तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
13 अक्तूबर 2011
क्या कहिये ऐसे हाजी, मोलवी ,मोलानाओं को ...........
अरबों साल पहले धरती जैसा था मंगल!
मंगल के चार अरब साल पुराने एक उल्का पिंड के अध्ययन में पहली बार पुख्ता सबूत पाया गया कि मंगल अब की तुलना में कभी ज्यादा गर्म और नम होता था। डेली मेल के मुताबिक, खगोलीय पिंड के खनिज का निर्माण 18 डिग्री सेल्सियस पर हुआ जिससे ऐसी संभावना है कि ग्रह पर कभी जीवन रहा होगा।
हालांकि यह अब भी रहस्य है कि उष्ण तापमान क्या केवल अस्थायी थे। कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक और अध्ययन के अगुआ वुडी फिशर ने कहा, ‘वास्तव में सबसे बड़ी बात है कि 18 डिग्री न तो ठंड और न ही गर्म तापमान है। यह उल्लेखनीय परिणाम है।’ वैज्ञानिकों के अनुसार, मंगल के इतिहास के लिए उसका तापमान जानना महत्वपूर्ण है।
पासवर्ड बदलकर किया जा सकता है इस सरकारी वेबसाईट को हैक
तकनीकी खामियों के कारण कोई भी वेबसाइट के पासवर्ड बदलकर हैकतो किया ही जा सकता है, साथ ही आवश्यक रिकॉर्ड भी मिटाया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन खामियों के चलते वेबसाइट पर कुछ भी गलत डाटा व फोटो लोड किए जा सकते हैं।
इस तरह की शिकायतें डीबी स्टार को मिली तो इस काम से जुड़े तकनीकी एक्सपर्ट से पूरे मामले की पड़ताल की गई। सामने आया कि वेबसाइट के होम पेज पर कार्यालय कार्य के लिए नाम और पासवर्ड मांगे जाते हैं। वहां कोई भी नए पासवर्ड बार-बार डालकर वेबसाइट को हैक कर सकता है। संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा वेबसाइड डिजाइन व काम शुरू करने के बाद सुरक्षा ऑडिट व निरीक्षण नहीं किया जाता है। इससे तकनीकी खामियां अभी तक पकड़ में नहीं आई हैं। (जो पासवर्ड डालकर बदला जा सकता है। वह सुरक्षा की दृष्टि से गोपनीय रखे गए हैं। ऐसे दो पासवर्ड हैं जो नाम व पासवर्ड में बार-बार अंकित करके कुछ भी मैसेज सेव किया जा सकता है)
इन पर है खतरा
महिला एवं बाल विकास विभाग, वर्धमान कोटा ओपन विश्वविद्यालय, विा विभाग, कार्मिक विभाग, आयकर विभाग व अन्य निजी कॉलेजों की वेबसाइट में एसक्यूएल इंजेक्शन की तकनीकी खामियां हैं। ये सभी वेबसाइट असुरक्षित व संक्रमित हैं। जयपुर पुलिस की वेबसाइट पर भी अभी तक कार्य पूरा नहीं हुआ है। जिसको कोई भी ऐसे पासवर्ड डालकर कुछ भी परिवर्तन कर सकता है। इसके लिए आईटी विशेषज्ञों की ओर से समय-समय पर मुयमंत्री व गृहमंत्री को पत्र लिखकर भी अवगत कराया है। उधर, पुलिस की वेबसाइट के बारे में कमिश्नर बीएल सोनी ने कहा कि वेबसाइट पर कोई विशेष सूचना नहीं डाली है, जिससे छेड़छाड़ की जा सके। फिर भी इस दिशा में काम किया जा रहा है।
सरकार को अवगत करा दिया
जयपुर पुलिस सहित अन्य विभागों की वेबसाइट की तकनीकी खामियों के लिए पुलिस व सरकार को अवगत करा दिया है। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इससे कभी भी हैकरों द्वारा वेबसाइट हैक की जा सकती है।
-साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन क्लब, जयपुर
तकनीकी कमी से छेड़छाड़ संभव
सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग के सचिव संजय मल्होत्रा से सवाल
जानकारी में आया है कि कई सरकारी विभागों की वेबसाइड से कोई भी छेड़छाड़ कर सकता है। इनमें तकनीकी खामियां रह गई हैं?
इस संबंध में मुझे जानकारी नहीं है। इसके लिए प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारी लगा रो हैं।
वेबसाइट डिजाइन में कुछ तकनीकी कमी रह जाए तो छेड़छाड़ की जा सकती है?
बिल्कुल, तकनीकी कमी के कारण कोई भी छेड़छाड़ कर सकता है। इस पर संबंधित विभाग के आईटी कर्मचारियों को ध्यान देना चाहिए।
सुरक्षा की दृष्टि से विभागों से कैसे डील किया जाता है।
सभी विभागों को वेबसाइट की सुरक्षा गाइडलाइन दे रखी हैं। समय-समय पर ट्रेनिंग दी गई।
विभागों की वेबसाइट में सुरक्षात्मक खामियों को दूर किया जाएगा। (हालांकि इन्होंने ऐसी कोई खामियों के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की )
-मनोज गौड़ सदस्य, निदेशक मंडल, राजकॉम्प इंफो सर्विस लि.
इतना भयंकर हादसा लेकिन होना तो था चमत्कार!
जयपुर.जेएलएन मार्ग पर महावीर उद्यान के पास गुरुवार शाम डिवाइडर पर लगे पौधों में टैंकर पानी दे रहा था।
इसी दौरान तेज गति से पीछे से आया स्कूटी सवार टैंकर के नीचे जा घुसा। हादसे में पौधों में पानी दे रहा युवक तथा स्कूटी सवार दोनों गिर गए।
इन दोनों को मामूली चोट आईं। बाद में दोनों को जयपुरिया अस्पताल में सामान्य उपचार के बाद छुट्टी दे दी। इस संबंध में किसी भी पक्ष ने मामला दर्ज नहीं कराया है।
मंत्रियों के पास ही अटकती है सबसे ज्यादा समय फाइल'
फिर मंत्री व सीएम ऑफिस में क्यों नहीं है कार्य की तय अवधि, कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने खड़ा किया सवाल?
जयपुर। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत-महेंद्र सिंह) की कोर कमेटी के प्रदेश प्रभारी अबू बकर नकवी ने गहलोत सरकार पर आरोप लगाया है कि वह कर्मचारियों के हितों की अनदेखी कर रही है।
नकवी ने एक प्रेस कान्फे्रंस में कहा कि राज्य सरकार सिटीजन चार्टर लाने की बात कर रही है और मंत्री व मुख्यमंत्री के दफ्तरों के कर्मचारियों-अधिकारियों को उसके बाहर रख रही है। उनके द्वारा निपटाए जाने वाले कार्य की अवधि भी तय होनी चाहिए, क्योंकि सबसे ज्यादा फाइलें वहीं अटकती हैं। उन्होंने कहा कि सिटीजन चार्टर की बात तब की जानी चाहिए जबकि दफ्तर समुचित साधन संपन्न हों।
पिछले 20 वर्षों से नई भर्तियां बंद हैं। प्रतिमाह हजारों कर्मचारी सेवानिवृत हो रहे हैं। पर्याप्त स्टाफ व संसाधनों के अभाव में कैसे 58 विभागों के 108 काम समय पर होने की गारंटी अधिनियम लागू किया जा सकता है। सरकार ऐसा कर कर्मचारियों को बदनाम करना चाहती है और खुद वाहवाही लूटना।
कांगे्रस के चुनावी एजेंडे में जुड़ी एक भी कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने की शर्तें सरकार ने पूरी नहीं की। उन्होंने ऐसे सिटीजन चार्टर का प्रत्येक जिले में विरोध करने का निर्णय सुनाया और कहा कि कोटा में आयोजित किए जाने वाले हाड़ौती संभाग सम्मेलन में इसका सरकार को जवाब दिया जाएगा। प्रेस कान्फ्रेंस में बड़ी संख्या में कर्मचारी नेता मौजूद थे।
परफ्यूम और डियो भी बदलते हैं किस्मत, यकीन न हो तो इसे पढ़ें
किस राशि वाले कैसा परफ्युम उपयोग करें
मेष- इस राशि के लोगों को अपनी राशि के अनुसार मोगरे की सुगंध के डियो या परफ्युम लगाने चाहिए।
वृष- अपनी प्रकृति के अनुसार वृष राशि वालों को चमेली की सुगंध के डियो या परफ्युम लगाने चाहिए।
मिथुन- अपने राशि स्वभाव के अनुसार आप लेवेंडर की सुगंध वाले परफ्युम का उपयोग करें।
कर्क- आप अपने राशि स्वामी चंद्र देव के अनुसार गुलाब की खुशबू वाले परफ्युम और डियो का उपयोग करें।
सिंह- इस राशि के लोग अपनी राशि के अनुसार मिठी खुशबु यानी चॉकलेट फ्लेवर वाले परफ्युम लगाएं।
कन्या- इस राशि वालों के लिए बादाम की सुगंध वाले परफ्युम और डियोड्रेंट लकी रहेगा ।
तुला- आपके राशि स्वामी शुक्र देव के अनुसार आप चॉकलेट और चमेली की सुगंध वाले परफ्युम लगाएं।
वृश्चिक- रोजमेरी की सुगंध जैसे परफ्युम आपकी राशि के लिए भाग्यशाली रहेंगे।
धनु- आप अपनी राशि के अनुसार चंदन जैसी कुछ अच्छी सुगंध के परफ्युम का उपयोग करें।
मकर- अपने राशि स्वामी शनि के अनुसार आप एनर्जेटीक सुगंध वाले परफ्युम जैसे लेमन फ्लेवर का उपयोग करें।
कुंभ- ताजगी भरी सुगंध आपकी राशि के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगी यानी आप एक्वा फ्लेवर वाले परफ्युम का उपयोग करें।
मीन- कस्तुरी जैसी सुगंध वाले परफ्युम आपकी राशि के लिए उपयुक्त रहेगी।
एक हाथी जो अपनी ही फोज को मारता है ..............
बड़ी जल्दी ऊपर पहुँच गयी...."
अचानक मौसम खराब हो गया,
बिजलियाँ चमकने लगीं, बादल गरजने लगे,
चक्रवात आने जैसा मौसम बन गया.
उस आदमी ने खामोशी से ऊपर देखा और अपने आप से बोला,"लगता है, बड़ी जल्दी ऊपर पहुँच गयी...."
अब काम के लिए नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर,होगी लोक सेवा की गारंटी!
इसके तहत निर्धारित समयावधि में काम नहीं होने पर संबंधित कर्मचारी और अधिकारी के खिलाफ शिकायत की जा सकती है। इन शिकायतों की जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा सुनवाई कर निर्णय सुनाया जाएगा। इस कानून में जिला एवं संभाग स्तर पर संबंधित अधिकारी के समक्ष अपील का भी प्रावधान किया गया है। अंतिम फैसला अधिकतम 60 दिनों में करना अनिवार्य किया गया है।
इस कानून में ग्राम सेवक, पटवारी, तहसीलदार, बीडीओ, एसडीओ और संभागीय आयुक्त को पीठासीन अधिकार माना गया है। इन अधिकारियों को सुनवाई और जुर्माने के अधिकार दिए गए हैं।
ऐसे समझें कानून को..
मैंने बिल में सुधार, जाति या मूल निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया है और अधिकारी व कर्मचारी चक्कर दे रहे हैं।
मैं कैसे सेवा की गारंटी कानून का लाभ ले सकता हूं।
आप गांव में रहते हैं तो पंचायत और शहर में रहते हैं तो नगर पालिका में जिम्मेदार अधिकारी को लिखित शिकायत करें। इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। आपकी शिकायत प्राप्ति की लिखित में सूचना दी जाएगी और रजिस्टर में निस्तारण की तारीख में भी लिखी जाएगी।
इसके बाद मैं क्या करूं?
अब आपको हर माह 5, 12, 20 व 27 को होने वाली सुनवाई में हिस्सा लेना होगा। सुनने वाले अधिकारी निर्धारित समय सीमा में काम करवाएगा।
ऐसा नहीं हुआ और आवेदन खारिज कर दिया तो?
फिर आपको संबंधित तहसीलदार, बीडीओ और एसडीओ के समक्ष अपील करें। यह अपील अधिकतम 30 दिन में कर सकते हैं।
फैसला मेरे पक्ष में नहीं हुआ तो क्या करूं?
फिर आपको संभागीय आयुक्त के समक्ष अपील करनी होगी। उचित कारण बताकर अपील अधिकतम साठ दिनों में भी की जा सकती है।
फिर तो काम हो जाएगा ?
काम में लापरवाही बरतने वाले अधिकारी व कर्मचारी को यहां जुर्माना सुनाया जा सकता है। आवेदक, आरोपी अधिकारी व कर्मचारी के उपस्थित नहीं होने पर एक तरफा फैसला सुनाया जा सकता है।
पब्लिकेशन होते ही सभी विभागों को भेजेंगे
"नोटिफिकेशन जारी करके पब्लिकेशन के लिए भेजा जा चुका है। प्रेस से आते ही सभी विभागों को भेज दिया जाएगा।"
आरपी जैन,
प्रमुख शासन सचिव
"इस कानून में पेचीदगियां है। साक्षरता का अभाव है। ऐसे में आवेदन और अपील की औपचारिकताएं ज्यादा है। इससे प्रक्रिया जटिल हो गई है, जिसको सरल किया जाना चाहिए। कानून में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बातें स्पष्ट हैं, लेकिन शहरी क्षेत्र के लिए स्पष्ट जानकार नहीं है।"
निर्मल कुणावत,
वरिष्ठ अधिवक्ता
किसे और कहां करें शिकायत
इस कानून की धारा 3 के अनुसार प्रथम शिकायत ग्राम स्तर पर पंचायत मुख्यालय और शहरी क्षेत्र में नगर पालिका या परिषद में की जा सकेगी।
कौन करेगा सुनवाई
इस कानून में ग्राम स्तर पर सुनवाई ग्राम सेवक, पटवारी सुनवाई करेंगे। इनके साथ सरपंच, वार्ड पंच, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शामिल होंगे।
कब होगी सुनवाई
हर माह की 5, 12, 20 व 27 तारीख को सुनवाई होगी। इसके अलावा जन सुनवाई का मासिक केलेंडर भी पंचायत द्वारा तैयार किया जाएगा। प्रत्येक शिकायत का रजिस्टर में इंद्राज और निस्तारण की तिथि भी दर्ज कर दी जाएगी। शिकायतकर्ता को शिकायत प्राप्ति और कार्यवाही लिखित में दी जाएगी। शिकायत अस्वीकार करने पर उसकी वजह भी लिखित में बतानी होगी।
शिकायत निशुल्क :
इस कानून के तहत शिकायत पूरी तरह निशुल्क होगी।
फैसले से असंतुष्ट होने पर क्या करें
ग्राम पंचायत स्तर पर फैसले से असंतुष्ट होने या आवेदन खारिज होने पर तहसीलदार, बीडीओ और एसडीओ के समक्ष 30 दिनों में अपील करने का प्रावधान है। ये अधिकारी हर माह की 6, 15, 21 एवं 28 को सुनवाई करेंगे।
इस स्तर पर हुए फैसले को संभागीय आयुक्त के समक्ष 30 दिनों में अपील की जा सकती है। विशेष परिस्थितियों में यह 60 दिनों तक बढ़ाई जा सकती है। संभागीय आयुक्त को समय की सीमा में नहीं बांधा गया है। वे मामले की गुणावगुण के हिसाब से प्रकरण का निस्तारण कर सकेंगे।
राज्य स्तर पर निगरानी
राज्य स्तर पर जन अभाव अभियोग निराकरण आयोग के गठन का प्रावधान है। इस अधिनियम के तहत समस्त कार्यवाही पर निगरानी का अधिकार इस आयोग को होगा।
सजा का प्रावधान
अपीलीय अधिकारी प्रथम अपील अधिकारी को कोई भी कार्य करने का आदेश पारित कर सकता है। जिम्मेदार अफसरों व कर्मचारियों को न्यूनतम 500 रुपए व अधिकतम 5000 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
इसके बावजूद लापरवाही बरती गई तो अपीलीय अधिकारी को प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के अधिकार कार्यवाही और सुनवाई के समय होंगे। प्रथम और द्वितीय सुनवाई करने वाले अधिकारियों को दोषी कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का भी अधिकार होगा।
आगे क्या :
इस कानून में संशोधन व नियम बनाने की शक्ति राज्य सरकार के पास है। दो वर्ष में सुव्यवस्थित लागू करने में परिवर्तन या संशोधन किया जा सकेगा।
कौनसी सेवाएं होंगी कानून के दायरे में
पुलिस विभाग का वेरिफिकेशन, पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने, ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली, पानी कनेक्शन, बिलों को सही करने की कार्रवाई, मूल निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र, कृषि भूमि नामांतरण, राशन कार्ड, बीपीएल एपीएल कार्ड, कर्मचारी पेंशन प्रकरण, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं में चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाना, पत्थरगढ़ी, राजस्व एवं भूमि रिकार्ड के प्राप्तियों से संबंधित मामलों को शामिल किया गया है।
कानून के दायरे से बाहर कौन
सूचना का अधिकार, न्यायालय से संबंधित जानकारी, दुर्भावनापूर्ण की गई शिकायत, राजभवन के समस्त कारिंदों, विधानसभा, अन्य अधीनस्थ न्यायालय के कर्मचारियों व राज्य आयोगों के कर्मचारी भी इस कानून के दायरे से बाहर रखे गए हैं।
क्या हैं कानून में खामियां
इस कानून में ग्राम स्तर पर शिकायत करने और सुनवाई करने वाले अधिकारियों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। शहरी क्षेत्र में प्रथम सुनवाई करने वाले अधिकारियों का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है। कानून के दायरे में लिए गए कार्यो की समयावधि इसमें नहीं दी गई है। इस अधिनियम या उपनियम के अधीन सद्भावना पूर्व कार्यवाही के विरुद्ध कोई शिकायत दर्ज नहीं करने का
प्रावधान कर कानून को शिथिल करने की कोशिश की गई है।
जवाबदेही तय होगी
राजस्थान लोक सेवाओं की अदायगी और सुनवाई गारंटी कानून का शहर और गांव की जनता को फायदा मिलेगा। इस कानून को पूरी तरह से लागू होने में भले ही कुछ समय लग जाए, लेकिन यह तय है कि जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों को सेवा के काम निर्धारित समय में करने होंगे।
अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी। काम नहीं होने पर लोग सीधे उनकी शिकायत कर सकेंगे। शिकायत नहीं सुनने पर आला अफसरों के पास शिकायत कर सकेंगे। दोषी पाए जाने पर ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों को जुर्माना अदा करना होगा। साथ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई का भी सामना करना पड़ेगा।
माने तो सबको लाभ
आमजन को इन सेवाओं को हासिल करने के लिए किसी भी प्रकार के प्रभाव का इस्तेमाल नहीं करना पड़ेगा। पैसे व समय की बचत होगी।
निर्धारित समय में काम करने से सरकारी ऑफिसों में कामकाज व्यवस्थित हो जाएगा। फिर उन्हें किसी को चक्कर नहीं देने पड़ेंगे।
कानून के तहत सभी काम लिखित में होने से कर्मचारियों को कोई परेशानी नहीं होगी।
और भी हो सकता है फायदें
इस कानून के पूरी तरह से लागू होने के बाद कानून के जानकारों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। वैसे तो आम व्यक्ति अपनी पैरवी खुद कर सकेगा, लेकिन जरूरत पड़ने पर उसे वकीलों की मदद भी ले सकता है।
मानवाधिकार, सूचना का अधिकार कानून आने के बाद पाठ्क्रम संचालित हो रहे हैं। उसी तरह इस कानून को भी बतौर पाठ्यक्रम शुरू किया जा सकेगा।
सुनवाई करने वालों पर सख्ती
इस कानून के तहत सुनवाई करने वाला कोई भी अधिकारी इस अधिनियम के तहत सौंपे गए कर्तव्यों का पालना करने में असफल होता है तो सेवा नियमों के अधीन उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
जैसे ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम सेवक या पटवारी, प्रथम अपील अधिकारी तहसीलदार, बीडीओ व एसडीओ इस दायरे में आ जाएंगे। इन अधिकारियों पर अधिकतम 5 हजार रुपए जुर्माना भी कर सकेंगे।
नारियल है इतनी बीमारियों का डॉक्टर जानकर आप भौचक्के रह जाएगें
स्वादिष्ट भोजन-मिष्टान्न में सूखे कटे एवं पिसे हुए नारियल के प्रयोग के अतिरिक्त शुध्दता के कारण धार्मिक कार्यों और प्रसाद वितरण में यह शुभ माना जाता है। इस प्रकार नारियल के विभिन्न उपयोगों से प्रमाणित हो जाता है कि नारियल अनेक गुणों का धारक है, जिसका अन्य कोई विकल्प नहीं है। कच्चे नारियल के गूदे के प्रयोग से अपच ठीक हो जाती है, जिससे पाचन क्रिया ठीक-ठाक बनी रहती है। पौष्टिक तत्वों एवं औषधीय गुणों का भंडार नारियल तेल, चेहरे के दाग-धब्बे मिटाने में गुणकारी प्रमाणित हो रहा है। नारियल तेल लगाने से शरीर पर होने वाली पित्त ठीक हो जाती है। नारियल तेल में बना भोजन करने से वजन में आश्चर्यजनकरूप से कमी आई है।
नारियल से बनी खाद्य सामग्री स्वादिष्ट एवं पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है। नारियल की चटनी दक्षिण भारतीय भोजन इडली-डोसा को पूर्णता प्रदान करती है।नारियल का पानी पीकर,कच्चा नारियल खाने से कृमि निकल जाते है। एक नारियल का पानी गर्भावस्था में पीते रहने से सुन्दर सन्तान का जन्म होता है। नारियल मूत्र साफ़ करता है। कामोत्तेजक है। मासिक धर्म खोलता है। यह शरीर को मोटा करता है।मस्तिष्क की दूर्बलता दूर करता है। खांसी और दमा वालों को नारियल नहीं खाना चाहिये। नारियल का पानी पीने से पथरी निकल जाती है।
कच्चा नारियल विशेष लाभदायक है। इसके अलावा किसी भी अन्य कारणों से, वसा वास्तव में कर रहे हैं किसी भी आहार का बहुत महत्वपूर्ण घटक है।औषधीय गुणों की खान नारियल में कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, आयरन और विटामिन होते हैं, जिनसे आवश्यक शक्ति एवं प्रतिशोधात्मक ऊर्जा शरीर को प्राप्त होती है। 50 ग्राम नारियल के तेल में 2नींबू का रस मिलाकर मालिश करने से खुजली कम होतीहै। प्रात: भूखे पेट 25ग्राम नारियल खाने से नक्सीर आना बन्द होता है। यह सात दिन तक खाये।
नारियल में विद्यमान खनिज, प्रोटीन एवं विटामिन- ए की प्रचुर मात्रा मानव जीवन को उच्च स्तरीय औषधीय गुण प्रदान करती है, जिससे शरीर स्वस्थ, सुंदर बना रहता है। नींद न आने का स्थिति में नारियल के दूध का उपयोग बहुत गुणकारी एवं लाभदायक है। सूखे नारियल का सेवन एसिडिटी के उपचार में सहायक है। इसके सेवन से हैजा, बुखार में स्वास्थ्य लाभ होता है और शरीर में गैस बनने व उल्टी होने की स्थिति में राहत महसूस होन लगती है। नारियल पानी पीने से गर्मी में राहत मिलती है, जिससे शरीर सदैव तरोताजा व स्वस्थ बना रहता है।
मरने के बाद इन 8 कारणों से होता है पुनर्जन्म...
जन्म और मृत्यु ये दो अटल सत्य माने गए हैं। जिस जीव ने धरती पर जन्म लिया है उसे एक दिन अवश्य ही मृत्यु प्राप्त होती है। जीव की मृत्यु के पश्चात उसकी आत्मा पुन: जन्म लेती है, यह भी एक सत्य है। शास्त्रों के अनुसार जीवन और मृत्यु का यह चक्र अनवरत चलता ही रहता है।
आत्माएं फिर से जन्म क्यों लेती हैं? इस संबंध में आठ कारण मुख्य रूप से बताए गए हैं। इन्हीं कारणों की पूर्ति के लिए आत्मा पुन: जन्म लेती है, शरीर धारण करती है। यहां पुनर्जन्म का अर्थ है दुबारा जीवन प्राप्त करना। किसी भी जीवात्मा का पुन: यानि फिर से जन्म होता है। आत्मा शरीर धारण करके शिशु रूप में इस धरती पर जन्म प्राप्त करती है और जीवनभर कर्म करती है। अंत में मृत्यु होने पर उसे शरीर छोड़कर जाना पड़ता है। ऐसे में आत्मा को मुख्य रूप से इन आठ कारणों से उसे पुन: जन्म लेना पड़ता है।
1. भगवान की आज्ञा से: भगवान किसी विशेष कार्य के लिए महात्माओं और दिव्य पुरुषों की आत्माओं को पुन: जन्म लेने की आज्ञा देते हैं।
2. पुण्य समाप्त हो जाने पर: संसार में किए गए पुण्य कर्म के प्रभाव से व्यक्ति की आत्मा स्वर्ग में सुख भोगती है और जब तक पुण्य कर्मों का प्रभाव रहता है वह आत्मा दैवीय सुख प्राप्त करती है। जब पुण्य कर्मों का प्रभाव खत्म हो जाता है तो उसे पुन: जन्म लेना पड़ता है अथवा नर्क में जाना पड़ता है।
3. पुण्य फल भोगन के लिए: कभी-कभी किसी व्यक्ति के द्वारा अत्यधिक पुण्य कर्म किए जाते हैं और उसकी मृत्यु हो जाती है। तब उन पुण्य कर्मों का फल भोगने के लिए आत्मा पुन: जन्म लेती है।
4. पाप का फल भोगने के लिए
5. बदला लेने के लिए
6. बदला चुकाने के लिए
7. अकाल मृत्यु हो जाने पर
8. अपूर्ण साधना को पूर्ण करने के लिए
शास्त्रों के अनुसार आत्मा के पुनर्जन्म के संबंध में बताए गए आठ कारणों में से एक कारण है कि आत्मा किसी से बदला लेने के लिए पुनर्जन्म लेती है।
यदि किसी व्यक्ति को धोखे से, कपट से या अन्य किसी प्रकार की यातना देकर मार दिया जाता है तो वह आत्मा पुनर्जन्म अवश्य लेती है। इस संबंध में वेद-पुराण में एक कथा दी गई है-
कथा इस प्रकार है, एक राजकुमार की किसी तपस्वी से गहरी मित्रता हो गई। जब वह महात्मा काशी जा रहा था तभी राजकुमार भी जिद करके अपने मित्र के साथ चल दिया। राजकुमार की इस यात्रा के लिए राजा ने उन्हें सवा सेर सोना एक लकड़ी में भरकर दे दिया। सफर के दौरान एक रात्रि दोनों मित्रों ने एक सेठ के यहां विश्राम किया। रात्रि में उस सेठ ने लकड़ी में से सोना निकालकर उसमें कंकड़ भर दिए। राजकुमार और महात्मा जब काशी पहुंचे तब उन्होंने वहां के ब्राह्मणों को भोजन पर आमंत्रित कर लिया। ब्राह्मणों को भोजन कराने के लिए जब उसने लकड़ी से सोना निकालना चाहा तब उसमें से कंकड़ निकले। वह समझ गया कि उस सेठ ने उन लोगों के साथ धोखा किया है। ब्राह्मणों को खाना के निमंत्रण भिजवा दिया गया था लेकिन राजकुमार उन्हें भोजन कराने में असर्मथ हो गया। इसी चिंता में राजकुमार के प्राण चले गए।
राजकुमार की आत्मा ने सेठ से बदला लेने के लिए उसी सेठ के यहां पुन: पुत्र रूप में जन्म लिया। जब सेठ का पुत्र बड़ा हो गया तब उसकी शादी कराई गई। सेठ ने पुत्र के लिए बहुत सुंदर और विशाल महल बनवाया। एक दिन उसी महल की छत से पति-पत्नी दोनों ने कूदकर जान दे दी। तब सेठ को बहुत दुख हुआ। उस समय राजकुमार के मित्र महात्मा ने सेठ को उसकी करनी की कथा सुनाई और इसप्रकार राजकुमार का बदला पुरा हुआ।
इस प्रकार की कई कथाएं शास्त्रों में दी गई हैं जहां आत्मा ने किसी से बदला लेने के लिए पुन: जन्म प्राप्त किया है और अपना लक्ष्य पुरा किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, पीएम की चिंता पर सरकार ने क्यों नहीं की कार्रवाई?
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर प्रधानमंत्री की चिट्ठी पर कार्रवाई की गई होती तो 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला नहीं होता। कोर्ट ने पूछा कि नवंबर, 2007 में ए. राजा को प्रधानमंत्री की तरफ से लिखी गई चिट्ठी पर अमल क्यों नहीं हुआ?
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से विपक्षी दलों ने पीएम को एक बार फिर से कटघरे में खड़ा किया है। भाजपा ने पीएम से जवाब मांगने की मांग करते हुए कहा कि उनकी चिट्ठी पर सरकार ने क्यों नहीं कार्रवाई की गई। भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यदि ए राजा पीएम की बात नहीं मान रहे थे तो पीएम खुद ही फाइल मंगाकर कार्रवाई कर सकते थे।
माकपा ने कहा है कि राजा की निष्क्रियता पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बारे में पीएम मनमोहन सिंह को सफाई देनी चाहिए। माकपा नेता वृंदा करात ने कहा, ‘सरकार को जब कार्रवाई करनी चाहिए थी, उस वक्त उसने कार्रवाई नहीं की।’
2 नवंबर 2007 को ए राजा को लिखी चिट्ठी में पीएम मनमोहन सिंह ने 2 जी स्पेक्ट्रम के आवंटन को लेकर ‘पहले आओ, पहले पाओ’ की प्रक्रिया में अनियमितता की शिकायत की थी। हालांकि राजा ने पीएम की इस चिट्ठी का 24 घंटे के भीतर ही जवाब दिया और कहा कि स्पेक्ट्रम के आवंटन में पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी।
प्रशांत भूषण बोले- नहीं बदलूंगा बयान, बग्गा ने कहा- फिर करूंगा पिटाई
नई दिल्ली. बुधवार को दो अन्य युवकों के साथ प्रशांत भूषण पर हमला करने वाले तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने कहा है कि उसे अपने किए पर कोई शर्मिंदगी नहीं है और चेतावनी दी है कि वह प्रशांत पर फिर हमला कर सकते हैं।
एक निजी चैनल से बातचीत में बग्गा ने कहा कि वह प्रशांत भूषण के उस सुझाव से बेहद खफा थे, जिसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की बात कही थी। बग्गा ने कहा कि वह अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार के मुद्दे पर समर्थन करते हैं, लेकिन अगर किसी ने कश्मीर को भारत से अलग किए जाने या अफजल गुरु या अजमल कसाब के समर्थन की बात करेगा तो चुप नहीं बैठेंगे।
लेकिन बुधवार के हमले के बावजूद अन्ना हजारे के सहयोगी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के तेवर सख्त बने हुए हैं। प्रशांत ने खुद पर हुए हमले को देश में फासीवादी ताकतों के सिर उठाने और उनकी जड़ें मजबूत होने का नतीजा बताया है। उन्होंने कहा कि श्रीराम सेना जैसे संगठनों का पहले तो सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए और सरकार को भी इन पर पाबंदी लगाना चाहिए। कश्मीर के बारे में भूषण ने फिर कहा कि वहां रायशुमारी कराने में कुछ भी गलत नहीं है।
भूषण ने एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि बढ़ती असहिष्णुता चिंता की बात है। उन पर हुए हमले से यह बात साबित हुई है कि देश में फासीवादी ताकतें मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि किसी को किसी की बात से असहमत होने का अधिकार तो है, लेकिन पिटाई कर असहमति जताने का हक नहीं हो सकता। हमलावर फासीवादी मानसिकता के थे।
भूषण ने कहा कि श्रीराम सेना जैसे संगठन भारत में मजबूत हो रहे हैं। समाज को समझना चाहिए कि फासीवादी मानसिकता को बर्दाश्त करना ठीक नहीं होगा। इसलिए श्रीराम सेना जैसे संगठनों का सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए। फिर सरकार को भी इस पर पाबंदी लगाना चाहिए, क्योंकि खुले आम हिंसा करने वालों को कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती। तेजेंदर बग्गा ने खुलेआम ऐलान किया है कि जो देश तोड़ने की बात करेगा, वह उसका सिर तोड़ देगा। ऐसी विचारधारा कानूनसम्मत नहीं है और ऐसे संगठन को कानूनी मान्यता नहीं मिलनी चाहिए।
भूषण ने कहा कि वह अपने ऊपर हुए हमले से चिंतित या डरे नहीं हुए हैं। सुरक्षा लेने के सवाल पर वह बोले कि परिवार के लोग, दोस्त और शुभचिंतक सुरक्षा के लिए कह रहे हैं। इस पर विचार कर सोचा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा ले लेने भर से कोई व्यक्ति सुरक्षित नहीं हो जाता, क्योंकि सुरक्षा में सेंध भी लग जाती है।
भूषण बुधवार को खुद पर हुए हमले के लिए श्रीराम सेना को जिम्मेदार बता रहे हैं, जबकि सेना के प्रमुख प्रमोद मुथालिक ने कहा है कि हमले से उनके संगठन का कोई लेनादेना नहीं है।