कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है । धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था।धनतेरस का पर्व धन के देव कुबेर एवं आयुर्वेद के देवता धनवंतरि को प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता है। इसलिए वर्षभर स्वस्थ और निरोगी रहने के लिए आयुर्वेद के अनुसार इस दिन धन्वन्तरि देव की पूजा कर उन्हें औषधीयां अर्पित की जाती हैं। लेकिन ज्योतिष के अनुसार अगर ये औषधीयां राशि के अनुसार चढ़ाई जाएं तो कुबेर धन की बारिश करेंगे साथ ही धनवंतरि देव वर्ष भर निरोगी रहने का वरदान देंगे।धन प्राप्ति के लिए इस पर्व पर आप अपनी राशि के अनुसार धनदायक प्रयोग करें एवं निरोगी रहने के लिए धनवंतरि देव को राशि के अनुसार औषधी चढ़ाएं।
मेष- धनवंतरि देव को गुड़ एवं जटामांसी चढ़ाएं एवं नवविवाहिता महिला को 16 श्रृंगार की सामग्री दें।
वृष- रोग से बचने के लिए इलायची एवं केसर चढ़ाएं और नौ वर्ष से कम आयु वाली कन्या को खीर खिलाएं एवं सफेद वस्त्र दान दें।
मिथुन- गोरोचन और शहद चढ़ाएं। धन प्राप्ति के लिए माता या माता के समान स्त्री को कुछ उपहार भेंट करें एवं आशीर्वाद प्राप्त करें।
कर्क - पंचगव्य से पूजा कर के स्फटिक चढ़ाएं और सफेद कपड़े में चावल के साथ चांदी रख कर दान दें।
सिंह- धनवंतरि देव को खस, केसर, इलायची, देवदारु चढ़ाएं। धन प्राप्ति के लिए गणेश जी को गुड़-धनिया एवं दुर्वा चढ़ाएं।
कन्या- निरोगी रहने के लिए शहद, जायफल, पिपरामुल चढ़ाएं और किन्नर को हरी चूडिय़ां दान दे कर कुबेर को प्रसन्न करें।
तुला- केसर से पूजा करें के मैनसील चढ़ाएं। सूर्य को लाल चंदन युक्त जल चढ़ाएं।
वृश्चिक- धनवंतरि देव को लाल चंदन का तिलक लगाएं। तांबे के पात्र में गुड़ रख कर दान दें।
धनु- हल्दी और पीले फूल चढ़ा कर मुलेठी अर्पण करें। धन प्राप्ति के लिए पांच हल्दी की गांठ काले कंबल में रख कर दान दें।
मकर- निरोगी रहने के लिए काले तिल, गोंद एवं लोध्र चढ़ाएं। हाथी दांत से बनी वस्तुएं खरीदें और धारण करें।
कुंभ- लोबान का धुप दे कर खिरेटी और खस चढ़ाएं। हनुमान मंदिर में तेल का दीपक जलाएं और हनुमान जी की पूजा करें।
मीन- मानसिक विकार से बचने के लिए सफेद सरसों के साथ शहद अर्पण करें। पीपल वृक्ष को जल चढ़ा कर पीपल का पत्ता धन स्थान पर रखें।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 अक्तूबर 2011
राशि के अनुसार ऐसे मनाएं धनतेरस तो बरसेगा धन
वो तो मृत शिशु को लेकर चल दिए थे कि अचानक खिल उठे मुर्झाए चेहरे
मृत शिशु को अपना समझ कर अंतिम संस्कार के लिए रवाना हो चुके लोगों को रोक उन्हें उनका बच्चा थमाया गया। इस मामले में आक्रोशित दोनों ही शिशुओं के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा मचाया।
विजयगढ़ निवासी देवकन्या पत्नी सोनू रैगर व चापरस निवासी कमलेश पत्नी सुरेश मेघवाल ने 19 अक्टूबर को शिशुओं (पुत्र) को जन्म दिया था।
देवकन्या के शिशु को कमजोर होने व कमलेश के शिशु को सांस लेने में तकलीफ होने से एफबीएनसी में भर्ती कराया। कमलेश के पुत्र की शुक्रवार सुबह मौत हो गई। नर्सिग स्टाफ ने इसकी सूचना कमलेश के परिजनों को दी।
इसी बीच देवकन्या के परिजन एफबीएनसी में अपने शिशु को देखने पहुंचे तो वहां उन्हें कमलेश के परिजन मान कर शिशु की मौत की जानकारी देकर शव सौंप दिया गया। इस पर वे शोकमग्न होकर उसका अंतिम संस्कार करने के लिए रवाना हो गए।
थोड़ी ही देर बाद कमलेश के परिजन भी अपना मृत शिशु लेने पहुंचे तो उन्हें बताया कि उसे अभी-अभी कोई लेकर गया है। कमलेश के परिजन व नर्सिगकर्मी बाहर आए। मृत शिशु को ले जा रहे देवकन्या के परिजनों को रोक सच्चाई बताई। इससे एकदम तो उनके मुर्झाए चेहरे खिल गए।
बाद में दोनों ही ओर के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया। बाद में कमलेश के परिजन उसे छुट्टी दिलाकर व मृत शिशु को लेकर रवाना हो गए।
स्टाफ ने दिया गलत बच्चा
देवकन्या की मां कल्लीबाई व उसकी सास कन्या ने बताया कि सुबह दस बजे वार्ड में महिला कर्मचारी आई थी। उसने पलंग पर आकर शिशु के मृत होने की बात कही। इस पर परिजन बच्चों के आईसीयू में गए। वहां भी नर्सिग कर्मचारियों ने उन्हें मृत बच्चा दे दिया। काफी देर बाद उन्हें पता चला कि उनका बच्चा तो जिंदा है।
"शिशु की मौत के बाद यशोदा को वार्ड में भेजकर परिजनों को बुलाने भेजा था, लेकिन दूसरे बच्चे के परिजन आ गए और मृत बच्चे को लेकर चले गए। यह बात पता चलने पर मृत शिशु उसके परिजनों को सौंप दिया गया। इसमें गलती परिजनों की ही है। वैसे मृत बच्चा देने से पहले सभी तरह की औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं।"
डॉ. केसी गगरानी, शिशु रोग विशेषज्ञ सामान्य अस्पताल
"मृत शिशु ले जाने के मामले में गलती देवकन्या के परिजनों की रही है। देवकन्या व कमलेश वार्ड में पास-पास ही भर्ती हैं। उनके शिशु भी एफबीएनसी में पास-पास भर्ती रहे। सुबह जब कमलेश के शिशु की मौत हुई तो यशोदा उसके ही परिजनों को बुलाने गई थी, लेकिन देवकन्या के परिजन वहां आ गए और स्टाफ से बच्चा लेकर चले गए। बाद में पता लगने पर बच्चा वापस कमलेश के परिजनों को दिया गया।"
मधुसूदन शर्मा, पीएमओ, सामान्य अस्पताल बूंदी
चमत्कारी देव-स्थान जहां पानी से निकलती है आग, जानिए राज!
शिमला। हिमांचल प्रदेश जो एक ओर अपनी प्राकृतिक खूबसूरती की वजह से विश्व भर में प्रसिद्ध है वहीं इस राज्य में कुल्लु के पास एक ऐसा धार्मिक स्थल है जो भले ही बेहद लोकप्रिय नही है लेकिन यह प्रकृति या कहें ईश्वरीय चमत्कार का एक ऐसा स्थल है जो किसी को भी चौकाने की क्षमत रखता है।
कुल्लु से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर बना मणिकर्ण साहिब गुरूद्वारा समुद्र तल से लगभग 1760 मीटर की ऊंचाई पर पार्वती नदी के किनारे बसा है। इसी गुरूद्वारे की ठीक पीछे भगवान शिव, भगवान राम और माता पार्वती का मंदिर स्थित है। मंदिर परिसर के एक ओर जहां बर्फ के समान ठंडे पानी की नदी बहती है, वहीं परिसर के अंदर उसी नदी के एक हिस्से से इतनी गर्मी निकलती है जो किसी अग्नी से कम नही है। यह बेहद चौका देने वाला तथ्य है कि इतने ठंडे प्रदेश में बहने वाली नदी का एक हिस्सा इतना गर्म या खौल क्यों रहा है।
कैसे उबलने लगा नदी का पानी
ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर और माता पार्वती एक बार पृथ्वी भ्रमण पर निकले और जब वह धरती के इस हिस्से से गुजरे तो यहां की प्राकृतिक सुंदरता पर मोहित हो यहां कुछ दिन रूकने का फैसला किया। माना जाता है कि इसी नदी के किनारे वह दोनों लगभग ग्यारह सौ वर्षों तक रहे। प्रवास के दौरान एक दिन जब यह दोनों आराम कर रहे थे तभी माता पार्वती के कान का एक मणि नदी में गिर गया।
माता ने भगवान से उस मणि को ढूंढ लाने का आग्रह किया। काफी खोजबीन के बाद भी जब वह उन्हंे नही मिला तो भगवान इतने क्रोधित हुए कि उन्होने अपनी तीसरी आंख खोल दी। उनके इस क्रोध से पूरा ब्रrांड हिल गया। बात भगवान शेषनाग तक पहुंची।
उन्होने नदी में तीन बार बेहद जोरदार ढंग से फुंकार मारी जिससे पूरी नदी खौलने लगी और उसके तल में पड़ी तमाम वस्तुएं सतह पर आ गईं। अंतत: माता पार्वती को उनकी खोई हुई मणि वापस मिल गई। बावजूद इसके नदी का एक हिस्सा आजतक खौल रहा है। यही कारण है कि इस स्थान को मणिकर्ण के नाम से जाना जाता है
जिस किसी ने यह दृश्य देखा, उसके मुंह से निकला ओह माई गॉड
भोपाल। आदमी को बोरा ढोते, बोझा ले जाते और ठेले खींचते तो आपने बहुत देखा होगा। लेकिन आज हम आपके लिए कुछ नया लाए हैं जिसे देख आप खुद कह बैठेंगे अरे.... वीडियो में दिखा ये कारनामा कहीं और का नहीं बल्कि भारत के दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का है।
अपने काम से लोगों को हैरत में डाल देने वाले शख्स ऋषि सक्सेना ने भोपाल में अपने कौशल का प्रदर्शन किया था देश की आजादी की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर। जिस समय उन्होंने यह हैरतअंगेज कारनामा दिखाया था वो महज 25 साल के थे, पर उनका उद्देश्य बड़ा था।
ऋषि ने जिस एयरप्लेन को खींचा था वो करीब 7 मीटर लंबा था, ऋषि के प्लेन खींचने में बड़ी बात तो है ही साथ ही साथ उससे भी बड़ी बात ये है कि उन्होंने ये कारनामा अपने दांतों के दम पर किया...उन दांतों के दम पर जो एक अखरोट भी नहीं फोड़ पाते। ये मामूली बात नहीं थी...इसके पीछे उनकी वर्षों की मेहनत और जबरदस्त प्रेक्टिस है। तभी वो अपना सपना सच कर पाए।
ऋषि बचपन से ही चाहते थे कि वो कुछ ऐसा करें कि उनके देश को उनके ऊपर नाज हो। ऋषि अपने दांतों के दम पर प्लेन खींचने से पहले ट्रक, कार के साथ-साथ ट्रेन का इंजन तक खींच चुके हैं।
कांग्रेसी पार्षद मेयर से नाराज हुए तो लगा जैसे गधे के दिन फिर गए!
मेयर ने दौरे ही किए, सफाई नहीं कराई
दीपावली के त्योहार पर शहर में ठीक से सफाई नहीं हो रही है। मेयर ने वार्डो में दौरे कर गंदगी, देखी मगर सफाई नहीं कराई। पार्षद सी.एम. शर्मा ने मांगे नहीं मानने पर सोमवार से अनशन करने की चेतावनी। इससे पहले पार्षदों ने सुबह अधिकारियों और कर्मचारियों को फूल भेंट कर विरोध जताया। गुरुवार को किन्नरों ने पार्षदों के साथ विरोध जताया।
धरने को चार दिन हो गए, मेयर मिली तक नहीं
पार्षदों ने कहा- जब तक वार्डो की हालत सुधारने की मांग नहीं मानी जाएगी, धरना जारी रहेगा। पार्टी को कार्रवाई करनी है तो पहले मेयर और नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ करे, जिन्होंने सबसे पहले अपनी सरकार के खिलाफ धरना दिया था। यह धरना विकास कार्यो को लेकर है न कि किसी व्यक्ति विशेष के लिए। धरने को शुक्रवार को चार दिन हो गए, लेकिन मेयर की ओर से वार्ता का प्रस्ताव नहीं आया है।
इस को देख बुरी तरह से कांप जाएंगे आप...!
रांची. झारखण्ड के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आदिवासियों की एक परम्परा को देख आपकी रूह कांप जाएगी। यहां के आदिवासी भगवान शिव को खुश करने के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए अपने शरीर में लोहे की हुक घुसा लेते हैं।
मेरा बेटा जांबाज था, बंदूक होती तो उनको ढेर कर देता
भोपाल।सिले होंठ, पथराई आंखें और हाथों में शहीद बेटे की तस्वीर। इस बूढ़ी मां का दिल नहीं मानता कि उसका लाल अब इस दुनिया में नहीं है। वहीं पास ही, अपनी सूनी कलाई देखती एक शहीद की पत्नी सारी उम्र पति की यादों के सहारे जीने को तैयार है। इन सबके बीच एक नन्हा मासूम भी है, जिसे नहीं पता कि जिस तस्वीर को वह निहार रहा है, वो उसके पिता की है। शहीद दिवस पर शुक्रवार को राजधानी में कई रणबांकुरों के परिजन जुटे और खो गए उन्हीं की यादों में..
हमारी शादी को साढ़े तीन माह ही हुए थे। 24 घंटे पहले ही वो मुझसे मिलकर गए थे। अगले दिन खबर आई कि नक्सलियों ने उन्हें गोली मार दी। 22 सितंबर 2010 को बालाघाट जिले के बहेला में नक्सलियों की गोली का शिकार हुए हॉक फोर्स के जवान हरिशचंद्र राहंगडाले की पत्नी सीमा ने जब शहीदों की तस्वीरों के बीच अपने पति की तस्वीर देखी तो फफक कर रो पड़ीं। सीमा कहती हैं, अब तो बस उनकी यादों के सहारे ही जिंदगी काटनी है।
3 जून को रतलाम में सिमी आतंकियों की गोली का शिकार हुए एटीएस के जवान शिवप्रताप सिंह की मां सियादुलारी को अब भी इस बात की टीस है, कि उनका बेटा आतंकियों पर एक भी गोली नहीं दाग पाया। ग्वालियर की रहने वाली सियादुलारी कहती हैं, मेरा बेटा जांबाज था, यदि उस वक्त उसके पास बंदूक होती तो वो आतंकियों को वहीं ढेर कर देता। शहीदों के परिजनों का ये दर्द शुक्रवार को लाल परेड मैदान पर आयोजित शहीद दिवस कार्यक्रम में उभरकर आया। शहीद शिवप्रताप के डेढ़ साल के बेटे कृष्णा को ये भी नहीं मालूम कि दादी और मम्मी यहां क्यों आई हैं? शहीदों की तस्वीरों के बीच टंगी अपने पापा की फोटो पर हाथ फेरते हुए कृष्णा ने जैसे ही मां ममता की आंखों में झांका तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। सिसकियों के बीच वो नन्हे कृष्णा से सिर्फ इतना बोलीं, बेटा ये तुम्हारे पापा हैं। नाती को ऐसे देखकर दादी सियादुलारी भी अपने आप को रोक न सकीं और उनकी आंखों से भी आंसू छलक पड़े। वो कहती हैं कि शिवप्रताप मेरा इकलौता बेटा था। जांबाज था, बस दुख इस बात का है कि वह आतंकियों पर गोली नहीं दाग पाया। अभी उसकी शादी को दो साल ही हुए थे, किसे पता था कि ऐसा हो जाएगा। पति की मौत के बाद ममता को पुलिस की नौकरी मिली है। कार्यक्रम में बीते साल भर में शहीद हुए 12 में से 10 जवानों के परिजन मौजूद रहे। इस मौके पर लोकायुक्त पीपी नावलेकर, गृह राज्य मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा, मुख्य सचिव अवनि वैश्य, अपर मुख्य सचिव गृह अशोक दास सहित तमाम पुलिस अफसरों ने शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इससे पहले देश भर के शहीदों की नामावली का वाचन किया गया।
दूसरे बेटे को भी देशसेवा के लिए भेजना चाहता हूं
शहीद हरिश्चंद्र के पिता घनश्याम कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। उसकी जान देश की सेवा करते हुए गई। एक बेटा और है, उसे भी देश सेवा के लिए भेजना चाहता हूं। घनश्याम ने अपनी ये इच्छा राज्यपाल रामनरेश यादव के सामने भी जाहिर की।
नहीं मिल रही पेंशन, कैसे करूं इन बच्चों की परवरिश
भिंड में 26वीं वाहिनी में पदस्थ चंद्रप्रकाश बर्वे की 23 मई को ड्यूटी के दौरान एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। पत्नी वीणा कहती हैं कि सरकार ने वर्ष 2004 के बाद की नौकरी वालों को पेंशन देने से मना कर दिया है। अपने बेटों उत्साह (2 वर्ष) और उत्कर्ष (1 वर्ष) को गोद में लिए वो कहती हैं, ऐसे में इन बच्चों की परवरिश कैसे होगी? उन्होंने अपनी पीड़ा राज्यपाल रामनरेश यादव को भी सुनाई। इस पर एडीजी सुरेंद्र सिंह ने उन्हें भरोसा दिलाया कि इस मामले में शासन को पत्र लिखा गया है।
आशिक ने किया प्रेमिका का कत्ल, डेढ़ घंटे तक बैठा रहा शव के पास
पंचकूला. कुछ प्रेमी प्यार को पाने के लिए कुछ भी कर गुजरते हैं, लेकिन कुछ इस प्यार को खत्म करने के लिए किसी भी हद तक उतर जाते हैं। एमडीसी में बुधवार को मिले पूजा नामक युवती के शव का मामला पुलिस ने सुलझा लिया है। इस युवती का मर्डर उसके प्रेमी ने ही किया है
वारदात को अंजाम देने के लिए आरोपी ने अपने दोस्त को भी शामिल किया था। केस को पंचकूला पुलिस के डिटेक्टिव स्टाफ ने सॉल्व किया है। डिटेक्टिव स्टाफ के इंचार्ज सब इंस्पेक्टर दीपक ने बताया कि दोनों आरोपियों को शनिवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा। पुलिस ने आरोपी सुनील व बबलू को शुक्रवार को सेक्टर-20 की मंडी से गिरफ्तार किया है।
शादी नहीं, छुटकारा चाहता था सुनील
पुलिस के मुताबिक एमडीसी के भैंसा टिब्बा में रहने वाली पूजा बद्दी की वर्धमान फैक्टरी में काम करती थी। इस फैक्टरी में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को लेकर जाने के लिए चंडीगढ़ स्थित मग्गू ट्रांसपोर्ट की बस काम करती है। इस बस को सुनील चलाता है, जबकि परिचालक बबलू है। पूजा करीब तीन साल से फैक्टरी में काम कर रही थी और तभी से वह सुनील के संपर्क में थी। इसी दौरान दोनों में अच्छे रिश्ते बन गए। हाल ही में पूजा के घरवालों ने उसकी शादी तय कर दी, लेकिन वह सुनील से शादी करना चाहती थी। पुलिस के मुताबिक इसके लिए वह लगातार सुनील पर दबाव बना रही थी, लेकिन सुनील उससे शादी करने के बजाए छुटकारा पाना चाहता था।
मर्डर का प्लान बना कर किया फोन
पुलिस के मुताबिक मंगलवार की सुबह सुनील अपने दोस्त बबलू के साथ बस लेकर एमडीसी पहुंचा और पूजा की भाभी को फोन कर पूजा को भेजने की बात कही। इस बीच उसने पूजा को रात के समय मिलने के लिए बुलाया।पूजा रात को करीब 12 बजे सुनील के पास पहुंची। तब सुनील के साथ बबलू भी बस में था। प्लान के मुताबिक सुनील व बबलू ने मिलकर पूजा के दुपट्टे से उसका गला दबा दिया।
इसके बावजूद सुनील को भरोसा नहीं हुआ कि वह मर चुकी है, तब उसने हाथों से उसका गला दबा दिया। डेढ़ घंटे तक उसने पूजा का शव बस में ही रखा और उसके बाद शव शोरूम के बाहर छोड़कर अपनी बस में चला गया। पुलिस के मुताबिक बुधवार की सुबह सुनील कर्मचारियों को लेकर फैक्टरी में गया, लेकिन उसके बाद नहीं गया। पुलिस ने सुनील के मोबाइल की कॉल डिटेल्स व फैक्टरी के कर्मचारियों से पूछताछ कर इसकी जानकारी हासिल की कि पूजा के साथ वह लगातार संपर्क में रहता था।
पूंछ कटने का सदमा ना सह सकी, चल बसी रेशमा
इससे रेशमा की पूंछ पर गहरा जख्म हो गया, जिसे ऑपरेशन कर काटना पड़ा। उसके बाद से ही वह सदमे में थी। रेशमा ने करीब छह माह पहले उम्र के 24 वर्ष पूरे किए थे और मार्च में वह दुनिया की सबसे अधिक उम्र की बाघिन हो जाती।
ऐसे में उसका नाम गिनीज बुक में दर्ज होने की स्थिति में आ जाता। जू प्रबंधन और अन्य कर्मचारियों ने रेशमा को श्रद्धांजलि अर्पित की। रेशमा की देह पर पुष्प चढाए। बाद में पोस्टमार्टम किया गया।
विवाहिता ने बंदूक के बल पर रचा डाली फौजी से शादी
पांवटा साहिब. देवीनगर की विवाहिता ने बंदूक की नोक पर पांवटा के निहालगढ़ के रहने वाले एक फौजी के साथ मंदिर में शादी रचा डाली। इसमें पांवटा के तीन लोगों ने महिला का साथ दिया है। शुक्रवार को जिला मुख्यालय में एसपी सिरमौर के पास जाकर महिला व तीन लोगों के खिलाफ लिखित शिकायत फौजी ने कर दी है। मामले की जांच के लिए डीएसपी पांवटा को जांच के आदेश कर दिए गए हैं।
फौजी ने शिकायत में कहा है कि एक सप्ताह पहले पांवटा के देवीनगर की एक महिला उसके संपर्क में आई। वह पांवटा में रह रही है। उसके साथ कुछ स्थानीय तीन-चार मिले हुए हैं, जो लोगों को फांसते है। कुछ दिन पहले महिला देवीनगर के ही तीन लोगों को साथ लेकर उसके पास आई।
महिला ने उसे कहा कि वह उससे शादी कर ले नहीं, तो उसके खिलाफ बलात्कार की शिकायत दर्ज कराएगी। इसके बाद महिला के साथ आए तीन लोगों ने बंदूक के बल पर उसकी महिला से शादी करवा दी।बाद में उसे पता चला कि महिला के बच्चे भी है। फौजी ने इस महिला व उसके साथियों से जान का खतरा बताकर सुरक्षा की मांग की है। एसपी सिरमौर पुनिता भारद्वाज ने बताया कि उसके पास शिकायत आ गई है। जांच के लिए पांवटा के डीएसपी को लिखा गया है।
..एक भाग्यशाली बादशाह की दुर्भाग्यशाली दास्तान...
नई दिल्ली।शान-ए-दिल्ली के अंर्तगत हम आपको राजधानी दिल्ली की धरोहरों से रू-ब-रू कराएंगे। इसकी शुरूआत हम आज हुमायूं के मकबरे से कर रहे हैं। चलिए जानते हैं हुमायूं के मकबरे के बारे में।
हुमायूं का मकबरा इमारत नई दिल्ली के निजामुददीन इलाके में स्थित है। इस इमारत में हुमायूं की क्रब सहित कई अन्य राजसी लोगों की भी कब्रें हैं। यह मकबरा हुमायूं की विधवा बेगम हमीदा बानो बेगम के आदेशानुसार 1562 में बना था। इस इमारत को बनने में लगभग आठ साल का समय लगा था।
इस इमारत को बनाने के लिए अफगानिस्तान से सैयद मुबारक इब्न मिराक घियाशुददीन एवं उसने पिता मिराक घुइयाशुददीन को बुलवाया गया था। इसके निर्माण के लिए लाल बलुआ पत्थर और संगमर्मर का उपयोग किया गया है।
दिलचस्प कहानी:
हूमायूं नाम का अर्थ भाग्यशाली होता है। लेकिन हूमांयू वास्तव में अपनी जिंदगी में दुर्भाग्यशाली रहे। अपने पिता बाबर की मौत के बाद हुमायूं ने 1530 में भारत की राजगद्दी संभाली । लेकिन बाद में उन्हें शेरशाह सूरी से हार मिली। इसके 10 साल बाद ईरान की मदद से वे अपना शासन दोबारा पा सके।
26 जनवरी सन् 1556 में हुमायूं जब अपने पुस्तकालय से किताबें लेकर सीढ़ी से नीचे उतर रहे थे। उसी दौरान उनका पैर फिसल गया। जिससे उन्हें गंभीर चोंटे भी आईं। इसके ठीक तीन दिन बाद हुमांयू का इंतकाल हो गया। और इस तरह एक भाग्यशाली बादशाह का दुर्भाग्यशाली अंत हुआ।
एक परिवार,11 भाई,एक मंत्री, नौ हिस्ट्रीशीटर
गुढ़ा गौड़जी थाने के प्रभारी विक्रमसिंह के मुताबिक रणवीर के दस भाइयों में से आठ इसी थाने के हिस्ट्रीशीटर हैं। इस थाने के कुल 15 हिस्ट्रीशीटरों में से ये नौ भाई भी हैं। हालांकि, इनकी हिस्ट्रीशीट पुरानी खुली हुई है। गत कुछ वर्षो से इनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है।
नौ ‘भाई’
1. पर्यटन राज्य मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढा
2. पूर्व एमएलए तथा पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रणवीर सिंह गुढा
3. महेन्द्र सिंह
4. महिपाल सिंह
5. नरेन्द्र सिंह
6. श्रवण सिंह
7. सत्यपाल सिंह
8. सत्येन्द्र सिंह
9. विजेन्द्र सिंह
(पुलिस मुख्यालय की वेबसाइट के अनुसार)
पूर्व विधायक रणवीर गुढ़ा पर बीस साल में 33 मामले
रणवीर सिंह गुढ़ा के खिलाफ वर्ष 1991 लेकर अब तक 33 मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें से अधिकतर में पुलिस चार्जशीट पेश कर चुकी है। पहला मामला 1990 में सोढ़ाला थाने में हत्या के प्रयास का दर्ज हुआ था। गांधीनगर थाने में 1991 के बाद 1996 से लेकर 1999 तक नौ मामले दर्ज हो चुके हैं।
इनमें अपहरण व मारपीट, राजकार्य में बाधा डालने, सरकारी कर्मचारियों से मारपीट, हत्या के प्रयास के आरोप लगे थे। गुढ़ा गौड़जी थाने में हत्या का प्रयास, सरकारी कार्य में बाधा डालने, हत्या के आरोप दर्ज हैं। झोटवाड़ा व बनीपार्क थाने में मारपीट का, विधायकपुरी थाने में हाथापाई के मामले दर्ज हैं।
उदयपुरवाटी थाने में राजकार्य में बाधा डालने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के चार मामले हैं। ज्योतिनगर थाने में भी राजकार्य में बाधा तथा सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले हैं। मालवीय नगर थाने में हाथापाई का, खेतड़ी थाना, सीकर के सदर थाना में धोखाधड़ी में सहयोगी एवं फर्जी दस्तावेज बनाने, सीकर व झुंझुनू के कोतवाली थाने में भी मामले दर्ज हैं।
टोंक रोड पर देवनगर बी-3 में रहने वाले डाक्टर राजीव शर्मा ने आरोप लगाया है कि उनकी घर पर स्थित क्लिनिक पर भी गुढ़ा के साथियों ने कब्जा कर रखा है। वे पुलिस के कई चक्कर लगा चुके हैं।
बड़े ट्रांसपोर्टर के नाम से था एग्रीमेंट
जिस एग्रीमेंट के आधार पर रणवीर व उसके साथियों ने सिविल लाइंस में प्रोफेसर रवि सिंह अचरोल के बंगले पर कब्जे का प्रयास किया, वह शहर के एक बड़े ट्रांसपोर्टर गुरमीत काला के नाम से किया गया था।
उसके खिलाफ भी पुलिस में कई मामले दर्ज हैं और वह रणवीर की गिरफ्तारी के बाद से गायब है। भाभा मार्ग पर गुरमीत के आवास पर पुलिस गई भी, लेकिन उसका पता नहीं चला। अब गुरमीत के सामने आने के बाद ही सच्चई का पता चलेगा।
एक बंगला जहां ड्यूटी पर सोने पर पड़ते हैं भूत के तमाचे!
राजपूताना के लिए मशहूर भारत का यह राज्य राजस्थान वास्तव में बहुत सी आश्चर्य जनक और ऐतिहासिक घटनाओं का धनी है,एक ओर अजमेर में जहां विश्व प्रसिद्द ख्वाजा साहब की दरगाह है तो वहीं जयपुर का जंतर मंतर जैसी वेधशाला है।ऐसा लगता है जैसे यहां का हर शहर अपने आप में कई रहस्मयी घटनाओं को अपने दामन में समेटे हुए है।
ऐसा ही एक शहर है कोटा जो यूं तो पूरे भारत वर्ष में शिक्षा के लिए प्रसिद्द है लेकिन राजस्थान का यह शहर भी कई एतिहासिक घटनाओं का धनी है इस शहर में एक भवन है भारत की दस सबसे ज्यादा डरावनी जगहों में शामिल है इस भवन का नाम है ब्रिज राज भवन पैलेस|
इस भवन की उम्र लगभग 178 साल है 1980 में इस भवन को एक ऐतिहासिक होटल घोषित कर दिया गया कहा जाता है कि इस होटल में मेजर बर्टन नाम का एक भूत रहता है जो ब्रिटिश शासन काल में कोटा में सेवारत था,और 1857 के विद्रोह के दौरान उसे भारतीय सिपाहियों ने मार दिया था।
भारतीय सिपाहियों ने इस विद्रोह के दौरान मेजर के साथ उसके दो बेटों को भी इसी बंगले के सेंट्रल हॉल में मार दिया था।कोटा की पूर्व महारानी का कहना है कि उन्होंने 1980 में मेजर को उसी हॉल में देखा था जहां उन्हें मार दिया गया था उस समय महारानी इस हॉल को अपने ड्राइंग रूम के रूप में उपयोग में लाती थीं।
लोगों का कहना है कि यह भूत किसी को कोई नुक्सान नहीं पहुंचता लेकिन यदि रात्रि में ड्यूटी के दौरान कोई गार्ड सोते हुए मिलता है तो यह भूत उसमे तमाचे रसीद कर उसे अपनी ड्यूटी याद करा देता है।
रा.वन’ की रिलीज से पहले शाहरुख को लगा फटका!
टेलीविजन निर्माता और लेखक यश पटनायक की याचिका पर कोर्ट ने प्रथम दृष्टया माना है कि फिल्म बनाने वाली शाहरुख की कंपनी ‘रेड चिलीज एंटरटेनमेंट’ ने कॉपीराइट नियमों का उल्लंघन किया। यह जुर्माना नहीं दिया गया तो फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी जाएगी। यह फिल्म 26 अक्टूबर को रिलीज होनी है।
रेत के घरोंदे की तरह
दिल लिए
बेठा रहा में
तेज़ धुप में .........
फेर देखलो
दुसरे दिन
रेत का घरोंदा
बना कर
बेठ गया
मुसलाधार बरसात में
क्या मोम की तरह पिघलना
रेत के घरोंदे की तरह
बह जाना ही
प्यार होता है ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
मोहब्बत की पींगें बढ़ती गईं, वक्त रफ्तार से भागता रहा और...
अटारी बार्डर . ‘असीं तेरे शहर नूं सलाम कर चल्ले आं, आशिकां दी आशिकी दे नाम कर चल्ले आं’ की टीस मन में लिए एक पाकिस्तानी युवक वीरवार को अटारी सड़क मार्ग के जरिए हारे दिल से अपने वतन को लौट गया। हालांकि, सालों तक जेल में रहने के बाद हुई रिहाई से वह सुकून महसूस कर रहा था, मगर उसके चेहरे पर उदासी छाई थी। सरहद पार करते वक्त वह बार-बार पीछे मुड़कर देख रहा था मानो उसके पीछे कोई आ रहा है और उसे रोक रहा हो।
लाहौर में रहने वाला युवा इरशाद मोहम्मद पुत्र वजीद अब्दुल वर्ष 1999 में राजस्थान के बिजनौर शहर में रहने वाले रिश्तेदारों से मिलने एक महीने के वीजे पर भारत आया। यहां पड़ोस में अपने ही कौम की एक लड़की से प्यार हो गया। मोहब्बत की पींगें बढ़ती गईं, वक्त रफ्तार से भागता रहा और उसका वीजा खत्म हो गया। इस दौरान दोनों ने साथ-साथ जीने-मरने की कसमें तो खाई ही, बल्कि उनको निभाने के लिए निकाह तक कर लिया। मगर लड़की के पुराने आशिक ने रंजिशन पुलिस में रिपोर्ट कर दी कि उक्त पाकिस्तानी नागरिक बिना वीजे के रह रहा है।
युवक के अनुसार सुबह-सुबह पुलिस ने दबिश दी तो वह लोग हक्के-बक्के रह गए। इसके बाद उसे जेल हो गई। पहले उसे सिलीगुड़ी जेल में रखा गया व बाद में कोलकाता शिफ्ट कर दिया गया। दो साल की सजा काटने के बाद उसे वतन भेजा गया। उसका कहना है कि वह मजबूरी में अपनी बीवी को छोड़कर जा रहा है। सरहदों के बंटवारे में उसका परिवार बिखर गया है। कानूनी मुश्किलें इतनी हैं कि अपने जीवन साथी को साथ नहीं ले जा सकता, मगर वहां जाकर वह अपनी बीवी को वतन ले जाने के लिए पूरी कोशिश करेगा। पाकिस्तानी सरहद में कदम रखने से पूर्व उसने भारतीय सरजमीं को बड़ी ही शिद्दत से चूमा। इस दौरान उसकी आंखें भी छलक पड़ीं।
पुलिस और नक्सलियों की मुठभेड़ में छह पुलिसकर्मी शहीद, तीन घायल
रायपुर.छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में नक्सलियों ने पुलिस दल पर घात लगाकर हमला कर दिया,जिसमें छत्तीसगढ़ पुलिस के छह जवान शहीद हो गए। बस्तर जिले के पुलिस अधीक्षक रतन लाल डांगी ने शुक्रवार को बताया कि जिले के दरभा थाना क्षेत्र के अंतर्गत नेतानार गांव के करीब नक्सलियों ने पुलिस दल पर घात लगाकर हमला किया, जिसमें जिला पुलिस बल के छह जवान शहीद हो गए हैं तथा तीन अन्य घायल हो गए हैं।
डांगी ने बताया कि नेतानार गांव में नक्सलियों ने गुरुवार को वन विभाग के रेस्ट हाउस में तोड़फोड़ की थी। सूचना मिलने के बाद आज दरभा पुलिस थाने से नेतानार के लिए पुलिस दल रवाना किया गया।
पुलिस दल जब गांव से वापस आ रहा था तो नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर उन पर हमला कर दिया। इसमें जिला पुलिस बल के छह जवान शहीद हो गए तथा तीन अन्य घायल हो गए।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि नक्सलियों द्वारा गोलीबारी के बाद जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की। वहीं इस घटना की जानकारी मिलते ही अतिरिक्त पुलिस बल घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया गया है।
डांगी ने बताया कि घायलों और जवानों के शवों को घटनास्थल से बाहर निकालने की कार्रवाई की जा रही है।
मोदी के ज़र खरीद क्या मुसलमान भी है .....
क्या जानवर से बदतर नहीं हैं वोह लोग .................
गद्दाफी के पास सात अरब डॉलर का सोना, लीबिया की संपत्ति 168 अरब डॉलर
त्रिपोली. लीबिया में 42 साल तक हुकूमत करने वाला 69 वर्षीय तानाशाह कर्नल मुअम्मर गद्दाफी आखिरकार मारा गया। उसकी मौत गृहनगर सिर्ते में सिर और पैर में गोली लगने से हुई है। लीबिया की सेना और अमेरिका ने मौत की पुष्टि की है। गुरुवार को हुए इस हमले में उसके बेटे मुतस्सिम और सेना प्रमुख अबु बकर यूसुफ जबर समेत कई साथी भी मारे गए हैं। दिसंबर से अरब देशों में शुरू हुई क्रांति के बाद गद्दाफी की हुकूमत के खिलाफ भी आवाजें उठने लगी थीं। लेकिन उसने उसे बलपूर्वक दबाने की कोशिश की। विरोधियों को नाटो देशों का समर्थन मिलने के बाद वह छिपता फिर रहा था।
अपने शासनकाल के दौरान ही गद्दाफी क्रांतिकारी हीरो से अंतरराष्ट्रीय जगत में अछूत की तौर पर देखा जाने लगा। फिर उसे एक अहम पार्टनर बताया जाने लगा। गद्दाफी ने अपना एक राजनीतिक चिंतन विकसित किया था, जिस पर उसने एक किताब भी लिखी, जो उसकी नजर में इस क्षेत्र में प्लेटो, लॉक और मार्क्स के चिंतन से भी कहीं आगे थी। गद्दाफी का जन्म वर्ष 1942 में एक कबायली परिवार में हुआ था।
वर्ष 1969 में जब गद्दाफी ने फौजी अफसरों को साथ लेकर राजा इद्रीस का तख्ता-पलट कर सत्ता हासिल की थी। तो वह एक करिश्माई युवा फौजी अधिकारी था। स्वयं को मिस्र के जमाल अब्दुल नासिर का शिष्य बतानेवाले गद्दाफी ने सत्ता हासिल करने के बाद खुद को कर्नल के खिताब से नवाजा। देश के आर्थिक सुधारों की तरफ तवज्जो दी। इससे पहले देश की अर्थव्यवस्था विदेशी अधीनता के चलते जर्जर हालत में थी।
बताया जाता है कि गद्दाफी के पास ७ बिलियन डॉलर (३.५० खरब रुपए) मूल्य का सोना है। अमेरिका ने गद्दाफी परिवार के ३० बिलियन डॉलर के निवेशों को जब्त किया है। कनाडा में २.४ बिलियन डॉलर(१.१९ खरब रुपए), आस्ट्रीया में १.७ बिलियन डॉलर(८४ अरब रुपए), ब्रिटेन में १ बिलियन डॉलर(४९ अरब रुपए) लीबिया क्रांति के शुरू होने के बाद जब्त किए गए हैं। ६ माह चले विद्रोह में लीबिया को 15 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। लीबिया सेंट्रल बैंक के पूर्व गवर्नर फरहत बंगदारा के मुताबिक, यदि विदेशी सरकारें लीबिया की जब्त संपत्ति को मुक्तकर दें तो यह बड़ा संकट नहीं है।
168 अरब डॉलर लीबिया की संपत्ति
दुनिया भर के बैंकों में लीबिया की 168 अरब डॉलर की संपत्ति जमा है। इनमें 50 अरब डॉलर ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, पुर्तगाल, स्पेन और स्वीडन जैसे देशों में जमा हैं। वहीं अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के पास 40 अरब डॉलर जमा हैं। बंगदारा के मुताबिक, सब कुछ इस गृह युद्ध से पहले यहां का आर्थिक उत्पादन 80 अरब डॉलर था। अगले 10 सालों में इसे दोगुना किया जा सकता है।
तेल के भंडार मुक्त कराए
अगर नासिर ने स्वेज नहर को मिस्र की बेहतरी का रास्ता बनाया था, तो कर्नल गद्दाफी ने तेल के भंडार को इसके लिए चुना। लीबिया में 1950 के दशक में तेल के बड़े भंडार का पता चल गया था। लेकिन उसके खनन का काम पूरी तरह से विदेशी कंपनियों के हाथ में था। वही उसकी ऐसी कीमत तय करते थीं। गद्दाफी ने तेल कंपनियों से कहा कि या तो वो पुराने करार पर पुनर्विचार करें या उनके हाथ से खनन का काम वापस ले लिया जाएगा। लीबिया वो पहला विकासशील देश था, जिसने तेल के खनन से मिलनेवाली आमदनी में बड़ा हिस्सा हासिल किया। दूसरे अरब देशों ने भी उसका अनुसरण किया।
खत्म कर दी आजादी
1970 के आसपास उन्होंने विश्व के संबंध में एक तीसरा सिद्धांत विकसित करने का दावा किया। दावा किया कि इसके माध्यम से पूंजीवाद और साम्यवाद के बीच का मतभेद खत्म हो जाएगा। दबे-कुचले लोगों बराबरी का हक मिलेगा। लेकिन जिस विचारधारा में लोगों को आजाद करने का दावा किया गया था, उसी के नाम पर उनकी सारी आजादी छीन ली गई।
अमेरिका विरोधी
2010 में टयूनीशिया से अरब जगत में बदलाव की क्रांति का प्रारंभ हुआ, तो उस संदर्भ में जिन देशों का नाम लिया गया, उसमें लीबिया को पहली पंक्ति में नहीं रखा गया था। क्योंकि गद्दाफी को पश्चिमी देशों का पिट्ठू नहीं समझा जाता था, जो क्षेत्र में जनता की नाराजगी का सबसे बड़ा कारण समझा जाता था। उन्होंने तेल से मिले धन को भी दिल खोलकर बांटा था। ये अलग बात है कि इस प्रक्रिया में उनका परिवार भी बहुत अमीर हुआ था।
अमेरिकी हमले में बच गया था गद्दाफी
गद्दाफी ने बाद में चरमपंथी संगठनों को भी समर्थन देना शुरू कर दिया था। बर्लिन के एक नाइट क्लब पर साल 1986 में हुआ हमला इसी श्रेणी में था, जहां अमरीकी फौजी जाया करते थे। इस हमले का आरोप गद्दाफी के माथे मढ़ा गया। हालांकि इसके कोई ठोस सबूत नहीं थे। घटना से नाराज अमेरिकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन ने त्रिपोली और बेनगाजी पर हवाई हमलों का हुक्म दिया। हालांकि गद्दाफ़ी हमले में बच गए, लेकिन कहा गया कि उनकी गोद ली बेटी हवाई हमलों में मारी गई।
यूएन की पाबंदी
लॉकरबी शहर के पास पैनएम जहाज में बम विस्फोट, जिसमें 270 लोग मारे गए। कर्नल गद्दाफी ने हमले के दो संदिग्धों को स्कॉटलैंड के हवाले करने से मना कर दिया, जिसके बाद लीबिया के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए जो दोनों लोगों के आत्मसमर्पण के बाद 1999 में हटाया गया। उनमें से एक मेगराही को उम्रकैद हुई। बाद में गद्दाफी ने अपने परमाणु कार्यक्रम और रासायनिक हथियार कार्यक्रमों पर रोक लगाने की बात कही और पश्चिमी देशों से उनके संबंध सुधर गए।
इस बच्चे को बलि चढ़ाने के लिए कुल्हाड़ी से काटा!
भीम थाने से प्राप्त जानकारी के अनुसार बालातों का ग्वार निवासी नारायण सिंह रावत का 6 वर्षीय पुत्र दशरथ खेत में खेल रहा था। इसी दौरान गांव का ही केसर सिंह (48) पुत्र खूम सिंह रावत वहां आया और दशरथ को उठा कर पास ही पहाड़ी पर स्थित केलवा माता के मंदिर में ले गया। वहां पर उसने बालक पर कुल्हाड़ी से वार कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। बालक के चिल्लाने की आवाज सुनकर पास ही बकरियां चरा रहा उसका चाचा सुरेंद्र सिंह अन्य बालकों के साथ मौके पर पहुंचा।
ग्रामीणों का आरोप है कि आरोपी केसर सिंह ने उन पर भी हमले का प्रयास किया। ग्रामीणों के मौके पर पहुंचने पर आरोपी दशरथ को गंभीर घायलावस्था में छोड़कर फरार हो गया। सूचना पाकर भीम थाना प्रभारी नरपतसिंह मय जाब्ते के घटनास्थल पर पहुंचे। इस बीच गंभीर घायल बालक को भीम अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे एकेएच के लिए रेफर कर दिया गया। सूचना मिलने पर भीम सीओ ओंकार सिंह वहां पहुंचे और मामले की जानकारी ली।
ग्रामीणों का आरोप है कि आरोपी बालक की बलि चढ़ाने के उद्देश्य से पहाड़ी पर माता के मंदिर में ले गया। देर रात पुलिस ने आरोपी को जंगल से गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में थाना प्रभारी नरपत सिंह का कहना है कि आरोपी पहाड़ी पर बकरियां चरा रहा था। उसने बालक दशरथ सिंह को बीड़ी लाने को कहा और मना करने पर उसने बालक पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। इसके बाद आरोपी ने अपनी पुत्री मैना तथा अन्य बच्चों पर भी हमला करने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि आरोपी मानसिक रोगी लगता है। उन्होंने ग्रामीणों द्वारा जताई गई बलि की संभावना से भी इंकार नहीं किया है। थाना प्रभारी ने कहा कि यह तो जांच का मामला है कि आरोपी बालक की बलि चढ़ाना चाहता था या कोई और बात थी। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जेएलएन अस्पताल में भर्ती बालक की हालत उस समय ज्यादा खराब हो गई जब अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन खराब मिली। सीटी स्कैन जांच के लिए जख्मी बच्चे को देर रात उसके परिजन एक निजी अस्पताल ले गए।