राज ने कहा, 'जब मैं अपने मन की बात कहता हूं तो मेरे बयान को भड़काऊ बताया जाता है और मेरे खिलाफ केस दर्ज किया जाता है। लेकिन निरुपम, आजमी और कृपाशंकर सिंह का क्या किया जाए जो मुंबई में मराठी मानुस को लगातार धमका रहे हैं? मैं मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को चेतावनी देता हूं कि वे इन लोगों को रोकें।'
शिवाजी पार्क (दादर) स्थित अपने निवास स्थान कृष्णकुंज पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए राज ने कहा कि मुख्यमंत्री मराठी भाषियों को चुनौती देने वाले इन ‘कुत्तों’ को समय रहते नियंत्रित करें। क्योंकि मैं खोखली धमकी नहीं देता। इसके साथ ही राज ने जोड़ा कि एक बार उनका सिर घुम गया, तो क्या हो सकता है। अतीत में पूरे देश ने देखा है।
उद्धव ठाकरे के गले की टाई थे निरुपम
मनसे अध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि शिवसेना में रहते वक्त संजय निरुपम ने उद्धव ठाकरे के कहने पर छठ पूजा की शुरुआत की थी। राज ने कहा कि निरुपम तब उद्धव के गले की टाई हुआ करते थे और आज वे ही मराठीभाषियों को आंखें दिखा रहे हैं। उन्होंने अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे पर और प्रहार करते हुए कहा कि शिवसेना भवन में उत्तर भारतीयों की सभा करना, लाई-चना कार्यक्रम का आयोजन करना और कांग्रेस विधायक कृपाशंकर सिंह के घर गणपति में दर्शन के लिए जाना। क्या शिवसेना द्वारा उत्तर भारतीयों को बढ़ावा देना नहीं है। राज ने ठाणे जिले में शिवसेना द्वारा ‘उत्तर भारतीयों के सम्मान में शिवसेना मैदान में’ इस नारे के लगाये गये होर्डिग-बैनर पर भी आपत्ति जताई है।
छठ पूजा की आड़ में शक्ति प्रदर्शन
राज ठाकरे ने गुरुवार को दोहराया कि उन्होंने कभी भी छठ पूजा का विरोध नहीं किया, बल्कि उसकी आड़ में संजय निरुपम जैसे नेताओं द्वारा किये जाने वाले शक्ति प्रदर्शन का वे हमेशा विरोध करते रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से सवाल पूछा है कि जब वे बयानबाजी करते हैं, तो उन पर बोलने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। 100-100 मामले दर्ज किये जातें है। मगर जब निरुपम जैसे नेता मराठी भाषियों को भड़काने वाले बयान देते हैं, तो गृह विभाग चुप क्यों है? मनसे अध्यक्ष ने लगे हाथ हिंदी न्यूज चैनलों को चेतावनी दी कि यदि उनके बयान को तोड़मड़ोड कर प्रसारित किया गया, तो उनके समर्थन ऐसा करने वाले चैनल को महाराष्ट्र में नहीं चलने देंगे।