तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 अक्तूबर 2011
बिजली दरें नहीं घटीं तो 14 को राजस्थान बंद
औद्योगिक व व्यापारिक संगठनों के सैकड़ों पदाधिकारियों ने एकजुट होकर सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया और सरकार की संवेदनहीनता की निंदा की।
महासंगम में यूकोरी अध्यक्ष ताराचंद चौधरी के साथ उद्यमियों व व्यापारियों ने पांच प्रस्तावों पर एकजुट रहने का वादा किया। इसके साथ ही महासंगम के मंच से 14 नवंबर को राजस्थान बंद करने का एलान किया गया। इसमें व्यापारी व उद्यमी प्रतिष्ठान बंद रख सरकार का असहयोग दर्शाएंगे।
बिजली बिल जमा नहीं कराने के बाद कनेक्शन कटाने की कार्रवाई पर उद्यमियों ने फैक्ट्रियों की चाबी मुख्यमंत्री को सौंपने की भी घोषणा की। इसके साथ ही अमरूदों का बाग में 2 लाख उद्यमियों के प्रदर्शन की भी योजना बनाई गई, जिसकी तारीख बाद में घोषित की जाएगी।
महासंगम में उद्यमियों व व्यापारियों ने महंगी बिजली के खिलाफ लड़े जा रहे आंदोलन की आगे की रणनीति भी तैयार की। महासंगम में प्रदेश के 365 इंडस्ट्रियल एसोसिएशन व 64 व्यापार संघों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
महासंगम में ताराचंद चौधरी ने कहा कि उद्योगपति व व्यापारी एक माह से बिजली दर व कटौती से राहत के लिए सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार को प्रदेश के 3 लाख 75 हजार उद्योगों व 75 लाख मजदूरों की जरा भी चिंता नहीं है। अब उद्यमियों का सरकार से मोह भंग हो गया है। अब सरकार को जगाने के लिए एकजुट होकर संघर्ष करना होगा।
महासंगम को राजस्थान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव के.एल. जैन, सचिव अरुण अग्रवाल, फोर्टी के अध्यक्ष आत्माराम गुप्ता, महामंत्री प्रेम बियानी, स्टील चैंबर के अध्यक्ष सीताराम अग्रवाल, राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता, जयपुर व्यापार महासंघ के अध्यक्ष त्रिलोकचंद अग्रवाल आदि पदाधिकारियों ने संबोधित किया। महासंगम में उद्यमियों ने 30 सितंबर को कलेक्ट्रेट सर्किल पर हुए लाठीचार्ज की निंदा भी की।वक्ताओं ने उद्यमियों व व्यापारियों को एकजुट होकर संघर्ष करने का एलान किया।
महंगी बिजली व बिजली कटौती के खिलाफ हुए महासंगम में यूनाइटेड काउंसिल ऑफ राजस्थान इंडस्ट्रीज (यूकोरी), राजस्थान संयुक्त उद्योग व्यापार संघर्ष समिति, विश्वकर्मा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, राजस्थान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, फोर्टी, राजापार्क व्यापार मंडल, इंडस्ट्रियल एस्टेट एसोसिएशन, स्टील चैंबर, एम्प्लायर्स एसोसिएशन, फोर्टी, जयपुर व्यापार महासंघ, राजस्थान व्यापार महासंघ, राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ सहित प्रदेशभर के इंडस्ट्रीज व व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारियों ने भाग लिया।
हमारे पैसों से हमारे ऊपर डंडा :
महासंगम में उद्यमियों ने 30 सितंबर को कलेक्ट्रेट सर्किल पर हुए लाठीचार्ज की निंदा भी की। उनका कहना था कि हमारे टैक्स से ही सरकारी अफसरों को वेतन व भत्ते मिलते हैं और वे हमारे ऊपर ही डंडा चलाते हैं। व्यापारियों ने आगामी चुनावों में ज्यादा से ज्यादा उद्यमियों व व्यापारियों को विधायक बनाने की जरूरत बताई, ताकि विधानसभा में उनकी बात रखी जा सके।
जेनेरिक दवाइयां ही लिखें या कार्रवाई के लिए तैयार रहें डॉक्टर'
हाईकोर्ट ने कहा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के नियम व राज्य सरकार के 7 अक्टूबर 2010 को जारी आदेश के अनुसार जेनेरिक दवाइयां नहीं लिखने वाले डॉक्टरों को कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश कैलाश चंद्र जोशी की खंडपीठ ने शनिवार को यह आदेश विजय मेहता व राजेश कुमार माथुर की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर दिया।
मेहता ने दवाइयों की बढ़ती कीमतों को लेकर डॉक्टरों को जेनेरिक नाम से दवाइयां लिखने के लिए निर्देशित किए जाने का आग्रह किया था, जबकि माथुर ने राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2005 में जारी सूची में कुछ और जेनेरिक दवाइयों के नाम जोड़ने की अपील की थी।
हाईकोर्ट ने 29 मार्च 2011 को एमसीआई से इस बारे में राय मांगी थी। काउंसिल ने इस पर 10 मई को मीटिंग बुलाकर प्रस्ताव पारित किया और नियम 1.5 के तहत जारी निर्देशों को अधिकृत बताते हुए राज्य सरकार को भेजा। सरकार ने 7 अक्टूबर को एमसीआई के प्रस्ताव को मंजूर कर हाईकोर्ट में शपथ-पत्र के साथ पेश किया था।
जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं का एक जैसा असर
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की जयपुर ब्रांच के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. ईश मुंजाल बताते हैं कि जेनेरिक दवा ब्रांडेड दवा का ही समरूप है जो कि रासायनिक रूप, शुद्धता मात्रा, सुरक्षा व ताकत आदि में ब्रांडेड दवा के समान है।
ब्रांडेड दवा के समान ही इसकी खुराक ली जाती है और यह उसी के समान असर करती है। जैनेरिक दवाओं में प्रयुक्त सॉल्ट ब्रांडेड दवाओं वाले ही हैं। दोनों प्रकार की दवाओं के स्टेंडर्ड भी समान हैं।
डीकंट्रोल्ड ड्रग्स के कारण लुटते हैं मरीज
देश और प्रदेश में ज्यादातर इस्तेमाल होने वाली दवाएं ऐसी हैं जिनकी कीमतों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता है। इनका निर्धारण दवा निर्माता कंपनी करती है और यह डीकंट्रोल्ड ड्रग्स की श्रेणी में आती हैं।
इनकी संख्या करीब 350 के आसपास है। इन दवाओं में कमीशन के भारी खेल का खामियाजा आखिरकार मरीज को भुगतना पड़ता है। कंट्रोल्ड ड्रग्स श्रेणी में सौ से भी कम दवाएं हैं और इनकी एमआरपी सरकारी निर्देशन में एक प्रक्रिया के तहत तय होती है।
ऐसी चरित्र वाली स्त्री, दोस्त या नौकर के साथ रहना मृत्यु के समान है...
हमारे आसपास कई तरह लोग रहते हैं। कुछ हमारे रिश्तेदार हैं, मित्र हैं, नौकर हैं तो कुछ अनजान लोग। सभी का अलग-अलग स्वभाव होता है। कुछ अच्छे स्वभाव वाले होते हैं तो कुछ बुरे स्वभाव के। आचार्य चाणक्य बताया है कि किस प्रकार के लोगों से हमें दूर रहना चाहिए-
आचार्य चाणक्य कहते हैं-
दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायक:।
स-सर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशय:।।
इस श्लोक का अर्थ है कि दुष्ट स्वभाव वाली, कड़वा बोलने वाली, बुरे चरित्र वाली स्त्री, नीच और कपटी मित्र, पलटकर जवाब देने वाला नौकर और जिस घर में अक्सर सांप दिखाई देते हैं वहां रहने वाले इंसानों का जीवन भयंकर कष्टों में ही गुजरता है वहां हर पल मृत्यु का डर बना रहता है।
आचार्य के अनुसार जिस स्त्री का चरित्र अपवित्र है, जिसका स्वभाव दुष्ट प्रवृत्ति का है उसके साथ रहने वाले लोगों का जीवन हमेशा ही संकटों से भरा रहता है। ऐसे स्वभाव वाली स्त्री के पति का जीवन मृत्यु के समान ही व्यतीत होता है। इसके अलावा जिन लोगों के मित्र कपटी और नीच स्वभाव के हैं उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए। अन्यथा वे कब धोखा दे देंगे, समझना मुश्किल है। जिन लोगों के नौकर सामने से जवाब देते हैं, मालिक का आदर नहीं करते उन्हें तुरंत हटा देना चाहिए। ऐसे नौकर कभी भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा जिस घर में अक्सर सांप दिखाई देते हैं वहां रहने पर भी सर्पदंश से मृत्यु का भय हमेशा ही बना रहता है। अत: ऐसे स्थान को छोड़ देना चाहिए।
कौन है चाणक्य?
ऐसा माना जाता है सबसे पहले अखंड भारत की परिकल्पना आचार्य चाणक्य ने ही की थी। उस समय भारत आर्यावर्त के नाम से जाना जाता था। तब भारत की सीमाएं बहुत ही विस्तृत थीं, जो कि कई छोटे-छोटे साम्राज्य में विभाजित थीं। इन सभी साम्राज्यों को जोड़कर अखंड भारत बनाने का सपना आचार्य चाणक्य ने देखा था।
जब सम्राट सिकंदर भारत पर आक्रमण के लिए आया तब चाणक्य ने कूटनीति से उसे पुन: लौटा दिया था। उस समय भारत के सभी साम्राज्यों में से एक सबसे शक्तिशाली साम्राज्य था मगध। मगध की राजधानी पाटलीपुत्र थी जो कि आज पटना के नाम से प्रसिद्ध है। मगध का सम्राट धनानंद हमेशा ही भोग-विलास में डूबा रहता था और प्रजा की उसे कोई चिंता नहीं थी। वह सभी छोटे-छोटे राजाओं से मनमाना कर वसूल करता था। धनानंद ने अपनी सभा में आचार्य चाणक्य का अपमान कर दिया था। तब चाणक्य ने धनानंद का कुशासन समाप्त करने की प्रतिज्ञा ली।
प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए आचार्य चाणक्य ने एक सामान्य से बालक चंद्रगुप्त को तक्षशिला में शिक्षा दी। इसी बालक चंद्रगुप्त की मदद से चाणक्य ने धनानंद का कुशासन समाप्त किया और अखंड भारत की स्थापना की।
चाणक्य नीति (Chanakya Niti) क्या है?
आचार्य चाणक्य तक्षशिला के गुरुकुल में अर्थशास्त्र के आचार्य थें लेकिन उन्हें राजनीति और कूटनीति में भी महारत हासिल थी। चाणक्य ने एक महत्वपूर्ण ग्रंथ भी रचा जिसका नाम है चाणक्य नीति। इस नीति शास्त्र में जीवन में सफलता कैसे प्राप्त करें, इस संबंध में महत्वपूर्ण नीतियां बताई गई हैं। इन नीतियों का पालन करने वाला व्यक्ति निश्चित रूप से जीवन में हर कदम सफलता प्राप्त करता है और उल्लेखनीय कार्य करता है।
कांग्रेश के वरिष्ठ नेता नवल किशोर शर्मा के घर पहुंचे मोदी
कैदी नंबर 9118 बने येदियुरप्पा, 22 अक्टूबर तक भेजे गए जेल
बेंगलुरु. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने लोकायुक्त कोर्ट द्वारा जमानत अर्जी खारिज किए जाने के बाद शनिवार शाम को कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। कोर्ट ने उन्हें २२ अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में बेंगलुरु के सेंट्रल जेल भेज दिया है, जहां उन्हें ९११८ नंबर दिया गया है।
इससे पहले लोकायुक्त कोर्ट ने येदियुरप्पा के खिलाफ वॉरंट जारी करते हुए शाम चार बजे तक गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। लेकिन येदियुरप्पा के रेस कोर्स रोड पर मौजूद घर पहुंची लोकायुक्त पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा। पुलिस ने शहर में मौजूद उनके दूसरे घर पर भी उनकी तलाश की, लेकिन वह उस घर पर भी नहीं मिले। इस बीच, येदियुरप्पा के वकील का कहना है कि वह जमानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
लोकायुक्त कोर्ट ने सरकारी जमीन से जुड़ी अनियमितता के मामले में येदियुरप्पा की जमानत अर्जी खारिज की है। कोर्ट ने येदियुरप्पा की कैबिनेट में शामिल रहे एस.एन. कृष्णैया शेट्टी को भी जमानत देने से इनकार करते हुए गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं। लेकिन इस मामले में आरोपी 14 अन्य आरोपियों को राहत देते हुए जमानत दे दी है। इसमें येदियुरप्पा के बेटे बी.वाई. राघवेंद्र, बी.वाई. विजयेंद्र और उनके दामाद सोहन कुमार शामिल हैं। येदियुरप्पा पर बेंगलुरु और उसके आसपास सरकारी ज़मीन को अपने परिवार और शेट्टी के आर्थिक फायदे के लिए डीनोटिफाई करने का आरोप है। लोकायुक्त कोर्ट के जज एनके सुधींद्र राव ने जमानत पर रिहा हो रहे लोगों से पांच लाख का मुचलका देने, सुबूतों से छेड़छाड़ न करने और देश छोड़कर न जाने को कहा है। येदियुरप्पा और उनके साथ 15 अन्य लोगों के खिलाफ ज़मीन से जुड़ी गड़बड़ी करने का आरोप एडवोकेट सिराजिन बाशा ने लगाया है।
इस खबर से बीजेपी खासतौर पर भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ जन चेतना यात्रा निकाल रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। खनन घोटाले में लोकायुक्त की रिपोर्ट में दोषी ठहराए जाने के बाद येदियुरप्पा ने कुछ हफ्तों पहले ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। येदियुरप्पा की अर्जी खारिज होने की खबर आते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर हमलावर रुख अपना लिया है। इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी ने कहा है कि पूरे मामले पर कांग्रेस का रुख ही सही साबित हो रहा है। पार्टी के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा है कि येदियुरप्पा की गिरफ्तारी से बीजेपी का असली चेहरा सामने आ गया है। कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोई भी कोर्ट जमानत अर्जी तभी ठुकराती है, जब उसे लगता है कि आरोपी को जमानत देने के लिए एक भी ठोस वजह नहीं है। उन्होंने बीजेपी पर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर दोहरा रुख अपनाने का आरोप लगाया है। वहीं, बीजेपी के प्रवक्ता जे. पी. नड्डा ने कहा कि उनकी पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ है। नड्डा के मुताबिक येदियुरप्पा के मामले में कानूनी प्रक्रिया चल रही है, जिसका पार्टी सम्मान करती है।
मासूम की मौत का बदला, पहले ड्राइवर को काटा, फिर लगा दी बस में आग
दुमका से नाला जा रही पागल बाबा कंपनी की कृष्णा रजत बस (जेएच-04ए-2917) ने बैल को बचाने के लिए मवेशी चरा रहे अकीम को पीछे से टक्कर मार दी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। इससे घबराकर ड्राइवर राजेंद्र रजक बस छोड़कर भाग खड़ा हुआ। ग्रामीणों ने खदेड़ कर उसे पकड़ लिया। बुरी तरह पीटा। फिर बेरहमी से कुल्हाड़ी से काट डाला। ड्राइवर जरमुंडी प्रखंड के मचकोल गांव का रहने वाला था।
इसके बाद ग्रामीणों ने यात्रियों को बस से उतार कर उसमें आग लगा दी। फायर ब्रिगेड के पहुंचने से पहले यह जल चुकी थी। वारदात के बाद बस यात्री डर कर वहां से भाग गए। आधे घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची। मसलिया थाना प्रभारी कामेश्वर सिंह ने बताया कि पुलिस अज्ञात लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करेगी
खुद ने गोली मार ली या मुठभेड़ में मारा गया कैदी?
सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि पुलिस हिरासत से भागने के बाद कैदी सोनू शर्मा आखिर खुद को गोली क्यों मारेगा?
करौली एसपी ओमप्रकाश के अनुसार भरतपुर की सेवर जेल से हिंडौन निवासी सोनू शर्मा तथा महू भांकरी (करौली) निवासी चेता माली को शनिवार को पुलिस करौली में पेशी पर लाई थी। पुलिस कांस्टेबल शिवचरण, कुंवरपाल, दिगंबर सिंह, ओमप्रकाश व गोरधन उनके साथ थे।
पेशी से लौटते समय दोपहर करीब तीन बजे शिवचरण को छोड़कर चारों कांस्टेबल और दोनों कैदियों ने बस स्टैंड पर खाना खाया। बाद में सभी रोडवेज की बस में हिंडौन के लिए रवाना हुए। रास्ते में दोनों कैदियों और शिवचरण को छोड़कर अन्य चारों कांस्टेबलों को बेहोशी सी आने लगी।
इस बीच करौली-हिंडौन मार्ग पर गढ़ी बांधवा के समीप सोनू ने शिवचरण को मारपीट कर घायल कर दिया और बस रुकवाकर हथड़की सहित चेता को लेकर फरार हो गया। शिवचरण व लड़खड़ा रहे अन्य कांस्टेबलों ने उनका पीछा किया। सोनू ने उन पर खुद के पास रखे कट्टे व पिस्टल से फायर किया। जवाब में शिवचरण ने भी हवाई फायरिंग की।
उसकी गोलियां भी खत्म हो गईं। इस बीच कैदी चेता ने चिल्लाकर बताया कि सोनू मर गया है। एसपी का कहना है कि चेता ने पूछताछ में बताया कि सोनू ने खुद को गोली मारी थी। हालांकि, इस मामले का खुलासा उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही होगा। सोनू की करौली जेल से 2010 में भागने का प्रयास करने तथा चेता की ज्यादती के मामले में पेशी थी।
चारों कांस्टेबल अस्पताल में
कैदियों के साथ खाना खाने से बेहोश हुए चारों कांस्टेबलों को करौली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां से उन्हें जयपुर रैफर कर दिया गया। ये अचेत होने के कारण वे बयान नहीं दे पाए।
पुलिस सच्ची या झूठी?
>कैदी सोनू को जेल से पेशी पर लाया गया था, रास्ते में उसके पास हथियार कहां से आए?
>सोनू जब पुलिस हिरासत से भाग गया तो उसने खुद को गोली क्यों मार ली?
>कांस्टेबलों के साथ खाना खाने के बावजूद सोनू व दूसरे कैदी को बेहोशी क्यों नहीं आई?
पहले भी भागने की कोशिश
सोनू ने पेशी से लाते समय अप्रैल 2010 में करौली जेल के बाहर फायरिंग कर भागने का प्रयास किया था। उसे परिजन देशी कट्टा दे गए थे। नवंबर 2006 में उसने हिंडौन में बैंक ऑफ बड़ौदा के कैशियर की हत्या कर 10 लाख रु. तथा 2004 में रोडवेजकर्मी पर फायरिंग कर साढ़े तीन लाख रु. लूटे थे।
हैप्पी बर्थडे हेमा जी: आज भी बरकरार है ड्रीम गर्ल का जादू
घर में फिल्मी माहौल रहने के कारण हेमा मालिनी का झुकाव भी फिल्मों की ओर हो गया। हेमा मालिनी ने प्रारंभिक शिक्षा मद्रास (चेन्नई) में प्राप्त की। वर्ष 1961 में उन्हें एक लघु नाटक ‘पांडव वनवासम‘ में बतौर नर्तकी काम करने का अवसर मिला। वर्ष 1964 में बतौर अभिनेत्री काम पाने के लिये उन्होंने जब फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा तो तब एक तमिल निर्देशक श्रीधर ने उन्हें अपनी फिल्म में काम देने से इंकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि उनके पास कोई स्टार अपील नहीं है। इन्हीं श्रीधर ने सत्तर के दशक में हेमा मालिनी की लोकप्रियता को भुनाने के लिये वर्ष 1973 में गहरी चाल का निर्माण किया। वर्ष 1968 तक हेमा मालिनी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिये संघर्ष करती रही। उसके बाद हेमा मालिनी के सिने कैरियर का सुनहरा वर्ष साबित हुआ और उन्हें महान अभिनेता राजकपूर के साथ फिल्म ‘सपनो का सौदागर’ में बतौर अभिनेत्री काम करने का अवसर मिला। फिल्म के प्रचार के दौरान हेमा मालिनी को ड्रीम गर्ल के रूप में प्रचारित किया गया।
दुर्भाग्यवश फिल्म टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई लेकिन अभिनेत्री के रूप में हेमा मालिनी को दर्शकों ने पसंद कर लिया। हेमा मालिनी को अपनी पहली सफलता वर्ष 1970 में प्रदíशत फिल्म ‘जॉनी मेरा नाम’ से हासिल हुई। फिल्म में उनके साथ अभिनेता देवानंद मुख्य भूमिका में थे। फिल्म में हेमा मालिनी और देवानंद की जोड़ी को सिने दर्शकों ने सिर आंखों पर लिया और फिल्म सुपरहिट रही। 1975 में प्रदíशत फिल्म ‘शोले’ में धर्मेन्द्र ने वीरू और हेमामालिनी ने बसंती की अल्हड़ जोडी के रूप में दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
हेमा मालिनी और धमेन्द्र की यह जोड़ी इतनी अधिक पसंद की गई कि धर्मेन्द्र की रियल लाइफ की ‘ड्रीम गर्ल’ हेमामालिनी उनके वास्तविक जीवन की ड्रीम गर्ल बन गईं। फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद हेमा मालिनी ने समाज सेवा के लिए राजनीति में भी भूमिका निभायी और भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से राज्य सभा में सदस्य बनी।
हेमा मालिनी को फिल्मों में उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 1999 में फिल्मफेयर का लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड और वर्ष 2003 में जी सिने का लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड दिया गया। फिल्म क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये वह वर्ष 2000 में पदमश्री सम्मान से भी समानित की गयी।
ब्वॉयफ्रेंड और उसकी मंगेतर को दी ऐसी खौफनाक सजा कि आप कभी बेवफाई ना करेंगे
सुबह करीब साढ़े पांच बजे अनुश्री ने कहा कि वह उनकी शादी के रास्ते में नहीं आएगी। उसने दोनों को कमरे में आराम करने के लिए कहा और साथ ही सलाह दी कि वह कमरा बंद न करें। कुछ देर बाद अनुश्री ने सोते हुए निमेष और जूही पर तेल छिड़क कर आग लगा थी और फ्लैट का दरवाजा बंद करके भाग गई। दोनों की चीखें सुनकर पड़ोसियों ने दरवाजा खोला। पुलिस ने अनुश्री पर केस दर्ज कर लिया है। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमें बेंगलुरु और गुड़गांव भेजी गई हैं।
छह साल से था अफेयर
गुड़गांव निवासी आईटी प्रोफेशनल निमेष शर्मा का बेंगलुरु की रहने वाली सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनुश्री कुंद्रा से 6 साल से अफेयर था। पुणो आने से पहले अनुश्री और निमेष गुड़गांव में साथ ही रहते थे। पुणो शिफ्ट होने के बाद घरवालों ने निमेष की सगाई जूही से कर दी। यह बात अनुश्री को नागवार गुजरी।
दिग्विजय को अन्ना ने दिया कड़ा जवाब- आरएसएस के साथ मिल कर कांग्रेस कर रही साजिश
नई दिल्ली. भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चला रहे गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के आरोपों का जवाब दिया। अन्ना ने कहा कि उन्हें हिसार उपचुनाव के परिणाम का इंतजार है इसके बाद वह पीएम मनमोहन सिंह की चिट्ठी का भी जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि वह एक चिट्ठी लिख रहे हैं जिसे प्रधानमंत्री को भेजा जाएगा। अन्ना हजारे ने चेतावनी दी है कि संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन तक जनलोकपाल बिल नहीं आने पर फिर से अनशन शुरू होगा।
दिग्विजय को लिखी आठ पन्नों की चिट्ठी में अन्ना ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी में भ्रष्टाचार से लड़ने की इच्छाशक्ति नहीं है। उन्होंने कहा है, 'कांग्रेस में चिराग चले अंधेरा है।' अन्ना ने दिग्विजय सिंह पर आरोप लगाए कि वो पार्टी में कोई बड़ा पद पाने की फिराक में हैं। दिग्विजय सिंह के पत्र का जवाब देते हुए अन्ना हजारे ने यह भी कहा कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और उनकी पार्टी की यह दूषित सोच देश को आगे ले जाने के बजाए पीछे धकेल देगी।
अन्ना ने खुली चिट्ठी में कहा है, 'कांग्रेस पार्टी बेदाग नहीं है। इसके कई नेता जेल में बंद हैं। भ्रष्टाचार मिटाने को लेकर बीजेपी-कांग्रेस में कोई फर्क नहीं है। 42 साल में 6 बार लोकपाल बिल पेश हुआ, लेकिन किसी ने जनलोकपाल बिल नहीं पास करने में रुचि दिखाई।'
अन्ना ने आरएसएस से संबंध होने के दिग्विजय के आरोप पर उनपर ही पलटवार किया। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस की तरह आरएसएस भी मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। हो सकता है, दोनों मिल कर यह साजिश कर रही हों। आरएसएस का एक भी कार्यकर्ता मेरे आंदोलन में नहीं दिखाई दिया।'
हरियाणा की हिसार संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान टीम अन्ना ने कांग्रेस के खिलाफ वोट देने की अपील की थी। कांग्रेस ने टीम अन्ना की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि अन्ना हजारे और उनके साथियों की इस मंशा से कई सवाल खड़े होते हैं।
बीते मंगलवार को पीएम मनमोहन सिंह और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने अन्ना हजारे को चिट्ठी लिखी लेकिन दोनों की चिट्ठियों का मजमून अलग-अलग था। दिग्विजय ने अन्ना पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि बीजेपी अन्ना हजारे को राष्ट्रपति बनने का सपना दिखा रही है इसलिए वो भाजपा के प्रति नरमी बरत रहे हैं जबकि कांग्रेस के खिलाफ लोगों को भड़का रहे हैं। दिग्विजय सिंह अन्ना हजारे के आरएसएस से संबंधों को लेकर भी आरोप लगाते रहे हैं लेकिन पीएम ने अन्ना को भरोसा दिलाया कि सरकार को उम्मीद है कि निकट भविष्य में लोकपाल बिल लागू कर दिया जाएगा।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत का जीवन परिचय
अपनी सादगी और गांधीवादी मूल्यों के लिए पहचाने जाने वाले श्री अशोक गहलोत का जन्म 3 मई 1951 को जोधपुर राजस्थान में हुआ । स्व. श्री लक्ष्मण सिंह गहलोत के घर जन्मे श्री अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में स्नातक डिग्री प्राप्त की तथा अर्थशास्त्र विषय लेकर स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की। श्री गहलोत का विवाह 27 नवम्बर, 1977 को श्रीमती सुनीता गहलोत के साथ हुआ। श्री गहलोत के एक पुत्र (वैभव गहलोत) और एक पुत्री (सोनिया गहलोत) हैं। श्री गहलोत को जादू तथा घूमना-फिरना पसन्द हैं। श्री गहलोत सच्चे धरती पुत्र हैं। उन्हें फिजूलखर्ची पसन्द नहीं है। वे लोगों की पीड़ा और दु:ख- दर्द जानने के लिए उनसे सीधी मुलाकात करते हैं।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति और समाजसेवा में सक्रिय रहे श्री गहलोत 7वीं लोकसभा (1980-84) के लिए वर्ष 1980 में पहली बार जोधपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए। श्री गहलोत एक करिश्माई नेता हैं तथा उन्होंने जोधपुर संसदीय क्षेत्र का 8वीं लोकसभा (1984-1989), 10वीं लोकसभा (1991-96), 11वीं लोकसभा (1996-98) तथा 12वीं लोकसभा (1998-1999) में प्रतिनिधित्व किया।
सरदारपुरा (जोधपुर) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होने के बाद श्री गहलोत फरवरी, 1999 में 11वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य बने । प्रदेश की जनता में लोकप्रिय श्री गहलोत पुन: इसी विधानसभा क्षेत्र से 12वीं राजस्थान विधानसभा के लिए 04/12/2003 को निर्वाचित हुए तथा 13वीं राजस्थान विधानसभा के लिए 08/12/2008 को सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से ही पुन: निर्वाचित हुए ।
केन्द्रीय मंत्री
श्री गहलोत एक सच्चे राजनेता हैं जिन्होंने अपना ध्यान गरीबों के सर्वांगीण विकास पर केन्द्रित रखा। उन्होंने स्व. श्रीमती इन्दिरा गांधी, स्व. श्री राजीव गांधी तथा स्व. श्री पी.वी.नरसिम्हा राव के मंत्रीमण्डल में केन्द्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया । वे तीन बार केन्द्रीय मंत्री बने । जब स्व. श्रीमती इन्दिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं उस समय अशोक गहलोत 2 सितम्बर, 1982 से 7 फरवरी, 1984 की अवधि में श्रीमती इन्दिरा गांधी के मंत्रीमण्डल में पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री रहे । इसके बाद श्री गहलोत खेल उपमंत्री बनें । उन्होंने 7 फरवरी, 1984 से 31 अक्टूबर 1984 की अवधि में खेल मंत्रालय में कार्य किया तथा पुन: 12 नवम्बर, 1984 से 31 दिसम्बर, 1984 की अवधि में इसी मंत्रालय में कार्य किया । उनकी पारदर्शी कार्यशैली तथा प्रत्येक विषय-वस्तु को गहराई से जानने की लगन के कारण स्व. श्रीमती इन्दिरा गांधी और स्व. श्री राजीव गांधी जैसे नेता उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करते थे । उनकी इस कार्यशैली को देखते हुए उन्हें केन्द्र सरकार में राज्य मंत्री बनाया गया । 31 दिसम्बर, 1984 से 26 सितम्बर, 1985 की अवधि में श्री गहलोत ने केन्द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया । इसके पश्चात् उन्हें केन्द्रीय कपड़ा राज्य मंत्री बनाया गया । यह मंत्रालय पूर्व प्रधानमंत्री के पास था तथा श्री गहलोत को इसका स्वतंत्र प्रभार दिया गया । श्री गहलोत इस मंत्रालय के 21 जून, 1991 से 18 जनवरी, 1993 तक मंत्री रहे ।
राजस्थान सरकार में मंत्री
जून, 1989 से नवम्बर, 1989 की अल्प अवधि के बीच श्री गहलोत राजस्थान सरकार में गृह तथा जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मंत्री रहे ।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी / कांग्रेस कार्यकारी कमेटी में भूमिका
जनवरी, 2004 से 16 जुलाई, 2004 तक श्री गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में विशेष आमन्त्रित सदस्य के रूप में कार्य किया और इस पद पर रहते हुए हिमाचल प्रदेश व छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी के रूप में सफलता पूर्वक जिम्मेदारी का निर्वहन किया। 17 जुलाई, 2004 से 18 फरवरी, 2009 तक श्री गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया इस दौरान श्री गहलोत ने उत्तरप्रदेश, दिल्ली, समस्त फ्रन्टल इकाईयों व सेवादल के प्रभारी के रूप में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया।
महात्मा गांधी के ऐतिहासिक ढाडी मार्च के 75 वर्ष पूरे होने पर कांग्रेस एवं महात्मा गांधी फाउण्डेशन की ओर से आयोजित ढाडी यात्रा के समन्वयक के रूप में कार्य करते हुए सफलता पूर्वक सम्पन्न कराया।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल
श्री गहलोत को 3 बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष रहने का गौरव प्राप्त हुआ है। पहली बार श्री गहलोत 34 वर्ष की युवा अवस्था में ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बन गये थे । राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में उनका पहला कार्यकाल सितम्बर, 1985 से जून, 1989 की अवधि के बीच में रहा । 1 दिसम्बर, 1994 से जून, 1997 तक द्वितीय बार व जून, 1997 से 14 अप्रैल, 1999 तक तृतीय बार वे पुन: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर रहे ।
वर्ष 1973 से 1979 की अवधि के बीच श्री गहलोत राजस्थान NSUI के अध्यक्ष रहे और उन्होंने कांग्रेस पार्टी की इस यूथ विंग को मजबूती प्रदान की । श्री गहलोत वर्ष 1979 से 1982 के बीच जोधपुर शहर की जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे । इसके अलावा वर्ष 1982 में श्री गहलोत राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (इन्दिरा) के महासचिव भी रहे ।
सामाजिक पृष्ठभूमि
गरीबों और पिछड़े वर्ग की सेवा को तत्पर श्री गहलोत ने पश्चिम बंगाल के बंगांव और 24 परगना जिलों में वर्ष 1971 में बंग्लादेश युद्ध के दौरान आयोजित शरणार्थी शिविरों में काम किया । समाज सेवा में गहरी रूचि रखने वाले श्री गहलोत ने तरूण शान्ति सेना द्वारा सेवाग्राम, वर्धा, औरंगाबाद, इन्दौर तथा अनेक जगहों पर आयोजित शिविरों में सक्रिय रूप से कार्य किया तथा कच्ची बस्ती और झुग्गी क्षेत्रों के विकास के लिए अपनी सेवाएं दी । नेहरू युवा केन्द्र के माध्यम से उन्होंने प्रौढ शिक्षा के विस्तार में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया । श्री गहलोत सक्रिय रूप से कुमार साहित्य परिषद और राजीव गांधी मेमोरियल बुक-बैंक से जुड़े हुए है ।
श्री गहलोत भारत सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं । यह संस्थान समाज सेवा को समर्पित हैं तथा एम्बूलेन्स सेवा प्रदान करती है । इसके अलावा यह संस्थान राजीव गांधी मेमोरियल बुक बैंक के माध्यम से गरीब छात्रों के लिए नि:शुल्क पुस्तकें उपलब्ध करवाती है । संस्थान ने जोधपुर में राजीव गांधी सेवा सदन में एक वाचनालय भी स्थापित किया है ।
श्री गहलोत राजीव गांधी स्टडी सर्किल, नई दिल्ली के भी अध्यक्ष हैं । यह संस्था देशभर के विश्वविद्यालय/महाविद्यालय के छात्रों एवं शिक्षकों के हितों की देखभाल करती है ।
विदेश यात्रा
श्री गहलोत ने भारतीय प्रतिनिधिमण्डल के सदस्य के रूप में विदेशों में भी भारत का प्रतिलनिधिओ किया है । उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधिमण्डल के सदस्य के रूप में जनवरी, 1994 में चीन की यात्रा की । श्री गहलोत ने कॉमनवैल्थ यूथ अफेयर्स काउन्सिल के भारतीय प्रतिनिधिमण्डल के नेता के रूप में साइप्रस की यात्रा की । उन्होंने बुल्गारिया जाने वाले भारतीय प्रतिनिधिमण्डल का भी नेतृत्वत किया । श्री गहलोत ने बैंकॉक, आयरलैण्डह, फ्रेंकफर्ट, अमेरीका, कनाडा, हांगकांग, यूके, इटली तथा फ्रांस देशों की यात्रा की । मुख्यमंत्री राजस्थान, श्री गहलोत ने 5 कैबीनेट मंत्रियों व 5 अधिकारियों के प्रतिनिधिमण्डरल के साथ 1-5 जुलाई 2010 के दौरान यू. एस. ए. में अप्रवासी राजस्थानियों की ओर से आयोजित राना कोन्क्लेव में भाग लिया। उन्होने भारत वापसी के समय दिनांक 6-9 जुलाई 2010 के मध्य इंग्लैण्ड का अल्पावधि का दौरा किया। वहाँ इंग्लैण्ड में रह रहे राजस्थानियों से भेंट करी और उद्योगपति श्री एल. एन. मित्त्ल व श्री अनिल अग्रवाल से विचार विमर्श किया। इन यात्राओं से उन्हें अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों तथा इन देशों के विकास कार्यों को जानने का अवसर मिला ।
सदस्यता
श्री अशोक गहलोत स्वयं को हमेशा जनता के धन ओर सम्पत्ति का ट्रस्टी मानते हैं । वर्ष 1980 से 1982 के बीच श्री गहलोत पब्लिक एकाउण्ट्स कमेटी (लोकसभा) के सदस्य रहे । श्री गहलोत संचार मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति (10वीं लोकसभा) के सदस्य भी रह चुके हैं । उन्होंने रेल मंत्रालय की स्थाई समिति (10वीं और 11वीं लोकसभा) के सदस्य के रूप में कार्य किया । इसके अलावा श्री गहलोत विदेश मंत्रालय से सम्बद्ध सलाहकार समिति (11वीं लोकसभा) के सदस्य भी रहे हैं ।
मुख्यमंत्री राजस्थान
श्री अशोक गहलोत 01/12/1998 से 08/12/2003 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे । उनका यह कार्यकाल अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियों के अलावा अभूतपूर्व सूखा प्रबन्धन, विद्युत उत्पादन, संसाधनों का विकास, रोजगार सृजन, औद्योगिक और पर्यटन विकास, कुशल वित्तीय प्रबन्धन और सुशासन के लिए जाना जाता है ।
मुख्यमंत्री के रूप में श्री गहलोत के पहले कार्यकाल के दौरान राजस्थान में इस सदी का भयंकार अकाल पड़ा । उन्होंने अत्यन्त ही प्रभावी और कुशल ढ़ंग से अकाल प्रबन्धन का कार्य किया । उस समय अकाल प्रभावित लोगों के पास इतना अनाज पहुंचाया गया था जितना अनाज ये लोग शायद अपनी फसलों से भी प्राप्त नहीं कर सकते थे । प्रतिपक्ष भी खाद्यान्न और चारे की अनुपलब्धता के सम्बन्ध में सरकार की तरफ अंगुली तक नहीं उठा सके क्योंकि श्री गहलोत ने व्यक्तिगत रूप से अकाल राहत कार्यों की मॉनिटरिंग की थी । श्री गहलोत को गरीब की पीड़ा और उसके दु:ख दर्द की अनुभूति करने वाले राजनेता के रूप में जाना जाता है ।
उन्होंने 'पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ' का नारा दिया जिसे राज्य की जनता ने पूर्ण मनोयोग से अंगीकार किया ।
श्री अशोक गहलोत को 13 दिसम्बर, 2008 को दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई ।
गधे पंजीरी कहा रहे हैं जनाब ...शायर और कवि लिख कर लाते हैं और फिर पढ़कर बोलते हैं
फेसबुक के मालिक जुकरबर्ग ने किया दारू पीकर दंगा!
लॉन्च पार्टी में जुकरबर्ग ने जरूरत से ज्यादा शराब पी ली। नशे में उनकी नेप्सटर के सह-संस्थापक सीन पार्कर के साथ गरमागरम बहस हो गई।
ब्रिटिश अखबार डेली मेल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक सीन और मार्क ने मिलकर स्पॉटिफाइ को लॉन्च किया था। इसी का जश्न मनाने के लिए वो दोनों बेवर्ली चले गए। वहां उन्होंने शराब पर बहुत खर्चा किया। देर रात दोनों के बीच किसी बात को लेकर बहस हुई और जल्द ही बहस हंगामें में तब्दील हो गई।
नेप्सटर के किसी भी अधिकारी ने इस घटना पर टिप्पणी करने से इनकार किया है।
नेप्सटर के एक प्रतिनिधी ने बताया, "कई तरह की बातें प्रचलित हो रही हैं। लेकिन उन्में कोई सच्चाई नहीं है। पार्कर और जुकरबर्ग बेवर्ली गए जरूर थे। वहां दोनों के बीच स्पोटिफाइ और फेसबुक को लेकर बातचीत हुई, लेकिन किसी प्रकार की बहस नहीं हुई।"
मौत का इशारा: मौत आने से पहले ऐसे सपने जरूर आते हैं
आपको भी पता है कि हर सपने का कोई न कोई मतलब होता है। हर सपना कुछ इशारे देता है आने वाले कल के लिए। ऐसे ही ज्योतिष के अनुसार सपने आने वाले कल में क्या होना है ये तो बताते ही है साथ ये भी बता देती हैं। यहां तक की अगर किसी की मौत आने वाली है तो आपको सपनों में इसके भी इशारे मिल जाते हैं।
जानें कैसे सपने हैं मौत के
- अगर आपको सपने में कोई काला आदमी दिखे लेकिन उसका चेहरा दिखाइ न दें तो समझना चाहिए कि कुछ ही दिनों में मौत आने वाली है।
- सपने में काला भैंसा देखना भी अशुभ माना जाता है क्योंकि भैंसा यमराज की सवारी माना जाता है। इसलिए भैंसा भी मौत का संकेत देता है।
- अगर सपने में आप खुद को कहीं खिंच कर ले जाते हुए देखें तो आपको समझना चाहिए की मौत आपके करीब आने लगी है।
- अगर सपने में आपको भी पता न चले कि आप कहां जा रहे हैं और किसी अंधेरी जगह जा रहे हो तो समझना चाहिए मौत के करीब जा रहे हो।
- अगर सपने में कोई काला कुत्ता आपको काटे या आपकी तरफ देखें तो समझना चाहिए मौत करीब है।
- सपने में अगर कोई खुद को आइने में देखें लेकिन अपना प्रतिबिंब न दिखें तो समझना चाहिए मौत करीब है।
केजरीवाल ने कहा, हमें पीटने से भ्रष्टाचार खत्म होता है, तो हम तैयार हैं
रालेगण सिद्धि. सशक्त लोकपाल की मांग को लेकर आंदोलन चला रहे गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे की टीम के सदस्य प्रशांत भूषण की पिटाई के तीन दिनों बाद अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि टीम के सदस्यों पर हमला करने की धमकियां मिल रही हैं। अरविंद का कहना है कि हमें शुक्रवार से अनजाने लोगों से एसएमएस और फोन कॉल के जरिए धमकियां मिल रही हैं, लेकिन अगर लोगों को लगता है कि हम पर हमला करने से देश की भ्रष्टाचार से जुड़ी समस्याएं खत्म हो सकती हैं तो हम मार खाने के लिए तैयार हैं।
अन्ना हजारे के गांव रालेगण सिद्धि में अरविंद ने कहा, 'कुछ लोग लोग हम पर और हमारे दफ्तर पर हमला करने की धमकी दे रहे हैं।' केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर टीम के अन्य सहयोगियों से चर्चा की है और यह फैसला किया है कि किसी तरह का हमला होने पर हम जवाबी कार्रवाई नहीं करेंगे। केजरीवाल ने कहा, 'हमारा मानना है कि हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है। इसके बावजूद यदि कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि हम पर हमला करने से देश में भ्रष्टाचार की समस्याएं सुलझ जाएंगी तो, हम उनके हाथों मार खाने के लिए तैयार हैं।'
केजरीवाल ने कहा कि कार्यकर्ताओं को संगठन के कार्यालयों के बाहर खड़ा किया गया है। केजरीवाल ने इस तरह की घटनाओं को भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए एक साजिश का हिस्सा करार दिया। गौरतलब है कि प्रशांत भूषण ने पिछले महीने के कश्मीर पर दिए गए बयान से नाराज कुछ लोगों ने दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट कैंपस में स्थित दफ्तर में उनकी पिटाई कर दी थी।
वो पटरी पर थे और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही : हाई कोर्ट
सरकार ने अदालत के 2007 के आदेश का पालन ही नहीं किया और 27 दिन तक अपना हित साधने का प्रयास करती रही जिससे आमजन को परेशान होना पड़ा। सरकार एक वर्ग को ऊपर चढ़ाती है तो दूसरे को गिराती है, जिससे ऐसी समस्या पैदा होती है।
न्यायाधीश महेश चन्द्र शर्मा ने यह टिप्पणी शुक्रवार को तत्कालीन विशेष गृह सचिव की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए की। न्यायाधीश ने राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता एन.ए. नकवी को निर्देश दिया कि जहां आंदोलन हुआ वहां के तत्कालीन जिला कलेक्टर व एसपी का विस्तृत शपथ पत्र पेश करें। मामले की सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी।
सुनवाई के दौरान गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी बैसला अदालत में हाजिर हुए तो न्यायाधीश ने अतिरिक्त महाधिवक्ता से पूछा कि जब गुर्जर पटरी पर बैठे रहे, तो उन्होंने कानून-व्यवस्था बनाए रखने व समुदाय की मांग के लिए क्या किया। सरकार ने आदेश का पालन करने के बजाय अवमानना याचिका दायर की है, जो सरकार के खिलाफ ही है।
ये थे निर्देश
अधिवक्ता आरआर बैसला ने बताया कि हाई कोर्ट ने 10 सितंबर 07 को सरकार को निर्देश दिया था कि वह आंदोलन के दौरान नागरिकों के मूलभूत अधिकारों के संरक्षण, कानून-व्यवस्था बनाए रखने और सार्वजनिक व निजी संपत्ति की क्षति रोकने की व्यवस्था करे।
साथ ही वह गुर्जर समुदाय के दबाव में केन्द्र सरकार से इन्हें जनजाति में शामिल करने के संबंध में कोई सिफारिश न करे, लेकिन 2008 में फिर गुर्जर आंदोलन के दौरान सरकार ने इन आदेशों का पालन नहीं करके अदालत की अवमानना की है। आंदोलन के दौरान की स्थिति बताते हुए न्यायाधीश ने कहा कि उस समय सुप्रीम कोर्ट के कुछ न्यायाधीश आगरा से जयपुर आना चाहते थे, लेकिन प्रोटोकॉल ऑफिसर ने कहा कि वे इस रूट से न आएं। इससे पता चलता है कि यहां क्या माहौल था
प्याज का जादू: ऐसा करें तो हो जाएंगे पथरी के टुकड़े- टुकड़े
हमारे भारत में खाने को मसालेदार और स्वादिष्ट बनाने के लिए अनेक तरह के मसालों के साथ ही प्याज, लहसुन, अदरक, हरीमिर्च और धनिया आदि डालकर खाने को जायकेदार बनाया जाता है। स्वाद बढ़ाने वाली इन चीजों में कई ऐसे रासायनिक तत्व होते हैं, जो सेहत के लिये वरदान से कम नहीं। क्योंकि ये वस्तुएं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को इतना अधिक बढ़ा देती हैं कि उस पर बीमारियां का असर होता ही नहीं। कहते हैं प्याज का तड़का खाने का स्वाद कई गुना बढ़ा देता है।
लेकिन प्याज सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता यह बहुत अधिक गुणकारी भी है। आइए आज हम आपको बताते हैं प्याज के कुछ ऐसे प्रयोग जिन्हें अपनाकर आप भी कई गंभीर समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।प्याज को काटकर सूंघने से भी सिर का दर्द ठीक होता है। जो खाली पेट रोज सुबह प्याज खाते हैं उन्हें किसी प्रकार की पाचन समस्यायें नहीं होती और दिनभर ताजगी महसूस करते हैं। मासिक धर्म की अनियमितता या दर्द में प्याज के रस के साथ शहद लेने से काफी लाभ मिलता है। इसमें प्याज का रस 3-4 चम्मच तथा शहद की मात्रा एक चम्मच होनी चाहिए। गर्मियों में प्याज रोज खाना चाहिए। यह आपको लू लगने से बचाएगा। प्याज का रस और सरसों का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है।
प्याज के 3-4 चम्मच रस में घी मिलाकर पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। प्याज के रस में चीनी मिलाकर शर्बत बनाएं और पथरी से पीडि़त व्यक्ति को पिलाएं। इसे प्रात: खाली पेट ही पिएं। मूत्राशय की पथरी छोटे-छोटे कणों के रूप में बाहर निकल जाएगी। लेकिन ध्यान रहे, एक बार में इसका बहुत अधिक सेवन न करें। बवासीर में प्याज के 4-5 चम्मच रस में मिश्री और पानी मिलाकर नियमित रूप से कुछ दिन तक सेवन करने से खून आना बंद हो जाता है। घाव में नीम के पत्ते का रस और प्याज का रस समान मात्रा में मिलाकर लगाने से शीघ्र ही घाव भर जाता है। प्याज के रस में दही, तुलसी का रस तथा नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाएं। इससे बालों का गिरना बंद हो जाता है और रूसी की समस्या से भी निजात मिलती है।
इतनी बीमारियों की दुश्मन है लौकी ये जानकर आप चौंक जाएंगे!
हमारे देश मे कुछ सब्जियां लोग बड़े ही चाव से खाते और खिलाते हैं ,अर्थात खुद तो फायदे लेते ही हैं ,औरों के स्वास्थ्य का ध्यान भी रखते हैं। अगर आए कोई मेहमान आपके घर में, तो आप इसकी सब्जी बनाना न भूलें, बड़ा सरल नाम है ,लौकी। अंग्रेजी में बाटल गार्ड के नाम से प्रचलित इसके बारे में कहा जाता है, कि मनुष्य द्वारा सबसे पहले उगाई गयी सब्जी लौकी ही थी। प्रोटीन,फाइबर ,मिनरल,कार्बोहाइड्रेट से भरपूर इसके औषधीय गुणों का बखान हम आपको सरलता से बतलाते हैं -
-इसे उबाल कर कम मसालों के साथ सब्जी बनाकर खाने पर यह मूत्रल (डायूरेटीक), तनावमुक्त करनेवाली (सेडेटिव) और पित्त को बाहर निकालनेवाली औषधि है।
-अगर इसका जूस निकालकर नींबू के रस में मिलाकर एक गिलास की मात्रा में सुबह सुबह पीने से यह प्राकृतिक एल्कलाएजर का काम करता है ,और कैसी भी पेशाब की जलन चंद पलों में ठीक हो जाती है।
-अगर डायरिया के मरीज को केवल लौकी का जूस हल्के नमक और चीनी के साथ मिलकर पिला दिया जाय तो यह प्राकृतिक जीवन रक्षक घोल बन जाता है।
-लौकी के रस को सीसम के तेल के साथ मिलाकर तलवों पर हल्की मालिश सुखपूर्वक नींद लाती है।
-लौकी का रस मिर्गी और अन्य तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित बीमारियों में भी फायदेमंद है।
-अगर आप एसिडीटी,पेट क़ी बीमारियों एवं अल्सर से हों परेशान, तो न घबराएं बस लौकी का रस है इसका समाधान।
- केवल पर्याप्त मात्रा में लौकी क़ी सब्जी का सेवन पुराने से पुराने कब्ज को भी दूर कर देता है।
तो ऐसी लौकी ,जिसके औषधीय प्रयोग के बाद भी संगीत प्रेमियों द्वारा वाद्ययंत्र के रूप में और साधुओं द्वारा कमंडल के रूप में किया जानेवाला प्रयोग ,इसकी महत्ता का एहसास दिलाते है। तो लौकी इस नाम क़ी सब्जी को इसके नाम से हल्का न समझें, इसके गुण बड़े भारी हैं ,लेकिन शरीर पर प्रभाव बड़ा ही हल्का और सुखदाई है।
जानिए, मौत के बाद का जीवन कैसा होता है?
जानिए, मौत के बाद का जीवन कैसा होता है?
गरूड़ पुराण कहता है कि जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसे दो यमदूत लेने आते हैं। जैसे हमारे कर्म होते हैं उसी तरह वो हमें ले जाते हैं। अगर मरने वाला सज्जन है, पुण्यात्मा है तो उसके प्राण निकलने में कोई पीड़ा नहीं होती है लेकिन अगर वो दुराचारी या पापी हो तो उसे बहुत तरह से पीड़ा सहनी पड़ती है। पुण्यात्मा को सम्मान से और दुरात्मा को दंड देते हुए ले जाया जाता है। गरूड़ पुराण में यह उल्लेख भी मिलता है कि मृत्यु के बाद आत्मा को यमदूत केवल 24 घंटों के लिए ही ले जाते हैं।
इन 24 घंटों में उसे पूरे जन्म की घटनाओं में ले जाया जाता है। उसे दिखाया जाता है कि उसने कितने पाप और कितने पुण्य किए हैं। इसके बाद आत्मा को फिर उसी घर में छोड़ दिया जाता है जहां उसने शरीर का त्याग किया था। इसके बाद 13 दिन के उत्तर कार्यों तक वह वहीं रहता है। 13 दिन बाद वह फिर यमलोक की यात्रा करता है।
वेदों, गरूड़ पुराण और कुछ उपनिषदों के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा की आठ तरह की दशा होती है, जिसे गति भी कहते हैं। इसे मूलत: दो भागों में बांटा जाता है पहला अगति और दूसरा गति। अगति में व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिलता है उसे फिर से जन्म लेना पड़ता है। गति में जीव को किसी लोक में जाना पड़ता है।
अगति के चार प्रकार हैं क्षिणोदर्क, भूमोदर्क, तृतीय अगति और चतुर्थ अगति। क्षिणोदर्क अगति में जीव पुन: पुण्यात्मा के रूप में मृत्यु लोक में आता है और संतों सा जीवन जीता है, भूमोदर्क में वह सुखी और ऐश्वर्यशाली जीवन पाता है, तृतीय अगति में नीच या पशु जीवन और चतुर्थ गति में वह कीट, कीड़ों जैसा जीवन पाता है। वहीं गति के अंतर्गत चार लोक दिए गए हैं और जीव अपने कर्मों के अनुसार गति के चार लोकों ब्रह्मलोक, देवलोक, पितृ लोक और नर्क लोक में स्थान पाता है
नोएडा: 700 करोड़ के पार्क में मायावती की मूर्ति, तस्वीरें देखिए
नोएडा. यूपी की मुख्यमंत्री मायावती ने नोएडा में करीब 700 करोड़ की लागत से बने राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल एवं ग्रीन गार्डेन का लोकार्पण किया। इस पार्क में बीआर अंबेडकर, कांशी राम और मायावती के कांस्य की प्रतिमाएं हैं।
कांग्रेस ने मायावती के इस कदम को ‘बर्बादी’ करार दिया है। पार्टी ने आरोप लगाया कि यूपी में बच्चे बीमारी से मर रहे हैं वहीं मायावती सरकारी खजाने की दौलत बर्बाद कर रही हैं।
33 हेक्टेयर में बने इस पार्क पर करीब सात सौ करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। पार्क के तीन हिस्से हैं। दलित प्रेरणा स्थल पार्क के बीच में बड़ा सा स्तूप है। इस मुख्य बौद्धिक स्तूप के नीचे विशालकाय पत्थरों में मायावती की जीवनगाथा उकेरी गई है।
इन परियोजनाओं का भी हुआ लोकार्पण
दलित प्रेरणा स्थल के साथ ही मायावती ने शुक्रवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय का शिलान्यास किया। यह भवन 21 मंजिला होगा। तीन वर्ष में तैयार हो जाएगा। गौतमबुद्ध विवि में बनाए गए संत कबीरदास पुरुष छात्रावास का शुभारंभ हुआ। 24 करोड़ रुपये की लागत से बने इस छात्रावास में 350 छात्रों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा बिरसा मुंडा पुरुष छात्रावास, गुरू घासीराम पुरुष छात्रावास, महामाया महिला छात्रावास और गेस्ट हाउस का भी लोकार्पण हुआ।
बादलपुर गांव में डा. भीमराव अंबेडकर पार्क का लोकार्पण
मुख्यमंत्री मायावती ने बादलपुर गांव में बनाए गए डा. भीमराव अंबेडकर पार्क को भी जनता को समर्पित किया। पार्क में 18 फुट ऊंची अंबेडकर की प्रतिमा लगाई गई है। पार्क में छायादार पौधे, फव्वारे, वाटर बॉडी व पैदल पथ का निर्माण किया गया है। बसपा संस्थापक कांशीराम के अलावा रमाबाई अंबेडकर व मुख्यमंत्री की भी इसमें प्रतिमा लगाई गई है। पार्क का निर्माण 101 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है। बादलपुर में 20 हजार वर्ग मीटर जमीन पर बनाए गए डॉ. भीमराव अंबेडकर हैलीपेड के निर्माण पर 20 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
अन्ना हजारे ने किया अनिश्चितकालीन मौन व्रत का ऐलान, दिग्विजय ने दी यूपी जाने की चुनौती
रालेगण सिद्धि. मजबूत जनलोकपाल बिल के लिए आंदोलन चला रहे अन्ना हजारे रविवार से अनिश्चितकालीन मौन व्रत पर रहेंगे। उन्हें 15 अक्टूबर से उत्तर प्रदेश के दौरे पर जाना था। उन्होंने यह यात्रा तो पहले ही टाल दी थी, लेकिन शनिवार को मौन व्रत पर जाने की भी घोषणा कर दी। इस दौरान वह किसी से भी बात नहीं करेंगे और रालेगण में पद्मावत मंदिर में ही रहेंगे।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने उत्तर प्रदेश की यात्रा टालने के लिए अन्ना पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर किसी राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध करने की सबसे ज़्यादा जरूरत है तो वह उत्तर प्रदेश है। गौरतलब है कि अन्ना ने काफी पहले ऐलान किया था कि वह 15 अक्टूबर से उत्तर प्रदेश का दौरा करेंगे। लेकिन अब उनके बजाय उनकी टीम 17 से 22 अक्टूबर तक राज्य के दौरे पर रहेगी।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि अन्ना इससे क्यों बच रहे हैं। उन्होंने अन्ना को तत्काल उत्तर प्रदेश जाने की एक तरह से चुनौती देते हुए कहा कि अगर अन्ना उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शन करते हैं तो वह खुद उनके साथ प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। इससे पहले दिग्विजय ने लगातार तीन चिट्ठियां लिख कर टीम अन्ना पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अन्ना हजारे राजनीतिक लोगों से घिरे हुए हैं। उनके इस आरोप पर पूछे जाने पर अरविंद केजरीवाल ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
अन्ना हजारे के यह मौन व्रत उस समय शुरु हो रहा है जब कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और बाल ठाकरे ने अन्ना हजारे पर हमले तेज कर दिए हैं। यह मौन व्रत टीम अन्ना के असमंजस की स्थिति की ओर भी इशारा करता है। लेकिन अन्ना के मौन व्रत पर जाने का कोई और अर्थ नहीं निकाला जाए, इसके लिए उन्होंने पत्रकारों के सवालों के जवाब में यह भी कहा कि वह समय समय पर मौन व्रत धारण करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि वह मौन व्रत अपने स्वास्थ्य के लिए कर रहे हैं। साथ ही, यह भी कहा कि सरकार को मेरे मौन व्रत की भाषा अच्छी तरह समझ में आती है।
कई बार मौन व्रत धारण कर चुके हैं अन्ना हजारे
अन्ना हजारे के निजी सचिव सुरेश पठारे के मुताबिक अन्ना ने अपने जीवन में करीब 12 बार मौन व्रत रखा है। शिवसेना-बीजेपी की सरकार द्वारा जेल भेजे जाने पर अन्ना ने पहली बार मौन व्रत रखा था। पठारे ने बताया कि जब भी उन्हें गहन चिंतन करना होता है, वह मौन व्रत पर चले जाते हैं। इस दौरान यदि उन्हें कोई बात कहनी होती है तो लिखकर कहते हैं। उन्होंने बताया कि मौन व्रत के दौरान वह गांव में ही रहेंगे।
एक ज्वलंत सवाल भाजपा और भाजपा के अडवाणी जी से
भाजपा के नेता
लालकृष्ण अडवानी
जिनकी रथयात्रा के प्रचार के लियें
बुलाई गयी प्रेस कोंफ्रेंस में पत्रकारों को
प्रलोभन देने के लियें नकद राशि बांटी गयी हो
अडवानी जिनकी प्रेस कोंफ्रेसं में चोरी की बिजली जलाई गयी हो
और भी बहुतेरे पुराने आरोप हैं
क्या उनको
काले धन मामले में कोंग्रेस से श्वेत पत्र जारी करने की मांग करने का हक है
क्या हमे अडवानी से इन घटनाओं पर जवाब की उम्मीद नहीं करना चाहिए ........................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान