पर उसे मारने वाले भी उसकी लंका को नहीं जला पाए।

नतीजा देखिए- हर आमोखास के पास आज भी अपनी लंका है। सोने जैसी सुहानी जो है। सरकारों के पास अपने दंभ की लंका। मंत्रियों के पास अपने अहम् की लंका। किसी के पास धन की लंका।

किसी के पास आचार की, किसी के पास विचार की और किसी के पास भ्रष्टाचार की। सबके सब रावण को जलाते हैं। उसकी लंका को कोई जलाता-फूंकता नहीं।
खैर, दशहरे के एक दिन पहले शहर के कुछ कोनों पर निकले तो हर तरफ लंका नजर आई। सैकड़ों की तादाद में रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद खड़े दिखे। जैसे फसल लहलहा रही हो। दंभ की। अहम् की। मोह-माया की।

रामायण लिखकर महाकवि तुलसीदास तो अमर हो गए, पर जालौर का तुलसीराम पेट पालने के लिए न्यू सांगानेर रोड (मानसरोवर) पर रावण बनाकर बेच रहा है। वह अलग-अलग रावणों की कीमत बता रहा था और उसका परिवार कभी अंगद की तरह डटा हुआ, कभी मंदोदरी की तरह संकोची, तो कभी उन ऋषियों की तरह मोहताज था, जिनकी कन्या (मंदोदरी) को छीनकर रावण ने अपनी भार्या बना लिया था। (एक क्षेपक के अनुसार कुछ ऋषियों ने अपनी जान बचाने वाली मेंढक को जिस कन्या का रूप दिया, वही मंदोदरी कहलाई।)

इस लंका की गंध भी अलग ही थी। हम गरीबों के घरों की तरह। चारपाइयों के नीचे घुसाकर रखे हुए ट्रंकों और टीनों की तरह हर समय छिपकर बैठी हुई भी। खूंटियों, रस्सियों पर लटकते कपड़ों की तरह निशंक भी.. और राम या हनुमान के कैलेंडरों की तरह दीवारों पर लटकी हुई भी।

रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद की अपनी अलग-अलग विशेषताएं थीं। रावण की नाभि में अमृतकुण्ड था। कुम्भकर्ण छह महीने सो कर एक दिन जागता था और इस एक दिन की आहट से ही पृथ्वी-पाताल कांपते थे।

वह तो भला हो मां सरस्वती का, जो जिह्वा पर बैठ गईं वरना छह महीने जागने का वरदान मांग लिया होता तो जाने क्या होता! मेघनाद को वही मार सकता था जो १४ साल तक सोया न हो और इतने ही समय ब्रह्मचर्य का पालन किया हो। लेकिन इस लंका में जहां ये तीनों बिक रहे थे, ज्यादा फर्क नहीं था। न बनाने वाले मानते, न खरीदने वाले। जो बड़ा- वो रावण। उससे छोटा कुम्भकर्ण और सबसे छोटा मेघनाद। मोटा फर्क ये दिखा कि हर रावण के दस शीश थे और बाकी दोनों के एक-एक।

हमारी सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था देखिए कि जो रावण बिकने से बच जाता है उसे खुद बनाने वाले ही जला देते हैं। क्यों, का जवाब ये आया कि जिस बांस से रावण बन गया, उसे फिर कोई खरीदता नहीं। कोई किसी काम में नहीं लेता। ज्यादा सोचें तो ख्याल आता है कि ऐसा रावण जलाना ही क्यों? ..और बनाना भी क्यों, जो आखिर में बचकर अपनी ही पूंजी को फुंकवा दे। खैर, रावण मंडी से निकलते-निकलते इस सोच पर भी मिट्टी डल गई। मैयत की मिट्टी में आखिरी मुट्ठी की तरह।

दो पहियों पर खड़ा हुआ ट्रक, भाग खड़े हुए ट्राइवर!


जयपुर.विश्वकर्मा इंडस्ट्रियल एरिया में बुधवार दोपहर स्टील शीट से भरे ट्रक को पीछे लेते समय ट्रक आगे से ऊपर उठ गया। ट्रक पांच घंटे तक इसी अवस्था में खड़ा रहा। चालक व परिचालक ट्रक को छोड़कर भाग गए।

घटना के अनुसार कटारिया ट्रांसपोर्ट कंपनी का ट्रक विशाखापट्टनम से स्टील की शीटें भरकर जयपुर आया था। रोड नंबर 12 स्थित गोदाम में खाली करने के लिए ट्रक को पीछे लिया जा रहा था।

इसी दौरान ट्रक आगे से ऊपर उठ गया। ट्रक को आगे से ऊपर उठता देखकर लोग हक्के-बक्के रह गए। मोटरसाइकिल चालक घबरा कर नाली में गिर गया। ट्रांसपोर्ट कर्मचारियों ने ट्रक से स्टील शीटों को उतार कर क्रेन की सहायता से ट्रक को नीचे किया।

'25 साल से गहलोत ही हैं कांग्रेस का चेहरा, असर तो दिखेगा ही'

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जयपुर.प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चंद्रभान का मानना है कि पिछले 25 साल से किसी न किसी रूप में अशोक गहलोत ही राजस्थान कांग्रेस का चेहरा बने हुए हैं। वे तीन बार पीसीसी प्रेसिडेंट रहे। दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। जब वे सीएम नहीं रहे, तब वे एआईसीसी में जनरल सेक्रेटरी रहे। इतने साल तक संगठन में उनका वर्चस्व रहा। कार्यकर्ताओं से जुड़ाव भी सबसे ज्यादा उनका ही रहा।

पीसीसी की नई कार्यकारिणी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वर्चस्व के मुद्दे को लेकर जब भास्कर ने बुधवार को चंद्रभान से बातचीत की तो उन्होंने अपनी मान्यता काफी साफगोई से रखी और कहा कि उनका अपना कोई गुट या खेमा नहीं है।

उन्होंने सभी के लोगों को लेकर अपनी टीम बनाई है। उनका यह भी मानना है कि 25 साल से हाईकमान ने भी गहलोत को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है। लिहाजा, उनका असर तो दिखेगा ही।

चंद्रभान ने कहा कि उन्होंने यह नहीं देखा कौन किसके नजदीक है, सिर्फ ऐसे लोगों को चुना है, जो पार्टी के लिए अच्छा कर सकते हैं और पिछले कई साल से सक्रिय हैं। संगठन के प्रति निष्ठावान को भी महत्व दिया गया है।

चंद्रभान ने कहा कि प्रदेश कार्यकारिणी में युवाओं को पूरा मौका मिला है और सभी वर्गो का प्रतिनिधित्व है। नए पदाधिकारियों में अधिकतर युवा होने से कार्यकारिणी की औसत आयु 45 साल है।

मंत्रियों की लगेगी क्लास

पीसीसी ने अब मंत्रियों की क्लास लगाने की तैयारियां कर ली हैं। पिछले कई साल बाद पहली बार पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होगी। इसमें राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य भी शामिल होंगे।

जल्द ही संभावित यह बैठक सुबह से देर शाम तक होगी। इस आशय का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को पीसीसी अध्यक्ष की ओर से भेज दिया गया है। पिछली कार्यसमिति तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष बीड़ी कल्ला के समय हुई थी।

भागीदारी से बढ़ेगी कार्यकुशलता

डॉ. चंद्रभान ने कहा कि बोर्ड-निगम फिलहाल आईएएस अफसर चला रहे हैं, जो उचित नहीं है। अब हमारे वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को सत्ता में भागीदारी मिलनी चाहिए। पहले ही काफी देर हो चुकी है।

अफसरों की जगह कार्यकर्ता और अनुभवी लोग आएंगे तो वे अच्छा काम करेंगे। इससे सरकार की कार्यकुशलता निश्चित रूप से बढ़ेगी। यह काम जितना जल्द हो, उतना ही अच्छा है।उन्होंने संकेत दिया कि कार्यकारिणी के गठन के बाद बोर्ड और निगमों में नियुक्तियों के काम को पूरा करना जरूरी है।

सूरत में है 150 साल पुराना यह सबसे अनोखा 'कुरान'



सूरत।सूरत के रांदेड़ में रहने वाली हव्वाबीबी के पास मौजूद इस कुरान शरीफ का आकार सिर्फ 2.3 सेमी है। यानी की पौन इंच के लगभग।

हव्वाबीबी परिवार के पास यह कुरान शरीफ पिछले डेढ़ सौ वर्षों से है। हव्वाबीबी के अनुसार उनकी दादीसासु रहीमाबीबी को यह कुरान उनके माता-पिता ने निकाह के वक्त दी थी। रहीमाबीबी मूल रंगून की रहने वाली थीं।

हव्वाबीबी और उनकी बेटियां इस पाक कुरान शरीफ को नीलाम करने का विचार कर रही हैं। इस नीलामी द्वारा जो रकम प्राप्त होगी उसे वह समाज की गरीब लड़कियों की पढ़ाई के लिए दान कर देंगी।

विजयादशमी 6 को, मनाएं अन्याय पर न्याय की जीत का पर्व सभी भाइयों को इस अवसर पर बधाई खुदा करे अपने मन का और आसपास का रावण भी जल्दी ही मर जाए

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आश्विन मास के शु्क्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी यानी दशहरा पर्व मनाया जाता है। विजयादशमी अर्थात् देवी की विजय का पर्व। यह श्रीराम की रावण पर एवं माता दुर्गा की शुंभ-निशुंभ आदि असुरों पर विजय के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाला पर्व है। परंपरा के अनुसार इसे हम बुराई पर अच्छाई की विजय के पर्व के रूप में मनाते आए हैं। इस बार यह पर्व 6 अक्टूबर, गुरुवार को है।

विजयादशमी शक्ति की उपासना का पर्व है। शक्ति का अर्थ है - बल, सामथ्र्य और पराक्रम। हर व्यक्ति अपनी शक्ति का उपयोग अलग प्रकार से करता है। दुर्जन व्यक्ति ज्ञान का प्रयोग व्यर्थ विवाद या बहस में, धन का उपयोग अहं के दिखावे में, बल का प्रयोग दूसरों को पीड़ा पहुंचाने में करते हैं। इसके विपरीत सदाचारी व्यक्ति अपनी शक्ति का प्रयोग ज्ञान प्राप्ति, दूसरों की सेवा में एवं अपने धन का उपयोग अच्छे कार्यों में करते हैं। इस प्रकार शक्ति इंसान में कर्म, उत्साह और ऊर्जा का संचार करती है इसीलिए इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की रावण पर विजय सत्य की असत्य पर, धर्म की अधर्म पर एवं न्याय की अन्याय पर विजय थी।

भगवान राम ने जगत को संदेश दिया कि दुष्ट और अत्याचारी कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, किंतु शक्ति का दुरुपयोग अंत में उसके ही विनाश का कारण होता है। यह पर्व हमारें मन में विजय का भाव जगाता है एवं अपनी ज्ञान एवं विवेक रूपी शक्तियों का जागरण कर अपने अज्ञान रूपी अंधकार और स्वभाविक विकारों - काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह और मात्सर्य पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देता है।

आंखें व आंसू हमारे व्यक्तित्व को व्यक्त करते हैं


आदमी दुखी होने पर भी रोता है, संवेदनशील हो और खुशी जाहिर करनी हो, तब भी उसकी आंखें सजल हो उठती हैं। आंख और आंसू भीतरी व्यक्तित्व को व्यक्त करते हैं। इसीलिए पहुंचे हुए महात्मा की आंख में आंख डालने का मौका मिले तो तप के क्या परिणाम होते हैं, यह जानने की कोशिश की जाए। जैसे नवजात शिशु की आंख निर्दोष होती है, वैसे ही संत की आंखों में परमात्मा की गहराई होती है और आंसू होते तो आंख का हिस्स हैं, पर धोते हृदय को हैं।

विभीषण से बात करते हुए सुंदरकांड में हनुमानजी द्रवित हो गए। उन्होंने श्रीराम के कृपालु चरित्र का वर्णन किया और तुलसीदासजी ने लिखा - अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर। कीन्ही कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर।। (सुंदरकांड दोहा-७) हे सखा! सुनिए, मैं ऐसा अधम हूं, पर श्रीराम ने तो मुझ पर भी कृपा ही की है। भगवान के गुणों का स्मरण करके हनुमानजी के नेत्रों में जल भर आया। लेकिन भगवान को याद करके जब आंसू निकलते हैं तो वह अमृत होते हैं और दुनिया की याद में जो बहाए जाते हैं, वो जहर होते हैं।

आंख के आंसू भक्ति में जरूर बहना चाहिए, क्योंकि जिनकी आंख के आंसू सूख गए, उनके लिए भक्ति कठिन होगी। आंसू हृदय को न सिर्फ धोते हैं, बल्कि उन बातों से ओतप्रोत रखते हैं, जो उन्हें परमात्मा तक ले जाती हैं, जो हमें प्रेमपूर्ण बनाती हैं। इसलिए अकारण आंसू न रोकें, लेकिन इतना आश्वासन जरूर अपनी आंखों को दें कि आंसू भगवान से जुड़ने के लिए सेतु का काम करेंगे, प्रेम का भाव प्रदर्शित करने की इबारत बनेंगे।

लो आ गया 3 हजार रुपए वाला टेबलेट कंप्यूटर


नई दिल्लीः भारत ने दिखा दिया है कि वह टेक्नोलॉजी में किसी से कम नहीं है। उसने आखिरकार दुनिया का सबसे सस्ता टेबलेट कंप्यूटर आकाश पेश कर दिया। बुधवार को राजधानी दिल्ली में यह टेबलेट उतार दिया गया। इस टेबलेट की कीमत 35 डॉलर छात्रों के लिए है लेकिन जनता को यह 2,999 रुपए में मिलेगा। इसे बनाया है यूके की कंपनी डेटाविंड ने। उसके सीईओ भारतीय मूल के नागरिक सुनीत सिंह तुली ने कहा कि यह रिटेल स्टोर में जल्दी ही उपलब्ध हो जाएगा। इस टेबलेट कंप्यूटर में इनबिल्ट सेलुलर मोडेम और सिम होगा जिससे इंटरनेट एक्सेस किया जा सकेगा। लेकिन यह महंगे वाले मॉडल में होगा। सरकार द्वारा छात्रों को दिए जाने वाले मॉडल में यह नहीं होगा। दोनों ही संस्करण गूगल के ऐंड्रायड प्लेटफॉर्म पर आधारित होंगे। इनमें इंटरनेट कनेक्शन के लिए वाई फाई की सुविधा होगी। इनमें 256 एमबी रैम होगा और 32 जीबी तक की मेमरी होगी।

ताजमहल के वजूद पर खतरा! 5 सालों में ढह जाने की आशंका

लंदन. अगर तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले पांच सालों में 358 साल पुराना ताजमहल गिर जाएगा। जानकारों का कहना है कि अगर ताजमहल की सड़ती बुनियाद को दुरुस्त नहीं किया गया तो लाखों सैलानियों को अपनी तरफ खींचने वाली यह इमारत जल्द ही इतिहास का हिस्सा होगी।

भारत में ताजमहल को देखने सबसे ज़्यादा लोग आते हैं। हर साल करीब चालीस लाख लोग दुनिया के आश्चर्यों में शामिल इस इमारत को देखते हैं। लेकिन ताजमहल के ठीक पीछे बहने वाली नदी यमुना में लगातार बढ़ता प्रदूषण, उद्योग और जंगलों के कटने की वजह से ताजमहल के वजूद पर संकट खड़ा हो गया है। जानकारों का कहना है कि पिछले साल ही ताजमहल की चार मीनारों और गुंबद में दरारें देखी गई हैं। इसके साथ ही ताजमहल की बुनियाद भी लगातार कमजोर हो रही है। ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था।

एक कैंपेन ग्रुप ताजमहल के वजूद पर खतरे का आकलन कर रहा है। इस समूह में इतिहासकार, पर्यावरणविद और राजनेता शामिल हैं। आगरा के सांसद रामशंकर कठेरिया के हवाले से ब्रिटिश अख़बार 'डेली मेल' ने कहा है कि अगर ताजमहल पर ध्यान नहीं दिया गया तो दो से पांच साल के भीतर ताजमहल भरभराकर गिर जाएगा। कठेरिया के मुताबिक, 'ताजमहल की मीनारों के गिरने का खतरा बढ़ता जा रहा है, क्योंकि इसकी बुनियाद लकड़ी की बनी हुई है और यह पानी की कमी के चलते सड़ रही है।'

कठेरिया ने आगे कहा, 'ताजमहल की बुनियाद पिछले तीन दशकों में किसी ने नहीं देखी है। अगर सब कुछ सही है तो वहां किसी को जाने क्यों नहीं दिया जा रहा है?' ताजमहल पर शोध कर चुके इतिहासकार राम नाथ ने कहा, 'ताजमहल यमुना नदी के बिल्कुल किनारे है, लेकिन इसकी जड़ों में पानी सूख चुका है।' रामनाथ ने कहा, 'इस बात का अनुमान इसके निर्माताओं ने कभी नहीं किया होगा। यमुना नदी ताजमहल के वास्तु का एक अहम हिस्सा है। अगर नदी के वजूद पर संकट आता है तो ताजमहल टिक नहीं सकता है।'

कहते हैं कल रावण वध है .................

जी हाँ दोस्तों बुराई पर अच्छाई की जीत .....अन्याय पर न्याय की विजय का प्रतीक रावण दहन पुरे देश में कल उसका वध कर किया जाएगा हर जगह राजनीति से जुड़े लोग जिनपर भ्रष्टाचार और अन्याय अत्याचार के सेकड़ों आरोप होंगे वही रावण का वध कर उसके दहन की परम्परा को आगे बढ़ाएंगे ...................जी हाँ दोस्तों आप देख लोग हर साल हमारे देश में बुराई पर अच्छाई की जीत की इस धार्मिक परम्परा को प्रेक्टिकल कर सिखाया जाता है .....अधिकतम धर्म से जुड़े लोग जो घंटो पूजा पाठ में अपना वक्त लगाते हैं .धर्म के नाम पर कट्टर पंथी की बातें कर समाज को ज़हर घोल हिस्सों में बांटते हैं वही लोग रावण की परम्परा को आगे बढ़ते है .अभी हम देश की राजनीति को ही देख लें टू जी स्पेक्ट्रम से लेकर शक्कर घोटाले ..क्रिकेट घोटाले .....कोमन वेल्थ घोटाले से लेकर महिलाओं का अपहरण कर उनकी हत्या करने वाले मंत्रियों की पोल खुलने के बाद भी वोह जनता के सामने शेर बन कर घूम रहे हैं सारे सुबूत सारे हालात उनके खिलाफ है लेकिन यह रावण हैं के मानते ही नहीं कोई सद्भावना यात्रा निकालता है ,,,,तो कोई रथयात्रा निकालता है कोई उपवास यात्रा निकालता है कोई भ्रस्टाचार मुक्त भारत को घोषित करवाने की यात्रा निकालता है और जनता है के इन रावणों के आगे सिसक सिसक कर दम तोडती हैं इन रावणों ने देश की खुश हाली ..सुख शांति .तरक्की ...अमन सुकून .भाईचारा सद्भावना .संस्क्रती .ईमानदारी सभी को सीता माता की तरह हरण कर लिया हैं हमारे देश में रावण तो हैं लेकिन राम कोई बन नहीं पा रहा है चारो तरफ जिधर जिस पार्टी में नज़र उठाकर देखो रावण ही रावण नज़र आते है और अफ़सोस जो रावण जितना बढा है वही सत्ता में रहकर मेले दशहरे के बुराई के प्रतीक रावण का वध कर उसे जलाने की परम्परा निभाता है सब जानते है रावण का वध राम ने किया था लेकिन उसके शव का अंतिम संस्कार राक्षसों ने किया था और बस रावण का दहन भी राक्षस ही कर रहे हैं हालात यह हैं के राम राज रावण राज में खो गया है और आज या भविष्य में कोन राम बन कर इस रावण से जनता और देश को छुटकारा दिलाएगा इस सवाल का जवाब भविष्य के भूगर्भ में छुप गया है ..............तो जनाब दुआ करो फिर से बने कोई राम फिर से अवतार ले कोई राम जो वध करे देश के इस रावण का ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

चेतावनी- 18 से कम उम्र और कमजोर दिलवाले न देखें- चीनियों की नृशंसता



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चीन और क्रूरता, नृशंसता एक दूसरे का पर्याय हैं। आपको यह सुनकर हैरत हो रही होगी लेकिन सच यही है।

चीन में नकली 'अग' जूते बनाने के लिए रेकान कुत्तों (विशेष प्रजाति के कुत्ते जो चीन मे पाये जाते हैं) का बेरहमी से इस्तेमाल करने का खुलासा हुआ है। चीनी अग जूते बनाने के लिए रेकान कुत्तों को बुरी तरह पीटते हैं फिर जिंदा कुत्तों से बेरहमी से खाल निकाल लेते हैं।
इस घटनाक्रम से जुड़ा एक वीडियो पशुअधिकारों के लिए सक्रिय कार्यकर्ताओं ने एक वीडियो फिल्माया है। जो इस समय वेब पर सुर्खियों में बना हुआ है।

चीनी जीवित रेकान प्रजाति के कुत्तों से खाल निकालने के बाद फेंक देते हैं। फिर कुछ घंटों पर दर्द से तड़पते इन बेजुबानों की वीभत्स मौत हो जाती है।

ओरिजनल अग बूट्स आस्ट्रेलिया में शीपस्किन से मानवीय तरीके से बनते हैं लेकिन इनकी कीमत 250 डॉलर के आस-पास होती है। जबकि चीन में बने नकली अग जूते सस्ते होते हैं। विशेषकर यूके में ये जूते छाए हुए हैं।

ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल द्वारा की गई जांच के बाद डायरेक्टर वेरना सिंपसन ने बताया कि आस्ट्रलियन अग जूतों जैसे रैकॉन कुत्तों की खाल से बने अग जूते मिले हैं।

'रहस्यमयी बाबा' का अनोखा चमत्कार, साबुन-पानी से छापते हैनोट



रजरप्पा । बड़ी बड़ी दाढ़ी और जटाओं के बीच काले कपड़े में लिपटे औघड़ एक छोटे से जग में पानी और साबुन के घोल से नोटों की धुलाई कर कभी 50 तो कभी 100 की नोट निकालकर लहराते है।


फिर 50, 100 और 500 सहित दस बीस के नोट भी एक साथ निकालकर हवा में लहराने लगते है। यह नजारा प्रसिद्ध सिद्धपीठ रजरप्पा मंदिर स्थित दामोदर भैरवी संगम में साधना के लिए पहुंचे एक औघड़ दिखा रहे है।


लोगों का हुजूम लगा हुआ है और औघड़ अपने कारनामे में व्यस्त हैं। कई तरह के आसन भी करते है। इन्हें ब्लैक बम बम औघड़ महाराज मसानी बाबा कहते हैं। बाबा जितना देखने में रहस्यमय है उतना ही भीतर से भी रहस्यमय हैं।


वे कहां से आए है और कब साधना और सिद्धि करते है यह अपने आप में रहस्य है। कहां से आए है यह पूछने पर कहते हैं कि कामरूप कामाख्या, छिन्नमस्तिका, मैहर, विंध्यवासिनी छिन्नमस्तिके मंदिर सब अपना घर है। फिर कहते है कि वे राजा हरीशचंद्र मसान घाट, कांशी विश्वनाथ वाराणसी से आए हैं।


फिर खुद बुदबुदाने लगते है। कहते है, भोले दानी औघड़ दानी तेरी महिमा अपार महामाया आदि शक्ति ने दुनिया रचाई है। भोलेनाथ को अवतार दिलाई है। महामाया आदि शक्ति ही श्रृष्टि के रचयिता है। पानी और साबुन के घोल से रुपए धोने के बारे में पूछने पर कहते हैं? रुपए छाप रहा हूं चाहिए क्या, फिर अपने आप में मग्न हो जाते हैं।

चूहे को कच्चा चबाया और फेसबुक पर पोस्ट कर दी वीडियो

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अमेरिका के ऊटाह में एक व्यक्ति पर ज़िंदा छोटे चूहे को खाने का आरोप था, को इस मामले में क्लीनचिट मिल गई है। व्यक्ति ने कहा कि उसका यह कृत्य हिंसक ज़रूर था लेकिन इसमें को निर्दयता नहीं थी।

अभियोग पक्ष ने 31 वर्षीय एंडी रे हेरिस पर अप्रैल में पशु निर्दयता का आरोप लगाया था। यह आरोप फेसबुक पर एंडी को एक एक छोटा ज़िंदा चूहा खाते हुए देखने के बाद लगाया गया था। इस मामले में एंडी ने कहा कि उसने एक शर्त के कारण चूहा खाया।

'द साल्ट लेक ट्रिब्यून' के मुताबिक 45 सेकेंड की इस वीडियो में दिखाया है कि एक बिना बालों का छोटा चूहा कागज की शीट पर पड़ा होता है और थोड़ी ही देर में हेरिस उसे उठाकर खा जाता है। हेरिस की इस हरकत पर उसके आस-पास मौज़ूद लोग शोर मचाकर उसका उत्साहवर्धन करते हैं।

हेरिस पर आरोप लगाने वाले पक्ष ने दलील दी थी कि छोटे चूहे किसी के लिए नुकसानदायक नहीं था और उसे इस तरह से नहीं मारा जाना चाहिए था।

अपने बचाव में हेरिस ने कहा कि यह पशु क्रूरता नहीं है क्योंकि कुछ देर पहले चूहे को सांप खाने वाला था। हेरिस ने कहा कि चूहे को किसी तरह की कानूनी सुरक्षा भी नहीं दी जा सकती, क्योंकि हानिकारक जीवों को संरक्षण और सुरक्षा नहीं दी जाती।

पिछले हफ्ते न्यायधीश ने हेरिस के खिलाफ लगे आरोप खारिज कर दिए।

राज पर बरसे उद्धव, कहा- कपटी-बेईमान और ‘नमकहराम

मुंबई.ठाकरे बंधुओं के बीच राजनीतिक रंजिश अब व्यक्तिगत दुश्मनी में बदलती जा रही है। मनसे अध्यक्ष व चचेरे भाई राज ठाकरे द्वारा चलाए गए व्यंग्य बाण के जवाब में मंगलवार को शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने उन्हें सांकेतिक शब्दों में ‘कपटी’, ‘बेईमान’ और ‘नमकहराम’ तक कह डाला है।

राज ने कुछ दिनों पहले उनके फोटोग्राफी के शौक पर टिप्पणी की थी। इस पर उद्धव ने पलटवार करते हुए कहा कि मुझे मुफ्त में सलाह देने के बदले वह अपने अंदर के कपटी गड्ढों को पहले देखें। मराठी माणूस की एकता में फूट और दरार डालने का पाप करने वाला ‘कैमरे’ की मानवता और बेजुबान जानवरों का प्रेम क्या जाने?

उन्होंने इसके आगे मनसे अध्यक्ष पर भावनात्मक ढंग से वार करते हुए कहा, ‘जिस घर में अपनी परवरिश हुई और बड़े हुए। उसी घर से बेईमानी करने वालों के बारे में न बोलना ही अच्छा होगा। ऐसे नमकहराम से जंगल के वफादार जानवरों का फोटो खींचने में असली आनंद है।’

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को फालतू बकवास करने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं है। मुफ्त में सलाह देना। अच्छे कामों में टांग अड़ाना और अपने काम के बल पर बड़े हुए व्यक्ति के साथ फोटो खिंचा कर मुफ्त में पब्लिसिटी हासिल करना और यदि यह नहीं संभव हो पाया, तो उस परकीचड़ उछाल कर बदनाम करना, यह उनकी (राज ठाकरे) आदत है।

क्यों आया गुस्सा

नरेंद्र मोदी के उपवास के दौरान गुजरात जाकर आने पर सोमवार को मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे पर व्यंग्य बाण चलाए थे। उन्होंने कहा था कि कुछ लोग विदेश में जाकर जानवरों का फोटो खींचते हैं।

ऐसे लोगों को मुंबई के गड्ढों का फोटो खींचकर अपना शौक पूरा करना चाहिए ताकि मुंबई की हालत कितनी बदतर हो गई है, इस बात का उन्हें पता चले। ठाकरे बंधुओं के बीच इस प्रकार की स्तरहीन जुबानी जंग छिड़ने पर मराठी भाषी लोगों में नाराजगी का माहौल है।

राज पर बरसे उद्धव, कहा- कपटी-बेईमान और ‘नमकहराम

मुंबई.ठाकरे बंधुओं के बीच राजनीतिक रंजिश अब व्यक्तिगत दुश्मनी में बदलती जा रही है। मनसे अध्यक्ष व चचेरे भाई राज ठाकरे द्वारा चलाए गए व्यंग्य बाण के जवाब में मंगलवार को शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने उन्हें सांकेतिक शब्दों में ‘कपटी’, ‘बेईमान’ और ‘नमकहराम’ तक कह डाला है।

राज ने कुछ दिनों पहले उनके फोटोग्राफी के शौक पर टिप्पणी की थी। इस पर उद्धव ने पलटवार करते हुए कहा कि मुझे मुफ्त में सलाह देने के बदले वह अपने अंदर के कपटी गड्ढों को पहले देखें। मराठी माणूस की एकता में फूट और दरार डालने का पाप करने वाला ‘कैमरे’ की मानवता और बेजुबान जानवरों का प्रेम क्या जाने?

उन्होंने इसके आगे मनसे अध्यक्ष पर भावनात्मक ढंग से वार करते हुए कहा, ‘जिस घर में अपनी परवरिश हुई और बड़े हुए। उसी घर से बेईमानी करने वालों के बारे में न बोलना ही अच्छा होगा। ऐसे नमकहराम से जंगल के वफादार जानवरों का फोटो खींचने में असली आनंद है।’

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को फालतू बकवास करने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं है। मुफ्त में सलाह देना। अच्छे कामों में टांग अड़ाना और अपने काम के बल पर बड़े हुए व्यक्ति के साथ फोटो खिंचा कर मुफ्त में पब्लिसिटी हासिल करना और यदि यह नहीं संभव हो पाया, तो उस परकीचड़ उछाल कर बदनाम करना, यह उनकी (राज ठाकरे) आदत है।

क्यों आया गुस्सा

नरेंद्र मोदी के उपवास के दौरान गुजरात जाकर आने पर सोमवार को मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे पर व्यंग्य बाण चलाए थे। उन्होंने कहा था कि कुछ लोग विदेश में जाकर जानवरों का फोटो खींचते हैं।

ऐसे लोगों को मुंबई के गड्ढों का फोटो खींचकर अपना शौक पूरा करना चाहिए ताकि मुंबई की हालत कितनी बदतर हो गई है, इस बात का उन्हें पता चले। ठाकरे बंधुओं के बीच इस प्रकार की स्तरहीन जुबानी जंग छिड़ने पर मराठी भाषी लोगों में नाराजगी का माहौल है।

करोड़ों खर्च कर मेरी टीम में डाली जा रही है फूट, लेकिन हम एकः अन्ना हजारे





रालेगण सिद्धि. मंगलवार को केंद्र सरकार और कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा बुलंद कर एक बार फिर सुर्खियों में आए गांधीवादी अन्ना हजारे ने अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा कि उनकी अपनी टीम में भी कुछ मतभेद हैं जिन्हें वह जल्द ही दूर कर देंगे। हालांकि बाद में अन्ना हजारे ने सफाई देते हुए कहा कि कुछ लोग उनकी टीम को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं।

एक सवाल के जवाब में अन्ना ने कहा कि अनशन के दौरान सरकार से बातचीत में अहंकार आड़े आ रहा था। अन्ना ने कहा, 'सरकार की ओर से चिदंबरम और सिब्बल अड़े थे और हमारी और से प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल। मुझे सही जवाब नहीं मिल रहा था, यहां तक कि प्रधानमंत्री का रुख भी साफ नहीं था। इससे ही मामला जटिल हो गया। बाद में एक मंत्री और विलासराव देशमुख वार्ता में आए। मैं विलासराव को लंबे समय से जानता हूं। इसी से ही वार्ता संभव हो सकी। अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण अच्छे लोग हैं हालांकि उनमें जरूरी बदलाव लाने की जरूरत है। मैं यह काम करूंगा।'

हालांकि टीम अन्ना के बीच मतभेद या अहंकार की बात मीडिया में आते ही अन्ना ने इस पर सफाई दे दी। बुधवार को रालेगण सिद्धि में पत्रकारों से बात करते हुए अन्ना ने कहा, 'कुछ लोग किसी भी तरह मेरी टीम में मतभेद पैदा करना चाहते हैं। इस काम के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। हमारी टीम में किसी भी प्रकार का मतभेद नहीं है। हम मिलकर एक ही मुद्दे पर काम कर रहे हैं जो देश से भ्रष्टाचार को मिटाना है।'

गौरतलब है रामलीला मैदान में अनशन के दौरान सरकार से बातचीत को लेकर टीम अन्ना पर भी सवाल उठे थे और ऐसा कहा जा रहा था कि उनकी टीम में भी मतभेद है। अन्ना की टीम से स्वामी अग्निवेश के अलग हो जाने से इस बात को और बल मिला था। हालांकि बाद में अन्ना ने कहा था कि वह स्वामी अग्निवेश का काम देखकर उन्हें दोबारा मौका दे सकते हैं।

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