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06 अक्तूबर 2011

दंभ का दहन कर दिल से मांगिए माफी

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अभी पयरूषण पर्व गुजरा है, दशहरा आ गया है। मौका है दंभ का दहन कर एकदम दिल से माफी मांग भूल-चूक, लेनी-देनी साफ करने का। तो मैं क्षमा मांगना चाहता हूं। लेकिन एक समस्या है। मैं एक अदना-सा आदमी हूं, इस नाते मूल रूप से किसी का दिल दुखाने की औकात ही नहीं रखता। तो क्षमा किस कारण मांगूं? कारण चाहिए माफी मांगने का। कारण होगा, तभी मैं पूरी भावना के साथ माफी मांग पाऊंगा। अब याद ही नहीं आ रहा कि कभी किसी का दिल दुखाया हो, किसी को हड़काया हो, किसी से बदसलूकी की हो, किसी को चमकाने की जुर्रत की हो, किसी को जरा-सा भी ज्ञान दिया हो।
कैसी कमतरी है ये? आखिर हम इतने गए-गुजरे हैं क्या? जरा-सी ख्वाहिश भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं अपनी। माफी मांगने का भी हक नहीं मिल पा रहा। हाय! घोर निराशा का क्षण। आदमी के पास अपनी उल्लेखनीय बदतमीजी का कोई किस्सा नहीं है।

निजी आघात के इन विकट क्षणों में मैं फिर अपनी जिंदगी के अतीत में झांकने की कोशिश करता हूं। लेकिन टूटने-फूटने, व्यथित होने, हारने, हड़कने, अपमानित होने की सारी घटनाएं खुद के साथ ही पाता हूं। अपमान के तो इतने घूंट पीए हैं कि स्टॉक करें तो ठीक-ठाक सी टंकी खासी मात्रा में भर जाए। हाय! कैसा अधम-सा जीवन जीया है हमने! निराशा में डूबते हुए मैं अपना फ्लैशबैक बंद कर रहा हूं साहब। कुछ नहीं मिला वहां। अदने से आदमी हाय! तेरी फोकट कहानी टाइप कुछ भी खास नहीं है वहां। हां, दिल दुखाने की नकली कहानी गढ़ने की भी कूव्वत नहीं है मुझमें, आजकल के घाघ लोग झट-से पकड़ लेंगे।
हताशा-निराशा का इतना भयंकर कॉकटेल!

‘लगता है बेकार गए हम’ किस्म के शीर्षक मेरे दिमाग में अचानक घुमड़ने लगे हैं। मेरा छोटापन अब बौनेपन की ओर बढ़ रहा है। इतनी घोर बेइज्जती। प्रभु! कैसे दिन दिखा रहा है! इस अदने आदमी के जीवन में दुष्टता की कोई गतिविधि नहीं लिखी तूने? अवसरों की समानता भी प्रदान नहीं की?

कई बार तो हमारे मोबाइल पर एक दिन में ही इतनी क्षमायाचनाएं आ जाती हैं कि लगता है माफी मांगने का पूरा राष्ट्रीय बैकलॉग ही क्लियर हो रहा है। सबके पास कारण हैं। अनजाने और अज्ञात लोग तक मौका नहीं छोड़ रहे हैं। कई एसएमएम तो ऐसे भी मिले, जिनमें भेजने वाले का नाम तक नहीं था। कई माफी मांगने वाले तो इतनी जल्दबाजी में थे कि मूल आदमी का नाम हटाए बिना ही अग्रेषित कर गए। पूरी दुनिया के पास दूसरों का दिल दुखाने के पर्याप्त किस्से हैं। मौके निकाले हैं लोगों ने इस क्षेत्र में। पर्याप्त मात्रा में श्रम किया है। अपनी कमजोरी के चलते सिर्फ हम ही चूक गए। दूसरों को ठेस पहुंचाने के हर मौके पर बिचकते रहे।

क्या अदना जीवन जीया है हमने!

कहीं अपनी राय नहीं रख पाए। कहीं विरोध का झंडा तक नहीं उठा पाए। कहीं गलत होता रहा तो टोक नहीं पाए। सौहार्द बनाए रखा। सहमत होते रहे। अशक्त सहमति किसी को आईना दिखा सकती है भला? बिना आईना दिखाए तो क्या ठेस पहुंचेगी? माफी मांगने के क्या कारण पैदा होंगे? अदने आदमी! तेरी भलमनसाहत तो सिगरेट के टोटे की तरह मसले जाने के ही लायक है।
हाय-हाय! हमारी जरा-सी आकांक्षा भी पूरी नहीं होगी?

होगी, जरूर होगी। ईश्वर बड़ा दयालु है। एक बार सबको मौका जरूर देता है। हो सकता है इस लेख को पढ़कर कइयों के मन को ठेस लगे। मैं एडवांस में उनसे तहेदिल से माफी चाहता हूं। मन से मैल निकालिए और मुझे तत्काल क्षमा कर दीजिए।

कोटा प्रेस क्लब की अपनी फेसबुक अब पत्रकारों को ज्ञान देगी

जी हाँ दोस्तों आज कोटा प्रेस क्लब कार्यकारिणी की बैठक सम्पन्न हुई जिसमे और बहुत से पत्रकार कल्याणकारी योजनाओं के अलावा कोटा प्रेसक्लब की अपनी फेस बुक तय्यार कर इस माध्यम से सदस्यों और पत्रकारों को सभी हाई टेक जानकारियाँ और पत्रकारिता साक्षर कार्यक्रमों की सुचना देने का निर्णय लिया गया ...................आज कोटा प्रेस क्लब की बैठक में अध्यक्ष धीरज गुप्ता ,महासचिव हरिमोहन शर्मा ..........उपाध्यक्ष ओमेन्द्र पेट्रीओट ..अख्तर खान अकेला .....गिरीश गुप्ता ..मालसिंह शेखावत ..लोकेश जोशी ..चंद्रप्रकाश चंदू उपस्थित थे .प्रेस क्लब की साधारण सभा के बैठक आगामी ८ अक्तूबर को आयोजित की गयी है ..इस वार्षिक बैठक में प्रेस क्लब भवन के विस्तार और पत्रकारों के कल्याण ..मनोरंजन ..साक्षरता कार्यक्रमों के प्रति कई महत्वपूर्ण निर्णय सदस्यों की अनुमति से लिए जायेंगे .....अध्यक्ष धीरज गुप्ता इस अवसर पर कोटा प्रेस क्लब की सभी गतिविधियाँ फेसबुक तय्यार कर उसपर जारी करेंगे ............ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अगर मुफ्त में मिलने वाली करोड़ों अरबों की सुरक्षा हटा दी जाए तो ...........

दोस्तों अभी लाल्क्रष्ण अडवानी जिनके पास जेड सुरक्षा है वोह फिर रथ यात्रा निकाल रहे हैं उनकी इस रथ यात्रा पर सरकार के करोड़ों रूपये केवल उनकी सुरक्षा पर खर्च होंगे जो जनता के टेक्स के रुपयों का हिस्सा है और इस राशि से कई लाख लोगों के पेट भरे जा सकते हैं ......दोस्तों यही हाल जब राहुल गांधी अपनी कार छोड़ कर सीधे ट्रेन में बैठते हैं सड़क पर चाट खाने पहुंचते हैं तो सुरक्षा खर्च और व्यवस्था खर्च तो बढ़ ही जाता है ............मुंबई के बाल ठाकरे ..राजठाकरे सडकों पर आते जाते भारतीयों को रोक कर खुलेआम मारपिटाई कर सकते हैं क्योंकि मुंबई पुलिस उनके तलवे चाटती है मुंबई सरकार इन लोगों की गुलाम बनी है और हालात यह हैं के इन लोगों को जनता के प्रकोप से बचाने के लियें इन्हें सरकारी खर्च पर सुरक्षा दी गयी है ऐसे लोग जो सामजिक अपराधी है क्या उन्हें सरकार के खर्च पर सुरक्षा उपलब्ध कराना चाहिए ...क्या अडवानी जी की रथयात्रा पर अगर सुरक्षा कर्मी हटा लिए जाएँ या फिर उनकी सुरक्षा का खर्च पुलिस अधिनियम के प्रावधानों के तहत भाजपा या फिर खुद अडवानी से लिया जाए ......बाल ठाकरे और राज ठाकरे को सुरक्षा देने के स्थान पर मुंबई पुलिस अगर गिरफ्तार कर ले और उन्हें जेल में डाल दे और अगर गिरफ्तार भी नहीं कर सके तो अगर ऐसे लोगों को पुलिस सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई जी तो दोस्तों क्या जनता इनको सडकों पर नहीं मारे और उल जलूल बयान देने वाले यह लोग अगर दो चार बार सडकों पर पिट जाएँ ,,इनके जुटे पढ़ जाएं तो क्या यह ऐसी बकवास बाज़ी और फ़ालतू की बयानबाजी कर सकेंगे नहीं ना तो दोस्तों जो लोग खुद अपने लियें या पार्टी के लियें अपना कोई काम करते हैं अपना अभियान चलाते हैं या फिर कोई यात्रा निकालते हैं तो उनकी सुरक्षा खर्च का सारा रुपया अगर व्यक्ति या फिर पार्टी से लिया जाना लगे तो फ़ालतू की सरकारी खर्च पर मजे करने की परम्परा पर रोक लगेगी और फिर अगर सरकार में सुरक्षा राशी जमा होगी तो उससे गरीबों के कल्याण की योजनाये चलाई जा सकेंगी क्या ऐसा हो सकेगा नहीं ना क्योंकि रावण रावण सभी भाई भाई ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आडवाणी के 'रथ' में टेलीविजन, कम्प्यूटर से लेकर लिफ्ट तक


नई दिल्ली.भ्रष्टाचार के खिलाफ देशभर में 11 अक्टूबर से रथयात्रा निकाल रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी इस बार एक अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस बस को अपने 'रथ' के तौर पर इस्तेमाल करेंगे जिसमें लिफ्ट के अलावा दूरसंचार की सभी सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी।

आडवाणी की यह 'रथयात्रा' 18 राज्यों से गुजरते हुए 12,000 किलोमीटर का सफर पूरा करेगी।

भाजपा के सचिव श्याम जाजू ने बताया कि 'रथ' के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली एक अत्याधुनिक बस पुणे में तैयार की जा रही है। यह बस आडवाणी की 'जनचेतना यात्रा' शुरु होने से पहले बिहार पहुंच जाएगी।

जाजू ने बताया,"बस में लिफ्ट, टेलीविजन, कम्प्यूटर और लोगों को सम्बोधित करने की प्रणाली लैस होगी। इसमें उनके आराम करने की जगह भी होगी और लोगों से बातचीत करने का भी स्थान होगा।"

उल्लेखनीय है कि भाजपा ने जयप्रकाश नारायण के जन्म स्थान बिहार के सिताब दियारा से उनके जन्मदिन 11 अक्टूबर को आडवाणी की रथयात्रा की शुरुआत करने का एलान किया है।

जाजू कहते हैं कि बस सिताब दियारा सम्भवत: नहीं पहुंच पाएगी क्योंकि वहां गांव में अभी भी बाढ़ का पानी जमा है। उन्होंने कहा कि 84 वर्षीय आडवाणी और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता सम्भ्वत: हेलीकॉप्टर से सिताब दियारा पहुंचकर जयप्रकाश नारायण को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। ये लोग फिर यहां से छपरा जाएंगे, जहां से आडवाणी की यात्रा आगे बढ़ेगी।

जाजू ने बताया कि आडवाणी की 'जन चेतना' यात्रा का मुख्य उद्देश्य देश में 'सुशासन और साफ सुथरी राजनीति'कायम करना है। यह यात्रा 18 राज्यों और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते हुए 20 नवम्बर को दिल्ली में समाप्त होगी।

जाजू ने कहा कि आडवाणी की यात्रा चुनावी राज्यों उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड,पंजाब,गोवा होते हुए अरुणाचल प्रदेश,पश्चिम बंगाल ओर असम से होकर गुजरेगी।

इस यात्रा के दौरान आडवाणी प्रतिदिन नौ बजे सुबह एक संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करेंगे और उनकी यात्रा सुबह 10 बजे शुरू होकर रात 10 बजे तक जारी रहेगी। छोटी बैठकों के अलावा आडवाणी प्रतिदिन चार रैलियों को सम्बोधित करेंगे।

आडवाणी की रथयात्रा में उनके साथ 18 वाहनों का काफिला रहेगा,जिसमें एक एंबुलेंस और एक सुरक्षा घेरा मौजूद रहेगा। भाजपा महासचिव अनंत कुमार इस यात्रा के मुख्य समन्वयक होंगे तथा उनके अलावा रविशंकर प्रसाद, मुरलीधर राव और जाजू सह-समन्वयक होंगे।

उल्लेखनीय है कि जयप्रकाश नारायण ने वर्ष 1974 में 'सम्पूर्ण क्रांति' का नारा दिया था, जिसमें छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। इस आंदोलन के असर की वजह से ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को वर्ष 1975 में आपातकाल लागू करना पड़ा था और वर्ष 1977 में हुए आम चुनाव में उन्हें सत्ता गवानी पड़ी थी।

wow!!! हवा से पैदा कर दी बिजली, हैरत में पड़ गए लोग!


मुजफ्फरनगर। मनुष्य यदि किसी काम को करने की ठान ले तो मुश्किलें भी उसके लिए राह बनाने लगती हैं। मुजफ्फरनगर जिले के युवक सुनील ने इसे एक बार फिर साबित किया है। ग्रामीण परिवेश में पलने वाले सुनील ने हवा से बिजली उत्पन्न करने वाले प्रोजेक्टर से पंखा, रेडियो व ट्यूब जलाकर लोगों को हैरत में डाल दिया है।

थाना नकुड़ के ग्राम खेड़ा अफगान के मजरा याकूबपुर निवासी मोकम सिंह के पांच पुत्र हैं। पूरा परिवार मजदूरी पर आश्रित है। मोकम सिंह का एक पुत्र सुनील (22) जो घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण सात तक ही पढ़ पाया है लेकिन उसने वर्ष 2003 से बिजली उत्पन्न करने वाले यंत्र बनाने का सपना अपने मन में संजो रखा था। चार साल के अथक प्रयास के बाद उसकी मेहनत रंग लायी और 2007 में उसने अपने सपने को साकार कर दिखाया।

उसने हवा से बिजली उत्पन्न करने वाले ऐसे यंत्र का आविष्कार कर दिया जिसे देख कर लोग दांतो तले अंगुली दबाने पर मजबूर हो गए। सुनील ने मात्र 50 रुपये की लागत से घर पर ही ऐसा यंत्र तैयार किया जिस से चार वोल्ट डीसी का करंट उत्पन्न होता है। उसके इस कार्य की सराहना करते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पूर्व समन्वयक एवं परिवहन मंत्री डॉ. मेघराज सिंह जरावरे ने वर्ष 2008 उसे सम्मानित किया।

जब उसके इस कार्य की सूचना बिजली निगम को लगी तो अधिशासी अभियंता शेष कुमार बघेल ने भी उसके इस खोज को देखने की इच्छा व्यक्त की। सुनील ने बताया कि उसका लक्षय सिर्फ यह परियोजना नहीं है उसका अगला लक्ष्य मोटरसाइकिल के इंजन से हेलीकॉप्टर बनाने का है। उसने अपने द्वारा तैयार हेलीकॉप्टर के कलपुर्जो को पत्रकारों को दिखाया जिसे देखकर सभी दंग रह गए।

सुनील ने बताया कि उसके इस काम की सराहना तो सभी ने की लेकिन सरकार अथवा किसी ने भी उसकी आर्थिक सहायता नहीं की। उसने कहा कि यदि सरकार उसे साधन उप्लब्ध कराए तो वह हवा से बिजली उत्पन्न करने वाली एक बड़ी परियोजना तैयार कर सकता है। सुनील के पिता मोकम ने बताया कि आर्थिक दशा खराब होन की वजह से उन्होंने उसके कार्य को हमेशा पागलपन समझा लेकिन अब पूरा परिवार उसके साथ है।

तुम रात कुत्ते को कहां ले गए थे?

एक आदमी अपने दोस्तों के साथ पार्टी का प्रोग्राम बनाता है। पार्टी की रात को वह अपने ही घर से चोरी से बकरे को उठा कर ले गया। दोस्तों के पास पहुंच कर उसने बकरा काट कर पकाया और खूब दावत उड़ाई। अगली सुबह जब वह घर पहुंचा तो देखा कि बकरा वहां बंधा खड़ा है।



यह देख कर वह बहुत हैरान हुआ और पत्नी से पूछा कि वह बकरा कहां से आया। पत्नी बोली, ‘बकरे को मारो गोली, पहले ये बताओ कि तुम रात कुत्ते को कहां ले गए थे?

चूसकर फेंकने को दिल नहीं करता।

एक बुढ़िया बस कंडक्टर को रोज काजू-बादाम खाने को देती थी। कंडक्टर- अम्मा, आप मुझे रोज काजू-बादाम क्यों खिलाती हैं? बुढ़िया- बेटा, दांत तो रहे नहीं और चूसकर फेंकने को दिल नहीं करता।

इस रहस्यमयी वैंपायर की वजह से हुई थी 16 से ज़्यादा मौतें


रूस में सर्बिया के रहने वाले अरनॉल्ड पाउले के बारे में कहा जाता है कि 1726 में मौत के बाद वह वैंपायर बन गया था। उसकी वजह से मेडूएग्ना गांव में 16 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। तब ये इलाका ऑस्ट्रिया के कब्जे में था। कहा जाता है कि उसे एक वैंपायर ने काट लिया था, इसके बाद वह भी वैंपायर बन गया था।

लोगों का दावा था कि मौत के बाद भी उसे चलते हुए देखा था। उसके दांत लंबे-नुकीले हो गए थे और आंखों की चमक बढ़ गई थी। इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था और ऑस्ट्रिया सरकार ने भी सेना के दो डॉक्टर्स ग्लेसर और फल्किंगर को तहकीकात के लिए भेजा था। उन्होंने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात पर सहमति जताई थी। इस तरह अरनॉल्ड की कहानी एक रहस्य बन गई।



स्थानीय रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह तुर्की के कब्जे वाले सर्बिया से यहां आया था। वह बताता था कि उसे गोसोवा में एक वैंपायर ने शिकार बनाया। वह इसका इलाज कर रहा था। 1725 में वह गिरा था और उसकी गर्दन की हड्डी टूट गई थी। इसके बाद ये समस्या फिर से आ गई थी। कुछ समय बाद 1726 में उसकी मौत हो गई थी।

अरनॉल्ड की मौत के बाद एक महीने के भीतर गांव में चार लोगों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई। लोगों को लगा ये वैंपायर अरनॉल्ड की वजह से हो रहा है। उसकी कब्र खोदी गई तो पता चला शरीर सड़ा नहीं था, उसकी आंखों में पानी था और चेहरे पर खून लगा था। लोगों को लगा वह वाकई वैंपायर है।

उन्होंने एक चाकू उसके दिल के आर-पार किया और शरीर जला दिया। पांच साल बाद 1931 में फिर गांव में उसी तरह मौतें होने लगीं। इसके बाद पहले डॉक्टर ग्लेसर और फिर डॉक्टर फल्किंगर को जांच के लिए भेजा गया। ग्लेसर ने रिपोर्ट में अरनॉल्ड के वैंपायर होने की बात स्वीकारी।


फल्किंगर ने अरनॉल्ड और मारे गए दूसरे लोगों की कब्रें खोदकर देखीं। सभी के शरीर सही-सलामत थे। उन्होंने इन कथित वैंपायर्स के सिर धड़ से अलग किए और दोनों जला दिए। राख मोरावा नदी में बहा दी गई थी। 26 जनवरी 1732 को बेलग्रेड में बनी इस रिपोर्ट में फल्किंगर के अलावा 5 अधिकारियों के साइन हैं।

अब प्रेमपत्रों से दिल का ‘इलाज’

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पुणे. श्रीकांत मूंदड़ा लोगों को अपनी दिली भावनाएं व्यक्त करना सिखाते हैं और अपने दिल का ख्याल रखना भी। पेशे से नेचुरोपैथ, श्रीकांत पुणे में हर आयुवर्ग के लिए प्रेमपत्र प्रतिस्पर्धा आयोजित करते हैं।

वे मानते हैं कि ईमेल और एसएमएस के युग में प्रेमपत्र लिखने की कला को बचाया जाना चाहिए। 1985 में शुरू हुई यह स्पर्धा पहले हर साल होती थी, पर अब हर पांच साल में होती है। इसमें 16 से 65 वर्ष तक के लोग भाग ले सकते हैं। पिछली स्पर्धा 2010 में हुई थी।

वे अपने दिल के उद्गार काव्यात्मक भाषा में व्यक्त करना सिखाते हैं। इसके लिए उन्होंने ‘बुक ऑफ लव लैटर्स’ लिखी है। उन्होंने हार्ट क्लब और हृदय मित्र संस्थान की स्थापना भी की है। वे दिल के स्वास्थ्य के लिए जागरूकता फैलाते हैं।

दिल के दौरे में पिता की मृत्यु के बाद 1994 में उन्होंने मात्र एक हजार रु. की पूंजी के साथ हृदय मित्र संस्थान की स्थापना की थी। वे 4,000 से ज्यादा लोगों की बाइपास सर्जरी और एंजियोप्लास्टी टलवा चुके हैं, जो बिना ऑपरेशन सेहतमंद जिंदगी जी रहे हैं।

अन्ना ने दी चुनौती-अगर इंटरव्यू का टेप है तो सामने लाएं


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रालेगण सिद्धि (अहमदनगर). गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे ने अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि उनकी टीम के खिलाफ झूठा प्रचार किया जा रहा है। दरअसल, अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में अन्ना के हवाले से छापा है कि उनकी टीम में भी कुछ मतभेद हैं जिन्हें वह जल्द ही दूर कर देंगे। अख़बार के एक सवाल के जवाब में अन्ना ने कहा था कि अनशन के दौरान सरकार से बातचीत में अहंकार आड़े आ रहा था। अन्ना ने कहा, 'सरकार की ओर से चिदंबरम और सिब्बल अड़े थे और हमारी और से प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल।'
लेकिन इस इंटरव्यू के सामने आने के बाद अन्ना हजारे की तरफ से एक बयान जारी कर सफाई दी गई। बयान के मुताबिक, 'पत्रकारों ने मुझसे पूछा कि क्या मैं केजरीवाल और भूषण से सहमत हूं और क्या मेरे समर्थकों में मतभेद हैं? जवाब में मैंने कहा, कोई मतभेद नहीं है। मैंने कहा, अगर कोई कमी है तो मैं उसे ढूंढने की कोशिश करूंगा और अगर कोई कमजोरी मिलती है तो मैं उसे दूर करने की कोशिश करूंगा। मगर, इन पत्रकारों ने मेरी बातों का गलत मतलब समझा और लिख दिया कि मैं केजरीवाल और भूषण को बदलूंगा। यह झूठ है।'

बयान में अन्ना ने कहा कि वह पहले भी कह चुके हैं टीम अन्ना के खिलाफ दुष्प्रचार जारी है। इसमें मतभेद बताने की कोशिशें लगातार की जा रही हैं। उन्होंने कहा है कि ' अगर अखबार के पास मेरी बातचीत का टेप है तो मुझे दिखाए कि मैंने बदलूंगा शब्द का इस्तेमाल कहां किया है। 'उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि हमारी कोर टीम में पूरा सामंजस्य है और केजरीवाल या भूषण को बदलने का सवाल ही पैदा नहीं होता। हालांकि, न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट का अभी तक खंडन नहीं किया है।

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