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18 अक्तूबर 2011

पत्रकार..अधिकारी नेताओं और कर्मचारियों के लियें गिफ्ट बनाम रिश्वत का सीज़न हेप्पी दीपावली आ गया है

दोस्तों दीपावली की रंग बिरंगी खुशियों और मिठास , भाईचारा सद्भावना का हमे इन्तिज़ार है ..इन्तिज़ार क्या ख़ुशी का यह लम्हा हमारे सामने है इसलियें दीपावली की अभी भाई और बहनों माताओं को हार्दिक बधाई सभी भाइयों को दीपावली शुभ हो और देश की सुक्ख शांति एकता आर्थिक मजबूती , संप्रभुता सम्पन्नता के लियें यह दीपावली शुभ हो देश भ्रष्टाचार मुक्त हो यहाँ खुश हाली अपनापन हो तरक्की हो दुश्मनों के होसले पस्त हो और देश विश्व स्टार पर सर्वोच्च हो ........दोस्तों यह तो हुई दीपावली और दीपावली की शुभकामनाओं की बात लेकिन कुछ लोगों ने इस देश में जिस तरह से त्योहारों को अवसरवाद बना दिया है साल भर की रिश्वत एक साथ देने का जरिया बना दिया है हम उसकी बात करना चाहते है अवसरवादी लोग इस त्यौहार का लाभ उठा कर सभी नियम कायदे कानून ताक में रख कर खुलेआम गिफ्ट के नाम पर रिश्वत का दोर चलाते हैं और हम यह सब देख कर मूकदर्शक बन जाते हैं जिसे यह हिस्सा मिल रहा है वोह तो गद गद रहते है ..दोस्तों देश में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारीयों के साथ साथ कर्मचारियों और नेताओं यानि निर्वाचित मंत्री सांसद विधायक और दुसरे जनप्रतिनिधियों के लियें तो कानून है के वोह किसी से भी निर्धारित राशी यानी २५० रूपये से अधिक की गिफ्ट नहीं लेंगे अगर लेंगे तो उसकी इन्द्राज करवाएंगे अपने उच्च अधिकारी को इसकी सुचना देंगे इसी तरह से कोंग्रेस या भाजपा के विधान में भी है के पदाधिकारी अनावश्यक गिफ्ट से बचेंगे लेकिन यह अवसर खुशियों की बहार के साथ साथ कुछ लोग खरीद फरोख्त का बना देते है और इसलियें देश की स्थिति दिन बा दिन दयनीय होती जा रही है रिश्वत गिफ्ट और उपहार के रूप में एक स्वीकार्य हो गयी है मिठाई ..पटाखे और न जाने क्या क्या कई स्थानों पर तो नोटों की गड्डियां इस गिफ्ट में शामिल हैं ..यह हालात देश के हैं अन्ना उनके समर्थक ..अन्ना और उनके दुश्मन सभी जानते है यह संस्क्रती देश को दीमक की तरह चाट रही है कहने को तो देश के कानून और नियमों में किसी भी अवसर पर गिफ्ट देना और गिफ्ट लेना दोनों ही अपराध की श्रेणी में आते है लेकिन अधिकारी और उनकी पत्नियां घर पर इन अवसरों पर दरवाजों पर टकटकी लगाकर गिफ्टों का इन्तिज़ार करते देखे जा सकते हैं उनकी ललचाई निगाहें दरवाजों पर सिर्फ इसलियें लगी रहती है के फलां आदमी अब तक गिफ्ट लेकर नहीं आया .यह तो हुई अधिकारी कर्मचारी नेता मंत्रियों की बात लेकिन दोस्तों चोथा स्तम्भ यानी पत्रकार भी इस अपराध से छुपे नहीं है ब्लोगर्स को छोड़ कर खुद पत्रकार अपने गिरेबान में झाँक कर देख लें उन्हें उपहार के नाम पर हर साल कहां कहां से गिफ्ट के नाम पर रिश्वत मिलती है तो दोस्तों आप और हम चाहें तो इस बुराई को जड़ से खत्म करने के लियें मुहीम चला सकते हैं पहले घर परिवार पडोस में संकल्प लें के इस तरह की गिफ्ट न तो लें ना दें और न ही देने दें अगर ऐसा हटा है तो उच्च सतर पर इस शिकायत को सार्वजनिक करें क्या ऐसा आप और हम सभी मिल जुलकर राष्ट्र हित में कर सकेंगे .......................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ढोंगी बाबा' ने महिला को बुलाया और लूट लिए...



भोपाल. यदि औलाद चाहिए तो घर का पूरा सोना शुद्ध करना पड़ेगा। अपने जेवरात डिब्बे में बंदकर मुझे दो, मैं शुद्ध कर दूंगा। इसके बाद ही तुम्हें संतान सुख प्राप्त हो सकेगा। अशोका गार्डन इलाके में एक ढोंगी बाबा ने बेऔलाद महिला से यही कहा था।

बाबा के झांसे में आई महिला ने ठीक वैसा ही किया, जैसा उसने कहा था। नतीजा यह रहा कि जालसाज उसके करीब तीन लाख रुपए कीमत के जेवरात लेकर चंपत हो गया। हालांकि दोबारा झांसा देने की फिराक में आए बाबा को महिला के पति ने दबोचकर पुलिस के हवाले कर दिया।

मयूर विहार कॉलोनी, अशोका गार्डन निवासी एक महिला शादी के चार साल बाद भी बेऔलाद है। औलाद की चाह में उसने मन्नतें की, इलाज भी कराया, लेकिन फायदा नहीं हुआ। फिर उसकी नजर एक अखबार में छपे विज्ञापन पर पड़ी, जिसमें गाजियाबाद के तांत्रिक रहमत अली बंगाली ने बेऔलाद महिलाओं को सौ फीसदी इलाज देने का दावा किया था।

विज्ञापन में दिए मोबाइल नंबर के जरिए महिला ने ढोंगी बाबा को परेशानी बताई। इसके बाद जालसाज 30 सितंबर को महिला के घर आ गया। यहां तंत्र साधना कर उसने पहले तो महिला को झांसे में लिया और फिर जेवर शुद्ध करवाने को कहा।

इस पर महिला ने करीब 11 तोला वजनी जेवर डिब्बे में बंदकर दे दिए। इसके एवज में तांत्रिक ने उसे ताबीज दिया और उसे शरीर पर मलने को कहा। इसके बाद उसने पानी मांगा। महिला के अंदर जाते ही जालसाज ने जेवर निकाल लिए। वह तीन दिन बाद डिब्बा खोलने की बात कहकर चला गया। महिला ने तीन दिन बाद जब डिब्बा खोला तो उसमें रखे जेवरात गायब थे।

वकील साहब मौत की परिभाषा जानते हो, संभल कर रहना

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ग्वालियर. सरकारी वकील पंकज पालीवाल को जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में अज्ञात युवकों ने जान से मारने की धमकी दी है। सीढ़ियों से गुजरते वक्त संजय कमरिया बनाम शासन (प्रकरण क्रमांक 273/11) मामले में पेशी पर आए आरोपियों से मिलने आए युवकों ने अभियोजन की ओर से पैरवी कर रहे श्री पालीवाल को रोककर कहा कि खूब सजाएं कराते हो वकील साहब, बहुत चिल्लाकर पैरवी कर रहे हो, मौत की परिभाषा जानते हो, संभलकर रहना मौत पता नहीं कई तरह से कभी भी आ जाती है।

शासन पक्ष के वकीलों ने शाम को इस मामले की शिकायत जिला न्यायाधीश डीके पालीवाल और एडीजे हृदेश से की। मामले की गंभीरता को देखते हुए वकीलों ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को भी आवेदन देकर पंकज पालीवाल को सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है।

आदेश का पालन क्यों नहीं किया, क्या सरकार अराजकता चाहती है'



जयपुर.पदोन्नति में सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को उनकी पुन:अर्जित वरिष्ठता का लाभ देने के आदेश का पालन नहीं करने पर हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि सरकार क्या अराजकता चाहती है।

यह कैसी लोक कल्याणकारी सरकार है जो 15 सालों से आरएएस/आरपीएस व अन्य सेवाओं में जिन्हें पदोन्नति मिलनी चाहिए उनका अधिकार छीन रही है। लोकसभा व विधानसभा को भी कोर्ट के निर्णय के खिलाफ जाने का औचित्य नहीं है तो सरकार के कुछ अफसर कैसे निर्णय ले सकते हैं जो प्रथम दृष्टया ही अवमानना हो।

मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश एन.के.जैन (प्रथम) ने यह टिप्पणी मंगलवार को टिप्पणी मंगलवार को बजरंग लाल शर्मा व समता आंदोलन समिति की अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान की। खंडपीठ ने कहा कि रुल्स में तदर्थ का प्रावधान अवैध है और सरकार को डेमोक्रेटिक सिस्टम का सम्मान करना चाहिए, अदालत इसका अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी।

सरकार 3 नवंबर तक आदेश की पालना करें नहीं तो हाईकोर्ट बताएगी कि उनके पास क्या शक्तियां हैं।

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता जी.एस.बापना ने खंडपीठ से सुनवाई टालने का आग्रह किया और कहा कि वे दो महीने में डीपीसी कर देंगे तो खंडपीठ ने नाराज होकर कहा कि उन्हें व सरकार को कानून मालुम होना चाहिए और जो कानून स्थापित है उसे समझना चाहिए।

अवमानना के मामले में इतना सुनने का प्रावधान नहीं है फिर भी हम आपको सुन रहे हैं। जब कानून की समझ ही नहीं है तो फिर ये लंबी चौड़ी मशीनरी किस लिए रख रखी है। अदालती आदेश का पालन नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है, आप पालना क्यों नहीं कर रहे हो जबकि हम 7 से 8 बार समय दे चुके हैं।

जब हाईकोर्ट ने मामले में निर्णय दे दिया, सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दे दिया फिर क्यों मामले को लटका रखा है। खंडपीठ ने कहा कि सरकार दुनिया का कोई भी वकील ले आए मामले में सरकार के पक्ष में कहने के लिए कुछ भी नहीं है।

सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव प्रकाश शर्मा ने कहा कि एक तरफ तो सरकार मामले की सुनवाई स्थगित करवा रही है और दूसरी ओर तहसीलदार आदि पदों पर गैर कानूनी तरीके से पदोन्नति दे रही है।

इस पर खंडपीठ ने महाधिवक्ता को आदेश की पालना के लिए 3 नवंबर तक का समय देते हुए उनसे 11 सितंबर 2011 की अधिसूचना का भूतलक्षी प्रभाव से लागू करने पर पुन: विचार करने के लिए कहा। इस पर महाधिवक्ता ने भी पुन: विचार के लिए कहा।

कैसे निरस्त किया रुल्स से ऑर्डर:

खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि महाधिवक्ता कहते हैं कि रीगेनिंग कोई मूल अधिकार नहीं है लेकिन यहां पर रीगेन का लाभ देकर कई पदोन्नत हो गए हैं। सरकार ने रुल्स से अदालती आदेश को निरस्त कर दिया है, लेकिन महाधिवक्ता बताएं कि निर्णय निरस्त करने की शक्ति संविधान में कहां से आई। क्या ऐसा कोई प्रावधान है तो बताएं, आदेश की पालना के लिए क्या किया।

और क्या कहा कोर्ट ने

>यह कैसी लोक कल्याणकारी सरकार है जो 15 सालों से पदोन्नति के अधिकार छीन कर बैठी है।

>जब लोकसभा और विधानसभा भी कोर्ट के खिलाफ नहीं जा सकती, तब सरकार के कुछ अफसर ऐसी हिमाकत कैसे कर सकते हैं ?

>महाधिवक्ता और सरकार को कानून मालूम होना चाहिए। जब कानून की समझ ही नहीं है तो लंबी-चौड़ी मशीनरी किसलिए रख रखी है।

>सुप्रीम कोर्ट निर्णय दे चुका, हाईकोर्ट भी दे चुका, सात-आठ बार मोहलत दे चुके फिर आदेश का पालन क्यों नहीं हो रहा ?

>सरकार दुनिया का कोई भी वकील ले आए, इस मामले में उसके पक्ष में कहने के लिए कुछ भी नहीं है।

>सरकार ने रूल्स से अदालती आदेश निरस्त कर दिया है। महाधिवक्ता बताएं कि निर्णय निरस्त करने की शक्ति उनके पास कहां से आई ?

>सरकार तीन नवंबर तक आदेश का पालन करे, वर्ना हाईकोर्ट बताएगा कि उसके पास क्या शक्तियां हैं।

प्रसाद का पैकेट खोला, बिखरे रुपए और चौंक गए सब!

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जमशेदपुर।टाटा वर्कर्स यूनियन अध्यक्ष रघुनाथ पांडे (बाबा) के आवास पर एक व्यक्ति बाबाधाम के प्रसाद के साथ पॉलिथीन में एक लाख रुपए देकर भाग गया। इस मामले में बाबा के आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मी गोपाल सिंह के बयान पर साकची थाना में राज बल्लभ सिंह व रत्नेश सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। माना जा रहा है कि राजबल्लभ सिंह नामक टाटा स्टील कर्मी ने यूनियन अध्यक्ष को अपने पुत्र की नौकरी लगाने के लिए रिश्वत देने का प्रयास किया है।

घटना मंगलवार शाम 4.30 बजे की है। दर्ज प्राथमिकी के अनुसार उस वक्त रघुनाथ पांडे आवास पर नहीं थे। एक व्यक्ति साइकिल से यूनियन अध्यक्ष के साकची स्थित फ्लॉवर मिल रोड स्थित आवास पहुंचा। उस व्यक्ति के आवास में प्रवेश करने पर वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों गोपाल सिंह, वीरेंद्र सिंह व लक्ष्मण ओझा ने रोका। इस पर उस व्यक्ति ने कहा कि वह टाटा स्टील का कर्मचारी और बाबा का नजदीकी है। वह बाबाधाम का प्रसाद देने आया है। वह व्यक्ति पॉलिथीन लेकर घर में चला गया। उसने रघुनाथ पांडे के छोटे भाई विनोद पांडे के पुत्र को बाबाधाम का प्रसाद कहकर पॉलिथीन पकड़ाई और वापस चला गया।

परिजनों ने पॉलिथीन खोला, तो देखा कि प्रसाद के साथ 1000 और 500 रुपए के नोट और एक कागज में दो लोगों के नाम लिखे हुए हैं। इसके बाद परिजनों ने प्रसाद व पैसे को उसी पॉलिथीन में रखकर तैनात सुरक्षाकर्मी गोपाल सिंह व अन्य को सौंप दिया।

क्या था पॉलिथीन में

>बाबाधाम का प्रसाद, जो पैकेट में रखा हुआ था। >एक हजार के 50 नोट यानी 50,000 रुपए > 500 रुपए के 100 नोट यानी 50,000 रुपए >एक कागज, जिस पर दो लोगों राज बल्लभ सिंह (पर्सनल नंबर-111137, आरएमएम) और रत्नेश सिंह (रोल नंबर-103003) के नाम लिखे हुए थे।

कौन हैं राज बल्लभ सिंह और रत्नेश

कदमा निवासी तथा टाटा स्टील के रॉ मेटेरियल मेंटेनेंस विभाग में कार्यरत। रत्नेश सिंह उनका पुत्र है।

पुलिस को नहीं मिले राज बल्लभ

टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष रघुनाथ पांडे को प्रसाद के साथ एक लाख रुपए रिश्वत देने के आरोपी राज बल्लभ सिंह व उनके पुत्र रत्नेश सिंह की गिरफ्तारी के लिए कदमा स्थित क्वार्टर संख्या 17 में साकची व कदमा पुलिस ने छापामारी की, लेकिन पुलिस को दोनों नहीं मिले। दूसरी ओर पुलिस की एक टीम टाटा कंपनी प्रबंधन से भी इस मामले में सहयोग के लिए पहुंची है। वहां भी पर्सनल नंबर के आधार पर व्यक्तिकी पहचान करने का प्रयास किया जा रहा है।

घर पर नहीं थे बाबा

घटना के समय आवास पर न तो रघुनाथ पांडे थे और न ही उनके छोटे भाई विनोद पांडे। परिजनों ने बताया कि बाबा किसी मीटिंग में व्यस्त थे, जबकि विनोद ड्यूटी पर थे।

फ्लैशबैक : घर में आर्म्स के साथ घुस चुके हैं कमेटी मेंबर

रघुनाथ पांडे के आवास पर एक कमेटी मेंबर व एक कर्मचारी आर्म्स के साथ प्रवेश कर चुके हैं। बाद में दोनों आरोपियों को साकची पुलिस के हवाले कर दिया गया था। रघुनाथ पांडे की ओर से माफ किए जाने के बाद वर्तमान में दोनों आरोपियों को कंपनी प्रबंधन ने दोबारा नौकरी पर रखा है।

कम था इसलिए भड़के

रकम मोटी होती तो एफआईआर नहीं होती और काम भी हो जाता। जिस व्यक्ति ने यह काम किया, उसे पैसा लेकर काम करने की जानकारी होगी, तभी उसने हिम्मत की है।

-प्रदीप बलमुचू, टीडब्ल्यूयू के विरोधी गुट के नेता और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष

घटना के वक्त कंपनी में ड्यूटी कर रहा था। मुझे बड़े भाई (रघुनाथ पांडे) ने सूचना दी कि कोई घर में प्रसाद के साथ रुपए देकर भाग गया है। विनोद पांडे, रघुनाथ पांडे के भाई

कुछ नहीं किया : रत्नेश

जब राज बल्लभ सिंह के पुत्र रत्नेश कुमार सिंह के मोबाइल पर संपर्क किया गया तो पहले तो उसने अनभिज्ञता जताई। जब पूरे मामले की जानकारी दी गई तो उसने कहा कि उन लोगों का इससे कोई संबंध नहीं है। किसी ने फंसाने के लिए नाम व पर्सनल नंबर लिख दिया होगा।

18 वर्ष पहले किया था प्रेम विवाह, मौत के बाद दी परिजनों ने सजा!

मोडासा। समाज में कभी-कभी ऐसी घटनाएं भी होती हैं, जिसे सुनकर पत्थर दिल भी पिघल जाए। लेकिन परंपराओं में बंधे कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करते और न ही उनके कठोर हृदय में किसी तरह की ग्लानि उत्पन्न होती है।

कुछ ऐसी ही यह घटना है गुजरात के नवागांव की। यहां के निवासी बच्चूभाई आंबलिया ने 18 वर्ष पहले मीराबेन नामक लड़की से प्रेम-विवाह किया था। बच्चूभाई के परिजनों ने इसी के बाद से उससे अपने सारे नाते तोड़ लिए थे। बच्चूभाई पत्नी के साथ नवागांव आ गया और पति-पत्नी यहीं पर रहकर मेहनत-मजदूरी कर जीवन-बसर करने लगे।

18 वर्षों के वैवाहिक जीवन के दौरान इनके घर दो बच्चियों का जन्म हुआ। परिवार सुख-चैन से जीवन बसर कर रहा था। लेकिन कुछ दिन पहले बच्चूभाई बीमार पड़ गया। हालत बिगडऩे पर उसे बीते शनिवार को सार्वजनिक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।

परिवार में पत्नी और दो बच्चियां थीं। शास्त्रों के अनुसार मुखाग्रि परिवार के किसी पुरुष को ही देनी होती है। इसलिए मीराबेन ने बच्चूभाई के परिजनों से संपर्क किया लेकिन परिजनों ने साफ मना कर दिया। मीराबेन की आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं थी कि वह पति का अंतिम संस्कार करा सकती।

आखिरकार नगर पालिका के सेनेटरी इंस्पेक्टर उस्मान मलिक और स्टाफ ने मृतक की लाश को मोडासा के श्मशान-गृह पहुंचाया, जहां मृतक की दोनों बेटियों क्रमश: गायत्री (11) और सोनल (8) ने पिता की चिता को मुखाग्रि दी।

येदियुरप्पा की 'जेल बचो चाल',


बेंगलुरू. भ्रष्टाचार के मामलों में शनिवार को गिरफ्तार होने के बाद एक अस्पताल में भर्ती हुए पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने मंगलवार को जेल लौटने से इंकार किया। नाटकीय घटनाक्रम के बीच उन्हें एक अन्य अस्पताल ले जाया गया।

68 वर्षीय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता को दक्षिणी बेंगलुरू के जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्कुलर साइंस एंड रिसर्च से विक्टोरिया अस्पताल ले जाया गया। इस दौरान कई कैमरामैन और संवाददाता कारों एवं मोटरसाइकिलों से उनका पीछा करते रहे।

येदियुरप्पा को विक्टोरिया अस्पताल तब ले जाया गया जब उनकी अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई 20 अक्टूबर तक के लिए स्थगित होने के बाद उन्होंने जेल लौटने से इंकार कर दिया।

गौरतलब है कि शनिवार शाम गिरफ्तारी के बाद येदियुरप्पा को परप्पना अग्रहारा उपनगर स्थित बेंगलुरू केंद्रीय कारागार ले जाया गया था। वहां उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की थी। कुछ ही घंटों के भीतर रविवार सुबह उन्हें जयदेव इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया था।

इंस्टीट्यूट के निदेशक सी.एन. मंजूनाथ के मुताबिक, येदियुरप्पा को मंगलवार को अस्पताल से छुट्टी मिलने वाली थी, क्योंकि सोमवार को हुई एंजियोग्राम जांच में उनके हृदय में कोई अवरोध नहीं मिला।

उधर, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा की जमानत याचिका पर सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी।

न्यायमूर्ति बी.वी. पिंटो ने येदियुरप्पा द्वारा अंतरिम जमानत के लिए दायर की गई याचिका पर सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी, क्योंकि अभियोजन पक्ष के वकीलों ने जमानत याचिका पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए समय की मांग की।

येदियुरप्पा ने सोमवार को उच्च न्यायालय में दो जमानत याचिकाएं दायर की थीं। एक अंतरिम जमानत और दूसरी नियमित जमानत के लिए। उन्होंने अंतरिम जमानत इसलिए मांगी थी, क्योंकि नियमित जमानत के लिए सुनवाई में वक्त लगेगा।

इसस पहले लोकायुक्त विशेष न्यायालय के न्यायाधीश एन.के. सुर्धीद्र राव ने भ्रष्टाचार और अवैध भूमि सौदे के सम्बंध में बेंगलुरू के दो वकीलों द्वारा दायर पांच मामलों में से दो से सम्बंध येदियुरप्पा को शनिवार को 22 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

महिला आकर मुझसे लिपट गई और भंग हो गई मेरी वर्षो की तपस्या'

भोपाल। एक साधु ने महिला पर तपस्या भंग करने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य मानवाधिकार आयोग में गुहार लगाई है। तीन दिन से आयोग में डेरा डाले साधु का कहना है कि जब तक महिला पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक वह यहां से नहीं हटेगा। इधर, आयोग पसोपेश में है कि इस मामले में आखिर वह क्या कार्रवाई करे?

गोरखनाथ संप्रदाय के भ्रमणकारी साधु सरजू महाराज ने आयोग में जून 2010 में शिकायत की थी कि जब वे महू (जिला इंदौर) के सिमरोल के हनुमान मंदिर में धूनी रमा कर बैठते थे, तब पंचायत में काम करने वाली महिला रमादेवी (बदला हुआ नाम) अक्सर वहां पहुंचकर ऊटपटांग हरकत करती थी। उन्होंने उसे कई बार समझाया, लेकिन उसने हरकत करनी बंद नहीं की।

उन्होंने इसकी शिकायत दंतौरा पंचायत में भी की, लेकिन पंचायत ने कोई कार्रवाई नहीं हुई। सरजू महाराज ने शिकायत में कहा कि एक दिन वह महिला उनसे लिपट गई। इससे मेरी वर्षो की तपस्या भंग हो गई। महिला की इस हरकत से उसके धर्म के अधिकार का हनन हुआ है, उन्हें न्याय चाहिए। इस पर आयोग ने 28 जून को महू कलेक्टर को पत्र लिखकर उचित कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए मामला नस्तीबद्ध कर दिया।

...नहीं तो कर लूंगा आत्महत्या

सरजू महाराज ने आयोग को धमकी दी है कि यदि उन्हें जल्दी न्याय नहीं मिला तो वे आत्महत्या कर लेंगे। उन्होंने बताया कि न्याय पाने के लिए भटकते हुए एक साल हो गया है। न पुलिस मदद कर रही है न जिला प्रशासन। आयोग के संयुक्तसंचालक (जनसंपर्क) रोहित मेहता का कहना है कि पुरुष का चरित्र भंग करने के आरोप का अपनी तरह का यह पहला मामला है। आयोग ने संबंधित जिले के कलेक्टर और एसपी को आवश्यक निर्देश देकर मामला नस्तीबद्ध कर दिया

बयान के लिए नहीं पहुंचे

महू के एडिशनल एसपी पद्म विलोचन शुक्ला ने बताया कि आयोग के निर्देशों का पालन करते हुए सिमरोल थाने से मामले में जांच कराई गई थी। साधु को बयान के लिए बुलाया गया, लेकिन वे नहीं पहुंचे। वहीं दंतौरा गांव के पूनम चंद पटेल का कहना है कि महाराज गांव के हनुमान मंदिर में रहते हैं और धार्मिक गतिविधियां कराते रहते हैं। हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि वे गांववालों से किस बात से आहत हैं।

हज यात्रा के लिए वीआईपी कोटे 'गलत धार्मिक परम्परा'


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नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट ने हज यात्रा के लिए वीआईपी कोटे को 'गलत धार्मिक परम्परा' बताते हुए मंगलवार को कहा कि वह 2012 के लिए हज नीति निर्धारित करेगा।

न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने हर वर्ष मक्का जाने वाले हज यात्रियों के सामने आने वाली कठिनाइयों को लेकर चिंता व्यक्त की।

हज यात्रा के लिए सरकारी कोटे पर आपत्ति जताते हुए न्यायालय ने कहा, "हो सकता है इसका कोई राजनीतिक उपयोग हो, लेकिन यह एक बुरी धार्मिक परम्परा है। वाकई में यह हज नहीं है।"

सर्वोच्च न्यायालय, बम्बई उच्च न्यायालय के पांच अक्टूबर, 2011 के उस आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें 800 हज यात्रियों का कोटा निजी ऑपरेटरों को देने का आदेश दिया गया था, ताकि यह बेकार न होने पाए।

टीम अन्‍ना में पड़ी फूट: 'तानाशाही रवैये' के कारण कोर कमेटी से अलग हुए दो सदस्‍य


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नई दिल्ली. टीम अन्ना में टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण से मतभेद को लेकर कोर कमेटी के दो सदस्यों ने टीम अन्ना से अलग होने की इच्‍छा जताई है। पीवी राजगोपाल और राजेंद्र सिंह फैसले लेने में टीम के सभी सदस्‍यों की भागीदारी नहीं होने का आरोप लगाते हुए टीम अन्ना से अलग होना चाहते हैं।
इस वक्त केरल के आदिवासी इलाके में मौजूद पीवी राजगोपाल ने दैनिकभास्कर डॉट कॉम से फोन पर बातचीत में बताया कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर टीम अन्ना से अलग होने की इच्छा जाहिर की है। राजगोपाल ने कहा कि काफी समय से वो कोर कमेटी के निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पा रहे हैं इसलिए उन्हें कोर कमेटी से अलग होना ही बेहतर लग रहा है।

राजगोपाल ने यह भी कहा कि टीम अन्ना का विस्तार करके उसे टीम इंडिया बनाने का विचार था लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है, जिससे आंदोलन को काफी नुकसान हो रहा है और यह चंद लोगों के इर्द गिर्द सिमटकर रह गया है। योजना यह थी कि टीम का विस्तार करके इसमें देशभर के लोगों का प्रतिनिधित्व दिया जाएगा लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पा रहा है।

राजगोपाल ने यह भी कहा कि तेजी से बदल रहे घटनाक्रम में कोर कमेटी के कई सदस्य अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं और फिर लिए गए निर्णयों से खुद को जोड़ पाना मुश्किल हो रहा है। हिसार में कांग्रेस का विरोध करने का फैसला या कश्‍मीर को लेकर प्रशांत भूषण के दिए गए बयान पर टीम अन्‍ना की ओर से दिया गया बयान ऐसा ही मुद्दा था। उन्‍होंने कहा कि इन मुद्दों पर उनकी राय टीम की राय से अलग है। राजगोपाल ने टीम अन्ना से अलग होने का मुख्य कारण टीम के निर्णयों में अपनी भागीदारी नहीं होना बताया।

अरविंद केजरीवाल को लिखे पत्र में राजगोपाल ने कहा कि मेरी जनसत्याग्रह संवाद यात्रा केरल पहुंच गई है और 20 अक्टूबर को तमिलनाडू पहुंच जाएगी। दूर होने के कारण मेरे लिए आंदोलन की लगातार बदल रही गतिविधियों को समझ पाना और उनमें हिस्सा ले पाना मुश्किल हो रहा है। इसलिए मुझे कोर कमेटी की जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाए। आपका भी मेरी यात्रा में स्वागत है।

टीम अन्ना से दूरी बनाने वाले कोर कमेटी के अन्य सदस्य राजेंद्र सिंह ने दैनिक भास्कर डॉट कॉम से कहा कि जिस प्रकार हिसार के चुनाव में अन्ना और उनके करीबियों ने अपनी भूमिका निभाई है, वह बड़ा दुखद है। एक तरफ तो यह आंदोलन लोकतंत्र बचाने की बात करता है और दूसरी ओर, खुद टीम में लोकतंत्र नहीं है। कोर कमेटी के सदस्यों को बिना बताए इन लोगों ने हिसार के चुनाव में अपनी भूमिका निभाई, जो कि एकदम गलत है। हमें इस बात की दुख है कि जिस आंदोलन से पूरा देश जुड़ा था, उससे हमें अलग होना पड़ा।
टीम अन्ना की प्रवक्ता का कहना है कि अभी हमे राजगोपाल या फिर राजेंद्र का कोई पत्र नहीं मिला है जब हमें पत्र मिलेगा हम इस पर तब ही प्रतिक्रिया देंगे। इस संबंध में टीम अन्ना की कोई बैठक भी अभी नहीं हो रही है। वहीं अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कुछ दिनों से ऐसी खबर आ रही है कि टीम अन्‍ना के सदस्‍यों के बीच कुछ मतभेद हैं। ऐसा टीम के सदस्‍यों के बीच संवादहीनता के चलते हो रहा है जो कुछ दिनों में खत्‍म कर लिया जाएगा।

टीम अन्ना में टूट की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए किरण बेदी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल पूरी तरह मुद्दे को समर्पित हैं, मुझे नहीं लगता कि किसी को उनसे शिकायत होगी। कोर कमेटी के कुछ सदस्यों की अपनी मजबूरियां हो सकती हैं। किरण बेदी ने यह भी कहा कि टीम अन्ना स्वयंसेवकों का समूह है जिसमें लोग अपनी मर्जी से आ जा सकते हैं। कांग्रेस की नेता रेणुका चौधरी ने टीम अन्ना में चल रही गतिविधियों पर हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि टीम अन्ना में इस वक्त क्या चल रहा है इसका पता तो खुद अन्ना को भी नहीं होगा।

टीम अन्‍ना में इससे पहले 'भीतरघात' करने के शक में स्वामी अग्निवेश को बाहर किया जा चुका है। संतोष हेगड़े भी लगातार टीम से अलग राय व्‍यक्‍त कर मतभेद के संकेत देते रहे हैं।

कश्‍मीर पर प्रशांत और केजरीवाल के बयान
‘सेना के दम पर कश्मीरियों को बहुत दिनों तक दबाव में रखना सही नहीं है। कश्मीर का भविष्य तय करने के लिए जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए।’- प्रशांत भूषण
‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन देश की एकता में यकीन रखता है। कश्मीर देश का हिस्सा है, लेकिन कश्मीर समस्या का समाधान संविधान के दायरे में शांतिपूर्ण ढंग से निकाला जाना चाहिए।’ - अरविंद केजरीवाल

भ्रष्टाचार समर्थकों का जूता तो देश में चलना ही था ................

भ्रष्टाचार समर्थकों का जूता तो देश में चलना ही था ................ यह एक सत्य है के देश में जो लोग भ्रष्टाचार के समर्थक है वोह खुद ईमानदार बनने का नाटक तो करते हैं लेकिन लोकपाल खासकर जान लोकपाल बिल के लियें रोड़े पर रोड़े खडा करना चाहते हैं ......अन्ना और अन्ना के समर्थकों ने पहले दिल्ली के मैदान में भ्रस्ताचारियों के पास सारी ताकतें होने के बाद भी उन्हें शह और मात का खेल खेला वहां भ्रष्टाचार समर्थकों ने अन्ना और अन्ना टीम का मनोबल तोड़ने का प्रयास किया पूरी सरकार ने देश का सारा साधन अन्ना और टीम को निपटाने में लगा दिया लेकिन सरकार के सामने जनमत के आगे घुटने टेकने के अलावा कोई चारा नहीं था हाँ सरकार अपने प्रभाव अपनी ताकत के बल पर स्वामी अग्निवेश और एक समाजसेविका को गद्दार बनाने और भ्रष्टाचार की समर्थक बनाने में कामयाब हो गयी ..इस बिल के खिलाफ जो बोला या तो वोह भ्रष्टाचार के मामले में जेल भुगत कर आया है या फिर अभी वोह खुद जेल में है जेसे के अमर सिंह ..येदियुरप्पा ..बाक़ी लोग जिनकी पार्टी के नेता चोर और बेईमान है और वोह भविष्य में भी देश को लूटना चाहते हैं यही लोग इस देश में जन्लोक्पाल बिल का वायदा कर भटकते रहे अन्ना को चोर कहा गया ..अमेरिका का एजेंट कहा गया फिर आर ऐसे एस का एजेंट कहा गया लेकिन जनता है के सब जानती है जब हिसार में दुर्गति हुई तो जन्लोक्पाल बिल के विरोधी भ्रष्टाचार के समर्थक अन्ना को खुली चुनोती सड़कों पर पीटने की देने लगे एक कोकस सक्रिय हुआ और उसी का नतीजा रहा के आज केजरीवाल पर उत्तर प्रदेश में हमला हुआ ..ताजुब है के भ्रष्टाचार समर्थक कोंग्रेस को अपने राज्यों में तबाह और बर्बाद करने वाले लोग अन्ना को लगातार धमकियां देते रहे और फिर उन्होंने यह हमला करवा ही दिया उन्होंने अन्ना की टीम के कुछ मोकापरस्त लोगों को खरीदा और अब वोह इसमें कामयाब भी हो गये है पहले अन्ना ..केजरीवाल ..किरण बेदी को नोटिस देकर डराया गया और यह सही है के अन्ना और अन्ना की टीम के लोग जन लोकपाल बिल के समर्थक तो हैं उन्हें जनता के मिले समर्थन से वोह पगला गये है लेकिन वोह कितने कायर और डरपोक है यह बात सारा देश जानता है और फिर भ्रष्टाचार के समर्थक लोग तो सामर्थ्यवान हैं वोह इन लोगों की हत्या भी करवा सकते हैं इनके चेहरों पर कालिख पुतवा सकते हैं इनके खिलाफ भ्रष्टाचार अय्याशी के झूंठे सबूत पेश कर सकते हैं और यह सब एक योजना के तहत जनता को भ्रष्टाचार से मुक्ति ना मिले इसलियें क्या जा रहा है .....आज उत्तर प्रदेश में केजरीवाल पर हमला यही साबित करता है के भ्रश्ताकाह्र समर्थक अब सडकों पर आ गये हैं और जो कोई भी भ्रष्टाचार के खिलाफ भ्रस्ताचार समर्थकों के खिलाफ बोलेगा उसका यही हाल होगा लेकिन दोस्तों अन्ना ..केजरीवा। प्रशांत ..किरण बेदी और सिसोदिया कमज़ोर कायर डरपोक हो सकते हैं अहिंसावादी होने की आड़ में अपना कायरपन छुपा सकते हैं लेकिन जब इस देश में भ्रष्टाचार के समर्थक कानून हाथ में ले सकते हैं भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने वालों को पीट सकते हैं डरा सकते हैं तो फिर चद्र शेखर और भगत सिंह भ्रस्थाचार विरोधी मुहीम में भी मोजूद है वोह ऐसे चोर मक्कार और मोका परस्त लोगों को खुद कानून हाथ में लेकर ना अदालत .ना पेशी ना सुनवाई सीधा फेसला की तर्ज़ पर अपने फेसले ले सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो देश में भ्रस्ताचारियों और उनके समर्थकों तथा भ्रष्टाचार विरोधी महीम में लगे लोगों के बीच गृह युद्ध की स्थिति पैदा हो जायेगी जो इस देश के लियें एक अच्छी शुरुआत तो हो सकती है लेकिन इस देश की सुक्ख शान्ति के लियें कोई ठीक बात नहीं होगी .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

भ्रष्टाचार समर्थकों का हंगामा तो होना ही था ..........................

जी हाँ दोस्तों देश भर में अन्ना और उनके समर्थकों

इन बीमारियों में महंगी दवाइयों से ज्यादा असरदार मुनक्का...

मुनक्का जिसे बड़ी दाख के नाम से भी जाना जाता है। उसमें और साधारण दाख और मुनक्का में इतना फर्क होता है कि यह बीज वाली होती है और छोटी दाख से अधिक गुणकारी होती है। आयुर्वेद में मुनक्का को गले संबंधी रोगों की सर्वश्रेष्ठ औषधि माना गया है। दमा रोगियों के लिए भी इसका सेवन फायदेकारक है, क्योंकि मुनक्का श्वास-नलियों के अंदर जमा कफ को तुरंत बाहर निकालने की अनोखी क्षमता रखती है।

- कब्ज के रोगियों को रात्रि में मुनक्का और सौंफ खाकर सोना चाहिए। कब्ज दूर करने की यह रामबाण औषधि है।

- मुनक्का में इतना फर्क है कि यह बीज वाली होती है और छोटी दाख से अधिक गुणकारी होती है। आयुर्वेद में मुनक्का को गले संबंधी रोगों की सर्वश्रेष्ठ औषधि माना गया है। मुनक्का के औषधीय उपयोग इस प्रकार हैं-

- शाम को सोते समय लगभग 10 या 12 मुनक्का को धोकर पानी में भिगो दें। इसके बाद सुबह उठकर मुनक्का के बीजों को निकालकर इन मुनक्कों को अच्छी तरह से चबाकर खाने से शरीर में खून बढ़ता है। इसके अलावा मुनक्का खाने से खून साफ होता है और नाक से बहने वाला खून भी बंद हो जाता है। मुनक्का का सेवन 2 से 4 हफ्ते तक करना चाहिए।

- मुनक्का का सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है। इससे मल-मूत्र भी साफ हो जाता है।

- भूने हुए मुनक्के में लहसुन मिलाकर सेवन करने से पेट में रुकी हुई वायु (गैस) बाहर निकल जाती है और कमर के दर्द में लाभ होता है।

- 250 ग्राम दूध में 10 मुनक्का उबालें फिर दूध में एक चम्मच घी व खांड मिलाकर सुबह पीएं। इससे वीर्य के विकार दूर होते हैं।इसके उपयोग से हृदय, आंतों और खून के विकार दूर हो जाते हैं। यह कब्जनाशक है।

- सर्दी-जुकाम होने पर सात मुनक्का रात्रि में सोने से पूर्व बीज निकालकर दूध में उबालकर लें। एक खुराक से ही राहत मिलेगी। यदि सर्दी-जुकाम पुराना हो गया हो तो सप्ताह भर तक लें।

- जिन व्यक्तियों के गले में निरंतर खराश रहती है या नजला एलर्जी के कारण गले में तकलीफ बनी रहती है, उन्हें सुबह-शाम दोनों वक्त चार-पांच मुनक्का बीजों को खूब चबाकर खा ला लें, लेकिन ऊपर से पानी ना पिएं। दस दिनों तक निरंतर ऐसा करें।

- जो बच्चे रात्रि में बिस्तर गीला करते हों, उन्हें दो मुनक्का बीज निकालकर रात को एक सप्ताह तक खिलाएं।

'कान' में लग गई आग, खबर पढ़ डर जाएंगे आप!


राजकोट। आमतौर पर कान साफ करने के लिए लोग माचिस की तीली का इस्तेमाल करते हैं। अगर आप भी इन्हीं लोगों में से एक हैं तो इस खबर को पढऩे के बाद आपके बदन में सिहरन पैदा हो जाएगी।

राजकोट जिले के मोरबी में ऐसा ही एक चौंकाने वाला वाकया सामने आया है, जहां एक महिला के कान में उस समय आग लग गई, जब वह माचिस की तीली से कान साफ कर रही थी। महिला के साथ-साथ उसका पति भी आग की चपेट में आ गया। दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

प्राप्त सूचना के अनुसार मोरबी के ग्रीन चौक की निवासी बंगाली महिला छबीबेन हेमतभाई खुरम (21) ने शनिवार रात को कान साफ करने के लिए बिस्तर पर बैठे-बैठे माचिस की तीली कान में डाली। जैसे ही उन्होंने तीली कान में घुमाई, तीली में आग लग गई। सकपकाई छबीबेन ने तुरंत माचिस की तीली कान से बाहर निकाल कर फेंक दी।

लेकिन तीली की आग अब भी बुझी नहीं थी और वह खुली माचिस में जा गिरी। तुरंत ही माचिस में आग लग गई और कुछ ही देर में आग ने बिस्तर को अपनी चपेट में ले लिया। बिस्तर में लगी आग बुझाने के चक्कर में छबीबेन के पति भी आग की चपेट में आ गए। इस तरह दोनों पति-पत्नी एक छोटी सी गलती की वजह से बड़ी घटना के शिकार हो गए। दोनों को राजकोट के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पाकिस्‍तानी सीमा से अमेरिकी सैनिकों पर लगातार रॉकेट हमलों से भड़का अमेरिका


वॉशिंगटन. पाकिस्‍तान से सटी सीमा के नजदीक आतंकवादियों से लोहा ले रहे अमेरिकी और अफगानिस्‍तानी सैनिकों पर पाकिस्‍तानी जमीन से रॉकेट हमले जारी हैं। छह महीने से जारी इस स्थिति के बाद अमेरिका और पाकिस्‍तान के बीच रिश्‍ते और तल्‍ख होने की आशंका है।

हाल में जारी रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्‍तान-अफगानिस्‍तान सीमा पर स्थित एक अफगानी प्रांत में अमेरिकी सैनिकों के अड्डों पर बीते मई से अब तक कम से कम 55 बार पाकिस्‍तान की ओर से रॉकेट दागे गए हैं।

गौरतलब है कि मई में अमेरिकी नेवी सील के कमांडो ने पाकिस्‍तान में छिपे ओसामा बिन लादेन को मार गिराया गया था। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच रिश्‍तों में कड़वाहट आई। इस घटना के बाद से अफगानिस्‍तान सीमा पर गोलीबारी की घटना बढ़ी जिससे सीमाओं पर तैनात अमेरिकी सैनिकों की हताशा और गुस्‍सा बढ़ गया है। शायद यही वजह है कि अमेरिकी सेना से हाल में रिटायर हुए एडमिरल माइक मुलेन ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि पाकिस्‍तान आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाह बन गया है।

हालांकि अफगान-पाकिस्‍तान सीमा पर तैनात अमेरिकी अफसर इन हमलों का ब्‍यौरा देते समय बेहद मुश्किल हालात में होते हैं। कई तो सीधे तौर पर पाकिस्‍तान को जिम्‍मेदार ठहराने से बचने की कोशिश करते हैं। लेकिन कुछ ऐसे अफसर भी हैं जो पाकिस्‍तानी हुक्‍मरान के दावों को खारिज करते हुए कहते हैं कि पाकिस्‍तानी सेना और वहां की खुफिया एजेंसियां इस तरह के हमलों में शामिल होती हैं। एक अफसर ने नाम उजागर नहीं किए जाने की शर्त पर कहा, ‘सीमा पार से होने वाली कार्रवाई से ऐसा लगता है कि ये बेहद तैयारी के साथ नियंत्रित तरीके से की जा रही है।’

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मार्क टोनर ने नियमित प्रेस ब्रीफिंग में सोमवार को कहा कि पाकिस्‍तान में शरण लिए आतंकवादी गुटों से उसे ही गंभीर खतरा है और अमेरिका इन चुनौतियों का सामना करने के लिए उसके साथ मिलकर काम करना चाहता है। उन्‍होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि इस तरह के सुरक्षित पनाहगाह समस्या पैदा कर रहे हैं। यह वाकई बेहद चिंता का विषय है और अमेरिका व पाकिस्तान दोनों के लिए यह खतरनाक है।

अंबानी को टक्‍कर देगा माल्‍या का महल, आसमान में होगा 1 एकड़ का पेंटहाउस


बेंगलुरु. देश के धनकुबेरों के बीच आलीशान महल बनाने को लेकर होड़ छिड़ गई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित आलीशान महल को लेकर चर्चा अभी चल ही रही है कि ‘लिकर किंग’ के तौर पर मशहूर विजय माल्‍या का गगनचुंबी घर आकर्षण का केंद्र बना है।

यूबी सिटी में किंगफिशर टावर्स-रेजिडेंसेज यूबी ग्रुप के चेयरमैन विजय माल्‍या का नया आशियाना होगा। इस इमारत पर काम चल रहा है और यह अगले तीन वर्षों में तैयार हो जाएगा। 34 मंजिले इस ‘हवाई महल’ के सबसे ऊपर एक पेंटहाउस होगा। इस तरह माल्‍या इस शहर के एकमात्र ऐसे शख्‍स हैं जिनकी एक एकड़ जमीन आसमान में स्थित होगी, धरती पर नहीं।

बेंगलुरू शहर के बीचों-बीच स्थित किंगफिशर टॉवर्स में कुल तीन ब्‍लॉक हैं और करीब 82 अपार्टमेंट हैं। इनमें सिर्फ 72 अपार्टमेंट बेचे जाने के लिए हैं। इन बेचे जाने वालों में 30 माल्‍या के हैं जबकि बाकी प्रेस्टिज ग्रुप के हैं। 10 अपार्टमेंट बेचे नहीं जाने हैं और इसे माल्‍या के परिवार के सदस्‍यों के बीच बांटा जाएगा।

इस आलीशान इमारत में एंट्री के पांच रास्‍ते हैं लेकिन शुरुआत में सिर्फ दो का ही इस्‍तेमाल किया जाएगा। इस अपार्टमेंट में रहने वाले करोड़पति लोगों के लिए कस्‍तूरबा रोड क्रॉस से एंट्री होगी जबकि माल्‍या के लिए विट्टल-माल्‍या रोड से अलग एंट्री होगी।

माल्‍या की अलग से एंट्री वाले जगह में एक तरफ 39 हजार वर्ग फीट में निजी गार्डन होगा। इसके बाद माल्‍या की पर्सनल लॉबी, होम-ऑफिस और पेंटहाउस जाने के लिए निजी लिफ्ट होगा। अन्‍य अपार्टमेंट 8000 वर्ग फीट में फैले हुए हैं और इनकी कीमत 20 करोड़ रुपये से शुरू होगी।

ये अपार्टमेंट्स पांचवें तल से शुरू होते हैं। ऊपर के अपार्टमेंट्स की कीमतें भी बढ़ती जाती हैं। बेसमेंट में दो तल और शुरुआती चार मंजिलें कार पार्किंग के लिए रिजर्व रखी गई हैं। इन अपार्टमेंट में रहने वाले हर शख्‍स के लिए तीन से पांच कारों की पार्किंग की सुविधा‍ मिलेगी। माल्‍या को कार पार्किंग के लिए बड़ी जगह दी गई है और इसमें करीब 100 कारें खड़ी हो सकती हैं। माल्‍या के लिए यहां खास जगह आवंटित की गई है जिसमें वो विंटेज कारों का अपना संग्रह रख सकते हैं।

अंबानी का मुंबई में 27 मंजिला घर ‘एंटीला’ काफी चर्चा में रहा है। 5000 करोड़ की लागत से बने इस इमारत से पूरी मुंबई का नजारा दिखाई देता है। इसमें हैलीपैड और मल्टीपार्किंग जैसी सुविधा भी है।

दूतों के 'अपमान' से अन्‍ना नाराज: मौन व्रत में भी चेताया, दिग्विजय के सवाल पर नहीं चलाई कलम


नई दिल्‍ली. अपने सहयोगियों से राहुल गांधी की मुलाकात को लेकर हुए विवाद के चलते अन्‍ना हजारे और उनके सहयोगी खासे नाराज हैं। अन्‍ना के तीन सहयोगियों को राहुल की ओर से मुलाकात का समय नहीं दिया गया। उनका कहना है कि ऐसी कोई मुलाकात तय नहीं थी, जबकि अन्‍ना के सहयोगियों के मुताबिक सोमवार रात तक यह तय था कि मंगलवार सुबह नौ बजे उन्‍हें राहुल से मिलना है। रविवार से ही मौन व्रत पर बैठे अन्ना ने अपने सहयोगियों को तत्‍काल रालेगण लौट जाने के लिए कहा है।

राहुल से मिलने दिल्ली पहुंचे प्रतिनिधिमंडल के सदस्य और अन्ना के सहयोगी सुरेश पठारे ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि वह अब राहुल गांधी से मुलाकात नहीं करेंगे और तत्‍काल रालेगण रवाना हो जाएंगे। पठारे के मुताबिक राहुल गांधी के दफ्तर की तरफ से उन्हें तीन दिन दिल्ली में रुकने को कहा गया है। पठारे के मुताबिक उसके बाद राहुल से उनकी मुलाकात हो सकती है। पठारे ने यह भी साफ किया कि राहुल से मुलाकात के लिए उनके पास दो बार फोन गया था।

लेकिन इससे उलट इस मामले में राहुल गांधी के दफ्तर से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राहुल से मुलाकात के लिए अन्ना के प्रतिनिधियों को बुलाने के लिए कोई फोन नहीं किया गया था। कथित तौर पर मुलाकात की पहल करने वाले इडुकी (केरल) के सांसद पीटी थॉमस ने भी मंगलवार को कहा कि इस मामले में संवाद की कमी के चलते भ्रम पैदा हो गया। थॉमस का कहना है कि एक महीने पहले रालेगण सिद्धि गए थे और हजारे द्वारा शुरू किए गए विकास के कार्यक्रम की जानकार ली थी। थॉमस ने कहा, ‘वहां मैंने सरपंच समेत गांव के कई लोगों से मुलाकात की थी। उस दौरान उन्होंने राहुल गांधी से मिलने की इच्छा जताई थी। मैंने उन्हें आश्वासन दिया था कि जो भी मदद संभव होगी, मैं उन्हें दूंगा। उन्होंने एक चिट्ठी भी भेजी थी, जिसे मैंने राहुल गांधी के दफ्तर भेज दिया था। लेकिन दुर्भाग्य से मेरी गैर मौजूदगी में मेरे दफ्तर की तरफ से रालेगण सिद्धि के सरपंच को दिल्ली बुला लिया गया। इस मामले में कुछ भ्रम पैदा हो गया। ’ उन्होंने साफ किया कि वह इस मुलाकात के लिए राहुल गांधी से समय लेने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।

राहुल से मिलने पहुंचे तीन सदस्‍यीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल रालेगण सिद्धि के सरपंच जय सिंह मपारी ने कहा है कि वह इस बात से आहत नहीं है कि उन्हें राहुल गांधी ने मुलाकात का समय नहीं दिया। बल्कि वे इस बात से दुखी हैं कि उनसे झूठ बोला गया। मपारी इसे अन्ना और उनके समर्थकों का अपमान मानते हैं। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ अन्ना का ही नहीं बल्कि पूरे रालेगण सिद्धि का अपमान है।

अन्ना के सहयोगियों का कहना है कि सोमवार को थॉमस के दफ्तर से उन्हें जानकारी मिली थी कि राहुल से उनकी मुलाकात होगी। रालेगण से आए तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सोमवार शाम सात बजे थॉमस के आवास पर भी गई थी।

हालांकि सोमवार देर शाम थॉमस की ओर से एक बयान जारी कर राहुल से अन्ना के प्रतिनिधियों की खबर को बेबुनियाद करार दिया गया था। मपारी और अन्‍ना के दो करीबी सहयोगियों ने राहुल के सिपहसालारों द्वारा मुलाकात की संभावना से इनकार करने पर आश्‍चर्य जताते हुए दावा किया था कि उन्‍हें फोन कर मुलाकात का समय दिया गया था।
थॉमस के मुकरने से स्तब्ध सरपंच मपारी ने दैनिक भास्कर से कहा, ‘हम तो गांव के सरपंच हैं। सांसद थॉमस रालेगण सिद्धि के दौरे पर आए थे और उन्होंने ही राहुल गांधी से मुलाकात कराने की बात कही थी। इसके बाद करीब पंद्रह दिन पहले राहुल गांधी के आवास से 18 तारीख को सुबह नौ बजे मिलने का संदेश आया था। हम अन्ना हजारे से अनुमति लेकर मुलाकात के लिए दिल्ली पहुंचे हैं।’ उनका दावा है कि इस बीच थॉमस भी लगातार उनके साथ फोन से संपर्क में रहे। सरपंच के मुताबिक, थॉमस ने उन्हें राहुल से मुलाकात के दौरान अन्ना की लिखी ‘माझा गांव माझा तीर्थ पुस्तक’ भी साथ लाने को कहा था।

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