तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
29 अक्तूबर 2011
राजस्थान के दिग्गज कोंग्रेसियों के आगे राहुल की ताकत जीरो
राजस्थान के दिग्गज कोंग्रेसियों के आगे राहुल की ताकत जीरो
साबित हो चूका है कि कमर दर्द दूर करने का ये है रामबाण उपाय
यूं तो शारीरिक सक्रियता को सबसे अच्छी चिकित्सा माना गया है, और योग तो इस मामले में एक कदम आगे है। आसनों के अभ्यास से सक्रियता के अलावा कुछ विशेष परेशानियों में भी लाभ देखा गया है, ऐसी ही एक परेशानी है, कमर का दर्द, जिससे आम तौर पर हमें परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इसे आधुनिक भाषा में लोबैकपेन या लम्बेगो कहते हैं अभी हाल में ही अमेरिका के सिएटल के ग्रुप रिसर्च इंस्टीच्युट के शोधकर्ताओं के अध्ययन ,जिसे आर्चिव आफ इन्टरनल मेडीसिन में प्रकाशित किया गया है, के अनुसार योग-अभ्यास का प्रभाव कमर के दर्द से निजात दिलाने में अब प्रमाणित हो गया है ,और यह भी सिद्ध हो गया है, कि आसनों का सीधा सम्बन्ध दर्द को दूर करने से है। पिछले अध्ययनों के अनुसार आसनों एवं ब्रीदिंग-एक्सरसाइज मानसिक तनाव को मुक्त कर दर्द को कुछ हद तक कम करने में सफल होते हैं, इसे इस नई शोध के परिणाम ने पूरी तरह से बदल दिया है।
इस शोध के अनुसार योग अभ्यास से कमर दर्द में सीधे लाभ मिलता है, जो केवल मानसिक थकान कम करने से ही सम्बंधित नहीं है।इस अध्ययन में 228 कमर दर्द से पीडि़त रोगियों का चयन किया गया,जिनमें किसी न किसी रूप में स्पाइनल डिस्क से सम्बंधित समस्या थी, इन्हें तीन अलग-अलग समूहों में बांटकर दो प्रकार की कक्षाओं में सम्मिलित किया गया , एक कक्षा में रोगियों को स्वयं सेल्फकेयर द्वारा किताबों से पढ़कर कुछ कमर दर्द से निजात पाने क़ी एक्सरसाइज का अभ्यास कराया गया ,तथा दूसरे समूह को औपचारिक रूप से कमर दर्द में लाभकारी योग के आसनों का अभ्यास कराया गया।
सेल्फकेयर समूह में लाभ का प्रतिशत 20 था ,जबकि औपचारिक रूप से योग आसनों के अभ्यास करने वाले समूह में यह प्रतिशत कहीं अधिक 80 था। ऐसा देखा गया ,कि सेल्फ केयर समूह क़ी अपेक्षा योग कक्षा में शामिल दुगने कमर दर्द से पीडि़त रोगियों ने अपनी दर्द की गोलियों को लेना छोड़ दिया।
कर्ण की नीति-निष्ठा देखकर अश्वसेन खांडव वन लौट गया
उसने सोचा कि अजरुन की मृत्यु से पांडवों का आधा बल क्षीण हो जाएगा। अत: वह दानवीर कर्ण के तरकश में बाण बनकर प्रवेश कर गया। उसकी योजना यह थी कि जब उसे धनुष पर रखकर अजरुन पर छोड़ा जाएगा तो वह डसकर अजरुन के प्राण ले लेगा। युद्ध में जब कर्ण ने वह बाण चलाया तो श्रीकृष्ण इस बात को जानते थे, अत: उन्होंने रथ के घोड़ों को जमीन पर बैठा दिया। बाण अजरुन का मुकुट काटता हुआ ऊपर से निकल गया। अपनी असफलता से क्षुब्ध अश्वसेन ने कर्ण के सामने प्रकट होकर कहा - अब की बार मुझे साधारण तीर की भांति मत चलाना। कर्ण ने आश्चर्य से पूछा - आप कौन हैं?
तब अश्वसेन ने अपने परिवार के समाप्त होने के बारे में बताते हुए कहा कि मैं अजरुन से बदला लेना चाहता हूं। कर्ण ने उसकी सहायता के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा - भद्र! मुझे अपने ही पुरुषार्थ से नीति युद्ध लड़ने दीजिए।
आपकी अनीतियुक्त छद्म सहायता लेकर जीतने से तो हारना अच्छा है। कर्ण की नीति-निष्ठा देख अश्वसेन खांडव वन लौट गया। वस्तुत: स्वयं की शक्ति व कौशल के बल पर शत्रु से लोहा लेने वाले इतिहास में सच्चे वीर का सम्मान पाकर सदा के लिए अमर हो जाते हैं, जबकि अनीति का प्रश्रय लेने वाले कायर कहलाकर भत्र्सना के पात्र बनते हैं।
नाटो पर तालिबान के ताबड़तोड़ हमले, 20 से अधिक सैनिकों की मौत
काबुल. शनिवार को अफगानिस्तान में तैनात नाटो सैनिकों पर तालिबान ने ताबड़तोड़ हमले किए। राजधानी काबुल में सैन्य काफिले को निशाना बनाया गया जिसमें कई सैनिकों के मारे जाने की खबर है। उत्तर पूर्वी अफगानिस्तान में अभ्यास कर रहे नाटो सैनिकों पर गोलीबारी की गई और अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय की इमारत पर भी हमला किया गया। सभी हमले आत्मघाती हमलावरों ने किए। तालिबान ने मीडिया संस्थानों को संदेश देकर इस हमले की जिम्मेदारी ली है।
अमेरिकी सेना के पश्चिमी कमांड ने नाटो के काफिले पर हुए हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की है। इस हमले में 20 से अधिक लोग मारे गए जिनमें चार अफगानी नागरिक भी शामिल हैं।
आत्मघाती कार बम से नाटो के सैन्य काफिले को काबुल के दारुलमान महल के नजदीक निशाना बनाया गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक वाहनों में आग लग गई। नाटो के हेलिकॉप्टरों ने घायलों को अस्पताल पहुंचाया।
न्यू यॉर्क टाईम्स ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से कहा है कि आत्मघाती बम का निशाना बनी नाटो की बस में कम से कम 6 विदेशी सैनिकों के शव पड़े थे। अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के अनुसार इस हमले में 4 अफगानी नागरिक भी मारे गए। हालांकि मरने वालों की सही संख्या अभी स्पष्ट नहीं की गई है। नाटो प्रवक्ता ने भी हमले की पुष्टि की है।
मीडिया को भेजे संदेश में तालिबान ने दावा किया है कि उसके हमले में 25 विदेशी सैनिक मारे गए। नाटो ने अभी तक इस हमले में मारे गए सैनिकों की संख्या या इससे संबंधित अन्य कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए बताया कि अब्दुल रहमान हजरबोस नाम के हमलावर ने विस्फोटकों से लदी कार से नाटो की बस पर हमला किया जिसमें २५ नाटो सैनिक मारे गए।
एक अलग वारदात में तालिबान की एक महिला आत्मघाती हमलावर ने उत्तर पूर्वी अफगानिस्तान में देश के राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय पर हमले का प्रयास किया। करीब 25 साल की महिला हमलावर को निदेशालय की ईमारत में प्रवेश करने की कोशिश करने पर गोली मारी गई लेकिन फिर भी वो धमाका करने में कामयाब हो गई। इस घटना दो अधिकारियों और दो नागरिकों को घायल होने की खबर है।
उत्तर पूर्वी अफगानिस्तान में ही एक अन्य वारदात में एक अफगानी सैनिक ने नाटो सैनिकों पर गोलीबारी की। इस घटना में तीन आस्ट्रेलियाई ट्रैनर मारे गए जबकि सात घायल हो गए। हमलावर अफगानी सैनिक था जिसे बाकी अफगानी सैनिकों ने मार गिराया।
शरीर पर निगाह रखेगी पोशाक
क्या आप किसी ऐसे ट्रांजिस्टर की कल्पना कर सकते हैं, जिसके सर्किट सूती धागे से बने हों? कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स ने यह कारनामा कर दिखाया है। उन्होंने सूती धागे संग सोने के नैनोपार्टिकल्स को गूंथ कर यह सर्किट तैयार किया है।
इस तरह इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्सटाइल के मिलन से वह दिन दूर नहीं लगता जब हम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को बतौर पहनावा इस्तेमाल कर सकेंगे। आर्गेनिक इलेक्ट्रॉनिक्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक यह नई तकनीक भविष्य के लिहाज से खासी उम्मीदें जगाती है। इसमें सूती धागे को सेमीकंडक्टिव और कंडक्टिव पॉलीमर्स समेत सोने के नैनोपार्टिक्ल से बिजली के सुचालक पदार्थ में बदलने में सफलता हासिल की गई है।
सूती धागा ही क्यों
विद्युत सर्किट बनाने के लिए सूती धागे को उसके प्राकृतिक गुणों के आधार पर चुना गया। एक तो इससे तैयार वस्त्र पहनने में सुविधाजनक होते हैं। दूसरे यह अपेक्षाकृत सस्ता है और पोशाकों में इसका बहुतायत से प्रयोग होता है। इससे बनी पोशाकें न सिर्फ वजन में हल्की होती हैं, बल्कि ज्यादा समय चलती भी हैं। इसके अलावा सर्किट बनाए जाने के बाद भी सूत का लचीलापन कम नहीं होता। यानी पोशाक पहनने वाले को असुविधा नहीं देगी।
क्या होगा फायदा
सूती धागे से तैयार सर्किट वाली पोशाकों को इस्तेमाल मेडिकल समेत स्पोर्ट्स फील्ड में किया जाएगा। इससे तैयार पोशाकों से शरीर के तापमान पर नजर रखी जा सकेगी। यही नहीं तापमान के आधार पर पोशाक शरीर को ठंडा-गर्म बनाए रखने का काम करेगी। इसके अलावा इससे दिल की धड़कनों समेत ब्लड प्रेशर पर भी निगाह रखने में मदद मिलेगी। खेल परिदृश्य की बात करें तो सूती धागे से तैयार सर्किट वाली पोशाकें खिलाड़ियों के दम-खम और शारीरिक प्रतिक्रिया पर निगाह रखने में मदद करेगी।
अब आगे क्या
इंजीनियर्स ने दो तरह के एक्टिव ट्रांजिस्टर बनाए हैं। एक है आर्गेनिक इलेक्ट्रोकेमिकल ट्रांजिस्टर और दूसरा है आर्गेनिक फील्ड इफैक्ट ट्रांजिस्टर। इन दोनों ही का इलेक्ट्रानिक इंडस्ट्री में बहुतायत में इस्तेमाल होता है।
एक साथ जली तीन चिताएं, ख़त्म हो गई एक पीढ़ी!
शनिवार को परिवार की एक ही पीढ़ी की तीन चिताएं, एक साथ जली तो माहौल गमगीन हो उठा। अंतिम संस्कार के दौरान उपस्थित लोगों की आंखों से आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। भाई-दूज के दिन हादसे के शिकार परिवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा है।
गौरतलब है कि शुक्रवार की सुबह उदयपुर से लौटते समय चित्तौडगढ़-कोटा फोरलेन पर मांडना गांव के पास कार पलटकर खाई में जा गिरी थी। इस हादसे में भाई चेतन तलवार व बहन किरण की मौत हो गई, जबकि भाभी व दोनों बच्चे घायल हो गए थे। भाभी वर्षा की भी कोटा निजी अस्पताल में शनिवार तड़के मौत हो गई। तीनों शवों का शनिवार सुबह किशोरपुरा मुक्तिधाम में एक साथ दाह संस्कार किया गया।
मासूम अनभिज्ञ काल के चक्र से
चेतन के दोनों बच्चे रणवीर व अद्वितीय को यह भी पता नहीं है कि उनके सिर से मां-बाप का साया उठ गया है। शनिवार को भी वे रोजाना की भांति खेलकूद में लगे हुए थे। वे घर के बाहर आंगन में खेलते हुए कभी अपने दादा के पास जाकर उनके आंसू पोंछ देते तो कभी दादी की गोद में जाकर बैठ जाते।
वर्षा की मौत के साथ हुई एक पीढ़ी खत्म
श्रीनाथपुरम निवासी यशपाल तलवार के चेतन व किरण इकलौते बेटा-बेटी थे। चेतन व उसकी पत्नी वर्षा भाई-दूज पर बहन को उदयपुर एयरपोर्ट लेने को गए थे। उसकी बहन किरण पुणो से एयरवेज से उदयपुर आई थी।
साथ में उसके दो बच्चे अंश (7) व पलक (8) भी थे। बेगूं उपखंड के मांडना गांव के पास कार बेकाबू होकर खाई में जा गिरी थी। इससे भाई व बहन की शुक्रवार को मौत हो गई थी। शनिवार को चेतन की पत्नी वर्षा की भी मौत हो गई। बहू वर्षा ने इस वर्ष ही बीएड व एमए ड्राइंग में किया था। इनके रणवीर (8) व अद्वितीय (5) दो बच्चे हैं।
बिजली संकट खत्म करेगा विलायती बबूल
इससे स्थानीय लोगों को रोजगार तो मिलेगा ही, पंचायतों की आय भी बढ़ सकती है। मगर, सरकारी नीतियों की वजह से ये संभव नहीं हो पा रहा है। ईंधन के रूप में बबूल उपलब्ध नहीं होने और दूसरे ईंधन की कीमतें ज्यादा बढ़ने से राज्य में लगे बायोमास पावर प्लांट बंद होने के कगार पर आ गए हैं।
नरेगा ने बढ़ाई समस्या :
बायोमास डवलपर्स का कहना है कि बबूल लेने के लिए प्रक्रिया काफी लंबी और बोझिल है। एक-एक पंचायत और वन सुरक्षा समितियों में बबूल के लिए जाना उनके लिए भी मुश्किल भरा काम है। नरेगा के कारण इसकी कटाई के लिए मजदूर भी आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।
दूसरी समस्या यह है कि नियामक आयोग ने ईंधन के रूप में इसकी दरें 1345 रुपए प्रति टन ही मंजूर की हुई हैं, जबकि पड़ोसी राज्यों में यह 2000 से 2500 रुपए प्रति टन तक बिकती है। वे इतना महंगा ईंधन खरीदकर ज्यादा दिन प्लांट नहीं चला सकते। नियामक आयोग ने दो साल से उनकी बिजली दरों में संशोधन नहीं किया है।
इस बारे में राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अनिल पाटनी का कहना है कि बायोमास पावर प्लांट्स की याचिका पर शीघ्र फैसला करने के लिए सरकार और आयोग को कई बार लिखा जा चुका है। उम्मीद है जल्दी ही इस बारे में फैसला होगा।
नीति का सरलीकरण जरूरी :
पर्यावरणविद् सूरज जिद्दी कहते हैं कि बिलायती बबूल को न तो जानवर खाते हैं और न ही इसका कोई अन्य उपयोग हो पाता है। वन, कृषि विभाग और किसानों के लिए यह एक समस्या बन गई है। इसे जितना काटो उतना ही ज्यादा उगती है। बिना खाद-पानी और मेहनत के हर तीसरे साल इसकी भरपूर पैदावार हो सकती है। इससे ग्रीन पावर के क्षेत्र में राजस्थान देश में अग्रणी हो सकता है।
सरकार इसे बायोमास बिजलीघरों को ईंधन के रूप में उपलब्ध कराए तो इससे स्थानीय लोगों को रोजगार देने के साथ ही पंचायतों की आय भी बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए मौजूदा बायोमास नीति का सरलीकरण करने और प्रक्रिया को व्यावहारिक बनाया जाना जरूरी है।
अटक सकता है 3000 करोड़ का निवेश :
राजस्थान में अभी बायोमास एनर्जी के लिए करीब 3000 करोड़ का निवेश आने की संभावना है। इसके लिए कई कंपनियों ने आवेदन कर रखे हैं। जब मौजूदा प्लांट्स को ही घाटे और ईंधन नहीं मिल पाने के कारण बंद हो रहे हैं तो आने वाले प्लांट्स या तो रुक सकते हैं अथवा उनमें देरी हो सकती है।
सरकारी नीतियों के कारण आ रही समस्या
राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के अनुसार राजस्थान में बबूल की उपलब्धता को देखते हुए ही वर्ष 2004 में बायोमास पॉलिसी बनाई गई थी। इसको काटने, सुखाने तथा रखवाली करने के तौर पर स्थानीय लोगों को काफी मात्रा में रोजगार मिलता।
इसीलिए पॉलिसी में राजस्व भूमि के लिए पंचायतों और वन भूमि के लिए वन सुरक्षा समितियों के माध्यम से बबूल बेचने की व्यवस्था की गई है। कुछ ग्राम पंचायतों ने तो बबूल बेचने में रुचि दिखाई है, लेकिन ज्यादातर पंचायत प्रतिनिधियों के इसमें रुचि नहीं लेने के कारण पावर प्लांटों को बबूल नहीं मिल पा रही है।
ग्रीन एनर्जी यानी सस्ती और भरपूर बिजली
>3.60 रुपए प्रति यूनिट पर औसत खरीदी जाती है सामान्य बिजली।
>0.70 पैसे करीब 20 प्रतिशत ट्रांसमिशन छीजत, लाइनों का किराया आदि।
>4. 30 रुपए प्रति यूनिट (लगभग) में पड़ती है बिजली।
>5.50 रुपए प्रति यूनिट तक खरीदनी पड़ेगी बायोमास बिजली।
>0.70 पैसे करीब ट्रांसमिशन छीजत किराया आदि बचेगा। स्थानीय स्तर पर ही इसका उपयोग होगा।
>0.50 रुपए प्रति यूनिट (लगभग) महंगी पड़ेगी बायोमास बिजली।
ये होगा फायदा
प्रदूषण रहित बिजली के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्बन क्रेडिट का पैसा मिलेगा। हजारों स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। हमारा बिजली उत्पादन बढ़ेगा तो बाजार से संकट के नाम पर 7 से 8 रुपए प्रति यूनिट महंगी बिजली नहीं खरीदनी पड़ेगी। बायोमास बिजली से ट्रांसमिशन छीजत, किराए आदि की बचत होगी। इसकी आय से ही पंचायतें कई तरह के विकास कार्य करवा सकेंगी।
ये हो सकता है हल
बायोमास पावर डवलपर्स एसोसिएशन के अनुसार सरकार बायोमास प्लांट्स के आसपास ही बिलायती बबूल का क्षेत्र डवलप करे। इससे परिवहन लागत घटेगी। ग्राम पंचायत और वन सुरक्षा समितियों के माध्यम से बबूल उपलब्ध कराने के बजाय राज्य स्तर पर टेंडर करके इसकी कटाई करवाए।
इसका पैसा पंचायतों और वन सुरक्षा समितियों को हस्तांतरित किया जा सकता है। दूसरा रास्ता ये हो सकता है कि सरकार पावर प्लांट्स को राजस्व और वन भूमि के उपयोग का लाइसेंस दे सकती है। निर्धारित लाइसेंस फीस पंचायतों और वन समितियों में जमा कराई जा सकती है।
पिता को बेरहमी से मौत के घाट उतार पहुंच गया थाने
बबलू शनिवार को पिता सावना मुंडा पर किसी बात को लेकर गुस्सा गया और ईट-पत्थर से कूच कर हत्या कर दी। खून करने के बाद बबलू सदर थाने में जाकर सरेंडर कर दिया। बबलू मुंडा सदर थाना क्षेत्र के साधु मैदान के पास अखरा कोचा में रहता है। उसने पुलिस के सामने जुर्म कुबूल कर लिया है।
ये है असली मोहब्बत...नाग के ट्रेन से कटने के बाद ट्रैक पर पहुंची नागिन!
गरीबी लाइन के अजय सोनकर ने बताया कि सुबह करीब 8.30 बजे कुछ लोगों ने सबसे पहले यह नजारा देखा। जिसकी खबर फैलने के बाद लोगों की भीड़ बढ़ती चली गई। गरीबी लाइन, बंगाली कालोनी, न्यास कालोनी, झुग्गी बस्ती इलाके सहित पीपल मोहल्ला से लोगों का हुजूम रेलवे ट्रैक पर सांप के जोड़े को देखने पहुंच गया। कई लोगों ने तो ट्रैक पर नारियल फोड़े, फूल चढ़ाए और प्रसाद बांटे।
इस दौरान ट्रैक से आने-जाने वाली ट्रेनों को भी धीमी गति से चलाने की नौबत आई। तीन घंटे तक ट्रैक पर लोगों की भीड़ लगी रही। रेल यातायात में आ रही परेशानी को देखते हुए सिटी पुलिस और वन अमला मौके पर पहुंचा। सुबह करीब 11.30 बजे जीवित सांप पास ही की झाड़ियों में चला गया। वन अमले ने मृत सांप का दाह संस्कार किया। वन विभाग के रेंजर एके दीक्षित ने बताया कि जीवित सांप भीड़ के हटते ही रेलवे ट्रैक से लगी झाड़ियों में चला गया। मृत सांप का दाह संस्कार करा दिया गया है।
उनको सीने में पटाखा लगा है लेकिन स्कैन में निकली गोली
पुलिस के अनुसार घटना 26 अक्टूबर की रात करीब 8 बजे की है और महिला है वीणानगर निवासी सीमा पति द्रगपालसिंह चौहान। पेट में दर्द होने पर परिजन निजी अस्पताल ले गए तो सिटी स्कैन में बड़ी आंत में गहरी चोट पता चली।
डॉक्टर ने एक दिन बाद ऑपरेशन किया तो पेट से गोली निकली। उधर, एडीएम आलोक सिंह का कहना है बंदूक का लाइसेंस आत्मरक्षार्थ दिया जाता है। रैली, जुलूस व उन स्थानों पर फायर करना नियमानुसार गलत है जहां फायर करने से किसी की जान खतरे में हो।
सीने से पेट में कैसे पहुंची
सीमा चौहान के सीने पर गहरा घाव था। परिजन ने बताया कि पटाखे से चोट लगी है लेकिन महिला को पेट में दर्द हो रहा था। सिटी स्कैन में बड़ी आंत में घाव दिखा। दूसरे दिन ऑपरेशन में पेट से गोली निकली। गोली सीने से बड़ी आंत में आई और चमड़ी में आकर अटक गई थी।
डॉ. मोहित भंडारी, पेट रोग विशेषज्ञ
पड़ोसी ने चलाई थी!
पेट से गोली निकलने के बाद मामले की जांच शुरू की गई। क्षेत्र में जारी बंदूक के लाइसेंस के आधार पर पड़ोसी सत्यप्रकाश त्रिपाठी से पूछताछ की गई। उनकी 315 बोर की बंदूक से गोली चलने की पुष्टि भी हो गई। बंदूक दीपावली के दो दिन पहले ही खरीदी गई थी। गोली जांच के लिए एफएसएल के पास भेजी गई है।
जी.एस. गोलिया, टीआई, हीरानगर
250 गज तक मार
315 बोर की बंदूक की मारक क्षमता करीब 400 गज होती है। निशाना साधकर मारने पर 200-250 गज तक सटीक निशाना लगता है। आसमान की ओर चलाई गोली गुरुत्वाकर्षण के कारण उसी वेग से जमीन की ओर आती है जो कारतूस व बारूद पर निर्भर करता है। इसकी चपेट में आने पर जान भी जा सकती है। सीमा को भी इसी तरह गोली लगी, लेकिन हो सकता है कपड़ों के कारण इसका अहसास नहीं हुआ।
डॉ. सुधीर शर्मा, ज्येष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी
पिता के अरमानों पर फिरा पानी, बारात को बीच रास्ते से लौटना पड़ा
गढ़ सरनाई गांव में शनिवार को नाबालिग लड़की की शादी रुकवाने गए अधिकारियों का ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया। लड़की ने जहर खाने व उसके पिता ने आत्महत्या कर लेने की धमकी देकर साढ़े तीन घंटे तक बवाल काटा। अधिकारियों की सख्ती के चलते शादी नहीं हो पाई। बारात को बीच रास्ते से लौटना पड़ा।
किसी व्यक्ति ने कई दिन पहले एसपी पंकज नैन को पत्र लिखा कि गढ़ सरनाई निवासी रामबली शर्मा की बेटी विकलेश सातवीं कक्षा की छात्रा है और मात्र 13 वर्षीय है। 29 अक्टूबर को विकलेश की शादी कैथल निवासी संजीव पुत्र हरि केश शर्मा से की जा रही है। एसपी ने पत्र को संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता को भेजा।
रजनी गुप्ता थाना सदर पुलिस को साथ लेकर सुबह 10.30 बजे गढ़ सरनाई रामबली के घर पहुंची और उनसे विकलेश का आयु प्रमाण पत्र मांगा। परिजनों ने आयु प्रमाण पत्र दिखाने से मना कर दिया। इसके बाद उन्होंने विकलेश का मेडिकल परीक्षण करवाने के लिए कहा तो इसके लिए भी विकलेश ने मना कर दिया।
परिजन और ग्रामीण इस बात पर अड़े रहे कि लड़की बालिग है और वे इसकी शादी करके ही रहेंगे। यह शादी गांव की प्रतिष्ठा से जुड़ी है।विकलेश ने रजनी गुप्ता की गाड़ी के सामने खड़ी होकर चेतावनी दी कि अगर उसकी शादी रोकी गई तो वह जहर खा लेगी।
रामबली ने कहा कि अगर शादी नहीं होने दी तो वह परिवार सहित आत्महत्या कर लेगा और इसका जिम्मेदार प्रशासन होगा। रजनी गुप्ता ने परिजनों और ग्रामीणों को समझाया कि अगर वे कानून की अवहेलना करेंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कैथल से चली बारात को फोन कर रास्ते में ही रुकवाया गया। बारात गढ़ सरनाई पहुंचने की बजाय कैथल लौट गई। दो बजे लड़की के परिजनों और ग्रामीणों ने आश्वासन दिया कि वे उसकी शादी नहीं करेंगे। इसके बाद ही रजनी गुप्ता और पुलिस अमला लौटा।
शादी कर देंगे, गौना बाद में हो जाएगा
गांव में चर्चा रही कि गरीब व्यक्ति रामबली शर्मा ने क्या गुनाह किया था, जो उसके साथ ऐसा बर्ताव किया गया। ग्रामीण यह भी कह रहे थे कि शादी अब चुपचाप तरीके से कर देंगे और जब विकलेश बालिग हो जाएगी तब गौना हो जाएगा। लेकिन प्रशासन के अडिग रहने से शादी नहीं हो पाई।
आग का गोला बना टेंकर,ड्राइवर की सूझबूझ से टल गया हादसा
जोधपुर.रातानाडा में शनिवार को बीपीसीएल के नमन फ्यूल सेंटर पर पेट्रोल खाली करते समय टैंकर ने आग पकड़ ली। हालांकि, चालक लक्ष्मण की सूझबूझ और तत्परता से बड़ा हादसा टल गया। लक्ष्मण लपटों में घिरे टैंकर को लेकर चामी पोलो मैदान की ओर दौड़ाता ले गया, लेकिन रास्ते में टायर फट गए। इसके बावजूद वह टैंकर को करीब एक किमी. दूर गौरव पथ पर सुनसान जगह पर ले जाने में सफल हो गया।
चंद सैकंड में आग का गोला
आग तब लगी जब पेट्रोल खाली करने से पहले बाल्टी में सैंपल लिया जा रहा था। बाल्टी से आग टैंकर के वॉल्व तक पहुंच गई। पास ही बड़ा मार्केट, एक अन्य पंप और इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। जोधपुर में 26 अप्रैल को भी ऐसी ही घटना हुई थी। तब चालक निसार खां टैंकर को सूनी जगह ले गया था। उसे सम्मानित किया गया था।
हादसे का प्रारंभिक कारण मानवीय भूल
बीपीसीएल के मैनेजर सेल्स (रिटेल) अनिलेश कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि पेट्रोल पंप पर पेट्रोल की क्वालिटी कंट्रोल की जांच करते समय अचानक आग लगी। इस प्रक्रिया में पेट्रोल टैंक में एल्यूमीनियम की बाल्टी, जिस पर सुरक्षा की दृष्टि से अर्थिग भी लगा होता है, जांच करते वक्त इसका सही उपयोग भी किया गया, लेकिन किसी मानवीय भूल से यह हादसा हो गया। हालांकि उनका कहना है कि आग लगने के कारणों का खुलासा विस्तृत जांच के बाद ही हो पाएगा। पेट्रोल पंप संचालक राजेश गुलेच्छा का दावा है कि पंप पर सेफ्टी के हिसाब से 80 किलो पाउडर मौजूद था। आग लगने के बाद मौजूद कर्मचारियों ने तत्परता से इसका उपयोग किया। चालक ने भी सुझबूझ दिखाई।
6 करोड़ की दमकल भी बेकार
सच्चाई: कोई नहीं जानता चलाना, ब्लैकलिस्टेड की तैयारी
आग की बड़ी घटनाओं पर काबू पाने के लिए मंगवाई छह करोड़ की एरियल हाइड्रोलिक लैडर प्लेटफॉर्म (स्नार्कल लैडर) नाकारा बनी हुई है। निगम की इस नई लैडर प्लेटफॉर्म को न तो कोई चला सकता है और न ही कोई इसे संचालित करना जानता है। चीफ फायर ऑफिसर सुरेशचंद्र थानवी का कहना है कि इसका संचालन करने वाली दिल्ली की ठेका फर्म को ब्लैकलिस्ट करने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है।
मशीन चल भी जाए तो पानी नहीं
लैडर की क्षमता प्रति मिनट 6 हजार लीटर पानी भरने की है, जिसकी शहर के समीप कोई व्यवस्था नहीं है।
सवालों में व्यवस्था
पंद्रह मंजिल तक की बिल्डिंग में आग पर तत्काल काबू पाने के लिए लगभग चार माह पहले फिनलैंड से स्नार्कल लैडर मंगवाई गई। इस अवधि में दो-तीन जगह बहुमंजिला इमारतों आग लग चुकी है, लेकिन इसका फायदा नहीं मिला।
शहर बढ़ा, नहीं बढ़े दमकलकर्मी
सच्चाई: संविदा पर लगे हैं कर्मचारी, प्रशिक्षित भी नहीं
जिस रफ्तार से शहर बढ़ता रहा, उसके मुकाबले दमकल शाखा के स्टाफ में बढ़ोतरी की बजाय निरंतर कमी होती जा रही है। केंद्र सरकार की स्टैंडिंग फायर एडवाइजरी काउंसिल ने जोधपुर को अग्नि हादसों के लिए लिहाज से हैवी रिस्की जोन में शामिल कर रखा है, जिसके तहत काउंसिल की ओर से शहर में 12 फायर टेंडर्स की सिफारिश की जा चुकी है। कर्मचारी भी संविदा पर लगे हैं। उनके पास संसाधन भी कम है।
नहीं है मैनपॉवर
निगम के अधीन 12 दमकलें हैं। दो खराब हो चुकी हैं। 252 कर्मचारियों की जरूरत है, लेकिन सभी कर्मचारियों को मिलाकर सिर्फ 50-55 कर्मचारी ही हैं। स्वीकृत पद भी केवल 64 हैं।
मंडोर फायर स्टेशन ठेके पर
फायरमैन की कमी से जूझ रहे निगम प्रशासन ने मंडोर फायर स्टेशन को संचालित करने का काम ठेके पर सौंप रखा है। यह काम मरुधरा सिक्यूरिटी संभाल रही है। तीन पारियों में चल रहे फायर स्टेशन पर 24 ठेका कर्मचारी तैनात हैं।
आग छोड़ गई सुलगते सवा
छह महीने में पेट्रोल पंप पर टैंकर में आग लगने की यह दूसरी घटना है। चालक की सूझबूझ से हादसा तो टल गया, लेकिन यह आग सुलगते सवाल छोड़ गई। आखिर ऐसी घटनाएं बार बार क्यों हो रही हैं? दो घंटे तक आग को काबू में क्यों नहीं किया जा सका? बासनी स्टेशन पर दो दमकलें खड़ी कैसे रह गईं?
भंवरी के भंवर से निकलने के लिए बंद दरवाजे के पीछे पूछताछ!
भंवरी के भंवर में अब सीडी से आस, सीबीआई को सूझा रास्ता!
भंवरी देवी मामले में 7 दिन बढ़ी शहाबुद्दीन का सीबीआई रिमांड
भंवरी देवी के अपहरण में शहाबुद्दीन ने दिया था सोहनलाल का साथ
'पता चला भंवरी मामले में पुलिस खोज रही है इसलिए मदद करने आ गया'
जोधपुर.सीबीआई ने भंवरी अपहरण के मुख्य सूत्रधार शहाबुद्दीन के घर की शनिवार शाम करीब तीन घंटे तक तलाशी ली और परिजनों से गहन पूछताछ की। सीबीआई 12 दिन पहले भी उसके परिजनों से पूछताछ कर चुकी थी, मगर रिमांड पर चल रहे शहाबुद्दीन से मिली सूचनाओं का सत्यापन करने के लिए टीम ने दुबारा पूछताछ की।
सीबीआई की टीम दोपहर तीन बजे सर्किट हाउस से निकली और करीब साढ़े चार बजे सीधे पीपाड़ में शहाबुद्दीन के घर पहुंची। यहां घरवालों को एकत्र कर टीम ने दरवाजे बंद कर लिए। टीम में महिला अधिकारी भी शामिल थी, उसने शहाबुद्दीन की पत्नी व दो बच्चों से पूछताछ की। फिर उसके पूरे घर और वहां कबाड़ की भी तलाशी ली।
शहाबुद्दीन के काम काज और उसके संपर्को के बारे में जानकारी लेने के बाद करीब साढ़े सात बजे यह टीम वहां से निकली। शहाबुद्दीन ने 22 अक्टूबर को कोर्ट में समर्पण किया था, उसके वकील और रिश्तेदार सलीम से भी जानकारी जुटाई जा रही है।
सीबीआई टीम शहाबुद्दीन को 25 अक्टूबर को फ्लाइट से दिल्ली ले गई थी। मुख्यालय में इंटेरोगेशन करने के साथ ही उसका लाई डिटेक्टर टेस्ट करने की भी संभावना है। इसके बाद उसे अहमदाबाद और पालनपुर के काणोदर कस्बे में मौका तस्दीक कराई गई।
अब शव नहर में फेंकने की अफवाह :
भंवरी का शव पहले उप्र के ओराई कस्बे में मिलने की सूचना पर पुलिस वहां पहुंची थी। फिर उदयपुर के सुखेर एरिया की खाई में भंवरी नाम की वृद्धा का शव मिलने से सनसनी फैली थी। इस बीच उसे पीपाड़ में चूने के भट्टे में जलाने की भी चर्चाएं चलीं और अब उसका शव सांचौर क्षेत्र में नर्बदा नहर में फेंकने की अफवाह चल रही है। इस अफवाह की वजह शहाबुद्दीन है, जो वारदात में प्रयुक्त बोलेरो लेकर इसी इलाके में गया था।
मेट्रो पिलर से इस तरह टकराई की कार के परखच्चे उड़ गए।
रफ्तार का रोमांच और जवान दोस्तों का साथ युवकों के सिर पर कुछ ऐसा चढ़ता है कि उनका खुद पर नियंत्रण नहीं रहता। कंट्रोल के बाहर होती कार की गति को वे देख नहीं पाते और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। शुक्रवार की रात एमजी रोड पर भी एक ऐसा ही हुआ।
गुड़गांव सेक्टर-10 निवासी 26 वर्षीय अमनदीप, जहौजगंज अजमेर निवासी 25 वर्षीय भूपेश और 24 परगना पश्चिम बंगाल निवासी 26 वर्षीय राकेश ने पढ़ाई पूरी करने के बाद अभी अपने कैरियर की शुरुआत ही की थी। अमनदीप, भूपेश, राकेश के साथ ही उनका अन्य दोस्त मोहाली पंजाब निवासी गौरव भी उद्योग विहार के प्लॉट संख्या 443 स्थित ऑर्बिट रिसॉर्ट में फूड एंड बेवरेज विभाग में नौकरी करते थे।
अमनदीप और गौरव फिलहाल छुट्टी ले रखी थी। शुक्रवार रात चारों दोस्तों ने डीएलएफ इलाके में ही कहीं पार्टी की और देर रात करीब तीन बजे घर जा रहे थे। गौरव अपनी बाइक पर आगे चल रहा था जबकि अमनदीप, भूपेश और राकेश सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार में सवार थे जिसे अमनदीप चला रहा था।
पुलिस के अनुसार कार की रफ्तार काफी अधिक थी जिस कारण उसका टायर फट गया और कार असंतुलित होकर मेट्रो पिलर से टकरा गई। दुर्घटना में बुरी तरह से घायल तीनों को गुड़गांव के सिविल अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मौके पर मौजूद ऑटो चालकों के अनुसार कार की स्पीड काफी तेज थी और टक्कर इतनी तेज थी कि देखने वालों की आंखें फटी की फटी रह गईं।
घर में इकलौता बेटा था अमनदीप
मृतक अमनदीप अपने घर का इकलौता बेटा था। उसके अलावा उसकी एक छोटी बहन है। पिता सुरेंद्र पाल मारुति कंपनी में नौकरी करते हैं। शनिवार दोपहर पोस्टमार्टम के बाद शव घर पहुंचने पर अपने इकलौते बेटे की मौत पर सुरेंद्र की आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उनके एक परिचित ने बताया कि घरवाले अमनदीप की शादी का विचार बना रहे थे लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था जो यह हादसा हो गया।
निभाई जाएगी 262 वर्ष पुरानी परंपरा, लाठियां भांजकर करेंगे कंस का वध
आयोजन में प्रदेशभर से लोग आते हैं। कंस वधोत्सव समिति अध्यक्ष पं. सुरेंद्र मेहता, संयोजक तुलसीराम भावसार, चल समारोह प्रमुख पं. संतोष जोशी, बंटी कसेरा व संचालक रामचंद्र भावसार हैं।गोवर्धननाथ मंदिर के मुखिया और समिति अध्यक्ष पं. मेहता ने बताया 5 नवंबर को आजाद चौक व कंस चौराहे (सोमवारिया बाजार) में श्रीकृष्ण व कंस की सेना के बीच वाकयुद्ध होगा। चल समारोह रात 8 बजे पुराना अस्पताल स्थित बालवीर हनुमान मंदिर से शुरू होगा।
इसमें श्रीकृष्ण व कंस की सेना शामिल होगी जो वजीरपुरा, धानमंडी, किलारोड होता हुआ आजाद चौक पहुंचेगा। जहां करीब दो घंटे तक जमकर वाकयुद्ध होगा। इसके बाद चल समारोह पुन: शुरू होगा और नईसड़क, नाग-नागिन रोड, सोमवारिया बाजार होता हुआ कंस चौराहा आएगा। यहां फिर वाकयुद्ध होने के बाद रात 12 बजे कंस के पुतले का वध होगा। पुतले को घसीटते हुए घुमाया जाएगा।
अंगूठा लगाकर गिराएंगे
रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण की वेशभूषा में सजा कलाकार कंस के पुतले का पूजन करेंगे। फिर उसे अंगूठा लगाकर मंच से सड़क पर गिराएंगे। इसके बाद गवली समाज के लोग लाठियों से पुतले पर प्रहार करेंगे व घसीटते हुए पुतले को ले जाएंगे।
वैष्णव मंदिर से हुई थी शुरुआत
समिति अध्यक्ष पं. मेहता ने बताया शहर में इस परंपरा की शुरुआत पु ष्टिमार्गीय श्री गोवर्धननाथ मंदिर हवेली के मुखिया स्व. मोतीलाल मेहता गेबीजी ने करीब 262 साल पहले शुरू की थी। पहले यह आयोजन मंदिर परिसर में ही मनता था लेकिन बाद में इस आयोजन ने सार्वजनिक रूप ले लिया और सोमवारिया बाजार के कंस चौराहे पर आयोजन होने लगा।
मौजूदा समय में सबके सहयोग से आयोजन होता है। मथुरा के बाद आयोजन शाजापुर में ही होता है। हालांकि उज्जैन में भी इस तरह की परंपरा शुरू की गई है।
स्कूल में अंधेर नगरी चौपट राजा की देखिए कहानी
ठप हो रहा है पढ़ाई का माहौल: स्कूल की नन्ही छात्राएं रोजाना खाना बनाने को मजबूर हैं और ऐसा न करने पर उन्हें मिड डे मील कर्मचारियों के गुस्से का शिकार होना पड़ता है। स्कूल में पूरी तरह से अंधेर नगरी चौपट राजा की कहानी चरितार्थ हो रही है। स्कूल में इस गड़बड़ घोटाले की और किसी को कोई ध्यान नहीं है। स्कूल स्टाफ की इस अनदेखी का शिकार सिर्फ और सिर्फ विद्यार्थी हो रहे हैं।
कुकिंग गैस की जगह चूल्हे पर पकता है खाना :हरियाणा सरकार द्वारा मिड डे मील राशन तैयार करने के लिए स्कूलों में कुकिंग गैस की सुविधा दी हुई है। परन्तु स्कूल में कहीं भी कुकिंग सिलेंडर दिखाई नहीं दिया। अलबत्ता कर्मचारी सरेआम ईंटों के बनाए गए चूल्हे पर मिड डे मील बनाते हुए दिखाई दिए। मिड डे मील कलिए आए कुकिंग सिलेंडर का स्टाफ कर्मचारियों द्वारा दुरुपयोग किया जा रहा है। बहरहाल मौजूद स्टाफ सदस्यों ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया और पूर्ण रूप से चुप्पी साध ली।
स्कूल में चरमराई है सफाई व्यस्था :स्कूल में जिस कमरे में मिड डे मील का सामान रखा हुआ है वहां सफाई व्यवस्था का पूरी तरह से दिवाला पिटा पड़ा है। जिसके चलते आटा व चावल आदि में सरेआम चूहे घूमते हुए नजर आते हैं। कच्ची सामग्री में चूहों का मल मिलना भी आम बात होकर रह गई है। जिसके चलते बच्चों के स्वास्थ्य से सम्बन्धित दिक्कतें कभी भी सामने आ सकती हैं।
स्कूल स्टाफ ने साधी चुप्पी:इस संबंध में जब स्कूल में मौजूद स्टाफ के एक अध्यापिका से बात की गई तो उन्होंने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि दीवाली पर तीन-चार दिन की छुट्टियां थी। जिसके चलते सफाई व्यवस्था में कुछ दिक्कतें आई हैं। परन्तु अब सफाई व्यवस्था दुरुस्त कर ली गई है। कच्ची सामग्री में चूहों आदि के होने पर उन्होंने कहा कि जमीन में रखी सामग्री में चूहों आदि का होना एक सामान्य बात है। स्कूल की बच्चियों से काम लेने बारे उन्होंने चुप्पी साध ली।
कफन हटाकर देखा पोते का चेहरा, दादा ने भी त्याग दिए प्राण
बरिंदरजीत सिंह ग्रेवाल (17) के मौसा कुलदीप सिंह ने बताया कि बरिंदरजीत की मां लखबीर कौर का उसके पिता जतिंदर सिंह के साथ करीब 18 वर्ष पहले तलाक हो गया था। इकलौते बेटे को लखबीर कौर ने अपने साथ रख लिया और बचितर नगर में एक स्कूल में टीचर की जॉब करने लगी।
बारहवीं पास करने के बाद बरिंदरजीत सिंह को डेढ़ वर्ष पहले स्टडी वीजा पर न्यूजीलैंड भेजा था। अभी हाल ही में उसे वर्क परमिट मिला था। 16 अक्तूबर की रात बरिंदरजीत न्यूजीलैंड में ही एक पार्टी में गया था। घर लौटने पर उसने उसने अपने दोस्तों को बताया कि उसका दिल घबरा रहा है। अस्पताल ले जाने पर उसकी मौत हो गई। न्यूजीलैंड पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव भारत भेज दिया था। शनिवार करीब साढ़े ग्यारह बजे शव पटियाला पहुंचा था।
आखिरी बार देखने आए थे पोते को
लुधियाना में रहने वाले बलजिंदर सिंह ग्रेवाल अपने पोते का मुंह आखिरी बार देखने के लिए पटियाला पहुंचे थे। जैसे ही उन्होंने शव से कफन उठाया उन्हें भी दिल का दौरा पड़ गया और मौके पर ही दम तोड़ दिया।
यहां के मेले में होता है चमत्कार, 'मृत' भी हो जाते हैं जिंदा
खास बात यह रही कि बगैर किसी संत महात्मा या पंडा पुजारी के इस चमत्कार को अंजाम दिया गया। शासकीय सेवकों ने जो कि सिर्फ स्थान की झाड़ को हिलाकर लोगों की आखें खोल रहे थे। 12 किलोमीटर के हिस्से में फैले श्रद्धालुओं के जन सैलाब के स्वागत में लगे क्षेत्र के ग्रामीणजन, वाहनों की पार्किग के लिए तैनात पांच सैकड़ा से अधिक पुलिसकर्मी और लोगों की सुविधा के लिए तैनात पांच सौ शासकीय कर्मी प्रशासन की मेजबानी को स्पष्टकर रहे थे।
चलो बुलावा आया है
मंदिर की ओर जाने वाले चरोखरा, बसई, लोकेंद्र पुर, बेहट एवं देवगढ़ के रास्तों के आते श्रद्धालुओं की भीड़। माता के जयकारे लगाते हुए लोगों की आवाज पूरे विंध्यांचल पर्वत को भक्ति रस से सराबोर कर रही थी। जंगल में मंगल का अहसास कराते सैलानियों की यह भीड़ दीपावली की रात से अनवरत आ जा रही है।
गाल में पिरोई सांग
गाल में लोहे की सांग पिरोए भक्तों का काफिला माता पर जवारें चढ़ाने जा रहा है। इसके अलावा मंदिर तक का रास्ता सीने के सहारे लेटते हुए पार करने वाले यह भक्त आस्था का नमूना पेश कर रहे थे।
..जैसे हो गए हों मृत
मंदिर परिसर के समीप आते ही भक्त जिसे पूर्व में किसी जहरीले कीट ने डसा था और उसे कुंअर बाबा के नाम का बंध लगाया गया है उसे महर आने लगते हैं। वह मुंह से झाग देते हुए अचेत हो जाता है। हालत यह होती है कि उसके साथी उसे कंधे पर रख कर ले जाते हैं। प्रशासन के मुताबिक दो दिनों में दस हजार से अधिक ऐसे नजारे देखने को मिले।
पेड़ की छाल और परिक्रमा ने किया कमाल
सांप काटे के पीड़ितों को जैसे ही कुंअर बाबा के मंदिर परिसर में लाया जाता तो वहां तैनात पुलिस, होमगार्ड एवं राजस्व महकमे के कर्मचारी पेड़ की छाल से उसे झाड़ते। इसके बाद जोर से कुंअर बाबा के नाम के जयकारे लगाए जाते और देखते ही देखते पीड़ित व्यक्ति का बंध खुल जाता है। अब लोगों के कंधों के सहारे पहुंचे पीड़ितों को कंधे की जरूरत नहीं रहती।
दर्शन के लिए जद्दोजहद
माता रतनगढ़ वाली एवं कुंअर बाबा के मंदिर पर इतनी अधिक संख्या में श्रद्धालु थे कि पुलिस के लिए दर्शन करा पाना संभव नहीं हो पा रहा था। नतीजतन माता मंदिर के गेट को बंद कर बाहर से ही दर्शन कराए जा रहे थे, वहीं कुंअर बाबा की चौखट तक ही लोगों का प्रवेश था।
भक्त घर ले गए वृक्षों की डाल
मान्यता के अनुसार माता मंदिर परिसर में लगे वृक्षों की डाल घर में रखने से कोई जहरीला जीव घर पर नहीं आता और न हीं लोगों को डसता है। इस तथ्य के प्रति लोगों के विश्वास को प्रमाणित करते भक्त हाथ में पेड़ की डाल अपने घर ले जात रहे थे।
यह ह्रदयविदारक दृश्य जिसने भी देखा, उसकी आंख से निकले आंसू
गोधरा।गोधरा के वेगनपुर गांव के पास बीते शुक्रवार को हुई एक सड़क दुर्घटना में 21 लोगों की मौत और 21 से ज्यादा घायल हुए थे। रविवार को 21 लोगों को एक साथ मुखाग्रि दी गई। यह हृद्यविदारक दृश्य जिसने भी देखा, रो पड़ा।
बीते शुक्रवार को यह दुर्घटना ट्रक व ट्रैक्टर ट्रॉली के बीच सीधी टक्कर की वजह से हुई थी। ट्रॉली में सवार 40 से भी अधिक लोग यात्राधाम डाकोर से दर्शन करके लौट रहे थे। इसी बीच गोधरा के वेगनपुर गांव के पास रॉन्ग साइड से आ रहे एक तेज रफ्तार ट्रक ने ट्रैक्टर को टक्कर मार दी थी।
टक्कर इतनी भयानक थी कि ट्रैक्टर-ट्रॉली में सवार 19 लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था। दुर्घटना में अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 21 से भी अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हैं।