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03 नवंबर 2011

राज ठाकरे ने निरुपम, आजमी, कृपाशंकर को कहा 'कुत्‍ता', दी महाराष्‍ट्र में दंगे की धमकी

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मुंबई.महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने धमकी दी है कि अगर उत्‍तर भारतीय नेताओं के 'विस्‍फोटक बयानों' को सरकार रोकने में नाकाम रही तो महाराष्‍ट्र दंगों की चपेट में आ जाएगा, जिसकी जिम्‍मेदारी मेरी नहीं होगी।


राज ने कहा, 'जब मैं अपने मन की बात कहता हूं तो मेरे बयान को भड़काऊ बताया जाता है और मेरे खिलाफ केस दर्ज किया जाता है। लेकिन निरुपम, आजमी और कृपाशंकर सिंह का क्‍या किया जाए जो मुंबई में मराठी मानुस को लगातार धमका रहे हैं? मैं मुख्‍यमंत्री, उप मुख्‍यमंत्री और गृह मंत्री को चेतावनी देता हूं कि वे इन लोगों को रोकें।'

शिवाजी पार्क (दादर) स्थित अपने निवास स्थान कृष्णकुंज पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए राज ने कहा कि मुख्यमंत्री मराठी भाषियों को चुनौती देने वाले इन ‘कुत्तों’ को समय रहते नियंत्रित करें। क्योंकि मैं खोखली धमकी नहीं देता। इसके साथ ही राज ने जोड़ा कि एक बार उनका सिर घुम गया, तो क्या हो सकता है। अतीत में पूरे देश ने देखा है।


उद्धव ठाकरे के गले की टाई थे निरुपम

मनसे अध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि शिवसेना में रहते वक्त संजय निरुपम ने उद्धव ठाकरे के कहने पर छठ पूजा की शुरुआत की थी। राज ने कहा कि निरुपम तब उद्धव के गले की टाई हुआ करते थे और आज वे ही मराठीभाषियों को आंखें दिखा रहे हैं। उन्होंने अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे पर और प्रहार करते हुए कहा कि शिवसेना भवन में उत्तर भारतीयों की सभा करना, लाई-चना कार्यक्रम का आयोजन करना और कांग्रेस विधायक कृपाशंकर सिंह के घर गणपति में दर्शन के लिए जाना। क्या शिवसेना द्वारा उत्तर भारतीयों को बढ़ावा देना नहीं है। राज ने ठाणे जिले में शिवसेना द्वारा ‘उत्तर भारतीयों के सम्मान में शिवसेना मैदान में’ इस नारे के लगाये गये होर्डिग-बैनर पर भी आपत्ति जताई है।


छठ पूजा की आड़ में शक्ति प्रदर्शन

राज ठाकरे ने गुरुवार को दोहराया कि उन्होंने कभी भी छठ पूजा का विरोध नहीं किया, बल्कि उसकी आड़ में संजय निरुपम जैसे नेताओं द्वारा किये जाने वाले शक्ति प्रदर्शन का वे हमेशा विरोध करते रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से सवाल पूछा है कि जब वे बयानबाजी करते हैं, तो उन पर बोलने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। 100-100 मामले दर्ज किये जातें है। मगर जब निरुपम जैसे नेता मराठी भाषियों को भड़काने वाले बयान देते हैं, तो गृह विभाग चुप क्यों है? मनसे अध्यक्ष ने लगे हाथ हिंदी न्यूज चैनलों को चेतावनी दी कि यदि उनके बयान को तोड़मड़ोड कर प्रसारित किया गया, तो उनके समर्थन ऐसा करने वाले चैनल को महाराष्ट्र में नहीं चलने देंगे।

6 नवंबर को नींद से जागेंगे भगवान विष्णु



कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी को भगवान विष्णु नींद से जागते हैं, ऐसा धर्म ग्रंथों में लिखा है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इस बार देवप्रबोधिनी एकादशी का पर्व 6 नवंबर को है। इसकी कथा इस प्रकार है-

धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास(भादौ) की शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु ने दैत्य शंखासुर को मारा था। शंखासुर बहुत पराक्रमी दैत्य था। इस वजह से लंबे समय तक भगवान विष्णु का युद्ध उससे चलता रहा। अंतत: घमासन युद्ध के बाद शंखासुर मारा गया। इस युद्ध से भगवान विष्णु बहुत अधिक थक गए। तब वे थकावट दूर करने के लिए क्षीरसागर में आकर सो गए। वे वहां चार महिनों तक सोते रहे और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागे। तब सभी देवी-देवताओं द्वारा भगवान विष्णु का पूजन किया गया। इसी वजह से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की इस एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत-उपवास करने का विधान है।

ऐसा एक ग्लास दूध बना देगा आपके वैवाहिक जीवन को खुशहाल


ठंड शुरू हो चूकी है और ठंड शुरू होते ही पिंडखजूर भी याद आने लगती है। पिंडखजूर का मीठा स्वाद और इसका दूध भी बहुत गुणकारी माना जाता है।गर्म पानी के साथ सोते समय पिंडखजूर का स्वाद ले ये आपके लिए चमत्कारी रूप से काम करेगी। कब्ज के लिए भी यही प्रयोग अपनाएं। एक कप दूध में दो छुहारे उबालकर खाना बलवर्धक होता है। उपर से वही दूध पी भी लेना चाहिए। अगर आपको अपनी कामशक्ति में कमी महसूस होती है तो पिंडखजूर के दूध का दस दिनों तक नियमित सेवन करें। पिंड खजूर गुणों का खजाना है पूरी ठंड आवश्यकतानुसार सेवन से चमत्कारिक असर दिखाई देने लगते हैं। इससे आपका वैवाहिक जीवन खुशहाल बनने लगेगा।



सर्दियों में यह प्रयोग ज्यादा लाभ देता है। यूं तो सर्दियों में खजूर का सेवन सबसे ठीक रहता है फिर भी गर्मियों में सूखे खजूरों को भिगोकर खाया जा सकता है। जिस पानी में ये भिगोए गए हों उसे पेय के रूप में लेना अच्छा माना जाता है। भीगा खजूर गर्मी नहीं करता उसे गाय के कच्चे दूध के साथ लिया जाना चाहिए। परन्तु ध्यान रखें कि इस दूध का सेवन भोजन के साथ न करें अन्यथा लाभ नहीं मिल पाता।



पिंड खजूर में प्रोटीन, वसा और शर्करा पर्याप्त मात्रा पाया जाता है। कैल्शियम, लोहा भी पाया जाता है साथ विटामिन ए, बी और सी भी पाए जाते हैं। पूरी तरह से पके हुए खजूर में शर्करा की मात्रा 85 प्रतिशत तक हो जाती है। प्रति 100 ग्राम खजूर के सेवन से 283 कैलोरी उर्जा मिलती है। खजूर के साथ-साथ इसके पेड़ से निकाले गए रस और गुठली को भी उपयोग में लाया जाता है। कमजोरी, दुबलापन, मूत्र की रूकावट तथा जलन दूर करने में उपयोगी होता है। इसके रस से गुड़ भी बनाया जाता है। इसका प्रयोग गैसरूप में किया जाता है। छोटे-मोटे घाव होने पर खजूर की जली गुठली का चूर्ण लगाएं।

नींबू के रस में खजूर की चटनी बनाकर खाने से भोजन के प्रति अरूचि मिटती है। शहद के साथ खजूर के चूर्ण का तीन बार सेवन रक्त पित्त की अवस्था में लाभदायक होता है। अतिसार रोग में दही के साथ खजूर के चूर्ण का उपयोग लाभदायक होता है। इसका उपयोग करते समय एक चीज का ध्यान जरूर रखें पिंड खजूर का उपयोग हमेशा धो कर करें।

देवप्रबोधिनी एकादशी 6 को, ऐसे करें भगवान विष्णु का पूजन


कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु चार महिनों की गहरी नींद से जागते हैं। इसे देवोत्थापनी या देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इस बार देवप्रबोधिनी एकादशी का पर्व 6 नवंबर को है।

हिंदू शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल एकादशी को पूजा-पाठ, व्रत-उपवास किया जाता है। इस तिथि को रात्रि जागरण भी किया जाता है।

देवप्रबोधिनी एकादशी पर भगवान विष्णु को धूप, दीप, नैवद्य, पुष्प, गंध, चंदन, फल और अध्र्य आदि अर्पित करें।

भगवान की पूजा करके घंटा, शंख, मृदंग आदि वाद्य यंत्रों के साथ निम्न मंत्रों का जप करें-

उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविंद त्यज निद्रां जगत्पते।

त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्।।

उत्तिष्ठोत्तिष्ठ वाराह दंष्ट्रोद्धृतवसुंधरे।

हिरण्याक्षप्राणघातिन् त्रैलोक्ये मंगलं कुरु।।

इसके बाद भगवान की आरती करें और पुष्पांजलि अर्पण करके निम्न मंत्रों से प्रार्थना करें-

इयं तु द्वादशी देव प्रबोधाय विनिर्मिता।

त्वयैव सर्वलोकानां हितार्थं शेषशायिना।।

इदं व्रतं मया देव कृतं प्रीत्यै तव प्रभो।

न्यूनं संपूर्णतां यातु त्वत्वप्रसादाज्जनार्दन।।

इसके बाद प्रहलाद, नारदजी, परशुराम, पुण्डरीक, व्यास, अंबरीष, शुक, शौनक और भीष्मादि भक्तों का स्मरण करके चरणामृत और प्रसाद का वितरण करना चाहिए।

उस समय जिंदा पत्नी को बैठा देते थे मृत पति की जलती चिता पर, क्योंकि...


भारत में प्राचीन काल से ही कई प्रथाएं चली आ रही हैं। कुछ परंपराएं हमारे कल्याण, सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी करती हैं, ऐसी परंपराएं आज भी प्रचलित हैं जबकि कुछ कुरीतियां समझी जाने वाली प्रथाएं बंद करा दी गई।

प्राचीन भारत में एक कुप्रथा प्रचलित थी कि पति की मृत्यु के बाद पत्नी को भी पति के शव के साथ दाहसंस्कार में जिंदा ही बैठा दिया जाता था। इस प्रकार विधवा स्त्री को अपने प्राण देना पड़ते थे। इस परंपरा को सती प्रथा के नाम से जाना जाता है। उस समय जीवित विधवा स्त्री को समाज में मान-सम्मान प्राप्त नहीं होता था।

शास्त्रों के अनुसार जब माता सती अपने पिता प्रजापति के दक्ष के यहां हवन कुंड में कूदकर अपनी प्राण न्यौछावर कर दिए थे। क्योंकि दक्ष द्वारा भगवान शिव का अपमान किया गया था और माता सती उस अपमान को नहीं सह सकी और आग में कूदकर प्राण त्याग दिए। माता सती के नाम से ही सती प्रथा जुड़ी हुई थी। आज भी सती शब्द का उपयोग पविव्रता स्त्री के लिए किया जाता है।

इस कुप्रथा के चलते लंबे समय तक बड़ी संख्या में विधवा स्त्रियों द्वारा पति के अंतिम संस्कार के समय प्राण त्याग दिए। इस कुरीति को बंद कराने के लिए राजा राममोहन राय ने पहल की। राममोहन राय ने इस अमानवीय प्रथा को बंद कराने के लिए आंदोलन चलाए। यह आंदोलन समाचार पत्रों और जनमंचों के माध्यम से देशभर में चलाया गया। प्रारंभ में राममोहन राय को प्रथा के समर्थकों का क्रोध भी झेलना पड़ा लेकिन अंतत: यह कुप्रथा बंद करा दी गई।

ये बच्चों का खेल नहीं, आग की फुटबॉल है और...

इंडोनेशिया के मुस्लिम रमज़ान के पवित्र माह का स्वागत कुछ अलग अंदाज में करते हैं। इस मौके पर वहां का खेल ‘सेपक बोला अपि’ खेला जाता है। ये खेल बहुत कुछ फुटबॉल की तरह होता है, फर्क इतना है कि इसे आग की गेंद से खेला जाता है। इसे देखने के बाद लोगों को फुटबॉल बोर लगता है।

सेपक बोला अपि खासतौर पर योग्यकर्ता, बोगोर, तसिकमल्या और पपुआ इलाकों में खेला जाता है। इसमें फुटबॉल की तरह 11-11 खिलाड़ियों की दो टीमें होती हैं। दोनों टीमें एक-दूसरे में गोल दागने की कोशिश में लगी रहती हैं। यह काम उन्हें नंगे पैर करना होता है।

चूंकि साधारण फुटबॉल इतनी देर तक लगातार नहीं जल सकती, इसलिए नारियल से गेंद बनाते हैं। सूखे नारियल का पानी निकाल दिया जाता है। इसके ऊपर और भी कई नारियलों के रेशे लपेटे जाते हैं। इसके बाद इसे घासलेट या फिर पेट्रोल में भिगोया जाता है।

कुछ सूत्र कहते हैं कि खेल से सात दिन पहले गेंद को भिगो दिया जाता है, वहीं कुछ का कहना है कि सिर्फ आधा घंटा भिगोने से गेंद पूरे मैच में जलती रहती है। आग से नंगे पैर खेलने के लिए इन लोगों को अपने डर को दूर भगाना पड़ता है। इसके लिए खिलाड़ी पहले 21 दिन उपवास रखते हैं।

मुकदमे हम झेलते हैं सत्ता का सुख मंत्री लेते हैं'

जयपुर.यूथ कांग्रेस की प्रदेश और जिला कार्यकारिणी की साझा बैठक में युवा नेताओं ने संगठन और सरकार में खुद की बेकद्री और पार्टी में हावी होती मठाधीश संस्कृति पर खरी-खरी सुनाई।

यूथ कांग्रेस के सांगानेर विधानसभा इकाई अध्यक्ष ने कहा कि मुकदमे कार्यकर्ता झेलता है और सत्ता का सुख मंत्री लेते हैं। जेल हम जाते हैं और सुख मठाधीश लें यह संस्कृति ठीक नहीं है। मंत्री कार्यकर्ताओं की सुन नहीं रहे हैं और सत्ता के मजे ले रहे हैं।

चुनाव लड़ने वाले एमएलए एमपी और मंत्री बनकर कार्यकर्ताओं को भूल जाते हैं। प्रदेश के हालात बहुत खराब हैं। सत्ता और संगठन में तालमेल नहीं है। समय रहते चेत जाइए वरना पार्टी के लिए इसके नतीजे बहुत खराब होंगे।

दौसा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का नहीं है कोई धणी-धोरी

यूथ कांग्रेस के दौसा के एक नेता ने कहा कि दौसा में निर्दलीयों का राज है, वहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं की सुनने वाला कोई नहीं है। कृषि मंडी में भाजपा के ब्लॉक अध्यक्ष तक को सदस्य मनोनीत कर दिया गया। दौसा से मनोनीत आठ कृषि मंडी सदस्यों में से पांच गैर कांग्रेसी हैं। समस्याओं का निराकरण कैसे हो पाएगा, यह संभव नजर नहीं आ रहा है।

कार्यकर्ताओं के काम समय पर हों, इसका भी पार्टी बनाए सिटीजन चार्टर

जोधपुर लोकसभा इकाई के अध्यक्ष ने कहा, हमें अपनों से ही समस्या है। हमारे अपने ही नेता कार्यकर्ताओं की नहीं सुनते। पार्टी का भी सिटीजन चार्टर बनना चाहिए जिसमें समय पर कार्यकर्ताओं के काम करने का प्रावधान करना चाहिए।

बैठक में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष चंद्रभान, यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पवन गोदारा, राज्यसभा सांसद अश्क अली टाक, कांग्रेस महासचिव नीरज डांगी, युकां महासचिव बालेंदु सिंह शेखावत सहित कई नेताओं ने विचार व्यक्त किए।

यूं बयां की पीड़ा

> जब गांव में जाते हैं तो लोग कहते हैं आप तो राहुल की टीम के सदस्य हो, आपकी ही सुनवाई नहीं हो रही है तो कांग्रेस में आम आदमी की क्या होगी?

> यूथ कांग्रेस में कोई युवा नेता जिले में अच्छा काम करता है तो बड़े नेता उसे इस डर से गिराने में लग जाते हैं कि कहीं वह उनसे बड़ा नेता न बन जाए।

> प्रदेश युकां महासचिव धीरज गुर्जर ने कहा, जिला कांग्रेस कार्यालयों में यूथ कांग्रेस के लोकसभा अध्यक्षों को कार्यालय के लिए जगह देने को लेकर 3 बार पीसीसी से चिट्ठी जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

यूथ कांग्रेस के नेताओं को जिला कांग्रेस में पद मिलना चाहिए। निकट संबंधियों के तबादले कराना कार्यकर्ता का अधिकार है, इस पर ध्यान देना चाहिए ।

सोनिया के दरबार से लौटे गहलोत, राहुल से मिलन रह गया अधूरा

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जयपुर.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद गुरुवार शाम को जयपुर पहुंच गए। वे पिछले चार दिन से दिल्ली में थे। दिल्ली के सूत्रों के अनुसार गहलोत को अभी राहुल गांधी से भी मिलना है, लेकिन वे उत्तरप्रदेश में व्यस्त हैं और उनसे मिलने के लिए गहलोत को एक बार फिर दिल्ली का दौरा करना पड़ सकता है।

मुख्यमंत्री गहलोत के लगातार दिल्ली जाने और कई दिन के ठहराव को लेकर राजस्थान में राजनीतिक गतिविधियां और चर्चाएं तेज हैं। गहलोत के दिल्ली दौरे को उत्तरप्रदेश के चुनावों के संदर्भ में गोपालगढ़ की घटनाओं के बाद राहुल गांधी के आकस्मिक दौरे के नतीजों से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार गहलोत गुरुवार शाम को दिल्ली में सिर्फ सोनिया गांधी से मिले। इससे पहले पिछले दो तीन दिनों के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मिलते रहे थे। इनमें सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल, राजस्थान के प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक आदि तो थे ही, वे कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं से भी मिले।

गहलोत की सबसे चर्चित मुलाकात भंवर जितेंद्रसिंह के ससुर ब्रिजेंद्रसिंह से रही। उन्हें राहुल गांधी और सोनिया गांधी के काफी करीब समझा जाता है। वन्य जीव प्रेमी ब्रिजेंद्रसिंह का नाम एक बार वाइल्ड लाइफ बोर्ड ऑफ राजस्थान के चेयरमैन के तौर पर भी प्रस्तावित किया गया था।

मौन त्याग बोले अन्ना, स्वास्थ्य बेहतर लड़ने के लिए फिर तैयार

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नई दिल्ली. 16 अक्टूबर से मौन व्रत पर गए गांधीवादी अन्ना हजारे ने राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर पहुंचकर अपना मौनव्रत त्याग दिया। 19 दिन का अपना व्रत तोड़ते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि उन्हें इस व्रत से नई ऊर्जा मिली है और अब एक बार फिर वो लड़ने के लिए तैयार हैं।

मौन व्रत तोड़ने के बाद मीडिया से बात करते हुए अन्ना हजारे ने कहा मौन व्रत किसी व्यक्ति पक्ष या पार्टी के विरोध में नहीं था। रामलीला मैदान में 12 दिन अनशन के बाद मेरा स्वास्थ्य कमजोर हो गया था। साढ़े सात किलो वजन कम हो गया था और ब्लड प्रैशर भी काफी गिर गया था। इसके बाद शरीर से कुछ तकरार शुरु हो गई। बहुत लोग मिलने आ रहे थे इसलिए मेरे सामने मौन पर जाना ही एकमात्र रास्ता था

गांधी जी कहते थे कि मुश्किल समय में मौन करना चाहिए। मौन व्रत के कारण मेरा स्वास्थ्य काफी बेहतर हो गया है। इससे मुझे आंदोलन को आगे जारी रखने के लिए नई शक्ति मिली है। मुझे विश्वास है कि मैं अब लड़ने के लिए तैयार हो गया हूं। गांधी समाधि पर ध्यान में बैठे अन्ना की आंखों से आंसू भी निकल आए। अन्ना से जब टीम पर उठे सवालों के बारे में प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा कि इसका जवाब वो प्रैस कांफ्रेंस करके देंगे।

यहां मात्र 71 पैसे में मिलता है 1 लीटर पेट्रोल!

भारत में लोग भले ही पेट्रोल की लगातार बढ़ती कीमतों से परेशान हों लेकिन दुनिया में एक ऐसा देश भी है जहां पेट्रोल की कीमत, पानी से भी कम है। शायद आपको आसानी से इस बात पर यकीन भी ना हो लेकिन यह बात सौ फीसदी सच है। कच्चे तेल की आसमान छूती कीमतों के बावजूद वेनेजुएला में पेट्रोल 71 पैसे प्रति लीटर मिलता है। आपको बता दें कि वेनेजुएला पेट्रोलियम एक्सपोर्ट देशों का सदस्य है और इसकी राष्ट्रीय आय का अधिकतर भाग तेल निर्यात से ही आता है।

वेनेजुएला की एक तिहाई जीडीपी तेल निर्यात पर निर्भर करती है। यहां से तकरीबन 80 फीसदी तेल को निर्यात कर दिया जाता है। और दुनिया में पेट्रोल उत्पादन में वेनेजुएला 5वें नंबर पर है। यहां तेल की बहुलता है और इसकी कोई कमी नहीं है। कीमतों की बात की जाए तो यहां दुनिया भर में सबसे कम कीमत पर पेट्रोल उपलब्ध है

यहां DJ की धुन पर निकलती है शवयात्रा, मौत पर लोग मनाते हैं खुशियां

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बांका. बिहार के बांका जिले में दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां बुजुर्गों की मौत के बाद शोक नहीं बल्कि खुशियां मनायी जाती हैं। यह सुन कर भले ही अचरज लगे लेकिन है सच। मृतक का अंतिम संस्कर पूरे तामझाम, गाजे-बाजे और डीजे की धुन पर किया जाता है।

इन गांवों में मनाई जाती हैं खुशियां

बांका जिले के चांदन, कटोरिया, बेलहर, फूलीडूमर आदि के प्रखंडों के हरदिया, पड़रिया, कुसूमजोरी, केन्दुआर, नोनिया, मंजली, जाठाजोर, मोथाबाड़ी, पेजरपट्टा, लकरामा, पालासार, सढियारी, धोवनी, जैसरी, पत्ताबाड़ी, नोनसार, घोड़सार, भेलवा सहित ऐसे कई गांव हैं जहां यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है।

क्यों मनाई जाती है खुशियां ?

ऐसा यहां के गांव के लोगों का मानना है। ऐसा नहीं है कि बुजुर्गों की मौत के बाद शोक नहीं मनाया जाता। लाश के दाह संस्कार हो जाने के बाद श्मशान घाट से अंतिम संस्कार संपन्न कराने के बाद पूरे तेरह दिनों तक परिवार के लोग शोकाकुल रहते हैं।

ग्रामीणों के अनुसार दशकर्म के दिन शोक संतिप्त परिवार सामूहिक मुंडन करवाते हैं। इसके बाद और भी शोक से उबरने के लिए कर्मकांड कराये जाते हैं। लकरामा गांव के बुधो पासवान का मानना है कि 80 से अधिक उम्र के बुजुर्गों की शवयात्रा गाजे-बाजे या फिर डीजे की धुन पर निकाली जाती है।

तर्क है कि उस बुजुर्ग ने अपने जीवनकाल में सभी पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन किया होगा। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि मृतक ने अपना जीवन खुशी-खुशी बिताया होगा। इसलिए उनकी विदाई भी खुशी-खुशी की जाती है।

बाबा रामदेव ने फिर उगली आग, कहा-प्रधानमंत्री ने बनाया देश को नरक

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बठिंडा/जालंधर.योग गुरु स्वामी रामदेव ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भारत को नरक बनाकर रख दिया है। सक्रिय राजनीति में आने के बारे में उन्होंने कहा कि वे कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि राजनीति में आने का उनका कोई इरादा नहीं है, लेकिन मौजूदा व्यवस्था को बदलने के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा। वे वीरवार को यहां शीश महल कालोनी में योग शिविर के पहले रोज मीडिया से मुखातिब थे।

उन्होंने कहा कि पाक के साथ-साथ चीन भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा बना है। यदि समय रहते प्रधानमंत्री ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। चीन इस समय आंतरिक सुरक्षा के खतरों से जूझ रहा है।

सिंगल पार्टी शासन होने के कारण लोगों में वहां की सरकार के प्रति विद्रोह की भावना पनप रही है। इसलिए वह अपने देश के लोगों और दुनिया का ध्यान हटाने के लिए कभी भी भारत पर हमला कर सकता है। इधर, आर्थिक दृष्टि से यूरोप दिवालिया हो चुका है। यूरो, पौंड और डॉलर के दाम गिर रहे हैं। पश्चिमी देश लगातार कर्ज में डूब रहे हैं। ऐसे में विदेशों में जमा काले धन को तत्काल भारत में लाने के सरकार को प्रयास करने चाहिए।

महंगाई राजनीतिक दलालों की देन : स्वामी रामदेव का कहना है कि देश में महंगाई राजनीतिक दलालों की देन है। देश में मजबूत लोकपाल बन जाए, व्यवस्था पारदर्शी हो, विदेशों में जमा कालाधन भारत में आ जाए और देश में एक ही टैक्स, ट्रांजिक्शन टैक्स लगा दिया जाए तो देश से महंगाई खत्म हो सकती है लेकिन अपने स्वार्थो की आपूर्ति के लिए सत्ता के दलालों ने कई तरह के टैक्स लादकर देश की आर्थिक व्यवस्था को डांवाडोल बना दिया है।

यदि आर्थिक नीति में सुधार कर दिया जाए तो देश में मौजूद इस समय 202 लाख की आर्थिक व्यवस्था दोगुनी होकर 404 लाख की हो सकती है। टीम अन्ना, श्रीश्री रविशंकर और हमारे बीच कोई मतभेद नहीं बाबा रामदेव ने कहा कि टीम अन्ना, श्रीश्री रविशंकर से उनके किसी प्रकार के मतभेद नहीं है। देश में जब भी व्यवस्था परिवर्तन और भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़े आंदोलन होंगे, हम हमेशा साथ रहे हैं और साथ रहेंगे। सभी लोग अपनी अपनी शैली में काम कर रहे हैं, सबका लक्ष्य एक ही है कि देश भ्रष्टाचार से मुक्त हो।

पेट्रोल के दाम, कंपनियों के मुनाफे के लिए

पेट्रोल में बढ़े दाम के लिए केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं। सरकार चंद पेट्रोल कंपनियों को बड़ा मुनाफा देने के लिए ठोस नीति बनाने से पीछे हट रही है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार चाहे तो एक आम आदमी को 40 रुपए तक पेट्रोल मिल सकता है। पेट्रोल बनाने के समय कंपनियों को कच्च तेल 3 रुपए में उपलब्ध होता है।

इसके बाद इस पर लगे सरचार्ज और ट्रैक्स के बावजूद यह हद से हद 35 रुपए तक हो सकता है। सभी तरह के मुनाफे लगाने के बावजूद सरकार चाहे तो इसे 40 रुपए में आम आदमी को उपलब्ध करवा सकती है लेकिन पहले से ही 75-76 रुपए में मिल रहे पेट्रोल के दाम 1.82 पैसे बढ़ाकर सरकार ने साबित कर दिया कि वह आम आदमी के हित में नहीं बल्कि चंद पेट्रोल कंपनियों के घरानों के साथ है

यहां तो राष्ट्रपति की भी एक नहीं चलती क्योंकि...यह केसा भारत का अभिन्न अंग है


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कश्मीर. विवाद ने जम्मू-कश्मीर ही नहीं पूरे देश के लोगों को काफी नुकसान पहुंचाया है। आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक सभी तरह से देश और जम्मू-कश्मीर के अवाम को इस विवाद ने बर्बाद कर दिया है। हम अपने पाठकों के लिए जम्मू-कश्मीर के इतिहास, विवाद, वहां के रीति रिवाज सब कुछ बताने का सीरिज चला रहे हैं। इसके तहत आज हम आपको बता रहे हैं कि धारा 370 क्या है?

धारा 370, जम्मू- कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करता है। यह धारा भारतीय राजनीति में बहुत विवादित रही है। भारतीय जनता पार्टी और कई राष्ट्रवादी दल इसे जम्मू - कश्मीर में व्याप्त अलगाववाद के लिए जिम्मेदार मानते हैं तथा इसे समाप्त करने की मांग करते रहे हैं।

विशेष अधिकार धारा-370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित क़ानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए। इसी विशेष दर्जें के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बरख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।

1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता। इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कही भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते हैं। भारतीय संविधान की धारा 360, जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती।

मन को वश में करो

जीवन कट गया ............

Contemplations, Life and Times

यह है गीता का ज्ञान ..........

[Chapter 12]

कुरान का संदेश सुरे बक़र

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उदयपुर की झीलों में उगेंगे मोती!

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उदयपुर.उदयपुर की झीलों के फ्रेश वाटर में मोतियों की खेती हो सकती है। यह कोई दिवा स्वप्न नहीं है, बल्कि दुनिया के जाने माने एक्वाकल्चरिस्ट डॉ. अजय सोनकर का मानना है। कल्चर्ड पर्ल की स्वदेशी विधियों को विकसित करने के लिए चर्चित डॉ. सोनकर उदयपुर की लबालब झीलों में फ्रेश वाटर पर्ल कल्चर की बड़ी संभावना देखते हैं। इस संबंध में वे एक प्रोजेक्ट भी तैयार कर रहे हैं।

उदयपुर प्रवास के दौरान भास्कर से एक मुलाकात में उन्होंने कहा कि अगर सरकार रुचि दिखाए तो वे यहां की झीलों में फ्रेश वाटर पर्ल कल्चर फार्म विकसित कर सकते हैं। फिलहाल डॉ. सोनकर उदयपुर शहर और बाहरी इलाकों में स्थित जल स्रोतों के जल और उसमें मौजूद जलीय जीवों के अध्ययन की तैयारी में हैं। इस बाबत उनकी टीम कुछ नमूने अपने साथ भी ले गई है।

प्रारंभिक पड़ताल में डॉ. सोनकर का मानना है कि यहीं की झीलों का जल फ्रेश वाटर पर्ल कल्चर के माकूल है।बस इन जलस्रोतों में पर्ल कल्चर के लिए उपयुक्त मसल्स (सीपी) की ब्रीडिंग कराकर उन्हें बड़ी संख्या में तैयार करना है।

पर्ल कल्चर के फायदे

पर्ल कल्चर प्रोजेक्ट इंवायरमेंट फ्रैंडली है। इसके दोहरे फायदे होंगे, पहला इसका सीधा व्यावसायिक फायदा तो दूसरा ये पर्ल कल्चर फार्म हाउस पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होंगे।

वे कहते हैं कि उदयपुर पर्यटकों को राजा रानी की कहानी, शानदार मॉन्यूमेंट्स के लिए तो जाना ही जाता है। अगर इसमें रत्न और जुड़ जाए तो सोने में सुहागा हो जाएगा। इस तरह के पर्ल कल्चर फार्म हाउस अभी केवल समुद्र इलाकों में ही हैं। उप्र के मूल निवासी डॉ. सोनकर फिलहाल पोर्ट ब्लेयर में रहते हैं, जहां उनके रिसर्च प्रोजेक्ट चल रहे हैं।

फ्रेश वाटर पर्ल कल्चर

डॉ. अजय सोनकर ने 1991 में यह तकनीक विकसित की थी। 1993 में इस तकनीकी से दुनिया का पहला कल्चर्ड फ्रेश वाटर पर्ल मोती हिन्दुस्तान में जन्मा था। इस उपलब्धि के लिए वर्ल्ड अक्वाकल्चर सोसाइटी ने डॉ. सोनकर को रिसर्च पेपर पढ़ने के लिए अमेरिका आमंत्रित किया था।

इस तकनीकी के तहत लैमिलीडेन्स मार्जिनलस प्रजाति के मसल्स को ऑपरेट करके उसके मेंटल में न्यूक्लियस इंप्लांट किया जाता है। मसल्स का इम्यून सिस्टम न्यूक्लियस (फारेन बाड़ी) से बचाव के लिए सोडियम काबरेनेट स्रावित करता है।

सोडियम काबरेनेट की परतें न्यूक्लियस पर चढ़ती जाती है जो कालान्तर में मोती का रूप ले लेती हैं। इसमें करीब वर्ष भर लग जाते हैं। एक मसल्स में एक से अधिक मोती और एक बार से अधिक मोती तैयार किए जा सकते हैं। इस पूरी सर्जरी में मसल्स की मौत भी नहीं होती। खास बात यह भी है कि यह मसल्स जल को प्रदूषण से मुक्त भी करता है।

डॉ. अजय सोनकर पारिवारिक फार्म हाउस से अंतरराष्ट्रीय क्षितिज तक

डॉ अजय सोनकर ने अपने पारिवारिक फार्म हाउस (पहली प्रयोगशाला) से अपने प्रयोगों की शुरुआत क ी। फ्रेश वाटर पर्ल कल्चर के क्षैत्र में उनका योगदान अतुलनीय है। इसी योगदान के कारण उनके रिसर्च पेपर जर्नल्स ऑफ शेल फिश, वर्ल्ड एक्वा कल्चर, एक्वा कल्चर मैगज़ीन, पर्ल कल्चर जैसी कई प्रतिष्ठित जर्नल्स व मैगज़ींस मे प्रकाशित हुए।

पर्ल कल्चर के क्षत्र में महत्वपूर्ण योगदान के कारण उन्हें पर्ल 94 - यूएसए, वर्ल्ड एक्वा कल्चर 96- बैंकाक , वर्ल्ड एक्वा कल्चर 98- लॉस वेगस(यूएसए),व वर्ल्ड एक्वा कल्चर 2005 - इंडोनेशिया समेत कई अन्तरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेन्सों मे आमंत्रित भी किया गया।

महज 29 साल की उम्र में उत्तरप्रदेश के जौनपुर विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टर व बुंदेलखण्ड़ विश्वविद्यालय द्वारा मानद आचार्य अलंकरण की उपाधि भी प्रदान की गई है। डॉ. सोनकर को स्वदेशी न्यूक्लियस तकनीकी विकसित करने का श्रेय है।

इसके साथ ही उन्होंने पर्ल कल्चर की दिशा में न्यूक्लियस को लेकर जापान का एकाधिकार समाप्त कर दिया। गौरतलब है कि बिना न्यूक्लियस की मदद के राउन्ड पर्ल, कल्चर करना संभव नहीं है। पर्ल प्रोफेसर जैसे कुछ प्रकाशनों और विदेशी वैज्ञानिकों ने डॉ. सोनकर की उपलब्धियों पर अंगुलियां भी उठाई, मगर एक्वा कल्चर से जुड़े वरिष्ठ अन्तरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों और जर्नल्स ने संदेहों को खारिज कर दिया।

पेट्रोल की कीमतों में 1.82 रुपए का इजाफा, बढ़ेंगे एलपीजी और डीजल के दाम!

नई दिल्ली।लाख दावों के बावजूद आम आदमी को राहत नहीं मिल पाई। देश में पेट्रोल की कीमतों में 1.82 रुपए की बढ़ोतरी कर दी गई है। यह बढ़ोतरी इंडियन ऑयल की ओर से की गई है। आधी रात के बाद से दिल्ली में पेट्रोल अब 68.66 रुपए और मुंबई में 73.74 रुपए मिलेगा।
गौरतलब है कि सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने पेट्रोल के दाम बढ़ाने के संकेत पहले ही दे दिए थे। इस बार मूल्य वृद्धि के लिए रुपए की कमजोरी मुख्य वजह बताई जा रही है।
तेल कंपनियों का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत गिरने से कच्च तेल आयात करने की लागत बढ़ गई है, जिससे उन्हें नुकसान होने लगा है।
इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम ने गत 16 सितंबर को पेट्रोल के दाम 3.14 रुपए लीटर बढ़ाए थे। तब भारतीय मुद्रा एक अमेरिकी डॉलर के सामने 48 रुपए के आसपास चल रही थी। आज यह 49 रुपए के ऊपर पहुंच गई है।
सरकार गत वर्ष जून में पेट्रोल की कीमत नियंत्रणमुक्त कर चुकी है, लेकिन बढ़ती महंगाई के कारण पेट्रोल की खुदरा कीमतें लागत बढ़ने के अनुरूप नहीं बढ़ीहैं। पेट्रोल की कीमत में संशोधन करने से तेल कंपनियों को सरकार से सलाह लेनी पड़ती है।
एलपीजी सिलेंडर, डीजल के भी दाम बढ़ेंगे !
पेट्रोल के साथ ही लोगों पर महंगे एलपीजी सिलेंडर, डीजल और मिट्टी के तेल का बोझ भी पड़ने वाला है। सरकार डीजल, मिट्टी के तेल और एलपीजी सिलेंडर की कीमतें बढ़ाने की तैयारी में है।
सरकार कह चुकी है कि तेल कंपनियों की आर्थिक सेहत खराब हो रही है। दाम वृद्धि का फैसला मंत्री समूह ही करेगा, हालांकि यह आसान नहीं होगा। समिति के अध्यक्ष वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी हैं।
समिति में यूपीए के घटक दल नेशनल कांफ्रेंस, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके भी हैं। तृणमूल कांग्रेस हमेशा से दाम वृद्धि के खिलाफ रही है। अब डीएमके भी इसके खिलाफ नजर आती है।
तेल कपंनियों को डीजल, मिट्टी तेल और एलपीजी सिलेंडर की बिक्री पर इस समय प्रतिदिन 333 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।
गैस सिलेंडर मिलेगा 560 रुपए में
सरकार चाहती है कि एक संख्या के बाद एलपीजी सिलेंडर बाजार भाव पर मिले। ऐसा होने से एक सिलेंडर 560 रुपए का हो जाएगा। इस समय सरकार को एक सिलेंडर पर 260.50 रुपए का घाटा होता है। वहीं डीजल को रियायती मूल्य पर बेचने से तेल कंपनियों को प्रति लीटर पर 9.27 रुपए, मिट्टी तेल पर प्रति लीटर 26.94 रुपए का घाटा हो रहा है।

इन्टरनेट का दुरूपयोग करने वालों के खिलाफ कार्यवाही होगी

मुंबई में आपकी होती है पिटाई, फिर भी क्या जाओगे वहां?

जौनपुर.कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में बैठकर एक तीर से दो निशाने साधते हुए कहा कि आप लोगों के साथ मुंबई में बुरा बर्ताव होता है। फिर भी क्या आप मुंबई जाना चाहेंगे।

कांग्रेस का जनाधार वापस लाने की मुहिम में पार्टी महासचिव राहुल गांधी पूर्वाचल के कई जिलों का दौरा कर रहे हैं। इसी क्रम में वे आज जौनपुर में हैं।

उनके निशाने पर मायावती सरकार है। उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए राहुल ने यहां दौरा शुरू कर दिया है। राहुल का कहना है कि प्रदेश में पिछले बीस सालों में विकास नहीं हुआ है। राहुल ने जनता से यह भी पूछा कि क्या आपको यह देखकर गुस्सा नहीं आता।

मंदिर-मस्जिद में मथा टेक रहे हैं राहुल

इससे पहले वाराणसी व मिर्जापुर के गांवों का औचक दौरा कर चौपाल लगा चुके राहुल ने मंदिर-मस्जिद और मजारों पर मत्था टेक रहे हैं। दौरे के दूसरे दिन राहुल ने बुधवार को मिर्जापुर के चिल्ह गांव में चौपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं थीं। उन्होंने प्रसिद्ध शक्तिपीठ विंध्याचल मंदिर में देवी के दर्शन किए। उसके बाद ख्वाजा इस्माइल चिश्ती रहीमुल्ला की दरगाह पर मत्था टेका।

राहुल ने मिर्जापुर के बाढ़ प्रभावित मानिकपुर गांव के प्राथमिक स्कूल में चौपाल लगाई तो पूरा गांव उमड़ आया। इस पूरे इलाके से कांग्रेस का नामोनिशान मिट चुका है।

एक जमाने में यह पूरा इलाका पार्टी के कद्दावर नेता कमलापति त्रिपाठी के प्रभाव में था। वे विधवा जुबैदा के भी गए जिसका पति जुआ खेलने के आरोप में पुलिस के पीछा करने पर गंगा नदी में कूद गया था और डूबने से उसकी मौत हो गई थी।

गोधरा आयोग पर अब तक खर्च हो गए 6.32 करोड़

अहमदाबाद। गोधरा कांड और इसके बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों की जांच कर रहे दो सदस्यीय गोधरा जांच आयोग पर अभी तक 6.32 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। इनमें से 4.53 करोड़ रुपए आयोग के सदस्य न्यायाधीश व इनके स्टाफ के वेतन-भत्तेे के मद में खर्च हुए हैं।

आयोग के समक्ष सरकार की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं को बतौर फीस 29 लाख रुपए चुकाए गए हैं। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत विनोद पंड्या नामक आवेदक ने यह जानकारी हासिल की है। आयोग 2002 से गोधरा कांड व इसके बाद भड़के दंगों की जांच कर रहा है। गोधरा कांड पर आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। दंगों के मामले की छानबीन जारी है। इसलिए हर छह माह में आयोग का कार्यकाल बढ़ाना पड़ता है।

जिन बच्चों से छीन ली मां, उन्ही ने कातिल को फांसी से बचाया

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अजमेर.कर्जा चुकाने के लिए पत्नी का बीमा करवाकर भाड़े के हत्यारे से हत्या कराने के मामले में आरोपी पति और सुपारी किलर को सेशन कोर्ट ने बुधवार को सश्रम आजीवन कारावास और जुर्माने से दंडित किया है।

सेशन जज जनार्दन व्यास ने पारित निर्णय में कहा कि आरोपी सुनील की पत्नी मृतका सीमा के बच्चे उर्वशी, रेखा और मनीष पहले अपनी माता के स्नेह से वंचित हो चुके हैं। इन बच्चों को अब पिता के जिंदा होने के सुख से वंचित नहीं किया जा सकता है।

इसके मद्देनजर अदालत ने हत्यारे पति सुनील को फांसी देने की अभियोजन पक्ष की प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया। मंगलवार को सजा के बिंदु पर अभियोजन पक्ष की ओर से विवेक पाराशर ने कहा था कि सुनील ने विश्वास में रखकर अपनी जीवन साथी धर्मपत्नी के प्राण हरने का षड़यंत्र रचा और तीन बच्चों को माता के वात्सल्य से वंचित कर दिया।

वहीं लक्ष्मण ने एक गृहस्थी को बगैर द्वेष के षड़यंत्रपूर्वक बिखेर दिया , इसलिए दोनों को कठोरतम सजा के रूप में फांसी दी जानी चाहिए। इससे पहले मंगलवार को अदालत ने दो साल पूर्व पत्नी की हत्या के मामले में आरोपी पति जेएलएन में वार्ड ब्वाय रहे कल्याणीपुरा निवासी सुनील कुमार पुत्र मांगीलाल और उसके साथी कच्ची बस्ती माकड़वाली रोड निवासी लक्ष्मण उर्फ शाहरुख पुत्र जंवरीलाल को भारतीय दंड संहिता की धारा 302/34 के तहत दोषी ठहराते हुए सजा पर निर्णय सुरक्षित रखा था।

भूसे से बीज खोजने के समान है सत्य का अन्वेषण

सेशन जज जनार्दन व्यास ने पारित निर्णय में कहा कि बचाव पक्ष की यह दलील मानने योग्य नहीं है कि अभियोजन आरोप साबित करने में विफल रहा है। अदालत ने कहा कि सत्य का अन्वेषण उसी प्रकार से करना चाहिए जैसे भूसे के ढेर से बीज निकालना हो।

अदालत ने कहा कि अभियोजन ने जो साक्ष्य पेश की है वह खंड-खंड नहीं होकर माला के फूलों की तरह है, जो गंभीरता से मनन करने पर आपस में जुड़ी हुई प्रकट होती है। अदालत ने माना कि लक्ष्मण जहां भौतिक रूप से हत्या में शामिल था वहीं सुनील मानसिक रूप से इस कृत्य में भागीदार रहा।

इन दोनों के पदचाप यद्यपि अलग-अलग चलते दिखते हैं और उनमें दूरी भी प्रकट होती है लेकिन कदम-ब-कदम अपराध की ओर चलते हैं तथा उनके कदमों की रेखा को अभियोजन पक्ष ने बखूबी साबित किया है।

शांत मुखौटे के पीछे कातिल चेहरा

बचाव पक्ष की यह भी दलील थी कि जितने भी गवाह परीक्षित हुए हैं और जो सुनील से परिचित थे उन सभी ने उसे शांत प्रवृत्ति व पारिवारिक व्यक्ति बताया है। ऐसे में उसने साजिश रचकर पत्नी की हत्या करवाई हो यह साबित नहीं है।

अदालत ने माना कि सुनील का शांत चेहरा और व्यवहार एक मुखौटा था और असल में उसके पीछे एक कातिल छिपा था। अदालत ने माना कि सीमा की हत्या के पहले व बाद में सुनील का व्यवहार असामान्य व अत्यधिक सावधानीपूर्ण रहा।

सुनील ने हत्या के दिन अलवर गेट थानाधिकारी को रिपोर्ट देकर हत्या का शक दो लोगांे पर किया था। दूसरे ही दिन उसने पुलिस अधीक्षक को कम्प्यूटर से टाइपशुदा एक रिपोर्ट और दी जिसमें उसने उन्हीं दो लोगों पर हत्या का शक जाहिर किया।

अदालत का मानना है कि थानाधिकारी को रिपोर्ट देने के बाद उसे संतुष्ट हो जाना चाहिए था कि कार्रवाई होगी लेकिन पत्नी की मौत से दुखी होने की बजाय व चिता ठंडी होने से पहले ही उसने जिस तरह तुरंत एसपी के समक्ष रिपोर्ट पेश की यह उसके शातिराना अंदाज को बेबाक जाहिर करता है। लक्ष्मण ने जहां अपने हाथों से कत्ल किया वहीं इस कत्ल में सुनील ने दिमाग से काम किया।

यह था मामला ..

25 नवंबर 2009 को जेएलएन में कार्यरत वार्ड ब्वाय इंद्रा नगर गली नंबर 1, कल्याणीपुरा निवासी सुनील (44) ने अलवर गेट थाना पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया था कि वह अपने तीन बच्चों की आंखों का चेकअप कराने जेएलएन अस्पताल गया था।

उसकी पत्नी सीमा घर पर अकेली थी। दोपहर तीन बजे बच्चों के साथ घर पहुंचने पर उसकी पत्नी डाइनिंग हॉल में मृत मिली थी। पुलिस ने जांच की तो मालूम हुआ कि कर्जे में डूबे सुनील ने ही माकड़वाली निवासी लक्ष्मण को एक लाख रुपए का लालच देकर अपनी पत्नी सीमा की हत्या कराई थी।

नैतिक बल की कमी

मुल्जिम सुनील के पड़ोसी पैट्रिक के बयान से पलटने पर अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि समाज में असहिष्णुता आ गई है और नैतिक बल की भी कमी है। भले ही पड़ोस में अपराधी रहता हो लेकिन उसके संबंध में व्यक्ति अदालत में सशपथ झूठे बयान दे देते हैं।

ऐसे गवाहों का पक्षद्रोही होना अस्वाभाविक नहीं माना जा सकता है। पैट्रिक ने घटना के बाद पुलिस को दिए बयान में सुनील के घर के बाहर लक्ष्मण का स्कूटर खड़ा होने की जानकारी दी थी। लेकिन अदालत में वह इससे मुकर गया।

कल इस मंत्र से करें आंवले की परिक्रमा..मिलेगा भरपूर वैभव व यश

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रोम-रोम में ईश्वर की मौजूदगी मानने वाले सनातन धर्म में प्रकृति की हर रचना पूजनीय है। इसी कड़ी में अनेक पेड़-पौधे देव वृक्ष माने गए हैं। जिनमें तुलसी, वट, पीपल की भांति ही आंवले का पौधा भी पूजनीय और मंगलकारी माना गया है। जिसके लिए कार्तिक शुक्ल नवमी का दिन नियत है, जो आंवला नवमी (4 अक्टूबर) के रूप में भी प्रसिद्ध है।

आंवला नवमी या कूष्माण्ड नवमी पर आवंले के वृक्ष की पूजा में विशेष उपाय देवी कृपा से धन, वैभव और अक्षय सुख देने के साथ पापों का नाश करने वाले माने गए हैं। इन सरल उपायों में धात्री यानी आंवले वृक्ष की परिक्रमा विशेष मंत्रो के साथ करना कामनासिद्धि करने वाला माना गया है।

जानते हैं आंवला पूजन की आसान विधि और विशेष देवी व परिक्रमा मंत्र -

- आंवला नवमी पर स्नान के बाद धात्री यानी आंवले के वृक्ष की पंचोपचार पूजा करें। जिसमें गंध, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य के बाद उसकी जड़ में दूध अर्पित कर जगतजननी के स्वरूप देवी कूष्माण्डा के नीचे लिखे मंत्र का स्मरण करते हुए सूत वृक्ष के आस-पास लपेटें-

दुर्गतिनाशिन त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।

जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्।।

- इसके बाद घी या कर्पूर दीप जलाकर नीचे लिखे मंत्र से वृक्ष की परिक्रमा व आरती यश व सुख की कामना से करें -

यानि कानि च पापानि जन्मातरकृतानि च।

तानि तानि प्रणश्यन्ति प्रदक्षिण पदे पदे।।

- पूजा, आरती व प्रदक्षिणा के बाद यथाशक्ति कूष्माण्ड यानी कुम्हड़े में धन रखकर ब्राहृमणों को दान करना समृद्धि की कामना पूरी करता है।

अगर आपकी धर्म और उपासना से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।


पहले चलाते थे तांगा.. अब हैं अरबपति



जी हां यह कोई कहानी या कोरी गप्प नहीं बल्कि सच्चाई है आज यह महाश्य मसालों की दुनिया के बेताज बादशाह हैं जी हां हम बात कर रहे हैं एमडीएच मसाला कंपनी के मालिक महाश्य धर्मपाल जी की जिनका जन्म 27 मार्च 1927 को सियालकोट में हुआ था। 1933 में इन्होंने पांचवी कक्षा में ही पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी। 1937 में महाश्य जी ने अपने पिता की मदद से अपना एक छोटा सा शीशे का बिजनेस शुरु किया उसके बाद साबुन और दूसरे कई बिजनेस किए लेकिन उनका मन उनमें नहीं लगा बाद में उन्होंने अपना पुश्तैनी मसालों का
बिजनेस शुरु किया।

27 सिंतबर 1947 में भारत बंटवारे के वक्त महाश्य जी भारत आ गए उस समय उनकी जेब में सिर्फ 1500 रुपए थे उन्होंने 650 रुपए में एक तांगा खरीदा और उसे चलाने लगे वो दो आना प्रति सवारी लेते थे। उसके बाद उन्होंने एक खोका खरीदा और उसमें अपना मसालों का बिजनेस देगी मिर्च वालों के नाम से फिर से शुरु किया। यहीं से महाश्य जी की सफलता का कारवां शुरु होता है इनकी सफलता का कोई बड़ा फर्मूला नहीं है केवल ग्राहकों के प्रति ईमानदारी ही महाश्य जी की सफलता का राज है।

महाश्य जी सिर्फ मसालों का बिजनेस ही नहीं चलाते हैं बल्कि उनके कई अस्पताल और स्कूल भी हैं। जिनमें गरीब और बेसहारा लोगों को सहारा मिलता है। 86 वर्षीय महाश्य धर्मापाल जी के एमडीएच और देगी मिर्च नाम से मसाले दुनिया भर में मश्हूर हैं देशभऱ में एमडीएच के 1000 से ज्यादा थोक और 4 लाख से ज्यादा रिटेल डीलर्स हैं। एमडीएच के 52 प्रोडक्ट 140 से ज्यादा अलग अलग पैकेटों में उपलब्ध है।

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